< أَسْتِير 9 >

وَفِي ٱلشَّهْرِ ٱلثَّانِي عَشَرَ، أَيْ شَهْرِ أَذَارَ، فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثَ عَشَرَ مِنْهُ، حِينَ قَرُبَ كَلَامُ ٱلْمَلِكِ وَأَمْرُهُ مِنَ ٱلإِجْرَاءِ، فِي ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي ٱنْتَظَرَ فِيهِ أَعْدَاءُ ٱلْيَهُودِ أَنْ يَتَسَلَّطُوا عَلَيْهِمْ، فَتَحَوَّلَ ذَلِكَ، حَتَّى إِنَّ ٱلْيَهُودَ تَسَلَّطُوا عَلَى مُبْغِضِيهِمِ. ١ 1
बारहवें महीने, आदार की तेरह तारीख पर राजा का आदेश तथा राजाज्ञा का पूरा होना निर्धारित था. यहूदियों के शत्रु इस प्रतीक्षा में थे, कि वे यहूदियों को पराजित कर लेंगे; किंतु परिस्थिति विपरीत हो गई-यहूदियों ने अपने शत्रुओं को हरा दिया.
ٱجْتَمَعَ ٱلْيَهُودُ فِي مُدُنِهِمْ فِي كُلِّ بِلَادِ ٱلْمَلِكِ أَحَشْوِيرُوشَ لِيَمُدُّوا أَيْدِيَهُمْ إِلَى طَالِبِي أَذِيَّتِهِمْ، فَلَمْ يَقِفْ أَحَدٌ قُدَّامَهُمْ لِأَنَّ رُعْبَهُمْ سَقَطَ عَلَى جَمِيعِ ٱلشُّعُوبِ. ٢ 2
राजा अहषवेरोष के सारे साम्राज्य में यहूदी अपने-अपने नगरों में एकत्र होते गए, कि वे उन्हें घात कर सकें, जिन्होंने उनको नष्ट करने के लिए युक्ति बनाई थी. कोई भी यहूदियों का सामना करने में समर्थ न रहा, क्योंकि जनसाधारण पर यहूदियों का भय छा चुका था.
وكُلُّ رُؤَسَاءِ ٱلْبُلْدَانِ وَٱلْمَرَازِبَةُ وَٱلْوُلَاةُ وَعُمَّالُ ٱلْمَلِكِ سَاعَدُوا ٱلْيَهُودَ، لِأَنَّ رُعْبَ مُرْدَخَايَ سَقَطَ عَلَيْهِمْ. ٣ 3
यहां तक कि सारे राज्यों के हाकिमों, उपराज्यपालों, राज्यपालों तथा राजा के कर्मचारियों पर मोरदकय का ऐसा सशक्त आतंक छाया हुआ था, कि वे यहूदियों के पक्ष में होकर उनकी सहायता में लग गए.
لِأَنَّ مُرْدَخَايَ كَانَ عَظِيمًا فِي بَيْتِ ٱلْمَلِكِ، وَسَارَ خَبَرُهُ فِي كُلِّ ٱلْبُلْدَانِ، لِأَنَّ ٱلرَّجُلَ مُرْدَخَايَ كَانَ يَتَزَايَدُ عَظَمَةً. ٤ 4
राजा के सांसदों में मोरदकय ऊंचे पद पर नियुक्त था. उसकी कीर्ति सर्वत्र समस्त साम्राज्य के राज्यों में फैल चुकी थी. मोरदकय का प्रभाव बढ़ता और मजबूत होता चला गया.
فَضَرَبَ ٱلْيَهُودُ جَمِيعَ أَعْدَائِهِمْ ضَرْبَةَ سَيْفٍ وَقَتْلٍ وَهَلَاكٍ، وَعَمِلُوا بِمُبْغِضِيهِمْ مَا أَرَادُوا. ٥ 5
यहूदी अपने सारे शत्रुओं को तलवार से संहार करते चले गए, उन्हें नष्ट करते रहे; वे अपने शत्रुओं के साथ वही करते गए, जो उन्हें उस अवसर पर ठीक लगे.
وَقَتَلَ ٱلْيَهُودُ فِي شُوشَنَ ٱلْقَصْرِ وَأَهْلَكُوا خَمْسَ مِئَةِ رَجُلٍ. ٦ 6
राजधानी शूशन में यहूदियों ने पांच सौ व्यक्तियों को नष्ट कर दिया.
