< اَلْخُرُوجُ 36 >

«فَيَعْمَلُ بَصَلْئِيلُ وَأُهُولِيآبُ وَكُلُّ إِنْسَانٍ حَكِيمِ ٱلْقَلْبِ، قَدْ جَعَلَ فِيهِ ٱلرَّبُّ حِكْمَةً وَفَهْمًا لِيَعْرِفَ أَنْ يَصْنَعَ صَنْعَةً مَّا مِنْ عَمَلِ ٱلْمَقْدِسِ، بِحَسَبِ كُلِّ مَا أَمَرَ ٱلرَّبُّ». ١ 1
फिर बज़लीएल और अहलियाब और सब रोशन ज़मीर आदमी काम करें, जिनको ख़ुदावन्द ने हिकमत और समझ से मालामाल किया है ताकि वह मक़दिस की' इबादत के सब काम को ख़ुदावन्द के हुक्म के मुताबिक़ अन्जाम दें।
فَدَعَا مُوسَى بَصَلْئِيلَ وَأُهُولِيآبَ وَكُلَّ رَجُلٍ حَكِيمِ ٱلْقَلْبِ، قَدْ جَعَلَ ٱلرَّبُّ حِكْمَةً فِي قَلْبِهِ، كُلَّ مَنْ أَنْهَضَهُ قَلْبُهُ أَنْ يَتَقَدَّمَ إِلَى ٱلْعَمَلِ لِيَصْنَعَهُ. ٢ 2
तब मूसा ने बज़लीएल और अहलियाब और सब रोशन ज़मीर आदमियों को बुलाया, जिनके दिल में ख़ुदावन्द ने हिकमत भर दी थी, या'नी जिनके दिल में तहरीक हुई कि जाकर काम करें।
فَأَخَذُوا مِنْ قُدَّامِ مُوسَى كُلَّ ٱلتَّقْدِمَةِ ٱلَّتِي جَاءَ بِهَا بَنُو إِسْرَائِيلَ لِصَنْعَةِ عَمَلِ ٱلْمَقْدِسِ لِكَيْ يَصْنَعُوهُ. وَهُمْ جَاءُوا إِلَيْهِ أَيْضًا بِشَيْءٍ تَبَرُّعًا كُلَّ صَبَاحٍ. ٣ 3
और जो — जो हदिये बनी — इस्राईल लाए थे कि उनसे मक़दिस की इबादत की चीज़ें बनाई जाएँ, वह सब उन्होंने मूसा से ले लिए, और लोग फिर भी अपनी खु़शी से हर सुबह उसके पास हदिये लाते रहे।
فَجَاءَ كُلُّ ٱلْحُكَمَاءِ ٱلصَّانِعِينَ كُلَّ عَمَلِ ٱلْمَقْدِسِ، كُلُّ وَاحِدٍ مِنْ عَمَلِهِ ٱلَّذِي هُمْ يَصْنَعُونَهُ. ٤ 4
तब वह सब 'अक़्लमन्द कारीगर जो मक़दिस के सब काम बना रहे थे, अपने — अपने काम को छोड़कर मूसा के पास आए,
وَكَلَّمُوا مُوسَى قَائِلِينَ: «يَجِيءُ ٱلشَّعْبُ بِكَثِيرٍ فَوْقَ حَاجَةِ ٱلْعَمَلِ لِلصَّنْعَةِ ٱلَّتِي أَمَرَ ٱلرَّبُّ بِصُنْعِهَا». ٥ 5
और वह मूसा से कहने लगे, “कि लोग इस काम के सरअन्जाम के लिए, जिसके बनाने का हुक्म ख़ुदावन्द ने दिया है, ज़रूरत से बहुत ज़्यादा ले आए हैं।”
فَأَمَرَ مُوسَى أَنْ يُنْفِذُوا صَوْتًا فِي ٱلْمَحَلَّةِ قَائِلِينَ: «لَا يَصْنَعْ رَجُلٌ أَوِ ٱمْرَأَةٌ عَمَلًا أَيْضًا لِتَقْدِمَةِ ٱلْمَقْدِسِ». فَٱمْتَنَعَ ٱلشَّعْبُ عَنِ ٱلْجَلَبِ. ٦ 6
