< اَلتَّثْنِيَة 28 >

«وَإِنْ سَمِعْتَ سَمْعًا لِصَوْتِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ لِتَحْرِصَ أَنْ تَعْمَلَ بِجَمِيعِ وَصَايَاهُ ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكَ بِهَا ٱلْيَوْمَ، يَجْعَلُكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ مُسْتَعْلِيًا عَلَى جَمِيعِ قَبَائِلِ ٱلْأَرْضِ، ١ 1
और अगर तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की बात को जांफिशानी से मान कर उसके इन सब हुक्मों पर, जो आज के दिन मैं तुझको देता हूँ, एहतियात से 'अमल करे तो ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा दुनिया की सब क़ौमों से ज़्यादा तुझको सरफ़राज़ करेगा।
وَتَأْتِي عَلَيْكَ جَمِيعُ هَذِهِ ٱلْبَرَكَاتِ وَتُدْرِكُكَ، إِذَا سَمِعْتَ لِصَوْتِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ. ٢ 2
और अगर तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की बात सुने तो यह सब बरकतें तुझ पर नाज़िल होंगी और तुझको मिलेंगी।
مُبَارَكًا تَكُونُ فِي ٱلْمَدِينَةِ، وَمُبَارَكًا تَكُونُ فِي ٱلْحَقْلِ. ٣ 3
शहर में भी तू मुबारक होगा, और खेत में भी मुबारक होगा।
وَمُبَارَكَةً تَكُونُ ثَمَرَةُ بَطْنِكَ وَثَمَرَةُ أَرْضِكَ وَثَمَرَةُ بَهَائِمِكَ، نِتَاجُ بَقَرِكَ وَإِنَاثُ غَنَمِكَ. ٤ 4
तेरी औलाद, और तेरी ज़मीन की पैदावार, और तेरे चौपायों के बच्चे, या'नी गाय — बैल की बढ़ती और तेरी भेड़ — बकरियों के बच्चे मुबारक होंगे।
مُبَارَكَةً تَكُونُ سَلَّتُكَ وَمِعْجَنُكَ. ٥ 5
तेरा टोकरा और तेरी कठौती दोनों मुबारक होंगे।
مُبَارَكًا تَكُونُ فِي دُخُولِكَ، وَمُبَارَكًا تَكُونُ فِي خُرُوجِكَ. ٦ 6
और तू अन्दर आते वक़्त मुबारक होगा, और बाहर जाते वक़्त भी मुबारक होगा।
يَجْعَلُ ٱلرَّبُّ أَعْدَاءَكَ ٱلْقَائِمِينَ عَلَيْكَ مُنْهَزِمِينَ أَمَامَكَ. فِي طَرِيقٍ وَاحِدَةٍ يَخْرُجُونَ عَلَيْكَ، وَفِي سَبْعِ طُرُقٍ يَهْرُبُونَ أَمَامَكَ. ٧ 7
ख़ुदावन्द तेरे दुश्मनों को जो तुझ पर हमला करें, तेरे सामने शिकस्त दिलाएगा; वह तेरे मुक़ाबले को तो एक ही रास्ते से आएँगे, लेकिन सात सात रास्तों से हो कर तेरे आगे से भागेंगे।
يَأْمُرُ لَكَ ٱلرَّبُّ بِٱلْبَرَكَةِ فِي خَزَائِنِكَ وَفِي كُلِّ مَا تَمْتَدُّ إِلَيْهِ يَدُكَ، وَيُبَارِكُكَ فِي ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي يُعْطِيكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ. ٨ 8
ख़ुदावन्द तेरे अम्बारख़ानों में और सब कामों में जिनमें तू हाथ लगाये बरकत का हुक्म देगा, और ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा उस मुल्क में जिसे वह तुझको देता है तुझको बरकत बख़्शेगा।
يُقِيمُكَ ٱلرَّبُّ لِنَفْسِهِ شَعْبًا مُقَدَّسًا كَمَا حَلَفَ لَكَ، إِذَا حَفِظْتَ وَصَايَا ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ وَسَلَكْتَ فِي طُرُقِهِ. ٩ 9
अगर तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के हुक्मों को माने और उसकी राहों पर चले, तो ख़ुदावन्द अपनी उस क़सम के मुताबिक़ जो उसने तुझ से खाई तुझको अपनी पाक क़ौम बना कर क़ाईम रख्खेगा।
