< اَلتَّثْنِيَة 4 >

«فَٱلْآنَ يَا إِسْرَائِيلُ ٱسْمَعِ ٱلْفَرَائِضَ وَٱلْأَحْكَامَ ٱلَّتِي أَنَا أُعَلِّمُكُمْ لِتَعْمَلُوهَا، لِكَيْ تَحْيَوْا وَتَدْخُلُوا وَتَمْتَلِكُوا ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي ٱلرَّبُّ إِلَهُ آبَائِكُمْ يُعْطِيكُمْ. ١ 1
“और अब ऐ इस्राईलियो, जो आईन और अहकाम मैं तुमको सिखाता हूँ तुम उन पर 'अमल करने के लिए उनको सुन लो, ताकि तुम ज़िन्दा रहो और उस मुल्क में जिसे ख़ुदावन्द तुम्हारे बाप — दादा का ख़ुदा तुमको देता है, दाख़िल हो कर उस पर क़ब्ज़ा कर लो।
لَا تَزِيدُوا عَلَى ٱلْكَلَامِ ٱلَّذِي أَنَا أُوصِيكُمْ بِهِ وَلَا تُنَقِّصُوا مِنْهُ، لِكَيْ تَحْفَظُوا وَصَايَا ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمُ ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكُمْ بِهَا. ٢ 2
जिस बात का मैं तुमको हुक्म देता हूँ, उसमें न तो कुछ बढ़ाना और न कुछ घटाना; ताकि तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के हुक्मों को जो मैं तुमको बताता हूँ मान सको।
أَعْيُنُكُمْ قَدْ أَبْصَرَتْ مَا فَعَلَهُ ٱلرَّبُّ بِبَعْلَ فَغُورَ. إِنَّ كُلَّ مَنْ ذَهَبَ وَرَاءَ بَعْلَ فَغُورَ أَبَادَهُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ مِنْ وَسَطِكُمْ، ٣ 3
जो कुछ ख़ुदावन्द ने बा'ल फ़ग़ूर की वजह से किया, वह तुमने अपनी आँखों से देखा है; क्यूँकि उन सब आदमियों को जिन्होंने बा'ल फ़ग़ूर की पैरवी की, ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने तुम्हारे बीच से नाबूद कर दिया।
وَأَمَّا أَنْتُمُ ٱلْمُلْتَصِقُونَ بِٱلرَّبِّ إِلَهِكُمْ فَجَمِيعُكُمْ أَحْيَاءٌ ٱلْيَوْمَ. ٤ 4
पर तुम जो ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से लिपटे रहे हो, सब के सब आज तक ज़िन्दा हो।
اُنْظُرْ. قَدْ عَلَّمْتُكُمْ فَرَائِضَ وَأَحْكَامًا كَمَا أَمَرَنِي ٱلرَّبُّ إِلَهِي، لِكَيْ تَعْمَلُوا هَكَذَا فِي ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَنْتُمْ دَاخِلُونَ إِلَيْهَا لِكَيْ تَمْتَلِكُوهَا. ٥ 5
देखो, जैसा ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा ने मुझे हुक्म दिया, उसके मुताबिक़ मैंने तुमको आईन और अहकाम सिखा दिए हैं; ताकि उस मुल्क में उन पर 'अमल करो जिस पर क़ब्ज़ा करने के लिए जा रहे हो।
فَٱحْفَظُوا وَٱعْمَلُوا. لِأَنَّ ذَلِكَ حِكْمَتُكُمْ وَفِطْنَتُكُمْ أَمَامَ أَعْيُنِ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّذِينَ يَسْمَعُونَ كُلَّ هَذِهِ ٱلْفَرَائِضِ، فَيَقُولُونَ: هَذَا ٱلشَّعْبُ ٱلْعَظِيمُ إِنَّمَا هُوَ شَعْبٌ حَكِيمٌ وَفَطِنٌ. ٦ 6
इसलिए तुम इनको मानना और 'अमल में लाना, क्यूँकि और क़ौमों के सामने यही तुम्हारी 'अक़्ल और दानिश ठहरेंगे। वह इन तमाम क़वानीन को सुन कर कहेंगी, कि यक़ीनन ये बुज़ुर्ग क़ौम निहायत 'अक़्लमन्द और समझदार है।
لِأَنَّهُ أَيُّ شَعْبٍ هُوَ عَظِيمٌ لَهُ آلِهَةٌ قَرِيبَةٌ مِنْهُ كَٱلرَّبِّ إِلَهِنَا فِي كُلِّ أَدْعِيَتِنَا إِلَيْهِ؟ ٧ 7
क्यूँकि ऐसी बड़ी क़ौम कौन है जिसका मा'बूद इस क़द्र उसके नज़दीक हो जैसा ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा, कि जब कभी हम उससे दुआ करें हमारे नज़दीक है?
