< اَلْخُرُوجُ 19 >
فِي ٱلشَّهْرِ ٱلثَّالِثِ بَعْدَ خُرُوجِ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ، فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ جَاءُوا إِلَى بَرِّيَّةِ سِينَاءَ. | ١ 1 |
और बनी — इस्राईल को जिस दिन मुल्क — ए — मिस्र से निकले तीन महीने हुए उसी दिन वह सीना के वीराने में आए।
ٱرْتَحَلُوا مِنْ رَفِيدِيمَ وَجَاءُوا إِلَى بَرِّيَّةِ سِينَاءَ فَنَزَلُوا فِي ٱلْبَرِّيَّةِ. هُنَاكَ نَزَلَ إِسْرَائِيلُ مُقَابِلَ ٱلْجَبَلِ. | ٢ 2 |
और जब वह रफ़ीदीम से रवाना होकर सीना के वीरान में आए तो वीरान ही में ख़ेमे लगा लिए, इसलिए वहीं पहाड़ के सामने इस्राईलियों के डेरे लगे।
وَأَمَّا مُوسَى فَصَعِدَ إِلَى ٱللهِ. فَنَادَاهُ ٱلرَّبُّ مِنَ ٱلْجَبَلِ قَائِلًا: «هَكَذَا تَقُولُ لِبَيْتِ يَعْقُوبَ، وَتُخْبِرُ بَنِي إِسْرَائِيلَ: | ٣ 3 |
और मूसा उस पर चढ़ कर ख़ुदा के पास गया और ख़ुदावन्द ने उसे पहाड़ पर से पुकार कर कहा, “तू या'क़ूब के ख़ान्दान से यूँ कह और बनी — इस्राईल को यह सुना दे:
أَنْتُمْ رَأَيْتُمْ مَا صَنَعْتُ بِٱلْمِصْرِيِّينَ. وَأَنَا حَمَلْتُكُمْ عَلَى أَجْنِحَةِ ٱلنُّسُورِ وَجِئْتُ بِكُمْ إِلَيَّ. | ٤ 4 |
'तुम ने देखा कि मैंने मिस्रियों से क्या — क्या किया, और तुम को जैसे 'उक़ाब के परों पर बैठा कर अपने पास ले आया।
فَٱلْآنَ إِنْ سَمِعْتُمْ لِصَوْتِي، وَحَفِظْتُمْ عَهْدِي تَكُونُونَ لِي خَاصَّةً مِنْ بَيْنِ جَمِيعِ ٱلشُّعُوبِ. فَإِنَّ لِي كُلَّ ٱلْأَرْضِ. | ٥ 5 |
इसलिए अब अगर तुम मेरी बात मानो और मेरे 'अहद पर चलो तो सब क़ौमों में से तुम ही मेरी ख़ास मिल्कियत ठहरोगे क्यूँकि सारी ज़मीन मेरी है।
وَأَنْتُمْ تَكُونُونَ لِي مَمْلَكَةَ كَهَنَةٍ وَأُمَّةً مُقَدَّسَةً. هَذِهِ هِيَ ٱلْكَلِمَاتُ ٱلَّتِي تُكَلِّمُ بِهَا بَنِي إِسْرَائِيلَ». | ٦ 6 |
और तुम मेरे लिए काहिनों की एक मम्लुकत और एक मुक़द्दस क़ौम होगे, इन्हीं बातों को तू बनी — इस्राईल को सुना देना।”
فَجَاءَ مُوسَى وَدَعَا شُيُوخَ ٱلشَّعْبِ وَوَضَعَ قُدَّامَهُمْ كُلَّ هَذِهِ ٱلْكَلِمَاتِ ٱلَّتِي أَوْصَاهُ بِهَا ٱلرَّبُّ. | ٧ 7 |
तब मूसा ने आ कर और उन लोगों के बुज़ुर्गों को बुलाकर उनके आमने — सामने वह सब बातें जो ख़ुदावन्द ने उसे फ़रमाई थीं बयान कीं।
فَأَجَابَ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ مَعًا وَقَالُوا: «كُلُّ مَا تَكَلَّمَ بِهِ ٱلرَّبُّ نَفْعَلُ». فَرَدَّ مُوسَى كَلَامَ ٱلشَّعْبِ إِلَى ٱلرَّبِّ. | ٨ 8 |
और सब लोगों ने मिल कर जवाब दिया, “जो कुछ ख़ुदावन्द ने फ़रमाया है वह सब हम करेंगे।” और मूसा ने लोगों का जवाब ख़ुदावन्द को जाकर सुनाया।
