< أعمال 24 >

وَبَعْدَ خَمْسَةِ أَيَّامٍ ٱنْحَدَرَ حَنَانِيَّا رَئِيسُ ٱلْكَهَنَةِ مَعَ ٱلشُّيُوخِ وَخَطِيبٍ ٱسْمُهُ تَرْتُلُّسُ. فَعَرَضُوا لِلْوَالِي ضِدَّ بُولُسَ. ١ 1
पाँच दिन के बाद हननियाह सरदार काहिन के कुछ बुज़ुर्गों और तिरतुलुस नाम एक वकील को साथ ले कर वहाँ आया, और उन्होंने हाकिम के सामने पौलुस के ख़िलाफ़ फ़रियाद की।
فَلَمَّا دُعِيَ، ٱبْتَدَأَ تَرْتُلُّسُ فِي ٱلشِّكَايَةِ قَائِلًا: ٢ 2
जब वो बुलाया गया तो तिरतुलुस इल्ज़ाम लगा कर कहने लगा कि ऐ फ़ेलिक्स बहादुर चूँकि तेरे वसीले से हम बड़े अमन में हैं और तेरी दूर अन्देशी से इस क़ौम के फ़ाइदे के लिए ख़राबियों की इस्लाह होती है।
«إِنَّنَا حَاصِلُونَ بِوَاسِطَتِكَ عَلَى سَلَامٍ جَزِيلٍ، وَقَدْ صَارَتْ لِهَذِهِ ٱلْأُمَّةِ مَصَالِحُ بِتَدْبِيرِكَ. فَنَقْبَلُ ذَلِكَ أَيُّهَا ٱلْعَزِيزُ فِيلِكْسُ بِكُلِّ شُكْرٍ فِي كُلِّ زَمَانٍ وَكُلِّ مَكَانٍ. ٣ 3
हम हर तरह और हर जगह कमाल शुक्र गुज़ारी के साथ तेरा एहसान मानते हैं।
وَلَكِنْ لِئَلَّا أُعَوِّقَكَ أَكْثَرَ، أَلْتَمِسُ أَنْ تَسْمَعَنَا بِٱلِٱخْتِصَارِ بِحِلْمِكَ: ٤ 4
मगर इस लिए कि तुझे ज़्यादा तकलीफ़ न दूँ, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि तू मेहरबानी से दो एक बातें हमारी सुन ले।
فَإِنَّنَا إِذْ وَجَدْنَا هَذَا ٱلرَّجُلَ مُفْسِدًا وَمُهَيِّجَ فِتْنَةٍ بَيْنَ جَمِيعِ ٱلْيَهُودِ ٱلَّذِينَ فِي ٱلْمَسْكُونَةِ، وَمِقْدَامَ شِيعَةِ ٱلنَّاصِرِيِّينَ، ٥ 5
क्यूँकि हम ने इस शख़्स को फ़साद करने वाला और दुनिया के सब यहूदियों में फ़ितना अंगेज़ और नासरियों की बिद'अती फ़िरक़े का सरगिरोह पाया।
وَقَدْ شَرَعَ أَنْ يُنَجِّسَ ٱلْهَيْكَلَ أَيْضًا، أَمْسَكْنَاهُ وَأَرَدْنَا أَنْ نَحْكُمَ عَلَيْهِ حَسَبَ نَامُوسِنَا. ٦ 6
इस ने हैकल को नापाक करने की भी कोशिश की थी, और हम ने इसे पकड़ा। और हम ने चाहा कि अपनी शरी'अत के मुवाफ़िक़ इस की अदालत करें।
فَأَقْبَلَ لِيسِيَاسُ ٱلْأَمِيرُ بِعُنْفٍ شَدِيدٍ وَأَخَذَهُ مِنْ بَيْنِ أَيْدِينَا، ٧ 7
लेकिन लूसियास सरदार आकर बड़ी ज़बरदस्ती से उसे हमारे हाथ से छीन ले गया।
