< اَلْخُرُوجُ 31 >

وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى قَائِلًا: ١ 1
फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
«اُنْظُرْ. قَدْ دَعَوْتُ بَصَلْئِيلَ بْنَ أُورِي بْنَ حُورَ مِنْ سِبْطِ يَهُوذَا بِٱسْمِهِ، ٢ 2
“सुन, मैं ऊरी के पुत्र बसलेल को, जो हूर का पोता और यहूदा के गोत्र का है, नाम लेकर बुलाता हूँ।
وَمَلَأْتُهُ مِنْ رُوحِ ٱللهِ بِٱلْحِكْمَةِ وَٱلْفَهْمِ وَٱلْمَعْرِفَةِ وَكُلِّ صَنْعَةٍ، ٣ 3
और मैं उसको परमेश्वर की आत्मा से जो बुद्धि, प्रवीणता, ज्ञान, और सब प्रकार के कार्यों की समझ देनेवाली आत्मा है परिपूर्ण करता हूँ,
لِٱخْتِرَاعِ مُخْتَرَعَاتٍ لِيَعْمَلَ فِي ٱلذَّهَبِ وَٱلْفِضَّةِ وَٱلنُّحَاسِ، ٤ 4
जिससे वह कारीगरी के कार्य बुद्धि से निकाल निकालकर सब भाँति की बनावट में, अर्थात् सोने, चाँदी, और पीतल में,
وَنَقْشِ حِجَارَةٍ لِلتَّرْصِيعِ، وَنِجَارَةِ ٱلْخَشَبِ، لِيَعْمَلَ فِي كُلِّ صَنْعَةٍ. ٥ 5
और जड़ने के लिये मणि काटने में, और लकड़ी पर नक्काशी का काम करे।
وَهَا أَنَا قَدْ جَعَلْتُ مَعَهُ أُهُولِيآبَ بْنَ أَخِيسَامَاكَ مِنْ سِبْطِ دَانَ. وَفِي قَلْبِ كُلِّ حَكِيمِ ٱلْقَلْبِ جَعَلْتُ حِكْمَةً، لِيَصْنَعُوا كُلَّ مَا أَمَرْتُكَ: ٦ 6
और सुन, मैं दान के गोत्रवाले अहीसामाक के पुत्र ओहोलीआब को उसके संग कर देता हूँ; वरन् जितने बुद्धिमान हैं उन सभी के हृदय में मैं बुद्धि देता हूँ, जिससे जितनी वस्तुओं की आज्ञा मैंने तुझे दी है उन सभी को वे बनाएँ;
خَيْمَةَ ٱلِٱجْتِمَاعِ، وَتَابُوتَ ٱلشَّهَادَةِ، وَٱلْغِطَاءَ ٱلَّذِي عَلَيْهِ، وَكُلَّ آنِيَةِ ٱلْخَيْمَةِ، ٧ 7
अर्थात् मिलापवाले तम्बू, और साक्षीपत्र का सन्दूक, और उस पर का प्रायश्चितवाला ढकना, और तम्बू का सारा सामान,
وَٱلْمَائِدَةَ وَآنِيَتَهَا، وَٱلْمَنَارَةَ ٱلطَّاهِرَةَ وَكُلَّ آنِيَتِهَا، وَمَذْبَحَ ٱلْبَخُورِ، ٨ 8
और सामान सहित मेज, और सारे सामान समेत शुद्ध सोने की दीवट, और धूपवेदी,
وَمَذْبَحَ ٱلْمُحْرَقَةِ وَكُلَّ آنِيَتِهِ، وَٱلْمِرْحَضَةَ وَقَاعِدَتَهَا، ٩ 9
और सारे सामान सहित होमवेदी, और पाए समेत हौदी,
وَٱلثِّيَابَ ٱلْمَنْسُوجَةَ، وَٱلثِّيَابَ ٱلْمُقَدَّسَةَ لِهَارُونَ ٱلْكَاهِنِ وَثِيَابَ بَنِيهِ لِلْكَهَانَةِ، ١٠ 10
१०और काढ़े हुए वस्त्र, और हारून याजक के याजकवाले काम के पवित्र वस्त्र, और उसके पुत्रों के वस्त्र,
وَدُهْنَ ٱلْمَسْحَةِ وَٱلْبَخُورَ ٱلْعَطِرَ لِلْقُدْسِ. حَسَبَ كُلِّ مَا أَمَرْتُكَ بِهِ يَصْنَعُونَ». ١١ 11
११और अभिषेक का तेल, और पवित्रस्थान के लिये सुगन्धित धूप, इन सभी को वे उन सब आज्ञाओं के अनुसार बनाएँ जो मैंने तुझे दी हैं।”
