< أفَسُس 3 >

بِسَبَبِ هَذَا أَنَا بُولُسُ، أَسِيرُ ٱلْمَسِيحِ يَسُوعَ لِأَجْلِكُمْ أَيُّهَا ٱلْأُمَمُ، ١ 1
इसी वजह से मैं पौलुस जो तुम ग़ैर — क़ौम वालों की ख़ातिर ईसा मसीह का क़ैदी हूँ।
إِنْ كُنْتُمْ قَدْ سَمِعْتُمْ بِتَدْبِيرِ نِعْمَةِ ٱللهِ ٱلْمُعْطَاةِ لِي لِأَجْلِكُمْ. ٢ 2
शायद तुम ने ख़ुदा के उस फ़ज़ल के इन्तज़ाम का हाल सुना होगा, जो तुम्हारे लिए मुझ पर हुआ।
أَنَّهُ بِإِعْلَانٍ عَرَّفَنِي بِٱلسِّرِّ. كَمَا سَبَقْتُ فَكَتَبْتُ بِٱلْإِيجَازِ. ٣ 3
या'नी ये कि वो भेद मुझे मुक़ाशिफ़ा से मा'लूम हुआ। चुनाँचे मैंने पहले उसका थोड़ा हाल लिखा है,
ٱلَّذِي بِحَسَبِهِ حِينَمَا تَقْرَأُونَهُ، تَقْدِرُونَ أَنْ تَفْهَمُوا دِرَايَتِي بِسِرِّ ٱلْمَسِيحِ. ٤ 4
जिसे पढ़कर तुम मा'लूम कर सकते हो कि मैं मसीह का वो राज़ किस क़दर समझता हूँ।
ٱلَّذِي فِي أَجْيَالٍ أُخَرَ لَمْ يُعَرَّفْ بِهِ بَنُو ٱلْبَشَرِ، كَمَا قَدْ أُعْلِنَ ٱلْآنَ لِرُسُلِهِ ٱلْقِدِّيسِينَ وَأَنْبِيَائِهِ بِٱلرُّوحِ: ٥ 5
जो और ज़मानो में बनी आदम को इस तरह मा'लूम न हुआ था, जिस तरह उसके मुक़द्दस रसूलों और नबियों पर पाक रूह में अब ज़ाहिर हो गया है;
أَنَّ ٱلْأُمَمَ شُرَكَاءُ فِي ٱلْمِيرَاثِ وَٱلْجَسَدِ وَنَوَالِ مَوْعِدِهِ فِي ٱلْمَسِيحِ بِٱلْإِنْجِيلِ. ٦ 6
या'नी ये कि ईसा मसीह में ग़ैर — क़ौम ख़ुशख़बरी के वसीले से मीरास में शरीक और बदन में शामिल और वा'दों में दाख़िल हैं।
ٱلَّذِي صِرْتُ أَنَا خَادِمًا لَهُ حَسَبَ مَوْهِبَةِ نِعْمَةِ ٱللهِ ٱلْمُعْطَاةِ لِي حَسَبَ فِعْلِ قُوَّتِهِ. ٧ 7
और ख़ुदा के उस फ़ज़ल की बख़्शिश से जो उसकी क़ुदरत की तासीर से मुझ पर हुआ, मैं इस ख़ुशख़बरी का ख़ादिम बना।
لِي أَنَا أَصْغَرَ جَمِيعِ ٱلْقِدِّيسِينَ، أُعْطِيَتْ هَذِهِ ٱلنِّعْمَةُ، أَنْ أُبَشِّرَ بَيْنَ ٱلْأُمَمِ بِغِنَى ٱلْمَسِيحِ ٱلَّذِي لَا يُسْتَقْصَى، ٨ 8
मुझ पर जो सब मुक़द्दसों में छोटे से छोटा हूँ, फ़ज़ल हुआ कि ग़ैर — क़ौमों को मसीह की बेक़यास दौलत की ख़ुशख़बरी दूँ।
وَأُنِيرَ ٱلْجَمِيعَ فِي مَا هُوَ شَرِكَةُ ٱلسِّرِّ ٱلْمَكْتُومِ مُنْذُ ٱلدُّهُورِ فِي ٱللهِ خَالِقِ ٱلْجَمِيعِ بِيَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ. (aiōn g165) ٩ 9
और सब पर ये बात रोशन करूँ कि जो राज़ अज़ल से सब चीज़ों के पैदा करनेवाले ख़ुदा में छुपा रहा उसका क्या इन्तज़ाम है। (aiōn g165)
لِكَيْ يُعَرَّفَ ٱلْآنَ عِنْدَ ٱلرُّؤَسَاءِ وَٱلسَّلَاطِينِ فِي ٱلسَّمَاوِيَّاتِ، بِوَاسِطَةِ ٱلْكَنِيسَةِ، بِحِكْمَةِ ٱللهِ ٱلْمُتَنَوِّعَةِ، ١٠ 10
ताकि अब कलीसिया के वसीले से ख़ुदा की तरह तरह की हिक्मत उन हुकूमतवालों और इख़्तियार वालों को जो आसमानी मुक़ामों में हैं, मा'लूम हो जाए।
