< دَانِيآل 10 >

فِي ٱلسَّنَةِ ٱلثَّالِثَةِ لِكُورَشَ مَلِكِ فَارِسَ كُشِفَ أَمْرٌ لِدَانِيآلَ ٱلَّذِي سُمِّيَ بِٱسْمِ بَلْطَشَاصَّرَ. وَٱلْأَمْرُ حَقٌّ وَٱلْجِهَادُ عَظِيمٌ، وَفَهِمَ ٱلْأَمْرَ وَلَهُ مَعْرِفَةُ ٱلرُّؤْيَا. ١ 1
फारस के राजा कोरेश के शासनकाल के तीसरे साल में दानिएल (जिसे बैलशत्सर कहा जाता था) पर एक संदेश प्रकाशित किया गया. यह संदेश सत्य था और इसका संबंध एक बड़े युद्ध से था. संदेश की समझ उसके पास एक दर्शन में आई.
فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ أَنَا دَانِيآلَ كُنْتُ نَائِحًا ثَلَاثَةَ أَسَابِيعِ أَيَّامٍ ٢ 2
उस समय, मैं, दानिएल, तीन सप्‍ताह तक शोक मनाता रहा.
لَمْ آكُلْ طَعَامًا شَهِيًّا وَلَمْ يَدْخُلْ فِي فَمِي لَحْمٌ وَلَا خَمْرٌ، وَلَمْ أَدَّهِنْ حَتَّى تَمَّتْ ثَلَاثَةُ أَسَابِيعِ أَيَّامٍ. ٣ 3
जब तक तीन सप्‍ताह पूरे न हो गए, तब तक मैंने कोई स्वादिष्ट भोजन न किया; न मांस खाया, न दाखमधु को मुंह से लगाया, और न ही किसी प्रकार के सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री का उपयोग किया.
وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلرَّابِعِ وَٱلْعِشْرِينَ مِنَ ٱلشَّهْرِ ٱلْأَوَّلِ، إِذْ كُنْتُ عَلَى جَانِبِ ٱلنَّهْرِ ٱلْعَظِيمِ هُوَ دِجْلَةُ، ٤ 4
पहले माह के चौबीसवें दिन, जब मैं महा नदी, हिद्देकेल के किनारे खड़ा था,
رَفَعْتُ وَنَظَرْتُ فَإِذَا بِرَجُلٍ لَابِسٍ كَتَّانًا، وَحَقْوَاهُ مُتَنَطِّقَانِ بِذَهَبِ أُوفَازَ، ٥ 5
तब मैंने देखा कि वहां एक व्यक्ति सन का वस्त्र पहने, कमर पर उपहाज़ देश का शुद्ध सोने का पट्टा बांधे खड़ा था.
وَجِسْمُهُ كَٱلزَّبَرْجَدِ، وَوَجْهُهُ كَمَنْظَرِ ٱلْبَرْقِ، وَعَيْنَاهُ كَمِصْبَاحَيْ نَارٍ، وَذِرَاعَاهُ وَرِجْلَاهُ كَعَيْنِ ٱلنُّحَاسِ ٱلْمَصْقُولِ، وَصَوْتُ كَلَامِهِ كَصَوْتِ جُمْهُورٍ. ٦ 6
उसका शरीर ही फ़िरोजा के समान, उसका चेहरा बिजली के समान, उसकी आंखें जलती मशालो के समान, उसकी भुजा और पैर चमकते कांसे के किरण के समान, और उसकी आवाज एक जनसमूह की समान थी.
فَرَأَيْتُ أَنَا دَانِيآلُ ٱلرُّؤْيَا وَحْدِي، وَٱلرِّجَالُ ٱلَّذِينَ كَانُوا مَعِي لَمْ يَرَوْا ٱلرُّؤْيَا، لَكِنْ وَقَعَ عَلَيْهِمِ ٱرْتِعَادٌ عَظِيمٌ، فَهَرَبُوا لِيَخْتَبِئُوا. ٧ 7
सिर्फ मुझे, दानिएल को, ही वह दर्शन दिखाई दे रहा था; जो लोग मेरे साथ थे, उन्हें वह नहीं दिखा, परंतु उन पर ऐसा आतंक छा गया कि वे वहां से भागकर छिप गए.