وَأَيُّ شَعْبٍ هُوَ عَظِيمٌ لَهُ فَرَائِضُ وَأَحْكَامٌ عَادِلَةٌ مِثْلُ كُلِّ هَذِهِ ٱلشَّرِيعَةِ ٱلَّتِي أَنَا وَاضِعٌ أَمَامَكُمُ ٱلْيَوْمَ؟ ٨ 8
और कौन ऐसी बुज़ुर्ग क़ौम है जिसके आईन और अहकाम ऐसे रास्त हैं जैसी ये सारी शरी'अत है, जिसे मैं आज तुम्हारे सामने रखता हूँ।
«إِنَّمَا ٱحْتَرِزْ وَٱحفَظْ نَفْسَكَ جِدًّا لِئَلَّا تَنْسَى ٱلْأُمُورَ ٱلَّتِي أَبْصَرَتْ عَيْنَاكَ، وَلِئَلَّا تَزُولَ مِنْ قَلْبِكَ كُلَّ أَيَّامِ حَيَاتِكَ. وَعَلِّمْهَا أَوْلَادَكَ وَأَوْلَادَ أَوْلَادِكَ. ٩ 9
“इसलिए तुम ज़रूर ही अपनी एहतियात रखना और बड़ी हिफ़ाज़त करना, ऐसा न हो कि तुम वह बातें जो तुमने अपनी आँख से देखी हैं भूल जाओ और वह ज़िन्दगी भर के लिए तुम्हारे दिल से जाती रहें; बल्कि तुम उनको अपने बेटों और पोतों को सिखाना।
فِي ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي وَقَفْتَ فِيهِ أَمَامَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ فِي حُورِيبَ حِينَ قَالَ لِي ٱلرَّبُّ: ٱجْمَعْ لِي ٱلشَّعْبَ فَأُسْمِعَهُمْ كَلَامِي، لِكَيْ يَتَعَلَّمُوا أَنْ يَخَافُونِي كُلَّ ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي هُمْ فِيهَا أَحْيَاءٌ عَلَى ٱلْأَرْضِ، وَيُعَلِّمُوا أَوْلَادَهُمْ. ١٠ 10
ख़ासकर उस दिन की बातें, जब तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सामने होरिब में खड़ा हुआ; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने मुझसे कहा था, कि क़ौम को मेरे सामने जमा' कर और मैं उनको अपनी बातें सुनाऊँगा ताकि वह ये सीखें कि ज़िन्दगी भर, जब तक ज़मीन पर ज़िन्दा रहें मेरा ख़ौफ़ मानें और अपने बाल — बच्चों को भी यही सिखाएँ।
فَتَقَدَّمْتُمْ وَوَقَفْتُمْ فِي أَسْفَلِ ٱلْجَبَلِ، وَٱلْجَبَلُ يَضْطَرِمُ بِٱلنَّارِ إِلَى كَبِدِ ٱلسَّمَاءِ، بِظَلَامٍ وَسَحَابٍ وَضَبَابٍ. ١١ 11
चुनाँचे तुम नज़दीक जाकर उस पहाड़ के नीचे खड़े हुए, और वह पहाड़ आग से दहक रहा था और उसकी लौ आसमान तक पहुँचती थी और चारों तरफ़ तारीकी और घटा और ज़ुलमत थी।
فَكَلَّمَكُمُ ٱلرَّبُّ مِنْ وَسَطِ ٱلنَّارِ وَأَنْتُمْ سَامِعُونَ صَوْتَ كَلَامٍ، وَلَكِنْ لَمْ تَرَوْا صُورَةً بَلْ صَوْتًا. ١٢ 12
