< أعمال 23 >

فَتَفَرَّسَ بُولُسُ فِي ٱلْمَجْمَعِ وَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ ٱلْإِخْوَةُ، إِنِّي بِكُلِّ ضَمِيرٍ صَالِحٍ قَدْ عِشْتُ لِلهِ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ». ١ 1
महासभा की ओर ध्यान से देखते हुए पौलॉस ने कहना शुरू किया, “प्रियजन, परमेश्वर के सामने मेरा जीवन आज तक पूरी तरह सच्चे विवेक सा रहा है.”
فَأَمَرَ حَنَانِيَّا رَئِيسُ ٱلْكَهَنَةِ، ٱلْوَاقِفِينَ عِنْدَهُ أَنْ يَضْرِبُوهُ عَلَى فَمِهِ. ٢ 2
इस पर महापुरोहित हननयाह ने पौलॉस के पास खड़े हुओं को पौलॉस के मुख पर वार करने की आज्ञा दी.
حِينَئِذٍ قَالَ لَهُ بُولُسُ: «سَيَضْرِبُكَ ٱللهُ أَيُّهَا ٱلْحَائِطُ ٱلْمُبَيَّضُ! أَفَأَنْتَ جَالِسٌ تَحْكُمُ عَلَيَّ حَسَبَ ٱلنَّامُوسِ، وَأَنْتَ تَأْمُرُ بِضَرْبِي مُخَالِفًا لِلنَّامُوسِ؟». ٣ 3
स्वयं पौलॉस ही बोल उठे, “अरे ओ सफेदी पुती दीवार, तुम पर ही परमेश्वर का वार होने पर है! तुम तो यहां व्यवस्था की विधियों के अनुसार न्याय करने बैठे हो, फिर भी मुझ पर वार करने की आज्ञा देकर स्वयं व्यवस्था भंग कर रहे हो?”
فَقَالَ ٱلْوَاقِفُونَ: «أَتَشْتِمُ رَئِيسَ كَهَنَةِ ٱللهِ؟» ٤ 4
वे, जो पौलॉस के पास खड़े थे कहने लगे, “तुम तो परमेश्वर के महापुरोहित का तिरस्कार करने का दुस्साहस कर बैठे हो!”
فَقَالَ بُولُسُ: «لَمْ أَكُنْ أَعْرِفُ أَيُّهَا ٱلْإِخْوَةُ أَنَّهُ رَئِيسُ كَهَنَةٍ، لِأَنَّهُ مَكْتُوبٌ: رَئِيسُ شَعْبِكَ لَا تَقُلْ فِيهِ سُوءًا». ٥ 5
पौलॉस ने उत्तर दिया, “भाइयो, मुझे यह मालूम ही न था कि यह महापुरोहित हैं पवित्र शास्त्र का लेख है: अपने प्रधानों को शाप न देना.”
وَلَمَّا عَلِمَ بُولُسُ أَنَّ قِسْمًا مِنْهُمْ صَدُّوقِيُّونَ وَٱلْآخَرَ فَرِّيسِيُّونَ، صَرَخَ فِي ٱلْمَجْمَعِ: «أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ ٱلْإِخْوَةُ، أَنَا فَرِّيسِيٌّ ٱبْنُ فَرِّيسِيٍّ. عَلَى رَجَاءِ قِيَامَةِ ٱلْأَمْوَاتِ أَنَا أُحَاكَمُ». ٦ 6
तब यह मालूम होने पर कि वहां कुछ सदूकी और कुछ फ़रीसी भी उपस्थित हैं, पौलॉस महासभा के सामने ऊंचे शब्द में कहने लगे, “प्रियजन, मैं फ़रीसी हूं—फ़रीसियों की संतान हूं. मुझ पर यहां, मरे हुओं की आशा और उनके पुनरुत्थान में मेरी मान्यता के कारण मुकद्दमा चलाया जा रहा है.”