فَبَقِيتُ أَنَا وَحْدِي، وَرَأَيْتُ هَذِهِ ٱلرُّؤْيَا ٱلْعَظِيمَةَ. وَلَمْ تَبْقَ فِيَّ قُوَّةٌ، وَنَضَارَتِي تَحَوَّلَتْ فِيَّ إِلَى فَسَادٍ، وَلَمْ أَضْبِطْ قُوَّةً. ٨ 8
इसलिये मैं अकेला रह गया, और इस बड़े दर्शन को टकटकी लगाकर देखता रहा; मुझमें कुछ बल न रहा, मेरा चेहरा पूरी तरह पीला पड़ गया और मैं निस्सहाय हो गया.
وَسَمِعْتُ صَوْتَ كَلَامِهِ. وَلَمَّا سَمِعْتُ صَوْتَ كَلَامِهِ كُنْتُ مُسَبَّخًا عَلَى وَجْهِي، وَوَجْهِي إِلَى ٱلْأَرْضِ. ٩ 9
तब मैंने उसे कहते हुए सुना, और जैसे ही मैंने उसकी बातों को सुनी, मैं भूमि पर औंधे मुंह पड़ा गहरी नींद में चला गया.
وَإِذَا بِيَدٍ لَمَسَتْنِي وَأَقَامَتْنِي مُرْتَجِفًا عَلَى رُكْبَتَيَّ وَعَلَى كَفَّيْ يَدَيَّ. ١٠ 10
तब किसी के एक हाथ ने मुझे छुआ और मेरे थरथराते शरीर को मेरे हाथों और घुटनों के बल खड़ा कर दिया.
وَقَالَ لِي: «يَا دَانِيآلُ، أَيُّهَا ٱلرَّجُلُ ٱلْمَحْبُوبُ ٱفْهَمِ ٱلْكَلَامَ ٱلَّذِي أُكَلِّمُكَ بِهِ، وَقُمْ عَلَى مَقَامِكَ لِأَنِّي ٱلْآنَ أُرْسِلْتُ إِلَيْكَ». وَلَمَّا تَكَلَّمَ مَعِي بِهَذَا ٱلْكَلَامِ قُمْتُ مُرْتَعِدًا. ١١ 11
उसने कहा, “हे दानिएल, तुम जो बहुत सम्मानीय व्यक्ति हो, जो बातें मैं तुम्हें बताने जा रहा हूं, उन बातों पर ध्यानपूर्वक विचार करो, और अब खड़े हो जाओ, क्योंकि मुझे तुम्हारे पास भेजा गया है.” जब उसने मुझसे यह कहा, मैं कांपता हुआ खड़ा हो गया.
فَقَالَ لِي: «لَا تَخَفْ يَا دَانِيآلُ، لِأَنَّهُ مِنَ ٱلْيَوْمِ ٱلْأَوَّلِ ٱلَّذِي فِيهِ جَعَلْتَ قَلْبَكَ لِلْفَهْمِ وَلِإِذْلَالِ نَفْسِكَ قُدَّامَ إِلَهِكَ، سُمِعَ كَلَامُكَ، وَأَنَا أَتَيْتُ لِأَجْلِ كَلَامِكَ. ١٢ 12
तब उसने मुझसे आगे कहा, “हे दानिएल, डरो मत. पहले ही दिन से, जब तुमने अपना मन, समझ प्राप्‍त करने और अपने परमेश्वर के सामने अपने आपको नम्र करने के लिये लगाया, तब से तुम्हारी बातें सुनी गईं, और इसी के प्रत्युत्तर में, मैं यहां आया हूं.
وَرَئِيسُ مَمْلَكَةِ فَارِسَ وَقَفَ مُقَابِلِي وَاحِدًا وَعِشْرِينَ يَوْمًا، وَهُوَذَا مِيخَائِيلُ وَاحِدٌ مِنَ ٱلرُّؤَسَاءِ ٱلْأَوَّلِينَ جَاءَ لِإِعَانَتِي، وَأَنَا أُبْقِيتُ هُنَاكَ عِنْدَ مُلُوكِ فَارِسَ. ١٣ 13
परंतु फारस राज्य का राजकुमार इक्कीस दिन तक मेरा प्रतिरोध करता रहा. तब मुख्य राजकुमारों में से एक, मिखाएल, मेरी सहायता करने आया, क्योंकि मैं वहां फारस के राजा के पास रोका गया था.
وَجِئْتُ لِأُفْهِمَكَ مَا يُصِيبُ شَعْبَكَ فِي ٱلْأَيَّامِ ٱلْأَخِيرَةِ، لِأَنَّ ٱلرُّؤْيَا إِلَى أَيَّامٍ بَعْدُ». ١٤ 14
अब मैं तुम्हें वह बातें बताने आया हूं, जो भविष्य में तुम्हारे लोगों के साथ होनेवाली है, क्योंकि इस दर्शन का संबंध आनेवाले एक समय से है.”