और ख़ुदावन्द ने उस आग में से होकर तुमसे कलाम किया; तुमने बातें तो सुनीं लेकिन कोई सूरत न देखी, सिर्फ़ आवाज़ ही आवाज़ सुनी।
وَأَخْبَرَكُمْ بِعَهْدِهِ ٱلَّذِي أَمَرَكُمْ أَنْ تَعْمَلُوا بِهِ، ٱلْكَلِمَاتِ ٱلْعَشَرِ، وَكَتَبَهُ عَلَى لَوْحَيْ حَجَرٍ. ١٣ 13
और उसने तुमको अपने 'अहद के दसों अहकाम बताकर उनके मानने का हुक्म दिया, और उनको पत्थर की दो तख़्तियों पर लिख भी दिया।
وَإِيَّايَ أَمَرَ ٱلرَّبُّ فِي ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ أَنْ أُعَلِّمَكُمْ فَرَائِضَ وَأَحْكَامًا لِكَيْ تَعْمَلُوهَا فِي ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَنْتُمْ عَابِرُونَ إِلَيْهَا لِتَمْتَلِكُوهَا. ١٤ 14
उस वक़्त ख़ुदावन्द ने मुझे हुक्म दिया, कि तुमको यह आईन और अहकाम सिखाऊँ ताकि तुम उस मुल्क में जिस पर क़ब्ज़ा करने के लिए जा रहे हो, उन पर 'अमल करो।
«فَٱحْتَفِظُوا جِدًّا لِأَنْفُسِكُمْ. فَإِنَّكُمْ لَمْ تَرَوْا صُورَةً مَّا يَوْمَ كَلَّمَكُمُ ٱلرَّبُّ فِي حُورِيبَ مِنْ وَسَطِ ٱلنَّارِ. ١٥ 15
“इसलिए तुम अपनी ख़ूब ही एहतियात रखना; क्यूँकि तुमने उस दिन जब ख़ुदावन्द ने आग में से होकर होरिब में तुमसे कलाम किया, किसी तरह की कोई सूरत नहीं देखी।
لِئَلَّا تَفْسُدُوا وَتَعْمَلُوا لِأَنْفُسِكُمْ تِمْثَالًا مَنْحُوتًا، صُورَةَ مِثَالٍ مَّا، شِبْهَ ذَكَرٍ أَوْ أُنْثَى، ١٦ 16
ऐसा न हो कि तुम बिगड़कर किसी शक्ल या सूरत की खोदी हुई मूरत अपने लिए बना लो, जिसकी शबीह किसी मर्द या 'औरत,
شِبْهَ بَهِيمَةٍ مَّا مِمَّا عَلَى ٱلْأَرْضِ، شِبْهَ طَيْرٍ مَّا ذِي جَنَاحٍ مِمَّا يَطِيرُ فِي ٱلسَّمَاءِ، ١٧ 17
या ज़मीन के किसी हैवान या हवा में उड़ने वाले परिन्दे,
شِبْهَ دَبِيبٍ مَّا عَلَى ٱلْأَرْضِ، شِبْهَ سَمَكٍ مَّا مِمَّا فِي ٱلْمَاءِ مِنْ تَحْتِ ٱلْأَرْضِ. ١٨ 18
या ज़मीन के रेंगनेवाले जानदार या मछली से, जो ज़मीन के नीचे पानी में रहती है मिलती हो;
وَلِئَلَّا تَرْفَعَ عَيْنَيْكَ إِلَى ٱلسَّمَاءِ، وَتَنْظُرَ ٱلشَّمْسَ وَٱلْقَمَرَ وَٱلنُّجُومَ، كُلَّ جُنْدِ ٱلسَّمَاءِ ٱلَّتِي قَسَمَهَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ لِجَمِيعِ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّتِي تَحْتَ كُلِّ ٱلسَّمَاءِ، فَتَغْتَرَّ وَتَسْجُدَ لَهَا وَتَعْبُدَهَا. ١٩ 19
