< حِزْقِيَال 14 >

فَجَاءَ إِلَيَّ رِجَالٌ مِنْ شُيُوخِ إِسْرَائِيلَ وَجَلَسُوا أَمَامِي. ١ 1
फिर इस्राएल के कुछ अगुए मेरे पास आकर मेरे सामने बैठ गए.
فَصَارَتْ إِلَيَّ كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ قَائِلَةً: ٢ 2
तब याहवेह का यह वचन मेरे पास आया:
«يَا ٱبْنَ آدَمَ، هَؤُلَاءِ ٱلرِّجَالُ قَدْ أَصْعَدُوا أَصْنَامَهُمْ إِلَى قُلُوبِهِمْ، وَوَضَعُوا مَعْثَرَةَ إِثْمِهِمْ تِلْقَاءَ أَوْجُهِهِمْ. فَهَلْ أُسْأَلُ مِنْهُمْ سُؤَالًا؟ ٣ 3
“हे मनुष्य के पुत्र, ये लोग अपने हृदय में मूर्तियों को बसा रखे हैं और अपने चेहरे के सामने दुष्टता के ठोकर के पत्थर रखे हुए हैं. क्या मैं इन्हें मुझसे जानकारी लेने की अनुमति दूं?
لِأَجْلِ ذَلِكَ كَلِّمْهُمْ وَقُلْ لَهُمْ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: كُلُّ إِنْسَانٍ مِنْ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِي يُصْعِدُ أَصْنَامَهُ إِلَى قَلْبِهِ، وَيَضَعُ مَعْثَرَةَ إِثْمِهِ تِلْقَاءَ وَجْهِهِ، ثُمَّ يَأْتِي إِلَى ٱلنَّبِيِّ، فَإِنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ أُجِيبُهُ حَسَبَ كَثْرَةِ أَصْنَامِهِ، ٤ 4
इसलिये उनसे बात करो और उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: जब कोई इस्राएली अपने हृदय में मूर्तियों को बसाता है और अपने चेहरे के सामने दुष्टता का ठोकर का पत्थर रखता है और तब वह भविष्यवक्ता के पास जाता है, तो मैं, याहवेह स्वयं उसकी बड़ी मूर्ति पूजा की बातों को ध्यान में रखते हुए उसे उत्तर दूंगा.
لِكَيْ آخُذَ بَيْتَ إِسْرَائِيلَ بِقُلُوبِهِمْ، لِأَنَّهُمْ كُلَّهُمْ قَدِ ٱرْتَدُّوا عَنِّي بِأَصْنَامِهِمْ. ٥ 5
मैं इसलिये ऐसा करूंगा ताकि मैं उन इस्राएली लोगों के हृदय को फिर से अपने तरफ कर सकूं, जो अपनी मूर्तियों के लिये मुझे छोड़ दिये हैं.’
لِذَلِكَ قُلْ لِبَيْتِ إِسْرَائِيلَ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: تُوبُوا وَٱرْجِعُوا عَنْ أَصْنَامِكُمْ، وَعَنْ كُلِّ رَجَاسَاتِكُمُ ٱصْرِفُوا وُجُوهَكُمْ. ٦ 6
“इसलिये इस्राएल के लोगों से कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: पश्चात्ताप करो! अपने मूर्तियों से दूर होकर अपने सब घृणित कार्यों को छोड़ दो!
لِأَنَّ كُلَّ إِنْسَانٍ مِنْ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ أَوْ مِنَ ٱلْغُرَبَاءِ ٱلْمُتَغَرِّبِينَ فِي إِسْرَائِيلَ، إِذَا ٱرْتَدَّ عَنِّي وَأَصْعَدَ أَصْنَامَهُ إِلَى قَلْبِهِ، وَوَضَعَ مَعْثَرَةَ إِثْمِهِ تِلْقَاءَ وَجْهِهِ، ثُمَّ جَاءَ إِلَى ٱلنَّبِيِّ لِيَسْأَلَهُ عَنِّي، فَإِنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ أُجِيبُهُ بِنَفْسِي. ٧ 7
“‘जब इस्राएलियों में से कोई या कोई विदेशी इस्राएल में रहता है और अपने आपको मुझसे अलग कर लेता है और अपने हृदय में मूर्तियों को बसाता है और अपने चेहरे के सामने दुष्टता का ठोकर का पत्थर रखता है और तब मुझसे जानकरी लेने के लिये भविष्यवक्ता के पास जाता है, तो मैं, याहवेह स्वयं उसको उत्तर दूंगा.
وَأَجْعَلُ وَجْهِي ضِدَّ ذَلِكَ ٱلْإِنْسَانِ وَأَجْعَلُهُ آيَةً وَمَثَلًا، وَأَسْتَأْصِلُهُ مِنْ وَسْطِ شَعْبِي، فَتَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ. ٨ 8
मैं उसके विरुद्ध अपना मुंह करूंगा और उसे दूसरों के लिये एक चेतावनी और एक कहावत बना दूंगा. मैं उसे अपने लोगों के बीच से हटा दूंगा. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं.
