< عَامُوس 4 >

اِسْمَعِي هَذَا ٱلْقَوْلَ يَا بَقَرَاتِ بَاشَانَ ٱلَّتِي فِي جَبَلِ ٱلسَّامِرَةِ، ٱلظَّالِمَةَ ٱلْمَسَاكِينِ، ٱلسَّاحِقَةَ ٱلْبَائِسِينَ، ٱلْقَائِلَةَ لِسَادَتِهَا: «هَاتِ لِنَشْرَبَ». ١ 1
ऐ बसन की गायों, जो कोह — ए — सामरिया पर रहती हो, और ग़रीबों को सताती और ग़रीबों को कुचलती और अपने मालिकों से कहती हो, 'लाओ, हम पियें,' तुम ये बात सुनो।
قَدْ أَقْسَمَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ بِقُدْسِهِ: «هُوَذَا أَيَّامٌ تَأْتِي عَلَيْكُنَّ، يَأْخُذُونَكُنَّ بِخَزَائِمَ، وَذُرِّيَّتَكُنَّ بِشُصُوصِ ٱلسَّمَكِ. ٢ 2
ख़ुदावन्द ख़ुदा ने अपनी पाकीज़गी की क़सम खाई है कि तुम पर वह दिन आएँगे, जब तुम को आंकड़ियों से और तुम्हारी औलाद को शस्तों से खींच ले जाएँगे।
وَمِنَ ٱلشُّقُوقِ تَخْرُجْنَ كُلُّ وَاحِدَةٍ عَلَى وَجْهِهَا، وَتَنْدَفِعْنَ إِلَى ٱلْحِصْنِ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٣ 3
और ख़ुदावन्द फ़रमाता है, तुम में से हर एक उस रख़ने से जो उसके सामने होगा निकल भागेगी, और तुम क़ैद में डाली जाओगी।
«هَلُمَّ إِلَى بَيْتِ إِيلَ، وَأَذْنِبُوا إِلَى ٱلْجِلْجَالِ، وَأَكْثِرُوا ٱلذُّنُوبَ، وَأَحْضِرُوا كُلَّ صَبَاحٍ ذَبَائِحَكُمْ، وَكُلَّ ثَلَاثَةِ أَيَّامٍ عُشُورَكُمْ. ٤ 4
बैतएल में आओ और गुनाह करो, और जिल्जाल में कसरत से गुनाह करो, और हर सुबह अपनी क़ुर्बानियाँ और तीसरे रोज़ दहेकी लाओ,
وَأَوْقِدُوا مِنَ ٱلْخَمِيرِ تَقْدِمَةَ شُكْرٍ، وَنَادُوا بِنَوَافِلَ وَسَمِّعُوا، لِأَنَّكُمْ هَكَذَا أَحْبَبْتُمْ يَا بَنِي إِسْرَائِيلَ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. ٥ 5
और शुक्रगुज़ारी का हदिया ख़मीर के साथ आग पर पेश करो, और रज़ा की क़ुर्बानी का 'ऐलान करो, और उसको मशहूर करो, क्यूँकि ऐ बनी इस्राईल, ये सब काम तुम को पसंद हैं, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।
«وَأَنَا أَيْضًا أَعْطَيْتُكُمْ نَظَافَةَ ٱلْأَسْنَانِ فِي جَمِيعِ مُدُنِكُمْ، وَعَوَزَ ٱلْخُبْزِ فِي جَمِيعِ أَمَاكِنِكُمْ، فَلَمْ تَرْجِعُوا إِلَيَّ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٦ 6
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, अगरचे मैंने तुम को तुम्हारे हर शहर में दाँतों की सफ़ाई, और तुम्हारे हर मकान में रोटी की कमी दी है; तोभी तुम मेरी तरफ़ रुजू' न लाए।
وَأَنَا أَيْضًا مَنَعْتُ عَنْكُمُ ٱلْمَطَرَ إِذْ بَقِيَ ثَلَاثَةُ أَشْهُرٍ لِلْحَصَادِ، وَأَمْطَرْتُ عَلَى مَدِينَةٍ وَاحِدَةٍ، وَعَلَى مَدِينَةٍ أُخْرَى لَمْ أُمْطِرْ. أُمْطِرَ عَلَى ضَيْعَةٍ وَاحِدَةٍ، وَٱلضَّيْعَةُ ٱلَّتِي لَمْ يُمْطَرْ عَلَيْهَا جَفَّتْ. ٧ 7
और अगरचे मैंने मेंह को, जबकि फ़सल पकने में तीन महीने बाक़ी थे तुम से रोक लिया; और एक शहर पर बरसाया और दूसरे से रोक रख्खा, एक क़िता' ज़मीन पर बरसा और दूसरा क़िता' बारिश न होने की वजह से सूख गया;
