< اَلتَّثْنِيَة 24 >

«إِذَا أَخَذَ رَجُلٌ ٱمْرَأَةً وَتَزَوَّجَ بِهَا، فَإِنْ لَمْ تَجِدْ نِعْمَةً فِي عَيْنَيْهِ لِأَنَّهُ وَجَدَ فِيهَا عَيْبَ شَيْءٍ، وَكَتَبَ لَهَا كِتَابَ طَلَاقٍ وَدَفَعَهُ إِلَى يَدِهَا وَأَطْلَقَهَا مِنْ بَيْتِهِ، ١ 1
अगर कोई मर्द किसी 'औरत से ब्याह करे और पीछे उसमे कोई ऐसी बेहूदा बात पाए जिससे उस 'औरत की तरफ़ उसकी उनसियत न रहे, तो वह उसका तलाक़ नामा लिख कर उसके हवाले करे और उसे अपने घर से निकाल दे।
وَمَتَى خَرَجَتْ مِنْ بَيْتِهِ ذَهَبَتْ وَصَارَتْ لِرَجُلٍ آخَرَ، ٢ 2
और जब वह उसके घर से निकल जाए, तो वह दूसरे मर्द की हो सकती है।
فَإِنْ أَبْغَضَهَا ٱلرَّجُلُ ٱلْأَخِيرُ وَكَتَبَ لَهَا كِتَابَ طَلَاقٍ وَدَفَعَهُ إِلَى يَدِهَا وَأَطْلَقَهَا مِنْ بَيْتِهِ، أَوْ إِذَا مَاتَ ٱلرَّجُلُ ٱلْأَخِيرُ ٱلَّذِي ٱتَّخَذَهَا لَهُ زَوْجَةً، ٣ 3
लेकिन अगर दूसरा शौहर भी उससे नाख़ुश रहे, और उसका तलाक़नामा लिखकर उसके हवाले करे और उसे अपने घर से निकाल दे या वह दूसरा शौहर जिसने उससे ब्याह किया हो मर जाए,
لَا يَقْدِرُ زَوْجُهَا ٱلْأَوَّلُ ٱلَّذِي طَلَّقَهَا أَنْ يَعُودَ يَأْخُذُهَا لِتَصِيرَ لَهُ زَوْجَةً بَعْدَ أَنْ تَنَجَّسَتْ. لِأَنَّ ذَلِكَ رِجْسٌ لَدَى ٱلرَّبِّ. فَلَا تَجْلِبْ خَطِيَّةً عَلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي يُعْطِيكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ نَصِيبًا. ٤ 4
तो उसका पहला शौहर जिसने उसे निकाल दिया था उस 'औरत के नापाक हो जाने के बाद फिर उससे ब्याह न करने पाए, क्यूँकि ऐसा काम ख़ुदावन्द के नज़दीक मकरूह है। इसलिए तू उस मुल्क को जिसे ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा मीरास के तौर पर तुझको देता है, गुनाहगार न बनाना।
«إِذَا ٱتَّخَذَ رَجُلٌ ٱمْرَأَةً جَدِيدَةً، فَلَا يَخْرُجْ فِي ٱلْجُنْدِ، وَلَا يُحْمَلْ عَلَيْهِ أَمْرٌ مَّا. حُرًّا يَكُونُ فِي بَيْتِهِ سَنَةً وَاحِدَةً، وَيَسُرُّ ٱمْرَأَتَهُ ٱلَّتِي أَخَذَهَا. ٥ 5
जब किसी ने कोई नई 'औरत ब्याही हो, तो वह जंग के लिए न जाए और न कोई काम उसके सुपुर्द हो। वह साल भर तक अपने ही घर में आज़ाद रह कर अपनी ब्याही हुई बीवी को ख़ुश रख्खे।
«لَا يَسْتَرْهِنْ أَحَدٌ رَحًى أَوْ مِرْدَاتَهَا، لِأَنَّهُ إِنَّمَا يَسْتَرْهِنُ حَيَاةً. ٦ 6
कोई शख़्स चक्की को या उसके ऊपर के पाट को गिरवी न रख्खे, क्यूँकि यह तो जैसे आदमी की जान को गिरवी रखना है।
«إِذَا وُجِدَ رَجُلٌ قَدْ سَرَقَ نَفْسًا مِنْ إِخْوَتِهِ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَٱسْتَرَقَّهُ وَبَاعَهُ، يَمُوتُ ذَلِكَ ٱلسَّارِقُ، فَتَنْزِعُ ٱلشَّرَّ مِنْ وَسَطِكَ. ٧ 7
