< أعمال 2 >

وَلَمَّا حَضَرَ يَوْمُ ٱلْخَمْسِينَ كَانَ ٱلْجَمِيعُ مَعًا بِنَفْسٍ وَاحِدَةٍ، ١ 1
जब ईद — ए — पन्तिकुस्त का दिन आया। तो वो सब एक जगह जमा थे।
وَصَارَ بَغْتَةً مِنَ ٱلسَّمَاءِ صَوْتٌ كَمَا مِنْ هُبُوبِ رِيحٍ عَاصِفَةٍ وَمَلَأَ كُلَّ ٱلْبَيْتِ حَيْثُ كَانُوا جَالِسِينَ، ٢ 2
एकाएक आस्मान से ऐसी आवाज़ आई जैसे ज़ोर की आँधी का सन्नाटा होता है। और उस से सारा घर जहां वो बैठे थे गूँज गया।
وَظَهَرَتْ لَهُمْ أَلْسِنَةٌ مُنْقَسِمَةٌ كَأَنَّهَا مِنْ نَارٍ وَٱسْتَقَرَّتْ عَلَى كُلِّ وَاحِدٍ مِنْهُمْ. ٣ 3
और उन्हें आग के शो'ले की सी फ़टती हुई ज़बाने दिखाई दीं और उन में से हर एक पर आ ठहरीं।
وَٱمْتَلَأَ ٱلْجَمِيعُ مِنَ ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ، وَٱبْتَدَأُوا يَتَكَلَّمُونَ بِأَلْسِنَةٍ أُخْرَى كَمَا أَعْطَاهُمُ ٱلرُّوحُ أَنْ يَنْطِقُوا. ٤ 4
और वो सब रूह — उल — क़ुद्दूस से भर गए और ग़ैर ज़बान बोलने लगे, जिस तरह रूह ने उन्हें बोलने की ताक़त बख़्शी।
وَكَانَ يَهُودٌ رِجَالٌ أَتْقِيَاءُ مِنْ كُلِّ أُمَّةٍ تَحْتَ ٱلسَّمَاءِ سَاكِنِينَ فِي أُورُشَلِيمَ. ٥ 5
और हर क़ौम में से जो आसमान के नीचे ख़ुदा तरस यहूदी येरूशलेम में रहते थे।
فَلَمَّا صَارَ هَذَا ٱلصَّوْتُ، ٱجْتَمَعَ ٱلْجُمْهُورُ وَتَحَيَّرُوا، لِأَنَّ كُلَّ وَاحِدٍ كَانَ يَسْمَعُهُمْ يَتَكَلَّمُونَ بِلُغَتِهِ. ٦ 6
जब यह आवाज़ आई तो भीड़ लग गई और लोग दंग हो गए, क्यूँकि हर एक को यही सुनाई देता था कि ये मेरी ही बोली बोल रहे हैं।
فَبُهِتَ ٱلْجَمِيعُ وَتَعَجَّبُوا قَائِلِينَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «أَتُرَى لَيْسَ جَمِيعُ هَؤُلَاءِ ٱلْمُتَكَلِّمِينَ جَلِيلِيِّينَ؟ ٧ 7
और सब हैरान और ता'ज्जुब हो कर कहने लगे, देखो ये बोलने वाले क्या सब गलीली नहीं?