فَقَالَ ٱلرَّبُّ لِمُوسَى: «هَا أَنَا آتٍ إِلَيْكَ فِي ظَلَامِ ٱلسَّحَابِ لِكَيْ يَسْمَعَ ٱلشَّعْبُ حِينَمَا أَتَكَلَّمُ مَعَكَ، فَيُؤْمِنُوا بِكَ أَيْضًا إِلَى ٱلْأَبَدِ». وَأَخْبَرَ مُوسَى ٱلرَّبَّ بِكَلَامِ ٱلشَّعْبِ. | ٩ 9 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, कि “देख, मैं काले बादल में इसलिए तेरे पास आता हूँ कि जब मैं तुझ से बातें करूँ तो यह लोग सुनें और हमेशा तेरा यक़ीन करें।” और मूसा ने लोगों की बातें ख़ुदावन्द से बयान कीं।
فَقَالَ ٱلرَّبُّ لِمُوسَى: «ٱذْهَبْ إِلَى ٱلشَّعْبِ وَقَدِّسْهُمُ ٱلْيَوْمَ وَغَدًا، وَلْيَغْسِلُوا ثِيَابَهُمْ، | ١٠ 10 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, “लोगों के पास जा, और आज और कल उनको पाक कर, और वह अपने कपड़े धो लें,
وَيَكُونُوا مُسْتَعِدِّينَ لِلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ. لِأَنَّهُ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ يَنْزِلُ ٱلرَّبُّ أَمَامَ عْيُونِ جَمِيعِ ٱلشَّعْبِ عَلَى جَبَلِ سِينَاءَ. | ١١ 11 |
और तीसरे दिन तैयार रहें, क्यूँकि ख़ुदावन्द तीसरे दिन सब लोगों के देखते देखते कोह-ए-सीना पर उतरेगा।
وَتُقِيمُ لِلشَّعْبِ حُدُودًا مِنْ كُلِّ نَاحِيَةٍ، قَائِلًا: ٱحْتَرِزُوا مِنْ أَنْ تَصْعَدُوا إِلَى ٱلْجَبَلِ أَوْ تَمَسُّوا طَرَفَهُ. كُلُّ مَنْ يَمَسُّ ٱلْجَبَلَ يُقْتَلُ قَتْلًا. | ١٢ 12 |
और तू लोगों के लिए चारों तरफ़ हद बाँध कर उनसे कह देना, ख़बरदार तुम न तो इस पहाड़ पर चढ़ना और न इसके दामन को छूना; जो कोई पहाड़ को छुए ज़रूर जान से मार डाला जाए।
لَا تَمَسُّهُ يَدٌ بَلْ يُرْجَمُ رَجْمًا أَوْ يُرْمَى رَمْيًا. بَهِيمَةً كَانَ أَمْ إِنْسَانًا لَا يَعِيشُ. أَمَّا عِنْدَ صَوْتِ ٱلْبُوقِ فَهُمْ يَصْعَدُونَ إِلَى ٱلْجَبَلِ». | ١٣ 13 |
मगर उसे कोई हाथ न लगाए बल्कि वह ला — कलाम संगसार किया जाए, या तीर से छेदा जाए चाहे वह इंसान हो चाहे हैवान, वह जीता न छोड़ा जाए; और जब नरसिंगा देर तक फूंका जाए तो वह सब पहाड़ के पास आ जाएँ।”
فَٱنْحَدَرَ مُوسَى مِنَ ٱلْجَبَلِ إِلَى ٱلشَّعْبِ، وَقَدَّسَ ٱلشَّعْبَ وَغَسَلُوا ثِيَابَهُمْ. | ١٤ 14 |
तब मूसा पहाड़ पर से उतरकर लोगों के पास गया और उसने लोगों को पाक साफ़ किया, और उन्होंने अपने कपड़े धो लिए।
وَقَالَ لِلشَّعْبِ: «كُونُوا مُسْتَعِدِّينَ لِلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ. لَا تَقْرُبُوا ٱمْرَأَةً». | ١٥ 15 |
और उसने लोगों से कहा कि “तीसरे दिन तैयार रहना और 'औरत के नज़दीक न जाना।”
وَحَدَثَ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ لَمَّا كَانَ ٱلصَّبَاحُ أَنَّهُ صَارَتْ رُعُودٌ وَبُرُوقٌ وَسَحَابٌ ثَقِيلٌ عَلَى ٱلْجَبَلِ، وَصَوْتُ بُوقٍ شَدِيدٌ جِدًّا. فَٱرْتَعَدَ كُلُّ ٱلشَّعْبِ ٱلَّذِي فِي ٱلْمَحَلَّةِ. | ١٦ 16 |
जब तीसरा दिन आया तो सुबह होते ही बादल गरजने और बिजली चमकने लगी, और पहाड़ पर काली घटा छा गई और करना की आवाज़ बहुत बुलन्द हुई और सब लोग ख़ेमों में काँप गए।