فَيَرَى جَمِيعُ شُعُوبِ ٱلْأَرْضِ أَنَّ ٱسْمَ ٱلرَّبِّ قَدْ سُمِّيَ عَلَيْكَ وَيَخَافُونَ مِنْكَ. ١٠ 10
और दुनिया की सब क़ौमें यह देखकर कि तू ख़ुदावन्द के नाम से कहलाता है, तुझ से डर जाएँगी।
وَيَزِيدُكَ ٱلرَّبُّ خَيْرًا فِي ثَمَرَةِ بَطْنِكَ وَثَمَرَةِ بَهَائِمِكَ وَثَمَرَةِ أَرْضِكَ عَلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي حَلَفَ ٱلرَّبُّ لِآبَائِكَ أَنْ يُعْطِيَكَ. ١١ 11
और जिस मुल्क को तुझको देने की क़सम ख़ुदावन्द ने तेरे बाप — दादा से खाई थी, उसमें ख़ुदावन्द तेरी औलाद को और तेरे चौपायों के बच्चों को और तेरी ज़मीन की पैदावार को ख़ूब बढ़ा कर तुझको बढ़ाएगा।
يَفْتَحُ لَكَ ٱلرَّبُّ كَنْزَهُ ٱلصَّالِحَ، ٱلسَّمَاءَ، لِيُعْطِيَ مَطَرَ أَرْضِكَ فِي حِينِهِ، وَلْيُبَارِكَ كُلَّ عَمَلِ يَدِكَ، فَتُقْرِضُ أُمَمًا كَثِيرَةً وَأَنْتَ لَا تَقْتَرِضُ. ١٢ 12
ख़ुदावन्द आसमान को जो उसका अच्छा ख़ज़ाना है तेरे लिए खोल देगा कि तेरे मुल्क में वक़्त पर मेंह बरसाए, और वह तेरे सब कामों में जिनमें तू हाथ लगाए बरकत देगा; और तू बहुत सी क़ौमों को क़र्ज़ देगा, लेकिन ख़ुद क़र्ज़ नहीं लेगा।
وَيَجْعَلُكَ ٱلرَّبُّ رَأْسًا لَا ذَنَبًا، وَتَكُونُ فِي ٱلِٱرْتِفَاعِ فَقَطْ وَلَا تَكُونُ فِي ٱلِٱنْحِطَاطِ، إِذَا سَمِعْتَ لِوَصَايَا ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكَ بِهَا ٱلْيَوْمَ، لِتَحْفَظَ وَتَعْمَلَ ١٣ 13
और ख़ुदावन्द तुझको दुम नहीं बल्कि सिर ठहराएगा, और तू पस्त नहीं बल्कि सरफ़राज़ ही रहेगा; बशर्ते कि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के हुक्मों को, जो मैं तुझको आज के दिन देता हूँ, सुनो और एहतियात से उन पर 'अमल करो,
وَلَا تَزِيغَ عَنْ جَمِيعِ ٱلْكَلِمَاتِ ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكَ بِهَا ٱلْيَوْمَ يَمِينًا أَوْ شِمَالًا، لِكَيْ تَذْهَبَ وَرَاءَ آلِهَةٍ أُخْرَى لِتَعْبُدَهَا. ١٤ 14
और जिन बातों का मैं आज के दिन तुझको हुक्म देता हूँ, उनमें से किसी से दहने या बाएँ हाथ मुड़ कर और मा'बूदों की पैरवी और इबादत न करे।
«وَلَكِنْ إِنْ لَمْ تَسْمَعْ لِصَوْتِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ لِتَحْرِصَ أَنْ تَعْمَلَ بِجَمِيعِ وَصَايَاهُ وَفَرَائِضِهِ ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكَ بِهَا ٱلْيَوْمَ، تَأْتِي عَلَيْكَ جَمِيعُ هَذِهِ ٱللَّعَنَاتِ وَتُدْرِكُكَ: ١٥ 15
“लेकिन अगर तू ऐसा न करे, कि ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की बात सुनकर उसके सब अहकाम और आईन पर जो आज के दिन मैं तुझको देता हूँ एहतियात से 'अमल करे, तो यह सब ला'नतें तुझ पर नाज़िल होंगी और तुझको लगेंगी।
مَلْعُونًا تَكُونُ فِي ٱلْمَدِينَةِ وَمَلْعُونًا تَكُونُ فِي ٱلْحَقْلِ. ١٦ 16
शहर में भी तू ला'नती होगा, और खेत में भी ला'नती होगा।
مَلْعُونَةً تَكُونُ سَلَّتُكَ وَمِعْجَنُكَ. ١٧ 17
