< اَلْجَامِعَةِ 4 >

ثُمَّ رَجَعْتُ وَرَأَيْتُ كُلَّ ٱلْمَظَالِمِ ٱلَّتِي تُجْرَى تَحْتَ ٱلشَّمْسِ: فَهُوَذَا دُمُوعُ ٱلْمَظْلُومِينَ وَلَا مُعَزٍّ لَهُمْ، وَمِنْ يَدِ ظَالِمِيهِمْ قَهْرٌ، أَمَّا هُمْ فَلَا مُعَزٍّ لَهُمْ. ١ 1
तब मैंने वह सब अंधेर देखा जो सूर्य के नीचे होता है। और क्या देखा, कि अंधेर सहनेवालों के आँसू बह रहे हैं, और उनको कोई शान्ति देनेवाला नहीं! अंधेर करनेवालों के हाथ में शक्ति थी, परन्तु उनको कोई शान्ति देनेवाला नहीं था।
فَغَبَطْتُ أَنَا ٱلْأَمْوَاتَ ٱلَّذِينَ قَدْ مَاتُوا مُنْذُ زَمَانٍ أَكْثَرَ مِنَ ٱلْأَحْيَاءِ ٱلَّذِينَ هُمْ عَائِشُونَ بَعْدُ. ٢ 2
इसलिए मैंने मरे हुओं को जो मर चुके हैं, उन जीवितों से जो अब तक जीवित हैं अधिक धन्य कहा;
وَخَيْرٌ مِنْ كِلَيْهِمَا ٱلَّذِي لَمْ يُولَدْ بَعْدُ، ٱلَّذِي لَمْ يَرَ ٱلْعَمَلَ ٱلرَّدِيءَ ٱلَّذِي عُمِلَ تَحْتَ ٱلشَّمْسِ. ٣ 3
वरन् उन दोनों से अधिक अच्छा वह है जो अब तक हुआ ही नहीं, न यह बुरे काम देखे जो सूर्य के नीचे होते हैं।
وَرَأَيْتُ كُلَّ ٱلتَّعَبِ وَكُلَّ فَلَاحِ عَمَلٍ أَنَّهُ حَسَدُ ٱلْإِنْسَانِ مِنْ قَرِيبِهِ. وَهَذَا أَيْضًا بَاطِلٌ وَقَبْضُ ٱلرِّيحِ. ٤ 4
तब मैंने सब परिश्रम के काम और सब सफल कामों को देखा जो लोग अपने पड़ोसी से जलन के कारण करते हैं। यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।
اَلْكَسْلَانُ يَأْكُلُ لَحْمَهُ وَهُوَ طَاوٍ يَدَيْهِ. ٥ 5
मूर्ख छाती पर हाथ रखे रहता और अपना माँस खाता है।
حُفْنَةُ رَاحَةٍ خَيْرٌ مِنْ حُفْنَتَيْ تَعَبٍ وَقَبْضِ ٱلرِّيحِ. ٦ 6
चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और वायु को पकड़ना हो।
ثُمَّ عُدْتُ وَرَأَيْتُ بَاطِلًا تَحْتَ ٱلشَّمْسِ: ٧ 7
फिर मैंने सूर्य के नीचे यह भी व्यर्थ बात देखी।
يُوجَدُ وَاحِدٌ وَلَا ثَانِيَ لَهُ، وَلَيْسَ لَهُ ٱبْنٌ وَلَا أَخٌ، وَلَا نِهَايَةَ لِكُلِّ تَعَبِهِ، وَلَا تَشْبَعُ عَيْنُهُ مِنَ ٱلْغِنَى. فَلِمَنْ أَتْعَبُ أَنَا وَأُحَرِّمُ نَفْسِي ٱلْخَيْرَ؟ هَذَا أَيْضًا بَاطِلٌ وَأَمْرٌ رَدِيءٌ هُوَ. ٨ 8
कोई अकेला रहता और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तो भी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आँखें धन से सन्तुष्ट होती हैं, और न वह कहता है, मैं किसके लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूँ? यह भी व्यर्थ और निरा दुःख भरा काम है।