وَفَرْشَنْدَاثَا وَدَلْفُونَ وَأَسْفَاثَا، ٧ 7
इनके अलावा परशनदाथा, दलफ़ोन, असपाथा,
وَفُورَاثَا وَأَدَلْيَا وَأَرِيدَاثَا، ٨ 8
पोराथा, अदलया, अरीदाथा,
وَفَرْمَشْتَا وَأَرِيسَايَ وَأَرِيدَايَ وَيِزَاثَا، ٩ 9
परमशथा, अदीसय, अरिदय, वयज़ाथा,
عَشَرَةَ، بَنِي هَامَانَ بْنِ هَمَدَاثَا عَدُوِّ ٱلْيَهُودِ، قَتَلُوهُمْ وَلَكِنَّهُمْ لَمْ يَمُدُّوا أَيْدِيَهُمْ إِلَى ٱلنَّهْبِ. ١٠ 10
यहूदियों के शत्रु और हम्मेदाथा के पुत्र, हामान के इन दस पुत्रों की भी हत्या कर दी गई; किंतु यहूदियों ने इनकी संपत्ति नहीं लूटी.
فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ أُتِيَ بِعَدَدِ ٱلْقَتْلَى فِي شُوشَنَ ٱلْقَصْرِ إِلَى بَيْنِ يَدَيِ ٱلْمَلِكِ. ١١ 11
राजा को राजधानी शूशन के पुरुषों की गिनती की सूचना उसी दिन दे दी गई थी.
فَقَالَ ٱلْمَلِكُ لِأَسْتِيرَ ٱلْمَلِكَةِ فِي شُوشَنَ ٱلْقَصْرِ: «قَدْ قَتَلَ ٱلْيَهُودُ وَأَهْلَكُوا خَمْسَ مِئَةِ رَجُلٍ، وَبَنِي هَامَانَ ٱلْعَشَرَةَ، فَمَاذَا عَمِلُوا فِي بَاقِي بُلْدَانِ ٱلْمَلِكِ؟ فَمَا هُوَ سُؤْلُكِ فَيُعْطَى لَكِ؟ وَمَا هِيَ طِلْبَتُكِ بَعْدُ فَتُقْضَى؟». ١٢ 12
राजा ने रानी एस्तेर को बताया, “राजधानी शूशन में तो यहूदियों ने पांच सौ पुरुषों तथा हामान के दस पुत्रों का संहार कर दिया है शेष राज्यों में क्या किया होगा उन्होंने! अब यह बताओ तुम्हारा आग्रह क्या है? वह पूर्ण किया जाएगा. इसके अलावा और क्या चाहती हो तुम? वह भी तुम्हारे लिए पूर्ण किया जाएगा.”
فَقَالَتْ أَسْتِيرُ: «إِنْ حَسُنَ عِنْدَ ٱلْمَلِكِ فَلْيُعْطَ غَدًا أَيْضًا لِلْيَهُودِ ٱلَّذِينَ فِي شُوشَنَ أَنْ يَعْمَلُوا كَمَا فِي هَذَا ٱلْيَوْمِ، وَيَصْلِبُوا بَنِي هَامَانَ ٱلْعَشَرَةَ عَلَى ٱلْخَشَبَةِ». ١٣ 13
एस्तेर ने उत्तर दिया, “यदि यह राजा को उपयुक्त लगे, शूशनवासी यहूदियों को कल भी आज की राजाज्ञा के अनुरूप करने की अनुमति मिले. हामान के दसों पुत्रों को फांसी पर लटका दिया जाए.”
فَأَمَرَ ٱلْمَلِكُ أَنْ يَعْمَلُوا هَكَذَا، وَأُعْطِيَ ٱلْأَمْرُ فِي شُوشَنَ. فَصَلَبُوا بَنِي هَامَانَ ٱلْعَشَرَةَ. ١٤ 14
तब राजा ने आदेश प्रसारित किया कि ऐसा ही किया जाए. इस पर शूशन में एक राजाज्ञा प्रसारित की गई और हामान के दसों पुत्रों को लटका दिया गया.
ثُمَّ ٱجْتَمَعَ ٱلْيَهُودُ ٱلَّذِينَ فِي شُوشَنَ، فِي ٱلْيَوْمِ ٱلرَّابِعِ عَشَرَ أَيْضًا مِنْ شَهْرِ أَذَارَ، وَقَتَلُوا فِي شُوشَنَ ثَلَاثَ مِئَةِ رَجُلٍ، وَلَكِنَّهُمْ لَمْ يَمُدُّوا أَيْدِيَهُمْ إِلَى ٱلنَّهْبِ. ١٥ 15
अदार महीने की चौदहवीं तिथि पर भी शूशनवासी यहूदी एकजुट हो गए तथा उन्होंने शूशन में तीन सौ व्यक्तियों की हत्या कर दी; किंतु उन्होंने कोई भी सामान नहीं लूटा.