وَلَمَّا قَالَ هَذَا حَدَثَتْ مُنَازَعَةٌ بَيْنَ ٱلْفَرِّيسِيِّينَ وَٱلصَّدُّوقِيِّينَ، وَٱنْشَقَّتِ ٱلْجَمَاعَةُ، ٧ 7
जैसे ही उन्होंने यह कहा, फ़रीसियों तथा सदूकियों के बीच विवाद छिड़ गया और सारी सभा में फूट पड़ गई,
لِأَنَّ ٱلصَّدُّوقِيِّينَ يَقُولُونَ: إِنَّهُ لَيْسَ قِيَامَةٌ وَلَا مَلَاكٌ وَلَا رُوحٌ، وَأَمَّا ٱلْفَرِّيسِيُّونَ فَيُقِرُّونَ بِكُلِّ ذَلِكَ. ٨ 8
क्योंकि सदूकियों का विश्वास है कि न तो मरे हुओं का पुनरुत्थान होता है, न स्वर्गदूतों का अस्तित्व होता है और न आत्मा का. किंतु फ़रीसी इन सब में विश्वास करते हैं.
فَحَدَثَ صِيَاحٌ عَظِيمٌ، وَنَهَضَ كَتَبَةُ قِسْمِ ٱلْفَرِّيسِيِّينَ وَطَفِقُوا يُخَاصِمُونَ قَائِلِينَ: «لَسْنَا نَجِدُ شَيْئًا رَدِيًّا فِي هَذَا ٱلْإِنْسَانِ! وَإِنْ كَانَ رُوحٌ أَوْ مَلَاكٌ قَدْ كَلَّمَهُ فَلَا نُحَارِبَنَّ ٱللهَ». ٩ 9
वहां बड़ा कोलाहल शुरू हो गया. फ़रीसियों की ओर से कुछ शास्त्रियों ने खड़े होकर झगड़ते हुए कहा, “हमारी दृष्टि में यह व्यक्ति निर्दोष है. संभव है किसी आत्मा या स्वयं स्वर्गदूत ही ने उससे बातें की हों.”
وَلَمَّا حَدَثَتْ مُنَازَعَةٌ كَثِيرَةٌ ٱخْتَشَى ٱلْأَمِيرُ أَنْ يَفْسَخُوا بُولُسَ، فَأَمَرَ ٱلْعَسْكَرَ أَنْ يَنْزِلُوا وَيَخْتَطِفُوهُ مِنْ وَسْطِهِمْ وَيَأْتُوا بِهِ إِلَى ٱلْمُعَسْكَرِ. ١٠ 10
जब वहां कोलाहल बढ़ने लगा, सेनापति इस आशंका से घबरा गया कि लोग पौलॉस के चिथड़े न उड़ा दें. इसलिये उसने सेना को आज्ञा दी कि पौलॉस को जबरन वहां से सेना गढ़ में ले जाया जाए.
وَفِي ٱللَّيْلَةِ ٱلتَّالِيَةِ وَقَفَ بِهِ ٱلرَّبُّ وَقَالَ: «ثِقْ يَا بُولُسُ! لِأَنَّكَ كَمَا شَهِدْتَ بِمَا لِي فِي أُورُشَلِيمَ، هَكَذَا يَنْبَغِي أَنْ تَشْهَدَ فِي رُومِيَةَ أَيْضًا». ١١ 11
उसी रात में प्रभु ने पौलॉस के पास आकर कहा, “साहस रखो. जिस सच्चाई में तुमने मेरे विषय में येरूशलेम में गवाही दी है, वैसी ही गवाही तुम्हें रोम में भी देनी है.”
وَلَمَّا صَارَ ٱلنَّهَارُ صَنَعَ بَعْضُ ٱلْيَهُودِ ٱتِّفَاقًا، وَحَرَمُوا أَنْفُسَهُمْ قَائِلِينَ: إِنَّهُمْ لَا يَأْكُلُونَ وَلَا يَشْرَبُونَ حَتَّى يَقْتُلُوا بُولُسَ. ١٢ 12
प्रातःकाल कुछ यहूदियों ने एक षड़्‍यंत्र रचा और शपथ खाई कि पौलॉस को समाप्‍त करने तक वे अन्‍न-जल ग्रहण नहीं करेंगे.
وَكَانَ ٱلَّذِينَ صَنَعُوا هَذَا ٱلتَّحَالُفَ أَكْثَرَ مِنْ أَرْبَعِينَ. ١٣ 13
इस योजना में चालीस से अधिक व्यक्ति शामिल हो गए.
