< اَلتَّثْنِيَة 17 >

«لَا تَذْبَحْ لِلرَّبِّ إِلَهِكَ ثَوْرًا أَوْ شَاةً فِيهِ عَيْبٌ، شَيْءٌ مَّا رَدِيءٌ، لِأَنَّ ذَلِكَ رِجْسٌ لَدَى ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ. ١ 1
“तू अपने परमेश्वर यहोवा के लिये कोई बैल या भेड़-बकरी बलि न करना जिसमें दोष या किसी प्रकार की खोट हो; क्योंकि ऐसा करना तेरे परमेश्वर यहोवा के समीप घृणित है।
«إِذَا وُجِدَ فِي وَسَطِكَ فِي أَحَدِ أَبْوَابِكَ ٱلَّتِي يُعْطِيكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ رَجُلٌ أَوِ ٱمْرَأَةٌ يَفْعَلُ شَرًّا فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ بِتَجَاوُزِ عَهْدِهِ، ٢ 2
“जो बस्तियाँ तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है, यदि उनमें से किसी में कोई पुरुष या स्त्री ऐसी पाई जाए, जिसने तेरे परमेश्वर यहोवा की वाचा तोड़कर ऐसा काम किया हो, जो उसकी दृष्टि में बुरा है,
وَيَذْهَبُ وَيَعْبُدُ آلِهَةً أُخْرَى وَيَسْجُدُ لَهَا، أَوْ لِلشَّمْسِ أَوْ لِلْقَمَرِ أَوْ لِكُلٍّ مِنْ جُنْدِ ٱلسَّمَاءِ، ٱلشَّيْءَ ٱلَّذِي لَمْ أُوصِ بِهِ، ٣ 3
अर्थात् मेरी आज्ञा का उल्लंघन करके पराए देवताओं की, या सूर्य, या चन्द्रमा, या आकाश के गण में से किसी की उपासना की हो, या उनको दण्डवत् किया हो,
وَأُخْبِرْتَ وَسَمِعْتَ وَفَحَصْتَ جَيِّدًا وَإِذَا ٱلْأَمْرُ صَحِيحٌ أَكِيدٌ. قَدْ عُمِلَ ذَلِكَ ٱلرِّجْسُ فِي إِسْرَائِيلَ، ٤ 4
और यह बात तुझे बताई जाए और तेरे सुनने में आए; तब भली भाँति पूछपाछ करना, और यदि यह बात सच ठहरे कि इस्राएल में ऐसा घृणित कर्म किया गया है,
فَأَخْرِجْ ذَلِكَ ٱلرَّجُلَ أَوْ تِلْكَ ٱلْمَرْأَةَ، ٱلَّذِي فَعَلَ ذَلِكَ ٱلْأَمْرَ ٱلشِّرِّيرَ إِلَى أَبْوَابِكَ، ٱلرَّجُلَ أَوِ ٱلْمَرْأَةَ، وَٱرْجُمْهُ بِٱلْحِجَارَةِ حَتَّى يَمُوتَ. ٥ 5
तो जिस पुरुष या स्त्री ने ऐसा बुरा काम किया हो, उस पुरुष या स्त्री को बाहर अपने फाटकों पर ले जाकर ऐसा पथराव करना कि वह मर जाए।
عَلَى فَمِ شَاهِدَيْنِ أَوْ ثَلَاثَةِ شُهُودٍ يُقْتَلُ ٱلَّذِي يُقْتَلُ. لَا يُقْتَلْ عَلَى فَمِ شَاهِدٍ وَاحِدٍ. ٦ 6
जो प्राणदण्ड के योग्य ठहरे वह एक ही की साक्षी से न मार डाला जाए, किन्तु दो या तीन मनुष्यों की साक्षी से मार डाला जाए।
أَيْدِي ٱلشُّهُودِ تَكُونُ عَلَيْهِ أَوَّلًا لِقَتْلِهِ، ثُمَّ أَيْدِي جَمِيعِ ٱلشَّعْبِ أَخِيرًا، فَتَنْزِعُ ٱلشَّرَّ مِنْ وَسَطِكَ. ٧ 7
उसके मार डालने के लिये सबसे पहले साक्षियों के हाथ, और उनके बाद और सब लोगों के हाथ उठें। इसी रीति से ऐसी बुराई को अपने मध्य से दूर करना।
