< اَلتَّثْنِيَة 7 >

«مَتَى أَتَى بِكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَنْتَ دَاخِلٌ إِلَيْهَا لِتَمْتَلِكَهَا، وَطَرَدَ شُعُوبًا كَثِيرَةً مِنْ أَمَامِكَ: ٱلْحِثِّيِّينَ وَٱلْجِرْجَاشِيِّينَ وَٱلْأَمُورِيِّينَ وَٱلْكَنْعَانِيِّينَ وَٱلْفِرِزِّيِّينَ وَٱلْحِوِّيِّينَ وَٱلْيَبُوسِيِّينَ، سَبْعَ شُعُوبٍ أَكْثَرَ وَأَعْظَمَ مِنْكَ، ١ 1
“जब ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको उस मुल्क में, जिस पर क़ब्ज़ा करने के लिए तू जा रहा है पहुँचा दे, और तेरे आगे से उन बहुत सी क़ौमों को या'नी हित्तियों, और जिरजासियों, और अमोरियों, और कना'नियों, और फ़रिज़्ज़ियों, और हव्वियों, और यबूसियों को, जो सातों क़ौमें तुझसे बड़ी और ताक़तवर हैं निकाल दे।
وَدَفَعَهُمُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ أَمَامَكَ، وَضَرَبْتَهُمْ، فَإِنَّكَ تُحَرِّمُهُمْ. لَا تَقْطَعْ لَهُمْ عَهْدًا، وَلَا تُشْفِقْ عَلَيْهِمْ، ٢ 2
और जब ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उनको तेरे आगे शिकस्त दिलाए और तू उनको मार ले, तो तू उनको बिल्कुल हलाक कर डालना; तू उनसे कोई 'अहद न बांधना और न उन पर रहम करना।
وَلَا تُصَاهِرْهُمْ. بِنْتَكَ لَا تُعْطِ لِٱبْنِهِ، وَبِنْتَهُ لَا تَأْخُذْ لِٱبْنِكَ. ٣ 3
तू उनसे ब्याह शादी भी न करना, न उनके बेटों को अपनी बेटियाँ देना और न अपने बेटों के लिए उनकी बेटियाँ लेना।
لِأَنَّهُ يَرُدُّ ٱبْنَكَ مِنْ وَرَائِي فَيَعْبُدُ آلِهَةً أُخْرَى، فَيَحْمَى غَضَبُ ٱلرَّبِّ عَلَيْكُمْ وَيُهْلِكُكُمْ سَرِيعًا. ٤ 4
क्यूँकि वह तेरे बेटों को मेरी पैरवी से बरगश्ता कर देंगी, ताकि वह और मा'बूदों की इबादत करें। यूँ ख़ुदावन्द का ग़ज़ब तुम पर भड़केगा और वह तुझको जल्द हलाक कर देगा।
وَلَكِنْ هَكَذَا تَفْعَلُونَ بِهِمْ: تَهْدِمُونَ مَذَابِحَهُمْ، وَتُكَسِّرُونَ أَنْصَابَهُمْ، وَتُقَطِّعُونَ سَوَارِيَهُمْ، وَتُحْرِقُونَ تَمَاثِيلَهُمْ بِٱلنَّارِ. ٥ 5
बल्कि तुम उनसे यह सुलूक करना, कि उन के मज़बहों को ढा देना, उन के सुतूनों को टुकड़े — टुकड़े कर देना और उनकी यसीरतों को काट डालना, और उनकी तराशी हुई मूरतें आग में जला देना।
لِأَنَّكَ أَنْتَ شَعْبٌ مُقَدَّسٌ لِلرَّبِّ إِلَهِكَ. إِيَّاكَ قَدِ ٱخْتَارَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ لِتَكُونَ لَهُ شَعْبًا أَخَصَّ مِنْ جَمِيعِ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّذِينَ عَلَى وَجْهِ ٱلْأَرْضِ، ٦ 6
