< اَلتَّثْنِيَة 11 >

«فَأَحْبِبِ ٱلرَّبَّ إِلَهَكَ وَٱحْفَظْ حُقُوقَهُ وَفَرَائِضَهُ وَأَحْكَامَهُ وَوَصَايَاهُ كُلَّ ٱلْأَيَّامِ. ١ 1
“इसलिए तू अपने परमेश्वर यहोवा से अत्यन्त प्रेम रखना, और जो कुछ उसने तुझे सौंपा है उसका, अर्थात् उसकी विधियों, नियमों, और आज्ञाओं का नित्य पालन करना।
وَٱعْلَمُوا ٱلْيَوْمَ أَنِّي لَسْتُ أُرِيدُ بَنِيكُمُ ٱلَّذِينَ لَمْ يَعْرِفُوا وَلَا رَأَوْا تَأْدِيبَ ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمْ، عَظَمَتَهُ وَيَدَهُ ٱلشَّدِيدَةَ وَذِرَاعَهُ ٱلرَّفِيعَةَ ٢ 2
और तुम आज यह सोच समझ लो (क्योंकि मैं तो तुम्हारे बाल-बच्चों से नहीं कहता, ) जिन्होंने न तो कुछ देखा और न जाना है कि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने क्या-क्या ताड़ना की, और कैसी महिमा, और बलवन्त हाथ, और बढ़ाई हुई भुजा दिखाई,
وَآيَاتِهِ وَصَنَائِعَهُ ٱلَّتِي عَمِلَهَا فِي مِصْرَ بِفِرْعَوْنَ مَلِكِ مِصْرَ وَبِكُلِّ أَرْضِهِ، ٣ 3
और मिस्र में वहाँ के राजा फ़िरौन को कैसे-कैसे चिन्ह दिखाए, और उसके सारे देश में कैसे-कैसे चमत्कार के काम किए;
وَٱلَّتِي عَمِلَهَا بِجَيْشِ مِصْرَ بِخَيْلِهِمْ وَمَرَاكِبِهِمْ، حَيْثُ أَطَافَ مِيَاهَ بَحْرِ سُوفٍ عَلَى وُجُوهِهِمْ حِينَ سَعَوْا وَرَاءَكُمْ، فَأَبَادَهُمُ ٱلرَّبُّ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ، ٤ 4
और उसने मिस्र की सेना के घोड़ों और रथों से क्या किया, अर्थात् जब वे तुम्हारा पीछा कर रहे थे तब उसने उनको लाल समुद्र में डुबोकर किस प्रकार नष्ट कर डाला, कि आज तक उनका पता नहीं;
وَٱلَّتِي عَمِلَهَا لَكُمْ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ حَتَّى جِئْتُمْ إِلَى هَذَا ٱلْمَكَانِ، ٥ 5
और तुम्हारे इस स्थान में पहुँचने तक उसने जंगल में तुम से क्या-क्या किया;
وَٱلَّتِي عَمِلَهَا بِدَاثَانَ وَأَبِيرَامَ ٱبْنَيْ أَلِيآبَ بْنِ رَأُوبَيْنَ ٱللَّذَيْنِ فَتَحَتِ ٱلْأَرْضُ فَاهَا وَٱبْتَلَعَتْهُمَا مَعَ بُيُوتِهِمَا وَخِيَامِهِمَا وَكُلِّ ٱلْمَوْجُودَاتِ ٱلتَّابِعَةِ لَهُمَا فِي وَسْطِ كُلِّ إِسْرَائِيلَ. ٦ 6
और उसने रूबेनी एलीआब के पुत्र दातान और अबीराम से क्या-क्या किया; अर्थात् पृथ्वी ने अपना मुँह पसारकर उनको घरानों, और डेरों, और सब अनुचरों समेत सब इस्राएलियों के देखते-देखते कैसे निगल लिया;
لِأَنَّ أَعْيُنَكُمْ هِيَ ٱلَّتِي أَبْصَرَتْ كُلَّ صَنَائِعِ ٱلرَّبِّ ٱلْعَظِيمَةِ ٱلَّتِي عَمِلَهَا. ٧ 7
परन्तु यहोवा के इन सब बड़े-बड़े कामों को तुम ने अपनी आँखों से देखा है।
«فَٱحْفَظُوا كُلَّ ٱلْوَصَايَا ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكُمْ بِهَا ٱلْيَوْمَ لِكَيْ تَتَشَدَّدُوا وَتَدْخُلُوا وَتَمْتَلِكُوا ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي أَنْتُمْ عَابِرُونَ إِلَيْهَا لِتَمْتَلِكُوهَا، ٨ 8
“इस कारण जितनी आज्ञाएँ मैं आज तुम्हें सुनाता हूँ उन सभी को माना करना, इसलिए कि तुम सामर्थी होकर उस देश में जिसके अधिकारी होने के लिये तुम पार जा रहे हो प्रवेश करके उसके अधिकारी हो जाओ,