فَكَيْفَ نَسْمَعُ نَحْنُ كُلُّ وَاحِدٍ مِنَّا لُغَتَهُ ٱلَّتِي وُلِدَ فِيهَا؟ ٨ 8
फिर क्यूँकर हम में से हर एक कैसे अपने ही वतन की बोली सुनता है।
فَرْتِيُّونَ وَمَادِيُّونَ وَعِيلَامِيُّونَ، وَٱلسَّاكِنُونَ مَا بَيْنَ ٱلنَّهْرَيْنِ، وَٱلْيَهُودِيَّةَ وَكَبَّدُوكِيَّةَ وَبُنْتُسَ وَأَسِيَّا ٩ 9
हालाँकि हम हैं: पार्थि, मादि, ऐलामी, मसोपोतामिया, यहूदिया, और कप्पदुकिया, और पुन्तुस, और आसिया,
وَفَرِيجِيَّةَ وَبَمْفِيلِيَّةَ وَمِصْرَ، وَنَوَاحِيَ لِيبِيَّةَ ٱلَّتِي نَحْوَ ٱلْقَيْرَوَانِ، وَٱلرُّومَانِيُّونَ ٱلْمُسْتَوْطِنُونَ يَهُودٌ وَدُخَلَاءُ، ١٠ 10
और फ़रूगिया, और पम्फ़ीलिया, और मिस्र और लिबुवा, के इलाक़े के रहने वाले हैं, जो कुरेने की तरफ़ है और रोमी मुसाफ़िर
كِرِيتِيُّونَ وَعَرَبٌ، نَسْمَعُهُمْ يَتَكَلَّمُونَ بِأَلْسِنَتِنَا بِعَظَائِمِ ٱللهِ!». ١١ 11
चाहे यहूदी चाहे उनके मुरीद, करेती और 'अरब हैं। मगर अपनी अपनी ज़बान में उन से ख़ुदा के बड़े बड़े कामों का बयान सुनते हैं।
فَتَحَيَّرَ ٱلْجَمِيعُ وَٱرْتَابُوا قَائِلِينَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «مَا عَسَى أَنْ يَكُونَ هَذَا؟». ١٢ 12
और सब हैरान हुए और घबराकर एक दूसरे से कहने लगे, “ये क्या हुआ चाहता है?”
وَكَانَ آخَرُونَ يَسْتَهْزِئُونَ قَائِلِينَ: «إِنَّهُمْ قَدِ ٱمْتَلَأُوا سُلَافَةً». ١٣ 13
और कुछ ने ठठ्ठा मार कर कहा, “ये तो ताज़ा मय के नशे में हैं।”
فَوَقَفَ بُطْرُسُ مَعَ ٱلْأَحَدَ عَشَرَ وَرَفَعَ صَوْتَهُ وَقَالَ لَهُمْ: «أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ ٱلْيَهُودُ وَٱلسَّاكِنُونَ فِي أُورُشَلِيمَ أَجْمَعُونَ، لِيَكُنْ هَذَا مَعْلُومًا عِنْدَكُمْ وَأَصْغُوا إِلَى كَلَامِي، ١٤ 14
लेकिन पतरस उन ग्यारह रसूलों के साथ खड़ा हूआ और अपनी आवाज़ बुलन्द करके लोगों से कहा कि ऐ यहूदियो और ऐ येरूशलेम के सब रहने वालो ये जान लो, और कान लगा कर मेरी बातें सुनो!
لِأَنَّ هَؤُلَاءِ لَيْسُوا سُكَارَى كَمَا أَنْتُمْ تَظُنُّونَ، لِأَنَّهَا ٱلسَّاعَةُ ٱلثَّالِثَةُ مِنَ ٱلنَّهَارِ. ١٥ 15
कि जैसा तुम समझते हो ये नशे में नहीं। क्यूँकि अभी तो सुबह के नौ ही बजे है।
بَلْ هَذَا مَا قِيلَ بِيُوئِيلَ ٱلنَّبِيِّ: ١٦ 16
बल्कि ये वो बात है जो योएल नबी के ज़रिए कही गई है कि,
