< عَامُوس 9 >

رَأَيْتُ ٱلسَّيِّدَ قَائِمًا عَلَى ٱلْمَذْبَحِ، فَقَالَ: «اِضْرِبْ تَاجَ ٱلْعَمُودِ حَتَّى تَرْجُفَ ٱلْأَعْتَابُ، وَكَسِّرْهَا عَلَى رُؤُوسِ جَمِيعِهِمْ، فَأَقْتُلَ آخِرَهُمْ بِٱلسَّيْفِ. لَا يَهْرُبُ مِنْهُمْ هَارِبٌ وَلَا يُفْلِتُ مِنْهُمْ نَاجٍ. ١ 1
मैंने प्रभु को वेदी के निकट खड़े देखा, और उन्होंने कहा: “मीनारों के सिराओं को ऐसे मारो कि नीवें तक हिल जाएं. उन्हें सब लोगों के सिरों पर गिराओ; जो बच जाएंगे, उनको मैं तलवार से मार डालूंगा. एक भी भाग नहीं सकेगा, एक भी बच न सकेगा.
إِنْ نَقَبُوا إِلَى ٱلْهَاوِيَةِ فَمِنْ هُنَاكَ تَأْخُذُهُمْ يَدِي، وَإِنْ صَعِدُوا إِلَى ٱلسَّمَاءِ فَمِنْ هُنَاكَ أُنْزِلُهُمْ. (Sheol h7585) ٢ 2
चाहे वे खोदकर अधोलोक तक पहुंच जाएं, मेरा हाथ उन्हें वहां से भी खींच लाएगा. चाहे वे आकाश के ऊपर भी चढ़ जाएं, मैं उन्हें वहां से भी नीचे ले आऊंगा. (Sheol h7585)
وَإِنِ ٱخْتَبَأُوا فِي رَأْسِ ٱلْكَرْمَلِ فَمِنْ هُنَاكَ أُفَتِّشُ وَآخُذُهُمْ، وَإِنِ ٱخْتَفَوْا مِنْ أَمَامِ عَيْنَيَّ فِي قَعْرِ ٱلْبَحْرِ فَمِنْ هُنَاكَ آمُرُ ٱلْحَيَّةَ فَتَلْدَغُهُمْ. ٣ 3
चाहे वे कर्मेल पर्वत के शिखर पर जा छिपें, मैं उन्हें वहां भी ढूंढ़कर पकड़ लूंगा. चाहे वे मेरी दृष्टि से समुद्र के तल में छिप जाएं, वहां मैं सर्प को उन्हें डसने की आज्ञा दूंगा.
وَإِنْ مَضَوْا فِي ٱلسَّبْيِ أَمَامَ أَعْدَائِهِمْ فَمِنْ هُنَاكَ آمُرُ ٱلسَّيْفَ فَيَقْتُلُهُمْ، وَأَجْعَلُ عَيْنَيَّ عَلَيْهِمْ لِلشَّرِّ لَا لِلْخَيْرِ». ٤ 4
चाहे उनके शत्रु उन्हें बंधुआई में ले जाएं, वहां मैं आज्ञा देकर उन्हें तलवार से मरवा डालूंगा. “मैं उनकी भलाई के लिये नहीं पर उनकी हानि के लिये उन पर नजर रखूंगा.”
وَٱلسَّيِّدُ رَبُّ ٱلْجُنُودِ ٱلَّذِي يَمَسُّ ٱلْأَرْضَ فَتَذُوبُ، وَيَنُوحُ ٱلسَّاكِنُونَ فِيهَا، وَتَطْمُو كُلُّهَا كَنَهْرٍ وَتَنْضُبُ كَنِيلِ مِصْرَ. ٥ 5
प्रभु, सर्वशक्तिमान याहवेह, वे पृथ्वी को छूते हैं और वह पिघल जाती है, और उसमें रहनेवाले सब विलाप करते हैं; पूरी भूमि नील नदी के समान ऊपर उठती है, और फिर मिस्र देश की नदी के समान नीचे बैठ जाती है;
ٱلَّذِي بَنَى فِي ٱلسَّمَاءِ عَلَالِيَهُ وَأَسَّسَ عَلَى ٱلْأَرْضِ قُبَّتَهُ، ٱلَّذِي يَدْعُو مِيَاهَ ٱلْبَحْرِ وَيَصُبُّهَا عَلَى وَجْهِ ٱلْأَرْضِ، يَهْوَهُ ٱسْمُهُ. ٦ 6
वे आकाश में अपना ऊंचा महल बनाते हैं और उसकी नींव पृथ्वी पर रखते हैं; वे समुद्र के पानी को बुलाते हैं और भूमि पर वर्षा करते हैं— याहवेह है उनका नाम.
«أَلَسْتُمْ لِي كَبَنِي ٱلْكُوشِيِّينَ يَا بَنِي إِسْرَائِيلَ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ؟ أَلَمْ أُصْعِدْ إِسْرَائِيلَ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ، وَٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ مِنْ كَفْتُورَ، وَٱلْأَرَامِيِّينَ مِنْ قِيرٍ؟ ٧ 7
“क्या तुम इस्राएली मेरे लिये कूश वासियों के समान नहीं हो?” याहवेह की यह घोषणा है. “क्या मैं इस्राएलियों को मिस्र देश से, फिलिस्तीनियों को काफ़तोर देश से और सीरियावासियों को कीर देश से बाहर निकालकर नहीं लाया?