तेरा टोकरा और तेरी कठौती दोनों ला'नती ठहरेंगे।
مَلْعُونَةً تَكُونُ ثَمَرَةُ بَطْنِكَ وَثَمَرَةُ أَرْضِكَ، نِتَاجُ بَقَرِكَ وَإِنَاثُ غَنَمِكَ. ١٨ 18
तेरी औलाद और तेरी ज़मीन की पैदावार, और तेरे गाय — बैल की बढ़ती और तेरी भेड़ — बकरियों के बच्चे ला'नती होंगे।
مَلْعُونًا تَكُونُ فِي دُخُولِكَ، وَمَلْعُونًا تَكُونُ فِي خُرُوجِكَ. ١٩ 19
तू अन्दर आते ला'नती ठहरेगा, और बाहर जाते भी ला'नती ठहरेगा।
يُرْسِلُ ٱلرَّبُّ عَلَيْكَ ٱللَّعْنَ وَٱلِٱضْطِرَابَ وَٱلزَّجْرَ فِي كُلِّ مَا تَمْتَدُّ إِلَيْهِ يَدُكَ لِتَعْمَلَهُ، حَتَّى تَهْلِكَ وَتَفْنَى سَرِيعًا مِنْ أَجْلِ سُوْءِ أَفْعَالِكَ إِذْ تَرَكْتَنِي. ٢٠ 20
ख़ुदावन्द उन सब कामों में जिनको तू हाथ लगाए, ला'नत और इज़तिराब और फटकार को तुझ पर नाज़िल करेगा जब तक कि तू हलाक होकर जल्द बर्बाद न हो जाए, यह तेरी उन बद'आमालियों की वजह से होगा जिनको करने की वजह से तू मुझको छोड़ देगा।
يُلْصِقُ بِكَ ٱلرَّبُّ ٱلْوَبَأَ حَتَّى يُبِيدَكَ عَنِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَنْتَ دَاخِلٌ إِلَيْهَا لِكَيْ تَمْتَلِكَهَا. ٢١ 21
ख़ुदावन्द ऐसा करेगा कि वबा तुझ से लिपटी रहेगी, जब तक कि वह तुझको उस मुल्क से जिस पर क़ब्ज़ा करने को तू वहाँ जा रहा है फ़ना न कर दे।
يَضْرِبُكَ ٱلرَّبُّ بِٱلسِّلِّ وَٱلْحُمَّى وَٱلْبُرَدَاءِ وَٱلِٱلْتِهَابِ وَٱلْجَفَافِ وَٱللَّفْحِ وَٱلذُّبُولِ، فَتَتَّبِعُكَ حَتَّى تُفْنِيَكَ. ٢٢ 22
ख़ुदावन्द तुझको तप — ए — दिक़ और बुख़ार और सोज़िश और शदीद हरारत और तलवार और बाद — ए — समूम और गेरूई से मारेगा, और यह तेरे पीछे पड़े रहेंगे जब तक कि तू फ़ना न हो जाये।
وَتَكُونُ سَمَاؤُكَ ٱلَّتِي فَوْقَ رَأْسِكَ نُحَاسًا، وَٱلْأَرْضُ ٱلَّتِي تَحْتَكَ حَدِيدًا. ٢٣ 23
और आसमान जो तेरे सिर पर है पीतल का, और ज़मीन जो तेरे नीचे है लोहे की हो जाएगी।
وَيَجْعَلُ ٱلرَّبُّ مَطَرَ أَرْضِكَ غُبَارًا، وَتُرَابًا يُنَزِّلُ عَلَيْكَ مِنَ ٱلسَّمَاءِ حَتَّى تَهْلِكَ. ٢٤ 24
ख़ुदावन्द मेंह के बदले तेरी ज़मीन पर ख़ाक और धूल बरसाएगा; यह आसमान से तुझ पर पड़ती ही रहेगी, जब तक कि तू हलाक न हो जाये।
يَجْعَلُكَ ٱلرَّبُّ مُنْهَزِمًا أَمَامَ أَعْدَائِكَ. فِي طَرِيقٍ وَاحِدَةٍ تَخْرُجُ عَلَيْهِمْ، وَفِي سَبْعِ طُرُقٍ تَهْرُبُ أَمَامَهُمْ، وَتَكُونُ قَلِقًا فِي جَمِيعِ مَمَالِكِ ٱلْأَرْضِ. ٢٥ 25
“ख़ुदावन्द तुझको तेरे दुश्मनों के आगे शिकस्त दिलाएगा; तू उनके मुक़ाबले के लिए तो एक ही रास्ते से जाएगा, और उनके सामने से सात — सात रास्तों से होकर भागेगा, और दुनिया की तमाम सल्तनतों में तू मारा — मारा फिरेगा।
وَتَكُونُ جُثَّتُكَ طَعَامًا لِجَمِيعِ طُيُورِ ٱلسَّمَاءِ وَوُحُوشِ ٱلْأَرْضِ وَلَيْسَ مَنْ يُزْعِجُهَا. ٢٦ 26
और तेरी लाश हवा के परिन्दों और ज़मीन के दरिन्दों की ख़ुराक होगी, और कोई उनको हंका कर भगाने को भी न होगा।
يَضْرِبُكَ ٱلرَّبُّ بِقُرْحَةِ مِصْرَ وَبِالْبَوَاسِيرِ وَٱلْجَرَبِ وَٱلْحِكَّةِ حَتَّى لَا تَسْتَطِيعَ ٱلشِّفَاءَ. ٢٧ 27
