< دَانِيآل 3 >

نَبُوخَذْنَصَّرُ ٱلْمَلِكُ صَنَعَ تِمْثَالًا مِنْ ذَهَبٍ طُولُهُ سِتُّونَ ذِرَاعًا وَعَرْضُهُ سِتُّ أَذْرُعٍ، وَنَصَبَهُ فِي بُقْعَةِ دُورَا فِي وِلَايَةِ بَابِلَ. ١ 1
नबूकदनज़र बादशाह ने एक सोने की मूरत बनवाई जिसकी लम्बाई साठ हाथ और चौड़ाई छ: हाथ थी, और उसे दूरा के मैदान सूबा — ए — बाबुल में खड़ा किया।
ثُمَّ أَرْسَلَ نَبُوخَذْنَصَّرُ ٱلْمَلِكُ لِيَجْمَعَ ٱلْمَرَازِبَةَ وَٱلشِّحَنَ وَٱلْوُلَاةَ وَٱلْقُضَاةَ وَٱلْخَزَنَةَ وَٱلْفُقَهَاءَ وَٱلْمُفْتِينَ وَكُلَّ حُكَّامِ ٱلْوِلَايَاتِ، لِيَأْتُوا لِتَدْشِينِ ٱلتِّمْثَالِ ٱلَّذِي نَصَبَهُ نَبُوخَذْنَصَّرُ ٱلْمَلِكُ. ٢ 2
तब नबूकदनज़र बादशाह ने लोगों को भेजा कि नाज़िमों और हाकिमों और सरदारों और क़ाज़ियों और ख़ज़ाँचियों और सलाहकारों और मुफ़्तियों और तमाम सूबों के 'उहदेदारों को जमा' करें, ताकि वह उस मूरत की 'इज़्ज़त को हाज़िर हों जिसको नबूकदनज़र बादशाह ने खड़ा किया था।
حِينَئِذٍ ٱجْتَمَعَ ٱلْمَرَازِبَةُ وَٱلشِّحَنُ وَٱلْوُلَاةُ وَٱلْقُضَاةُ وَٱلْخَزَنَةُ وَٱلْفُقَهَاءُ وَٱلْمُفْتُونَ وَكُلُّ حُكَّامِ ٱلْوِلَايَاتِ لِتَدْشِينِ ٱلتِّمْثَالِ ٱلَّذِي نَصَبَهُ نَبُوخَذْنَصَّرُ ٱلْمَلِكُ، وَوَقَفُوا أَمَامَ ٱلتِّمْثَالِ ٱلَّذِي نَصَبَهُ نَبُوخَذْنَصَّرُ. ٣ 3
तब नाज़िम, और हाकिम, और सरदार, और क़ाज़ी, और ख़ज़ाँची, और सलाहकार, और मुफ़्ती और सूबों के तमाम 'उहदेदार, उस मूरत की 'इज़्ज़त के लिए जिसे नबूकदनज़र बादशाह ने खड़ा किया था जमा' हुए; और वह उस मूरत के सामने जिसको नबूकदनज़र ने खड़ा किया था, खड़े हुए।
وَنَادَى مُنَادٍ بِشِدَّةٍ: «قَدْ أُمِرْتُمْ أَيُّهَا ٱلشُّعُوبُ وَٱلْأُمَمُ وَٱلْأَلْسِنَةُ، ٤ 4
