< أَسْتِير 6 >

فِي تِلْكَ ٱللَّيْلَةِ طَارَ نَوْمُ ٱلْمَلِكِ، فَأَمَرَ بِأَنْ يُؤْتَى بِسِفْرِ تَذْكَارِ أَخْبَارِ ٱلْأَيَّامِ فَقُرِئَتْ أَمَامَ ٱلْمَلِكِ. ١ 1
उस रात राजा को नींद नहीं आई, इसलिए उसकी आज्ञा से इतिहास की पुस्तक लाई गई, और पढ़कर राजा को सुनाई गई।
فَوُجِدَ مَكْتُوبًا مَا أَخْبَرَ بِهِ مُرْدَخَايُ عَنْ بِغْثَانَا وَتَرَشَ خَصِيَّيِ ٱلْمَلِكِ حَارِسَيِ ٱلْبَابِ، ٱللَّذَيْنِ طَلَبَا أَنْ يَمُدَّا أَيْدِيَهُمَا إِلَى ٱلْمَلِكِ أَحَشْوِيرُوشَ. ٢ 2
उसमें यह लिखा हुआ मिला, कि जब राजा क्षयर्ष के हाकिम जो द्वारपाल भी थे, उनमें से बिगताना और तेरेश नामक दो जनों ने उस पर हाथ चलाने की युक्ति की थी उसे मोर्दकै ने प्रगट किया था।
فَقَالَ ٱلْمَلِكُ: «أَيَّةُ كَرَامَةٍ وَعَظَمَةٍ عُمِلَتْ لِمُرْدَخَايَ لِأَجْلِ هَذَا؟» فَقَالَ غِلْمَانُ ٱلْمَلِكِ ٱلَّذِينَ يَخْدِمُونَهُ: «لَمْ يُعْمَلْ مَعَهُ شَيْءٌ». ٣ 3
तब राजा ने पूछा, “इसके बदले मोर्दकै की क्या प्रतिष्ठा और बड़ाई की गई?” राजा के जो सेवक उसकी सेवा टहल कर रहे थे, उन्होंने उसको उत्तर दिया, “उसके लिये कुछ भी नहीं किया गया।”
فَقَالَ ٱلْمَلِكُ: «مَنْ في ٱلدَّارِ؟» وَكَانَ هَامَانُ قَدْ دَخَلَ دَارَ بَيْتِ ٱلْمَلِكِ ٱلْخَارِجِيَّةَ لِكَيْ يَقُولَ لِلْمَلِكِ أَنْ يُصْلَبَ مُرْدَخَايُ عَلَى ٱلْخَشَبَةِ ٱلَّتِي أَعَدَّهَا لَهُ. ٤ 4
राजा ने पूछा, “आँगन में कौन है?” उसी समय हामान राजा के भवन से बाहरी आँगन में इस मनसा से आया था, कि जो खम्भा उसने मोर्दकै के लिये तैयार कराया था, उस पर उसको लटका देने की चर्चा राजा से करे।
فَقَالَ غِلْمَانُ ٱلْمَلِكِ لَهُ: «هُوَذَا هَامَانُ وَاقِفٌ فِي ٱلدَّارِ». فَقَالَ ٱلْمَلِكُ: «لِيَدْخُلْ». ٥ 5
तब राजा के सेवकों ने उससे कहा, “आँगन में तो हामान खड़ा है।” राजा ने कहा, “उसे भीतर बुलवा लाओ।”
وَلَمَّا دَخَلَ هَامَانُ قَالَ لَهُ ٱلْمَلِكُ: «مَاذَا يُعْمَلُ لِرَجُلٍ يُسَرُّ ٱلْمَلِكُ بِأَنْ يُكْرِمَهُ؟» فَقَالَ هَامَانُ فِي قَلْبِهِ: «مَنْ يُسَرُّ ٱلْمَلِكُ بِأَنْ يُكْرِمَهُ أَكْثَرَ مِنِّي؟» ٦ 6
जब हामान भीतर आया, तब राजा ने उससे पूछा, “जिस मनुष्य की प्रतिष्ठा राजा करना चाहता हो तो उसके लिये क्या करना उचित होगा?” हामान ने यह सोचकर, कि मुझसे अधिक राजा किसकी प्रतिष्ठा करना चाहता होगा?
