< أَسْتِير 8 >

فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ أَعْطَى ٱلْمَلِكُ أَحَشْوِيرُوشُ لِأَسْتِيرَ ٱلْمَلِكَةِ بَيْتَ هَامَانَ عَدُوِّ ٱلْيَهُودِ. وَأَتَى مُرْدَخَايُ إِلَى أَمَامِ ٱلْمَلِكِ لِأَنَّ أَسْتِيرَ أَخْبَرَتْهُ بِمَا هُوَ لَهَا. ١ 1
उसी दिन अख़्सूयरस बादशाह ने यहूदियों के दुश्मन हामान का घर आस्तर मलिका को बख़्शा। और मर्दकै बादशाह के सामने आया, क्यूँकि आस्तर ने बता दिया था कि उसका उससे क्या रिश्ता था।
وَنَزَعَ ٱلْمَلِكُ خَاتَمَهُ ٱلَّذِي أَخَذَهُ مِنْ هَامَانَ وَأَعْطَاهُ لِمُرْدَخَايَ. وَأَقَامَتْ أَسْتِيرُ مُرْدَخَايَ عَلَى بَيْتِ هَامَانَ. ٢ 2
और बादशाह ने अपनी अँगूठी जो उसने हामान से ले ली थी, उतार कर मर्दकै को दी। और आस्तर ने मर्दकै को हामान के घर पर मुख़्तार बना दिया।
ثُمَّ عَادَتْ أَسْتِيرُ وَتَكَلَّمَتْ أَمَامَ ٱلْمَلِكِ وَسَقَطَتْ عِنْدَ رِجْلَيْهِ وَبَكَتْ وَتَضَرَّعَتْ إِلَيْهِ أَنْ يُزِيلَ شَرَّ هَامَانَ ٱلْأَجَاجِيِّ وَتَدْبِيرَهُ ٱلَّذِي دَبَّرَهُ عَلَى ٱلْيَهُودِ. ٣ 3
और आस्तर ने फिर बादशाह के सामने दरख़्वास्त की और उसके क़दमों पर गिरी और आँसू बहा बहाकर उसकी मिन्नत की कि हामान अजाजी की बदख़्वाही और साज़िश को, जो उसने यहूदियों के बरख़िलाफ़ की थी बातिल कर दे।
فَمَدَّ ٱلْمَلِكُ لِأَسْتِيرَ قَضِيبَ ٱلذَّهَبِ، فَقَامَتْ أَسْتِيرُ وَوَقَفَتْ أَمَامَ ٱلْمَلِكِ ٤ 4
तब बादशाह ने आस्तर की तरफ़ सुनहली लाठी बढ़ाई, फिर आस्तर बादशाह के सामने उठ खड़ी हुई
وَقَالَتْ: «إِذَا حَسُنَ عِنْدَ ٱلْمَلِكِ، وَإِنْ كُنْتُ قَدْ وَجَدْتُ نِعْمَةً أَمَامَهُ وَٱسْتَقَامَ ٱلْأَمْرُ أَمَامَ ٱلْمَلِكِ وَحَسُنْتُ أَنَا لَدَيْهِ، فَلْيُكْتَبْ لِكَيْ تُرَدَّ كِتَابَاتُ تَدْبِيرِ هَامَانَ بْنِ هَمَدَاثَا ٱلْأَجَاجِيِّ ٱلَّتِي كَتَبَهَا لِإِبَادَةِ ٱلْيَهُودِ ٱلَّذِينَ فِي كُلِّ بِلَادِ ٱلْمَلِكِ. ٥ 5
और कहने लगी, “अगर बादशाह को मन्ज़ूर हो और मैं उसकी नज़र में मक़बूल हूँ, और यह बात बादशाह को मुनासिब मा'लूम हो और मैं उसकी निगाह में प्यारी हूँ, तो उन फ़रमानों को रद करने को लिखा जाए जिनकी अजाजी हम्मदाता के बेटे हामान ने, उन सब यहूदियों को हलाक करने के लिए जो बादशाह के सब सूबों में बसते हैं, पसन्द किया था।
لِأَنَّنِي كَيْفَ أَسْتَطِيعُ أَنْ أَرَى ٱلشَّرَّ ٱلَّذِي يُصِيبُ شَعْبِي؟ وَكَيْفَ أَسْتَطِيعُ أَنْ أَرَى هَلَاكَ جِنْسِي؟». ٦ 6
क्यूँकि मैं उस बला को जो मेरी क़ौम पर नाज़िल होगी, क्यूँकर देख सकती हूँ? या कैसे मैं अपने रिश्तेदारों की हलाकत देख सकती हूँ?”