तब मूसा ने जो हुक्म दिया उसका 'ऐलान उन्होंने तमाम लश्करगाह में करा दिया: “कि कोई मर्द या 'औरत अब से मक़दिस के लिए हदिया देने की ग़र्ज़ से कुछ और काम न बनाएँ।” यूँ वह लोग और लाने से रोक दिए गए।
وَٱلْمَوَادُّ كَانَتْ كِفَايَتَهُمْ لِكُلِّ ٱلْعَمَلِ لِيَصْنَعُوهُ وَأَكْثَرَ. ٧ 7
क्यूँकि जो सामान उनके पास पहुँच चुका था वह सारे काम को तैयार करने के लिए न सिर्फ़ काफ़ी बल्कि ज़्यादा था।
فَصَنَعُوا كُلُّ حَكِيمِ قَلْبٍ مِنْ صَانِعِي ٱلْعَمَلِ ٱلْمَسْكَنَ عَشَرَ شُقَقٍ مِنْ بُوصٍ مَبْرُومٍ وَأَسْمَانْجُونِيٍّ وَأُرْجُوانٍ وَقِرْمِزٍ بِكَرُوبِيمَ، صَنْعَةَ حَائِكٍ حَاذِقٍ صَنَعَهَا. ٨ 8
और काम करनेवालों में जितने रोशन ज़मीर थे, उन्होंने मक़दिस के लिए बारीक बटे हुए कतान के और आसमानी और अर्ग़वानी और सुर्ख़ रंग के कपड़ों के दस पर्दे बनाए, जिन पर माहिर उस्ताद के हाथ के कढ़े हुए करूबी थे।
طُولُ ٱلشُّقَّةِ ٱلْوَاحِدَةِ ثَمَانٍ وَعِشْرُونَ ذِرَاعًا، وَعَرْضُ ٱلشُّقَّةِ ٱلْوَاحِدَةِ أَرْبَعُ أَذْرُعٍ. قِيَاسًا وَاحِدًا لِجَمِيعِ ٱلشُّقَقِ. ٩ 9
हर पर्दे की लम्बाई अट्ठाईस हाथ और चौड़ाई चार हाथ थी और वह सब पर्दे एक ही नाप के थे।
وَوَصَلَ خَمْسًا مِنَ ٱلشُّقَقِ بَعْضَهَا بِبَعْضٍ. وَوَصَلَ خَمْسًا مِنَ ٱلشُّقَقِ بَعْضَهَا بِبَعْضٍ. ١٠ 10
और उसने पाँच पर्दे एक दूसरे के साथ जोड़ दिए और दूसरे पाँच पर्दे भी एक दूसरे के साथ जोड़ दिए।
وَصَنَعَ عُرًى مِنْ أَسْمَانْجُونِيٍّ عَلَى حَاشِيَةِ ٱلشُّقَّةِ ٱلْوَاحِدَةِ فِي ٱلطَّرَفِ مِنَ ٱلْمُوَصَّلِ ٱلْوَاحِدِ. كَذَلِكَ صَنَعَ فِي حَاشِيَةِ ٱلشُّقَّةِ ٱلطَّرَفِيَّةِ مِنَ ٱلْمُوَصَّلِ ٱلثَّانِي. ١١ 11
और उसने एक बड़े पर्दे के हाशिये में उसके मिलाने के रुख़ पर आसमानी रंग के तुकमे बनाए। ऐसे ही तुकमे उसने दूसरे बड़े पर्दे की उस तरफ़ के हाशिये में बनाए जिधर मिलाने का रुख़ था।
خَمْسِينَ عُرْوَةً صَنَعَ فِي ٱلشُّقَّةِ ٱلْوَاحِدَةِ، وَخَمْسِينَ عُرْوَةً صَنَعَ فِي طَرَفِ ٱلشُّقَّةِ ٱلَّذِي فِي ٱلْمُوَصَّلِ ٱلثَّانِي. مُقَابِلَةً كَانَتِ ٱلْعُرَى بَعْضُهَا لِبَعْضٍ. ١٢ 12
पचास तुकमे उसने एक पर्दे में और पचास ही दूसरे पर्दे के हाशिये में उसके मिलाने के रुख़ पर बनाए, यह तुकमे आपस में एक दूसरे के सामने थे।
