< اَلتَّثْنِيَة 20 >

«إِذَا خَرَجْتَ لِلْحَرْبِ عَلَى عَدُوِّكَ وَرَأَيْتَ خَيْلًا وَمَرَاكِبَ، قَوْمًا أَكْثَرَ مِنْكَ، فَلَا تَخَفْ مِنْهُمْ، لِأَنَّ مَعَكَ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ ٱلَّذِي أَصْعَدَكَ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ. ١ 1
“जब तू अपने शत्रुओं से युद्ध करने को जाए, और घोड़े, रथ, और अपने से अधिक सेना को देखे, तब उनसे न डरना; तेरा परमेश्वर यहोवा जो तुझको मिस्र देश से निकाल ले आया है वह तेरे संग है।
وَعِنْدَمَا تَقْرُبُونَ مِنَ ٱلْحَرْبِ يَتَقَدَّمُ ٱلْكَاهِنُ وَيُخَاطِبُ ٱلشَّعْبَ ٢ 2
और जब तुम युद्ध करने को शत्रुओं के निकट जाओ, तब याजक सेना के पास आकर कहे,
وَيَقُولُ لَهُمْ: ٱسْمَعْ يَا إِسْرَائِيلُ: أَنْتُمْ قَرُبْتُمُ ٱلْيَوْمَ مِنَ ٱلْحَرْبِ عَلَى أَعْدَائِكُمْ. لَا تَضْعُفْ قُلُوبُكُمْ. لَا تَخَافُوا وَلَا تَرْتَعِدُوا وَلَا تَرْهَبُوا وُجُوهَهُمْ، ٣ 3
‘हे इस्राएलियों सुनो, आज तुम अपने शत्रुओं से युद्ध करने को निकट आए हो; तुम्हारा मन कच्चा न हो; तुम मत डरो, और न थरथराओ, और न उनके सामने भय खाओ;
لِأَنَّ ٱلرَّبَّ إِلَهَكُمْ سَائِرٌ مَعَكُمْ لِكَيْ يُحَارِبَ عَنْكُمْ أَعْدَاءَكُمْ لِيُخَلِّصَكُمْ. ٤ 4
क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारे शत्रुओं से युद्ध करने और तुम्हें बचाने के लिये तुम्हारे संग-संग चलता है।’
ثُمَّ يُخَاطِبُ ٱلْعُرَفَاءُ ٱلشَّعْبَ قَائِلِينَ: مَنْ هُوَ ٱلرَّجُلُ ٱلَّذِي بَنَى بَيْتًا جَدِيدًا وَلَمْ يُدَشِّنْهُ؟ لِيَذْهَبْ وَيَرْجِعْ إِلَى بَيْتِهِ لِئَلَّا يَمُوتَ فِي ٱلْحَرْبِ فَيُدَشِّنَهُ رَجُلٌ آخَرُ. ٥ 5
फिर सरदार सिपाहियों से यह कहें, ‘तुम में से कौन है जिसने नया घर बनाया हो और उसका समर्पण न किया हो? तो वह अपने घर को लौट जाए, कहीं ऐसा न हो कि वह युद्ध में मर जाए और दूसरा मनुष्य उसका समर्पण करे।
وَمَنْ هُوَ ٱلرَّجُلُ ٱلَّذِي غَرَسَ كَرْمًا وَلَمْ يَبْتَكِرْهُ؟ لِيَذْهَبْ وَيَرْجِعْ إِلَى بَيْتِهِ لِئَلَّا يَمُوتَ فِي ٱلْحَرْبِ فَيَبْتَكِرَهُ رَجُلٌ آخَرُ. ٦ 6
और कौन है जिसने दाख की बारी लगाई हो, परन्तु उसके फल न खाए हों? वह भी अपने घर को लौट जाए, ऐसा न हो कि वह संग्राम में मारा जाए, और दूसरा मनुष्य उसके फल खाए।
وَمَنْ هُوَ ٱلرَّجُلُ ٱلَّذِي خَطَبَ ٱمْرَأَةً وَلَمْ يَأْخُذْهَا؟ لِيَذْهَبْ وَيَرْجِعْ إِلَى بَيْتِهِ لِئَلَّا يَمُوتَ فِي ٱلْحَرْبِ فَيَأْخُذَهَا رَجُلٌ آخَرُ. ٧ 7