فَجَالَتْ مَدِينَتَانِ أَوْ ثَلَاثٌ إِلَى مَدِينَةٍ وَاحِدَةٍ لِتَشْرَبَ مَاءً وَلَمْ تَشْبَعْ، فَلَمْ تَرْجِعُوا إِلَيَّ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٨ 8
और दो तीन बस्तियाँ आवारा हो कर एक बस्ती में आईं, ताकि लोग पानी पिएँ पर वह आसूदा न हुए, तो भी तुम मेरी तरफ़ रुजू' न लाए, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
ضَرْبَتُكُمْ بِٱللَّفْحِ وَٱلْيَرَقَانِ. كَثِيرًا مَا أَكَلَ ٱلْقَمَصُ جَنَّاتِكُمْ وَكُرُومَكُمْ وَتِينَكُمْ وَزَيْتُونَكُمْ، فَلَمْ تَرْجِعُوا إِلَيَّ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ٩ 9
फिर मैंने तुम पर बाद — ए — समूम और गेरोई की आफ़त भेजी, और तुम्हारे बेशुमार बाग़ और ताकिस्तान और अंजीर और जै़तून के दरख़्त, टिड्डियों ने खा लिए; तोभी तुम मेरी तरफ़ रुजू' न लाए, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
أَرْسَلْتُ بَيْنَكُمْ وَبَأً عَلَى طَرِيقَةِ مِصْرَ. قَتَلْتُ بِٱلسَّيْفِ فِتْيَانَكُمْ مَعَ سَبْيِ خَيْلِكُمْ، وَأَصْعَدْتُ نَتْنَ مَحَالِّكُمْ حَتَّى إِلَى أُنُوفِكُمْ، فَلَمْ تَرْجِعُوا إِلَيَّ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ١٠ 10
मैंने मिस्र के जैसी वबा तुम पर भेजी और तुम्हारे जवानों को तलवार से क़त्ल किया; तुम्हारे घोड़े छीन लिए और तुम्हारी लश्करगाह की बदबू तुम्हारे नथनों में पहुँची, तोभी तुम मेरी तरफ़ रुजू' न लाए, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
قَلَبْتُ بَعْضَكُمْ كَمَا قَلَبَ ٱللهُ سَدُومَ وَعَمُورَةَ، فَصِرْتُمْ كَشُعْلَةٍ مُنْتَشَلَةٍ مِنَ ٱلْحَرِيقِ، فَلَمْ تَرْجِعُوا إِلَيَّ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ١١ 11
“मैंने तुम में से कुछ को उलट दिया, जैसे ख़ुदा ने सदूम और 'अमूरा को उलट दिया था; और तुम उस लुक्टी की तरह हुए जो आग से निकाली जाए, तोभी तुम मेरी तरफ़ रुजू' न लाए,” ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
«لِذَلِكَ هَكَذَا أَصْنَعُ بِكَ يَا إِسْرَائِيلُ. فَمِنْ أَجْلِ أَنِّي أَصْنَعُ بِكَ هَذَا، فَٱسْتَعِدَّ لِلِقَاءِ إِلَهِكَ يَا إِسْرَائِيلُ». ١٢ 12
“इसलिए ऐ इस्राईल, मैं तुझ से यूँ ही करूँगा, और चूँकि मैं तुझ से यूँ करूँगा, इसलिए ऐ इस्राईल, तू अपने ख़ुदा से मुलाक़ात की तैयारी कर!”
فَإِنَّهُ هُوَذَا ٱلَّذِي صَنَعَ ٱلْجِبَالَ وَخَلَقَ ٱلرِّيحَ وَأَخْبَرَ ٱلْإِنْسَانَ مَا هُوَ فِكْرُهُ، ٱلَّذِي يَجْعَلُ ٱلْفَجْرَ ظَلَامًا، وَيَمْشِي عَلَى مَشَارِفِ ٱلْأَرْضِ، يَهْوَهُ إِلَهُ ٱلْجُنُودِ ٱسْمُهُ. ١٣ 13
क्यूँकि देख, उसी ने पहाड़ों को बनाया और हवा को पैदा किया, वह इंसान पर उसके ख़यालात को ज़ाहिर करता है और सुबह को तारीक बना देता है और ज़मीन के ऊँचे मक़ामात पर चलता है; उसका नाम ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़वाज है।

< عَامُوس 4 >