< اَلْخُرُوجُ 12 >
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى وَهَارُونَ فِي أَرْضِ مِصْرَ قَائِلًا: | ١ 1 |
१फिर यहोवा ने मिस्र देश में मूसा और हारून से कहा,
«هَذَا ٱلشَّهْرُ يَكُونُ لَكُمْ رَأْسَ ٱلشُّهُورِ. هُوَ لَكُمْ أَوَّلُ شُهُورِ ٱلسَّنَةِ. | ٢ 2 |
२“यह महीना तुम लोगों के लिये आरम्भ का ठहरे; अर्थात् वर्ष का पहला महीना यही ठहरे।
كَلِّمَا كُلَّ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ قَائِلَيْنِ: فِي ٱلْعَاشِرِ مِنْ هَذَا ٱلشَّهْرِ يَأْخُذُونَ لَهُمْ كُلُّ وَاحِدٍ شَاةً بِحَسَبِ بُيُوتِ ٱلْآبَاءِ، شَاةً لِلْبَيْتِ. | ٣ 3 |
३इस्राएल की सारी मण्डली से इस प्रकार कहो, कि इसी महीने के दसवें दिन को तुम अपने-अपने पितरों के घरानों के अनुसार, घराने पीछे एक-एक मेम्ना ले रखो।
وَإِنْ كَانَ ٱلْبَيْتُ صَغِيرًا عَنْ أَنْ يَكُونَ كُفْوًا لِشَاةٍ، يَأْخُذُ هُوَ وَجَارُهُ ٱلْقَرِيبُ مِنْ بَيْتِهِ بِحَسَبِ عَدَدِ ٱلنُّفُوسِ. كُلُّ وَاحِدٍ عَلَى حَسَبِ أُكْلِهِ تَحْسُبُونَ لِلشَّاةِ. | ٤ 4 |
४और यदि किसी के घराने में एक मेम्ने के खाने के लिये मनुष्य कम हों, तो वह अपने सबसे निकट रहनेवाले पड़ोसी के साथ प्राणियों की गिनती के अनुसार एक मेम्ना ले रखे; और तुम हर एक के खाने के अनुसार मेम्ने का हिसाब करना।
تَكُونُ لَكُمْ شَاةً صَحِيحَةً ذَكَرًا ٱبْنَ سَنَةٍ، تَأْخُذُونَهُ مِنَ ٱلْخِرْفَانِ أَوْ مِنَ ٱلْمَوَاعِزِ. | ٥ 5 |
५तुम्हारा मेम्ना निर्दोष और पहले वर्ष का नर हो, और उसे चाहे भेड़ों में से लेना चाहे बकरियों में से।
وَيَكُونُ عِنْدَكُمْ تَحْتَ ٱلْحِفْظِ إِلَى ٱلْيَوْمِ ٱلرَّابِعَ عَشَرَ مِنْ هَذَا ٱلشَّهْرِ. ثُمَّ يَذْبَحُهُ كُلُّ جُمْهُورِ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ فِي ٱلْعَشِيَّةِ. | ٦ 6 |
६और इस महीने के चौदहवें दिन तक उसे रख छोड़ना, और उस दिन सूर्यास्त के समय इस्राएल की सारी मण्डली के लोग उसे बलि करें।
وَيَأْخُذُونَ مِنَ ٱلدَّمِ وَيَجْعَلُونَهُ عَلَى ٱلْقَائِمَتَيْنِ وَٱلْعَتَبَةِ ٱلْعُلْيَا فِي ٱلْبُيُوتِ ٱلَّتِي يَأْكُلُونَهُ فِيهَا. | ٧ 7 |
७तब वे उसके लहू में से कुछ लेकर जिन घरों में मेम्ने को खाएँगे उनके द्वार के दोनों ओर और चौखट के सिरे पर लगाएँ।
وَيَأْكُلُونَ ٱللَّحْمَ تِلْكَ ٱللَّيْلَةَ مَشْوِيًّا بِٱلنَّارِ مَعَ فَطِيرٍ. عَلَى أَعْشَابٍ مُرَّةٍ يَأْكُلُونَهُ. | ٨ 8 |