ख़ुदावन्द तुझको मिस्र के फोड़ों, और बवासीर, और खुजली, और ख़ारिश में ऐसा मुब्तिला करेगा कि तू कभी अच्छा भी नहीं होने का।
يَضْرِبُكَ ٱلرَّبُّ بِجُنُونٍ وَعَمًى وَحَيْرَةِ قَلْبٍ، ٢٨ 28
ख़ुदावन्द तुझको जुनून और नाबीनाई और दिल की घबराहट में भी मुब्तिला कर देगा।
فَتَتَلَمَّسُ فِي ٱلظُّهْرِ كَمَا يَتَلَمَّسُ ٱلْأَعْمَى فِي ٱلظَّلَامِ، وَلَا تَنْجَحُ فِي طُرُقِكَ بَلْ لَا تَكُونُ إِلَّا مَظْلُومًا مَغْصُوبًا كُلَّ ٱلْأَيَّامِ وَلَيْسَ مُخَلِّصٌ. ٢٩ 29
और जैसे अंधा अँधेरे में टटोलता है वैसे ही तू दोपहर दिन को टटोलता फिरेगा और तू अपने धन्धों में नाकाम रहेगा; और तुझ पर हमेशा जुल्म ही होगा, और तू लुटता ही रहेगा और कोई न होगा जो तुझको बचाए।
تَخْطُبُ ٱمْرَأَةً وَرَجُلٌ آخَرُ يَضْطَجِعُ مَعَهَا. تَبْنِي بَيْتًا وَلَا تَسْكُنُ فِيهِ. تَغْرِسُ كَرْمًا وَلَا تَسْتَغِلُّهُ. ٣٠ 30
'औरत से मंगनी तो तू करेगा लेकिन दूसरा उससे मुबाश्रत करेगा, तू घर बनाएगा लेकिन उसमें बसने न पाएगा, तू ताकिस्तान लगाएगा लेकिन उसका फल इस्ते'माल न करेगा।
يُذْبَحُ ثَوْرُكَ أَمَامَ عَيْنَيْكَ وَلَا تَأْكُلُ مِنْهُ. يُغْتَصَبُ حِمَارُكَ مِنْ أَمَامِ وَجْهِكَ وَلَا يَرْجِعُ إِلَيْكَ. تُدْفَعُ غَنَمُكَ إِلَى أَعْدَائِكَ وَلَيْسَ لَكَ مُخَلِّصٌ. ٣١ 31
तेरा बैल तेरी आँखों के सामने ज़बह किया जाएगा लेकिन तू उसका गोश्त खाने न पाएगा, तेरा गधा तुझ से जबरन छीन लिया जाएगा और तुझको फिर न मिलेगा, तेरी भेड़ें तेरे दुश्मनों के हाथ लगेंगी और कोई न होगा जो तुझको बचाए।
يُسَلَّمُ بَنُوكَ وَبَنَاتُكَ لِشَعْبٍ آخَرَ وَعَيْنَاكَ تَنْظُرَانِ إِلَيْهِمْ طُولَ ٱلنَّهَارِ، فَتَكِلَّانِ وَلَيْسَ فِي يَدِكَ طَائِلَةٌ. ٣٢ 32
तेरे बेटे और बेटियाँ दूसरी क़ौम को दी जाएँगी, और तेरी आँखें देखेंगी और सारे दिन उनके लिए तरसते — तरसते रह जाएँगी; और तेरा कुछ बस नहीं चलेगा।
ثَمَرُ أَرْضِكَ وَكُلُّ تَعَبِكَ يَأْكُلُهُ شَعْبٌ لَا تَعْرِفُهُ، فَلَا تَكُونُ إِلَّا مَظْلُومًا وَمَسْحُوقًا كُلَّ ٱلْأَيَّامِ. ٣٣ 33
तेरी ज़मीन की पैदावार और तेरी सारी कमाई को एक ऐसी क़ौम खाएगी जिससे तू वाक़िफ़ नहीं; और तू हमेशा मज़लूम और दबा ही रहेगा,
وَتَكُونُ مَجْنُونًا مِنْ مَنْظَرِ عَيْنَيْكَ ٱلَّذِي تَنْظُرُ. ٣٤ 34
यहाँ तक कि इन बातों को अपनी आँखों से देख देखकर दीवाना हो जाएगा।
يَضْرِبُكَ ٱلرَّبُّ بِقَرْحٍ خَبِيثٍ عَلَى ٱلرُّكْبَتَيْنِ وَعَلَى ٱلسَّاقَيْنِ، حَتَّى لَا تَسْتَطِيعَ ٱلشِّفَاءَ مِنْ أَسْفَلِ قَدَمِكَ إِلَى قِمَّةِ رَأْسِكَ. ٣٥ 35
ख़ुदावन्द तेरे घुटनों और टाँगों में ऐसे बुरे फोड़े पैदा करेगा, कि उनसे तू पाँव के तलवे से लेकर सिर की चाँद तक शिफ़ा न पा सकेगा।
يَذْهَبُ بِكَ ٱلرَّبُّ وَبِمَلِكِكَ ٱلَّذِي تُقِيمُهُ عَلَيْكَ إِلَى أُمَّةٍ لَمْ تَعْرِفْهَا أَنْتَ وَلَا آبَاؤُكَ، وَتَعْبُدُ هُنَاكَ آلِهَةً أُخْرَى مِنْ خَشَبٍ وَحَجَرٍ، ٣٦ 36