फिर कौन है जिसने किसी स्त्री से विवाह की बात लगाई हो, परन्तु उसको विवाह करके न लाया हो? वह भी अपने घर को लौट जाए, ऐसा न हो कि वह युद्ध में मारा जाए, और दूसरा मनुष्य उससे विवाह कर ले।’
ثُمَّ يَعُودُ ٱلْعُرَفَاءُ يُخَاطِبُونَ ٱلشَّعْبَ وَيَقُولُونَ: مَنْ هُوَ ٱلرَّجُلُ ٱلْخَائِفُ وَٱلضَّعِيفُ ٱلْقَلْبِ؟ لِيَذْهَبْ وَيَرْجِعْ إِلَى بَيْتِهِ لِئَلَّا تَذُوبَ قُلُوبُ إِخْوَتِهِ مِثْلَ قَلْبِهِ. ٨ 8
इसके अलावा सरदार सिपाहियों से यह भी कहें, ‘कौन-कौन मनुष्य है जो डरपोक और कच्चे मन का है, वह भी अपने घर को लौट जाए, ऐसा न हो कि उसको देखकर उसके भाइयों का भी हियाव टूट जाए।’
وَعِنْدَ فَرَاغِ ٱلْعُرَفَاءِ مِنْ مُخَاطَبَةِ ٱلشَّعْبِ يُقِيمُونَ رُؤَسَاءَ جُنُودٍ عَلَى رَأْسِ ٱلشَّعْبِ. ٩ 9
और जब प्रधान सिपाहियों से यह कह चुकें, तब उन पर प्रधानता करने के लिये सेनापतियों को नियुक्त करें।
«حِينَ تَقْرُبُ مِنْ مَدِينَةٍ لِكَيْ تُحَارِبَهَا ٱسْتَدْعِهَا إِلَى ٱلصُّلْحِ، ١٠ 10
१०“जब तू किसी नगर से युद्ध करने को उसके निकट जाए, तब पहले उससे संधि करने का समाचार दे।
فَإِنْ أَجَابَتْكَ إِلَى ٱلصُّلْحِ وَفَتَحَتْ لَكَ، فَكُلُّ ٱلشَّعْبِ ٱلْمَوْجُودِ فِيهَا يَكُونُ لَكَ لِلتَّسْخِيرِ وَيُسْتَعْبَدُ لَكَ. ١١ 11
११और यदि वह संधि करना स्वीकार करे और तेरे लिये अपने फाटक खोल दे, तब जितने उसमें हों वे सब तेरे अधीन होकर तेरे लिये बेगार करनेवाले ठहरें।
وَإِنْ لَمْ تُسَالِمْكَ، بَلْ عَمِلَتْ مَعَكَ حَرْبًا، فَحَاصِرْهَا. ١٢ 12
१२परन्तु यदि वे तुझ से संधि न करें, परन्तु तुझ से लड़ना चाहें, तो तू उस नगर को घेर लेना;
وَإِذَا دَفَعَهَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ إِلَى يَدِكَ فَٱضْرِبْ جَمِيعَ ذُكُورِهَا بِحَدِّ ٱلسَّيْفِ. ١٣ 13
१३और जब तेरा परमेश्वर यहोवा उसे तेरे हाथ में सौंप दे तब उसमें के सब पुरुषों को तलवार से मार डालना।
وَأَمَّا ٱلنِّسَاءُ وَٱلْأَطْفَالُ وَٱلْبَهَائِمُ وَكُلُّ مَا فِي ٱلْمَدِينَةِ، كُلُّ غَنِيمَتِهَا، فَتَغْتَنِمُهَا لِنَفْسِكَ، وَتَأْكُلُ غَنِيمَةَ أَعْدَائِكَ ٱلَّتِي أَعْطَاكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ. ١٤ 14
१४परन्तु स्त्रियाँ और बाल-बच्चे, और पशु आदि जितनी लूट उस नगर में हो उसे अपने लिये रख लेना; और तेरे शत्रुओं की लूट जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे दे उसे काम में लाना।
هَكَذَا تَفْعَلُ بِجَمِيعِ ٱلْمُدُنِ ٱلْبَعِيدَةِ مِنْكَ جِدًّا ٱلَّتِي لَيْسَتْ مِنْ مُدُنِ هَؤُلَاءِ ٱلْأُمَمِ هُنَا. ١٥ 15
