< أفَسُس 5 >

فَكُونُوا مُتَمَثِّلِينَ بِٱللهِ كَأَوْلَادٍ أَحِبَّاءَ، ١ 1
पस 'अज़ीज़ बेटों की तरह ख़ुदा की तरह बनो,
وَٱسْلُكُوا فِي ٱلْمَحَبَّةِ كَمَا أَحَبَّنَا ٱلْمَسِيحُ أَيْضًا وَأَسْلَمَ نَفْسَهُ لِأَجْلِنَا، قُرْبَانًا وَذَبِيحَةً لِلهِ رَائِحَةً طَيِّبَةً. ٢ 2
और मुहब्बत से चलो जैसे मसीह ने तुम से मुहब्बत की, और हमारे वास्ते अपने आपको ख़ुशबू की तरह ख़ुदा की नज़्र करके क़ुर्बान किया।
وَأَمَّا ٱلزِّنَا وَكُلُّ نَجَاسَةٍ أَوْ طَمَعٍ فَلَا يُسَمَّ بَيْنَكُمْ كَمَا يَلِيقُ بِقِدِّيسِينَ، ٣ 3
जैसे के मुक़द्दसों को मुनासिब है, तुम में हरामकारी और किसी तरह की नापाकी या लालच का ज़िक्र तक न हो;
وَلَا ٱلْقَبَاحَةُ وَلَا كَلَامُ ٱلسَّفَاهَةِ وَٱلْهَزْلُ ٱلَّتِي لَا تَلِيقُ، بَلْ بِٱلْحَرِيِّ ٱلشُّكْرُ. ٤ 4
और न बेशर्मी और बेहूदा गोई और ठठ्ठा बाज़ी का, क्यूँकि यह लायक़ नहीं; बल्कि बर'अक्स इसके शुक्र गुज़ारी हो।
فَإِنَّكُمْ تَعْلَمُونَ هَذَا: أَنَّ كُلَّ زَانٍ أَوْ نَجِسٍ أَوْ طَمَّاعٍ -ٱلَّذِي هُوَ عَابِدٌ لِلْأَوْثَانِ- لَيْسَ لَهُ مِيرَاثٌ فِي مَلَكُوتِ ٱلْمَسِيحِ وَٱللهِ. ٥ 5
क्यूँकि तुम ये ख़ूब जानते हो कि किसी हरामकार, या नापाक, या लालची की जो बुत परस्त के बराबर है, मसीह और ख़ुदा की बादशाही में कुछ मीरास नहीं।
لَا يَغُرَّكُمْ أَحَدٌ بِكَلَامٍ بَاطِلٍ، لِأَنَّهُ بِسَبَبِ هَذِهِ ٱلْأُمُورِ يَأْتِي غَضَبُ ٱللهِ عَلَى أَبْنَاءِ ٱلْمَعْصِيَةِ. ٦ 6
कोई तुम को बे फ़ाइदा बातों से धोखा न दे, क्यूँकि इन्हीं गुनाहों की वजह से नाफ़रमानों के बेटों पर ख़ुदा का ग़ज़ब नाज़िल होता है।
فَلَا تَكُونُوا شُرَكَاءَهُمْ. ٧ 7
पस उनके कामों में शरीक न हो।
لِأَنَّكُمْ كُنْتُمْ قَبْلًا ظُلْمَةً، وَأَمَّا ٱلْآنَ فَنُورٌ فِي ٱلرَّبِّ. ٱسْلُكُوا كَأَوْلَادِ نُورٍ. ٨ 8
क्यूँकि तुम पहले अंधेरे थे; मगर अब ख़ुदावन्द में नूर हो, पस नूर के बेटे की तरह चलो,
لِأَنَّ ثَمَرَ ٱلرُّوحِ هُوَ فِي كُلِّ صَلَاحٍ وَبِرٍّ وَحَقٍّ. ٩ 9
(इसलिए कि नूर का फल हर तरह की नेकी और रास्तबाज़ी और सच्चाई है)
مُخْتَبِرِينَ مَا هُوَ مَرْضِيٌّ عِنْدَ ٱلرَّبِّ. ١٠ 10
और तजुर्बे से मा'लूम करते रहो के ख़ुदावन्द को क्या पसन्द है।
وَلَا تَشْتَرِكُوا فِي أَعْمَالِ ٱلظُّلْمَةِ غَيْرِ ٱلْمُثْمِرَةِ بَلْ بِٱلْحَرِيِّ وَبِّخُوهَا. ١١ 11
और अंधेरे के बे फल कामों में शरीक न हो, बल्कि उन पर मलामत ही किया करो।
لِأَنَّ ٱلْأُمُورَ ٱلْحَادِثَةَ مِنْهُمْ سِرًّا، ذِكْرُهَا أَيْضًا قَبِيحٌ. ١٢ 12
क्यूँकि उन के छुपे हुए कामों का ज़िक्र भी करना शर्म की बात है।