وَصَنَعَ خَمْسِينَ شِظَاظًا مِنْ ذَهَبٍ، وَوَصَلَ ٱلشُّقَّتَيْنِ بَعْضَهُمَا بِبَعْضٍ بِٱلْأَشِظَّةِ، فَصَارَ ٱلْمَسْكَنُ وَاحِدًا. ١٣ 13
और उसने सोने की पचास घुन्डियाँ बनाई और उन्हीं घुन्डियों से पर्दों को आपस में ऐसा जोड़ दिया कि घर मिलकर एक हो गया।
وَصَنَعَ شُقَقًا مِنْ شَعْرِ مِعْزًى خَيْمَةً فَوْقَ ٱلْمَسْكَنِ. إِحْدَى عَشْرَةَ شُقَّةً صَنَعَهَا. ١٤ 14
और बकरी के बालों से ग्यारह पर्दे घर के ऊपर के ख़ेमे के लिए बनाए।
طُولُ ٱلشُّقَّةِ ٱلْوَاحِدَةِ ثَلَاثُونَ ذِرَاعًا، وَعَرْضُ ٱلشُّقَّةِ ٱلْوَاحِدَةِ أَرْبَعُ أَذْرُعٍ. قِيَاسًا وَاحِدًا لِلْإِحْدَى عَشْرَةَ شُقَّةً. ١٥ 15
हर पर्दे की लम्बाई तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ थी, और वह ग्यारह पर्दे एक ही नाप के थे।
وَوَصَلَ خَمْسًا مِنَ ٱلشُّقَقِ وَحْدَهَا، وَسِتًّا مِنَ ٱلشُّقَقِ وَحْدَهَا. ١٦ 16
और उसने पाँच पर्दे तो एक साथ जोड़े और छ: एक साथ।
وَصَنَعَ خَمْسِينَ عُرْوَةً عَلَى حَاشِيَةِ ٱلشُّقَّةِ ٱلطَّرَفِيَّةِ مِنَ ٱلْمُوَصَّلِ ٱلْوَاحِدِ. وَصَنَعَ خَمْسِينَ عُرْوَةً عَلَى حَاشِيَةِ ٱلشُّقَّةِ ٱلْمُوَصَّلَةِ ٱلثَّانِيَةِ. ١٧ 17
और पचास तुकमे उन जुड़े हुए पर्दों में से किनारे के पर्दे के हाशिये में बनाए और पचास ही तुकमे उन दूसरे जुड़े हुए पर्दों में से किनारे के पर्दे के हाशिये में बनाए।
وَصَنَعَ خَمْسِينَ شِظَاظًا مِنْ نُحَاسٍ لِيَصِلَ ٱلْخَيْمَةَ لِتَصِيرَ وَاحِدَةً. ١٨ 18
और उसने पीतल की पचास घुन्डियाँ भी बनाई ताकि उनसे उस ख़ेमे को ऐसा जोड़ दे कि वह एक हो जाए।
وَصَنَعَ غِطَاءً لِلْخَيْمَةِ مِنْ جُلُودِ كِبَاشٍ مُحَمَّرَةً، وَغِطَاءً مِنْ جُلُودِ تُخَسٍ مِنْ فَوْقُ. ١٩ 19
और ख़ेमे के लिए एक ग़िलाफ़ मेंढों की सुर्ख़ रंगी हुई खालों का और उसके लिए ग़िलाफ़ तुख़स की खालों का बनाया।
وَصَنَعَ ٱلْأَلْوَاحَ لِلْمَسْكَنِ مِنْ خَشَبِ ٱلسَّنْطِ قَائِمَةً. ٢٠ 20
और उसने घर के लिए कीकर की लकड़ी के तख़्ते बनाए कि खड़े किए जाएँ।
طُولُ ٱللَّوْحِ عَشْرُ أَذْرُعٍ، وَعَرْضُ ٱللَّوْحِ ٱلْوَاحِدِ ذِرَاعٌ وَنِصْفٌ. ٢١ 21
हर तख़्ते की लम्बाई दस हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ थी।
وَلِلَّوْحِ ٱلْوَاحِدِ رِجْلَانِ، مَقْرُونَةٌ إِحْدَاهُمَا بِٱلْأُخْرَى. هَكَذَا صَنَعَ لِجَمِيعِ أَلْوَاحِ ٱلْمَسْكَنِ. ٢٢ 22