فَإِذَا ضَلَّ ٱلنَّبِيُّ وَتَكَلَّمَ كَلَامًا، فَأَنَا ٱلرَّبَّ قَدْ أَضْلَلْتُ ذَلِكَ ٱلنَّبِيَّ، وَسَأَمُدُّ يَدِي عَلَيْهِ وَأُبِيدُهُ مِنْ وَسْطِ شَعْبِي إِسْرَائِيلَ. ٩ 9
“‘और यदि भविष्यवक्ता भविष्यवाणी करने के लिये बहकाया जाता है, तो यह जान लो कि मैं, याहवेह ने उस भविष्यवक्ता को बहकाया है, और मैं उसके विरुद्ध अपना हाथ बढ़ाऊंगा और उसे अपने इस्राएली लोगों के बीच में से नाश कर दूंगा.
وَيَحْمِلُونَ إِثْمَهُمْ. كَإِثْمِ ٱلسَّائِلِ يَكُونُ إِثْمُ ٱلنَّبِيِّ. ١٠ 10
उन्हें उनके अपराध का दंड मिलेगा—भविष्यवक्ता भी उतना ही दोषी ठहरेगा जितना कि वह जो उससे सलाह लेता है.
لِكَيْ لَا يَعُودَ يَضِلُّ عَنِّي بَيْتُ إِسْرَائِيلَ، وَلِكَيْ لَا يَعُودُوا يَتَنَجَّسُونَ بِكُلِّ مَعَاصِيهِمْ، بَلْ لِيَكُونُوا لِي شَعْبًا وَأَنَا أَكُونُ لَهُمْ إِلَهًا، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ». ١١ 11
तब इस्राएल के लोग मुझसे अलग न होंगे, और न ही वे फिर कभी अपने सब पापों के द्वारा अपने आपको दूषित करेंगे. वे मेरे लोग होंगे, और मैं उनका परमेश्वर होऊंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’”
وَكَانَتْ إِلَيَّ كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ قَائِلَةً: ١٢ 12
तब याहवेह का वचन मेरे पास आया:
«يَا ٱبْنَ آدَمَ، إِنْ أَخْطَأَتْ إِلَيَّ أَرْضٌ وَخَانَتْ خِيَانَةً، فَمَدَدْتُ يَدِي عَلَيْهَا وَكَسَرْتُ لَهَا قِوَامَ ٱلْخُبْزِ، وَأَرْسَلْتُ عَلَيْهَا ٱلْجُوعَ، وَقَطَعْتُ مِنْهَا ٱلْإِنْسَانَ وَٱلْحَيَوَانَ، ١٣ 13
“हे मनुष्य के पुत्र, यदि कोई देश विश्वासघात करके मेरे विरुद्ध पाप करता है और मैं उसके विरुद्ध अपना हाथ बढ़ाकर उसका भोजन-पानी बंद कर देता हूं और उस पर अकाल भेजकर उसके लोगों और जानवरों को मार डालता हूं,
وَكَانَ فِيهَا هَؤُلَاءِ ٱلرِّجَالُ ٱلثَّلَاثَةُ: نُوحٌ وَدَانِيآلُ وَأَيُّوبُ، فَإِنَّهُمْ إِنَّمَا يُخَلِّصُونَ أَنْفُسَهُمْ بِبِرِّهِمْ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. ١٤ 14
और चाहे यदि ये तीन लोग—नोहा, दानिएल और अय्योब भी उनके बीच होते, तो वे अपने धर्मीपन के कारण सिर्फ अपने आपको ही बचा पाते, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
إِنْ عَبَّرْتُ فِي ٱلْأَرْضِ وُحُوشًا رَدِيئَةً فَأَثْكَلُوهَا وَصَارَتْ خَرَابًا بِلَا عَابِرٍ بِسَبَبِ ٱلْوُحُوشِ، ١٥ 15
“या यदि मैं उस देश में जंगली जानवरों को भेजूं और वे उसे निर्जन कर देते हैं और वह देश उजड़ जाए ताकि जंगली जानवरों के कारण उस देश में से होकर कोई न जाए,
وَفِي وَسْطِهَا هَؤُلَاءِ ٱلرِّجَالُ ٱلثَّلَاثَةُ، فَحَيٌّ أَنَا، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، إِنَّهُمْ لَا يُخَلِّصُونَ بَنِينَ وَلَا بَنَاتٍ. هُمْ وَحْدَهُمْ يَخْلُصُونَ وَٱلْأَرْضُ تَصِيرُ خَرِبَةً. ١٦ 16
तो, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है कि मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, चाहे यदि ये तीनों व्यक्ति भी वहां होते, तो वे अपने खुद के बेटे-बेटियों को भी बचा न पाते. वे अकेले ही बचते, पर देश उजाड़ हो जाएगा.