१५इस प्रकार उन नगरों से करना जो तुझ से बहुत दूर हैं, और जो यहाँ की जातियों के नगर नहीं हैं।
وَأَمَّا مُدُنُ هَؤُلَاءِ ٱلشُّعُوبِ ٱلَّتِي يُعْطِيكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ نَصِيبًا فَلَا تَسْتَبْقِ مِنْهَا نَسَمَةً مَّا، ١٦ 16
१६परन्तु जो नगर इन लोगों के हैं, जिनका अधिकारी तेरा परमेश्वर यहोवा तुझको ठहराने पर है, उनमें से किसी प्राणी को जीवित न रख छोड़ना,
بَلْ تُحَرِّمُهَا تَحْرِيمًا: ٱلْحِثِّيِّينَ وَٱلْأَمُورِيِّينَ وَٱلْكَنْعَانِيِّينَ وَٱلْفِرِزِّيِّينَ وَٱلْحِوِّيِّينَ وَٱلْيَبُوسِيِّينَ، كَمَا أَمَرَكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ، ١٧ 17
१७परन्तु उनका अवश्य सत्यानाश करना, अर्थात् हित्तियों, एमोरियों, कनानियों, परिज्जियों, हिब्बियों, और यबूसियों को, जैसे कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे आज्ञा दी है;
لِكَيْ لَا يُعَلِّمُوكُمْ أَنْ تَعْمَلُوا حَسَبَ جَمِيعِ أَرْجَاسِهِمِ ٱلَّتِي عَمِلُوا لِآلِهَتِهِمْ، فَتُخْطِئُوا إِلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمْ. ١٨ 18
१८ऐसा न हो कि जितने घिनौने काम वे अपने देवताओं की सेवा में करते आए हैं वैसा ही करना तुम्हें भी सिखाएँ, और तुम अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध पाप करने लगो।
«إِذَا حَاصَرْتَ مَدِينَةً أَيَّامًا كَثِيرَةً مُحَارِبًا إِيَّاهَا لِكَيْ تَأْخُذَهَا، فَلَا تُتْلِفْ شَجَرَهَا بِوَضْعِ فَأْسٍ عَلَيْهِ. إِنَّكَ مِنْهُ تَأْكُلُ. فَلَا تَقْطَعْهُ. لِأَنَّهُ هَلْ شَجَرَةُ ٱلْحَقْلِ إِنْسَانٌ حَتَّى يَذْهَبَ قُدَّامَكَ فِي ٱلْحِصَارِ؟ ١٩ 19
१९“जब तू युद्ध करते हुए किसी नगर को जीतने के लिये उसे बहुत दिनों तक घेरे रहे, तब उसके वृक्षों पर कुल्हाड़ी चलाकर उन्हें नाश न करना, क्योंकि उनके फल तेरे खाने के काम आएँगे, इसलिए उन्हें न काटना। क्या मैदान के वृक्ष भी मनुष्य हैं कि तू उनको भी घेर रखे?
وَأَمَّا ٱلشَّجَرُ ٱلَّذِي تَعْرِفُ أَنَّهُ لَيْسَ شَجَرًا يُؤْكَلُ مِنْهُ، فَإِيَّاهُ تُتْلِفُ وَتَقْطَعُ وَتَبْنِي حِصْنًا عَلَى ٱلْمَدِينَةِ ٱلَّتِي تَعْمَلُ مَعَكَ حَرْبًا حَتَّى تَسْقُطَ. ٢٠ 20
२०परन्तु जिन वृक्षों के विषय में तू यह जान ले कि इनके फल खाने के नहीं हैं, तो उनको काटकर नाश करना, और उस नगर के विरुद्ध उस समय तक घेराबन्दी किए रहना जब तक वह तेरे वश में न आ जाए।

< اَلتَّثْنِيَة 20 >