ख़ुदावन्द तुझको और तेरे बादशाह को, जिसे तू अपने ऊपर मुक़र्रर करेगा, एक ऐसी क़ौम के बीच ले जाएगा जिसे तू और तेरे बाप — दादा जानते भी नहीं; और वहाँ तू और मा'बूदों की जो महज़ लकड़ी और पत्थर है इबादत करेंगे।
وَتَكُونُ دَهَشًا وَمَثَلًا وَهُزْأَةً فِي جَمِيعِ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّذِينَ يَسُوقُكَ ٱلرَّبُّ إِلَيْهِمْ. ٣٧ 37
और उन सब क़ौमों में, जहाँ — जहाँ ख़ुदावन्द तुझको पहुँचाएगा, तू बाइस — ए — हैरत और ज़र्ब — उल — मसल और अंगुश्त नुमा बनेगा।
بِذَارًا كَثِيرًا تُخْرِجُ إِلَى ٱلْحَقْلِ، وَقَلِيلًا تَجْمَعُ، لِأَنَّ ٱلْجَرَادَ يَأْكُلُهُ. ٣٨ 38
तू खेत में बहुत सा बीज ले जाएगा लोकन थोड़ा सा जमा' करेगा, क्यूँकि टिड्डी उसे चाट लेंगी।
كُرُومًا تَغْرِسُ وَتَشْتَغِلُ، وَخَمْرًا لَا تَشْرَبُ وَلَا تَجْنِي، لِأَنَّ ٱلدُّودَ يَأْكُلُهَا. ٣٩ 39
तू ताकिस्तान लगाएगा और उन पर मेहनत करेगा, लेकिन न तो मय पीने और न अंगूर जमा' करने पायेगा; क्यूँकि उनको कीड़े खा जाएँगे।
يَكُونُ لَكَ زَيْتُونٌ فِي جَمِيعِ تُخُومِكَ، وَبِزَيْتٍ لَا تَدَّهِنُ، لِأَنَّ زَيْتُونَكَ يَنْتَثِرُ. ٤٠ 40
तेरी सब हदों में ज़ैतून के दरख़्त लगे होंगे, लेकिन तू उनका तेल नहीं लगाने पाएगा; क्यूँकि तेरे ज़ैतून के दरख़्तों का फल झड़ जाया करेगा।
بَنِينَ وَبَنَاتٍ تَلِدُ وَلَا يَكُونُونَ لَكَ، لِأَنَّهُمْ إِلَى ٱلسَّبْيِ يَذْهَبُونَ. ٤١ 41
तेरे बेटे और बेटियाँ पैदा होंगी लेकिन वह सब तेरे न रहेंगे, क्यूँकि वह ग़ुलाम हो कर चले जाएँगे।
جَمِيعُ أَشْجَارِكَ وَأَثْمَارِ أَرْضِكَ يَتَوَلَّاهُ ٱلصَّرْصَرُ. ٤٢ 42
तेरे सब दरख़्तों और तेरी सब ज़मीन की पैदावार पर टिड्डियाँ क़ब्ज़ा कर लेंगी।
اَلْغَرِيبُ ٱلَّذِي فِي وَسَطِكَ يَسْتَعْلِي عَلَيْكَ مُتَصَاعِدًا، وَأَنْتَ تَنْحَطُّ مُتَنَازِلًا. ٤٣ 43
परदेसी जो तेरे बीच होगा वह तुझसे बढ़ता और सरफ़राज़ होता जाएगा, लेकिन तू पस्त ही पस्त होता जाएगा।
هُوَ يُقْرِضُكَ وَأَنْتَ لَا تُقْرِضُهُ. هُوَ يَكُونُ رَأْسًا وَأَنْتَ تَكُونُ ذَنَبًا. ٤٤ 44
वह तुझको क़र्ज़ देगा, लेकिन तू उसे क़र्ज़ न दे सकेगा; वह सिर होगा और तू दुम ठहरेगा।
وَتَأْتِي عَلَيْكَ جَمِيعُ هَذِهِ ٱللَّعَنَاتِ وَتَتَّبِعُكَ وَتُدْرِكُكَ حَتَّى تَهْلِكَ، لِأَنَّكَ لَمْ تَسْمَعْ لِصَوْتِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ لِتَحْفَظَ وَصَايَاهُ وَفَرَائِضَهُ ٱلَّتِي أَوْصَاكَ بِهَا. ٤٥ 45
और चूँकि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के उन हुक्मों और आईन पर जिनको उसने तुझको दिया है, 'अमल करने के लिए उसकी बात नहीं सुनेंगे; इसलिए यह सब ला'नतें तुझ पर आएँगी और तेरे पीछे पड़ी रहेंगी और तुझको लगेंगी, जब तक तेरा नास न हो जाए।
فَتَكُونُ فِيكَ آيَةً وَأُعْجُوبَةً وَفِي نَسْلِكَ إِلَى ٱلْأَبَدِ. ٤٦ 46
और वह तुझ पर और तेरी औलाद पर हमेशा निशान और अचम्भे के तौर पर रहेंगी।
مِنْ أَجْلِ أَنَّكَ لَمْ تَعْبُدِ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ بِفَرَحٍ وَبِطِيبَةِ قَلْبٍ لِكَثْرَةِ كُلِّ شَيْءٍ. ٤٧ 47
