< دَانِيآل 11 >

«وَأَنَا فِي ٱلسَّنَةِ ٱلْأُولَى لِدَارِيُّوسَ ٱلْمَادِيِّ وَقَفْتُ لِأُشَدِّدَهُ وَأُقَوِّيَهُ. ١ 1
और दारा मादी की सल्तनत के पहले साल में, मैं ही उसको क़ायम करने और ताक़त देने को खड़ा हुआ।
وَٱلْآنَ أُخْبِرُكَ بِٱلْحَقِّ. هُوَذَا ثَلَاثَةُ مُلُوكٍ أَيْضًا يَقُومُونَ فِي فَارِسَ، وَٱلرَّابِعُ يَسْتَغْنِي بِغِنًى أَوْفَرَ مِنْ جَمِيعِهِمْ، وَحَسَبَ قُوَّتِهِ بِغِنَاهُ يُهَيِّجُ ٱلْجَمِيعَ عَلَى مَمْلَكَةِ ٱلْيُونَانِ. ٢ 2
और अब मैं तुझको हक़ीक़त बताता हूँ। फ़ारस में अभी तीन बादशाह और खड़े होंगे, और चौथा उन सबसे ज़्यादा दौलतमन्द होगा, और जब वो अपनी दौलत से ताक़त पाएगा, तो सब को यूनान की सल्तनत के ख़िलाफ़ उभारेगा।
وَيَقُومُ مَلِكٌ جَبَّارٌ وَيَتَسَلَّطُ تَسَلُّطًا عَظِيمًا وَيَفْعَلُ حَسَبَ إِرَادَتِهِ. ٣ 3
लेकिन एक ज़बरदस्त बादशाह खड़ा होगा, जो बड़े तसल्लुत से हुक्मरान होगा और जो कुछ चाहेगा करेगा।
وَكَقِيَامِهِ تَنْكَسِرُ مَمْلَكَتُهُ وَتَنْقَسِمُ إِلَى رِيَاحِ ٱلسَّمَاءِ ٱلْأَرْبَعِ، وَلَا لِعَقِبِهِ وَلَا حَسَبَ سُلْطَانِهِ ٱلَّذِي تَسَلَّطَ بِهِ، لِأَنَّ مَمْلَكَتَهُ تَنْقَرِضُ وَتَكُونُ لِآخَرِينَ غَيْرِ أُولَئِكَ. ٤ 4
और उसके खड़े होते ही उसकी सल्तनत को ज़वाल आएगा, और आसमान की चारों हवाओं की अतराफ़ पर तक़सीम हो जाएगी लेकिन न उसकी नसल को मिलेगी न उसका एक बाल भी बाक़ी रहेगा बल्कि वह सल्तनत जड़ से उखड़ जाएगी और ग़ैरों के लिए होगी।
وَيَتَقَوَّى مَلِكُ ٱلْجَنُوبِ. وَمِنْ رُؤَسَائِهِ مَنْ يَقْوَى عَلَيْهِ وَيَتَسَلَّطُ. تَسَلُّطٌ عَظِيمٌ تَسَلُّطُهُ. ٥ 5
और शाह — ए — जुनूब ज़ोर पकड़ेगा, और उसके हाकिम में से एक उससे ज़्यादा ताक़त — ओ — इख़्तियार हासिल करेगा और उसकी सल्तनत बहुत बड़ी होगी।
وَبَعْدَ سِنِينَ يَتَعَاهَدَانِ، وَبِنْتُ مَلِكِ ٱلْجَنُوبِ تَأْتِي إِلَى مَلِكِ ٱلشِّمَالِ لِإِجْرَاءِ ٱلِٱتِّفَاقِ، وَلَكِنْ لَا تَضْبِطُ ٱلذِّرَاعُ قُوَّةً، وَلَا يَقُومُ هُوَ وَلَا ذِرَاعُهُ. وَتُسَلَّمُ هِيَ وَٱلَّذِينَ أَتَوْا بِهَا وَٱلَّذِي وَلَدَهَا وَمَنْ قَوَّاهَا فِي تِلْكَ ٱلْأَوْقَاتِ. ٦ 6
