< اَلْخُرُوجُ 5 >

وَبَعْدَ ذَلِكَ دَخَلَ مُوسَى وَهَارُونُ وَقَالَا لِفِرْعَوْنَ: «هَكَذَا يَقُولُ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: أَطْلِقْ شَعْبِي لِيُعَيِّدُوا لِي فِي ٱلْبَرِّيَّةِ». ١ 1
इसके बाद मोशेह तथा अहरोन गये व फ़रोह से कहा, “याहवेह, जो इस्राएल के परमेश्वर हैं, उनका कहना है, ‘मेरी प्रजा को जाने दो कि वे निर्जन प्रदेश में जाकर मेरे सम्मान में एक उत्सव मना सकें.’”
فَقَالَ فِرْعَوْنُ: «مَنْ هُوَ ٱلرَّبُّ حَتَّى أَسْمَعَ لِقَوْلِهِ فَأُطْلِقَ إِسْرَائِيلَ؟ لَا أَعْرِفُ ٱلرَّبَّ، وَإِسْرَائِيلَ لَا أُطْلِقُهُ». ٢ 2
किंतु फ़रोह ने उत्तर दिया, “कौन है याहवेह, जिसकी बात मैं मानूं और इस्राएल को यहां से जाने दूं? मैं याहवेह को नहीं जानता और मैं इस्राएल को यहां से जाने नहीं दूंगा.”
فَقَالَا: «إِلَهُ ٱلْعِبْرَانِيِّينَ قَدِ ٱلْتَقَانَا، فَنَذْهَبُ سَفَرَ ثَلَاثَةِ أَيَّامٍ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ وَنَذْبَحُ لِلرَّبِّ إِلَهِنَا، لِئَلَّا يُصِيبَنَا بِٱلْوَبَإِ أَوْ بِٱلسَّيْفِ». ٣ 3
यह सुनकर उन्होंने कहा, “इब्रियों के परमेश्वर ने हमसे कहा है. इसलिये कृपा कर हमें निर्जन प्रदेश में तीन दिन की यात्रा पर जाने दीजिए, कि हम याहवेह, अपने परमेश्वर के लिए बलि चढ़ाएं, ऐसा न हो कि वे हमसे नाराज़ हो जाएं और हम पर महामारी या तलवार से वार करें.”
فَقَالَ لَهُمَا مَلِكُ مِصْرَ: «لِمَاذَا يَا مُوسَى وَهَارُونُ تُبَطِّلَانِ ٱلشَّعْبَ مِنْ أَعْمَالِهِ؟ اِذْهَبَا إِلَى أَثْقَالِكُمَا». ٤ 4
किंतु मिस्र देश के राजा ने उन्हें उत्तर दिया, “मोशेह और अहरोन, तुम लोग इस प्रजा को उनके काम से दूर क्यों करना चाह रहे हो? जाओ, तुम सब अपना अपना काम करो!”
وَقَالَ فِرْعَوْنُ: «هُوَذَا ٱلْآنَ شَعْبُ ٱلْأَرْضِ كَثِيرٌ وَأَنْتُمَا تُرِيحَانِهِمْ مِنْ أَثْقَالِهِمْ». ٥ 5
फ़रोह ने उनसे दुबारा कहा, “सुनो, देश में लोग बहुत बढ़ गये हैं और अब तुम उन्हें उनके काम से अलग करना चाहते हो!”
فَأَمَرَ فِرْعَوْنُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ مُسَخِّرِي ٱلشَّعْبِ وَمُدَبِّرِيهِ قَائِلًا: ٦ 6
उसी दिन फ़रोह ने अपने दासों के निरीक्षकों और अधिकारियों से कहा:
«لَا تَعُودُوا تُعْطُونَ ٱلشَّعْبَ تِبْنًا لِصُنْعِ ٱللِّبْنِ كَأَمْسِ وَأَوَّلَ مِنْ أَمْسِ. لِيَذْهَبُوا هُمْ وَيَجْمَعُوا تِبْنًا لِأَنْفُسِهِمْ. ٧ 7
“अब तक तुम इन लोगों को ईंट बनाने का सामान, भूसा, सब कुछ लाकर देते थे. लेकिन अब से ये लोग खुद अपना सामान लायेंगे;
وَمِقْدَارَ ٱللِّبْنِ ٱلَّذِي كَانُوا يَصْنَعُونَهُ أَمْسِ، وَأَوَّلَ مِنْ أَمْسِ تَجْعَلُونَ عَلَيْهِمْ. لَا تَنْقُصُوا مِنْهُ، فَإِنَّهُمْ مُتَكَاسِلُونَ، لِذَلِكَ يَصْرُخُونَ قَائِلِينَ: نَذْهَبُ وَنَذْبَحُ لِإِلَهِنَا. ٨ 8
और उतनी ही ईंट बनाएंगे जितनी पहले बनाते थे; इससे कम नहीं किया जायेगा; ये लोग आलसी हैं, इसलिये यहां से जाने के लिए पूछ रहे हैं, ‘हम अपने परमेश्वर के लिए बलि अर्पित कर सकें.’
