< أفَسُس 6 >

أَيُّهَا ٱلْأَوْلَادُ، أَطِيعُوا وَالِدِيكُمْ فِي ٱلرَّبِّ لِأَنَّ هَذَا حَقٌّ. ١ 1
ऐ फ़र्ज़न्दों! ख़ुदावन्द में अपने माँ — बाप के फ़रमाबरदार रहो, क्यूँकि यह ज़रूरी है।
«أَكْرِمْ أَبَاكَ وَأُمَّكَ»، ٱلَّتِي هِيَ أَوَّلُ وَصِيَّةٍ بِوَعْدٍ، ٢ 2
“अपने बाप और माँ की इज़्ज़त कर (ये पहला हुक्म है जिसके साथ वा'दा भी है)
«لِكَيْ يَكُونَ لَكُمْ خَيْرٌ، وَتَكُونُوا طِوَالَ ٱلْأَعْمَارِ عَلَى ٱلْأَرْضِ». ٣ 3
ताकि तेरा भला हो, और तेरी ज़मीन पर उम्र लम्बी हो।”
وَأَنْتُمْ أَيُّهَا ٱلْآبَاءُ، لَا تُغِيظُوا أَوْلَادَكُمْ، بَلْ رَبُّوهُمْ بِتَأْدِيبِ ٱلرَّبِّ وَإِنْذَارِهِ. ٤ 4
ऐ औलाद वालो! तुम अपने फ़र्ज़न्दों को ग़ुस्सा न दिलाओ, बल्कि ख़ुदावन्द की तरफ़ से तरबियत और नसीहत दे देकर उनकी परवरिश करो।
أَيُّهَا ٱلْعَبِيدُ، أَطِيعُوا سَادَتَكُمْ حَسَبَ ٱلْجَسَدِ بِخَوْفٍ وَرِعْدَةٍ، فِي بَسَاطَةِ قُلُوبِكُمْ كَمَا لِلْمَسِيحِ، ٥ 5
ऐ नौकरों! जो जिस्मानी तौर से तुम्हारे मालिक हैं, अपनी साफ़ दिली से डरते और काँपते हुए उनके ऐसे फ़रमाबरदार रहो जैसे मसीह के;
لَا بِخِدْمَةِ ٱلْعَيْنِ كَمَنْ يُرْضِي ٱلنَّاسَ، بَلْ كَعَبِيدِ ٱلْمَسِيحِ، عَامِلِينَ مَشِيئَةَ ٱللهِ مِنَ ٱلْقَلْبِ، ٦ 6
और आदमियों को ख़ुश करनेवालों की तरह दिखावे के लिए ख़िदमत न करो, बल्कि मसीह के बन्दों की तरह दिल से ख़ुदा की मर्ज़ी पूरी करो।
خَادِمِينَ بِنِيَّةٍ صَالِحَةٍ كَمَا لِلرَّبِّ، لَيْسَ لِلنَّاسِ. ٧ 7
और ख़िदमत को आदमियों की नहीं बल्कि ख़ुदावन्द की जान कर, जी से करो।
عَالِمِينَ أَنْ مَهْمَا عَمِلَ كُلُّ وَاحِدٍ مِنَ ٱلْخَيْرِ فَذَلِكَ يَنَالُهُ مِنَ ٱلرَّبِّ، عَبْدًا كَانَ أَمْ حُرًّا. ٨ 8
क्यूँकि, तुम जानते हो कि जो कोई जैसा अच्छा काम करेगा, चाहे ग़ुलाम हो या चाहे आज़ाद, ख़ुदावन्द से वैसा ही पाएगा।
وَأَنْتُمْ أَيُّهَا ٱلسَّادَةُ، ٱفْعَلُوا لَهُمْ هَذِهِ ٱلْأُمُورَ، تَارِكِينَ ٱلتَّهْدِيدَ، عَالِمِينَ أَنَّ سَيِّدَكُمْ أَنْتُمْ أَيْضًا فِي ٱلسَّمَاوَاتِ، وَلَيْسَ عِنْدَهُ مُحَابَاةٌ. ٩ 9