فَقَالَ هَامَانُ لِلْمَلِكِ: «إِنَّ ٱلرَّجُلَ ٱلَّذِي يُسَرُّ ٱلْمَلِكُ بِأَنْ يُكْرِمَهُ ٧ 7
राजा को उत्तर दिया, “जिस मनुष्य की प्रतिष्ठा राजा करना चाहे,
يَأْتُونَ بِٱللِّبَاسِ ٱلسُّلْطَانِيِّ ٱلَّذِي يَلْبَسُهُ ٱلْمَلِكُ، وَبِالْفَرَسِ ٱلَّذِي يَرْكَبُهُ ٱلْمَلِكُ، وَبِتَاجِ ٱلْمُلْكِ ٱلَّذِي يُوضَعُ عَلَى رَأْسِهِ، ٨ 8
उसके लिये राजकीय वस्त्र लाया जाए, जो राजा पहनता है, और एक घोड़ा भी, जिस पर राजा सवार होता है, और उसके सिर पर जो राजकीय मुकुट धरा जाता है वह भी लाया जाए।
وَيُدْفَعُ ٱللِّبَاسُ وَٱلْفَرَسُ لِرَجُلٍ مِنْ رُؤَسَاءِ ٱلْمَلِكِ ٱلْأَشْرَافِ، وَيُلْبِسُونَ ٱلرَّجُلَ ٱلَّذِي سُرَّ ٱلْمَلِكُ بِأَنْ يُكْرِمَهُ وَيُرَكِّبُونَهُ عَلَى ٱلْفَرَسِ فِي سَاحَةِ ٱلْمَدِينَةِ، وَيُنَادُونَ قُدَّامَهُ: هَكَذَا يُصْنَعُ لِلرَّجُلِ ٱلَّذِي يُسَرُّ ٱلْمَلِكُ بِأَنْ يُكْرِمَهُ». ٩ 9
फिर वह वस्त्र, और वह घोड़ा राजा के किसी बड़े हाकिम को सौंपा जाए, और जिसकी प्रतिष्ठा राजा करना चाहता हो, उसको वह वस्त्र पहनाया जाए, और उस घोड़े पर सवार करके, नगर के चौक में उसे फिराया जाए; और उसके आगे-आगे यह प्रचार किया जाए, ‘जिसकी प्रतिष्ठा राजा करना चाहता है, उसके साथ ऐसा ही किया जाएगा।’”
فَقَالَ ٱلْمَلِكُ لِهَامَانَ: «أَسْرِعْ وَخُذِ ٱللِّبَاسَ وَٱلْفَرَسَ كَمَا تَكَلَّمْتَ، وَٱفْعَلْ هَكَذَا لِمُرْدَخَايَ ٱلْيَهُودِيِّ ٱلْجَالِسِ فِي بَابِ ٱلْمَلِكِ. لَا يَسْقُطْ شَيْءٌ مِنْ جَمِيعِ مَا قُلْتَهُ». ١٠ 10
१०राजा ने हामान से कहा, “फुर्ती करके अपने कहने के अनुसार उस वस्त्र और उस घोड़े को लेकर, उस यहूदी मोर्दकै से जो राजभवन के फाटक में बैठा करता है, वैसा ही कर। जैसा तूने कहा है उसमें कुछ भी कमी होने न पाए।”
فَأَخَذَ هَامَانُ ٱللِّبَاسَ وَٱلْفَرَسَ وَأَلْبَسَ مُرْدَخَايَ وَأَرْكَبَهُ فِي سَاحَةِ ٱلْمَدِينَةِ، وَنَادَى قُدَّامَهُ: «هَكَذَا يُصْنَعُ لِلرَّجُلِ ٱلَّذِي يُسَرُّ ٱلْمَلِكُ بِأَنْ يُكْرِمَهُ». ١١ 11
११तब हामान ने उस वस्त्र, और उस घोड़े को लेकर, मोर्दकै को पहनाया, और उसे घोड़े पर चढ़ाकर, नगर के चौक में इस प्रकार पुकारता हुआ घुमाया, “जिसकी प्रतिष्ठा राजा करना चाहता है उसके साथ ऐसा ही किया जाएगा।”
وَرَجَعَ مُرْدَخَايُ إِلَى بَابِ ٱلْمَلِكِ. وَأَمَّا هَامَانُ فَأَسْرَعَ إِلَى بَيْتِهِ نَائِحًا وَمُغَطَّى ٱلرَّأْسِ. ١٢ 12
१२तब मोर्दकै तो राजभवन के फाटक में लौट गया परन्तु हामान शोक करता हुआ और सिर ढाँपे हुए झट अपने घर को गया।
وَقَصَّ هَامَانُ عَلَى زَرَشَ زَوْجَتِهِ وَجَمِيعِ أَحِبَّائِهِ كُلَّ مَا أَصَابَهُ. فَقَالَ لَهُ حُكَمَاؤُهُ وَزَرَشُ زَوْجَتُهُ: «إِذَا كَانَ مُرْدَخَايُ ٱلَّذِي ٱبْتَدَأْتَ تَسْقُطُ قُدَّامَهُ مِنْ نَسْلِ ٱلْيَهُودِ، فَلَا تَقْدِرُ عَلَيْهِ، بَلْ تَسْقُطُ قُدَّامَهُ سُقُوطًا». ١٣ 13
१३हामान ने अपनी पत्नी जेरेश और अपने सब मित्रों से सब कुछ जो उस पर बीता था वर्णन किया। तब उसके बुद्धिमान मित्रों और उसकी पत्नी जेरेश ने उससे कहा, “मोर्दकै जिसे तू नीचा दिखाना चाहता है, यदि वह यहूदियों के वंश में का है, तो तू उस पर प्रबल न होने पाएगा उससे पूरी रीति नीचा हो जाएगा।”
وَفِيمَا هُمْ يُكَلِّمُونَهُ وَصَلَ خِصْيَانُ ٱلْمَلِكِ وَأَسْرَعُوا لِلْإِتْيَانِ بِهَامَانَ إِلَى ٱلْوَلِيمَةِ ٱلَّتِي عَمِلَتْهَا أَسْتِيرُ. ١٤ 14
१४वे उससे बातें कर ही रहे थे, कि राजा के खोजे आकर, हामान को एस्तेर के किए हुए भोज में फुर्ती से बुला ले गए।

< أَسْتِير 6 >