اِثْنَانِ خَيْرٌ مِنْ وَاحِدٍ، لِأَنَّ لَهُمَا أُجْرَةً لِتَعَبِهِمَا صَالِحَةً. ٩ 9
एक से दो अच्छे हैं, क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है।
لِأَنَّهُ إِنْ وَقَعَ أَحَدُهُمَا يُقِيمُهُ رَفِيقُهُ. وَوَيْلٌ لِمَنْ هُوَ وَحْدَهُ إِنْ وَقَعَ، إِذْ لَيْسَ ثَانٍ لِيُقِيمَهُ. ١٠ 10
१०क्योंकि यदि उनमें से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा; परन्तु हाय उस पर जो अकेला होकर गिरे और उसका कोई उठानेवाला न हो।
أَيْضًا إِنِ ٱضْطَجَعَ ٱثْنَانِ يَكُونُ لَهُمَا دِفْءٌ، أَمَّا ٱلْوَحْدُ فَكَيْفَ يَدْفَأُ؟ ١١ 11
११फिर यदि दो जन एक संग सोएँ तो वे गर्म रहेंगे, परन्तु कोई अकेला कैसे गर्म हो सकता है?
وَإِنْ غَلَبَ أَحَدٌ عَلَى ٱلْوَاحِدِ يَقِفُ مُقَابَلَهُ ٱلِٱثْنَانِ، وَٱلْخَيْطُ ٱلْمَثْلُوثُ لَا يَنْقَطِعُ سَرِيعًا. ١٢ 12
१२यदि कोई अकेले पर प्रबल हो तो हो, परन्तु दो उसका सामना कर सकेंगे। जो डोरी तीन तागे से बटी हो वह जल्दी नहीं टूटती।
وَلَدٌ فَقِيرٌ وَحَكِيمٌ خَيْرٌ مِنْ مَلِكٍ شَيْخٍ جَاهِلٍ، ٱلَّذِي لَا يَعْرِفُ أَنْ يُحَذَّرَ بَعْدُ. ١٣ 13
१३बुद्धिमान लड़का दरिद्र होने पर भी ऐसे बूढ़े और मूर्ख राजा से अधिक उत्तम है जो फिर सम्मति ग्रहण न करे,
لِأَنَّهُ مِنَ ٱلسِّجْنِ خَرَجَ إِلَى ٱلْمُلْكِ، وَٱلْمَوْلُودُ مَلِكًا قَدْ يَفْتَقِرُ. ١٤ 14
१४चाहे वह उसके राज्य में धनहीन उत्पन्न हुआ या बन्दीगृह से निकलकर राजा हुआ हो।
رَأَيْتُ كُلَّ ٱلْأَحْيَاءِ ٱلسَّائِرِينَ تَحْتَ ٱلشَّمْسِ مَعَ ٱلْوَلَدِ ٱلثَّانِي ٱلَّذِي يَقُومُ عِوَضًا عَنْهُ. ١٥ 15
१५मैंने सब जीवितों को जो सूर्य के नीचे चलते फिरते हैं देखा कि वे उस दूसरे लड़के के संग हो लिये हैं जो उनका स्थान लेने के लिये खड़ा हुआ।
لَا نِهَايَةَ لِكُلِّ ٱلشَّعْبِ، لِكُلِّ ٱلَّذِينَ كَانَ أَمَامَهُمْ. أَيْضًا ٱلْمُتَأَخِّرُونَ لَا يَفْرَحُونَ بِهِ. فَهَذَا أَيْضًا بَاطِلٌ وَقَبْضُ ٱلرِّيحِ. ١٦ 16
१६वे सब लोग अनगिनत थे जिन पर वह प्रधान हुआ था। तो भी भविष्य में होनेवाले लोग उसके कारण आनन्दित न होंगे। निःसन्देह यह भी व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।

< اَلْجَامِعَةِ 4 >