या जब तू आसमान की तरफ नज़र करे और तमाम अजराम — ए — फ़लक या'नी सूरज और चाँद और तारों को देखे, तो गुमराह होकर उन्हीं को सिज्दा और उनकी इबादत करने लगे जिनको ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने इस ज़मीन की सब क़ौमों के लिए रख्खा है।
وَأَنْتُمْ قَدْ أَخَذَكُمُ ٱلرَّبُّ وَأَخْرَجَكُمْ مِنْ كُورِ ٱلْحَدِيدِ مِنْ مِصْرَ، لِكَيْ تَكُونُوا لَهُ شَعْبَ مِيرَاثٍ كَمَا فِي هَذَا ٱلْيَوْمِ. ٢٠ 20
लेकिन ख़ुदावन्द ने तुमको चुना, और तुमको जैसे लोहे की भट्टी या'नी मिस्र से निकाल ले आया है ताकि तुम उसकी मीरास के लोग ठहरो, जैसा आज ज़ाहिर है।
وَغَضِبَ ٱلرَّبُّ عَلَيَّ بِسَبَبِكُمْ، وَأَقْسَمَ إِنِّي لَا أَعْبُرُ ٱلْأُرْدُنَّ وَلَا أَدْخُلُ ٱلْأَرْضَ ٱلْجَيِّدَةَ ٱلَّتِي ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ يُعْطِيكَ نَصِيبًا. ٢١ 21
और तुम्हारी ही वजह से ख़ुदावन्द ने मुझसे नाराज़ होकर क़सम खाई, कि मैं यरदन पार न जाऊँ और न उस अच्छे मुल्क में पहुँचने पाऊँ, जिसे ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा मीरास के तौर पर तुझको देता है;
فَأَمُوتُ أَنَا فِي هَذِهِ ٱلْأَرْضِ، لَا أَعْبُرُ ٱلْأُرْدُنَّ، وَأَمَّا أَنْتُمْ فَتَعْبُرُونَ وَتَمْتَلِكُونَ تِلْكَ ٱلْأَرْضَ ٱلْجَيِّدَةَ. ٢٢ 22
बल्कि मुझे इसी मुल्क में मरना है, मैं यरदन पार नहीं जा सकता; लेकिन तुम पार जाकर उस अच्छे मुल्क पर क़ब्ज़ा करोगे।
اِحْتَرِزُوا مِنْ أَنْ تَنْسَوْا عَهْدَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمُ ٱلَّذِي قَطَعَهُ مَعَكُمْ، وَتَصْنَعُوا لِأَنْفُسِكُمْ تِمْثَالًا مَنْحُوتًا، صُورَةَ كُلِّ مَا نَهَاكَ عَنْهُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ. ٢٣ 23
इसलिए तुम एहतियात रखो, ऐसा न हो कि तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के उस 'अहद को जो उसने तुमसे बाँधा है भूल जाओ, और अपने लिए किसी चीज़ की शबीह की खोदी हुई मूरत बना लो जिसे ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझको मना' किया है
لِأَنَّ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ هُوَ نَارٌ آكِلَةٌ، إِلَهٌ غَيُورٌ. ٢٤ 24
क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा भसम करने वाली आग है; वह ग़य्यूर ख़ुदा है।