क्यूँकि तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए एक मुक़द्दस क़ौम हो, ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने तुझको इस ज़मीन की और सब क़ौमों में से चुन लिया है ताकि उसकी ख़ास उम्मत ठहरो।
لَيْسَ مِنْ كَوْنِكُمْ أَكْثَرَ مِنْ سَائِرِ ٱلشُّعُوبِ، ٱلْتَصَقَ ٱلرَّبُّ بِكُمْ وَٱخْتَارَكُمْ، لِأَنَّكُمْ أَقَلُّ مِنْ سَائِرِ ٱلشُّعُوبِ. ٧ 7
ख़ुदावन्द ने जो तुमसे मुहब्बत की और तुमको चुन लिया, तो इसकी वजह यह न थी कि तुम शुमार में और क़ौमों से ज़्यादा थे, क्यूँकि तुम सब क़ौमों से शुमार में कम थे;
بَلْ مِنْ مَحَبَّةِ ٱلرَّبِّ إِيَّاكُمْ، وَحِفْظِهِ ٱلْقَسَمَ ٱلَّذِي أَقْسَمَ لِآبَائِكُمْ، أَخْرَجَكُمُ ٱلرَّبُّ بِيَدٍ شَدِيدَةٍ وَفَدَاكُمْ مِنْ بَيْتِ ٱلْعُبُودِيَّةِ مِنْ يَدِ فِرْعَوْنَ مَلِكِ مِصْرَ. ٨ 8
बल्कि चूँकि ख़ुदावन्द को तुमसे मुहब्बत है और वह उस क़सम को जो उसने तुम्हारे बाप — दादा से खाई पूरा करना चाहता था, इसलिए ख़ुदावन्द तुमको अपने ताक़तवर हाथ से निकाल लाया, और ग़ुलामी के घर या'नी मिस्र के बादशाह फ़िर'औन के हाथ से तुमको छुटकारा बख़्शा।
فَٱعْلَمْ أَنَّ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ هُوَ ٱللهُ، ٱلْإِلَهُ ٱلْأَمِينُ، ٱلْحَافِظُ ٱلْعَهْدَ وَٱلْإِحْسَانَ لِلَّذِينَ يُحِبُّونَهُ وَيَحْفَظُونَ وَصَايَاهُ إِلَى أَلْفِ جِيلٍ، ٩ 9
इसलिए जान लो कि ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा वही ख़ुदा है। वह वफ़ादार ख़ुदा है, और जो उससे मुहब्बत रखते और उसके हुक्मों को मानते हैं, उनके साथ हज़ार नसल तक वह अपने 'अहद को क़ाईम रखता और उन पर रहम करता है।
وَٱلْمُجَازِي ٱلَّذِينَ يُبْغِضُونَهُ بِوُجُوهِهِمْ لِيُهْلِكَهُمْ. لَا يُمْهِلُ مَنْ يُبْغِضُهُ. بِوَجْهِهِ يُجَازِيهِ. ١٠ 10
और जो उससे 'अदावत रखते हैं, उनको उनके देखते ही देखते बदला देकर हलाक कर डालता है, वह उसके बारे में जो उससे 'अदावत रखता है देर न करेगा, बल्कि उसी के देखते — देखते उसे बदला देगा।
فَٱحْفَظِ ٱلْوَصَايَا وَٱلْفَرَائِضَ وَٱلْأَحْكَامَ ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكَ ٱلْيَوْمَ لِتَعْمَلَهَا. ١١ 11
इसलिए जो फ़रमान और आईन और अहकाम मैं आज के दिन तुझको बताता हूँ तू उनको मानना और उन पर 'अमल करना।