तब एक 'ऐलान करने वाले ने बलन्द आवाज़ से पुकार कर कहा, ऐ लोगों, ऐ उम्मतों, और ऐ मुख़्तलिफ़ ज़बानें बोलने वालों! तुम्हारे लिए यह हुक्म है कि
عِنْدَمَا تَسْمَعُونَ صَوْتَ ٱلْقَرْنِ وَٱلنَّايِ وَٱلْعُودِ وَٱلرَّبَابِ وَٱلسِّنْطِيرِ وَٱلْمِزْمَارِ وَكُلِّ أَنْوَاعِ ٱلْعَزْفِ، أَنْ تَخِرُّوا وَتَسْجُدُوا لِتِمْثَالِ ٱلذَّهَبِ ٱلَّذِي نَصَبَهُ نَبُوخَذْنَصَّرُ ٱلْمَلِكُ. ٥ 5
जिस वक़्त क़रना, और ने, और सितार, और रबाब, और बरबत, और चग़ाना, और हर तरह के साज़ की आवाज़ सुनो, तो उस सोने की मूरत के सामने जिसको नबूकदनज़र बादशाह ने खड़ा किया है गिर कर सिज्दा करो।
وَمَنْ لَا يَخِرُّ وَيَسْجُدُ، فَفِي تِلْكَ ٱلسَّاعَةِ يُلْقَى فِي وَسَطِ أَتُّونِ نَارٍ مُتَّقِدَةٍ». ٦ 6
और जो कोई गिर कर सिज्दा न करे, उसी वक़्त आग की जलती भट्टी में डाला जाएगा।
لِأَجْلِ ذَلِكَ وَقْتَمَا سَمِعَ كُلُّ ٱلشُّعُوبِ صَوْتَ ٱلْقَرْنِ وَٱلنَّايِ وَٱلْعُودِ وَٱلرَّبَابِ وَٱلسِّنْطِيرِ وَكُلِّ أَنْوَاعِ ٱلْعَزْفِ، خَرَّ كُلُّ ٱلشُّعُوبِ وَٱلْأُمَمِ وَٱلْأَلْسِنَةِ وَسَجَدُوا لِتِمْثَالِ ٱلذَّهَبِ ٱلَّذِي نَصَبَهُ نَبُوخَذْنَصَّرُ ٱلْمَلِكُ. ٧ 7
इसलिए जिस वक़्त सब लोगों ने क़रना, और ने, और सितार, और रबाब, और बरबत, और हर तरह के साज़ की आवाज़ सुनी, तो सब लोगों और उम्मतों और मुख़्तलिफ़ ज़बानें बोलने वालों ने उस मूरत के सामने, जिसको नबूकदनज़र बादशाह ने खड़ा किया था, गिर कर सिज्दा किया।
لِأَجْلِ ذَلِكَ تَقَدَّمَ حِينَئِذٍ رِجَالٌ كَلْدَانِيُّونَ وَٱشْتَكَوْا عَلَى ٱلْيَهُودِ، ٨ 8
तब उस वक़्त चन्द कसदियों ने आकर यहूदियों पर इल्ज़ाम लगाया।
أَجَابُوا وَقَالُوا لِلْمَلِكِ نَبُوخَذْنَصَّرَ: «أَيُّهَا ٱلْمَلِكُ، عِشْ إِلَى ٱلْأَبَدِ! ٩ 9
उन्होंने नबूकदनज़र बादशाह से कहा, ऐ बादशाह, हमेशा तक जीता रह!