وَأَخْرَجَ مُوسَى ٱلشَّعْبَ مِنَ ٱلْمَحَلَّةِ لِمُلَاقَاةِ ٱللهِ، فَوَقَفُوا فِي أَسْفَلِ ٱلْجَبَلِ. | ١٧ 17 |
और मूसा लोगों को ख़ेमा गाह से बाहर लाया कि ख़ुदा से मिलाए, और वह पहाड़ से नीचे आ खड़े हुए।
وَكَانَ جَبَلُ سِينَاءَ كُلُّهُ يُدَخِّنُ مِنْ أَجْلِ أَنَّ ٱلرَّبَّ نَزَلَ عَلَيْهِ بِٱلنَّارِ، وَصَعِدَ دُخَانُهُ كَدُخَانِ ٱلْأَتُونِ، وَٱرْتَجَفَ كُلُّ ٱلْجَبَلِ جِدًّا. | ١٨ 18 |
और कोह-ए-सीना ऊपर से नीचे तक धुएँ से भर गया क्यूँकि ख़ुदावन्द शोले में होकर उस पर उतरा, और धुआँ तनूर के धुएँ की तरह ऊपर को उठ रहा था और वह सारा पहाड़ ज़ोर से हिल रहा था।
فَكَانَ صَوْتُ ٱلْبُوقِ يَزْدَادُ ٱشْتِدَادًا جِدًّا، وَمُوسَى يَتَكَلَّمُ وَٱللهُ يُجِيبُهُ بِصَوْتٍ. | ١٩ 19 |
और जब करना की आवाज़ निहायत ही बुलन्द होती गई तो मूसा बोलने लगा और ख़ुदा ने आवाज़ के ज़रिए' से उसे जवाब दिया।
وَنَزَلَ ٱلرَّبُّ عَلَى جَبَلِ سِينَاءَ، إِلَى رَأْسِ ٱلْجَبَلِ، وَدَعَا ٱللهُ مُوسَى إِلَى رَأْسِ ٱلْجَبَلِ. فَصَعِدَ مُوسَى. | ٢٠ 20 |
और ख़ुदावन्द कोह-ए-सीना की चोटी पर उतरा, और ख़ुदावन्द ने पहाड़ की चोटी पर मूसा को बुलाया; तब मूसा ऊपर चढ़ गया।
فَقَالَ ٱلرَّبُّ لِمُوسَى: «ٱنْحَدِرْ حَذِّرِ ٱلشَّعْبَ لِئَلَّا يَقْتَحِمُوا إِلَى ٱلرَّبِّ لِيَنْظُرُوا، فَيَسْقُطَ مِنْهُمْ كَثِيرُونَ. | ٢١ 21 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, “नीचे उतर कर लोगों को ताकीदन समझा देता ऐसा न हो कि वह देखने के लिए हदों को तोड़ कर ख़ुदावन्द के पास आ जाएँ और उनमें से बहुत से हलाक हो जाएँ।
وَلْيَتَقَدَّسْ أَيْضًا ٱلْكَهَنَةُ ٱلَّذِينَ يَقْتَرِبُونَ إِلَى ٱلرَّبِّ لِئَلَّا يَبْطِشَ بِهِمِ ٱلرَّبُّ». | ٢٢ 22 |
और काहिन भी जो ख़ुदावन्द के नज़दीक आया करते हैं अपने आपको पाक करें, कहीं ऐसा न हो कि ख़ुदावन्द उन पर टूट पड़े।”
فَقَالَ مُوسَى لِلرَّبِّ: «لَا يَقْدِرُ ٱلشَّعْبُ أَنْ يَصْعَدَ إِلَى جَبَلِ سِينَاءَ، لِأَنَّكَ أَنْتَ حَذَّرْتَنَا قَائِلًا: أَقِمْ حُدُودًا لِلْجَبَلِ وَقَدِّسْهُ». | ٢٣ 23 |
तब मूसा ने ख़ुदावन्द से कहा, “लोग कोह-ए-सीना पर नहीं चढ़ सकते क्यूँकि तूने तो हम को ताकीदन कहा है, कि पहाड़ के चौगिर्द हद बन्दी करके उसे पाक रख्खो।”
فَقَالَ لَهُ ٱلرَّبُّ: «ٱذْهَبِ ٱنْحَدِرْ ثُمَّ ٱصْعَدْ أَنْتَ وَهَارُونُ مَعَكَ. وَأَمَّا ٱلْكَهَنَةُ وَٱلشَّعْبُ فَلَا يَقْتَحِمُوا لِيَصْعَدُوا إِلَى ٱلرَّبِّ لِئَلَّا يَبْطِشَ بِهِمْ». | ٢٤ 24 |
ख़ुदावन्द ने उसे कहा, नीचे उतर जा, और हारून को अपने साथ लेकर ऊपर आ; लेकिन काहिन और अवाम हदें तोड़कर ख़ुदावन्द के पास ऊपर न आए, ऐसा न हो कि वह उन पर टूट पड़े।
فَٱنْحَدَرَ مُوسَى إِلَى ٱلشَّعْبِ وَقَالَ لَهُمْ. | ٢٥ 25 |
चुनाँचे मूसा नीचे उतर कर लोगों के पास गया और यह बातें उन को बताई।