और चन्द साल के बाद वह आपस में मेल करेंगे, क्यूँकि शाह — ए — जुनूब की बेटी शाह — ए — शिमाल के पास आएगी, ताकि इत्तिहाद क़ायम हो; लेकिन उसमें क़ुव्वत — ए — बाज़ू न रहेगी और न वह बादशाह क़ायम रहेगा न उसकी ताक़त, बल्कि उन दिनों में वह अपने बाप और अपने लाने वालों और ताक़त देने वाले के साथ छोड़ दी जाएगी।
وَيَقُومُ مِنْ فَرْعِ أُصُولِهَا قَائِمٌ مَكَانَهُ، وَيَأْتِي إِلَى ٱلْجَيْشِ وَيَدْخُلُ حِصْنَ مَلِكِ ٱلشِّمَالِ وَيَعْمَلُ بِهِمْ وَيَقْوَى. ٧ 7
लेकिन उसकी जड़ों की एक शाख़ से एक शख़्स उसकी जगह खड़ा होगा, वह सिपहसालार होकर शाह — ए — शिमाल के क़िले' में दाख़िल होगा, और उन पर हमला करेगा और ग़ालिब आएगा।
وَيَسْبِي إِلَى مِصْرَ آلِهَتَهُمْ أَيْضًا مَعَ مَسْبُوكَاتِهِمْ وَآنِيَتِهِمِ ٱلثَّمِينَةِ مِنْ فِضَّةٍ وَذَهَبٍ، وَيَقْتَصِرُ سِنِينَ عَنْ مَلِكِ ٱلشِّمَالِ. ٨ 8
और उनके बुतों और ढाली हुई मूरतों को, सोने चाँदी के क़ीमती बर्तन के साथ ग़ुलाम करके मिस्र को ले जाएगा; और चन्द साल तक शाह — ए — शिमाल से अलग रहेगा।
فَيَدْخُلُ مَلِكُ ٱلْجَنُوبِ إِلَى مَمْلَكَتِهِ وَيَرْجِعُ إِلَى أَرْضِهِ. ٩ 9
फिर वह शाह — ए — जुनूब की ममलुकत में दाख़िल होगा, पर अपने मुल्क को वापस जाएगा।
«وَبَنُوهُ يَتَهَيَّجُونَ فَيَجْمَعُونَ جُمْهُورَ جُيُوشٍ عَظِيمَةٍ، وَيَأْتِي آتٍ وَيَغْمُرُ وَيَطْمُو وَيَرْجِعُ وَيُحَارِبُ حَتَّى إِلَى حِصْنِهِ. ١٠ 10
लेकिन उसके बेटे बरअंगेख़्ता होंगे, जो बड़ा लश्कर जमा' करेंगे और वह चढ़ाई करके फैलेगा, और गुज़र जाएगा और वह लौट कर उसके क़िले' तक लड़ेंगे।
وَيَغْتَاظُ مَلِكُ ٱلْجَنُوبِ وَيَخْرُجُ وَيُحَارِبُهُ أَيْ مَلِكَ ٱلشِّمَالِ، وَيُقِيمُ جُمْهُورًا عَظِيمًا فَيُسَلَّمُ ٱلْجُمْهُورُ فِي يَدِهِ. ١١ 11
और शाह — ए — जुनूब ग़ज़बनाक होकर निकलेगा और शाह — ए — शिमाल से जंग करेगा, और वह बड़ा लश्कर लेकर आएगा और वह बड़ा लश्कर उसके हवाले कर दिया जाएगा।
فَإِذَا رُفِعَ ٱلْجُمْهُورُ يَرِتْفِعُ قَلْبُهُ وَيَطْرَحُ رَبَوَاتٍ وَلَا يَعْتَزُّ. ١٢ 12
और जब वह लश्कर तितर बितर कर दिया जाएगा, तो उसके दिल में ग़ुरूर समाएगा; वह लाखों को गिराएगा लेकिन ग़ालिब न आएगा।
فَيَرْجِعُ مَلِكُ ٱلشِّمَالِ وَيُقِيمُ جُمْهُورًا أَكْثَرَ مِنَ ٱلْأَوَّلِ، وَيَأْتِي بَعْدَ حِينٍ، بَعْدَ سِنِينَ بِجَيْشٍ عَظِيمٍ وَثَرْوَةٍ جَزِيلَةٍ. ١٣ 13