और चूँकि तू बावजूद सब चीज़ों की फ़िरावानी के फ़रहत और ख़ुशदिली से ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की इबादत नहीं करेगा।
تُسْتَعْبَدُ لِأَعْدَائِكَ ٱلَّذِينَ يُرْسِلُهُمُ ٱلرَّبُّ عَلَيْكَ فِي جُوعٍ وَعَطَشٍ وَعُرْيٍ وَعَوَزِ كُلِّ شَيْءٍ. فَيَجْعَلُ نِيرَ حَدِيدٍ عَلَى عُنُقِكَ حَتَّى يُهْلِكَكَ. ٤٨ 48
इसलिए भूका और प्यासा और नंगा और सब चीज़ों का मुहताज होकर तू अपने दुश्मनों की ख़िदमत करेगा जिनको ख़ुदावन्द तेरे बरख़िलाफ़ भेजेगा; और ग़नीम तेरी गरदन पर लोहे का जुआ रख्खे रहेगा, जब तक वह तेरा नास न कर दे।
يَجْلِبُ ٱلرَّبُّ عَلَيْكَ أُمَّةً مِنْ بَعِيدٍ، مِنْ أَقْصَاءِ ٱلْأَرْضِ كَمَا يَطِيرُ ٱلنَّسْرُ، أُمَّةً لَا تَفْهَمُ لِسَانَهَا، ٤٩ 49
ख़ुदावन्द दूर से बल्कि ज़मीन के किनारे से एक क़ौम को तुझ पर चढ़ा लाएगा जैसे 'उक़ाब टूट कर आता है, उस क़ौम की ज़बान को तू नहीं समझेगा;
أُمَّةً جَافِيَةَ ٱلْوَجْهِ لَا تَهَابُ ٱلشَّيْخَ وَلَا تَحِنُّ إِلَى ٱلْوَلَدِ، ٥٠ 50
उस क़ौम के लोग तुर्शरू होंगे, जो न बुड्ढों का लिहाज़ करेंगे न जवानों पर तरस खाएँगे।
فَتَأْكُلُ ثَمَرَةَ بَهَائِمِكَ وَثَمَرَةَ أَرْضِكَ حَتَّى تَهْلِكَ، وَلَا تُبْقِي لَكَ قَمْحًا وَلَا خَمْرًا وَلَا زَيْتًا، وَلَا نِتَاجَ بَقَرِكَ وَلَا إِنَاثَ غَنَمِكَ، حَتَّى تُفْنِيَكَ. ٥١ 51
और वह तेरे चौपायों के बच्चों और तेरी ज़मीन की पैदावार को खाते रहेंगे, जब तक तेरा नास न हो जाए और वह तेरे लिए अनाज, या मय, या तेल, या गाय — बैल की बढ़ती, या तेरी भेड़ — बकरियों के बच्चे कुछ नहीं छोड़ेंगे, जब तक वह तुझको फ़ना न कर दें।
وَتُحَاصِرُكَ فِي جَمِيعِ أَبْوَابِكَ حَتَّى تَهْبِطَ أَسْوَارُكَ ٱلشَّامِخَةُ ٱلْحَصِينَةُ ٱلَّتِي أَنْتَ تَثِقُ بِهَا فِي كُلِّ أَرْضِكَ. تُحَاصِرُكَ فِي جَمِيعِ أَبْوَابِكَ، فِي كُلِّ أَرْضِكَ ٱلَّتِي يُعْطِيكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ. ٥٢ 52
और वह तेरे तमाम मुल्क में तेरा घिराव तेरी ही बस्तियों में किए रहेंगे; जब तक तेरी ऊँची — ऊँची फ़सीलें जिन पर तेरा भरोसा होगा, गिर न जाएँ। तेरा घिराव वह तेरे ही उस मुल्क की सब बस्तियों में करेंगे, जिसे ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तुझको देता है।
فَتَأْكُلُ ثَمَرَةَ بَطْنِكَ، لَحْمَ بَنِيكَ وَبَنَاتِكَ ٱلَّذِينَ أَعْطَاكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ فِي ٱلْحِصَارِ وَٱلضِّيقَةِ ٱلَّتِي يُضَايِقُكَ بِهَا عَدُوُّكَ. ٥٣ 53
तब उस घिराव के मौक़े' पर और उस आड़े वक़्त में तू अपने दुश्मनों से तंग आकर अपने ही जिस्म के पहले फल को, या'नी अपने ही बेटों और बेटियों का गोश्त जिनको ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझको 'अता किया होगा खायेगा।
ٱلرَّجُلُ ٱلْمُتَنَعِّمُ فِيكَ وَٱلْمُتَرَفِّهُ جِدًّا، تَبْخُلُ عَيْنُهُ عَلَى أَخِيهِ وَٱمْرَأَةِ حِضْنِهِ وَبَقِيَّةِ أَوْلَادِهِ ٱلَّذِينَ يُبْقِيهِمْ، ٥٤ 54
वह शख़्स जो तुम में नाज़ुक मिज़ाज और नाज़ुक बदन होगा, उसकी भी अपने भाई और अपनी हमआग़ोश बीवी और अपने बाक़ी मांदा बच्चों की तरफ़ बुरी नज़र होगी;