और ऐ मलिको! तुम भी धमकियाँ छोड़ कर उनके साथ ऐसा सुलूक करो; क्यूँकि तुम जानते हो उनका और तुम्हारा दोनों का मालिक आसमान पर है, और वो किसी का तरफ़दार नहीं।
أَخِيرًا يَا إِخْوَتِي، تَقَوَّوْا فِي ٱلرَّبِّ وَفِي شِدَّةِ قُوَّتِهِ. ١٠ 10
ग़रज़ ख़ुदावन्द में और उसकी क़ुदरत के ज़ोर में मज़बूत बनो।
ٱلْبَسُوا سِلَاحَ ٱللهِ ٱلْكَامِلَ لِكَيْ تَقْدِرُوا أَنْ تَثْبُتُوا ضِدَّ مَكَايِدِ إِبْلِيسَ. ١١ 11
ख़ुदा के सब हथियार बाँध लो ताकि तुम इब्लीस के इरादों के मुक़ाबिले में क़ाईम रह सको।
فَإِنَّ مُصَارَعَتَنَا لَيْسَتْ مَعَ دَمٍ وَلَحْمٍ، بَلْ مَعَ ٱلرُّؤَسَاءِ، مَعَ ٱلسَّلَاطِينِ، مَعَ وُلَاةِ ٱلْعَالَمِ عَلَى ظُلْمَةِ هَذَا ٱلدَّهْرِ، مَعَ أَجْنَادِ ٱلشَّرِّ ٱلرُّوحِيَّةِ فِي ٱلسَّمَاوِيَّاتِ. (aiōn g165) ١٢ 12
क्यूँकि हमें ख़ून और गोश्त से कुश्ती नहीं करना है, बल्कि हुकूमतवालों और इख़्तियार वालों और इस दुनियाँ की तारीकी के हाकिमों और शरारत की उन रूहानी फ़ौजों से जो आसमानी मुक़ामों में है। (aiōn g165)
مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ ٱحْمِلُوا سِلَاحَ ٱللهِ ٱلْكَامِلَ لِكَيْ تَقْدِرُوا أَنْ تُقَاوِمُوا فِي ٱلْيَوْمِ ٱلشِّرِّيرِ، وَبَعْدَ أَنْ تُتَمِّمُوا كُلَّ شَيْءٍ أَنْ تَثْبُتُوا. ١٣ 13
इस वास्ते ख़ुदा के सब हथियार बाँध लो ताकि बुरे दिन में मुक़ाबिला कर सको, और सब कामों को अंजाम देकर क़ाईम रह सको।
فَٱثْبُتُوا مُمَنْطِقِينَ أَحْقَاءَكُمْ بِٱلْحَقِّ، وَلَابِسِينَ دِرْعَ ٱلْبِرِّ، ١٤ 14
पस सच्चाई से अपनी कमर कसकर, और रास्तबाज़ी का बख़्तर लगाकर,
وَحَاذِينَ أَرْجُلَكُمْ بِٱسْتِعْدَادِ إِنْجِيلِ ٱلسَّلَامِ. ١٥ 15
और पाँव में सुलह की ख़ुशख़बरी की तैयारी के जूते पहन कर,
حَامِلِينَ فَوْقَ ٱلْكُلِّ تُرْسَ ٱلْإِيمَانِ، ٱلَّذِي بِهِ تَقْدِرُونَ أَنْ تُطْفِئُوا جَمِيعَ سِهَامِ ٱلشِّرِّيرِ ٱلْمُلْتَهِبَةِ. ١٦ 16
और उन सब के साथ ईमान की सिपर लगा कर क़ाईम रहो, जिससे तुम उस शरीर के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको;
وَخُذُوا خُوذَةَ ٱلْخَلَاصِ، وَسَيْفَ ٱلرُّوحِ ٱلَّذِي هُوَ كَلِمَةُ ٱللهِ. ١٧ 17
और नजात का टोप, और रूह की तलवार, जो ख़ुदा का कलाम है ले लो;