और शाह — ए — शिमाल फिर हमला करेगा और पहले से ज़्यादा लश्कर जमा' करेगा, और कुछ साल के बाद बहुत से लश्कर — और — माल के साथ फिर हमलावर होगा।
وَفِي تِلْكَ ٱلْأَوْقَاتِ يَقُومُ كَثِيرُونَ عَلَى مَلِكِ ٱلْجَنُوبِ، وَبَنُو ٱلْعُتَاةِ مِنْ شَعْبِكَ يَقُومُونَ لِإِثْبَاتِ ٱلرُّؤْيَا وَيَعْثُرُونَ. ١٤ 14
'और उन दिनों में बहुत से शाह — ए — जुनूब पर चढ़ाई करेंगे, और तेरी क़ौम के क़ज़्ज़ाक़ भी उठेंगे कि उस ख्व़ाब को पूरा करें; लेकिन वह गिर जाएँगे।
فَيَأْتِي مَلِكُ ٱلشِّمَالِ وَيُقِيمُ مِتْرَسَةً وَيَأْخُذُ ٱلْمَدِينَةَ ٱلْحَصِينَةَ، فَلَا تَقُومُ أَمَامَهُ ذِرَاعَا ٱلْجَنُوبِ وَلَا قَوْمُهُ ٱلْمُنْتَخَبُ، وَلَا تَكُونُ لَهُ قُوَّةٌ لِلْمُقَاوَمَةِ. ١٥ 15
चुनाँचे शाह — ए — शिमाल आएगा और दमदमा बाँधेगा और हसीन शहर ले लेगा, और जुनूब की ताक़त क़ायम न रहेगी और उसके चुने हुए मर्दों में मुक़ाबले की हिम्मत न होगी।
وَٱلْآتِي عَلَيْهِ يَفْعَلُ كَإِرَادَتِهِ وَلَيْسَ مَنْ يَقِفُ أَمَامَهُ، وَيَقُومُ فِي ٱلْأَرْضِ ٱلْبَهِيَّةِ وَهِيَ بِٱلتَّمَامِ بِيَدِهِ. ١٦ 16
और हमलावर जो कुछ चाहेगा करेगा, और कोई उसका मुक़ाबला न कर सकेगा; वह उस जलाली मुल्क में क़याम करेगा, और उसके हाथ में तबाही होगी।
وَيَجْعَلُ وَجْهَهُ لِيَدْخُلَ بِسُلْطَانِ كُلِّ مَمْلَكَتِهِ، وَيَجْعَلُ مَعَهُ صُلْحًا، وَيُعْطِيهِ بِنْتَ ٱلنِّسَاءِ لِيُفْسِدَهَا، فَلَا تَثْبُتَ وَلَا تَكُونَ لَهُ. ١٧ 17
और वह यह इरादा करेगा कि अपनी ममलुकत की तमाम शौकत के साथ उसमें दाख़िल हो, और सच्चे उसके साथ होंगे; वह कामयाब होगा और वह उसे जवान कुँवारी देगा कि उसकी बर्बादी का ज़रिया' हो, लेकिन यह तदबीर क़ायम न रहेगी और उसको इससे कुछ फ़ाइदा न होगा।
وَيُحَوِّلُ وَجْهَهُ إِلَى ٱلْجَزَائِرِ وَيَأْخُذُ كَثِيرًا مِنْهَا، وَيُزِيلُ رَئِيسٌ تَعْيِيرَهُ فَضْلًا عَنْ رَدِّ تَعْيِيرِهِ عَلَيْهِ. ١٨ 18
फिर वह समंदरी — मुमालिक का रुख़ करेगा और बहुत से ले लेगा, लेकिन एक सरदार उसकी मलामत को मौकू़फ़ करेगा, बल्कि उसे उसी के सिर पर डालेगा।
وَيُحَوِّلُ وَجْهَهُ إِلَى حُصُونِ أَرْضِهِ وَيَعْثُرُ وَيَسْقُطُ وَلَا يُوجَدُ. ١٩ 19
तब वह अपने मुल्क के क़िलों' की तरफ़ मुड़ेगा, लेकिन ठोकर खाकर गिर पड़ेगा और मादूम हो जाएगा।