فَتَقَدَّمُوا إِلَى رُؤَسَاءِ ٱلْكَهَنَةِ وَٱلشُّيُوخِ وَقَالُوا: «قَدْ حَرَمْنَا أَنْفُسَنَا حِرْمًا أَنْ لَا نَذُوقَ شَيْئًا حَتَّى نَقْتُلَ بُولُسَ. ١٤ 14
उन्होंने प्रधान पुरोहितों और पुरनियों से कहा, “हमने ठान लिया है कि पौलॉस को समाप्‍त किए बिना हम अन्‍न-जल चखेंगे तक नहीं.
وَٱلْآنَ أَعْلِمُوا ٱلْأَمِيرَ أَنْتُمْ مَعَ ٱلْمَجْمَعِ لِكَيْ يُنْزِلَهُ إِلَيْكُمْ غَدًا، كَأَنَّكُمْ مُزْمِعُونَ أَنْ تَفْحَصُوا بِأَكْثَرِ تَدْقِيقٍ عَمَّا لَهُ. وَنَحْنُ، قَبْلَ أَنْ يَقْتَرِبَ، مُسْتَعِدُّونَ لِقَتْلِهِ». ١٥ 15
इसलिये आप और महासभा मिलकर सेनापति को सूचना भेजें और पौलॉस को यहां ऐसे बुलवा लें, मानो आप उसका विवाद बारीकी से जांच करके सुलझाना चाहते हैं. यहां हमने उसके पहुंचने के पहले ही उसे मार डालने की तैयारी कर रखी है.”
وَلَكِنَّ ٱبْنَ أُخْتِ بُولُسَ سَمِعَ بِٱلْكَمِينِ، فَجَاءَ وَدَخَلَ ٱلْمُعَسْكَرَ وَأَخْبَرَ بُولُسَ. ١٦ 16
पौलॉस के भांजे ने इस मार डालने के विषय में सुन लिया. उसने सेना घर में जाकर पौलॉस को इसकी सूचना दे दी.
فَٱسْتَدْعَى بُولُسُ وَاحِدًا مِنْ قُوَّادِ ٱلْمِئَاتِ وَقَالَ: «ٱذْهَبْ بِهَذَا ٱلشَّابِّ إِلَى ٱلْأَمِيرِ، لِأَنَّ عِنْدَهُ شَيْئًا يُخْبِرُهُ بِهِ». ١٧ 17
पौलॉस ने एक शताधिपति को बुलाकर कहा, “कृपया इस युवक को सेनापति के पास ले जाइए. इसके पास उनके लिए एक सूचना है.”
فَأَخَذَهُ وَأَحْضَرَهُ إِلَى ٱلْأَمِيرِ وَقَالَ: «ٱسْتَدْعَانِي ٱلْأَسِيرُ بُولُسُ، وَطَلَبَ أَنْ أُحْضِرَ هَذَا ٱلشَّابَّ إِلَيْكَ، وَهُوَ عِنْدَهُ شَيْءٌ لِيَقُولَهُ لَكَ». ١٨ 18
इसलिये शताधिपति ने उसे सेनापति के पास ले जाकर कहा, “कैदी पौलॉस ने मुझे बुलाकर विनती की है कि इस युवक को आपके पास ले आऊं क्योंकि इसके पास आपके लिए एक सूचना है.”
فَأَخَذَ ٱلْأَمِيرُ بِيَدِهِ وَتَنَحَّى بِهِ مُنْفَرِدًا، وَٱسْتَخْبَرَهُ: «مَا هُوَ ٱلَّذِي عِنْدَكَ لِتُخْبِرَنِي بِهِ؟». ١٩ 19
इसलिये सेनापति ने उस युवक का हाथ पकड़कर अलग ले जाकर उससे पूछताछ करनी शुरू कर दी, “क्या सूचना है तुम्हारे पास?”
فَقَالَ: «إِنَّ ٱلْيَهُودَ تَعَاهَدُوا أَنْ يَطْلُبُوا مِنْكَ أَنْ تُنْزِلَ بُولُسَ غَدًا إِلَى ٱلْمَجْمَعِ، كَأَنَّهُمْ مُزْمِعُونَ أَنْ يَسْتَخْبِرُوا عَنْهُ بِأَكْثَرِ تَدْقِيقٍ. ٢٠ 20
उसने उत्तर दिया, “पौलॉस को महासभा में बुलाना यहूदियों की सिर्फ एक योजना ही है, मानो वे उनके विषय में बारीकी से जांच करना चाहते हैं.