يَقُولُ ٱللهُ: وَيَكُونُ فِي ٱلْأَيَّامِ ٱلْأَخِيرَةِ أَنِّي أَسْكُبُ مِنْ رُوحِي عَلَى كُلِّ بَشَرٍ، فَيَتَنَبَّأُ بَنُوكُمْ وَبَنَاتُكُمْ، وَيَرَى شَبَابُكُمْ رُؤًى وَيَحْلُمُ شُيُوخُكُمْ أَحْلَامًا. ١٧ 17
ख़ुदा फ़रमाता है, कि आख़िरी दिनों में ऐसा होगा कि मैं अपनी रूह में से हर आदमियों पर डालूँगा और तुम्हारे बेटे और तुम्हारी बेटियाँ नुबुव्वत करें गी और तुम्हारे जवान रोया और तुम्हारे बुड्ढे ख़्वाब देखेंगे।
وَعَلَى عَبِيدِي أَيْضًا وَإِمَائِي أَسْكُبُ مِنْ رُوحِي فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ فَيَتَنَبَّأُونَ. ١٨ 18
बल्कि मै अपने बन्दों पर और अपनी बन्दियों पर भी उन दिनों में अपने रूह में से डालूँगा और वह नुबुव्वत करेंगी।
وَأُعْطِي عَجَائِبَ فِي ٱلسَّمَاءِ مِنْ فَوْقُ وَآيَاتٍ عَلَى ٱلْأَرْضِ مِنْ أَسْفَلُ: دَمًا وَنَارًا وَبُخَارَ دُخَانٍ. ١٩ 19
और मैं ऊपर आस्मान पर 'अजीब काम और नीचे ज़मीन पर निशानियां या'नी ख़ून और आग और धुएँ का बादल दिखाऊँगा।
تَتَحَوَّلُ ٱلشَّمْسُ إِلَى ظُلْمَةٍ وَٱلْقَمَرُ إِلَى دَمٍ، قَبْلَ أَنْ يَجِيءَ يَوْمُ ٱلرَّبِّ ٱلْعَظِيمُ ٱلشَّهِيرُ. ٢٠ 20
सूरज तारीक और, चाँद ख़ून हो जाएगा पहले इससे कि ख़ुदावन्द का अज़ीम और जलील दिन आए।
وَيَكُونُ كُلُّ مَنْ يَدْعُو بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ يَخْلُصُ. ٢١ 21
और यूँ होगा कि जो कोई ख़ुदावन्द का नाम लेगा, नजात पाएगा।
«أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ ٱلْإِسْرَائِيلِيُّونَ ٱسْمَعُوا هَذِهِ ٱلْأَقْوَالَ: يَسُوعُ ٱلنَّاصِرِيُّ رَجُلٌ قَدْ تَبَرْهَنَ لَكُمْ مِنْ قِبَلِ ٱللهِ بِقُوَّاتٍ وَعَجَائِبَ وَآيَاتٍ صَنَعَهَا ٱللهُ بِيَدِهِ فِي وَسْطِكُمْ، كَمَا أَنْتُمْ أَيْضًا تَعْلَمُونَ. ٢٢ 22
ऐ इस्राईलियों! ये बातें सुनो ईसा नासरी एक शख़्स था जिसका ख़ुदा की तरफ़ से होना तुम पर उन मोजिज़ों और 'अजीब कामों और निशानों से साबित हुआ; जो ख़ुदा ने उसके ज़रिए तुम में दिखाए। चुनाँचे तुम आप ही जानते हो।
هَذَا أَخَذْتُمُوهُ مُسَلَّمًا بِمَشُورَةِ ٱللهِ ٱلْمَحْتُومَةِ وَعِلْمِهِ ٱلسَّابِقِ، وَبِأَيْدِي أَثَمَةٍ صَلَبْتُمُوهُ وَقَتَلْتُمُوهُ. ٢٣ 23
जब वो ख़ुदा के मुक़र्ररा इन्तिज़ाम और इल्में साबिक़ के मुवाफ़िक़ पकड़वाया गया तो तुम ने बेशरा लोगों के हाथ से उसे मस्लूब करवा कर मार डाला।