८और वे उसके माँस को उसी रात आग में भूनकर अख़मीरी रोटी और कड़वे सागपात के साथ खाएँ।
لَا تَأْكُلُوا مِنْهُ نِيئًا أَوْ طَبِيخًا مَطْبُوخًا بِٱلْمَاءِ، بَلْ مَشْوِيًّا بِٱلنَّارِ. رَأْسَهُ مَعَ أَكَارِعِهِ وَجَوْفِهِ. | ٩ 9 |
९उसको सिर, पैर, और अंतड़ियाँ समेत आग में भूनकर खाना, कच्चा या जल में कुछ भी पकाकर न खाना।
وَلَا تُبْقُوا مِنْهُ إِلَى ٱلصَّبَاحِ. وَٱلْبَاقِي مِنْهُ إِلَى ٱلصَّبَاحِ، تُحْرِقُونَهُ بِٱلنَّارِ. | ١٠ 10 |
१०और उसमें से कुछ सवेरे तक न रहने देना, और यदि कुछ सवेरे तक रह भी जाए, तो उसे आग में जला देना।
وَهَكَذَا تَأْكُلُونَهُ: أَحْقَاؤُكُمْ مَشْدُودَةٌ، وَأَحْذِيَتُكُمْ فِي أَرْجُلِكُمْ، وَعِصِيُّكُمْ فِي أَيْدِيكُمْ. وَتَأْكُلُونَهُ بِعَجَلَةٍ. هُوَ فِصْحٌ لِلرَّبِّ. | ١١ 11 |
११और उसके खाने की यह विधि है; कि कमर बाँधे, पाँव में जूती पहने, और हाथ में लाठी लिए हुए उसे फुर्ती से खाना; वह तो यहोवा का फसह होगा।
فَإِنِّي أَجْتَازُ فِي أَرْضِ مِصْرَ هَذِهِ ٱللَّيْلَةَ، وَأَضْرِبُ كُلَّ بِكْرٍ فِي أَرْضِ مِصْرَ مِنَ ٱلنَّاسِ وَٱلْبَهَائِمِ. وَأَصْنَعُ أَحْكَامًا بِكُلِّ آلِهَةِ ٱلْمِصْرِيِّينَ. أَنَا ٱلرَّبُّ. | ١٢ 12 |
१२क्योंकि उस रात को मैं मिस्र देश के बीच में से होकर जाऊँगा, और मिस्र देश के क्या मनुष्य क्या पशु, सब के पहिलौठों को मारूँगा; और मिस्र के सारे देवताओं को भी मैं दण्ड दूँगा; मैं तो यहोवा हूँ।
وَيَكُونُ لَكُمُ ٱلدَّمُ عَلَامَةً عَلَى ٱلْبُيُوتِ ٱلَّتِي أَنْتُمْ فِيهَا، فَأَرَى ٱلدَّمَ وَأَعْبُرُ عَنْكُمْ، فَلَا يَكُونُ عَلَيْكُمْ ضَرْبَةٌ لِلْهَلَاكِ حِينَ أَضْرِبُ أَرْضَ مِصْرَ. | ١٣ 13 |
१३और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लहू तुम्हारे निमित्त चिन्ह ठहरेगा; अर्थात् मैं उस लहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊँगा, और जब मैं मिस्र देश के लोगों को मारूँगा, तब वह विपत्ति तुम पर न पड़ेगी और तुम नाश न होंगे।
وَيَكُونُ لَكُمْ هَذَا ٱلْيَوْمُ تَذْكَارًا فَتُعَيِّدُونَهُ عِيدًا لِلرَّبِّ. فِي أَجْيَالِكُمْ تُعَيِّدُونَهُ فَرِيضَةً أَبَدِيَّةً. | ١٤ 14 |
१४और वह दिन तुम को स्मरण दिलानेवाला ठहरेगा, और तुम उसको यहोवा के लिये पर्व करके मानना; वह दिन तुम्हारी पीढ़ियों में सदा की विधि जानकर पर्व माना जाए।