فَلَا تَنْقَدْ إِلَيْهِمْ، لِأَنَّ أَكْثَرَ مِنْ أَرْبَعِينَ رَجُلًا مِنْهُمْ كَامِنُونَ لَهُ، قَدْ حَرَمُوا أَنْفُسَهُمْ أَنْ لَا يَأْكُلُوا وَلَا يَشْرَبُوا حَتَّى يَقْتُلُوهُ. وَهُمُ ٱلْآنَ مُسْتَعِدُّونَ مُنْتَظِرُونَ ٱلْوَعْدَ مِنْكَ». ٢١ 21
कृपया उनकी इस विनती की ओर ध्यान न दें क्योंकि चालीस से अधिक व्यक्ति पौलॉस के लिए घात लगाए बैठे हैं. उन्होंने ठान लिया है कि जब तक वे पौलॉस को खत्म नहीं कर देते, वे न तो कुछ खाएंगे और न ही कुछ पिएंगे. अब वे आपकी हां के इंतजार में बैठे हैं.”
فَأَطْلَقَ ٱلْأَمِيرُ ٱلشَّابَّ مُوصِيًا إِيَّاهُ أَنْ: «لَا تَقُلْ لِأَحَدٍ إِنَّكَ أَعْلَمْتَنِي بِهَذَا». ٢٢ 22
सेनापति ने युवक को इस निर्देश के साथ विदा कर दिया, “किसी को भी यह मालूम न होने पाए कि तुमने मुझे यह सूचना दी है.”
ثُمَّ دَعَا ٱثْنَيْنِ مِنْ قُوَّادِ ٱلْمِئَاتِ وَقَالَ: «أَعِدَّا مِئَتَيْ عَسْكَرِيٍّ لِيَذْهَبُوا إِلَى قَيْصَرِيَّةَ، وَسَبْعِينَ فَارِسًا وَمِئَتَيْ رَامِحٍ، مِنَ ٱلسَّاعَةِ ٱلثَّالِثَةِ مِنَ ٱللَّيْلِ. ٢٣ 23
तब सेनापति ने दो शताधिपतियों को बुलाकर आज्ञा दी, “रात के तीसरे घंटे तक दो सौ सैनिकों को लेकर कयसरिया नगर को प्रस्थान करो. उनके साथ सत्तर घुड़सवार तथा दो सौ भालाधारी सैनिक भी हों.
وَأَنْ يُقَدِّمَا دَوَابَّ لِيُرْكِبَا بُولُسَ وَيُوصِلَاهُ سَالِمًا إِلَى فِيلِكْسَ ٱلْوَالِي». ٢٤ 24
पौलॉस के लिए घोड़े की सवारी का प्रबंध करो कि वह राज्यपाल फ़ेलिक्स के पास सुरक्षित पहुंचा दिए जाएं.”
وَكَتَبَ رِسَالَةً حَاوِيَةً هَذِهِ ٱلصُّورَةَ: ٢٥ 25
सेनापति ने उनके हाथ यह पत्र भेज दिया:
«كُلُودِيُوسُ لِيسِيَاسُ، يُهْدِي سَلَامًا إِلَى ٱلْعَزِيزِ فِيلِكْسَ ٱلْوَالِي: ٢٦ 26
परमश्रेष्ठ राज्यपाल फ़ेलिक्स की सेवा में, क्लॉदियॉस लिसियस का सादर, नमस्कार.
هَذَا ٱلرَّجُلُ لَمَّا أَمْسَكَهُ ٱلْيَهُودُ وَكَانُوا مُزْمِعِينَ أَنْ يَقْتُلُوهُ، أَقْبَلْتُ مَعَ ٱلْعَسْكَرِ وَأَنْقَذْتُهُ، إِذْ أُخْبِرْتُ أَنَّهُ رُومَانِيٌّ. ٢٧ 27
जब इस व्यक्ति को यहूदियों ने दबोचा और इसकी हत्या करने पर ही थे, मैं घटना स्थल पर अपनी सैनिक टुकड़ी के साथ जा पहुंचा और इसे उनके पंजों से मुक्त कराया क्योंकि मुझे यह मालूम हुआ कि यह एक रोमी नागरिक है.