«فَيَقُومُ مَكَانَهُ مَنْ يُعَبِّرُ جَابِيَ ٱلْجِزْيَةِ فِي فَخْرِ ٱلْمَمْلَكَةِ، وَفِي أَيَّامٍ قَلِيلَةٍ يَنْكَسِرُ لَا بِغَضَبٍ وَلَا بِحَرْبٍ. ٢٠ 20
और उसकी जगह एक और खड़ा होगा, जो उस खू़बसूरत ममलुकत में महसूल लेने वाले को भेजेगा; लेकिन वह चन्द रोज़ में बे क़हर — ओ — जंग ही हलाक हो जाएगा।
فَيَقُومُ مَكَانَهُ مُحْتَقَرٌ لَمْ يَجْعَلُوا عَلَيْهِ فَخْرَ ٱلْمَمْلَكَةِ، وَيَأْتِي بَغْتَةً وَيُمْسِكُ ٱلْمَمْلَكَةَ بِٱلتَّمَلُّقَاتِ. ٢١ 21
फिर उसकी जगह एक पाजी खड़ा होगा जो सल्तनत की 'इज़्ज़त का हक़दार न होगा, लेकिन वह अचानक आएगा और चापलूसी करके ममलुकत पर क़ाबिज़ हो जाएगा।
وَأَذْرُعُ ٱلْجَارِفِ تُجْرَفُ مِنْ قُدَّامِهِ وَتَنْكَسِرُ، وَكَذَلِكَ رَئِيسُ ٱلْعَهْدِ. ٢٢ 22
और वह सैलाब — ए — अफ़वाज को अपने सामने दौड़ाएगा और शिकस्त देगा, और अमीर — ए — 'अहद को भी न छोड़ेगा।
وَمِنَ ٱلْمُعَاهَدَةِ مَعَهُ يَعْمَلُ بِٱلْمَكْرِ وَيَصْعَدُ وَيَعْظُمُ بِقَوْمٍ قَلِيلٍ. ٢٣ 23
और जब उसके साथ 'अहद — ओ — पैमान हो जाएगा तो दग़ाबाज़ी करेगा, क्यूँकि वह बढ़ेगा और एक छोटी जमा'अत की मदद से ताक़त हासिल करेगा।
يَدْخُلُ بَغْتَةً عَلَى أَسْمَنِ ٱلْبِلَادِ وَيَفْعَلُ مَا لَمْ يَفْعَلْهُ آبَاؤُهُ وَلَا آبَاءُ آبَائِهِ. يَبْذُرُ بَيْنَهُمْ نَهْبًا وَغَنِيمَةً وَغِنًى، وَيُفَكِّرُ أَفْكَارَهُ عَلَى ٱلْحُصُونِ، وَذَلِكَ إِلَى حِينٍ. ٢٤ 24
और हुक्म के दिनों में मुल्क के वीरान मक़ामात में दाख़िल होगा, और जो कुछ उसके बाप — दादा और उनके आबा — ओ — अजदाद से न हुआ था कर दिखाएगा; वह ग़नीमत और लूट और माल उनमें तक़सीम करेगा और कुछ 'अरसे तक मज़बूत क़िलों' के ख़िलाफ़ मन्सूबे बाँधेगा।
وَيُنْهِضُ قُوَّتَهُ وَقَلْبَهُ عَلَى مَلِكِ ٱلْجَنُوبِ بِجَيْشٍ عَظِيمٍ، وَمَلِكُ ٱلْجَنُوبِ يَتَهَيَّجُ إِلَى ٱلْحَرْبِ بِجَيْشٍ عَظِيمٍ وَقَوِيٍّ جِدًّا، وَلَكِنَّهُ لَا يَثْبُتُ لِأَنَّهُمْ يُدَبِّرُونَ عَلَيْهِ تَدَابِيرَ. ٢٥ 25
वह अपनी ताक़त और दिल को ऊभारेगा कि बड़ी फ़ौज के साथ शाह — ए — जुनूब पर हमला करे, और शाह — ए — जुनूब निहायत बड़ा और ज़बरदस्त लश्कर लेकर उसके मुक़ाबिले को निकलेगा लेकिन वह न ठहरेगा, क्यूँकि वह उसके ख़िलाफ़ मन्सूबे बाँधेंगे।
وَٱلْآكِلُونَ أَطَايِبَهُ يَكْسِرُونَهُ، وَجَيْشُهُ يَطْمُو، وَيَسْقُطُ كَثِيرُونَ قَتْلَى. ٢٦ 26