«سَبْعَةَ أَيَّامٍ تَأْكُلُونَ فَطِيرًا. ٱلْيَوْمَ ٱلْأَوَّلَ تَعْزِلُونَ ٱلْخَمِيرَ مِنْ بُيُوتِكُمْ، فَإِنَّ كُلَّ مَنْ أَكَلَ خَمِيرًا مِنَ ٱلْيَوْمِ ٱلْأَوَّلِ إِلَى ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ تُقْطَعُ تِلْكَ ٱلنَّفْسُ مِنْ إِسْرَائِيلَ. | ١٥ 15 |
१५“सात दिन तक अख़मीरी रोटी खाया करना, उनमें से पहले ही दिन अपने-अपने घर में से ख़मीर उठा डालना, वरन् जो पहले दिन से लेकर सातवें दिन तक कोई ख़मीरी वस्तु खाए, वह प्राणी इस्राएलियों में से नाश किया जाए।
وَيَكُونُ لَكُمْ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلْأَوَّلِ مَحْفَلٌ مُقَدَّسٌ، وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ مَحْفَلٌ مُقَدَّسٌ. لَا يُعْمَلُ فِيهِمَا عَمَلٌ مَا إِلَّا مَا تَأْكُلُهُ كُلُّ نَفْسٍ، فَذَلِكَ وَحْدَهُ يُعْمَلُ مِنْكُمْ. | ١٦ 16 |
१६पहले दिन एक पवित्र सभा, और सातवें दिन भी एक पवित्र सभा करना; उन दोनों दिनों में कोई काम न किया जाए; केवल जिस प्राणी का जो खाना हो उसके काम करने की आज्ञा है।
وَتَحْفَظُونَ ٱلْفَطِيرَ لِأَنِّي فِي هَذَا ٱلْيَوْمِ عَيْنِهِ أَخْرَجْتُ أَجْنَادَكُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ، فَتَحْفَظُونَ هَذَا ٱلْيَوْمَ فِي أَجْيَالِكُمْ فَرِيضَةً أَبَدِيَّةً. | ١٧ 17 |
१७इसलिए तुम बिना ख़मीर की रोटी का पर्व मानना, क्योंकि उसी दिन मानो मैंने तुम को दल-दल करके मिस्र देश से निकाला है; इस कारण वह दिन तुम्हारी पीढ़ियों में सदा की विधि जानकर माना जाए।
فِي ٱلشَّهْرِ ٱلْأَوَّلِ، فِي ٱلْيَوْمِ ٱلرَّابِعَ عَشَرَ مِنَ ٱلشَّهْرِ، مَسَاءً، تَأْكُلُونَ فَطِيرًا إِلَى ٱلْيَوْمِ ٱلْحَادِي وَٱلْعِشْرِينَ مِنَ ٱلشَّهْرِ مَسَاءً. | ١٨ 18 |
१८पहले महीने के चौदहवें दिन की साँझ से लेकर इक्कीसवें दिन की साँझ तक तुम अख़मीरी रोटी खाया करना।
سَبْعَةَ أَيَّامٍ لَا يُوجَدْ خَمِيرٌ فِي بُيُوتِكُمْ. فَإِنَّ كُلَّ مَنْ أَكَلَ مُخْتَمِرًا تُقْطَعُ تِلْكَ ٱلنَّفْسُ مِنْ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ، ٱلْغَرِيبُ مَعَ مَوْلُودِ ٱلْأَرْضِ. | ١٩ 19 |
१९सात दिन तक तुम्हारे घरों में कुछ भी ख़मीर न रहे, वरन् जो कोई किसी ख़मीरी वस्तु को खाए, चाहे वह देशी हो चाहे परदेशी, वह प्राणी इस्राएलियों की मण्डली से नाश किया जाए।