بِأَنْ يُعْطِيَ أَحَدَهُمْ مِنْ لَحْمِ بَنِيهِ ٱلَّذِي يَأْكُلُهُ، لِأَنَّهُ لَمْ يُبْقَ لَهُ شَيْءٌ فِي ٱلْحِصَارِ وَٱلضِّيقَةِ ٱلَّتِي يُضَايِقُكَ بِهَا عَدُوُّكَ فِي جَمِيعِ أَبْوَابِكَ. ٥٥ 55
यहाँ तक कि वह इनमें से किसी को भी अपने ही बच्चों के गोश्त में से, जिनको वह ख़ुद खाएगा कुछ नहीं देगा; क्यूँकि उस घिराव के मौक़े' पर और उस आड़े वक़्त में जब तेरे दुश्मन तुझको तेरी ही सब बस्तियों में तंग कर मारेंगे, तो उसके पास और कुछ बाक़ी न रहेगा।
وَٱلْمَرْأَةُ ٱلْمُتَنَعِّمَةُ فِيكَ وَٱلْمُتَرَفِّهَةُ ٱلَّتِي لَمْ تُجَرِّبْ أَنْ تَضَعَ أَسْفَلَ قَدَمِهَا عَلَى ٱلْأَرْضِ لِلتَّنَعُّمِ وَٱلتَّرَفُّهِ، تَبْخَلُ عَيْنُهَا عَلَى رَجُلِ حِضْنِهَا وَعَلَى ٱبْنِهَا وَبِنْتِهَا ٥٦ 56
वह 'औरत भी जो तुम्हारे बीच ऐसी नाज़ुक मिज़ाज और नाज़ुक बदन होगी कि नर्मी — ओ — नज़ाकत की वजह से अपने पाँव का तलवा भी ज़मीन से लगाने की जुर'अत न करती हो, उसकी भी अपने पहलू के शौहर और अपने ही बेटे और बेटी,
بِمَشِيمَتِهَا ٱلْخَارِجَةِ مِنْ بَيْنِ رِجْلَيْهَا وَبِأَوْلَادِهَا ٱلَّذِينَ تَلِدُهُمْ، لِأَنَّهَا تَأْكُلُهُمْ سِرًّا فِي عَوَزِ كُلِّ شَيْءٍ، فِي ٱلْحِصَارِ وَٱلضِّيقَةِ ٱلَّتِي يُضَايِقُكَ بِهَا عَدُوُّكَ فِي أَبْوَابِكَ. ٥٧ 57
और अपने ही नौज़ाद बच्चे की तरफ़ जो उसकी रानों के बीच से निकला हो, बल्कि अपने सब लड़के बालों की तरफ़ जिनको वह जनेगी बुरी नज़र होगी; क्यूँकि वह तमाम चीज़ों की क़िल्लत की वजह से उन्हीं को छुप — छुप कर खाएगी, जब उस घिराव के मौक़े' पर और उस आड़े वक़्त में तेरे दुश्मन तेरी ही बस्तियों में तुझको तंग कर मारेंगे।
إِنْ لَمْ تَحْرِصْ لِتَعْمَلَ بِجَمِيعِ كَلِمَاتِ هَذَا ٱلنَّامُوسِ ٱلْمَكْتُوبَةِ فِي هَذَا ٱلسِّفْرِ، لِتَهَابَ هَذَا ٱلِٱسْمَ ٱلْجَلِيلَ ٱلْمَرْهُوبَ، ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ، ٥٨ 58
अगर तू उस शरी'अत की उन सब बातों पर जो इस किताब में लिखी हैं, एहतियात रख कर इस तरह 'अमल न करे कि तुमको ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के जलाली और मुहीब नाम का ख़ौफ़ हो;
يَجْعَلُ ٱلرَّبُّ ضَرَبَاتِكَ وَضَرَبَاتِ نَسْلِكَ عَجِيبَةً. ضَرَبَاتٍ عَظِيمَةً رَاسِخَةً، وَأَمْرَاضًا رَدِيَّةً ثَابِتَةً. ٥٩ 59
तो ख़ुदावन्द तुम पर 'अजीब आफ़तें नाज़िल करेगा, और तुम्हारी औलाद की आफ़तों को बढ़ा कर बड़ी और देरपा आफ़तें और सख़्त और देरपा बीमारियाँ कर देगा।
وَيَرُدُّ عَلَيْكَ جَمِيعَ أَدْوَاءِ مِصْرَ ٱلَّتِي فَزِعْتَ مِنْهَا، فَتَلْتَصِقُ بِكَ. ٦٠ 60
और मिस्र के सब रोग जिनसे तू डरता था तुझको लगाएगा और वह तुझको लगे रहेंगे।
أَيْضًا كُلُّ مَرَضٍ وَكُلُّ ضَرْبَةٍ لَمْ تُكْتَبْ فِي سِفْرِ ٱلنَّامُوسِ هَذَا، يُسَلِّطُهُ ٱلرَّبُّ عَلَيْكَ حَتَّى تَهْلِكَ. ٦١ 61
और उन सब बीमारियों और आफ़तों को भी जो इस शरी'अत की किताब में मज़कूर नहीं हैं, ख़ुदावन्द तुझको लगाएगा जब तक तेरा नास न हो जाए।