«إِذَا عَسِرَ عَلَيْكَ أَمْرٌ فِي ٱلْقَضَاءِ بَيْنَ دَمٍ وَدَمٍ، أَوْ بَيْنَ دَعْوَى وَدَعْوَى، أَوْ بَيْنَ ضَرْبَةٍ وَضَرْبَةٍ مِنْ أُمُورِ ٱلْخُصُومَاتِ فِي أَبْوَابِكَ، فَقُمْ وَٱصْعَدْ إِلَى ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي يَخْتَارُهُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ، ٨ 8
“यदि तेरी बस्तियों के भीतर कोई झगड़े की बात हो, अर्थात् आपस के खून, या विवाद, या मारपीट का कोई मुकद्दमा उठे, और उसका न्याय करना तेरे लिये कठिन जान पड़े, तो उस स्थान को जाकर जो तेरा परमेश्वर यहोवा चुन लेगा;
وَٱذْهَبْ إِلَى ٱلْكَهَنَةِ ٱللَّاوِيِّينَ وَإِلَى ٱلْقَاضِي ٱلَّذِي يَكُونُ فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ، وَٱسْأَلْ فَيُخْبِرُوكَ بِأَمْرِ ٱلْقَضَاءِ. ٩ 9
लेवीय याजकों के पास और उन दिनों के न्यायियों के पास जाकर पूछताछ करना, कि वे तुम को न्याय की बातें बताएँ।
فَتَعْمَلُ حَسَبَ ٱلْأَمْرِ ٱلَّذِي يُخْبِرُونَكَ بِهِ مِنْ ذَلِكَ ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي يَخْتَارُهُ ٱلرَّبُّ، وَتَحْرِصُ أَنْ تَعْمَلَ حَسَبَ كُلِّ مَا يُعَلِّمُونَكَ. ١٠ 10
१०और न्याय की जैसी बात उस स्थान के लोग जो यहोवा चुन लेगा तुझे बता दें, उसी के अनुसार करना; और जो व्यवस्था वे तुझे दें उसी के अनुसार चलने में चौकसी करना;
حَسَبَ ٱلشَّرِيعَةِ ٱلَّتِي يُعَلِّمُونَكَ وَٱلْقَضَاءِ ٱلَّذِي يَقُولُونَهُ لَكَ تَعْمَلُ. لَا تَحِدْ عَنِ ٱلْأَمْرِ ٱلَّذِي يُخْبِرُونَكَ بِهِ يَمِينًا أَوْ شِمَالًا. ١١ 11
११व्यवस्था की जो बात वे तुझे बताएँ, और न्याय की जो बात वे तुझ से कहें, उसी के अनुसार करना; जो बात वे तुझको बताएँ उससे दाएँ या बाएँ न मुड़ना।
وَٱلرَّجُلُ ٱلَّذِي يَعْمَلُ بِطُغْيَانٍ، فَلَا يَسْمَعُ لِلْكَاهِنِ ٱلْوَاقِفِ هُنَاكَ لِيَخْدِمَ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ، أَوْ لِلْقَاضِي، يُقْتَلُ ذَلِكَ ٱلرَّجُلُ، فَتَنْزِعُ ٱلشَّرَّ مِنْ إِسْرَائِيلَ. ١٢ 12
१२और जो मनुष्य अभिमान करके उस याजक की, जो वहाँ तेरे परमेश्वर यहोवा की सेवा टहल करने को उपस्थित रहेगा, न माने, या उस न्यायी की न सुने, तो वह मनुष्य मार डाला जाए; इस प्रकार तू इस्राएल में से ऐसी बुराई को दूर कर देना।
فَيَسْمَعُ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ وَيَخَافُونَ وَلَا يَطْغَوْنَ بَعْدُ. ١٣ 13
१३इससे सब लोग सुनकर डर जाएँगे, और फिर अभिमान नहीं करेंगे।
«مَتَى أَتَيْتَ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي يُعْطِيكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ، وَٱمْتَلَكْتَهَا وَسَكَنْتَ فِيهَا، فَإِنْ قُلْتَ: أَجْعَلُ عَلَيَّ مَلِكًا كَجَمِيعِ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ حَوْلِي. ١٤ 14