बल्कि जो उसका दिया खाते हैं, वही उसे शिकस्त देंगे और उसकी फ़ौज तितर बितर होगी और बहुत से क़त्ल होंगे।
وَهَذَانِ ٱلْمَلِكَانِ قَلْبُهُمَا لِفِعْلِ ٱلشَّرِّ، وَيَتَكَلَّمَانِ بِٱلْكَذِبِ عَلَى مَائِدَةٍ وَاحِدَةٍ وَلَا يَنْجَحُ، لِأَنَّ ٱلِٱنْتِهَاءَ بَعْدُ إِلَى مِيعَادٍ. ٢٧ 27
और इन दोनों बादशाहों के दिल शरारत की तरफ़ माइल होंगे, वह एक ही दस्तरख़्वान पर बैठ कर झूट बोलेंगे लेकिन कामयाबी न होगी, क्यूँकि ख़ातिमा मुक़र्ररा वक़्त पर होगा।
فَيَرْجِعُ إِلَى أَرْضِهِ بِغِنًى جَزِيلٍ وَقَلْبُهُ عَلَى ٱلْعَهْدِ ٱلْمُقَدَّسِ، فَيَعْمَلُ وَيَرْجِعُ إِلَى أَرْضِهِ. ٢٨ 28
तब वह बहुत सी ग़नीमत लेकर अपने मुल्क को वापस जाएगा; और उसका दिल 'अहद — ए — मुक़द्दस के ख़िलाफ़ होगा, और वह अपनी मर्ज़ी पूरी करके अपने मुल्क को वापस जाएगा।
«وَفِي ٱلْمِيعَادِ يَعُودُ وَيَدْخُلُ ٱلْجَنُوبَ، وَلَكِنْ لَا يَكُونُ ٱلْآخِرُ كَٱلْأَوَّلِ. ٢٩ 29
मुक़र्ररा वक़्त पर वह फिर जुनूब की तरफ़ ख़ुरूज करेगा, लेकिन ये हमला पहले की तरह न होगा।
فَتَأْتِي عَلَيْهِ سُفُنٌ مِنْ كِتِّيمَ فَيَيْئَسُ وَيَرْجِعُ وَيَغْتَاظُ عَلَى ٱلْعَهْدِ ٱلْمُقَدَّسِ، وَيَعْمَلُ وَيَرْجِعُ وَيَصْغَى إِلَى ٱلَّذِينَ تَرَكُوا ٱلْعَهْدَ ٱلْمُقَدَّسَ. ٣٠ 30
क्यूँकि अहल — ए — कित्तीम के जहाज़ उसके मुक़ाबिले को निकलेंगे, और वह रंजीदा होकर मुड़ेगा और 'अहद — ए — मुक़द्दस पर उसका ग़ज़ब भड़केगा, और वह उसके मुताबिक़ 'अमल करेगा; बल्कि वह मुड़ कर उन लोगों से जो 'अहद — ए — मुक़द्दस को छोड़ देंगे, इत्तफ़ाक़ करेगा।
وَتَقُومُ مِنْهُ أَذْرُعٌ وَتُنَجِّسُ ٱلْمَقْدِسَ ٱلْحَصِينَ، وَتَنْزِعُ ٱلْمُحْرَقَةَ ٱلدَّائِمَةَ، وَتَجْعَلُ ٱلرِّجْسَ ٱلْمُخَرِّبَ. ٣١ 31
और अफ़वाज उसकी मदद करेंगी, और वह मज़बूत मक़दिस को नापाक और दाइमी क़ुर्बानी को रोकेंगे और उजाड़ने वाली मकरूह चीज़ को उसमें नस्ब करेंगे।
وَٱلْمُتَعَدُّونَ عَلَى ٱلْعَهْدِ يُغْوِيهِمْ بِٱلتَّمَلُّقَاتِ. أَمَّا ٱلشَّعْبُ ٱلَّذِينَ يَعْرِفُونَ إِلَهَهُمْ فَيَقْوَوْنَ وَيَعْمَلُونَ. ٣٢ 32
और वह 'अहद — ए — मुक़द्दस के ख़िलाफ़ शरारत करने वालों को खु़शामद करके बरगश्ता करेगा, लेकिन अपने ख़ुदा को पहचानने वाले ताक़त पाकर कुछ कर दिखाएँगे।
