< اَلتَّثْنِيَة 12 >

«هَذِهِ هِيَ ٱلْفَرَائِضُ وَٱلْأَحْكَامُ ٱلَّتِي تَحْفَظُونَ لِتَعْمَلُوهَا فِي ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَعْطَاكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ آبَائِكَ لِتَمْتَلِكَهَا، كُلَّ ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي تَحْيَوْنَ عَلَى ٱلْأَرْضِ: ١ 1
उस देश में, जो याहवेह तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर ने तुम्हें अधिकार करने के लिए दे दिया है, ये नियम और विधि तुम आजीवन—जब तक तुम इस पृथ्वी पर जीवित रहोगे, बड़ी सावधानीपूर्वक पालन करते रहोगे.
تُخْرِبُونَ جَمِيعَ ٱلْأَمَاكِنِ حَيْثُ عَبَدَتِ ٱلْأُمَمُ ٱلَّتِي تَرِثُونَهَا آلِهَتَهَا عَلَى ٱلْجِبَالِ ٱلشَّامِخَةِ، وَعَلَى ٱلتِّلَالِ، وَتَحْتَ كُلِّ شَجَرَةٍ خَضْرَاءَ. ٢ 2
तुम उन सारे स्थानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दोगे, जहां तुम्हारे द्वारा उन राष्ट्रों से छीने गए, उन स्थानों पर वे राष्ट्र अपने देवताओं की उपासना किया करते थे; पर्वत शिखरों पर, टीलों पर और हर एक हरे वृक्ष की छाया में.
وَتَهْدِمُونَ مَذَابِحَهُمْ، وَتُكَسِّرُونَ أَنْصَابَهُمْ، وَتُحْرِقُونَ سَوَارِيَهُمْ بِٱلنَّارِ، وَتُقَطِّعُونَ تَمَاثِيلَ آلِهَتِهِمْ، وَتَمْحُونَ ٱسْمَهُمْ مِنْ ذَلِكَ ٱلْمَكَانِ. ٣ 3
तुम उनकी वेदियों को ध्वस्त कर दोगे, उनके पूज्य खंभों को चूर-चूर कर दोगे, उनकी अशेराओं का दाह कर दोगे, उनके देवताओं की उकेरी हुई मूर्तियों को काट डालोगे और उस स्थान से उनका नाम ही मिटा दोगे.
لَا تَفْعَلُوا هَكَذَا لِلرَّبِّ إِلَهِكُمْ. ٤ 4
तुम, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के संदर्भ में इनकी रीति के अनुसार कभी कुछ न करोगे.
بَلِ ٱلْمَكَانُ ٱلَّذِي يَخْتَارُهُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ مِنْ جَمِيعِ أَسْبَاطِكُمْ لِيَضَعَ ٱسْمَهُ فِيهِ، سُكْنَاهُ تَطْلُبُونَ وَإِلَى هُنَاكَ تَأْتُونَ، ٥ 5
मगर ज़रूरी है कि तुम याहवेह की वंदना उसी स्थान पर करोगे, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे समस्त गोत्रों को ठहराए हुए स्थानों में से चुनेंगे, कि वह वहां अपने घर के लिए अपनी प्रतिष्ठा की स्थापना करें, तुम उसी स्थान को जाओगे;
وَتُقَدِّمُونَ إِلَى هُنَاكَ: مُحْرَقَاتِكُمْ وَذَبَائِحَكُمْ وَعُشُورَكُمْ وَرَفَائِعَ أَيْدِيكُمْ وَنُذُورَكُمْ وَنَوَافِلَكُمْ وَأَبْكَارَ بَقَرِكُمْ وَغَنَمِكُمْ، ٦ 6
तुम उसी स्थान पर अपनी होमबलि, अपनी बलियां अपने दसवां अंश, अपने कामों के दान, मन्‍नत्तों की भेंटें, स्वैच्छिक भेंटे और पशुओं और भेड़ों के पहिलौठे लेकर आओगे.