مُصَلِّينَ بِكُلِّ صَلَاةٍ وَطِلْبَةٍ كُلَّ وَقْتٍ فِي ٱلرُّوحِ، وَسَاهِرِينَ لِهَذَا بِعَيْنِهِ بِكُلِّ مُواظَبَةٍ وَطِلْبَةٍ، لِأَجْلِ جَمِيعِ ٱلْقِدِّيسِينَ، ١٨ 18
और हर वक़्त और हर तरह से रूह में दुआ और मिन्नत करते रहो, और इसी ग़रज़ से जागते रहो कि सब मुक़द्दसों के वास्ते बिला नाग़ा दुआ किया करो,
وَلِأَجْلِي، لِكَيْ يُعْطَى لِي كَلَامٌ عِنْدَ ٱفْتِتَاحِ فَمِي، لِأُعْلِمَ جِهَارًا بِسِرِّ ٱلْإِنْجِيلِ، ١٩ 19
और मेरे लिए भी ताकि बोलने के वक़्त मुझे कलाम करने की तौफ़ीक़ हो, जिससे मैं ख़ुशख़बरी के राज़ को दिलेरी से ज़ाहिर करूँ,
ٱلَّذِي لِأَجْلِهِ أَنَا سَفِيرٌ فِي سَلَاسِلَ، لِكَيْ أُجَاهِرَ فِيهِ كَمَا يَجِبُ أَنْ أَتَكَلَّمَ. ٢٠ 20
जिसके लिए ज़ंजीर से जकड़ा हुआ एल्ची हूँ, और उसको ऐसी दिलेरी से बयान करूँ जैसा बयान करना मुझ पर फ़र्ज़ है।
وَلَكِنْ لِكَيْ تَعْلَمُوا أَنْتُمْ أَيْضًا أَحْوَالِي، مَاذَا أَفْعَلُ، يُعَرِّفُكُمْ بِكُلِّ شَيْءٍ تِيخِيكُسُ ٱلْأَخُ ٱلْحَبِيبُ وَٱلْخَادِمُ ٱلْأَمِينُ فِي ٱلرَّبِّ، ٢١ 21
तुख़िकुस जो प्यारा भाई ख़ुदावन्द में दियानतदार ख़ादिम है, तुम्हें सब बातें बता देगा ताकि तुम भी मेरे हाल से वाक़िफ़ हो जाओ कि मैं किस तरह रहता हूँ।
ٱلَّذِي أَرْسَلْتُهُ إِلَيْكُمْ لِهَذَا بِعَيْنِهِ، لِكَيْ تَعْلَمُوا أَحْوَالَنَا، وَلِكَيْ يُعَزِّيَ قُلُوبَكُمْ. ٢٢ 22
उसको मैं ने तुम्हारे पास इसी वास्ते भेजा है कि तुम हमारी हालत से वाक़िफ़ हो जाओ और वो तुम्हारे दिलों को तसल्ली दे।
سَلَامٌ عَلَى ٱلْإِخْوَةِ، وَمَحَبَّةٌ بِإِيمَانٍ مِنَ ٱللهِ ٱلْآبِ وَٱلرَّبِّ يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ. ٢٣ 23
ख़ुदा बाप और ख़ुदावन्द ईसा मसीह की तरफ़ से भाइयों को इत्मीनान हासिल हो, और उनमें ईमान के साथ मुहब्बत हो।
اَلنِّعْمَةُ مَعَ جَمِيعِ ٱلَّذِينَ يُحِبُّونَ رَبَّنَا يَسُوعَ ٱلْمَسِيحَ فِي عَدَمِ فَسَادٍ. آمِينَ. -كُتِبَتْ إِلَى أَهْلِ أَفَسُسَ مِنْ رُومِيَةِ عَلَى يَدِ تِيخِيكُسَ- ٢٤ 24
जो हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह से लाज़वाल मुहब्बत रखते हैं, उन सब पर फ़ज़ल होता रहे।

< أفَسُس 6 >