وَأَمَرَ ٱلْمُشْتَكِينَ عَلَيْهِ أَنْ يَأْتُوا إِلَيْكَ. وَمِنْهُ يُمْكِنُكَ إِذَا فَحَصْتَ أَنْ تَعْلَمَ جَمِيعَ هَذِهِ ٱلْأُمُورِ ٱلَّتِي نَشْتَكِي بِهَا عَلَيْهِ». ٨ 8
और उसके मुद्दइयों को हुक्म दिया कि तेरे पास जाएँ इसी से तहक़ीक़ करके तू आप इन सब बातों को मालूम कर सकता है, जिनका हम इस पर इल्ज़ाम लगाते हैं।
ثُمَّ وَافَقَهُ ٱلْيَهُودُ أَيْضًا قَائِلِينَ: «إِنَّ هَذِهِ ٱلْأُمُورَ هَكَذَا». ٩ 9
और दूसरे यहूदियों ने भी इस दा'वे में मुत्तफ़िक़ हो कर कहा कि ये बातें इसी तरह हैं।
فَأَجَابَ بُولُسُ، إِذْ أَوْمَأَ إِلَيْهِ ٱلْوَالِي أَنْ يَتَكَلَّمَ: «إِنِّي إِذْ قَدْ عَلِمْتُ أَنَّكَ مُنْذُ سِنِينَ كَثِيرَةٍ قَاضٍ لِهَذِهِ ٱلْأُمَّةِ، أَحْتَجُّ عَمَّا فِي أَمْرِي بِأَكْثَرِ سُرُورٍ. ١٠ 10
जब हाकिम ने पौलुस को बोलने का इशारा किया तो उस ने जवाब दिया, चूँकि मैं जानता हूँ, कि तू बहुत बरसों से इस क़ौम की अदालत करता है, इसलिए मैं ख़ुद से अपना उज़्र बयान करता हूँ।
وَأَنْتَ قَادِرٌ أَنْ تَعْرِفَ أَنَّهُ لَيْسَ لِي أَكْثَرُ مِنِ ٱثْنَيْ عَشَرَ يَوْمًا مُنْذُ صَعِدْتُ لِأَسْجُدَ فِي أُورُشَلِيمَ. ١١ 11
तू मालूम कर सकता है, कि बारह दिन से ज़्यादा नहीं हुए कि मैं येरूशलेम में इबादत करने गया था।
وَلَمْ يَجِدُونِي فِي ٱلْهَيْكَلِ أُحَاجُّ أَحَدًا أَوْ أَصْنَعُ تَجَمُّعًا مِنَ ٱلشَّعْبِ، وَلَا فِي ٱلْمَجَامِعِ وَلَا فِي ٱلْمَدِينَةِ. ١٢ 12
और उन्होंने मुझे न हैकल में किसी के साथ बहस करते या लोगों में फ़साद कराते पाया न इबादतख़ानों में न शहर में।
وَلَا يَسْتَطِيعُونَ أَنْ يُثْبِتُوا مَا يَشْتَكُونَ بِهِ ٱلْآنَ عَلَيَّ. ١٣ 13
और न वो इन बातों को जिन का मुझ पर अब इल्ज़ाम लगाते हैं, तेरे सामने साबित कर सकते हैं।
وَلَكِنَّنِي أُقِرُّ لَكَ بِهَذَا: أَنَّنِي حَسَبَ ٱلطَّرِيقِ ٱلَّذِي يَقُولُونَ لَهُ «شِيعَةٌ»، هَكَذَا أَعْبُدُ إِلَهَ آبَائِي، مُؤْمِنًا بِكُلِّ مَا هُوَ مَكْتُوبٌ فِي ٱلنَّامُوسِ وَٱلْأَنْبِيَاءِ. ١٤ 14