وَبَاقِي ٱلْيَهُودِ ٱلَّذِينَ فِي بُلْدَانِ ٱلْمَلِكِ ٱجْتَمَعُوا وَوَقَفُوا لِأَجْلِ أَنْفُسِهِمْ وَٱسْتَرَاحُوا مِنْ أَعْدَائِهِمْ، وَقَتَلُوا مِنْ مُبْغِضِيهِمْ خَمْسَةً وَسَبْعِينَ أَلْفًا، وَلَكِنَّهُمْ لَمْ يَمُدُّوا أَيْدِيَهُمْ إِلَى ٱلنَّهْبِ. ١٦ 16
समस्त साम्राज्य के राज्यों में निवास कर रहे यहूदी भी एकत्र हुए कि वे अपने प्राणों की रक्षा कर सकें तथा अपने शत्रुओं का उन्मूलन कर सकें. उन्होंने अपने 75,000 शत्रुओं का हत्या कर दी, किंतु उन्होंने उनकी सामग्री नहीं लूटी.
فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ عَشَرَ مِنْ شَهْرِ أَذَارَ. وَٱسْتَرَاحُوا فِي ٱلْيَوْمِ ٱلرَّابِعِ عَشَرَ مِنْهُ وَجَعَلُوهُ يَوْمَ شُرْبٍ وَفَرَحٍ. ١٧ 17
उन्होंने यह अदार माह की तेरहवीं तारीख पर पूरा कर दिया था. चौदहवीं तिथि को छुट्टी करते हुए उन्होंने इसे उत्सव एवं उल्लास मनाने का दिन ठहराया.
وَٱلْيَهُودُ ٱلَّذِينَ فِي شُوشَنَ ٱجْتَمَعُوا فِي ٱلثَّالِثِ عَشَرَ وَٱلرَّابِعِ عَشَرَ مِنْهُ، وَٱسْتَرَاحُوا فِي ٱلْخَامِسِ عَشَرَ وَجَعَلُوهُ يَوْمَ شُرْبٍ وَفَرَحٍ. ١٨ 18
किंतु वे यहूदी, जो शूशनवासी थे, इसी माह की तेरहवीं तथा चौदहवीं तिथि पर जमा हुए थे और उन्होंने पन्द्रहवीं तारीख खुशी भरी छुट्टी करते हुए उत्सव मनाया.
لِذَلِكَ يَهُودُ ٱلْأَعْرَاءِ ٱلسَّاكِنُونَ فِي مُدُنِ ٱلْأَعْرَاءِ جَعَلُوا ٱلْيَوْمَ ٱلرَّابِعَ عَشَرَ مِنْ شَهْرِ أَذَارَ لِلْفَرَحِ وَٱلشُّرْبِ، وَيَوْمًا طَيِّبًا وَلِإِرْسَالِ أَنْصِبَةٍ مِنْ كُلِّ وَاحِدٍ إِلَى صَاحِبِهِ. ١٩ 19
इसके आधार पर उन यहूदियों ने, जिनका निवास गांव क्षेत्रों में था, अदार महीने की चौदहवीं तारीख को उत्सव मना लिया, कि वे इसमें उत्सव मनाते हुए खुशियां मना सकें. उन्होंने आपस में भोजन व्यंजनों का आदान-प्रदान भी किया.
وَكَتَبَ مُرْدَخَايُ هَذِهِ ٱلْأُمُورَ وَأَرْسَلَ رَسَائِلَ إِلَى جَمِيعِ ٱلْيَهُودِ ٱلَّذِينَ فِي كُلِّ بُلْدَانِ ٱلْمَلِكِ أَحَشْوِيرُوشَ ٱلْقَرِيبِينَ وَٱلْبَعِيدِينَ، ٢٠ 20
इन सारी घटनाओं के बाद मोरदकय ने इन सारी घटनाओं को लिखकर राजा अहषवेरोष के सारे साम्राज्य के यहूदियों को पत्रों में प्रेषित किया, निकट तथा दूर सभी को.