«إِذَا وَلَدْتُمْ أَوْلَادًا وَأَوْلَادَ أَوْلَادٍ، وَأَطَلْتُمُ ٱلزَّمَانَ فِي ٱلْأَرْضِ، وَفَسَدْتُمْ وَصَنَعْتُمْ تِمْثَالًا مَنْحُوتًا صُورَةَ شَيْءٍ مَّا، وَفَعَلْتُمُ ٱلشَّرَّ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمْ لِإِغَاظَتِهِ، ٢٥ 25
और जब तुझसे बेटे और पोते पैदा हों और तुमको उस मुल्क में रहते हुए एक ज़माना हो जाए, और तुम बिगड़कर किसी चीज़ की शबीह की खोदी हुई मूरत बना लो, और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के सामने शरारत करके उसे ग़ुस्सा दिलाओ;
أُشْهِدُ عَلَيْكُمُ ٱلْيَوْمَ ٱلسَّمَاءَ وَٱلْأَرْضَ أَنَّكُمْ تَبِيدُونَ سَرِيعًا عَنِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَنْتُمْ عَابِرُونَ ٱلْأُرْدُنَّ إِلَيْهَا لِتَمْتَلِكُوهَا. لَا تُطِيلُونَ ٱلْأَيَّامَ عَلَيْهَا، بَلْ تَهْلِكُونَ لَا مَحَالَةَ. ٢٦ 26
तो मैं आज के दिन तुम्हारे बरख़िलाफ़ आसमान और ज़मीन को गवाह बनाता हूँ कि तुम उस मुल्क से, जिस पर क़ब्ज़ा करने को यरदन पार जाने पर हो, जल्द बिल्कुल फ़ना हो जाओगे; तुम वहाँ बहुत दिन रहने न पाओगे बल्कि बिल्कुल नाबूद कर दिए जाओगे।
وَيُبَدِّدُكُمُ ٱلرَّبُّ فِي ٱلشُّعُوبِ، فَتَبْقَوْنَ عَدَدًا قَلِيلًا بَيْنَ ٱلْأُمَمِ ٱلَّتِي يَسُوقُكُمُ ٱلرَّبُّ إِلَيْهَا. ٢٧ 27
और ख़ुदावन्द तुमको क़ौमों में तितर बितर करेगा; और जिन क़ौमों के बीच ख़ुदावन्द तुमको पहुँचाएगा उनमें तुम थोड़े से रह जाओगे।
وَتَصْنَعُونَ هُنَاكَ آلِهَةً صَنْعَةَ أَيْدِي ٱلنَّاسِ مِنْ خَشَبٍ وَحَجَرٍ مِمَّا لَا يُبْصِرُ وَلَا يَسْمَعُ وَلَا يَأْكُلُ وَلَا يَشُمُّ. ٢٨ 28
और वहाँ तुम आदमियों के हाथ के बने हुए लकड़ी और पत्थर के मा'बूदों की इबादत करोगे, जो न देखते न सुनते न खाते न सूँघते हैं।
ثُمَّ إِنْ طَلَبْتَ مِنْ هُنَاكَ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ تَجِدْهُ إِذَا ٱلْتَمَسْتَهُ بِكُلِّ قَلْبِكَ وَبِكُلِّ نَفْسِكَ. ٢٩ 29
लेकिन वहाँ भी अगर तुम ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के तालिब हो तो वह तुझको मिल जाएगा, बशर्ते कि तुम अपने पूरे दिल से और अपनी सारी जान से उसे ढूँढो।
عِنْدَمَا ضُيِّقَ عَلَيْكَ وَأَصَابَتْكَ كُلُّ هَذِهِ ٱلْأُمُورِ فِي آخِرِ ٱلْأَيَّامِ، تَرْجِعُ إِلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ وَتَسْمَعُ لِقَوْلِهِ، ٣٠ 30