«وَمِنْ أَجْلِ أَنَّكُمْ تَسْمَعُونَ هَذِهِ ٱلْأَحْكَامَ وَتَحْفَظُونَ وَتَعْمَلُونَهَا، يَحْفَظُ لَكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ ٱلْعَهْدَ وَٱلْإِحْسَانَ ٱللَّذَيْنِ أَقْسَمَ لِآبَائِكَ، ١٢ 12
और तुम्हारे इन हुक्मों को सुनने और मानने और उन पर 'अमल करने की वजह से ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा भी तेरे साथ उस 'अहद और रहमत को क़ाईम रख्खेगा, जिसकी क़सम उसने तुम्हारे बाप — दादा से खाई,
وَيُحِبُّكَ وَيُبَارِكُكَ وَيُكَثِّرُكَ وَيُبَارِكُ ثَمَرَةَ بَطْنِكَ وَثَمَرَةَ أَرْضِكَ: قَمْحَكَ وَخَمْرَكَ وَزَيْتَكَ وَنِتَاجَ بَقَرِكَ وَإِنَاثَ غَنَمِكَ، عَلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَقْسَمَ لِآبَائِكَ أَنَّهُ يُعْطِيكَ إِيَّاهَا. ١٣ 13
और तुझसे मुहब्बत रख्खेगा और तुझको बरकत देगा और बढ़ाएगा; और उस मुल्क में जिसे तुझको देने की क़सम उसने तेरे बाप — दादा से खाई वह तेरी औलाद पर, और तेरी ज़मीन की पैदावार या'नी तुम्हारे ग़ल्ले, और मय, और तेल पर, और तेरे गाय — बैल के और भेड़ — बकरियों के बच्चों पर बरकत नाज़िल करेगा।
مُبَارَكًا تَكُونُ فَوْقَ جَمِيعِ ٱلشُّعُوبِ. لَا يَكُونُ عَقِيمٌ وَلَا عَاقِرٌ فِيكَ وَلَا فِي بَهَائِمِكَ. ١٤ 14
तुझको सब क़ौमों से ज़्यादा बरकत दी जाएगी, और तुम में या तुम्हारे चौपायों में न तो कोई 'अक़ीम होगा न बाँझ।
وَيَرُدُّ ٱلرَّبُّ عَنْكَ كُلَّ مَرَضٍ، وَكُلَّ أَدْوَاءِ مِصْرَ ٱلرَّدِيئَةِ ٱلَّتِي عَرَفْتَهَا لَا يَضَعُهَا عَلَيْكَ، بَلْ يَجْعَلُهَا عَلَى كُلِّ مُبْغِضِيكَ. ١٥ 15
और ख़ुदावन्द हर क़िस्म की बीमारी तुझ से दूर करेगा और मिस्र के उन बुरे रोगों को जिनसे तुम वाक़िफ़ हो तुझको लगने न देगा, बल्कि उनको उन पर जो तुझ से 'अदावत रखते हैं नाज़िल करेगा।
وَتَأْكُلُ كُلَّ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّذِينَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ يَدْفَعُ إِلَيْكَ. لَا تُشْفِقْ عَيْنَاكَ عَلَيْهِمْ وَلَا تَعْبُدْ آلِهَتَهُمْ، لِأَنَّ ذَلِكَ شَرَكٌ لَكَ. ١٦ 16
और तू उन सब क़ौमों को, जिनको ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे क़ाबू में कर देगा नाबूद कर डालना। तू उन पर तरस न खाना और न उनके मा'बूदों की इबादत करना, वर्ना यह तुम्हारे लिए एक जाल होगा।
إِنْ قُلْتَ فِي قَلْبِكَ: هَؤُلَاءِ ٱلشُّعُوبُ أَكْثَرُ مِنِّي. كَيْفَ أَقْدِرُ أَنْ أَطْرُدَهُمْ؟ ١٧ 17
और अगर तेरा दिल भी यह कहे कि ये क़ौमें तो मुझसे ज़्यादा हैं, हम उनको क्यूँ कर निकालें?