وَلِكَيْ تُطِيلُوا ٱلْأَيَّامَ عَلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَقْسَمَ ٱلرَّبُّ لِآبَائِكُمْ أَنْ يُعْطِيَهَا لَهُمْ وَلِنَسْلِهِمْ، أَرْضٌ تَفِيضُ لَبَنًا وَعَسَلًا. ٩ 9
और उस देश में बहुत दिन रहने पाओ, जिसे तुम्हें और तुम्हारे वंश को देने की शपथ यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से खाई थी, और उसमें दूध और मधु की धाराएँ बहती हैं।
لِأَنَّ ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي أَنْتَ دَاخِلٌ إِلَيْهَا لِكَيْ تَمْتَلِكَهَا لَيْسَتْ مِثْلَ أَرْضِ مِصْرَ ٱلَّتِي خَرَجْتَ مِنْهَا، حَيْثُ كُنْتَ تَزْرَعُ زَرْعَكَ وَتَسْقِيهِ بِرِجْلِكَ كَبُسْتَانِ بُقُولٍ. ١٠ 10
१०देखो, जिस देश के अधिकारी होने को तुम जा रहे हो वह मिस्र देश के समान नहीं है, जहाँ से निकलकर आए हो, जहाँ तुम बीज बोते थे और हरे साग के खेत की रीति के अनुसार अपने पाँव से नालियाँ बनाकर सींचते थे;
بَلْ ٱلْأَرْضُ ٱلَّتِي أَنْتُمْ عَابِرُونَ إِلَيْهَا لِكَيْ تَمْتَلِكُوهَا، هِيَ أَرْضُ جِبَالٍ وَبِقَاعٍ. مِنْ مَطَرِ ٱلسَّمَاءِ تَشْرَبُ مَاءً. ١١ 11
११परन्तु जिस देश के अधिकारी होने को तुम पार जाने पर हो वह पहाड़ों और तराइयों का देश है, और आकाश की वर्षा के जल से सींचता है;
أَرْضٌ يَعْتَنِي بِهَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ. عَيْنَا ٱلرَّبِّ إِلَهِكَ عَلَيْهَا دَائِمًا مِنْ أَوَّلِ ٱلسَّنَةِ إِلَى آخِرِهَا. ١٢ 12
१२वह ऐसा देश है जिसकी तेरे परमेश्वर यहोवा को सुधि रहती है; और वर्ष के आदि से लेकर अन्त तक तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि उस पर निरन्तर लगी रहती है।
«فَإِذَا سَمِعْتُمْ لِوَصَايَايَ ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكُمْ بِهَا ٱلْيَوْمَ لِتُحِبُّوا ٱلرَّبَّ إِلَهَكُمْ وَتَعْبُدُوهُ مِنْ كُلِّ قُلُوبِكُمْ وَمِنْ كُلِّ أَنْفُسِكُمْ، ١٣ 13
१३“यदि तुम मेरी आज्ञाओं को जो आज मैं तुम्हें सुनाता हूँ ध्यान से सुनकर, अपने सम्पूर्ण मन और सारे प्राण के साथ, अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखो और उसकी सेवा करते रहो,
أُعْطِي مَطَرَ أَرْضِكُمْ فِي حِينِهِ: ٱلْمُبَكِّرَ وَٱلْمُتَأَخِّرَ. فَتَجْمَعُ حِنْطَتَكَ وَخَمْرَكَ وَزَيْتَكَ. ١٤ 14
१४तो मैं तुम्हारे देश में बरसात के आदि और अन्त दोनों समयों की वर्षा को अपने-अपने समय पर बरसाऊँगा, जिससे तू अपना अन्न, नया दाखमधु, और टटका तेल संचय कर सकेगा।
وَأُعْطِي لِبَهَائِمِكَ عُشْبًا فِي حَقْلِكَ فَتَأْكُلُ أَنْتَ وَتَشْبَعُ. ١٥ 15
१५और मैं तेरे पशुओं के लिये तेरे मैदान में घास उपजाऊँगा, और तू पेट भर खाएगा और सन्तुष्ट रहेगा।
فَٱحْتَرِزُوا مِنْ أَنْ تَنْغَوِيَ قُلُوبُكُمْ فَتَزِيغُوا وَتَعْبُدُوا آلِهَةً أُخْرَى وَتَسْجُدُوا لَهَا، ١٦ 16
१६इसलिए अपने विषय में सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन धोखा खाएँ, और तुम बहक कर दूसरे देवताओं की पूजा करने लगो और उनको दण्डवत् करने लगो,