जब तू मुसीबत में पड़ेगा और यह सब बातें तुझ पर गुज़रेंगी तो आख़िरी दिनों में तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की तरफ़ फिरेगा और उसकी मानेगा;
لِأَنَّ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ إِلَهٌ رَحِيمٌ، لَا يَتْرُكُكَ وَلَا يُهْلِكُكَ وَلَا يَنْسَى عَهْدَ آبَائِكَ ٱلَّذِي أَقْسَمَ لَهُمْ عَلَيْهِ. ٣١ 31
क्यूँकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा, रहीम ख़ुदा है, वह तुझको न तो छोड़ेगा और न हलाक करेगा और न उस 'अहद को भूलेगा जिसकी क़सम उसने तुम्हारे बाप — दादा से खाई।
«فَٱسْأَلْ عَنِ ٱلْأَيَّامِ ٱلْأُولَى ٱلَّتِي كَانَتْ قَبْلَكَ، مِنَ ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي خَلَقَ ٱللهُ فِيهِ ٱلْإِنْسَانَ عَلَى ٱلْأَرْضِ، وَمِنْ أَقْصَاءِ ٱلسَّمَاءِ إِلَى أَقْصَائِهَا. هَلْ جَرَى مِثْلُ هَذَا ٱلْأَمْرِ ٱلْعَظِيمِ، أَوْ هَلْ سُمِعَ نَظِيرُهُ؟ ٣٢ 32
“और जब से ख़ुदा ने इंसान को ज़मीन पर पैदा किया, तब से शुरू' करके तुम उन गुज़रे दिनों का हाल जो तुमसे पहले हो चुके पूछ, और आसमान के एक सिरे से दूसरे सिरे तक दरियाफ़्त कर, कि इतनी बड़ी वारदात की तरह कभी कोई बात हुई या सुनने में भी आई?
هَلْ سَمِعَ شَعْبٌ صَوْتَ ٱللهِ يَتَكَلَّمُ مِنْ وَسَطِ ٱلنَّارِ كَمَا سَمِعْتَ أَنْتَ، وَعَاشَ؟ ٣٣ 33
क्या कभी कोई क़ौम ख़ुदा की आवाज़ जैसे तू ने सुनी, आग में से आती हुई सुन कर ज़िन्दा बची है?
أَوْ هَلْ شَرَعَ ٱللهُ أَنْ يَأْتِيَ وَيَأْخُذَ لِنَفْسِهِ شَعْبًا مِنْ وَسَطِ شَعْبٍ، بِتَجَارِبَ وَآيَاتٍ وَعَجَائِبَ وَحَرْبٍ وَيَدٍ شَدِيدَةٍ وَذِرَاعٍ رَفِيعَةٍ وَمَخَاوِفَ عَظِيمَةٍ، مِثْلَ كُلِّ مَا فَعَلَ لَكُمُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ فِي مِصْرَ أَمَامَ أَعْيُنِكُمْ؟ ٣٤ 34
या कभी ख़ुदा ने एक क़ौम को किसी दूसरी क़ौम के बीच से निकालने का इरादा करके, इम्तिहानों और निशान और मो'जिज़ों और जंग और ताक़तवर हाथ और बलन्द बाज़ू और हौलनाक माजरों के वसीले से, उनको अपनी ख़ातिर बरगुज़ीदा करने के लिए वह काम किए जो ख़ुदावन्द तुम्हारे ख़ुदा ने तुम्हारी आँखों के सामने मिस्र में तुम्हारे लिए किए?