فَقَالَ ٱلْمَلِكُ أَحَشْوِيرُوشُ لِأَسْتِيرَ ٱلْمَلِكَةِ وَمُرْدَخَايَ ٱلْيَهُودِيِّ: «هُوَذَا قَدْ أَعْطَيْتُ بَيْتَ هَامَانَ لِأَسْتِيرَ، أَمَّا هُوَ فَقَدْ صَلَبُوهُ عَلَى ٱلْخَشَبَةِ مِنْ أَجْلِ أَنَّهُ مَدَّ يَدَهُ إِلَى ٱلْيَهُودِ. ٧ 7
तब अख़्सूयरस बादशाह ने आस्तर मलिका और मर्दकै यहूदी से कहा कि “देखो, मैंने हामान का घर आस्तर को बख़्शा है, और उसे उन्होंने सूली पर टाँग दिया, इसलिए कि उसने यहूदियों पर हाथ चलाया।
فَٱكْتُبَا أَنْتُمَا إِلَى ٱلْيَهُودِ مَا يَحْسُنُ فِي أَعْيُنِكُمَا بِٱسْمِ ٱلْمَلِكِ، وَٱخْتُمَاهُ بِخَاتِمِ ٱلْمَلِكِ، لِأَنَّ ٱلْكِتَابَةَ ٱلَّتِي تُكْتَبُ بِٱسْمِ ٱلْمَلِكِ وَتُخْتَمُ بِخَاتِمِهِ لَا تُرَدُّ». ٨ 8
तुम भी बादशाह के नाम से यहूदियों को जैसा चाहते हो लिखो, और उस पर बादशाह की अँगूठी से मुहर करो, क्यूँकि जो लिखाई बादशाह के नाम से लिखी जाती है, उस पर बादशाह की अँगूठी से मुहर की जाती है, उसे कोई रद नहीं कर सकता।”
فَدُعِيَ كُتَّابُ ٱلْمَلِكِ فِي ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ فِي ٱلشَّهْرِ ٱلثَّالِثِ، أَيْ شَهْرِ سِيوَانَ، فِي ٱلثَّالِثِ وَٱلْعِشْرِينَ مِنْهُ، وَكُتِبَ حَسَبَ كُلِّ مَا أَمَرَ بِهِ مُرْدَخَايُ إِلَى ٱلْيَهُودِ وَإِلَى ٱلْمَرَازِبَةِ وَٱلْوُلَاةِ وَرُؤَسَاءِ ٱلْبُلْدَانِ ٱلَّتِي مِنَ ٱلْهِنْدِ إِلَى كُوشَ، مِئَةٍ وَسَبْعٍ وَعِشْرِينَ كُورَةً، إِلَى كُلِّ كُورَةٍ بِكِتَابَتِهَا وَكُلِّ شَعْبٍ بِلِسَانِهِ، وَإِلَى ٱلْيَهُودِ بِكِتَابَتِهِمْ وَلِسَانِهِمْ. ٩ 9
तब उसी वक़्त तीसरे महीने, या'नी सैवान महीने की तेइसवीं तारीख़ को, बादशाह के मुन्शी तलब किए गए और जो कुछ मर्दकै ने हिन्दोस्तान से कूश तक एक सौ सताईस सूबों के यहूदियों और नवाबों और हाकिमों और सूबों के अमीरों को हुक्म दिया, वह सब हर सूबे को उसी के हुरूफ़ और हर क़ौम को उसी की ज़बान, और यहूदियों को उनके हुरूफ़ और उनकी ज़बान के मुताबिक़ लिखा गया।
فَكَتَبَ بِٱسْمِ ٱلْمَلِكِ أَحَشْوِيرُوشَ وَخَتَمَ بِخَاتِمِ ٱلْمَلِكِ، وَأَرْسَلَ رَسَائِلَ بِأَيْدِي بَرِيدِ ٱلْخَيْلِ رُكَّابِ ٱلْجِيَادِ وَٱلْبِغَالِ بَنِي الرَّمَكِ، ١٠ 10
और उसने अख़्सूयरस बादशाह के नाम से ख़त लिखे, और बादशाह की अँगूठी से उन पर मुहर की, और उनको सवार कासिदों के हाथ रवाना किया, जो अच्छी नसल के तेज़ रफ़्तार शाही घोड़ों पर सवार थे।
ٱلَّتِي بِهَا أَعْطَى ٱلْمَلِكُ ٱلْيَهُودَ فِي مَدِينَةٍ فَمَدِينَةٍ أَنْ يَجْتَمِعُوا وَيَقِفُوا لِأَجْلِ أَنْفُسِهِمْ، وَيُهْلِكُوا وَيَقْتُلُوا وَيُبِيدُوا قُوَّةَ كُلِّ شَعْبٍ وَكُورَةٍ تُضَادُّهُمْ حَتَّى ٱلْأَطْفَالَ وَٱلنِّسَاءَ، وَأَنْ يَسْلُبُوا غَنِيمَتَهُمْ، ١١ 11