أَنْتَ أَيُّهَا ٱلْمَلِكُ قَدْ أَصْدَرْتَ أَمْرًا بِأَنَّ كُلَّ إِنْسَانٍ يَسْمَعُ صَوْتَ ٱلْقَرْنِ وَٱلنَّايِ وَٱلْعُودِ وَٱلرَّبَابِ وَٱلسِّنْطِيرِ وَٱلْمِزْمَارِ وَكُلِّ أَنْوَاعِ ٱلْعَزْفِ، يَخِرُّ وَيَسْجُدُ لِتِمْثَالِ ٱلذَّهَبِ. ١٠ 10
ऐ बादशाह, तूने यह फ़रमान जारी किया है कि जो कोई क़रना, और ने, और सितार, और रबाब, और बरबत, और चुग़ाना, और हर तरह के साज़ की आवाज़ सुने, गिर कर सोने की मूरत को सिज्दा करे।
وَمَنْ لَا يَخِرُّ وَيَسْجُدُ فَإِنَّهُ يُلْقَى فِي وَسَطِ أَتُّونِ نَارٍ مُتَّقِدَةٍ. ١١ 11
और जो कोई गिर कर सिज्दा न करे, आग की जलती भट्टी में डाला जाएगा।
يُوجَدُ رِجَالٌ يَهُودٌ، ٱلَّذِينَ وَكَّلْتَهُمْ عَلَى أَعْمَالِ وِلَايَةِ بَابِلَ: شَدْرَخُ وَمِيشَخُ وَعَبْدَنَغُوَ. هَؤُلَاءِ ٱلرِّجَالُ لَمْ يَجْعَلُوا لَكَ أَيُّهَا ٱلْمَلِكُ ٱعْتِبَارًا. آلِهَتُكَ لَا يَعْبُدُونَ، وَلِتِمْثَالِ ٱلذَّهَبِ ٱلَّذِي نَصَبْتَ لَا يَسْجُدُونَ». ١٢ 12
अब चन्द यहूदी हैं, जिनको तू ने बाबुल के सूबे की ज़िम्मेदारी पर मुक़र्रर किया है, या'नी सदरक और मीसक और 'अबदनजू, इन आदमियों ने, ऐ बादशाह, तेरी ता'ज़ीम नहीं की। वह तेरे मा'बूदों की इबादत नहीं करते, और उस सोने की मूरत को जिसे तू ने खड़ा किया सिज्दा नहीं करते।
حِينَئِذٍ أَمَرَ نَبُوخَذْنَصَّرُ بِغَضَبٍ وَغَيْظٍ بِإِحْضَارِ شَدْرَخَ وَمِيشَخَ وَعَبْدَنَغُوَ. فَأَتَوْا بِهَؤُلَاءِ ٱلرِّجَالِ قُدَّامَ ٱلْمَلِكِ. ١٣ 13
तब नबूकदनज़र ने क़हर — ओ — ग़ज़ब से हुक्म किया कि सदरक और मीसक और 'अबदनजू को हाज़िर करें। और उन्होंने उन आदमियों को बादशाह के सामने हाज़िर किया।
فَأَجَابَ نَبُوخَذْنَصَّرُ وَقَالَ لَهُمْ: «تَعَمُّدًا يَا شَدْرَخُ وَمِيشَخُ وَعَبْدَنَغُوَ لَا تَعْبُدُونَ آلِهَتِي وَلَا تَسْجُدُونَ لِتِمْثَالِ ٱلذَّهَبِ ٱلَّذِي نَصَبْتُ! ١٤ 14
नबूकदनज़र ने उनसे कहा, ऐ सदरक और मीसक और 'अबदनजू क्या यह सच है कि तुम मेरे मा'बूदों की इबादत नहीं करते हो, और उस सोने की मूरत को जिसे मैने खड़ा किया सिज्दा नहीं करते?
فَإِنْ كُنْتُمُ ٱلْآنَ مُسْتَعِدِّينَ عِنْدَمَا تَسْمَعُونَ صَوْتَ ٱلْقَرْنِ وَٱلنَّايِ وَٱلْعُودِ وَٱلرَّبَابِ وَٱلسِّنْطِيرِ وَٱلْمِزْمَارِ وَكُلَّ أَنْوَاعِ ٱلْعَزْفِ إِلَى أَنْ تَخِرُّوا وَتَسْجُدُوا لِلتِّمْثَالِ ٱلَّذِي عَمِلْتُهُ. وَإِنْ لَمْ تَسْجُدُوا فَفِي تِلْكَ ٱلسَّاعَةِ تُلْقَوْنَ فِي وَسَطِ أَتُّونِ ٱلنَّارِ ٱلْمُتَّقِدَةِ. وَمَنْ هُوَ ٱلْإِلَهُ ٱلَّذِي يُنْقِذُكُمْ مِنْ يَدَيَّ؟». ١٥ 15
अब अगर तुम तैयार रहो कि जिस वक़्त क़रना, और ने, और सितार, और रबाब, और बरबत, और चग़ाना, और हर तरह के साज़ की आवाज़ सुनो, तो उस मूरत के सामने जो मैने बनवाई है गिर कर सिज्दा करो तो बेहतर, लेकिन अगर सिज्दा न करोगे, तो उसी वक़्त आग की जलती भट्टी में डाले जाओगे और कौन सा मा'बूद तुम को मेरे हाथ से छुड़ाएगा?