وَلَكِنَّ ٱلْكُلَّ إِذَا تَوَبَّخَ يُظْهَرُ بِٱلنُّورِ. لِأَنَّ كُلَّ مَا أُظْهِرَ فَهُوَ نُورٌ. ١٣ 13
और जिन चीज़ों पर मलामत होती है वो सब नूर से ज़ाहिर होती है, क्यूँकि जो कुछ ज़ाहिर किया जाता है वो रोशन हो जाता है।
لِذَلِكَ يَقُولُ: «ٱسْتَيْقِظْ أَيُّهَا ٱلنَّائِمُ وَقُمْ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ فَيُضِيءَ لَكَ ٱلْمَسِيحُ». ١٤ 14
इसलिए वो कलाम में फ़रमाता है, “ऐ सोने वाले, जाग और मुर्दों में से जी उठ, तो मसीह का नूर तुझ पर चमकेगा।”
فَٱنْظُرُوا كَيْفَ تَسْلُكُونَ بِٱلتَّدْقِيقِ، لَا كَجُهَلَاءَ بَلْ كَحُكَمَاءَ، ١٥ 15
पस ग़ौर से देखो कि किस तरह चलते हो, नादानों की तरह नहीं बल्कि अक़्लमंदों की तरह चलो;
مُفْتَدِينَ ٱلْوَقْتَ لِأَنَّ ٱلْأَيَّامَ شِرِّيرَةٌ. ١٦ 16
और वक़्त को ग़नीमत जानो क्यूँकि दिन बुरे हैं।
مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ لَا تَكُونُوا أَغْبِيَاءَ بَلْ فَاهِمِينَ مَا هِيَ مَشِيئَةُ ٱلرَّبِّ. ١٧ 17
इस वजह से नादान न बनो, बल्कि ख़ुदावन्द की मर्ज़ी को समझो कि क्या है।
وَلَا تَسْكَرُوا بِٱلْخَمْرِ ٱلَّذِي فِيهِ ٱلْخَلَاعَةُ، بَلِ ٱمْتَلِئُوا بِٱلرُّوحِ، ١٨ 18
और शराब में मतवाले न बनो क्यूँकि इससे बदचलनी पेश' आती है, बल्कि पाक रूह से मा'मूर होते जाओ,
مُكَلِّمِينَ بَعْضُكُمْ بَعْضًا بِمَزَامِيرَ وَتَسَابِيحَ وَأَغَانِيَّ رُوحِيَّةٍ، مُتَرَنِّمِينَ وَمُرَتِّلِينَ فِي قُلُوبِكُمْ لِلرَّبِّ. ١٩ 19
और आपस में दु'आएँ और गीत और रूहानी ग़ज़लें गाया करो, और दिल से ख़ुदावन्द के लिए गाते बजाते रहा करो।
شَاكِرِينَ كُلَّ حِينٍ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ فِي ٱسْمِ رَبِّنَا يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ، لِلهِ وَٱلْآبِ. ٢٠ 20
और सब बातों में हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह के नाम से हमेशा ख़ुदा बाप का शुक्र करते रहो।
خَاضِعِينَ بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ فِي خَوْفِ ٱللهِ. ٢١ 21
और मसीह के ख़ौफ़ से एक दुसरे के फ़रमाबरदार रहो।
أَيُّهَا ٱلنِّسَاءُ، ٱخْضَعْنَ لِرِجَالِكُنَّ كَمَا لِلرَّبِّ، ٢٢ 22
ऐ बीवियो, अपने शौहरों की ऐसी फ़रमाबरदार रहो जैसे ख़ुदावन्द की।
لِأَنَّ ٱلرَّجُلَ هُوَ رَأْسُ ٱلْمَرْأَةِ كَمَا أَنَّ ٱلْمَسِيحَ أَيْضًا رَأْسُ ٱلْكَنِيسَةِ، وَهُوَ مُخَلِّصُ ٱلْجَسَدِ. ٢٣ 23
क्यूँकि शौहर बीवी का सिर है, जैसे के मसीह कलीसिया का सिर है और वो ख़ुद बदन का बचाने वाला है।