लेकिन तेरे सामने ये इक़रार करता हूँ, कि जिस तरीक़े को वो बिद'अत कहते हैं, उसी के मुताबिक़ मैं अपने बाप दादा के ख़ुदा की इबादत करता हूँ, और जो कुछ तौरेत और नबियों के सहीफ़ों में लिखा है, उस सब पर मेरा ईमान है।
وَلِي رَجَاءٌ بِٱللهِ فِي مَا هُمْ أَيْضًا يَنْتَظِرُونَهُ: أَنَّهُ سَوْفَ تَكُونُ قِيَامَةٌ لِلْأَمْوَاتِ، ٱلْأَبْرَارِ وَٱلْأَثَمَةِ. ١٥ 15
और ख़ुदा से उसी बात की उम्मीद रखता हूँ, जिसके वो ख़ुद भी मुन्तज़िर हैं, कि रास्तबाज़ों और नारास्तों दोनों की क़यामत होगी।
لِذَلِكَ أَنَا أَيْضًا أُدَرِّبُ نَفْسِي لِيَكُونَ لِي دَائِمًا ضَمِيرٌ بِلَا عَثْرَةٍ مِنْ نَحْوِ ٱللهِ وَٱلنَّاسِ. ١٦ 16
इसलिए मैं ख़ुद भी कोशिश में रहता हूँ, कि ख़ुदा और आदमियों के बारे में मेरा दिल मुझे कभी मलामत न करे।
وَبَعْدَ سِنِينَ كَثِيرَةٍ جِئْتُ أَصْنَعُ صَدَقَاتٍ لِأُمَّتِي وَقَرَابِينَ. ١٧ 17
बहुत बरसों के बाद मैं अपनी क़ौम को ख़ैरात पहुँचाने और नज़्रें चढ़ाने आया था।
وَفِي ذَلِكَ وَجَدَنِي مُتَطَهِّرًا فِي ٱلْهَيْكَلِ، لَيْسَ مَعَ جَمْعٍ وَلَا مَعَ شَغَبٍ، قَوْمٌ هُمْ يَهُودٌ مِنْ أَسِيَّا، ١٨ 18
उन्होंने बग़ैर हँगामे या बवाल के मुझे तहारत की हालत में ये काम करते हुए हैकल में पाया, यहाँ आसिया के चन्द यहूदी थे।
كَانَ يَنْبَغِي أَنْ يَحْضُرُوا لَدَيْكَ وَيَشْتَكُوا، إِنْ كَانَ لَهُمْ عَلَيَّ شَيْءٌ. ١٩ 19
और अगर उन का मुझ पर कुछ दा'वा था, तो उन्हें तेरे सामने हाज़िर हो कर फ़रियाद करना वाजिब था।
أَوْ لِيَقُلْ هَؤُلَاءِ أَنْفُسُهُمْ مَاذَا وَجَدُوا فِيَّ مِنَ ٱلذَّنْبِ وَأَنَا قَائِمٌ أَمَامَ ٱلْمَجْمَعِ، ٢٠ 20
या यही ख़ुद कहें, कि जब मैं सद्र — ए — अदालत के सामने खड़ा था, तो मुझ में क्या बुराई पाई थी।
إِلَّا مِنْ جِهَةِ هَذَا ٱلْقَوْلِ ٱلْوَاحِدِ ٱلَّذِي صَرَخْتُ بِهِ وَاقِفًا بَيْنَهُمْ: أَنِّي مِنْ أَجْلِ قِيَامَةِ ٱلْأَمْوَاتِ أُحَاكَمُ مِنْكُمُ ٱلْيَوْمَ». ٢١ 21
सिवा इस बात के कि मैं ने उन में खड़े हो कर बुलन्द आवाज़ से कहा था कि मुर्दों की क़यामत के बारे में आज मुझ पर मुक़द्दमा हो रहा है।
فَلَمَّا سَمِعَ هَذَا فِيلِكْسُ أَمْهَلَهُمْ، إِذْ كَانَ يَعْلَمُ بِأَكْثَرِ تَحْقِيقٍ أُمُورَ هَذَا ٱلطَّرِيقِ، قَائِلًا: «مَتَى ٱنْحَدَرَ لِيسِيَاسُ ٱلْأَمِيرُ أَفْحَصُ عَنْ أُمُورِكُمْ». ٢٢ 22