وَتَأْكُلُونَ هُنَاكَ أَمَامَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمْ، وَتَفْرَحُونَ بِكُلِّ مَا تَمْتَدُّ إِلَيْهِ أَيْدِيكُمْ أَنْتُمْ وَبُيُوتُكُمْ كَمَا بَارَكَكُمُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ. ٧ 7
वही होगा वह स्थान, जहां तुम और तुम्हारा परिवार याहवेह तुम्हारे परमेश्वर की उपस्थिति में भोजन करोगे. वहीं तुम अपनी सारी उपलब्धियों के लिए, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर द्वारा पूरी हुईं हैं, उल्लास करोगे.
«لَا تَعْمَلُوا حَسَبَ كُلِّ مَا نَحْنُ عَامِلُونَ هُنَا ٱلْيَوْمَ، أَيْ كُلُّ إِنْسَانٍ مَهْمَا صَلَحَ فِي عَيْنَيْهِ. ٨ 8
वहां तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगे, जो तुम आज यहां कर रहे हो. अब तक तो तुममें से हर एक को जैसा भी सही लगता था करता जाता था,
لِأَنَّكُمْ لَمْ تَدْخُلُوا حَتَّى ٱلْآنَ إِلَى ٱلْمَقَرِّ وَٱلنَّصِيبِ ٱللَّذَيْنِ يُعْطِيكُمُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ. ٩ 9
क्योंकि अब तक तुम अपने स्थायी घर, उस मीरास तक नहीं पहुंचे हो, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें प्रदान कर रहे हैं, जहां तुम्हें विश्राम प्राप्‍त हो सकेगा.
فَمَتَى عَبَرْتُمُ ٱلْأُرْدُنَّ وَسَكَنْتُمُ ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي يَقْسِمُهَا لَكُمُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ، وَأَرَاحَكُمْ مِنْ جَمِيعِ أَعْدَائِكُمُ ٱلَّذِينَ حَوَالَيْكُمْ وَسَكَنْتُمْ آمِنِينَ، ١٠ 10
जब तुम यरदन नदी को पार करके उस देश में निवास करने लगो, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें मीरास के लिए प्रदान कर रहे हैं, जहां वह तुम्हारे सारे निकटवर्ती शत्रुओं से तुम्हें सुरक्षा प्रदान करेंगे, कि तुम्हें इस ओर से शांति प्राप्‍त हो जाए.
فَٱلْمَكَانُ ٱلَّذِي يَخْتَارُهُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ لِيُحِلَّ ٱسْمَهُ فِيهِ، تَحْمِلُونَ إِلَيْهِ كُلَّ مَا أَنَا أُوصِيكُمْ بِهِ: مُحْرَقَاتِكُمْ وَذَبَائِحَكُمْ وَعُشُورَكُمْ وَرَفَائِعَ أَيْدِيكُمْ وَكُلَّ خِيَارِ نُذُورِكُمُ ٱلَّتِي تَنْذُرُونَهَا لِلرَّبِّ. ١١ 11
तब वह स्थान, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर अपनी प्रतिष्ठा के लिए चुनेंगे—तुम वहीं वह सब लेकर आओगे, जिसका मैं तुम्हें आदेश दे चुका हूं: होमबलियां, तुम्हारी शेष बलियां, तुम्हारे दसवां अंश, तुम्हारे हाथों के अनुदान, मन्‍नतों की भेंटें और स्वैच्छिक भेंटें.
وَتَفْرَحُونَ أَمَامَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمْ أَنْتُمْ وَبَنُوكُمْ وَبَنَاتُكُمْ وَعَبِيدُكُمْ وَإِمَاؤُكُمْ، وَٱللَّاوِيُّ ٱلَّذِي فِي أَبْوَابِكُمْ لِأَنَّهُ لَيْسَ لَهُ قِسْمٌ وَلَا نَصِيبٌ مَعَكُمْ. ١٢ 12
तुम याहवेह अपने परमेश्वर की उपस्थिति में उल्लास करोगे; तुम, तुम्हारे पुत्र-पुत्रियां, तुम्हारे सेवक-सेविकाएं और तुम्हारे नगर की सीमा में रह रहे लेवीगोत्रज, क्योंकि तुम्हारे साथ उन्हें कुछ भी अंश अथवा मीरास बांटी नहीं गई है.