فَتَبْقَوْنَ نَفَرًا قَلِيلًا عِوَضَ مَا كُنْتُمْ كَنُجُومِ ٱلسَّمَاءِ فِي ٱلْكَثْرَةِ، لِأَنَّكَ لَمْ تَسْمَعْ لِصَوْتِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ. ٦٢ 62
और चूँकि तू ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की बात नहीं सुनेगा, इसलिए कहाँ तो तुम कसरत में आसमान के तारों की तरह हो, और कहाँ शुमार में थोड़े ही से रह जाओगे।
وَكَمَا فَرِحَ ٱلرَّبُّ لَكُمْ لِيُحْسِنَ إِلَيْكُمْ وَيُكَثِّرَكُمْ، كَذَلِكَ يَفْرَحُ ٱلرَّبُّ لَكُمْ لِيُفْنِيَكُمْ وَيُهْلِكَكُمْ، فَتُسْتَأْصَلُونَ مِنَ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَنْتَ دَاخِلٌ إِلَيْهَا لِتَمْتَلِكَهَا. ٦٣ 63
तब यह होगा कि जैसे तुम्हारे साथ भलाई करने और तुमको बढ़ाने से ख़ुदावन्द ख़ुशनूद हुआ, ऐसे ही तुमको फ़ना कराने और हलाक कर डालने से ख़ुदावन्द ख़ुशनूद होगा; और तुम उस मुल्क से उखाड़ दिए जाओगे, जहाँ तू उस पर क़ब्ज़ा करने को जा रहा है।
وَيُبَدِّدُكَ ٱلرَّبُّ فِي جَمِيعِ ٱلشُّعُوبِ مِنْ أَقْصَاءِ ٱلْأَرْضِ إِلَى أَقْصَائِهَا، وَتَعْبُدُ هُنَاكَ آلِهَةً أُخْرَى لَمْ تَعْرِفْهَا أَنْتَ وَلَا آبَاؤُكَ، مِنْ خَشَبٍ وَحَجَرٍ. ٦٤ 64
और ख़ुदावन्द तुझको ज़मीन के एक सिरे से दूसरे सिरे तक तमाम क़ौमों में तितर — बितर करेगा, वहाँ तू लकड़ी और पत्थर के और मा'बूदों को जिनको तू या तेरे बाप — दादा जानते भी नहीं इबादत करेगा।
وَفِي تِلْكَ ٱلْأُمَمِ لَا تَطْمَئِنُّ وَلَا يَكُونُ قَرَارٌ لِقَدَمِكَ، بَلْ يُعْطِيكَ ٱلرَّبُّ هُنَاكَ قَلْبًا مُرْتَجِفًا وَكَلَالَ ٱلْعَيْنَيْنِ وَذُبُولَ ٱلنَّفْسِ. ٦٥ 65
उन क़ौमों के बीच तुझको चैन नसीब न होगा और न तेरे पाँव के तलवे को आराम मिलेगा, बल्कि ख़ुदावन्द तुझको वहाँ दिल — ए — लरज़ाँ और आँखों को धुंधलाहट और जी को कुढ़न देगा।
وَتَكُونُ حَيَاتُكَ مُعَلَّقَةً قُدَّامَكَ، وَتَرْتَعِبُ لَيْلًا وَنَهَارًا وَلَا تَأْمَنُ عَلَى حَيَاتِكَ. ٦٦ 66
और तेरी जान शक में अटकी रहेगी और तू रात — दिन डरता रहेगा, और तुम्हारी ज़िन्दगी का कोई ठिकाना न होगा।
فِي ٱلصَّبَاحِ تَقُولُ: يَا لَيْتَهُ ٱلْمَسَاءُ، وَفِي ٱلْمَسَاءِ تَقُولُ: يَا لَيْتَهُ ٱلصَّبَاحُ، مِنِ ٱرْتِعَابِ قَلْبِكَ ٱلَّذِي تَرْتَعِبُ، وَمِنْ مَنْظَرِ عَيْنَيْكَ ٱلَّذِي تَنْظُرُ. ٦٧ 67
और तू अपने दिली ख़ौफ़ के और उन नज़ारों की वजह से जिनको तू अपनी आँखों से देखेगा, सुबह को कहेगा कि ऐ काश कि शाम होती और शाम को कहेगा ऐ काश कि सुबह होती।
وَيَرُدُّكَ ٱلرَّبُّ إِلَى مِصْرَ فِي سُفُنٍ فِي ٱلطَّرِيقِ ٱلَّتِي قُلْتُ لَكَ لَا تَعُدْ تَرَاهَا، فَتُبَاعُونَ هُنَاكَ لِأَعْدَائِكَ عَبِيدًا وَإِمَاءً، وَلَيْسَ مَنْ يَشْتَرِي». ٦٨ 68
और ख़ुदावन्द तुझको किश्तियों में चढ़ा कर उस रास्ते से मिस्र में लौटा ले जाएगा, जिसके बारे में मैंने तुझसे कहा कि तू उसे फिर कभी न देखना; और वहाँ तुम अपने दुश्मनों के ग़ुलाम और लौंडी होने के लिए अपने को बेचोगे लेकिन कोई ख़रीदार न होगा।”

< اَلتَّثْنِيَة 28 >