وَٱلْفَاهِمُونَ مِنَ ٱلشَّعْبِ يُعَلِّمُونَ كَثِيرِينَ. وَيَعْثُرُونَ بِٱلسَّيْفِ وَبِاللَّهِيبِ وَبِالسَّبْيِ وَبِالنَّهْبِ أَيَّامًا. ٣٣ 33
और वह जो लोगों में 'अक़्लमन्द हैं बहुतों को ता'लीम देंगे, लेकिन वह कुछ मुद्दत तक तलवार और आग और ग़ुलामी और लूट मार से तबाह हाल रहेंगे।
فَإِذَا عَثَرُوا يُعَانُونَ عَوْنًا قَلِيلًا، وَيَتَّصِلُ بِهِمْ كَثِيرُونَ بِٱلتَّمَلُّقَاتِ. ٣٤ 34
और जब तबाही में पड़ेंगे तो उनको थोड़ी सी मदद से ताक़त पहुँचेगी, लेकिन बहुतेरे खु़शामद गोई से उनमें आ मिलेंगे।
وَبَعْضُ ٱلْفَاهِمِينَ يَعْثُرُونَ ٱمْتِحَانًا لَهُمْ لِلتَّطْهِيرِ وَلِلتَّبْيِيضِ إِلَى وَقْتِ ٱلنِّهَايَةِ. لِأَنَّهُ بَعْدُ إِلَى ٱلْمِيعَادِ. ٣٥ 35
और बा'ज़ अहल — ए — फ़हम तबाह हाल होंगे ताकि पाक और साफ़ और बुर्राक़ हो जाएँ जब तक आख़िरी वक़्त न आ जाए, क्यूँकि ये मुक़र्ररा वक़्त तक मना' है।
«وَيَفْعَلُ ٱلْمَلِكُ كَإِرَادَتِهِ، وَيَرْتَفِعُ وَيَتَعَظَّمُ عَلَى كُلِّ إِلَهٍ، وَيَتَكَلَّمُ بِأُمُورٍ عَجِيبَةٍ عَلَى إِلَهِ ٱلْآلِهَةِ، وَيَنْجَحُ إِلَى إِتْمَامِ ٱلْغَضَبِ، لِأَنَّ ٱلْمَقْضِيَّ بِهِ يُجْرَى. ٣٦ 36
और बादशाह अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ चलेगा, और तकब्बुर करेगा और सब मा'बूदों से बड़ा बनेगा, और मा'बूदों के ख़ुदा के ख़िलाफ़ बहुत सी हैरत — अंगेज़ बातें कहेगा, और इक़बाल मन्द होगा यहाँ तक कि क़हर की तस्कीन हो जाएगी; क्यूँकि जो कुछ मुक़र्रर हो चुका है वाके़' होगा।
وَلَا يُبَالِي بِآلِهَةِ آبَائِهِ وَلَا بِشَهْوَةِ ٱلنِّسَاءِ، وَبِكُلِّ إِلَهٍ لَا يُبَالِي لِأَنَّهُ يَتَعَظَّمُ عَلَى ٱلْكُلِّ. ٣٧ 37
वह अपने बाप — दादा के मा'बूदों की परवाह न करेगा, और न 'औरतों की पसन्द को और न किसी और मा'बूद को मानेगा; बल्कि अपने आप ही को सबसे बेहतर जानेगा।
وَيُكْرِمُ إِلَهَ ٱلْحُصُونِ فِي مَكَانِهِ، وَإِلَهًا لَمْ تَعْرِفْهُ آبَاؤُهُ، يُكْرِمُهُ بِٱلذَّهَبِ وَٱلْفِضَّةِ وَبِالْحِجَارَةِ ٱلْكَرِيمَةِ وَٱلنَّفَائِسِ. ٣٨ 38
और अपने मकान पर मा'बूद — ए — हिसार की ताज़ीम करेगा, और जिस मा'बूद को उसके बाप — दादा न जानते थे, सोना और चाँदी और क़ीमती पत्थर और नफ़ीस तोहफ़े दे कर उसकी तकरीम करेगा।