«اِحْتَرِزْ مِنْ أَنْ تُصْعِدَ مُحْرَقَاتِكَ فِي كُلِّ مَكَانٍ تَرَاهُ. ١٣ 13
सावधान रहना कि तुम अपनी इच्छा से किसी भी स्थान पर होमबलि न करने लगो;
بَلْ فِي ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي يَخْتَارُهُ ٱلرَّبُّ فِي أَحَدِ أَسْبَاطِكَ. هُنَاكَ تُصْعِدُ مُحْرَقَاتِكَ، وَهُنَاكَ تَعْمَلُ كُلَّ مَا أَنَا أُوصِيكَ بِهِ. ١٤ 14
मगर तुम होमबलि उसी स्थान पर चढ़ाओगे, जो स्थान याहवेह तुममें से किसी एक गोत्र के स्थान में चुनेंगे और तुम वहीं वह सब करोगे, जिसका आदेश मैं तुम्हें दे रहा हूं.
وَلَكِنْ مِنْ كُلِّ مَا تَشْتَهِي نَفْسُكَ تَذْبَحُ وَتَأْكُلُ لَحْمًا فِي جَمِيعِ أَبْوَابِكَ، حَسَبَ بَرَكَةِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ ٱلَّتِي أَعْطَاكَ. ٱلنَّجِسُ وَٱلطَّاهِرُ يَأْكُلَانِهِ كَٱلظَّبْيِ وَٱلْإِيَّلِ. ١٥ 15
फिर भी, तुम अपने नगर की सीमा के भीतर पशु का वध कर सकते हो, और उसके मांस का उपभोग कर सकते हो; अपनी इच्छा अनुसार, जैसा भी याहवेह तुम्हारे परमेश्वर तुम्हें समर्थ बनाएं, जैसा कि उनका आशीर्वाद तुम्हारे साथ है ही; तुम चाहे सांस्कारिक रीति से शुद्ध हो अथवा अशुद्ध, तुम उसका उपभोग कर सकते हो, चाहे वह हिरण हो अथवा छोटा मृग.
وَأَمَّا ٱلدَّمُ فَلَا تَأْكُلْهُ. عَلَى ٱلْأَرْضِ تَسْفِكُهُ كَٱلْمَاءِ. ١٦ 16
सिर्फ यह ध्यान रहे कि तुम इनका रक्त न खाओगे, रक्त को भूमि पर जल की तरह बहा दिया जाना ज़रूरी है.
لَا يَحِلُّ لَكَ أَنْ تَأْكُلَ فِي أَبْوَابِكَ عُشْرَ حِنْطَتِكَ وَخَمْرِكَ وَزَيْتِكَ، وَلَا أَبْكَارَ بَقَرِكَ وَغَنَمِكَ، وَلَا شَيْئًا مِنْ نُذُورِكَ ٱلَّتِي تَنْذُرُ، وَنَوَافِلِكَ وَرَفَائِعِ يَدِكَ. ١٧ 17
तुम्हारे अन्‍न, अंगूर के रस, तेल का दसवां अंश, भेड़-बकरी अथवा पशुओं के पहिलौठे, मन्नत की भेंट, तुम्हारी स्वैच्छिक भेंट और तुम्हारी हस्तकृति के अनुदान का उपभोग, तुम्हारी नगर सीमा के भीतर करना अनुमति नहीं है.
بَلْ أَمَامَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ تَأْكُلُهَا فِي ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي يَخْتَارُهُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ، أَنْتَ وَٱبْنُكَ وَٱبْنَتُكَ وَعَبْدُكَ وَأَمَتُكَ وَٱللَّاوِيُّ ٱلَّذِي فِي أَبْوَابِكَ، وَتَفْرَحُ أَمَامَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ بِكُلِّ مَا ٱمْتَدَّتْ إِلَيْهِ يَدُكَ. ١٨ 18
इनका उपभोग तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के सामने उसी स्थान पर करोगे, जो याहवेह तुम्हारे परमेश्वर नामित करेंगे. तुम, तुम्हारी संतान, तुम्हारे सेवक-सेविकाएं और तुम्हारे नगर में निवास कर रहा लेवीगोत्रज और तुम याहवेह अपने परमेश्वर के सामने अपने सारे कामों में खुश होओगे.