لَا تَأْكُلُوا شَيْئًا مُخْتَمِرًا. فِي جَمِيعِ مَسَاكِنِكُمْ تَأْكُلُونَ فَطِيرًا». | ٢٠ 20 |
२०कोई ख़मीरी वस्तु न खाना; अपने सब घरों में बिना ख़मीर की रोटी खाया करना।”
فَدَعَا مُوسَى جَمِيعَ شُيُوخِ إِسْرَائِيلَ وَقَالَ لَهُمُ: «ٱسْحَبُوا وَخُذُوا لَكُمْ غَنَمًا بِحَسَبِ عَشَائِرِكُمْ وَٱذْبَحُوا ٱلْفِصْحَ. | ٢١ 21 |
२१तब मूसा ने इस्राएल के सब पुरनियों को बुलाकर कहा, “तुम अपने-अपने कुल के अनुसार एक-एक मेम्ना अलग कर रखो, और फसह का पशुबलि करना।
وَخُذُوا بَاقَةَ زُوفَا وَٱغْمِسُوهَا فِي ٱلدَّمِ ٱلَّذِي فِي ٱلطَّسْتِ وَمُسُّوا ٱلْعَتَبَةَ ٱلْعُلْيَا وَٱلْقَائِمَتَيْنِ بِٱلدَّمِ ٱلَّذِي فِي ٱلطَّسْتِ. وَأَنْتُمْ لَا يَخْرُجْ أَحَدٌ مِنْكُمْ مِنْ بَابِ بَيْتِهِ حَتَّى ٱلصَّبَاحِ، | ٢٢ 22 |
२२और उसका लहू जो तसले में होगा उसमें जूफा का एक गुच्छा डुबाकर उसी तसले में के लहू से द्वार के चौखट के सिरे और दोनों ओर पर कुछ लगाना; और भोर तक तुम में से कोई घर से बाहर न निकले।
فَإِنَّ ٱلرَّبَّ يَجْتَازُ لِيَضْرِبَ ٱلْمِصْرِيِّينَ. فَحِينَ يَرَى ٱلدَّمَ عَلَى ٱلْعَتَبَةِ ٱلْعُلْيَا وَٱلْقَائِمَتَيْنِ يَعْبُرُ ٱلرَّبُّ عَنِ ٱلْبَابِ وَلَا يَدَعُ ٱلْمُهْلِكَ يَدْخُلُ بُيُوتَكُمْ لِيَضْرِبَ. | ٢٣ 23 |
२३क्योंकि यहोवा देश के बीच होकर मिस्रियों को मारता जाएगा; इसलिए जहाँ-जहाँ वह चौखट के सिरे, और दोनों ओर पर उस लहू को देखेगा, वहाँ-वहाँ वह उस द्वार को छोड़ जाएगा, और नाश करनेवाले को तुम्हारे घरों में मारने के लिये न जाने देगा।
فَتَحْفَظُونَ هَذَا ٱلْأَمْرَ فَرِيضَةً لَكَ وَلِأَوْلَادِكَ إِلَى ٱلْأَبَدِ. | ٢٤ 24 |
२४फिर तुम इस विधि को अपने और अपने वंश के लिये सदा की विधि जानकर माना करो।
وَيَكُونُ حِينَ تَدْخُلُونَ ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي يُعْطِيكُمُ ٱلرَّبُّ كَمَا تَكَلَّمَ، أَنَّكُمْ تَحْفَظُونَ هَذِهِ ٱلْخِدْمَةَ. | ٢٥ 25 |
२५जब तुम उस देश में जिसे यहोवा अपने कहने के अनुसार तुम को देगा प्रवेश करो, तब वह काम किया करना।
وَيَكُونُ حِينَ يَقُولُ لَكُمْ أَوْلَادُكُمْ: مَا هَذِهِ ٱلْخِدْمَةُ لَكُمْ؟ | ٢٦ 26 |
२६और जब तुम्हारे लड़के वाले तुम से पूछें, ‘इस काम से तुम्हारा क्या मतलब है?’