لِيُوجِبَ عَلَيْهِمْ أَنْ يُعَيِّدُوا فِي ٱلْيَوْمِ ٱلرَّابِعِ عَشَرَ مِنْ شَهْرِ أَذَارَ، وَٱلْيَوْمِ ٱلْخَامِسِ عَشَرَ مِنْهُ فِي كُلِّ سَنَةٍ، ٢١ 21
इसमें उन्होंने यह आदेश दिया था, कि अदार महीने की चौदहवीं एवं पन्द्रहवीं तिथियों पर प्रति वर्ष उत्सव मनाया जाए.
حَسَبَ ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي ٱسْتَرَاحَ فِيهَا ٱلْيَهُودُ مِنْ أَعْدَائِهِمْ وَٱلشَّهْرِ ٱلَّذِي تَحَوَّلَ عِنْدَهُمْ مِنْ حُزْنٍ إِلَى فَرَحٍ وَمِنْ نَوْحٍ إِلَى يَوْمٍ طَيِّبٍ، لِيَجْعَلُوهَا أَيَّامَ شُرْبٍ وَفَرَحٍ وَإِرْسَالِ أَنْصِبَةٍ مِنْ كُلِّ وَاحِدٍ إِلَى صَاحِبِهِ وَعَطَايَا لِلْفُقَرَاءِ. ٢٢ 22
यह इस बात का स्मारक था, कि इन दो दिनों में यहूदियों ने अपने शत्रुओं पर विजय पायी थी, यह वह महीना था, जिसमें उनका विलाप आनंद में तथा दुःख उत्सव में बदल गया था. उत्सव के इन दो दिनों में वे उल्लास के साथ आपस में भोजन व्यंजनों का आदान-प्रदान करें तथा गरीबों को उपहार दिया करें.
فَقَبِلَ ٱلْيَهُودُ مَا ٱبْتَدَأُوا يَعْمَلُونَهُ وَمَا كَتَبَهُ مُرْدَخَايُ إِلَيْهِمْ. ٢٣ 23
यहूदी इस समय के लिए सहमत हो गए-जैसा उन्हें मोरदकय द्वारा आदेश दिया गया था.
وَلِأَنَّ هَامَانَ بْنَ هَمَدَاثَا ٱلْأَجَاجِيَّ عَدُوَّ ٱلْيَهُودِ جَمِيعًا تَفَكَّرَ عَلَى ٱلْيَهُودِ لِيُبِيدَهُمْ وَأَلْقَى فُورًا، أَيْ قُرْعَةً، لِإِفْنَائِهِمْ وَإِبَادَتِهِمْ. ٢٤ 24
क्योंकि यहूदियों के शत्रु अगागी हम्मेदाथा के पुत्र हामान ने यहूदियों को मिटा डालने की योजना बनाई थी, और पूर अर्थात् चिट्ठियां डाली थी, कि उन्हें मिटाकर पूरी तरह से नष्ट कर दे.
وَعِنْدَ دُخُولِهَا إِلَى أَمَامِ ٱلْمَلِكِ أَمَرَ بِكِتَابَةٍ أَنْ يُرَدَّ تَدْبِيرُهُ ٱلرَّدِيءُ ٱلَّذِي دَبَّرَهُ ضِدَّ ٱلْيَهُودِ عَلَى رَأْسِهِ، وَأَنْ يَصْلِبُوهُ هُوَ وَبَنِيهِ عَلَى ٱلْخَشَبَةِ. ٢٥ 25
किंतु जब यह बात राजा की जानकारी में आयी, उसने राजाज्ञा प्रसारित की, कि वह योजना, जो हामान ने यहूदियों के संबंध में बनाई थी, स्वयं उसी पर प्रयोग में लाई गई, तथा उसके पुत्र फांसी पर लटका दिए गए.
لِذَلِكَ دَعُوا تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ «فُورِيمَ» عَلَى ٱسْمِ ٱلْفُورِ. لِذَلِكَ مِنْ أَجْلِ جَمِيعِ كَلِمَاتِ هَذِهِ ٱلرِّسَالَةِ وَمَا رَأَوْهُ مِنْ ذَلِكَ وَمَا أَصَابَهُمْ، ٢٦ 26
यही कारण है कि इन दो दिनों को पुर शब्द के आधार पर पुरीम कहना प्रचलित हो गया. इस राजाज्ञा के कारण तथा इसके अलावा संपूर्ण घटना में उनके साथ जो कुछ घटित हुआ तथा जो कुछ स्वयं उन्होंने देखा,
أَوْجَبَ ٱلْيَهُودُ وَقَبِلُوا عَلَى أَنْفُسِهِمْ وَعَلَى نَسْلِهِمْ وَعَلَى جَمِيعِ ٱلَّذِينَ يَلْتَصِقُونَ بِهِمْ حَتَّى لَا يَزُولَ، أَنْ يُعَيِّدُوا هَذَيْنِ ٱلْيَوْمَيْنِ حَسَبَ كِتَابَتِهِمَا وَحَسَبَ أَوْقَاتِهِمَا كُلَّ سَنَةٍ، ٢٧ 27
यहूदियों ने यह संकल्प लिया, कि वे तथा उनके वंश इन लिखित संदेशों के अनुसार बिना चूक के, प्रति वर्ष इन दो ठहराए हुए दिनों पर यह उत्सव मनाया करेंगे.