अगर कोई शख़्स अपने इस्राईली भाइयों में से किसी को ग़ुलाम बनाए या बेचने की नियत से चुराता हुआ पकड़ा जाए, तो वह चोर मार डाला जाए। यूँ तू ऐसी बुराई अपने बीच से दफ़ा' करना।
«اِحْرِصْ فِي ضَرْبَةِ ٱلْبَرَصِ لِتَحْفَظَ جِدًّا وَتَعْمَلَ حَسَبَ كُلِّ مَا يُعَلِّمُكَ ٱلْكَهَنَةُ ٱللَّاوِيُّونَ. كَمَا أَمَرْتُهُمْ تَحْرِصُونَ أَنْ تَعْمَلُوا. ٨ 8
तू कोढ़ की बीमारी की तरफ़ से होशियार रहना, और लावी काहिनों की सब बातों को जो वह तुमको बताएँ जानफ़िशानी से मानना और उनके मुताबिक़ 'अमल करना; जैसा मैंने उनको हुक्म किया है वैसा ही ध्यान देकर करना।
اُذْكُرْ مَا صَنَعَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ بِمَرْيَمَ فِي ٱلطَّرِيقِ عِنْدَ خُرُوجِكُمْ مِنْ مِصْرَ. ٩ 9
तू याद रखना कि ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने जब तुम मिस्र से निकलकर आ रहे थे, तो रास्ते में मरियम से क्या किया।
«إِذَا أَقْرَضْتَ صَاحِبَكَ قَرْضًا مَّا، فَلَا تَدْخُلْ بَيْتَهُ لِكَيْ تَرْتَهِنَ رَهْنًا مِنْهُ. ١٠ 10
जब तू अपने भाई को कुछ क़र्ज़ दे, तो गिरवी की चीज़ लेने को उसके घर में न घुसना।
فِي ٱلْخَارِجِ تَقِفُ، وَٱلرَّجُلُ ٱلَّذِي تُقْرِضُهُ يُخْرِجُ إِلَيْكَ ٱلرَّهْنَ إِلَى ٱلْخَارِجِ. ١١ 11
तू बाहर ही खड़े रहना, और वह शख़्स जिसे तू क़र्ज़ दे खु़द गिरवी की चीज़ बाहर तेरे पास लाए।
وَإِنْ كَانَ رَجُلًا فَقِيرًا فَلَا تَنَمْ فِي رَهْنِهِ. ١٢ 12
और अगर वह शख़्स ग़रीब हो, तो उसकी गिरवी की चीज़ को पास रखकर सो न जाना;
رُدَّ إِلَيْهِ ٱلرَّهْنَ عِنْدَ غُرُوبِ ٱلشَّمْسِ، لِكَيْ يَنَامَ فِي ثَوْبِهِ وَيُبَارِكَكَ، فَيَكُونَ لَكَ بِرٌّ لَدَى ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ. ١٣ 13
बल्कि जब आफ़ताब गु़रूब होने लगे, तो उसकी चीज़ उसे लौटा देना ताकि वह अपना ओढ़ना ओढ़कर सोए और तुझको दुआ दे; और यह बात तेरे लिए ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा के सामने रास्तबाज़ी ठहरेगी।
«لَا تَظْلِمْ أَجِيرًا مِسْكِينًا وَفَقِيرًا مِنْ إِخْوَتِكَ أَوْ مِنَ ٱلْغُرَبَاءِ ٱلَّذِينَ فِي أَرْضِكَ، فِي أَبْوَابِكَ. ١٤ 14
तू अपने ग़रीब और मोहताज ख़ादिम पर जु़ल्म न करना, चाहे वह तेरे भाइयों में से हो चाहे उन परदेसियों में से जो तेरे मुल्क के अन्दर तेरी बस्तियों में रहते हों।
فِي يَوْمِهِ تُعْطِيهِ أُجْرَتَهُ، وَلَا تَغْرُبْ عَلَيْهَا ٱلشَّمْسُ، لِأَنَّهُ فَقِيرٌ وَإِلَيْهَا حَامِلٌ نَفْسَهُ، لِئَلَّا يَصْرُخَ عَلَيْكَ إِلَى ٱلرَّبِّ فَتَكُونَ عَلَيْكَ خَطِيَّةٌ. ١٥ 15