إِنَّكَ قَدْ أُرِيتَ لِتَعْلَمَ أَنَّ ٱلرَّبَّ هُوَ ٱلْإِلَهُ. لَيْسَ آخَرَ سِوَاهُ. ٣٥ 35
यह सब कुछ तुझको दिखाया गया, ताकि तू जाने कि ख़ुदावन्द ही ख़ुदा है और उसके अलावा और कोई है ही नहीं।
مِنَ ٱلسَّمَاءِ أَسْمَعَكَ صَوْتَهُ لِيُنْذِرَكَ، وَعَلَى ٱلْأَرْضِ أَرَاكَ نَارَهُ ٱلْعَظِيمَةَ، وَسَمِعْتَ كَلَامَهُ مِنْ وَسَطِ ٱلنَّارِ. ٣٦ 36
उसने अपनी आवाज़ आसमान में से तुमको सुनाई ताकि तुझको तरबियत करे, और ज़मीन पर उसने तुझको अपनी बड़ी आग दिखाई; और तुमने उसकी बातें आग के बीच में से आती हुई सुनी।
وَلِأَجْلِ أَنَّهُ أَحَبَّ آبَاءَكَ وَٱخْتَارَ نَسْلَهُمْ مِنْ بَعْدِهِمْ، أَخْرَجَكَ بِحَضْرَتِهِ بِقُوَّتِهِ ٱلْعَظِيمَةِ مِنْ مِصْرَ، ٣٧ 37
और चूँकि उसे तेरे बाप — दादा से मुहब्बत थी, इसीलिए उसने उनके बाद उनकी नसल को चुन लिया, और तेरे साथ होकर अपनी बड़ी कुदरत से तुझको मिस्र से निकाल लाया;
لِكَيْ يَطْرُدَ مِنْ أَمَامِكَ شُعُوبًا أَكْبَرَ وَأَعْظَمَ مِنْكَ، وَيَأْتِيَ بِكَ وَيُعْطِيَكَ أَرْضَهُمْ نَصِيبًا كَمَا فِي هَذَا ٱلْيَوْمِ. ٣٨ 38
ताकि तुम्हारे सामने से उन क़ौमों को जो तुझ से बड़ी और ताक़तवर हैं दफ़ा' करे, और तुझको उनके मुल्क में पहुँचाए, और उसे तुझको मीरास के तौर पर दे, जैसा आज के दिन ज़ाहिर है।
فَٱعْلَمِ ٱلْيَوْمَ وَرَدِّدْ فِي قَلْبِكَ أَنَّ ٱلرَّبَّ هُوَ ٱلْإِلَهُ فِي ٱلسَّمَاءِ مِنْ فَوْقُ، وَعَلَى ٱلْأَرْضِ مِنْ أَسْفَلُ. لَيْسَ سِوَاهُ. ٣٩ 39
इसलिए आज के दिन तू जान ले और इस बात को अपने दिल में जमा ले, कि ऊपर आसमान में और नीचे ज़मीन पर ख़ुदावन्द ही ख़ुदा है और कोई दूसरा नहीं।
وَٱحْفَظْ فَرَائِضَهُ وَوَصَايَاهُ ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكَ بِهَا ٱلْيَوْمَ لِكَيْ يُحْسَنَ إِلَيْكَ وَإِلَى أَوْلَادِكَ مِنْ بَعْدِكَ، وَلِكَيْ تُطِيلَ أَيَّامَكَ عَلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ يُعْطِيكَ إِلَى ٱلْأَبَدِ». ٤٠ 40
इसलिए तू उसके आईन और अहकाम को जो मैं तुझको आज बताता हूँ मानना, ताकि तेरा और तेरे बाद तेरी औलाद का भला हो, और हमेशा उस मुल्क में जो ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको देता है तेरी उम्र दराज़ हो।”
حِينَئِذٍ أَفْرَزَ مُوسَى ثَلَاثَ مُدُنٍ فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ نَحْوَ شُرُوقِ ٱلشَّمْسِ ٤١ 41
फिर मूसा ने यरदन के पार पूरब की तरफ़ तीन शहर अलग किए,
لِكَيْ يَهْرُبَ إِلَيْهَا ٱلْقَاتِلُ ٱلَّذِي يَقْتُلُ صَاحِبَهُ بِغَيْرِ عِلْمٍ، وَهُوَ غَيْرُ مُبْغِضٍ لَهُ مُنْذُ أَمْسِ وَمَا قَبْلَهُ. يَهْرُبُ إِلَى إِحْدَى تِلْكَ ٱلْمُدُنِ فَيَحْيَا. ٤٢ 42