هُوَذَا عَيْنَا ٱلسَّيِّدِ ٱلرَّبِّ عَلَى ٱلْمَمْلَكَةِ ٱلْخَاطِئَةِ، وَأُبِيدُهَا عَنْ وَجْهِ ٱلْأَرْضِ. غَيْرَ أَنِّي لَا أُبِيدُ بَيْتَ يَعْقُوبَ تَمَامًا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٨ 8
“निश्चित रूप से परम प्रभु की आंखें पापमय राज्य पर लगी हुई हैं. मैं धरती पर से इसे नाश कर दूंगा. तौभी, मैं याकोब के वंश को पूरी तरह नाश नहीं करूंगा,” याहवेह की यह घोषणा है.
لِأَنَّهُ هَأَنَذَا آمُرُ فَأُغَرْبِلُ بَيْتَ إِسْرَائِيلَ بَيْنَ جَمِيعِ ٱلْأُمَمِ كَمَا يُغَرْبَلُ فِي ٱلْغُرْبَالِ، وَحَبَّةٌ لَا تَقَعُ إِلَى ٱلْأَرْضِ. ٩ 9
“क्योंकि मैं आज्ञा दूंगा, और मैं इस्राएल के लोगों को सब जनताओं के बीच ऐसे हिलाऊंगा, जैसे किसी चलनी में अनाज को हिलाया जाता है, और भूमि पर एक भी कंकड़ नहीं गिरता.
بِٱلسَّيْفِ يَمُوتُ كُلُّ خَاطِئِي شَعْبِي ٱلْقَائِلِينَ: لَا يَقْتَرِبُ ٱلشَّرُّ، وَلَا يَأْتِي بَيْنَنَا. ١٠ 10
मेरे लोगों के बीच में जो पापी हैं, वे सब जो यह कहते हैं, ‘न तो विपत्ति हमारे ऊपर आएगी और न ही विपत्ति से हमारा सामना होगा,’ वे सबके सब तलवार से मारे जाएंगे.
«فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ أُقِيمُ مِظَلَّةَ دَاوُدَ ٱلسَّاقِطَةَ، وَأُحَصِّنُ شُقُوقَهَا، وَأُقِيمُ رَدْمَهَا، وَأَبْنِيهَا كَأَيَّامِ ٱلدَّهْرِ. ١١ 11
“उस समय “मैं दावीद के गिरे हुए आश्रय का पुनर्निमाण करूंगा, मैं इसके टूटे दीवारों को ठीक करूंगा, इसके खंडहरों को ठीक करूंगा, और इसको पहले जैसा फिर से बना दूंगा,
لِكَيْ يَرِثُوا بَقِيَّةَ أَدُومَ وَجَمِيعَ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ دُعِيَ ٱسْمِي عَلَيْهِمْ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، ٱلصَّانِعُ هَذَا. ١٢ 12
ताकि वे एदोम के बचे लोगों को और उन सब जाति के लोगों को अपने अधीन कर लें, जो मेरा नाम लेते हैं,” यह उन्हीं याहवेह की घोषणा है, जो यह सब करने पर हैं.
هَا أَيَّامٌ تَأْتِي، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، يُدْرِكُ ٱلْحَارِثُ ٱلْحَاصِدَ، وَدَائِسُ ٱلْعِنَبِ بَاذِرَ ٱلزَّرْعِ، وَتَقْطُرُ ٱلْجِبَالُ عَصِيرًا، وَتَسِيلُ جَمِيعُ ٱلتِّلَالِ. ١٣ 13
यह याहवेह का कहना है, “ऐसे दिन आ रहे हैं, “जब हल चलानेवाला फसल काटनेवाले से, और अंगूर को रौंदनेवाला पौधा रोपनेवाले से आगे निकल जाएगा. नये अंगूर का मधु पर्वतों से टपकने लगेगा और यह सब पहाड़ियों से बह जाएगा,
وَأَرُدُّ سَبْيَ شَعْبِي إِسْرَائِيلَ فَيَبْنُونَ مُدُنًا خَرِبَةً وَيَسْكُنُونَ، وَيَغْرِسُونَ كُرُومًا وَيَشْرَبُونَ خَمْرَهَا، وَيَصْنَعُونَ جَنَّاتٍ وَيَأْكُلُونَ أَثْمَارَهَا. ١٤ 14
और मैं अपने इस्राएली लोगों को बंधुआई से वापस ले आऊंगा. “वे नष्ट हुए नगरों का पुनर्निर्माण करेंगे और उनमें रहने लगेंगे. वे अंगूर की बारियां लगाएंगे और उनकी शराब पिएंगे; वे बगीचा लगाएंगे और उनके फलों को खाएंगे.
وَأَغْرِسُهُمْ فِي أَرْضِهِمْ، وَلَنْ يُقْلَعُوا بَعْدُ مِنْ أَرْضِهِمِ ٱلَّتِي أَعْطَيْتُهُمْ، قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُكَ». ١٥ 15
मैं इस्राएल को उनके अपने देश में स्थापित करूंगा, और वे उस देश से फिर कभी निकाले नहीं जाएंगे जिसे मैंने उन्हें दिया है,” यह याहवेह तुम्हारे परमेश्वर का कहना है.

< عَامُوس 9 >