أَنَّكُمْ تَقُولُونَ: هِيَ ذَبِيحَةُ فِصْحٍ لِلرَّبِّ ٱلَّذِي عَبَرَ عَنْ بُيُوتِ بَنِي إِسْرَائِيلَ فِي مِصْرَ لَمَّا ضَرَبَ ٱلْمِصْرِيِّينَ وَخَلَّصَ بُيُوتَنَا». فَخَرَّ ٱلشَّعْبُ وَسَجَدُوا. | ٢٧ 27 |
२७तब तुम उनको यह उत्तर देना, ‘यहोवा ने जो मिस्रियों के मारने के समय मिस्र में रहनेवाले हम इस्राएलियों के घरों को छोड़कर हमारे घरों को बचाया, इसी कारण उसके फसह का यह बलिदान किया जाता है।’” तब लोगों ने सिर झुकाकर दण्डवत् किया।
وَمَضَى بَنُو إِسْرَائِيلَ وَفَعَلُوا كَمَا أَمَرَ ٱلرَّبُّ مُوسَى وَهَارُونَ. هَكَذَا فَعَلُوا. | ٢٨ 28 |
२८और इस्राएलियों ने जाकर, जो आज्ञा यहोवा ने मूसा और हारून को दी थी, उसी के अनुसार किया।
فَحَدَثَ فِي نِصْفِ ٱللَّيْلِ أَنَّ ٱلرَّبَّ ضَرَبَ كُلَّ بِكْرٍ فِي أَرْضِ مِصْرَ، مِنْ بِكْرِ فِرْعَوْنَ ٱلْجَالِسِ عَلَى كُرْسِيِّهِ إِلَى بِكْرِ ٱلْأَسِيرِ ٱلَّذِي فِي ٱلسِّجْنِ، وَكُلَّ بِكْرِ بَهِيمَةٍ. | ٢٩ 29 |
२९ऐसा हुआ कि आधी रात को यहोवा ने मिस्र देश में सिंहासन पर विराजनेवाले फ़िरौन से लेकर गड्ढे में पड़े हुए बँधुए तक सब के पहिलौठों को, वरन् पशुओं तक के सब पहिलौठों को मार डाला।
فَقَامَ فِرْعَوْنُ لَيْلًا هُوَ وَكُلُّ عَبِيدِهِ وَجَمِيعُ ٱلْمِصْرِيِّينَ. وَكَانَ صُرَاخٌ عَظِيمٌ فِي مِصْرَ، لِأَنَّهُ لَمْ يَكُنْ بَيْتٌ لَيْسَ فِيهِ مَيْتٌ. | ٣٠ 30 |
३०और फ़िरौन रात ही को उठ बैठा, और उसके सब कर्मचारी, वरन् सारे मिस्री उठे; और मिस्र में बड़ा हाहाकार मचा, क्योंकि एक भी ऐसा घर न था जिसमें कोई मरा न हो।
فَدَعَا مُوسَى وَهَارُونَ لَيْلًا وَقَالَ: «قُومُوا ٱخْرُجُوا مِنْ بَيْنِ شَعْبِي أَنْتُمَا وَبَنُو إِسْرَائِيلَ جَمِيعًا، وَٱذْهَبُوا ٱعْبُدُوا ٱلرَّبَّ كَمَا تَكَلَّمْتُمْ. | ٣١ 31 |
३१तब फ़िरौन ने रात ही रात में मूसा और हारून को बुलवाकर कहा, “तुम इस्राएलियों समेत मेरी प्रजा के बीच से निकल जाओ; और अपने कहने के अनुसार जाकर यहोवा की उपासना करो।
خُذُوا غَنَمَكُمْ أَيْضًا وَبَقَرَكُمْ كَمَا تَكَلَّمْتُمْ وَٱذْهَبُوا. وَبَارِكُونِي أَيْضًا». | ٣٢ 32 |
३२अपने कहने के अनुसार अपनी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को साथ ले जाओ; और मुझे आशीर्वाद दे जाओ।”
وَأَلَحَّ ٱلْمِصْرِيُّونَ عَلَى ٱلشَّعْبِ لِيُطْلِقُوهُمْ عَاجِلًا مِنَ ٱلْأَرْضِ، لِأَنَّهُمْ قَالُوا: «جَمِيعُنَا أَمْوَاتٌ». | ٣٣ 33 |
३३और मिस्री जो कहते थे, ‘हम तो सब मर मिटे हैं,’ उन्होंने इस्राएली लोगों पर दबाव डालकर कहा, “देश से झटपट निकल जाओ।”
فَحَمَلَ ٱلشَّعْبُ عَجِينَهُمْ قَبْلَ أَنْ يَخْتَمِرَ، وَمَعَاجِنُهُمْ مَصْرُورَةٌ فِي ثِيَابِهِمْ عَلَى أَكْتَافِهِمْ. | ٣٤ 34 |