और उसने एक एक तख़्ते के लिए दो — दो जुड़ी हुई चूलें बनाई, घर के सब तख़्तों की चूलें ऐसी ही बनाई।
وَصَنَعَ ٱلْأَلْوَاحَ لِلْمَسْكَنِ عِشْرِينَ لَوْحًا إِلَى جِهَةِ ٱلْجَنُوبِ نَحْوَ ٱلتَّيْمَنِ. ٢٣ 23
और घर के लिए जो तख़्ते बने थे उनमें से बीस तख़्ते दाख्खिनी रुख़ में लगाए।
وَصَنَعَ أَرْبَعِينَ قَاعِدَةً مِنْ فِضَّةٍ تَحْتَ ٱلْعِشْرِينَ لَوْحًا، تَحْتَ ٱللَّوْحِ ٱلْوَاحِدِ قَاعِدَتَانِ لِرِجْلَيْهِ، وَتَحْتَ ٱللَّوْحِ ٱلْوَاحِدِ قَاعِدَتَانِ لِرِجْلَيْهِ. ٢٤ 24
और उसने उन बीसों तख़्तों के नीचे चाँदी के चालीस ख़ाने बनाए, या'नी हर तख़्ते की दोनों चूलों के लिए दो — दो ख़ाने।
وَلِجَانِبِ ٱلْمَسْكَنِ ٱلثَّانِي إِلَى جِهَةِ ٱلشِّمَالِ صَنَعَ عِشْرِينَ لَوْحًا، ٢٥ 25
और घर की दूसरी तरफ़ या'नी उत्तरी रुख़ के लिए बीस तख़्ते बनाए।
وَأَرْبَعِينَ قَاعِدَةً لَهَا مِنْ فِضَّةٍ. تَحْتَ ٱللَّوْحِ ٱلْوَاحِدِ قَاعِدَتَانِ، وَتَحْتَ ٱللَّوْحِ ٱلْوَاحِدِ قَاعِدَتَانِ. ٢٦ 26
और उनके लिए भी चाँदी के चालीस ही ख़ाने बनाए, या'नी एक — एक तख़्ते के नीचे दो — दो ख़ाने।
وَلِمُؤَخَّرِ ٱلْمَسْكَنِ نَحْوَ ٱلْغَرْبِ صَنَعَ سِتَّةَ أَلْوَاحٍ. ٢٧ 27
और घर के पिछले हिस्से या'नी पश्चिमी रुख़ के लिए छ: तख़्ते बनाए।
وَصَنَعَ لَوْحَيْنِ لِزَاوِيَتَيِ ٱلْمَسْكَنِ فِي ٱلْمُؤَخَّرِ. ٢٨ 28
और दो तख़्ते घर के दोनों कोनों के लिए पिछले हिस्से में बनाए।
وَكَانَا مُزْدَوِجَيْنِ مِنْ أَسْفَلُ، وَعَلَى سَوَاءٍ كَانَا مُزْدَوِجَيْنِ إِلَى رَأْسِهِ إِلَى ٱلْحَلْقَةِ ٱلْوَاحِدَةِ. هَكَذَا صَنَعَ لِكِلْتَيْهِمَا، لِكِلْتَا ٱلزَّاوِيَتَيْنِ. ٢٩ 29
यह नीचे से दोहरे थे और इसी तरह ऊपर के सिरे तक आकर एक ही हल्के में मिला दिए गए थे, उसने दोनों कोनों के दोनों तख़्ते इसी ढब के बनाए।
فَكَانَتْ ثَمَانِيَةَ أَلْوَاحٍ وَقَوَاعِدُهَا مِنْ فِضَّةٍ سِتَّ عَشْرَةَ قَاعِدَةً. قَاعِدَتَيْنِ قَاعِدَتَيْنِ تَحْتَ ٱللَّوْحِ ٱلْوَاحِدِ. ٣٠ 30
वह, आठ तख़्ते थे और उनके लिए चाँदी के सोलह ख़ाने, या'नी एक — एक तख़्ते के लिए दो — दो ख़ाने।
وَصَنَعَ عَوَارِضَ مِنْ خَشَبِ ٱلسَّنْطِ، خَمْسًا لِأَلْوَاحِ جَانِبِ ٱلْمَسْكَنِ ٱلْوَاحِدِ، ٣١ 31