इनमें बादशाह ने यहूदियों को जो हर शहर में थे, इजाज़त दी कि इकट्ठे होकर अपनी जान बचाने के लिए मुक़ाबिले पर अड़ जाएँ, और उस क़ौम और उस सूबे की सारी फ़ौज को जो उन पर और उनके छोटे बच्चों और बीवियों पर हमलावर हो हलाक और क़त्ल करें और बरबाद कर दें, और उनका माल लूट लें।
فِي يَوْمٍ وَاحِدٍ فِي كُلِّ كُوَرِ ٱلْمَلِكِ أَحَشْوِيرُوشَ، فِي ٱلثَّالِثَ عَشَرَ مِنَ ٱلشَّهْرِ ٱلثَّانِي عَشَرَ، أَيْ شَهْرِ أَذَارَ. ١٢ 12
यह अख़्सूयरस बादशाह के सब सूबों में बारहवें महीने, या'नी अदार महीने की तेरहवीं तारीख़ की एक ही दिन में हो।
صُورَةُ ٱلْكِتَابَةِ ٱلْمُعْطَاةِ سُنَّةً فِي كُلِّ ٱلْبُلْدَانِ، أُشْهِرَتْ عَلَى جَمِيعِ ٱلشُّعُوبِ أَنْ يَكُونَ ٱلْيَهُودُ مُسْتَعِدِّينَ لِهَذَا ٱلْيَوْمِ لِيَنْتَقِمُوا مِنْ أَعْدَائِهِمْ. ١٣ 13
इस तहरीर की एक एक नक़ल सब क़ौमों के लिए जारी की गई कि इस फ़रमान का ऐलान हर सूबे में किया जाए, ताकि यहूदी इस दिन अपने दुश्मनों से अपना इन्तक़ाम लेने को तैयार रहें।
فَخَرَجَ ٱلبَرِيدُ رُكَّابُ ٱلْجِيَادِ وَٱلْبِغَالِ وَأَمْرُ ٱلْمَلِكِ يَحِثُّهُمْ وَيُعَجِّلُهُمْ، وَأُعْطِيَ ٱلْأَمْرُ فِي شُوشَنَ ٱلْقَصْرِ. ١٤ 14
इसलिए वह क़ासिद जो तेज़ रफ़्तार शाही घोड़ों पर सवार थे रवाना हुए, और बादशाह के हुक्म की वजह से तेज़ निकले चले गए, और वह फ़रमान सोसन के महल में दिया गया।
وَخَرَجَ مُرْدَخَايُ مِنْ أَمَامِ ٱلْمَلِكِ بِلِبَاسٍ مَلِكِيٍّ أَسْمَانْجُونِيٍّ وَأَبْيَضَ، وَتَاجٌ عَظِيمٌ مِنْ ذَهَبٍ، وَحُلَّةٌ مِنْ بَزٍّ وَأُرْجُوَانٍ. وَكَانَتْ مَدِينَةُ شُوشَنَ مُتَهَلِّلَةً وَفَرِحَةً. ١٥ 15
और मर्दकै बादशाह के सामने से आसमानी और सफ़ेद रंग का शाहाना लिबास और सोने का एक बड़ा ताज, और कतानी और अर्ग़वानी चोग़ा पहने निकला और सोसन शहर ने ना'रा मारा और ख़ुशी मनाई।
وَكَانَ لِلْيَهُودِ نُورٌ وَفَرَحٌ وَبَهْجَةٌ وَكَرَامَةٌ. ١٦ 16
यहूदियों को रौनक़ और ख़ुशी और शादमानी और इज़्ज़त हासिल हुई।
وَفِي كُلِّ بِلَادٍ وَمَدِينَةٍ، كُلِّ مَكَانٍ وَصَلَ إِلَيْهِ كَلَامُ ٱلْمَلِكِ وَأَمْرُهُ، كَانَ فَرَحٌ وَبَهْجَةٌ عِنْدَ ٱلْيَهُودِ وَوَلَائِمُ وَيَوْمٌ طَيِّبٌ. وَكَثِيرُونَ مِنْ شُعُوبِ ٱلْأَرْضِ تَهَوَّدُوا لِأَنَّ رُعْبَ ٱلْيَهُودِ وَقَعَ عَلَيْهِمْ. ١٧ 17
और हर सूबे और हर शहर में जहाँ कहीं बादशाह का हुक्म और उसका फ़रमान पहुँचा, यहूदियों को खुर्रमी और शादमानी और ईद और ख़ुशी का दिन नसीब हुआ; और उस मुल्क के लोगों में से बहुतेरे यहूदी हो गए, क्यूँकि यहूदियों का ख़ौफ़ उन पर छा गया था।

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