لِيُثَقَّلِ ٱلْعَمَلُ عَلَى ٱلْقَوْمِ حَتَّى يَشْتَغِلُوا بِهِ وَلَا يَلْتَفِتُوا إِلَى كَلَامِ ٱلْكَذِبِ». ٩ 9
इनके काम और बढ़ा दो और उन्हें ज्यादा व्यस्त कर दो, ताकि उनका ध्यान कहीं ओर न जाए.”
فَخَرَجَ مُسَخِّرُو ٱلشَّعْبِ وَمُدَبِّرُوهُ وَكَلَّمُوا ٱلشَّعْبَ، قَائِلِينَ: «هَكَذَا يَقُولُ فِرْعَوْنُ: لَسْتُ أُعْطِيكُمْ تِبْنًا. ١٠ 10
दास-स्वामियों और निरीक्षकों ने बाहर जाकर लोगों से कहा, “फ़रोह ने कहा है, ‘अब से तुम्हें ईंट बनाने का सामान; भूसा, नहीं दिया जायेगा.
ٱذْهَبُوا أَنْتُمْ وَخُذُوا لِأَنْفُسِكُمْ تِبْنًا مِنْ حَيْثُ تَجِدُونَ. إِنَّهُ لَا يُنْقَصُ مِنْ عَمَلِكُمْ شَيْءٌ». ١١ 11
यह तुम्हें ही लाना होगा—और तुम्हारे काम में कोई कमी न हो.’”
فَتَفَرَّقَ ٱلشَّعْبُ فِي كُلِّ أَرْضِ مِصْرَ لِيَجْمَعُوا قَشًّا عِوَضًا عَنِ ٱلتِّبْنِ. ١٢ 12
इस कारण इस्राएली लोग पूरे मिस्र देश में फैल गये, और ईंट बनाने का सामान: भूसा, ढूंढने की कोशिश करने लगे.
وَكَانَ ٱلْمُسَخِّرُونَ يُعَجِّلُونَهُمْ قَائِلِينَ: «كَمِّلُوا أَعْمَالَكُمْ، أَمْرَ كُلِّ يَوْمٍ بِيَوْمِهِ، كَمَا كَانَ حِينَمَا كَانَ ٱلتِّبْنُ». ١٣ 13
काम करनेवालों की देखरेख करनेवाले उन पर ज्यादा दबाव डालते हुए कहने लगे, “ईंटों की गिनती में कमी नहीं होनी चाहिए, पहले जितनी बनाते थे उतनी ही अब भी बनानी हैं.”
فَضُرِبَ مُدَبِّرُو بَنِي إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ أَقَامَهُمْ عَلَيْهِمْ مُسَخِّرُو فِرْعَوْنَ، وَقِيلَ لَهُمْ: «لِمَاذَا لَمْ تُكَمِّلُوا فَرِيضَتَكُمْ مِنْ صُنْعِ ٱللِّبْنِ أَمْسِ وَٱلْيَوْمَ كَٱلْأَمْسِ وَأَوَّلَ مِنْ أَمْسِ؟». ١٤ 14
इस्राएलियों के ऊपर नियुक्त फ़रोह के दास-स्वामियों ने इस्राएली निरीक्षकों की पिटाई की और उनसे ईंटों की गिनती पूछते रहे!
فَأَتَى مُدَبِّرُو بَنِي إِسْرَائِيلَ وَصَرَخُوا إِلَى فِرْعَوْنَ قَائِلِينَ: «لِمَاذَا تَفْعَلُ هَكَذَا بِعَبِيدِكَ؟ ١٥ 15
इन सब सताव के कारण इस्राएलियों का पर्यवेक्षक फ़रोह के पास जाकर पूछने लगे, “आप सेवकों से ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं?
