< اَلتَّثْنِيَة 26 >

«وَمَتَى أَتَيْتَ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي يُعْطِيكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ نَصِيبًا وَٱمْتَلَكْتَهَا وَسَكَنْتَ فِيهَا، ١ 1
इसके बाद, यह होगा कि जब तुम उस देश में प्रवेश करोगे, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें मीरास-स्वरूप प्रदान कर रहे हैं, तुम उसका अधिग्रहण करोगे और उसमें बस जाओगे,
فَتَأْخُذُ مِنْ أَوَّلِ كُلِّ ثَمَرِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّذِي تُحَصِّلُ مِنْ أَرْضِكَ ٱلَّتِي يُعْطِيكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ وَتَضَعُهُ فِي سَلَّةٍ وَتَذْهَبُ إِلَى ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي يَخْتَارُهُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ لِيُحِلَّ ٱسْمَهُ فِيهِ. ٢ 2
तब तुम उस स्थान पर, जिसे याहवेह तुम्हारे परमेश्वर अपनी प्रतिष्ठा के लिए चुनेंगे, उस देश की सारी प्रथम उपज का एक अंश एक टोकरी में लेकर जाओगे.
وَتَأْتِي إِلَى ٱلْكَاهِنِ ٱلَّذِي يَكُونُ فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ وَتَقُولُ لَهُ: أَعْتَرِفُ ٱلْيَوْمَ لِلرَّبِّ إِلَهِكَ أَنِّي قَدْ دَخَلْتُ ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي حَلَفَ ٱلرَّبُّ لِآبَائِنَا أَنْ يُعْطِيَنَا إِيَّاهَا. ٣ 3
तुम उस समय पदासीन पुरोहित की उपस्थिति में जाकर कहोगे, “याहवेह, मेरे परमेश्वर के सामने आज मैं यह घोषित कर रहा हूं, कि मैंने उस देश में प्रवेश कर लिया है, जिसे प्रदान करने की प्रतिज्ञा याहवेह ने मेरे पूर्वजों से की थी.”
فَيَأْخُذُ ٱلْكَاهِنُ ٱلسَّلَّةَ مِنْ يَدِكَ وَيَضَعُهَا أَمَامَ مَذْبَحِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ. ٤ 4
तब वह पुरोहित तुम्हारे हाथ से वह टोकरी लेकर याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की वेदी के सामने रख देगा.
ثُمَّ تُصَرِّحُ وَتَقُولُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ: أَرَامِيًّا تَائِهًا كَانَ أَبِي، فَٱنْحَدَرَ إِلَى مِصْرَ وَتَغَرَّبَ هُنَاكَ فِي نَفَرٍ قَلِيلٍ، فَصَارَ هُنَاكَ أُمَّةً كَبِيرَةً وَعَظِيمَةً وَكَثِيرَةً. ٥ 5
तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के सामने उत्तर में कहोगे: “मेरे पूर्वज अस्थिरवासी अरामी जाति के थे. वे मिस्र देश में प्रवासी रहे, वहां अल्प संख्यक थे, मगर वहां विशाल, मजबूत और असंख्यक राष्ट्र हो गए.
فَأَسَاءَ إِلَيْنَا ٱلْمِصْرِيُّونَ، وَثَقَّلُوا عَلَيْنَا وَجَعَلُوا عَلَيْنَا عُبُودِيَّةً قَاسِيَةً. ٦ 6
लेकिन मिस्रवासियों ने हमारे साथ बुरा व्यवहार किया और अत्याचार पूरा हो गया. हम पर कठोर श्रम लाद दिया गया.
فَلَمَّا صَرَخْنَا إِلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِ آبَائِنَا سَمِعَ ٱلرَّبُّ صَوْتَنَا، وَرَأَى مَشَقَّتَنَا وَتَعَبَنَا وَضِيقَنَا. ٧ 7
तब हमने अपने पूर्वजों के परमेश्वर याहवेह की दोहाई दी, और याहवेह ने हमारी सुन ली. उन्होंने हमारे अत्याचार और श्रम पीड़ा पर दृष्टि की.