فَيَحْمَى غَضَبُ ٱلرَّبِّ عَلَيْكُمْ، وَيُغْلِقُ ٱلسَّمَاءَ فَلَا يَكُونُ مَطَرٌ، وَلَا تُعْطِي ٱلْأَرْضُ غَلَّتَهَا، فَتَبِيدُونَ سَرِيعًا عَنِ ٱلْأَرْضِ ٱلْجَيِّدَةِ ٱلَّتِي يُعْطِيكُمُ ٱلرَّبُّ. ١٧ 17
१७और यहोवा का कोप तुम पर भड़के, और वह आकाश की वर्षा बन्द कर दे, और भूमि अपनी उपज न दे, और तुम उस उत्तम देश में से जो यहोवा तुम्हें देता है शीघ्र नष्ट हो जाओ।
«فَضَعُوا كَلِمَاتِي هَذِهِ عَلَى قُلُوبِكُمْ وَنُفُوسِكُمْ، وَٱرْبُطُوهَا عَلَامَةً عَلَى أَيْدِيكُمْ، وَلْتَكُنْ عَصَائِبَ بَيْنَ عُيُونِكُمْ، ١٨ 18
१८इसलिए तुम मेरे ये वचन अपने-अपने मन और प्राण में धारण किए रहना, और चिन्ह के रूप में अपने हाथों पर बाँधना, और वे तुम्हारी आँखों के मध्य में टीके का काम दें।
وَعَلِّمُوهَا أَوْلَادَكُمْ، مُتَكَلِّمِينَ بِهَا حِينَ تَجْلِسُونَ فِي بُيُوتِكُمْ، وَحِينَ تَمْشُونَ فِي ٱلطَّرِيقِ، وَحِينَ تَنَامُونَ، وَحِينَ تَقُومُونَ. ١٩ 19
१९और तुम घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते-उठते इनकी चर्चा करके अपने बच्चों को सिखाया करना।
وَٱكْتُبْهَا عَلَى قَوَائِمِ أَبْوَابِ بَيْتِكَ وَعَلَى أَبْوَابِكَ، ٢٠ 20
२०और इन्हें अपने-अपने घर के चौखट के बाजुओं और अपने फाटकों के ऊपर लिखना;
لِكَيْ تَكْثُرَ أَيَّامُكَ وَأَيَّامُ أَوْلَادِكَ عَلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَقْسَمَ ٱلرَّبُّ لِآبَائِكَ أَنْ يُعْطِيَهُمْ إِيَّاهَا، كَأَيَّامِ ٱلسَّمَاءِ عَلَى ٱلْأَرْضِ. ٢١ 21
२१इसलिए कि जिस देश के विषय में यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर कहा था, कि मैं उसे तुम्हें दूँगा, उसमें तुम और तुम्हारे बच्चे दीर्घायु हों, और जब तक पृथ्वी के ऊपर का आकाश बना रहे तब तक वे भी बने रहें।
لِأَنَّهُ إِذَا حَفِظْتُمْ جَمِيعَ هَذِهِ ٱلْوَصَايَا ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكُمْ بِهَا لِتَعْمَلُوهَا، لِتُحِبُّوا ٱلرَّبَّ إِلَهَكُمْ وَتَسْلُكُوا فِي جَمِيعِ طُرُقِهِ وَتَلْتَصِقُوا بِهِ، ٢٢ 22
२२इसलिए यदि तुम इन सब आज्ञाओं के मानने में जो मैं तुम्हें सुनाता हूँ पूरी चौकसी करके अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखो, और उसके सब मार्गों पर चलो, और उससे लिपटे रहो,
يَطْرُدُ ٱلرَّبُّ جَمِيعَ هَؤُلَاءِ ٱلشُّعُوبِ مِنْ أَمَامِكُمْ، فَتَرِثُونَ شُعُوبًا أَكْبَرَ وَأَعْظَمَ مِنْكُمْ. ٢٣ 23
२३तो यहोवा उन सब जातियों को तुम्हारे आगे से निकाल डालेगा, और तुम अपने से बड़ी और सामर्थी जातियों के अधिकारी हो जाओगे।
كُلُّ مَكَانٍ تَدُوسُهُ بُطُونُ أَقْدَامِكُمْ يَكُونُ لَكُمْ. مِنَ ٱلْبَرِّيَّةِ وَلُبْنَانَ. مِنَ ٱلنَّهْرِ، نَهْرِ ٱلْفُرَاتِ، إِلَى ٱلْبَحْرِ ٱلْغَرْبِيِّ يَكُونُ تُخْمُكُمْ. ٢٤ 24
२४जिस-जिस स्थान पर तुम्हारे पाँव के तलवे पड़ें वे सब तुम्हारे ही हो जाएँगे, अर्थात् जंगल से लबानोन तक, और फरात नामक महानद से लेकर पश्चिम के समुद्र तक तुम्हारी सीमा होगी।