ताकि ऐसा ख़ूनी जो अनजाने बग़ैर क़दीमी 'अदावत के अपने पड़ोसी को मार डाले, वह वहाँ भाग जाए और इन शहरों में से किसी में जाकर जीता बच रहे।
بَاصِرَ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ فِي أَرْضِ ٱلسَّهْلِ لِلرَّأُوبَيْنِيِّينَ، وَرَامُوتَ فِي جِلْعَادَ لِلْجَادِيِّينَ، وَجُولَانَ فِي بَاشَانَ لِلْمَنَسِّيِّينَ. ٤٣ 43
या'नी रूबीनियों के लिए तो शहर — ए — बसर हो जो तराई में वीरान के बीच वाक़े' है, और जद्दियों के लिए शहर — ए — रामात जो जिल'आद में है, और मनस्सियों के लिए बसन का शहर — ए — जौलान।
وَهَذِهِ هِيَ ٱلشَّرِيعَةُ ٱلَّتِي وَضَعَهَا مُوسَى أَمَامَ بَنِي إِسْرَائِيلَ. ٤٤ 44
यह वह शरी'अत है जो मूसा ने बनी — इस्राईल के आगे पेश की।
هَذِهِ هِيَ ٱلشَّهَادَاتُ وَٱلْفَرَائِضُ وَٱلْأَحْكَامُ ٱلَّتِي كَلَّمَ بِهَا مُوسَى بَنِي إِسْرَائِيلَ عِنْدَ خُرُوجِهِمْ مِنْ مِصْرَ ٤٥ 45
यही वह शहादतें और आईन और अहकाम हैं जिनको मूसा ने बनी — इस्राईल को उनके मिस्र से निकलने के बा'द,
فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ فِي ٱلْجِوَاءِ مُقَابِلَ بَيْتِ فَغُورَ، فِي أَرْضِ سِيحُونَ مَلِكِ ٱلْأَمُورِيِّينَ ٱلَّذِي كَانَ سَاكِنًا فِي حَشْبُونَ، ٱلَّذِي ضَرَبَهُ مُوسَى وَبَنُو إِسْرَائِيلَ عِنْدَ خُرُوجِهِمْ مِنْ مِصْرَ ٤٦ 46
यरदन के पार उस वादी में जो बैत फ़ग़ूर के सामने है, कह सुनाया; या'नी अमोरियों के बादशाह सीहोन के मुल्क में जो हस्बोन में रहता था, जिसे मूसा और बनी इस्राईल ने मुल्क — ए — मिस्र से निकलने के बाद मारा।
وَٱمْتَلَكُوا أَرْضَهُ وَأَرْضَ عُوجٍ مَلِكِ بَاشَانَ، مَلِكَيِ ٱلْأَمُورِيِّينَ، ٱللَّذَيْنِ فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ نَحْوَ شُرُوقِ ٱلشَّمْسِ. ٤٧ 47
और फिर उसके मुल्क को, और बसन के बादशाह 'ओज के मुल्क को अपने क़ब्ज़े में कर लिया। अमोरियों के इन दोनों बादशाहों का यह मुल्क यरदन पार पूरब की तरफ़,
مِنْ عَرُوعِيرَ ٱلَّتِي عَلَى حَافَةِ وَادِي أَرْنُونَ إِلَى جَبَلِ سِيئُونَ ٱلَّذِي هُوَ حَرْمُونُ ٤٨ 48
'अरो'ईर से जो वादी — ए — अरनोन के किनारे वाक़े' है, कोह — ए — सियून तक जिसे हरमून भी कहते हैं, फैला हुआ है।
وَكُلَّ ٱلْعَرَبَةِ فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ نَحْوَ ٱلشُّرُوقِ إِلَى بَحْرِ ٱلْعَرَبَةِ تَحْتَ سُفُوحِ ٱلْفِسْجَةِ. ٤٩ 49
इसी में यरदन पार पूरब की तरफ़ मैदान के दरिया तक जो पिसगा की ढाल के नीचे बहता है, वहाँ का सारा मैदान शामिल है।

< اَلتَّثْنِيَة 4 >