وَيَفْعَلُ فِي ٱلْحُصُونِ ٱلْحَصِينَةِ بِإِلَهٍ غَرِيبٍ. مَنْ يَعْرِفُهُ يَزِيدُهُ مَجْدًا، وَيُسَلِّطُهُمْ عَلَى كَثِيرِينَ، وَيَقْسِمُ ٱلْأَرْضَ أُجْرَةً. ٣٩ 39
वह बेगाना मा'बूद की मदद से मुहकम क़िलों' पर हमला करेगा; जो उसको कु़बूल करेंगे उनको बड़ी 'इज़्ज़त बख़्शेगा और बहुतों पर हाकिम बनाएगा और रिश्वत में मुल्क को तक़सीम करेगा।
«فَفِي وَقْتِ ٱلنِّهَايَةِ يُحَارِبُهُ مَلِكُ ٱلْجَنُوبِ، فَيَثُورُ عَلَيْهِ مَلِكُ ٱلشِّمَالِ بِمَرْكَبَاتٍ وَبِفُرْسَانٍ وَبِسُفُنٍ كَثِيرَةٍ، وَيَدْخُلُ ٱلْأَرَاضِيَ وَيَجْرُفُ وَيَطْمُو. ٤٠ 40
और ख़ातिमे के वक़्त में शाह — ए — जुनूब उस पर हमला करेगा, और शाह — ए — शिमाल रथ और सवार और बहुत से जहाज़ लेकर हवा के झोंके की तरह उस पर चढ़ आएगा, और ममालिक में दाख़िल होकर सैलाब की तरह गुज़रेगा।
وَيَدْخُلُ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلْبَهِيَّةِ فَيُعْثَرُ كَثِيرُونَ، وَهَؤُلَاءِ يُفْلِتُونَ مِنْ يَدِهِ: أَدُومُ وَمُوآبُ وَرُؤَسَاءُ بَنِي عَمُّونَ. ٤١ 41
और जलाली मुल्क में भी दाख़िल होगा और बहुत से मग़लूब हो जाएँगे, लेकिन अदोम और मोआब और बनी — 'अम्मून के ख़ास लोग उसके हाथ से छुड़ा लिए जाएँगे।
وَيَمُدُّ يَدَهُ عَلَى ٱلْأَرَاضِي، وَأَرْضُ مِصْرَ لَا تَنْجُو. ٤٢ 42
वह दीगर मुमालिक पर भी हाथ चलाएगा और मुल्क — ए — मिस्र भी बच न सकेगा।
وَيَتَسَلَّطُ عَلَى كُنُوزِ ٱلذَّهَبِ وَٱلْفِضَّةِ وَعَلَى كُلِّ نَفَائِسِ مِصْرَ. وَٱللُّوبِيُّونَ وَٱلْكُوشِيُّونَ عِنْدَ خُطُوَاتِهِ. ٤٣ 43
बल्कि वह सोने चाँदी के ख़ज़ानों और मिस्र की तमाम नफ़ीस चीज़ों पर क़ाबिज़ होगा, और लूबी और कूशी भी उसके हम — रक़ाब होंगे।
وَتُفْزِعُهُ أَخْبَارٌ مِنَ ٱلشَّرْقِ وَمِنَ ٱلشِّمَالِ، فَيَخْرُجُ بِغَضَبٍ عَظِيمٍ لِيُخْرِبَ وَلِيُحَرِّمَ كَثِيرِينَ. ٤٤ 44
लेकिन पश्चिमी और उत्तरी अतराफ़ से अफ़वाहें उसे परेशान करेंगी, और वह बड़े ग़ज़ब से निकलेगा कि बहुतों को नेस्त — ओ — नाबूद करे।
وَيَنْصُبُ فُسْطَاطَهُ بَيْنَ ٱلْبُحُورِ وَجَبَلِ بَهَاءِ ٱلْقُدْسِ، وَيَبْلُغُ نِهَايَتَهُ وَلَا مُعِينَ لَهُ. ٤٥ 45
और वह शानदार मुक़द्दस पहाड़ और समुन्दर के बीच शाही ख़ेमे लगाएगा, लेकिन उसका ख़ातिमा हो जाएगा और कोई उसका मददगार न होगा।

< دَانِيآل 11 >