اِحْتَرِزْ مِنْ أَنْ تَتْرُكَ ٱللَّاوِيَّ، كُلَّ أَيَّامِكَ عَلَى أَرْضِكَ. ١٩ 19
सावधान रहना कि तुम आजीवन अपने देश में उस लेवी को भुला न दो.
«إِذَا وَسَّعَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ تُخُومَكَ كَمَا كَلَّمَكَ وَقُلْتَ: آكُلُ لَحْمًا، لِأَنَّ نَفْسَكَ تَشْتَهِي أَنْ تَأْكُلَ لَحْمًا. فَمِنْ كُلِّ مَا تَشْتَهِي نَفْسُكَ تَأْكُلُ لَحْمًا. ٢٠ 20
जब याहवेह तुम्हारे परमेश्वर, तुमसे की गई अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप तुम्हारी सीमा का आवर्धन करें, वहां तुम मन में इच्छा करो, “मुझे तो मांस का भोजन करना है,” तब तुम अपनी इच्छा अनुसार ऐसा भोजन अवश्य कर सकते हो.
إِذَا كَانَ ٱلْمَكَانُ ٱلَّذِي يَخْتَارُهُ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ لِيَضَعَ ٱسْمَهُ فِيهِ بَعِيدًا عَنْكَ، فَٱذْبَحْ مِنْ بَقَرِكَ وَغَنَمِكَ ٱلَّتِي أَعْطَاكَ ٱلرَّبُّ كَمَا أَوْصَيْتُكَ، وَكُلْ فِي أَبْوَابِكَ مِنْ كُلِّ مَا ٱشْتَهَتْ نَفْسُكَ. ٢١ 21
यदि वह स्थान, जिसे याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने अपनी प्रतिष्ठा-स्थापना के लिए चुना है, तुम्हारे लिए बहुत दूर है, तब तो तुम अपने भेड़-बकरी या पशु में से, जो तुम्हें याहवेह द्वारा ही प्रदान किया गया है.
كَمَا يُؤْكَلُ ٱلظَّبْيُ وَٱلْإِيَّلُ هَكَذَا تَأْكُلُهُ. ٱلنَّجِسُ وَٱلطَّاهِرُ يَأْكُلَانِهِ سَوَاءً. ٢٢ 22
मेरे आदेश के अनुसार पशु का वध कर सकते हो, और उसका उपभोग अपने नगर की सीमा के भीतर किसी भी स्थान पर कर सकते हो.
لَكِنِ ٱحْتَرِزْ أَنْ لَا تَأْكُلَ ٱلدَّمَ، لِأَنَّ ٱلدَّمَ هُوَ ٱلنَّفْسُ. فَلَا تَأْكُلِ ٱلنَّفْسَ مَعَ ٱللَّحْمِ. ٢٣ 23
सिर्फ यह ध्यान रखना कि तुम लहू का उपभोग न करोगे, क्योंकि लहू ही जीवन है. तुम मांस के साथ जीवन को नहीं खा सकते.
لَا تَأْكُلْهُ. عَلَى ٱلْأَرْضِ تَسْفِكُهُ كَٱلْمَاءِ. ٢٤ 24
तुम लहू का उपभोग नहीं करोगे; तुम इसे भूमि पर जल के समान उंडेल दोगे.
لَا تَأْكُلْهُ لِكَيْ يَكُونَ لَكَ وَلِأَوْلَادِكَ مِنْ بَعْدِكَ خَيْرٌ، إِذَا عَمِلْتَ ٱلْحَقَّ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ. ٢٥ 25
खुद अपने ही कल्याण के निमित्त और तुम्हारे बाद तुम्हारी संतान के लिए तुम लहू को नहीं खाओगे. यह करके तुम वह करोगे, जो याहवेह की दृष्टि में सही है.
وَأَمَّا أَقْدَاسُكَ ٱلَّتِي لَكَ وَنُذُورُكَ، فَتَحْمِلُهَا وَتَذْهَبُ إِلَى ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي يَخْتَارُهُ ٱلرَّبُّ. ٢٦ 26
तुम याहवेह द्वारा नामित उस स्थान पर तुम सिर्फ वे वस्तुएं लेकर जाओगे, जो तुम्हारे लिए पवित्र हैं और तुम्हारी मन्‍नत्तों से संबंधित भेंटें भी.
