< اَلْخُرُوجُ 7 >

فَقَالَ ٱلرَّبُّ لِمُوسَى: «ٱنْظُرْ! أَنَا جَعَلْتُكَ إِلَهًا لِفِرْعَوْنَ. وَهَارُونُ أَخُوكَ يَكُونُ نَبِيَّكَ. ١ 1
यह सुनकर याहवेह ने मोशेह से कहा, “अब देखना कि मैं तुम्हें कैसे फ़रोह के सामने ईश्वर-समान बना देता हूं. और तुम्हारा भाई अहरोन तुम्हारा प्रवक्ता होगा.
أَنْتَ تَتَكَلَّمُ بِكُلِّ مَا آمُرُكَ، وَهَارُونُ أَخُوكَ يُكَلِّمُ فِرْعَوْنَ لِيُطْلِقَ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ أَرْضِهِ. ٢ 2
जो जो बात मैं तुम्हें बताऊंगा, वह सब बात तुम अहरोन से कहना और अहरोन वही सब फ़रोह से कह देगा, तब फ़रोह इस्राएलियों को अपने देश से जाने देगा.
وَلَكِنِّي أُقَسِّي قَلْبَ فِرْعَوْنَ وَأُكَثِّرُ آيَاتِي وَعَجَائِبِي فِي أَرْضِ مِصْرَ. ٣ 3
लेकिन मैं फ़रोह के मन को कठोर बना दूंगा, ताकि मैं मिस्र देश में और ज्यादा चिन्ह और अद्भुत काम कर सकूं.
وَلَا يَسْمَعُ لَكُمَا فِرْعَوْنُ حَتَّى أَجْعَلَ يَدِي عَلَى مِصْرَ، فَأُخْرِجَ أَجْنَادِي، شَعْبِي بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ بِأَحْكَامٍ عَظِيمَةٍ. ٤ 4
फिर भी फ़रोह उन सब बातों पर ध्यान नहीं देगा. तब मैं मिस्र देश को बड़ा कष्ट और दंड दूंगा और मिस्र से इस्राएल के लोगों को बाहर निकालूंगा.
فَيَعْرِفُ ٱلْمِصْرِيُّونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ حِينَمَا أَمُدُّ يَدِي عَلَى مِصْرَ وَأُخْرِجُ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ بَيْنِهِمْ». ٥ 5
मिस्र के लोग यह जान जाएंगे कि मैं ही याहवेह हूं, जिसने मिस्र देश पर अपना हाथ बढ़ाया है और मैंने ही इस्राएलियों को उसके बीच से निकाला है.”
فَفَعَلَ مُوسَى وَهَارُونُ كَمَا أَمَرَهُمَا ٱلرَّبُّ. هَكَذَا فَعَلَا. ٦ 6
तब मोशेह एवं अहरोन ने ऐसा ही किया—जैसा याहवेह ने उनसे कहा था.
وَكَانَ مُوسَى ٱبْنَ ثَمَانِينَ سَنَةً، وَهَارُونُ ٱبْنَ ثَلَاثٍ وَثَمَانِينَ سَنَةً حِينَ كَلَّمَا فِرْعَوْنَ. ٧ 7
जब मोशेह और अहरोन फ़रोह के पास गए, तब मोशेह की उम्र अस्सी वर्ष तथा अहरोन की तेरासी वर्ष थी.
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى وَهَارُونَ قَائِلًا: ٨ 8
तब याहवेह ने मोशेह तथा अहरोन को यह आदेश दिया,
«إِذَا كَلَّمَكُمَا فِرْعَوْنُ قَائِلًا: هَاتِيَا عَجِيبَةً، تَقُولُ لِهَارُونَ: خُذْ عَصَاكَ وَٱطْرَحْهَا أَمَامَ فِرْعَوْنَ فَتَصِيرَ ثُعْبَانًا». ٩ 9
“जब फ़रोह तुमसे चमत्कार दिखाने को कहे, तब तुम अहरोन से कहना, ‘अपनी लाठी फ़रोह के सामने डाल दे, ताकि वह सांप बन जाए.’”
فَدَخَلَ مُوسَى وَهَارُونُ إِلَى فِرْعَوْنَ وَفَعَلَا هَكَذَا كَمَا أَمَرَ ٱلرَّبُّ. طَرَحَ هَارُونُ عَصَاهُ أَمَامَ فِرْعَوْنَ وَأَمَامَ عَبِيدِهِ فَصَارَتْ ثُعْبَانًا. ١٠ 10
इसलिये मोशेह तथा अहरोन फ़रोह के पास गए और ठीक वही किया, जो याहवेह ने कहा था. अहरोन ने अपनी लाठी फ़रोह एवं उसके सेवकों के सामने डाल दी और वह सांप बन गई.