حَسَبَ قَصْدِ ٱلدُّهُورِ ٱلَّذِي صَنَعَهُ فِي ٱلْمَسِيحِ يَسُوعَ رَبِّنَا. (aiōn g165) ١١ 11
उस अज़ली इरादे के जो उसने हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह में किया था, (aiōn g165)
ٱلَّذِي بِهِ لَنَا جَرَاءَةٌ وَقُدُومٌ بِإِيمَانِهِ عَنْ ثِقَةٍ. ١٢ 12
जिसमें हम को उस पर ईमान रखने की वजह से दिलेरी है और भरोसे के साथ रसाई।
لِذَلِكَ أَطْلُبُ أَنْ لَا تَكِلُّوا فِي شَدَائِدِي لِأَجْلِكُمُ ٱلَّتِي هِيَ مَجْدُكُمْ. ١٣ 13
पस मैं गुज़ारिश करता हूँ कि तुम मेरी उन मुसीबतों की वजह से जो तुम्हारी ख़ातिर सहता हूँ हिम्मत न हारो, क्यूँकि वो तुम्हारे लिए 'इज़्ज़त का ज़रिया हैं।
بِسَبَبِ هَذَا أَحْنِي رُكْبَتَيَّ لَدَى أَبِي رَبِّنَا يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ، ١٤ 14
इस वजह से मैं उस बाप के आगे घुटने टेकता हूँ,
ٱلَّذِي مِنْهُ تُسَمَّى كُلُّ عَشِيرَةٍ فِي ٱلسَّمَاوَاتِ وَعَلَى ٱلْأَرْضِ. ١٥ 15
जिससे आसमान और ज़मीन का हर एक ख़ानदान नामज़द है।
لِكَيْ يُعْطِيَكُمْ بِحَسَبِ غِنَى مَجْدِهِ، أَنْ تَتَأَيَّدُوا بِٱلْقُوَّةِ بِرُوحِهِ فِي ٱلْإِنْسَانِ ٱلْبَاطِنِ، ١٦ 16
कि वो अपने जलाल की दौलत के मुवाफ़िक़ तुम्हें ये 'इनायत करे कि तुम ख़ुदा की रूह से अपनी बातिनी इंसान ियत में बहुत ही ताक़तवर हो जाओ,
لِيَحِلَّ ٱلْمَسِيحُ بِٱلْإِيمَانِ فِي قُلُوبِكُمْ، ١٧ 17
और ईमान के वसीले से मसीह तुम्हारे दिलों में सुकूनत करे ताकि तुम मुहब्बत में जड़ पकड़ के और बुनियाद क़ाईम करके,
وَأَنْتُمْ مُتَأَصِّلُونَ وَمُتَأَسِّسُونَ فِي ٱلْمَحَبَّةِ، حَتَّى تَسْتَطِيعُوا أَنْ تُدْرِكُوا مَعَ جَمِيعِ ٱلْقِدِّيسِينَ، مَا هُوَ ٱلْعَرْضُ وَٱلطُّولُ وَٱلْعُمْقُ وَٱلْعُلْوُ، ١٨ 18
सब मुक़द्दसों समेत बख़ूबी मा'लूम कर सको कि उसकी चौड़ाई और लम्बाई और ऊँचाई और गहराई कितनी है,
وَتَعْرِفُوا مَحَبَّةَ ٱلْمَسِيحِ ٱلْفَائِقَةَ ٱلْمَعْرِفَةِ، لِكَيْ تَمْتَلِئُوا إِلَى كُلِّ مِلْءِ ٱللهِ. ١٩ 19
और मसीह की उस मुहब्बत को जान सको जो जानने से बाहर है ताकि तुम ख़ुदा की सारी मा'मूरी तक मा'मूर हो जाओ।
وَٱلْقَادِرُ أَنْ يَفْعَلَ فَوْقَ كُلِّ شَيْءٍ، أَكْثَرَ جِدًّا مِمَّا نَطْلُبُ أَوْ نَفْتَكِرُ، بِحَسَبِ ٱلْقُوَّةِ ٱلَّتِي تَعْمَلُ فِينَا، ٢٠ 20
अब जो ऐसा क़ादिर है कि उस क़ुदरत के मुवाफ़िक़ जो हम में तासीर करती है, हामारी गुज़ारिश और ख़याल से बहुत ज़्यादा काम कर सकता है,
لَهُ ٱلْمَجْدُ فِي ٱلْكَنِيسَةِ فِي ٱلْمَسِيحِ يَسُوعَ إِلَى جَمِيعِ أَجْيَالِ دَهْرِ ٱلدُّهُورِ. آمِينَ. (aiōn g165) ٢١ 21
कलीसिया में और ईसा मसीह में पुश्त — दर — पुश्त और हमेशा हमेशा उसकी बड़ाई होती रहे। आमीन। (aiōn g165)

< أفَسُس 3 >