اَلَّذِي أَقَامَهُ ٱللهُ نَاقِضًا أَوْجَاعَ ٱلْمَوْتِ، إِذْ لَمْ يَكُنْ مُمْكِنًا أَنْ يُمْسَكَ مِنْهُ. ٢٤ 24
लेकिन ख़ुदा ने मौत के बंद खोल कर उसे जिलाया क्यूँकि मुम्किन ना था कि वो उसके क़ब्ज़े में रहता।
لِأَنَّ دَاوُدَ يَقُولُ فِيهِ: كُنْتُ أَرَى ٱلرَّبَّ أَمَامِي فِي كُلِّ حِينٍ، أَنَّهُ عَنْ يَمِينِي، لِكَيْ لَا أَتَزَعْزَعَ. ٢٥ 25
क्यूँकि दाऊद उसके हक़ में कहता है। कि मैं ख़ुदावन्द को हमेशा अपने सामने देखता रहा; क्यूँकि वो मेरी दहनी तरफ़ है ताकि मुझे जुम्बिश ना हो।
لِذَلِكَ سُرَّ قَلْبِي وَتَهَلَّلَ لِسَانِي. حَتَّى جَسَدِي أَيْضًا سَيَسْكُنُ عَلَى رَجَاءٍ. ٢٦ 26
इसी वजह से मेरा दिल ख़ुश हुआ; और मेरी ज़बान शाद, बल्कि मेरा जिस्म भी उम्मीद में बसा रहेगा।
لِأَنَّكَ لَنْ تَتْرُكَ نَفْسِي فِي ٱلْهَاوِيَةِ وَلَا تَدَعَ قُدُّوسَكَ يَرَى فَسَادًا. (Hadēs g86) ٢٧ 27
इसलिए कि तू मेरी जान को 'आलम — ए — अर्वाह में ना छोड़ेगा, और ना अपने पाक के सड़ने की नौबत पहुँचने देगा। (Hadēs g86)
عَرَّفْتَنِي سُبُلَ ٱلْحَيَاةِ وَسَتَمْلَأُنِي سُرُورًا مَعَ وَجْهِكَ. ٢٨ 28
तू ने मुझे ज़िन्दगी की राहें बताईं तू मुझे अपने दीदार के ज़रिए ख़ुशी से भर देगा।
أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ ٱلْإِخْوَةُ، يَسُوغُ أَنْ يُقَالَ لَكُمْ جِهَارًا عَنْ رَئِيسِ ٱلْآبَاءِ دَاوُدَ إِنَّهُ مَاتَ وَدُفِنَ، وَقَبْرُهُ عِنْدَنَا حَتَّى هَذَا ٱلْيَوْمِ. ٢٩ 29
ऐ भाइयों! मैं क़ौम के बुज़ुर्ग, दाऊद के हक़ में तुम से दिलेरी के साथ कह सकता हूँ कि वो मरा और दफ़्न भी हुआ; और उसकी क़ब्र आज तक हम में मौजूद है।
فَإِذْ كَانَ نَبِيًّا، وَعَلِمَ أَنَّ ٱللهَ حَلَفَ لَهُ بِقَسَمٍ أَنَّهُ مِنْ ثَمَرَةِ صُلْبِهِ يُقِيمُ ٱلْمَسِيحَ حَسَبَ ٱلْجَسَدِ لِيَجْلِسَ عَلَى كُرْسِيِّهِ، ٣٠ 30
पस नबी होकर और ये जान कर कि ख़ुदा ने मुझ से क़सम खाई है कि तेरी नस्ल से एक शख़्स को तेरे तख़्त पर बिठाऊँगा।
سَبَقَ فَرَأَى وَتَكَلَّمَ عَنْ قِيَامَةِ ٱلْمَسِيحِ، أَنَّهُ لَمْ تُتْرَكْ نَفْسُهُ فِي ٱلْهَاوِيَةِ وَلَا رَأَى جَسَدُهُ فَسَادًا. (Hadēs g86) ٣١ 31
उसने नबुव्वत के तौर पर मसीह के जी उठने का ज़िक्र किया कि ना वो' आलम' ए' अर्वाह में छोड़ेगा, ना उसके जिस्म के सड़ने की नौबत पहुँचेगी। (Hadēs g86)