فَدَعَا فِرْعَوْنُ أَيْضًا ٱلْحُكَمَاءَ وَٱلسَّحَرَةَ، فَفَعَلَ عَرَّافُو مِصْرَ أَيْضًا بِسِحْرِهِمْ كَذَلِكَ. ١١ 11
यह देख फ़रोह ने भी पंडितों तथा ओझों को बुलवाया और मिस्र देश के जादूगरों ने भी वैसा ही किया.
طَرَحُوا كُلُّ وَاحِدٍ عَصَاهُ فَصَارَتِ ٱلْعِصِيُّ ثَعَابِينَ. وَلَكِنْ عَصَا هَارُونَ ٱبْتَلَعَتْ عِصِيَّهُمْ. ١٢ 12
उन सबने अपनी-अपनी लाठी फेंकी जो सांप बन गईं. पर अहरोन की लाठी ने उन सभी की लाठियों को निगल लिया.
فَٱشْتَدَّ قَلْبُ فِرْعَوْنَ فَلَمْ يَسْمَعْ لَهُمَا، كَمَا تَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ. ١٣ 13
इससे फ़रोह का मन और कठोर हो गया और उसने उनकी बात नहीं मानी, जैसा ही याहवेह ने कहा था.
ثُمَّ قَالَ ٱلرَّبُّ لِمُوسَى: «قَلْبُ فِرْعَوْنَ غَلِيظٌ. قَدْ أَبَى أَنْ يُطْلِقَ ٱلشَّعْبَ. ١٤ 14
तब याहवेह ने मोशेह से कहा, “फ़रोह का मन बहुत कठोर हो गया है, वह लोगों को जाने नहीं देगा.
اِذْهَبْ إِلَى فِرْعَوْنَ فِي ٱلصَّبَاحِ. إِنَّهُ يَخْرُجُ إِلَى ٱلْمَاءِ، وَقِفْ لِلِقَائِهِ عَلَى حَافَةِ ٱلنَّهْرِ. وَٱلْعَصَا ٱلَّتِي تَحَوَّلَتْ حَيَّةً تَأْخُذُهَا فِي يَدِكَ. ١٥ 15
सुबह जब फ़रोह नदी की ओर जाएगा, तब तुम नदी पर उनसे मिलना और तुम्हारे हाथ में वही लाठी रखना, जो सांप बन गई थी.
وَتَقُولُ لَهُ: ٱلرَّبُّ إِلَهُ ٱلْعِبْرَانِيِّينَ أَرْسَلَنِي إِلَيْكَ قَائِلًا: أَطْلِقْ شَعْبِي لِيَعْبُدُونِي فِي ٱلْبَرِّيَّةِ. وَهُوَذَا حَتَّى ٱلْآنَ لَمْ تَسْمَعْ. ١٦ 16
तुम फ़रोह से यह कहना ‘याहवेह ने, जो इब्रियों के परमेश्वर हैं, मुझे तुमको यह कहने के लिए भेजा है कि मेरे लोगों को जाने दो कि वे निर्जन प्रदेश में जाकर मेरी आराधना कर सकें; लेकिन अभी तक तुमने यह बात नहीं मानी है.
هَكَذَا يَقُولُ ٱلرَّبُّ: بِهَذَا تَعْرِفُ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ: هَا أَنَا أَضْرِبُ بِٱلْعَصَا ٱلَّتِي فِي يَدِي عَلَى ٱلْمَاءِ ٱلَّذِي فِي ٱلنَّهْرِ فَيَتَحَوَّلُ دَمًا. ١٧ 17
याहवेह ने यह कहा है कि तुम जान जाओगे कि मैं ही याहवेह हूं, तुम देखना कि नदी के जल पर मैं इस लाठी से, जो मेरे हाथ में है, मारूंगा और पानी खून बन जाएगा.
وَيَمُوتُ ٱلسَّمَكُ ٱلَّذِي فِي ٱلنَّهْرِ وَيَنْتِنُ ٱلنَّهْرُ. فَيَعَافُ ٱلْمِصْرِيُّونَ أَنْ يَشْرَبُوا مَاءً مِنَ ٱلنَّهْرِ». ١٨ 18
और उसमें सब मछलियां मर जायेंगी और नदी से बदबू आएगी और मिस्र के लोग नील नदी से पानी नहीं पी पायेंगे.’”