فَلَا تَخَفْ مِنْهُمُ. ٱذْكُرْ مَا فَعَلَهُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ بِفِرْعَوْنَ وَبِجَمِيعِ ٱلْمِصْرِيِّينَ. ١٨ 18
तोभी तू उनसे न डरना, बल्कि जो कुछ ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने फ़िर'औन और सारे मिस्र से किया उसे ख़ूब याद रखना;
ٱلتَّجَارِبَ ٱلْعَظِيمَةَ ٱلَّتِي أَبْصَرَتْهَا عَيْنَاكَ، وَٱلْآيَاتِ وَٱلْعَجَائِبَ وَٱلْيَدَ ٱلشَّدِيدَةَ وَٱلذِّرَاعَ ٱلرَّفِيعَةَ ٱلَّتِي بِهَا أَخْرَجَكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ. هَكَذَا يَفْعَلُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ بِجَمِيعِ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّتِي أَنْتَ خَائِفٌ مِنْ وَجْهِهَا. ١٩ 19
या'नी उन बड़े — बड़े तजरिबों को जिनको तेरी आँखों ने देखा, और उन निशान और मो'जिज़ों और ताक़तवर हाथ और बलन्द बाज़ू को जिनसे ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको निकाल लाया; क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा ऐसा ही उन सब क़ौमों से करेगा जिनसे तू डरता है।
«وَٱلزَّنَابِيرُ أَيْضًا يُرْسِلُهَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ عَلَيْهِمْ حَتَّى يَفْنَى ٱلْبَاقُونَ وَٱلْمُخْتَفُونَ مِنْ أَمَامِكَ. ٢٠ 20
बल्कि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उनमें ज़म्बूरों को भेज देगा, यहाँ तक कि जो उनमें से बाक़ी बच कर छिप जाएँगे वह भी तेरे आगे से हलाक हो जाएँगे।
لَا تَرْهَبْ وُجُوهَهُمْ، لِأَنَّ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ فِي وَسَطِكَ إِلَهٌ عَظِيمٌ وَمَخُوفٌ. ٢١ 21
इसलिए तू उनसे दहशत न खाना; क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे बीच में है, और वह ख़ुदा — ए — 'अज़ीम और मुहीब है।
وَلَكِنَّ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ يَطْرُدُ هَؤُلَاءِ ٱلشُّعُوبَ مِنْ أَمَامِكَ قَلِيلًا قَلِيلًا. لَا تَسْتَطِيعُ أَنْ تُفْنِيَهُمْ سَرِيعًا، لِئَلَّا تَكْثُرَ عَلَيْكَ وُحُوشُ ٱلْبَرِّيَّةِ. ٢٢ 22
और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उन क़ौमों को तेरे आगे से थोड़ा — थोड़ा करके दफ़ा' करेगा। तू एक ही दम उनको हलाक न करना, ऐसा न हो कि जंगली दरिन्दे बढ़ कर तुझ पर हमला करने लगें।
وَيَدْفَعُهُمُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ أَمَامَكَ وَيُوقِعُ بِهِمِ ٱضْطِرَابًا عَظِيمًا حَتَّى يَفْنَوْا. ٢٣ 23
बल्कि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उनको तेरे हवाले करेगा, और उनको ऐसी शिकस्त — ए — फ़ाश देगा कि वह हलाक हो जाएँगे।
وَيَدْفَعُ مُلُوكَهُمْ إِلَى يَدِكَ، فَتَمْحُو ٱسْمَهُمْ مِنْ تَحْتِ ٱلسَّمَاءِ. لَا يَقِفُ إِنْسَانٌ فِي وَجْهِكَ حَتَّى تُفْنِيَهُمْ. ٢٤ 24
और वह उनके बादशाहों को तेरे क़ाबू में कर देगा, और तू उनका नाम सफ़ह — ए — रोज़गार से मिटा डालेगा; और कोई मर्द तेरा सामना न कर सकेगा, यहाँ तक कि तू उनको हलाक कर देगा।
وَتَمَاثِيلَ آلِهَتِهِمْ تُحْرِقُونَ بِٱلنَّارِ. لَا تَشْتَهِ فِضَّةً وَلَا ذَهَبًا مِمَّا عَلَيْهَا لِتَأْخُذَ لَكَ، لِئَلَّا تُصَادَ بِهِ لِأَنَّهُ رِجْسٌ عِنْدَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ. ٢٥ 25
तुम उनके मा'बूदों की तराशी हुई मूरतों को आग से जला देना और जो चाँदी या सोना उन पर हो उसका तू लालच न करना और न उसे लेना, ऐसा न हो कि तू उसके फन्दे में फँस जाए क्यूँकि ऐसी बात ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा के आगे मकरूह है।
وَلَا تُدْخِلْ رِجْسًا إِلَى بَيْتِكَ لِئَلَّا تَكُونَ مُحَرَّمًا مِثْلَهُ. تَسْتَقْبِحُهُ وَتَكْرَهُهُ لِأَنَّهُ مُحَرَّمٌ. ٢٦ 26
इसलिए तू ऐसी मकरूह चीज़ अपने घर में लाकर उसकी तरह नेस्त कर दिए जाने के लायक़ न बन जाना, बल्कि तू उससे बहुत ही नफ़रत करना और उससे बिल्कुल नफ़रत रखना; क्यूँकि वह मलाऊन चीज़ है।

< اَلتَّثْنِيَة 7 >