فَأَجَابَ شَدْرَخُ وَمِيشَخُ وَعَبْدَنَغُوَ وَقَالُوا لِلمَلِكِ: «يَا نَبُوخَذْنَصَّرُ، لَا يَلْزَمُنَا أَنْ نُجِيبَكَ عَنْ هَذَا ٱلْأَمْرِ. ١٦ 16
सदरक और मीसक और 'अबदनजू ने बादशाह से 'अर्ज़ किया कि “ऐ नबूकदनज़र, इस हुक्म में हम तुझे जवाब देना ज़रूरी नहीं समझते।
هُوَذَا يُوجَدُ إِلَهُنَا ٱلَّذِي نَعْبُدُهُ يَسْتَطِيعُ أَنْ يُنَجِّيَنَا مِنْ أَتُّونِ ٱلنَّارِ ٱلْمُتَّقِدَةِ، وَأَنْ يُنْقِذَنَا مِنْ يَدِكَ أَيُّهَا ٱلْمَلِكُ. ١٧ 17
देख, हमारा ख़ुदा जिसकी हम इबादत करते हैं, हम को आग की जलती भट्टी से छुड़ाने की क़ुदरत रखता है, और ऐ बादशाह वही हम को तेरे हाथ से छुड़ाएगा।
وَإِلَّا فَلْيَكُنْ مَعْلُومًا لَكَ أَيُّهَا ٱلْمَلِكُ، أَنَّنَا لَا نَعْبُدُ آلِهَتَكَ وَلَا نَسْجُدُ لِتِمْثَالِ ٱلذَّهَبِ ٱلَّذِي نَصَبْتَهُ». ١٨ 18
और नहीं, तो ऐ बादशाह तुझे मा'लूम हो कि हम तेरे मा'बूदों की इबादत नहीं करेंगे, और उस सोने की मूरत को जो तूने खड़ी की है सिज्दा नहीं करेंगे।
حِينَئِذٍ ٱمْتَلَأَ نَبُوخَذْنَصَّرُ غَيْظًا وَتَغَيَّرَ مَنْظَرُ وَجْهِهِ عَلَى شَدْرَخَ وَمِيشَخَ وَعَبْدَنَغُوَ، فَأَجَابَ وَأَمَرَ بِأَنْ يَحْمُوا ٱلْأَتُونَ سَبْعَةَ أَضْعَافٍ أَكْثَرَ مِمَّا كَانَ مُعْتَادًا أَنْ يُحْمَى. ١٩ 19
तब नबूकदनज़र ग़ुस्से से भर गया, और उसके चेहरे का रंग सदरक और मीसक और 'अबदनजू पर बदल गया, और उसने हुक्म दिया कि भट्टी की आँच मा'मूल से सात गुना ज़्यादा करें।
وَأَمَرَ جَبَابِرَةَ ٱلْقُوَّةِ فِي جَيْشِهِ بِأَنْ يُوثِقُوا شَدْرَخَ وَمِيشَخَ وَعَبْدَنَغُوَ وَيُلْقُوهُمْ فِي أَتُّونِ ٱلنَّارِ ٱلْمُتَّقِدَةِ. ٢٠ 20
और उसने अपने लश्कर के चन्द ताक़तवर पहलवानों को हुक्म दिया कि सदरक और मीसक और 'अबदनजू को बाँध कर आग की जलती भट्टी में डाल दें।
ثُمَّ أُوثِقَ هَؤُلَاءِ ٱلرِّجَالُ فِي سَرَاوِيلِهِمْ وَأَقْمِصَتِهِمْ وَأَرْدِيَتِهِمْ وَلِبَاسِهِمْ وَأُلْقُوا فِي وَسَطِ أَتُّونِ ٱلنَّارِ ٱلْمُتَّقِدَةِ. ٢١ 21
तब यह मर्द अपने पैजामों — क़मीसों और 'अमामों के साथ बाँधे गए, और आग की जलती भट्टी में फेंक दिए गए।