ثُمَّ قَالَ ٱلرَّبُّ لِمُوسَى: «قُلْ لِهَارُونَ: خُذْ عَصَاكَ وَمُدَّ يَدَكَ عَلَى مِيَاهِ ٱلْمِصْرِيِّينَ، عَلَى أَنْهَارِهِمْ وَعَلَى سَوَاقِيهِمْ، وَعَلَى آجَامِهِمْ، وَعَلَى كُلِّ مُجْتَمَعَاتِ مِيَاهِهِمْ لِتَصِيرَ دَمًا. فَيَكُونَ دَمٌ فِي كُلِّ أَرْضِ مِصْرَ فِي ٱلْأَخْشَابِ وَفِي ٱلْأَحْجَارِ». ١٩ 19
फिर याहवेह ने मोशेह से कहा, “अहरोन से यह कहो: ‘अपनी लाठी मिस्र देश की नदियों, नालों, तालाबों और जल-कुं‍डों की ओर बढ़ाए ताकि सारा पानी लहू बन जाये—चाहे पानी बर्तन में हो या पत्थर के पात्र में.’”
فَفَعَلَ هَكَذَا مُوسَى وَهَارُونُ كَمَا أَمَرَ ٱلرَّبُّ. رَفَعَ ٱلْعَصَا وَضَرَبَ ٱلْمَاءَ ٱلَّذِي فِي ٱلنَّهْرِ أَمَامَ عَيْنَيْ فِرْعَوْنَ وَأَمَامَ عُيُونِ عَبِيدِهِ، فَتَحَوَّلَ كُلُّ ٱلْمَاءِ ٱلَّذِي فِي ٱلنَّهْرِ دَمًا. ٢٠ 20
मोशेह तथा अहरोन ने वैसा ही किया, जैसा याहवेह ने उनसे कहा. उन्होंने लाठी उठाई और नील नदी के जल पर मारा. फ़रोह एवं उसके सेवक यह सब देख रहे थे. एकदम नील नदी का पूरा पानी लहू बन गया.
وَمَاتَ ٱلسَّمَكُ ٱلَّذِي فِي ٱلنَّهْرِ وَأَنْتَنَ ٱلنَّهْرُ، فَلَمْ يَقْدِرِ ٱلْمِصْرِيُّونَ أَنْ يَشْرَبُوا مَاءً مِنَ ٱلنَّهْرِ. وَكَانَ ٱلدَّمُ فِي كُلِّ أَرْضِ مِصْرَ. ٢١ 21
नील नदी में जो मछलियां थी, मर गईं. नदी में इतनी दुर्गंध थी कि मिस्र के लोग नील नदी का पानी नहीं पी सकते थे. पूरे मिस्र देश में रक्त फैल गया.
وَفَعَلَ عَرَّافُو مِصْرَ كَذَلِكَ بِسِحْرِهِمْ. فَٱشْتَدَّ قَلْبُ فِرْعَوْنَ فَلَمْ يَسْمَعْ لَهُمَا، كَمَا تَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ. ٢٢ 22
अपने तंत्र मंत्र से मिस्र के जादूगरों ने भी यही कर दिखाया; तौभी फ़रोह का मन और कठोर हो गया और उसने उनकी बात नहीं मानी.
ثُمَّ ٱنْصَرَفَ فِرْعَوْنُ وَدَخَلَ بَيْتَهُ وَلَمْ يُوَجِّهْ قَلْبَهُ إِلَى هَذَا أَيْضًا. ٢٣ 23
फ़रोह पर इन सब बातों का कोई असर नहीं हुआ और वह अपने घर चला गया.
وَحَفَرَ جَمِيعُ ٱلْمِصْرِيِّينَ حَوَالَيِ ٱلنَّهْرِ لِأَجْلِ مَاءٍ لِيَشْرَبُوا، لِأَنَّهُمْ لَمْ يَقْدِرُوا أَنْ يَشْرَبُوا مِنْ مَاءِ ٱلنَّهْرِ. ٢٤ 24
मिस्र के लोग पीने के पानी के लिए नील नदी के पास गड्ढे खोदने लगे, क्योंकि नील नदी का पानी पीने योग्य नहीं रहा था.
وَكَمُلَتْ سَبْعَةُ أَيَّامٍ بَعْدَ مَا ضَرَبَ ٱلرَّبُّ ٱلنَّهْرَ. ٢٥ 25
याहवेह द्वारा नील नदी के पानी को लहू बनाए सात दिन हो चुके थे.

< اَلْخُرُوجُ 7 >