فَتَعْمَلُ مُحْرَقَاتِكَ: ٱللَّحْمَ وَٱلدَّمَ عَلَى مَذْبَحِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ. وَأَمَّا ذَبَائِحُكَ فَيُسْفَكُ دَمُهَا عَلَى مَذْبَحِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ، وَٱللَّحْمُ تَأْكُلُهُ. ٢٧ 27
तुम याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की वेदी पर होमबलि, मांस और रक्त अर्पित करोगे. तुम्हारी बलियों का रक्त याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की वेदी पर उंडेल दिया जाएगा और तुम मांस का उपभोग कर लोगे.
اِحْفَظْ وَٱسْمَعْ جَمِيعَ هَذِهِ ٱلْكَلِمَاتِ ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكَ بِهَا لِكَيْ يَكُونَ لَكَ وَلِأَوْلَادِكَ مِنْ بَعْدِكَ خَيْرٌ إِلَى ٱلْأَبَدِ، إِذَا عَمِلْتَ ٱلصَّالِحَ وَٱلْحَقَّ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ. ٢٨ 28
बड़ी सावधानीपूर्वक मेरे इन आदेशों को सुनो, कि तुम्हारा और तुम्हारी संतान का भला हमेशा के लिए हो; क्योंकि ऐसा करने के द्वारा तुम वही कर रहे होगे, जो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर की दृष्टि में सही है.
«مَتَى قَرَضَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ مِنْ أَمَامِكَ ٱلْأُمَمَ ٱلَّذِينَ أَنْتَ ذَاهِبٌ إِلَيْهِمْ لِتَرِثَهُمْ، وَوَرِثْتَهُمْ وَسَكَنْتَ أَرْضَهُمْ، ٢٩ 29
जब याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे सामने उन राष्ट्रों को नाश कर देंगे, जिन्हें तुम दूर करने जा रहे हो और उन्हें वंचित कर तुम उनके देश में बस जाने पर हो,
فَٱحْتَرِزْ مِنْ أَنْ تُصَادَ وَرَاءَهُمْ مِنْ بَعْدِ مَا بَادُوا مِنْ أَمَامِكَ، وَمِنْ أَنْ تَسْأَلَ عَنْ آلِهَتِهِمْ قَائِلًا: كَيْفَ عَبَدَ هَؤُلَاءِ ٱلْأُمَمُ آلِهَتَهُمْ، فَأَنَا أَيْضًا أَفْعَلُ هَكَذَا؟ ٣٠ 30
सावधान रहना कि तुम्हारे सामने विनाश होने के बाद तुम उनका अनुसरण करने में उलझ न जाओ, कि उनके देवताओं के विषय में इस प्रकार पूछताछ न करने लगो, “ये राष्ट्र अपने देवताओं की उपासना किस प्रकार किया करते थे? हम भी वैसा ही करना चाहेंगे.”
لَا تَعْمَلْ هَكَذَا لِلرَّبِّ إِلَهِكَ، لِأَنَّهُمْ قَدْ عَمِلُوا لِآلِهَتِهِمْ كُلَّ رِجْسٍ لَدَى ٱلرَّبِّ مِمَّا يَكْرَهُهُ، إِذْ أَحْرَقُوا حَتَّى بَنِيهِمْ وَبَنَاتِهِمْ بِٱلنَّارِ لِآلِهَتِهِمْ. ٣١ 31
तुम याहवेह, अपने परमेश्वर के प्रति यह बिलकुल न करोगे, क्योंकि उन्होंने तो अपने देवताओं के लिए वह सब किया है, जो याहवेह की दृष्टि में घृणित है. वे तो अपने पुत्र-पुत्रियों तक को उन देवताओं के लिए दाह कर देते हैं.
كُلُّ ٱلْكَلَامِ ٱلَّذِي أُوصِيكُمْ بِهِ ٱحْرِصُوا لِتَعْمَلُوهُ. لَا تَزِدْ عَلَيْهِ وَلَا تُنَقِّصْ مِنْهُ. ٣٢ 32
तुम सावधानीपूर्वक इन आदेशों का पालन करना, जो मैं तुम्हें दे रहा हूं; इनमें न तो तुम कुछ भी संलग्न करोगे और न ही इसमें से कुछ निकालोगे.

< اَلتَّثْنِيَة 12 >