وَأَنْ يُذْكَرَ هَذَانِ ٱلْيَوْمَانِ وَيُحْفَظَا فِي دَوْرٍ فَدَوْرٍ وَعَشِيرَةٍ فَعَشِيرَةٍ وَبِلَادٍ فَبِلَادٍ وَمَدِينَةٍ فَمَدِينَةٍ. وَيَوْمَا ٱلْفُورِ هَذَانِ لَا يَزُولَانِ مِنْ وَسَطِ ٱلْيَهُودِ، وَذِكْرُهُمَا لَا يَفْنَى مِنْ نَسْلِهِمْ. ٢٨ 28
ये दो दिन अब हर एक पीढ़ी द्वारा, परिवारों द्वारा, राज्यों एवं नगरों द्वारा स्मरण किए जाते तथा उत्सव के रूप में मनाए जाते हैं, कि पुरीम के ये दो दिन यहूदियों के जीवन में कभी न मिटने दें.
وَكَتَبَتْ أَسْتِيرُ ٱلْمَلِكَةُ بِنْتُ أَبِيحَائِلَ وَمُرْدَخَايُ ٱلْيَهُودِيُّ بِكُلِّ سُلْطَانٍ بِإِيجَابِ رِسَالَةِ ٱلْفُورِيمِ هَذِهِ ثَانِيَةً، ٢٩ 29
अबीहाइल की पुत्री रानी एस्तेर ने यहूदी मोरदकय के साथ मिलकर पूर्ण अधिकार के साथ पुरीम संबंधी आज्ञा पत्र की पुष्टि करते हुए एक और आज्ञा दे दी.
وَأَرْسَلَ ٱلْكِتَابَاتِ إِلَى جَمِيعِ ٱلْيَهُودِ، إِلَى كُوَرِ مَمْلَكَةِ أَحَشْوِيرُوشَ ٱلْمِئَةِ وَٱلسَّبْعِ وَٱلْعِشْرِينَ بِكَلَامِ سَلَامٍ وَأَمَانَةٍ، ٣٠ 30
मोरदकय ने राजा अहषवेरोष के साम्राज्य के समस्त 127 राज्यों में निवास कर रहे यहूदियों को चिट्ठियां लिखी जिसमें शांति और आश्वासन का संदेश भेजा
لِإِيجَابِ يَوْمَيِ ٱلْفُورِيمِ هَذَيْنِ فِي أَوْقَاتِهِمَا، كَمَا أَوْجَبَ عَلَيْهِمْ مُرْدَخَايُ ٱلْيَهُودِيُّ وَأَسْتِيرُ ٱلْمَلِكَةُ، وَكَمَا أَوْجَبُوا عَلَى أَنْفُسِهِمْ وَعَلَى نَسْلِهِمْ أُمُورَ ٱلْأَصْوَامِ وَصُرَاخِهِمْ. ٣١ 31
कि पुरीम के ठहराए हुए समय पर इन दो दिनों की पुष्टि की जाए, ठीक जैसा यहूदी मोरदकय तथा रानी एस्तेर ने इन्हें उनके लिए ठहराया था, तथा ठीक जैसा उन्होंने स्वयं अपने लिए तथा अपनी आनेवाली पीढ़ियों के लिए उपवास एवं विलाप के संदेश निर्धारित किए थे.
وَأَمْرُ أَسْتِيرَ أَوْجَبَ أُمُورَ ٱلْفُورِيمِ هَذِهِ، فَكُتِبَتْ فِي ٱلسِّفْرِ. ٣٢ 32
एस्तेर के आदेश पर पुरीम के लिए यह विधि तय कर दी गई थी. तथा इसे पुस्तक में लिख दिया गया.

< أَسْتِير 9 >