३४तब उन्होंने अपने गुँधे-गुँधाए आटे को बिना ख़मीर दिए ही कठौतियों समेत कपड़ों में बाँधकर अपने-अपने कंधे पर डाल लिया।
وَفَعَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ بِحَسَبِ قَوْلِ مُوسَى. طَلَبُوا مِنَ ٱلْمِصْرِيِّينَ أَمْتِعَةَ فِضَّةٍ وَأَمْتِعَةَ ذَهَبٍ وَثِيَابًا. | ٣٥ 35 |
३५इस्राएलियों ने मूसा के कहने के अनुसार मिस्रियों से सोने-चाँदी के गहने और वस्त्र माँग लिए।
وَأَعْطَى ٱلرَّبُّ نِعْمَةً لِلشَّعْبِ فِي عُيُونِ ٱلْمِصْرِيِّينَ حَتَّى أَعَارُوهُمْ. فَسَلَبُوا ٱلْمِصْرِيِّينَ. | ٣٦ 36 |
३६और यहोवा ने मिस्रियों को अपनी प्रजा के लोगों पर ऐसा दयालु किया कि उन्होंने जो-जो माँगा वह सब उनको दिया। इस प्रकार इस्राएलियों ने मिस्रियों को लूट लिया।
فَٱرْتَحَلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ مِنْ رَعَمْسِيسَ إِلَى سُكُّوتَ، نَحْوَ سِتِّ مِئَةِ أَلْفِ مَاشٍ مِنَ ٱلرِّجَالِ عَدَا ٱلْأَوْلَادِ. | ٣٧ 37 |
३७तब इस्राएली रामसेस से कूच करके सुक्कोत को चले, और बाल-बच्चों को छोड़ वे कोई छः लाख पैदल चलनेवाले पुरुष थे।
وَصَعِدَ مَعَهُمْ لَفِيفٌ كَثِيرٌ أَيْضًا مَعَ غَنَمٍ وَبَقَرٍ، مَوَاشٍ وَافِرَةٍ جِدًّا. | ٣٨ 38 |
३८उनके साथ मिली-जुली हुई एक भीड़ गई, और भेड़-बकरी, गाय-बैल, बहुत से पशु भी साथ गए।
وَخَبَزُوا ٱلْعَجِينَ ٱلَّذِي أَخْرَجُوهُ مِنْ مِصْرَ خُبْزَ مَلَّةٍ فَطِيرًا، إِذْ كَانَ لَمْ يَخْتَمِرْ. لِأَنَّهُمْ طُرِدُوا مِنْ مِصْرَ وَلَمْ يَقْدِرُوا أَنْ يَتَأَخَّرُوا، فَلَمْ يَصْنَعُوا لِأَنْفُسِهِمْ زَادًا. | ٣٩ 39 |
३९और जो गूँधा आटा वे मिस्र से साथ ले गए उसकी उन्होंने बिना ख़मीर दिए रोटियाँ बनाईं; क्योंकि वे मिस्र से ऐसे बरबस निकाले गए, कि उन्हें अवसर भी न मिला की मार्ग में खाने के लिये कुछ पका सके, इसी कारण वह गूँधा हुआ आटा बिना ख़मीर का था।
وَأَمَّا إِقَامَةُ بَنِي إِسْرَائِيلَ ٱلَّتِي أَقَامُوهَا فِي مِصْرَ فَكَانَتْ أَرْبَعَ مِئَةٍ وَثَلَاثِينَ سَنَةً. | ٤٠ 40 |
४०मिस्र में बसे हुए इस्राएलियों को चार सौ तीस वर्ष बीत गए थे।
وَكَانَ عِنْدَ نِهَايَةِ أَرْبَعِ مِئَةٍ وَثَلَاثِينَ سَنَةً، فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ عَيْنِهِ، أَنَّ جَمِيعَ أَجْنَادِ ٱلرَّبِّ خَرَجَتْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ. | ٤١ 41 |
४१और उन चार सौ तीस वर्षों के बीतने पर, ठीक उसी दिन, यहोवा की सारी सेना मिस्र देश से निकल गई।