وَكُنْتُ أُرِيدُ أَنْ أَعْلَمَ ٱلْعِلَّةَ ٱلَّتِي لِأَجْلِهَا كَانُوا يَشْتَكُونَ عَلَيْهِ، فَأَنْزَلْتُهُ إِلَى مَجْمَعِهِمْ، ٢٨ 28
तब इस पर लगाए आरोपों की पुष्टि के उद्देश्य से मैंने इसे उनकी महासभा के सामने प्रस्तुत किया.
فَوَجَدْتُهُ مَشْكُوًّا عَلَيْهِ مِنْ جِهَةِ مَسَائِلِ نَامُوسِهِمْ. وَلَكِنَّ شَكْوَى تَسْتَحِقُّ ٱلْمَوْتَ أَوِ ٱلْقُيُودَ لَمْ تَكُنْ عَلَيْهِ. ٢٩ 29
वहां मुझे यह मालूम हुआ कि इस पर लगाए गए आरोप मात्र उनकी ही व्यवस्था की विधियों से संबंधित हैं, न कि ऐसे, जिनके लिए हमारे नियमों के अनुसार मृत्यु दंड या कारावास दिया जाए.
ثُمَّ لَمَّا أُعْلِمْتُ بِمَكِيدَةٍ عَتِيدَةٍ أَنْ تَصِيرَ عَلَى ٱلرَّجُلِ مِنَ ٱلْيَهُودِ، أَرْسَلْتُهُ لِلْوَقْتِ إِلَيْكَ، آمِرًا ٱلْمُشْتَكِينَ أَيْضًا أَنْ يَقُولُوا لَدَيْكَ مَا عَلَيْهِ. كُنْ مُعَافًى». ٣٠ 30
फिर मुझे यह सूचना प्राप्‍त हुई कि इस व्यक्ति के विरुद्ध हत्या का षड़्‍यंत्र रचा जा रहा है. मैंने इसे बिना देर किए आपके पास भेजने का निश्चय किया. मैंने आरोपियों को भी ये निर्देश दे दिए हैं कि वे इसके विरुद्ध सभी आरोप आपके ही सामने प्रस्तुत करें.
فَٱلْعَسْكَرُ أَخَذُوا بُولُسَ كَمَا أُمِرُوا، وَذَهَبُوا بِهِ لَيْلًا إِلَى أَنْتِيبَاتْرِيسَ. ٣١ 31
इसलिये आज्ञा के अनुसार सैनिकों ने रातों-रात पौलॉस को अन्तिपातरिस नगर के पास पहुंचा दिया.
وَفِي ٱلْغَدِ تَرَكُوا ٱلْفُرْسَانَ يَذْهَبُونَ مَعَهُ وَرَجَعُوا إِلَى ٱلْمُعَسْكَرِ. ٣٢ 32
दूसरे दिन घुड़सवारों को पौलॉस के साथ भेजकर वे स्वयं सैनिक गढ़ लौट आए.
وَأُولَئِكَ لَمَّا دَخَلُوا قَيْصَرِيَّةَ وَدَفَعُوا ٱلرِّسَالَةَ إِلَى ٱلْوَالِي، أَحْضَرُوا بُولُسَ أَيْضًا إِلَيْهِ. ٣٣ 33
कयसरिया नगर पहुंचकर उन्होंने राज्यपाल को वह पत्र सौंपा और पौलॉस को उनके सामने प्रस्तुत किया.
فَلَمَّا قَرَأَ ٱلْوَالِي ٱلرِّسَالَةَ، وَسَأَلَ مِنْ أَيَّةِ وِلَايَةٍ هُوَ، وَوَجَدَ أَنَّهُ مِنْ كِيلِيكِيَّةَ، ٣٤ 34
पत्र पढ़कर राज्यपाल ने पौलॉस से प्रश्न किया कि वह किस प्रदेश के हैं. यह मालूम होने पर कि वह किलिकिया प्रदेश के हैं
قَالَ: «سَأَسْمَعُكَ مَتَى حَضَرَ ٱلْمُشْتَكُونَ عَلَيْكَ أَيْضًا». وَأَمَرَ أَنْ يُحْرَسَ فِي قَصْرِ هِيرُودُسَ. ٣٥ 35
राज्यपाल ने कहा, “तुम्हारे आरोपियों के यहां पहुंचने पर ही मैं तुम्हारी सुनवाई करूंगा” और उसने पौलॉस को हेरोदेस के राजमहल परिसर में रखने की आज्ञा दी.

< أعمال 23 >