और उसने कीकर की लकड़ी के बेन्डे बनाये पाँच बेन्डे घर के एक तरफ़ के तख़्तों के लिए,
وَخَمْسَ عَوَارِضَ لِأَلْوَاحِ جَانِبِ ٱلْمَسْكَنِ ٱلثَّانِي، وَخَمْسَ عَوَارِضَ لِأَلْوَاحِ ٱلْمَسْكَنِ فِي ٱلْمُؤَخَّرِ نَحْوَ ٱلْغَرْبِ. ٣٢ 32
और पाँच बेन्डे घर के दूसरी तरफ़ के तख़्तों के लिए, और पाँच बेन्डे घर के पिछले हिस्से में पश्चिम की तरफ़ के तख़्तों के लिए बनाए।
وَصَنَعَ ٱلْعَارِضَةَ ٱلْوُسْطَى لِتَنْفُذَ فِي وَسَطِ ٱلْأَلْوَاحِ مِنَ ٱلطَّرَفِ إِلَى ٱلطَّرَفِ. ٣٣ 33
और उसने वस्ती बेन्डे को ऐसा बनाया कि तख़्तों के बीच में से होकर एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचे।
وَغَشَّى ٱلْأَلْوَاحَ بِذَهَبٍ. وَصَنَعَ حَلَقَاتِهَا مِنْ ذَهَبٍ بُيُوتًا لِلْعَوَارِضِ، وَغَشَّى ٱلْعَوَارِضَ بِذَهَبٍ. ٣٤ 34
और तख़्तों को सोने से मंढ़ा और सोने के कड़े बनाए, ताकि बेन्डों के लिए ख़ानों का काम दें और बेन्डों को सोने से मंढ़ा।
وَصَنَعَ ٱلْحِجَابَ مِنْ أَسْمَانْجُونِيٍّ وَأُرْجُوَانٍ وَقِرْمِزٍ وَبُوصٍ مَبْرُومٍ. صَنْعَةَ حَائِكٍ حَاذِقٍ صَنَعَهُ بِكَرُوبِيمَ. ٣٥ 35
और उसने बीच का पर्दा आसमानी, अर्ग़वानी और सुर्ख़ रंग के कपड़ों और बारीक बटे हुए कतान का बनाया जिस पर माहिर उस्ताद के हाथ के करूबी कढ़े हुए थे।
وَصَنَعَ لَهُ أَرْبَعَةَ أَعْمِدَةٍ مِنْ سَنْطٍ، وَغَشَّاهَا بِذَهَبٍ. رُزَزُهَا مِنْ ذَهَبٍ. وَسَبَكَ لَهَا أَرْبَعَ قَوَاعِدَ مِنْ فِضَّةٍ. ٣٦ 36
और उसके लिए कीकर के चार सुतून बनाए और उनको सोने से मंढ़ा, उनके कुन्डे सोने के थे और उसने उनके लिए चाँदी के चार ख़ाने ढाल कर बनाए।
وَصَنَعَ سَجْفًا لِمَدْخَلِ ٱلْخَيْمَةِ مِنْ أَسْمَانْجُونِيٍّ وَأُرْجُوَانٍ وَقِرْمِزٍ وَبُوصٍ مَبْرُومٍ صَنْعَةَ ٱلطَّرَّازِ. ٣٧ 37
और उसने ख़ेमे के दरवाज़े के लिए एक पर्दा आसमानी, अर्ग़वानी और सुर्ख़ रंग के कपड़ों और बारीक बटे हुए कतान का बनाया, वह बेल — बूटेदार था।
وَأَعْمِدَتَهُ خَمْسَةً وَرُزَزَهَا. وَغَشَّى رُؤُوسَهَا وَقُضْبَانَهَا بِذَهَبٍ، وَقَوَاعِدَهَا خَمْسًا مِنْ نُحَاسٍ. ٣٨ 38
और उसके लिए पाँच सुतून कुन्डों समेत बनाए और उनके सिरों और पट्टियों को सोने से मंढ़ा, उनके लिए जो पाँच ख़ाने थे वह पीतल के बने हुए थे।

< اَلْخُرُوجُ 36 >