فَلَمَّا تَكَلَّمَ مَعِي بِمِثْلِ هَذَا ٱلْكَلَامِ جَعَلْتُ وَجْهِي إِلَى ٱلْأَرْضِ وَصَمَتُّ. ١٥ 15
जब वह मुझसे यह कह रहा था, तो मैं ज़मीन की ओर चेहरा झुकाकर खड़ा रहा और कुछ बोल न सका.
وَهُوَذَا كَشِبْهِ بَنِي آدَمَ لَمَسَ شَفَتَيَّ، فَفَتَحْتُ فَمِي وَتَكَلَّمْتُ وَقُلْتُ لِلْوَاقِفِ أَمَامِي: «يَا سَيِّدِي، بِٱلرُّؤْيَا ٱنْقَلَبَتْ عَلَيَّ أَوْجَاعِي فَمَا ضَبَطْتُ قُوَّةً. ١٦ 16
तब कोई जो एक मनुष्य की तरह दिख रहा था, मेरे होंठों को छुआ, और मेरा मुंह खुल गया और मैं बातें करने लगा. मैंने उससे कहा जो मेरे सामने खड़ा था, “हे मेरे प्रभु, उस दर्शन के कारण, मैं पीड़ा से भर गया हूं, और मैं बहुत कमजोर महसूस कर रहा हूं.
فَكَيْفَ يَسْتَطِيعُ عَبْدُ سَيِّدِي هَذَا أَنْ يَتَكَلَّمَ مَعَ سَيِّدِي هَذَا وَأَنَا فَحَالًا، لَمْ تَثْبُتْ فِيَّ قُوَّةٌ وَلَمْ تَبْقَ فِيَّ نَسَمَةٌ؟». ١٧ 17
हे मेरे प्रभु, मैं, आपका सेवक, मैं आपसे कैसे बात कर सकता हूं? मुझमें बल नहीं रहा और मैं बड़ी कठिनाई से सांस ले पा रहा हूं.”
فَعَادَ وَلَمَسَنِي كَمَنْظَرِ إِنْسَانٍ وَقَوَّانِي، ١٨ 18
तब वह जो एक मनुष्य की तरह दिख रहा था, फिर से मुझे छुआ और मुझे बल दिया.
وَقَالَ: «لَا تَخَفْ أَيُّهَا ٱلرَّجُلُ ٱلْمَحْبُوبُ. سَلَامٌ لَكَ. تَشَدَّدْ. تَقَوَّ». وَلَمَّا كَلَّمَنِي تَقَوَّيْتُ وَقُلْتُ: «لِيَتَكَلَّمْ سَيِّدِي لِأَنَّكَ قَوَّيْتَنِي». ١٩ 19
उसने कहा, “मत डरो, तुम बहुत सम्मानीय व्यक्ति हो, तुम्हें शांति मिले! अब मजबूत रहो; दृढ़ रहो.” जब उसने मुझसे बात की, तब मुझे बल मिला और मैंने उससे कहा, “हे मेरे प्रभु, मुझसे बातें करिये, क्योंकि आपने मुझे बल दिया है.”
فَقَالَ: «هَلْ عَرَفْتَ لِمَاذَا جِئْتُ إِلَيْكَ؟ فَٱلْآنَ أَرْجِعُ وَأُحَارِبُ رَئِيسَ فَارِسَ. فَإِذَا خَرَجْتُ هُوَذَا رَئِيسُ ٱلْيُونَانِ يَأْتِي. ٢٠ 20
इसलिये उसने कहा, “क्या तुम जानते हो कि मैं तुम्हारे पास क्यों आया हूं? बहुत जल्दी, मैं लौटकर फारस के राजकुमार से लड़ाई करनेवाला हूं, और जब मैं जाऊंगा, तब यावन का राजकुमार आयेगा;
وَلَكِنِّي أُخْبِرُكَ بِٱلْمَرْسُومِ فِي كِتَابِ ٱلْحَقِّ. وَلَا أَحَدٌ يَتَمَسَّكُ مَعِي عَلَى هَؤُلَاءِ إِلَّا مِيخَائِيلُ رَئِيسُكُمْ. ٢١ 21
पर पहले मैं तुम्हें यह बताऊंगा कि सत्य के किताब में क्या लिखा है. (तुम्हारे राजकुमार, मिखाएल को छोड़ और कोई भी इनसे लड़ने के लिये मेरी मदद नहीं करता.

< دَانِيآل 10 >