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى قَائِلًا: ١٢ 12
१२फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
«وَأَنْتَ تُكَلِّمُ بَنِي إِسْرَائِيلَ قَائِلًا: سُبُوتِي تَحْفَظُونَهَا، لِأَنَّهُ عَلَامَةٌ بَيْنِي وَبَيْنَكُمْ فِي أَجْيَالِكُمْ لِتَعْلَمُوا أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ ٱلَّذِي يُقَدِّسُكُمْ، ١٣ 13
१३“तू इस्राएलियों से यह भी कहना, ‘निश्चय तुम मेरे विश्रामदिनों को मानना, क्योंकि तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में मेरे और तुम लोगों के बीच यह एक चिन्ह ठहरा है, जिससे तुम यह बात जान रखो कि यहोवा हमारा पवित्र करनेवाला है।
فَتَحْفَظُونَ ٱلسَّبْتَ لِأَنَّهُ مُقَدَّسٌ لَكُمْ. مَنْ دَنَّسَهُ يُقْتَلُ قَتْلًا. إِنَّ كُلَّ مَنْ صَنَعَ فِيهِ عَمَلًا تُقْطَعُ تِلْكَ ٱلنَّفْسُ مِنْ بَيْنِ شَعْبِهَا. ١٤ 14
१४इस कारण तुम विश्रामदिन को मानना, क्योंकि वह तुम्हारे लिये पवित्र ठहरा है; जो उसको अपवित्र करे वह निश्चय मार डाला जाए; जो कोई उस दिन में कुछ काम-काज करे वह प्राणी अपने लोगों के बीच से नाश किया जाए।
سِتَّةَ أَيَّامٍ يُصْنَعُ عَمَلٌ، وَأَمَّا ٱلْيَوْمُ ٱلْسَّابِعُ فَفِيهِ سَبْتُ عُطْلَةٍ مُقَدَّسٌ لِلرَّبِّ. كُلُّ مَنْ صَنَعَ عَمَلًا فِي يَوْمِ ٱلسَّبْتِ يُقْتَلُ قَتْلًا. ١٥ 15
१५छः दिन तो काम-काज किया जाए, पर सातवाँ दिन पवित्र विश्राम का दिन और यहोवा के लिये पवित्र है; इसलिए जो कोई विश्राम के दिन में कुछ काम-काज करे वह निश्चय मार डाला जाए।
فَيَحْفَظُ بَنُو إِسْرَائِيلَ ٱلسَّبْتَ لِيَصْنَعُوا ٱلسَّبْتَ فِي أَجْيَالِهِمْ عَهْدًا أَبَدِيًّا. ١٦ 16
१६इसलिए इस्राएली विश्रामदिन को माना करें, वरन् पीढ़ी-पीढ़ी में उसको सदा की वाचा का विषय जानकर माना करें।
هُوَ بَيْنِي وَبَيْنَ بَنِي إِسْرَائِيلَ عَلَامَةٌ إِلَى ٱلْأَبَدِ. لِأَنَّهُ فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ صَنَعَ ٱلرَّبُّ ٱلسَّمَاءَ وَٱلْأَرْضَ، وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ ٱسْتَرَاحَ وَتَنَفَّسَ». ١٧ 17
१७वह मेरे और इस्राएलियों के बीच सदा एक चिन्ह रहेगा, क्योंकि छः दिन में यहोवा ने आकाश और पृथ्वी को बनाया, और सातवें दिन विश्राम करके अपना जी ठंडा किया।’”
ثُمَّ أَعْطَى مُوسَى عِنْدَ فَرَاغِهِ مِنَ ٱلْكَلَامِ مَعَهُ فِي جَبَلِ سِينَاءَ لَوْحَيِ ٱلشَّهَادَةِ: لَوْحَيْ حَجَرٍ مَكْتُوبَيْنِ بِإِصْبِعِ ٱللهِ. ١٨ 18
१८जब परमेश्वर मूसा से सीनै पर्वत पर ऐसी बातें कर चुका, तब परमेश्वर ने उसको अपनी उँगली से लिखी हुई साक्षी देनेवाली पत्थर की दोनों तख्तियाँ दीं।

< اَلْخُرُوجُ 31 >