وَمِنْ حَيْثُ إِنَّ كَلِمَةَ ٱلْمَلِكِ شَدِيدَةٌ وَٱلْأَتُونَ قَدْ حَمِيَ جِدًّا، قَتَلَ لَهِيبُ ٱلنَّارِ ٱلرِّجَالَ ٱلَّذِينَ رَفَعُوا شَدْرَخَ وَمِيشَخَ وَعَبْدَنَغُوَ. ٢٢ 22
इसलिए चूँकि बादशाह का हुक्म ताकीदी था और भट्टी की ऑच निहायत तेज़ थी, इसलिए सदरक और मीसक और अबदनजू को उठाने वाले आग के शो'लों से हलाक हो गए;
وَهَؤُلَاءِ ٱلثَّلَاثَةُ ٱلرِّجَالِ، شَدْرَخُ وَمِيشَخُ وَعَبْدَنَغُوَ، سَقَطُوا مُوثَقِينَ فِي وَسَطِ أَتُّونِ ٱلنَّارِ ٱلْمُتَّقِدَةِ. ٢٣ 23
और यह तीन आदमी या'नी सदरक और मीसक और अबदनजू, बँधे हुए आग की जलती भट्टी में जा पड़े।
حِينَئِذٍ تَحَيَّرَ نَبُوخَذْنَصَّرُ ٱلْمَلِكُ وَقَامَ مُسْرِعًا فَأَجَابَ وَقَالَ لِمُشِيرِيهِ: «أَلَمْ نُلْقِ ثَلَاثَةَ رِجَالٍ مُوثَقِينَ فِي وَسَطِ ٱلنَّارِ؟» فَأَجَابُوا وَقَالُوا لِلْمَلِكِ: «صَحِيحٌ أَيُّهَا ٱلْمَلِكُ». ٢٤ 24
तब नबूकदनज़र बादशाह सरासीमा होकर जल्द उठा, और अरकान — ए — दौलत से मुख़ातिब होकर कहने लगा, क्या हम ने तीन शख़्सों को बँधवा कर आग में नहीं डलवाया?” उन्होंने जवाब दिया, बादशाह ने सच फ़रमाया है।
أَجَابَ وَقَالَ: «هَا أَنَا نَاظِرٌ أَرْبَعَةَ رِجَالٍ مَحْلُولِينَ يَتَمَشَّوْنَ فِي وَسَطِ ٱلنَّارِ وَمَا بِهِمْ ضَرَرٌ، وَمَنْظَرُ ٱلرَّابِعِ شَبِيهٌ بِٱبْنِ ٱلْآلِهَةِ». ٢٥ 25
उसने कहा, देखो, मैं चार शख़्स आग में खुले फिरते देखता हूँ, और उनको कुछ नुक़सान नहीं पहुँचा; और चौथे की सूरत इलाहज़ादे की तरह है।
ثُمَّ ٱقْتَرَبَ نَبُوخَذْنَصَّرُ إِلَى بَابِ أَتُّونِ ٱلنَّارِ ٱلْمُتَّقِدَةِ وَأَجَابَ، فَقَالَ: «يَا شَدْرَخُ وَمِيشَخُ وَعَبْدَنَغُو، يَا عَبِيدَ ٱللهِ ٱلْعَلِيِّ، ٱخْرُجُوا وَتَعَالَوْا». فَخَرَجَ شَدْرَخُ وَمِيشَخُ وَعَبْدَنَغُو مِنْ وَسَطِ ٱلنَّارِ. ٢٦ 26
तब नबूकदनज़र ने आग की जलती भट्टी के दरवाज़े पर आकर कहा, ऐ सदरक और मीसक और अबदनजू, ख़ुदा — त'आला के बन्दो! बाहर निकलो और इधर आओ! इसलिए सदरक और मीसक और अबदनजू आग से निकल आए।