وَلَكِنْ كَمَا تَخْضَعُ ٱلْكَنِيسَةُ لِلْمَسِيحِ، كَذَلِكَ ٱلنِّسَاءُ لِرِجَالِهِنَّ فِي كُلِّ شَيْءٍ. ٢٤ 24
लेकिन जैसे कलीसिया मसीह की फ़रमाबरदार है, वैसे बीवियाँ भी हर बात में अपने शौहरों की फ़रमाबरदार हों।
أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ، أَحِبُّوا نِسَاءَكُمْ كَمَا أَحَبَّ ٱلْمَسِيحُ أَيْضًا ٱلْكَنِيسَةَ وَأَسْلَمَ نَفْسَهُ لِأَجْلِهَا، ٢٥ 25
ऐ शौहरो! अपनी बीवियों से मुहब्बत रख्खो, जैसे मसीह ने भी कलीसिया से मुहब्बत करके अपने आप को उसके वास्ते मौत के हवाले कर दिया,
لِكَيْ يُقَدِّسَهَا، مُطَهِّرًا إِيَّاهَا بِغَسْلِ ٱلْمَاءِ بِٱلْكَلِمَةِ، ٢٦ 26
ताकि उसको कलाम के साथ पानी से ग़ुस्ल देकर और साफ़ करके मुक़द्दस बनाए,
لِكَيْ يُحْضِرَهَا لِنَفْسِهِ كَنِيسَةً مَجِيدَةً، لَا دَنَسَ فِيهَا وَلَا غَضْنَ أَوْ شَيْءٌ مِنْ مِثْلِ ذَلِكَ، بَلْ تَكُونُ مُقَدَّسَةً وَبِلَا عَيْبٍ. ٢٧ 27
और एक ऐसी जलाल वाली कलीसिया बना कर अपने पास हाज़िर करे, जिसके बदन में दाग़ या झुर्री या कोई और ऐसी चीज़ न हो, बल्कि पाक और बे'ऐब हो।
كَذَلِكَ يَجِبُ عَلَى ٱلرِّجَالِ أَنْ يُحِبُّوا نِسَاءَهُمْ كَأَجْسَادِهِمْ. مَنْ يُحِبُّ ٱمْرَأَتَهُ يُحِبُّ نَفْسَهُ. ٢٨ 28
इसी तरह शौहरों को ज़रूरी है कि अपनी बीवियों से अपने बदन की तरह मुहब्बत रख्खें। जो अपने बीवी से मुहब्बत रखता है, वो अपने आप से मुहब्बत रखता है।
فَإِنَّهُ لَمْ يُبْغِضْ أَحَدٌ جَسَدَهُ قَطُّ، بَلْ يَقُوتُهُ وَيُرَبِّيهِ، كَمَا ٱلرَّبُّ أَيْضًا لِلْكَنِيسَةِ. ٢٩ 29
क्यूँकि कभी किसी ने अपने जिस्म से दुश्मनी नहीं की बल्कि उसको पालता और परवरिश करता है, जैसे कि मसीह कलीसिया को।
لِأَنَّنَا أَعْضَاءُ جِسْمِهِ، مِنْ لَحْمِهِ وَمِنْ عِظَامِهِ. ٣٠ 30
इसलिए कि हम उसके बदन के 'हिस्सा हैं।
«مِنْ أَجْلِ هَذَا يَتْرُكُ ٱلرَّجُلُ أَبَاهُ وَأُمَّهُ وَيَلْتَصِقُ بِٱمْرَأَتِهِ، وَيَكُونُ ٱلِٱثْنَانِ جَسَدًا وَاحِدًا». ٣١ 31
“इसी वजह से आदमी बाप से और माँ से जुदा होकर अपनी बीवी के साथ रहेगा, और वो दोनों एक जिस्म होंगे।”
هَذَا ٱلسِّرُّ عَظِيمٌ، وَلَكِنَّنِي أَنَا أَقُولُ مِنْ نَحْوِ ٱلْمَسِيحِ وَٱلْكَنِيسَةِ. ٣٢ 32
ये राज़ तो बड़ा है, लेकिन मैं मसीह और कलीसिया के ज़रिए कहता हूँ।
وَأَمَّا أَنْتُمُ ٱلْأَفْرَادُ، فَلْيُحِبَّ كُلُّ وَاحِدٍ ٱمْرَأَتَهُ هَكَذَا كَنَفْسِهِ، وَأَمَّا ٱلْمَرْأَةُ فَلْتَهَبْ رَجُلَهَا. ٣٣ 33
बहरहाल तुम में से भी हर एक अपनी बीवी से अपनी तरह मुहब्बत रख्खे, और बीवी इस बात का ख़याल रख्खे कि अपने शौहर से डरती रहे।

< أفَسُس 5 >