१४“जब तू उस देश में पहुँचे जिसे तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है, और उसका अधिकारी हो, और उनमें बसकर कहने लगे, कि चारों ओर की सब जातियों के समान मैं भी अपने ऊपर राजा ठहराऊँगा;
فَإِنَّكَ تَجْعَلُ عَلَيْكَ مَلِكًا ٱلَّذِي يَخْتَارُهُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ. مِنْ وَسَطِ إِخْوَتِكَ تَجْعَلُ عَلَيْكَ مَلِكًا. لَا يَحِلُّ لَكَ أَنْ تَجْعَلَ عَلَيْكَ رَجُلًا أَجْنَبِيًّا لَيْسَ هُوَ أَخَاكَ. ١٥ 15
१५तब जिसको तेरा परमेश्वर यहोवा चुन ले अवश्य उसी को राजा ठहराना। अपने भाइयों ही में से किसी को अपने ऊपर राजा ठहराना; किसी परदेशी को जो तेरा भाई न हो तू अपने ऊपर अधिकारी नहीं ठहरा सकता।
وَلَكِنْ لَا يُكَثِّرْ لَهُ ٱلْخَيْلَ، وَلَا يَرُدُّ ٱلشَّعْبَ إِلَى مِصْرَ لِكَيْ يُكَثِّرَ ٱلْخَيْلَ، وَٱلرَّبُّ قَدْ قَالَ لَكُمْ: لَا تَعُودُوا تَرْجِعُونَ فِي هَذِهِ ٱلطَّرِيقِ أَيْضًا. ١٦ 16
१६और वह बहुत घोड़े न रखे, और न इस मनसा से अपनी प्रजा के लोगों को मिस्र में भेजे कि उसके पास बहुत से घोड़े हो जाएँ, क्योंकि यहोवा ने तुम से कहा है, कि तुम उस मार्ग से फिर कभी न लौटना।
وَلَا يُكَثِّرْ لَهُ نِسَاءً لِئَلَّا يَزِيغَ قَلْبُهُ. وَفِضَّةً وَذَهَبًا لَا يُكَثِّرْ لَهُ كَثِيرًا. ١٧ 17
१७और वह बहुत स्त्रियाँ भी न रखे, ऐसा न हो कि उसका मन यहोवा की ओर से पलट जाए; और न वह अपना सोना-चाँदी बहुत बढ़ाए।
وَعِنْدَمَا يَجْلِسُ عَلَى كُرْسِيِّ مَمْلَكَتِهِ، يَكْتُبُ لِنَفْسِهِ نُسْخَةً مِنْ هَذِهِ ٱلشَّرِيعَةِ فِي كِتَابٍ مِنْ عِنْدِ ٱلْكَهَنَةِ ٱللَّاوِيِّينَ، ١٨ 18
१८और जब वह राजगद्दी पर विराजमान हो, तब इसी व्यवस्था की पुस्तक, जो लेवीय याजकों के पास रहेगी, उसकी एक नकल अपने लिये कर ले।
فَتَكُونُ مَعَهُ، وَيَقْرَأُ فِيهَا كُلَّ أَيَّامِ حَيَاتِهِ، لِكَيْ يَتَعَلَّمَ أَنْ يَتَّقِيَ ٱلرَّبَّ إِلَهَهُ وَيَحْفَظَ جَمِيعَ كَلِمَاتِ هَذِهِ ٱلشَّرِيعَةِ وَهَذِهِ ٱلْفَرَائِضَ لِيَعْمَلَ بِهَا، ١٩ 19
१९और वह उसे अपने पास रखे, और अपने जीवन भर उसको पढ़ा करे, जिससे वह अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना, और इस व्यवस्था और इन विधियों की सारी बातों को मानने में चौकसी करना, सीखे;
لِئَلَّا يَرْتَفِعَ قَلْبُهُ عَلَى إِخْوَتِهِ، وَلِئَلَّا يَحِيدَ عَنِ ٱلْوَصِيَّةِ يَمِينًا أَوْ شِمَالًا. لِكَيْ يُطِيلَ ٱلْأَيَّامَ عَلَى مَمْلَكَتِهِ هُوَ وَبَنُوهُ فِي وَسَطِ إِسْرَائِيلَ. ٢٠ 20
२०जिससे वह अपने मन में घमण्ड करके अपने भाइयों को तुच्छ न जाने, और इन आज्ञाओं से न तो दाएँ मुड़ें और न बाएँ; जिससे कि वह और उसके वंश के लोग इस्राएलियों के मध्य बहुत दिनों तक राज्य करते रहें।

< اَلتَّثْنِيَة 17 >