أَوْ إِنْ جَلَبْتُ سَيْفًا عَلَى تِلْكَ ٱلْأَرْضِ وَقُلْتُ: يَا سَيْفُ ٱعْبُرْ فِي ٱلْأَرْضِ، وَقَطَعْتُ مِنْهَا ٱلْإِنْسَانَ وَٱلْحَيَوَانَ، ١٧ 17
“या यदि मैं उस देश के विरुद्ध तलवार उठाऊं और ये कहूं, ‘पूरे देश में तलवार चले,’ और मैं उस देश के लोगों और उनके जानवरों को मार डालूं,
وَفِي وَسْطِهَا هَؤُلَاءِ ٱلرِّجَالُ ٱلثَّلَاثَةُ، فَحَيٌّ أَنَا، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، إِنَّهُمْ لَا يُخَلِّصُونَ بَنِينَ وَلَا بَنَاتٍ، بَلْ هُمْ وَحْدَهُمْ يَخْلُصُونَ. ١٨ 18
तो मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, चाहे यदि ये तीनों व्यक्ति भी वहां होते, वे अपने खुद के बेटे-बेटियों को भी बचा न पाते. वे अकेले ही बचते.
أَوْ إِنْ أَرْسَلْتُ وَبَأً عَلَى تِلْكَ ٱلْأَرْضِ، وَسَكَبْتُ غَضَبِي عَلَيْهَا بِٱلدَّمِ لِأَقْطَعَ مِنْهَا ٱلْإِنْسَانَ وَٱلْحَيَوَانَ، ١٩ 19
“या यदि मैं उस देश में महामारी भेजूं और उस देश के लोगों और उनके जानवरों को मारते हुए रक्तपात के द्वारा उस पर अपना कोप प्रगट करूं,
وَفِي وَسْطِهَا نُوحٌ وَدَانِيآلُ وَأَيُّوبُ، فَحَيٌّ أَنَا، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، إِنَّهُمْ لَا يُخَلِّصُونَ ٱبْنًا وَلَا ٱبْنَةً. إِنَّمَا يُخَلِّصُونَ أَنْفُسَهُمْ بِبِرِّهِمْ. ٢٠ 20
तो मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, चाहे यदि नोहा, दानिएल तथा अय्योब भी वहां होते, तो वे न तो अपने बेटे को बचा पाते और न ही अपनी बेटी को. वे अपने धर्मीपन के कारण सिर्फ अपने आपको बचा पाते.
«لِأَنَّهُ هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: كَمْ بِٱلْحَرِيِّ إِنْ أَرْسَلْتُ أَحْكَامِي ٱلرَّدِيئَةَ عَلَى أُورُشَلِيمَ: سَيْفًا وَجُوعًا وَوَحْشًا رَدِيئًا وَوَبَأً، لِأَقْطَعَ مِنْهَا ٱلْإِنْسَانَ وَٱلْحَيَوَانَ! ٢١ 21
“क्योंकि परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: कितनी दयनीय स्थिति होगी जब मैं येरूशलेम पर ये चार प्रकार के दंड लाऊंगा—तलवार, अकाल, जंगली जानवर और महामारी, ताकि इसके लोग और उनके जानवर मारे जाएं!
فَهُوَذَا بَقِيَّةٌ فِيهَا نَاجِيَةٌ تُخْرَجُ بَنُونَ وَبَنَاتٌ. هُوَذَا يَخْرُجُونَ إِلَيْكُمْ فَتَنْظُرُونَ طَرِيقَهُمْ وَأَعْمَالَهُمْ، وَتَتَعَزَّوْنَ عَنِ ٱلشَّرِّ ٱلَّذِي جَلَبْتُهُ عَلَى أُورُشَلِيمَ عَنْ كُلِّ مَا جَلَبْتُهُ عَلَيْهَا. ٢٢ 22
फिर भी कुछ लोग जीवित रहेंगे—बेटे और बेटियां, जिन्हें यहां से बाहर लाया जाएगा. वे तुम्हारे पास आएंगे, और जब तुम उनके आचरण एवं उनके कार्यों को देखोगे, तो तुम्हें उस विपत्ति के बारे में सांत्वना मिलेगी जिसे मैंने येरूशलेम पर लाया है—हर एक विपत्ति जिसे मैंने इस पर लाया है.
وَيُعَزُّونَكُمْ إِذْ تَرَوْنَ طَرِيقَهُمْ وَأَعْمَالَهُمْ، فَتَعْلَمُونَ أَنِّي لَمْ أَصْنَعْ بِلَا سَبَبٍ كُلَّ مَا صَنَعْتُهُ فِيهَا، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ». ٢٣ 23
तुम्हें सांत्वना मिलेगी जब तुम उनके आचरण और उनके कार्यों को देखोगे, क्योंकि तब तुम जानोगे कि येरूशलेम में मैंने जो कुछ किया है, वह बिना कारण के नहीं किया है, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.”

< حِزْقِيَال 14 >