اَلتِّبْنُ لَيْسَ يُعْطَى لِعَبِيدِكَ، وَٱللِّبْنُ يَقُولُونَ لَنَا: ٱصْنَعُوهُ! وَهُوَذَا عَبِيدُكَ مَضْرُوبُونَ، وَقَدْ أَخْطَأَ شَعْبُكَ». ١٦ 16
ईंट बनाने का सामान कुछ नहीं दिया जा रहा है, फिर भी कहा जा रहा है, ‘ईंट बनाओ, ईंट बनाओ!’ और सेवकों की पिटाई की जा रही है; जबकि दोष तो आपके लोगों का है.”
فَقَالَ: «مُتَكَاسِلُونَ أَنْتُمْ، مُتَكَاسِلُونَ! لِذَلِكَ تَقُولُونَ: نَذْهَبُ وَنَذْبَحُ لِلرَّبِّ. ١٧ 17
फ़रोह ने उत्तर दिया, “तुम लोग आलसी हो—अत्यंत आलसी; इसलिये यह कह रहे हो, ‘हमें जाने दीजिए कि हम यहां से जाकर याहवेह को बलि अर्पित करें.’
فَٱلْآنَ ٱذْهَبُوا ٱعْمَلُوا. وَتِبْنٌ لَا يُعْطَى لَكُمْ وَمِقْدَارَ ٱللِّبْنِ تُقَدِّمُونَهُ». ١٨ 18
अब जाओ और अपने काम करो. तुम्हें कुछ नहीं दिया जाएगा, लेकिन जितना तुम पहले बनाते थे उतनी ही ईंट अब भी बनाओगे.”
فَرَأَى مُدَبِّرُو بَنِي إِسْرَائِيلَ أَنْفُسَهُمْ فِي بَلِيَّةٍ إِذْ قِيلَ لَهُمْ لَا تُنَقِّصُوا مِنْ لِبْنِكُمْ أَمْرَ كُلِّ يَوْمٍ بِيَوْمِهِ. ١٩ 19
इस्राएली लोग यह समझ गए थे कि उनकी परेशानी बहुत बढ़ गई है; क्योंकि उन्हें कहा गया था कि रोज जितनी ईंटें बनाने के लिए बोला गया है, उसमें कोई कमी नहीं आएगी.
وَصَادَفُوا مُوسَى وَهَارُونَ وَاقِفَيْنِ لِلِقَائِهِمْ حِينَ خَرَجُوا مِنْ لَدُنْ فِرْعَوْنَ. ٢٠ 20
जब वे फ़रोह के पास से बाहर आए, तो उनको मोशेह एवं अहरोन मिले, जो वहां उन्हीं के लिए रुके हुए थे.
فَقَالُوا لَهُمَا: «يَنْظُرُ ٱلرَّبُّ إِلَيْكُمَا وَيَقْضِي، لِأَنَّكُمَا أَنْتَنْتُمَا رَائِحَتَنَا فِي عَيْنَيْ فِرْعَوْنَ وَفِي عُيُونِ عَبِيدِهِ حَتَّى تُعْطِيَا سَيْفًا فِي أَيْدِيهِمْ لِيَقْتُلُونَا». ٢١ 21
इस्राएलियों ने मोशेह तथा अहरोन से कहा, “अब याहवेह ही हमें बचा सकते हैं: क्योंकि आप ही के कारण मिस्री हमसे नफ़रत करने लगे हैं, आप ही ने हमें उनके हाथों में छोड़ दिया है.”
فَرَجَعَ مُوسَى إِلَى ٱلرَّبِّ وَقَالَ: «يَا سَيِّدُ، لِمَاذَا أَسَأْتَ إِلَى هَذَا ٱلشَّعْبِ؟ لِمَاذَا أَرْسَلْتَنِي؟ ٢٢ 22
तब मोशेह याहवेह के पास गए और उनसे बिनती की, “आपने अपने लोगों को परेशानी में डालने के लिए मुझे क्यों चुना है?
فَإِنَّهُ مُنْذُ دَخَلْتُ إِلَى فِرْعَوْنَ لِأَتَكَلَّمَ بِٱسْمِكَ، أَسَاءَ إِلَى هَذَا ٱلشَّعْبِ. وَأَنْتَ لَمْ تُخَلِّصْ شَعْبَكَ». ٢٣ 23
जब मैंने फ़रोह से याहवेह के बारे में बात की, तब से फ़रोह ने इस्राएलियों को परेशान करना शुरू किया. इस स्थिति में आपने अपने लोगों को नहीं बचाया!”

< اَلْخُرُوجُ 5 >