فَٱجْتَمَعَتِ ٱلْمَرَازِبَةُ وَٱلشِّحَنُ وَٱلْوُلَاةُ وَمُشِيرُو ٱلْمَلِكِ وَرَأَوْا هَؤُلَاءِ ٱلرِّجَالَ ٱلَّذِينَ لَمْ تَكُنْ لِلنَّارِ قُوَّةٌ عَلَى أَجْسَامِهِمْ، وَشَعْرَةٌ مِنْ رُؤُوسِهِمْ لَمْ تَحْتَرِقْ، وَسَرَاوِيلُهُمْ لَمْ تَتَغَيَّرْ، وَرَائِحَةُ ٱلنَّارِ لَمْ تَأْتِ عَلَيْهِمْ. ٢٧ 27
तब नाज़िमों और हाकिमों और सरदारों और बादशाह के सलाहकारों ने जमा' होकर उन शख़्सों पर नज़र की, और देखा कि आग ने उनके बदनों पर कुछ असर न किया और उनके सिर का एक बाल भी न जलाया, और उनकी पोशाक में कुछ फ़र्क़ न आया और उनसे आग से जलने की बू भी न आती थी।
فَأَجَابَ نَبُوخَذْنَصَّرُ وَقَالَ: «تَبَارَكَ إِلَهُ شَدْرَخَ وَمِيشَخَ وَعَبْدَنَغُوَ، ٱلَّذِي أَرْسَلَ مَلَاكَهُ وَأَنْقَذَ عَبِيدَهُ ٱلَّذِينَ ٱتَّكَلُوا عَلَيْهِ وَغَيَّرُوا كَلِمَةَ ٱلْمَلِكِ وَأَسْلَمُوا أَجْسَادَهُمْ لِكَيْلَا يَعْبُدُوا أَوْ يَسْجُدُوا لِإِلَهٍ غَيْرِ إِلَهِهِمْ. ٢٨ 28
तब नबूकदनज़र ने पुकार कर कहा, कि “सदरक और मीसक और 'अबदनजू का ख़ुदा मुबारक हो, जिसने अपना फ़रिश्ता भेज कर अपने बन्दों को रिहाई बख़्शी, जिन्होंने उस पर भरोसा करके बादशाह के हुक्म को टाल दिया, और अपने बदनों को निसार किया कि अपने ख़ुदा के अलावा किसी दूसरे मा'बूद की इबादत और बन्दगी न करें।
فَمِنِّي قَدْ صَدَرَ أَمْرٌ بِأَنَّ كُلَّ شَعْبٍ وَأُمَّةٍ وَلِسَانٍ يَتَكَلَّمُونَ بِٱلسُّوءِ عَلَى إِلَهِ شَدْرَخَ وَمِيشَخَ وَعَبْدَنَغُوَ، فَإِنَّهُمْ يُصَيَّرُونَ إِرْبًا إِرْبًا، وَتُجْعَلُ بُيُوتُهُمْ مَزْبَلَةً، إِذْ لَيْسَ إِلَهٌ آخَرُ يَسْتَطِيعُ أَنْ يُنَجِّيَ هَكَذَا». ٢٩ 29
इसलिए मैं यह फ़रमान जारी करता हूँ कि जो क़ौम या उम्मत या अहल — ए — ज़ुबान, सदरक और मीसक और 'अबदनजू के ख़ुदा के हक़ में कोई ना मुनासिब बात कहें उनके टुकड़े — टुकड़े किए जाएँगे और उनके घर मज़बला हो जाएँगे, क्यूँकि कोई दूसरा मा'बूद नहीं जो इस तरह रिहाई दे सके।”
حِينَئِذٍ قَدَّمَ ٱلْمَلِكُ شَدْرَخَ وَمِيشَخَ وَعَبْدَنَغُوَ فِي وِلَايَةِ بَابِلَ. ٣٠ 30
फिर बादशाह ने सदरक और मीसक और 'अबदनजू को सूबा — ए — बाबुल में सरफ़राज़ किया।

< دَانِيآل 3 >