هِيَ لَيْلَةٌ تُحْفَظُ لِلرَّبِّ لِإِخْرَاجِهِ إِيَّاهُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ. هَذِهِ ٱللَّيْلَةُ هِيَ لِلرَّبِّ. تُحْفَظُ مِنْ جَمِيعِ بَنِي إِسْرَائِيلَ فِي أَجْيَالِهِمْ. | ٤٢ 42 |
४२यहोवा इस्राएलियों को मिस्र देश से निकाल लाया, इस कारण वह रात उसके निमित्त मानने के योग्य है; यह यहोवा की वही रात है जिसका पीढ़ी-पीढ़ी में मानना इस्राएलियों के लिये अवश्य है।
وَقَالَ ٱلرَّبُّ لِمُوسَى وَهَارُونَ: «هَذِهِ فَرِيضَةُ ٱلْفِصْحِ: كُلُّ ٱبْنِ غَرِيبٍ لَا يَأْكُلُ مِنْهُ. | ٤٣ 43 |
४३फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा, “पर्व की विधि यह है; कि कोई परदेशी उसमें से न खाए;
وَلَكِنْ كُلُّ عَبْدِ رَجُلٍ مُبْتَاعٍ بِفِضَّةٍ تَخْتِنُهُ ثُمَّ يَأْكُلُ مِنْهُ. | ٤٤ 44 |
४४पर जो किसी का मोल लिया हुआ दास हो, और तुम लोगों ने उसका खतना किया हो, वह तो उसमें से खा सकेगा।
ٱلنَّزِيلُ وَٱلْأَجِيرُ لَا يَأْكُلَانِ مِنْهُ. | ٤٥ 45 |
४५पर परदेशी और मजदूर उसमें से न खाएँ।
فِي بَيْتٍ وَاحِدٍ يُؤْكَلُ. لَا تُخْرِجْ مِنَ ٱللَّحْمِ مِنَ ٱلْبَيْتِ إِلَى خَارِجٍ، وَعَظْمًا لَا تَكْسِرُوا مِنْهُ. | ٤٦ 46 |
४६उसका खाना एक ही घर में हो; अर्थात् तुम उसके माँस में से कुछ घर से बाहर न ले जाना; और बलिपशु की कोई हड्डी न तोड़ना।
كُلُّ جَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ يَصْنَعُونَهُ. | ٤٧ 47 |
४७पर्व को मानना इस्राएल की सारी मण्डली का कर्तव्य है।
وَإِذَا نَزَلَ عِنْدَكَ نَزِيلٌ وَصَنَعَ فِصْحًا لِلرَّبِّ، فَلْيُخْتَنْ مِنْهُ كُلُّ ذَكَرٍ، ثُمَّ يَتَقَدَّمُ لِيَصْنَعَهُ، فَيَكُونُ كَمَوْلُودِ ٱلْأَرْضِ. وَأَمَّا كُلُّ أَغْلَفَ فَلَا يَأْكُلُ مِنْهُ. | ٤٨ 48 |
४८और यदि कोई परदेशी तुम लोगों के संग रहकर यहोवा के लिये पर्व को मानना चाहे, तो वह अपने यहाँ के सब पुरुषों का खतना कराए, तब वह समीप आकर उसको माने; और वह देशी मनुष्य के तुल्य ठहरेगा। पर कोई खतनारहित पुरुष उसमें से न खाने पाए।
تَكُونُ شَرِيعَةٌ وَاحِدَةٌ لِمَوْلُودِ ٱلْأَرْضِ وَلِلنَّزِيلِ ٱلنَّازِلِ بَيْنَكُمْ». | ٤٩ 49 |
४९उसकी व्यवस्था देशी और तुम्हारे बीच में रहनेवाले परदेशी दोनों के लिये एक ही हो।”
فَفَعَلَ جَمِيعُ بَنِي إِسْرَائِيلَ كَمَا أَمَرَ ٱلرَّبُّ مُوسَى وَهَارُونَ. هَكَذَا فَعَلُوا. | ٥٠ 50 |
५०यह आज्ञा जो यहोवा ने मूसा और हारून को दी उसके अनुसार सारे इस्राएलियों ने किया।
وَكَانَ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ عَيْنِهِ أَنَّ ٱلرَّبَّ أَخْرَجَ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ بِحَسَبِ أَجْنَادِهِمْ. | ٥١ 51 |
५१और ठीक उसी दिन यहोवा इस्राएलियों को मिस्र देश से दल-दल करके निकाल ले गया।