لَا يَقِفُ إِنْسَانٌ فِي وَجْهِكُمْ. اَلرَّبُّ إِلَهُكُمْ يَجْعَلُ خَشْيَتَكُمْ وَرُعْبَكُمْ عَلَى كُلِّ ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي تَدُوسُونَهَا كَمَا كَلَّمَكُمْ. ٢٥ 25
२५तुम्हारे सामने कोई भी खड़ा न रह सकेगा; क्योंकि जितनी भूमि पर तुम्हारे पाँव पड़ेंगे उस सब पर रहनेवालों के मन में तुम्हारा परमेश्वर यहोवा अपने वचन के अनुसार तुम्हारे कारण उनमें डर और थरथराहट उत्पन्न कर देगा।
«اُنْظُرْ. أَنَا وَاضِعٌ أَمَامَكُمُ ٱلْيَوْمَ بَرَكَةً وَلَعْنَةً: ٢٦ 26
२६“सुनो, मैं आज के दिन तुम्हारे आगे आशीष और श्राप दोनों रख देता हूँ।
ٱلْبَرَكَةُ إِذَا سَمِعْتُمْ لِوَصَايَا ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمُ ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكُمْ بِهَا ٱلْيَوْمَ. ٢٧ 27
२७अर्थात् यदि तुम अपने परमेश्वर यहोवा की इन आज्ञाओं को जो मैं आज तुम्हें सुनाता हूँ मानो, तो तुम पर आशीष होगी,
وَٱللَّعْنَةُ إِذَا لَمْ تَسْمَعُوا لِوَصَايَا ٱلرَّبِّ إِلَهِكُمْ، وَزُغْتُمْ عَنِ ٱلطَّرِيقِ ٱلَّتِي أَنَا أُوصِيكُمْ بِهَا ٱلْيَوْمَ لِتَذْهَبُوا وَرَاءَ آلِهَةٍ أُخْرَى لَمْ تَعْرِفُوهَا. ٢٨ 28
२८और यदि तुम अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं को नहीं मानोगे, और जिस मार्ग की आज्ञा मैं आज सुनाता हूँ उसे तजकर दूसरे देवताओं के पीछे हो लोगे जिन्हें तुम नहीं जानते हो, तो तुम पर श्राप पड़ेगा।
وَإِذَا جَاءَ بِكَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَنْتَ دَاخِلٌ إِلَيْهَا لِكِيْ تَمْتَلِكَهَا، فَٱجْعَلِ ٱلْبَرَكَةَ عَلَى جَبَلِ جِرِزِّيمَ، وَٱللَّعْنَةَ عَلَى جَبَلِ عِيبَالَ. ٢٩ 29
२९और जब तेरा परमेश्वर यहोवा तुझको उस देश में पहुँचाए जिसके अधिकारी होने को तू जाने पर है, तब आशीष गिरिज्जीम पर्वत पर से और श्राप एबाल पर्वत पर से सुनाना।
أَمَا هُمَا فِي عَبْرِ ٱلْأُرْدُنِّ، وَرَاءَ طَرِيقِ غُرُوبِ ٱلشَّمْسِ فِي أَرْضِ ٱلْكَنْعَانِيِّينَ ٱلسَّاكِنِينَ فِي ٱلْعَرَبَةِ، مُقَابِلَ ٱلْجِلْجَالِ، بِجَانِبِ بَلُّوطَاتِ مُورَةَ؟ ٣٠ 30
३०क्या वे यरदन के पार, सूर्य के अस्त होने की ओर, अराबा के निवासी कनानियों के देश में, गिलगाल के सामने, मोरे के बांजवृक्षों के पास नहीं है?
لِأَنَّكُمْ عَابِرُونَ ٱلْأُرْدُنَّ لِتَدْخُلُوا وَتَمْتَلِكُوا ٱلْأَرْضَ ٱلَّتِي ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ يُعْطِيكُمْ. تَمْتَلِكُونَهَا وَتَسْكُنُونَهَا. ٣١ 31
३१तुम तो यरदन पार इसलिए जाने पर हो, कि जो देश तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें देता है उसके अधिकारी हो जाओ; और तुम उसके अधिकारी होकर उसमें निवास करोगे;
فَٱحْفَظُوا جَمِيعَ ٱلْفَرَائِضِ وَٱلْأَحْكَامِ ٱلَّتِي أَنَا وَاضِعٌ أَمَامَكُمُ ٱلْيَوْمَ لِتَعْمَلُوهَا. ٣٢ 32
३२इसलिए जितनी विधियाँ और नियम मैं आज तुम को सुनाता हूँ उन सभी के मानने में चौकसी करना।

< اَلتَّثْنِيَة 11 >