فَأَخْرَجَنَا ٱلرَّبُّ مِنْ مِصْرَ بِيَدٍ شَدِيدَةٍ وَذِرَاعٍ رَفِيعَةٍ وَمَخَاوِفَ عَظِيمَةٍ وَآيَاتٍ وَعَجَائِبَ، ٨ 8
तब याहवेह ने हमें मिस्र देश से अपनी मजबूत, बढ़ाई हुई भुजा, भयंकर आतंक, चिन्ह और चमत्कारों के द्वारा निर्गत किया.
وَأَدْخَلَنَا هَذَا ٱلْمَكَانَ، وَأَعْطَانَا هَذِهِ ٱلْأَرْضَ، أَرْضًا تَفِيضُ لَبَنًا وَعَسَلًا. ٩ 9
वह हमें इस स्थान पर ले आए हैं, हमें यह देश प्रदान कर दिया है, ऐसा देश, जिसमें दूध और शहद की बहुतायत है;
فَٱلْآنَ هَأَنَذَا قَدْ أَتَيْتُ بِأَوَّلِ ثَمَرِ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَعْطَيْتَنِي يَا رَبُّ. ثُمَّ تَضَعُهُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ، وَتَسْجُدُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ. ١٠ 10
अब देखिए, याहवेह, आपके द्वारा दी इस भूमि की पहली उपज मैं यहां ले आया हूं.” तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के सामने यह प्रस्तुत कर दोगे और तुम याहवेह, अपने परमेश्वर का स्तवन करोगे.
وَتَفْرَحُ بِجَمِيعِ ٱلْخَيْرِ ٱلَّذِي أَعْطَاهُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ لَكَ وَلِبَيْتِكَ، أَنْتَ وَٱللَّاوِيُّ وَٱلْغَرِيبُ ٱلَّذِي فِي وَسْطِكَ. ١١ 11
तुम, वह लेवीगोत्रज और वह परदेशी, जो तुम्हारे बीच रह रहा है, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर द्वारा दी सारी उत्तम वस्तुओं के लिए अपने परिवार के साथ उल्लास मनाओगे.
«مَتَى فَرَغْتَ مِنْ تَعْشِيرِ كُلِّ عُشُورِ مَحْصُولِكَ، فِي ٱلسَّنَةِ ٱلثَّالِثَةِ، سَنَةِ ٱلْعُشُورِ، وَأَعْطَيْتَ ٱللَّاوِيَّ وَٱلْغَرِيبَ وَٱلْيَتِيمَ وَٱلْأَرْمَلَةَ فَأَكَلُوا فِي أَبْوَابِكَ وَشَبِعُوا، ١٢ 12
जब तृतीय साल में, जो दसवें अंश का साल है, तुम अपना समग्र दसवां अंश दे चुको, तब तुम यह उस लेवी को, उस प्रवासी को, अनाथ, और विधवा को दे दोगे, जिससे वे तुम्हारे साथ नगर में इसका उपभोग करते हुए संतुष्ट रह सकें.
تَقُولُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ: قَدْ نَزَعْتُ ٱلْمُقَدَّسَ مِنَ ٱلْبَيْتِ، وَأَيْضًا أَعْطَيْتُهُ لِلَّاوِيِّ وَٱلْغَرِيبِ وَٱلْيَتِيمِ وَٱلْأَرْمَلَةِ، حَسَبَ كُلِّ وَصِيَّتِكَ ٱلَّتِي أَوْصَيْتَنِي بِهَا. لَمْ أَتَجَاوَزْ وَصَايَاكَ وَلَا نَسِيتُهَا. ١٣ 13
याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की उपस्थिति में तुम्हारे वचन ऐसे हों: “मैंने आपके आदेश के अनुरूप अपने घर में से पवित्र अंश लेकर मुझे दिए गए आपके आदेश के अनुसार लेवियों, यहां प्रवास कर रहे विदेशियों, अनाथों और विधवाओं को दे दिया है. न तो मैंने आपके आदेशों की आज्ञा टाली है, न ही उन्हें भुलाया है
لَمْ آكُلْ مِنْهُ فِي حُزْنِي، وَلَا أَخَذْتُ مِنْهُ فِي نَجَاسَةٍ، وَلَا أَعْطَيْتُ مِنْهُ لِأَجْلِ مَيْتٍ، بَلْ سَمِعْتُ لِصَوْتِ ٱلرَّبِّ إِلَهِي وَعَمِلْتُ حَسَبَ كُلِّ مَا أَوْصَيْتَنِي. ١٤ 14
मैंने इसका उपभोग न तो विलाप की स्थिति में किया है, न मैंने अशुद्धता की अवस्था में इसको छुआ है, और न मैंने इसमें से कुछ किसी मरे हुए को समर्पित किया है. मैंने शब्दश; याहवेह अपने परमेश्वर के आदेश का पालन किया है.