तू उसी दिन इससे पहले कि आफ़ताब ग़ुरूब हो उसकी मज़दूरी उसे देना, क्यूँकि वह ग़रीब है और उसका दिल मज़दूरी में लगा रहता है; ऐसा न हो कि वह ख़ुदावन्द से तेरे ख़िलाफ़ फ़रियाद करे और यह तेरे हक़ में गुनाह ठहरे।
«لَا يُقْتَلُ ٱلْآبَاءُ عَنِ ٱلْأَوْلَادِ، وَلَا يُقْتَلُ ٱلْأَوْلَادُ عَنِ ٱلْآبَاءِ. كُلُّ إِنْسَانٍ بِخَطِيَّتِهِ يُقْتَلُ. ١٦ 16
बेटों के बदले बाप मारे न जाएँ न बाप के बदले बेटे मारे जाएँ। हर एक अपने ही गुनाह की वजह से मारा जाए।
«لَا تُعَوِّجْ حُكْمَ ٱلْغَرِيبِ وَٱلْيَتِيمِ، وَلَا تَسْتَرْهِنْ ثَوْبَ ٱلْأَرْمَلَةِ. ١٧ 17
तू परदेसी या यतीम के मुक़द्दमे को न बिगाड़ना, और न बेवा के कपड़े को गिरवी रखना;
وَٱذْكُرْ أَنَّكَ كُنْتَ عَبْدًا فِي مِصْرَ فَفَدَاكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ مِنْ هُنَاكَ. لِذَلِكَ أَنَا أُوصِيكَ أَنْ تَعْمَلَ هَذَا ٱلْأَمْرَ. ١٨ 18
बल्कि याद रखना कि तू मिस्र में ग़ुलाम था, और ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने तुझको वहाँ से छुड़ाया; इसीलिए मैं तुझको इस काम के करने का हुक्म देता हूँ।
«إِذَا حَصَدْتَ حَصِيدَكَ فِي حَقْلِكَ وَنَسِيتَ حُزْمَةً فِي ٱلْحَقْلِ، فَلَا تَرْجِعْ لِتَأْخُذَهَا، لِلْغَرِيبِ وَٱلْيَتِيمِ وَٱلْأَرْمَلَةِ تَكُونُ، لِكَيْ يُبَارِكَكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ فِي كُلِّ عَمَلِ يَدَيْكَ. ١٩ 19
जब तू अपने खेत की फ़सल काटे और कोई पूला खेत में भूल से रह जाए, तो उसके लेने को वापस न जाना, वह परदेसी और यतीम और बेवा के लिए रहे; ताकि ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा तेरे सब कामों में जिनको तू हाथ लगाये तुझको बरकत बख़्शे।
وَإِذَا خَبَطْتَ زَيْتُونَكَ فَلَا تُرَاجِعِ ٱلْأَغْصَانَ وَرَاءَكَ، لِلْغَرِيبِ وَٱلْيَتِيمِ وَٱلْأَرْمَلَةِ يَكُونُ. ٢٠ 20
जब तू अपने ज़ैतून के दरख़्त को झाड़े, तो उसके बाद उसकी शाख़ों को दोबारा न झाड़ना; बल्कि वह परदेसी और यतीम और बेवा के लिए रहें।
إِذَا قَطَفْتَ كَرْمَكَ فَلَا تُعَلِّلْهُ وَرَاءَكَ. لِلْغَرِيبِ وَٱلْيَتِيمِ وَٱلْأَرْمَلَةِ يَكُونُ. ٢١ 21
जब तू अपने ताकिस्तान के अंगूरों को जमा' करे, तो उसके बाद उसका दाना — दाना न तोड़ लेना; वह परदेसी और यतीम और बेवा के लिए रहे।
وَٱذْكُرْ أَنَّكَ كُنْتَ عَبْدًا فِي أَرْضِ مِصْرَ. لِذَلِكَ أَنَا أُوصِيكَ أَنْ تَعْمَلَ هَذَا ٱلْأَمْرَ. ٢٢ 22
और याद रखना कि तू मुल्क — ए — मिस्र में ग़ुलाम था; इसी लिए मैं तुझको इस काम के करने का हुक्म देता हूँ।

< اَلتَّثْنِيَة 24 >