فَيَسُوعُ هَذَا أَقَامَهُ ٱللهُ، وَنَحْنُ جَمِيعًا شُهُودٌ لِذَلِكَ. ٣٢ 32
इसी ईसा को ख़ुदा ने जिलाया; जिसके हम सब गवाह हैं।
وَإِذِ ٱرْتَفَعَ بِيَمِينِ ٱللهِ، وَأَخَذَ مَوْعِدَ ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ مِنَ ٱلْآبِ، سَكَبَ هَذَا ٱلَّذِي أَنْتُمُ ٱلْآنَ تُبْصِرُونَهُ وَتَسْمَعُونَهُ. ٣٣ 33
पस ख़ुदा के दहने हाथ से सर बलन्द होकर, और बाप से वो रूह — उल — क़ुद्‍दुस हासिल करके जिसका वा'दा किया गया था, उसने ये नाज़िल किया जो तुम देखते और सुनते हो।
لِأَنَّ دَاوُدَ لَمْ يَصْعَدْ إِلَى ٱلسَّمَاوَاتِ. وَهُوَ نَفْسُهُ يَقُولُ: قَالَ ٱلرَّبُّ لِرَبِّي: ٱجْلِسْ عَنْ يَمِينِي ٣٤ 34
क्यूँकी दाऊद बादशाह तो आस्मान पर नहीं चढ़ा, लेकिन वो ख़ुद कहता है, कि ख़ुदावन्द ने मेरे ख़ुदा से कहा, मेरी दहनी तरफ़ बैठ।
حَتَّى أَضَعَ أَعْدَاءَكَ مَوْطِئًا لِقَدَمَيْكَ. ٣٥ 35
जब तक मैं तेरे दुश्मनों को तेरे पाँओ तले की चौकी न कर दूँ।’
فَلْيَعْلَمْ يَقِينًا جَمِيعُ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ أَنَّ ٱللهَ جَعَلَ يَسُوعَ هَذَا، ٱلَّذِي صَلَبْتُمُوهُ أَنْتُمْ، رَبًّا وَمَسِيحًا». ٣٦ 36
“पस इस्राईल का सारा घराना यक़ीन जान ले कि ख़ुदा ने उसी ईसा को जिसे तुम ने मस्लूब किया ख़ुदावन्द भी किया और मसीह भी।”
فَلَمَّا سَمِعُوا نُخِسُوا فِي قُلُوبِهِمْ، وَقَالُوا لِبُطْرُسَ وَلِسَائِرِ ٱلرُّسُلِ: «مَاذَا نَصْنَعُ أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ ٱلْإِخْوَةُ؟». ٣٧ 37
जब उन्हों ने ये सुना तो उनके दिलों पर चोट लगी, और पतरस और बाक़ी रसूलों से कहा, “ऐ भाइयों हम क्या करें?”
فَقَالَ لَهُمْ بُطْرُسُ: «تُوبُوا وَلْيَعْتَمِدْ كُلُّ وَاحِدٍ مِنْكُمْ عَلَى ٱسْمِ يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ لِغُفْرَانِ ٱلْخَطَايَا، فَتَقْبَلُوا عَطِيَّةَ ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ. ٣٨ 38
पतरस ने उन से कहा, तौबा करो और तुम में से हर एक अपने गुनाहों की मु'आफ़ी के लिए ईसा मसीह के नाम पर बपतिस्मा ले तो तुम रूह — उल — क़ुद्दूस इनाम में पाओ गे।
لِأَنَّ ٱلْمَوْعِدَ هُوَ لَكُمْ وَلِأَوْلَادِكُمْ وَلِكُلِّ ٱلَّذِينَ عَلَى بُعْدٍ، كُلِّ مَنْ يَدْعُوهُ ٱلرَّبُّ إِلَهُنَا». ٣٩ 39