اِطَّلِعْ مِنْ مَسْكَنِ قُدْسِكَ، مِنَ ٱلسَّمَاءِ، وَبَارِكْ شَعْبَكَ إِسْرَائِيلَ وَٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي أَعْطَيْتَنَا، كَمَا حَلَفْتَ لِآبَائِنَا، أَرْضًا تَفِيضُ لَبَنًا وَعَسَلًا. ١٥ 15
अपने पवित्र निवास स्थान स्वर्ग से दृष्टि कीजिए और अपनी प्रजा इस्राएल को और उस भूमि को, जो आपने हमारे पूर्वजों को अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार प्रदान की है, जिसमें दूध और शहद की बहुतायत है, समृद्धि प्रदान कीजिए.”
«هَذَا ٱلْيَوْمَ قَدْ أَمَرَكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ أَنْ تَعْمَلَ بِهَذِهِ ٱلْفَرَائِضِ وَٱلْأَحْكَامِ، فَٱحْفَظْ وَٱعْمَلْ بِهَا مِنْ كُلِّ قَلْبِكَ وَمِنْ كُلِّ نَفْسِكَ. ١٦ 16
आज याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें यह आदेश दे रहे हैं कि तुम इन नियमों और आदेशों का पालन करो; तब तुम्हें पूरे हृदय और पूरे प्राणों से इनके पालन करने के विषय में सावधानी रखनी ही होगी.
قَدْ وَاعَدْتَ ٱلرَّبَّ ٱلْيَوْمَ أَنْ يَكُونَ لَكَ إِلَهًا، وَأَنْ تَسْلُكَ فِي طُرُقِهِ وَتَحْفَظَ فَرَائِضَهُ وَوَصَايَاهُ وَأَحْكَامَهُ وَتَسْمَعَ لِصَوْتِهِ. ١٧ 17
आज तुमने यह घोषणा कर दी है कि याहवेह ही तुम्हारे परमेश्वर हैं और यह भी कि तुम उनके द्वारा दी गई नीतियों का पालन करोगे; उनकी आज्ञाओं, उनके आदेशों और उनके नियमों का पालन करोगे और उन्हीं की सुनोगे.
وَوَاعَدَكَ ٱلرَّبُّ ٱلْيَوْمَ أَنْ تَكُونَ لَهُ شَعْبًا خَاصًّا، كَمَا قَالَ لَكَ، وَتَحْفَظَ جَمِيعَ وَصَايَاهُ، ١٨ 18
आज याहवेह ने तुम्हें अपनी प्रजा, अपना कीमती धन घोषित कर दिया है, तुमसे की गई अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार और यह कि ज़रूरी है कि तुम उसके सारे आदेशों का पालन करो.
وَأَنْ يَجْعَلَكَ مُسْتَعْلِيًا عَلَى جَمِيعِ ٱلْقَبَائِلِ ٱلَّتِي عَمِلَهَا فِي ٱلثَّنَاءِ وَٱلِٱسْمِ وَٱلْبَهَاءِ، وَأَنْ تَكُونَ شَعْبًا مُقَدَّسًا لِلرَّبِّ إِلَهِكَ، كَمَا قَالَ». ١٩ 19
और यह कि वह तुम्हें उन सभी जनताओं से, जो उनके द्वारा स्थापित किए गए हैं, उच्चतर बनाए रखेंगे, स्तुति के लिए कीर्ति के लिए और सम्मान के लिए और तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के लिए पवित्र प्रजा हो जाओगे; जैसा खुद उन्होंने कहा है.

< اَلتَّثْنِيَة 26 >