फ़ेलिक्स ने जो सहीह तौर पर इस तरीक़े से वाक़िफ़ था “ये कह कर मुक़द्दमे को मुल्तवी कर दिया कि जब पलटन का सरदार लूसियास आएगा तो मैं तुम्हारा मुक़द्दमा फ़ैसला करूँगा।”
وَأَمَرَ قَائِدَ ٱلْمِئَةِ أَنْ يُحْرَسَ بُولُسُ، وَتَكُونَ لَهُ رُخْصَةٌ، وَأَنْ لَا يَمْنَعَ أَحَدًا مِنْ أَصْحَابِهِ أَنْ يَخْدِمَهُ أَوْ يَأْتِيَ إِلَيْهِ. ٢٣ 23
और सुबेदार को हुक्म दिया कि उस को क़ैद तो रख मगर आराम से रखना और इसके दोस्तों में से किसी को इसकी ख़िदमत करने से मनह' न करना।
ثُمَّ بَعْدَ أَيَّامٍ جَاءَ فِيلِكْسُ مَعَ دُرُوسِّلَا ٱمْرَأَتِهِ، وَهِيَ يَهُودِيَّةٌ. فَٱسْتَحْضَرَ بُولُسَ وَسَمِعَ مِنْهُ عَنِ ٱلْإِيمَانِ بِٱلْمَسِيحِ. ٢٤ 24
और चन्द रोज़ के बाद फ़ेलिक्स अपनी बीवी दुसिल्ला को जो यहूदी थी, साथ ले कर आया, और पौलुस को बुलवा कर उस से मसीह ईसा के दीन की कैफ़ियत सुनी।
وَبَيْنَمَا كَانَ يَتَكَلَّمُ عَنِ ٱلْبِرِّ وَٱلتَّعَفُّفِ وَٱلدَّيْنُونَةِ ٱلْعَتِيدَةِ أَنْ تَكُونَ، ٱرْتَعَبَ فِيلِكْسُ، وَأَجَابَ: «أَمَّا ٱلْآنَ فَٱذْهَبْ، وَمَتَى حَصَلْتُ عَلَى وَقْتٍ أَسْتَدْعِيكَ». ٢٥ 25
और जब वो रास्तबाज़ी और परहेज़गारी और आइन्दा अदालत का बयान कर रहा था, तो फ़ेलिक्स ने दहशत खाकर जवाब दिया, कि इस वक़्त तू जा; फ़ुरसत पाकर तुझे फिर बुलाउँगा।
وَكَانَ أَيْضًا يَرْجُو أَنْ يُعْطِيَهُ بُولُسُ دَرَاهِمَ لِيُطْلِقَهُ، وَلِذَلِكَ كَانَ يَسْتَحْضِرُهُ مِرَارًا أَكْثَرَ وَيَتَكَلَّمُ مَعَهُ. ٢٦ 26
उसे पौलुस से कुछ रुपऐ मिलने की उम्मीद भी थी, इसलिए उसे और भी बुला बुला कर उस के साथ गुफ़्तगू किया करता था।
وَلَكِنْ لَمَّا كَمِلَتْ سَنَتَانِ، قَبِلَ فِيلِكْسُ بُورْكِيُوسَ فَسْتُوسَ خَلِيفَةً لَهُ. وَإِذْ كَانَ فِيلِكْسُ يُرِيدُ أَنْ يُودِعَ ٱلْيَهُودَ مِنَّةً، تَرَكَ بُولُسَ مُقَيَّدًا. ٢٧ 27
लेकिन जब दो बरस गुज़र गए तो पुरकियुस फ़ेस्तुस फ़ेलिक्स की जगह मुक़र्रर हुआ और फ़ेलिक्स यहूदियों को अपना एहसान मन्द करने की ग़रज़ से पौलुस को क़ैद ही में छोड़ गया।

< أعمال 24 >