इसलिए कि ये वा'दा तुम और तुम्हारी औलाद और उन सब दूर के लोगों से भी है; जिनको ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा अपने पास बुलाएगा।
وَبِأَقْوَالٍ أُخَرَ كَثِيرَةٍ كَانَ يَشْهَدُ لَهُمْ وَيَعِظُهُمْ قَائِلًا: «ٱخْلُصُوا مِنْ هَذَا ٱلْجِيلِ ٱلْمُلْتَوِي». ٤٠ 40
उसने और बहुत सी बातें जता जता कर उन्हें ये नसीहत की, कि अपने आपको इस टेढ़ी क़ौम से बचाओ।
فَقَبِلُوا كَلَامَهُ بِفَرَحٍ، وَٱعْتَمَدُوا، وَٱنْضَمَّ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ نَحْوُ ثَلَاثَةِ آلَافِ نَفْسٍ. ٤١ 41
पस जिन लोगों ने उसका कलाम क़ुबूल किया, उन्होंने बपतिस्मा लिया और उसी रोज़ तीन हज़ार आदमियों के क़रीब उन में मिल गए।
وَكَانُوا يُواظِبُونَ عَلَى تَعْلِيمِ ٱلرُّسُلِ، وَٱلشَّرِكَةِ، وَكَسْرِ ٱلْخُبْزِ، وَٱلصَّلَوَاتِ. ٤٢ 42
और ये रसूलों से तालीम पाने और रिफ़ाक़त रखने में, और रोटी तोड़ने और दुआ करने में मशग़ूल रहे।
وَصَارَ خَوْفٌ فِي كُلِّ نَفْسٍ. وَكَانَتْ عَجَائِبُ وَآيَاتٌ كَثِيرَةٌ تُجْرَى عَلَى أَيْدِي ٱلرُّسُلِ. ٤٣ 43
और हर शख़्स पर ख़ौफ़ छा गया और बहुत से 'अजीब काम और निशान रसूलों के ज़रिए से ज़ाहिर होते थे।
وَجَمِيعُ ٱلَّذِينَ آمَنُوا كَانُوا مَعًا، وَكَانَ عِنْدَهُمْ كُلُّ شَيْءٍ مُشْتَرَكًا. ٤٤ 44
और जो ईमान लाए थे वो सब एक जगह रहते थे और सब चीज़ों में शरीक थे।
وَٱلْأَمْلَاكُ وَٱلْمُقْتَنَيَاتُ كَانُوا يَبِيعُونَهَا وَيَقْسِمُونَهَا بَيْنَ ٱلْجَمِيعِ، كَمَا يَكُونُ لِكُلِّ وَاحِدٍ ٱحْتِيَاجٌ. ٤٥ 45
और अपना माल — ओर अस्बाब बेच बेच कर हर एक की ज़रुरत के मुवाफ़िक़ सब को बाँट दिया करते थे।
وَكَانُوا كُلَّ يَوْمٍ يُواظِبُونَ فِي ٱلْهَيْكَلِ بِنَفْسٍ وَاحِدَةٍ. وَإِذْ هُمْ يَكْسِرُونَ ٱلْخُبْزَ فِي ٱلْبُيُوتِ، كَانُوا يَتَنَاوَلُونَ ٱلطَّعَامَ بِٱبْتِهَاجٍ وَبَسَاطَةِ قَلْبٍ، ٤٦ 46
और हर रोज़ एक दिल होकर हैकल में जमा हुआ करते थे, और घरों में रोटी तोड़कर ख़ुशी और सादा दिली से खाना खाया करते थे।
مُسَبِّحِينَ ٱللهَ، وَلَهُمْ نِعْمَةٌ لَدَى جَمِيعِ ٱلشَّعْبِ. وَكَانَ ٱلرَّبُّ كُلَّ يَوْمٍ يَضُمُّ إِلَى ٱلْكَنِيسَةِ ٱلَّذِينَ يَخْلُصُونَ. ٤٧ 47
और ख़ुदा की हम्द करते और सब लोगों को अज़ीज़ थे; और जो नजात पाते थे उनको ख़ुदावन्द हर रोज़ जमाअत में मिला देता था।

< أعمال 2 >