< أعمال 19 >

فَحَدَثَ فِيمَا كَانَ أَبُلُّوسُ فِي كُورِنْثُوسَ، أَنَّ بُولُسَ بَعْدَ مَا ٱجْتَازَ فِي ٱلنَّوَاحِي ٱلْعَالِيَةِ جَاءَ إِلَى أَفَسُسَ. فَإِذْ وَجَدَ تَلَامِيذَ ١ 1
और जब अपुल्लोस कुरिन्थुस में था, तो ऐसा हुआ कि पौलुस ऊपर के पहाड़ी मुल्कों से गुज़र कर इफ़िसुस में आया और कई शागिर्दों को देखकर।
قَالَ لَهُمْ: «هَلْ قَبِلْتُمُ ٱلرُّوحَ ٱلْقُدُسَ لَمَّا آمَنْتُمْ؟». قَالُوا لَهُ: «وَلَا سَمِعْنَا أَنَّهُ يُوجَدُ ٱلرُّوحُ ٱلْقُدُسُ». ٢ 2
उन से कहा “क्या तुमने ईमान लाते वक़्त रूह — उल — क़ुद्दूस पाया?” उन्हों ने उस से कहा “कि हम ने तो सुना नहीं। कि रूह — उल — क़ुद्दूस नाज़िल हुआ है।”
فَقَالَ لَهُمْ: «فَبِمَاذَا ٱعْتَمَدْتُمْ؟». فَقَالُوا: «بِمَعْمُودِيَّةِ يُوحَنَّا». ٣ 3
उस ने कहा “तुम ने किस का बपतिस्मा लिया?” उन्हों ने कहा “यूहन्ना का बपतिस्मा।”
فَقَالَ بُولُسُ: «إِنَّ يُوحَنَّا عَمَّدَ بِمَعْمُودِيَّةِ ٱلتَّوْبَةِ، قَائِلًا لِلشَّعْبِ أَنْ يُؤْمِنُوا بِالَّذِي يَأْتِي بَعْدَهُ، أَيْ بِٱلْمَسِيحِ يَسُوعَ». ٤ 4
पौलुस ने कहा, यूहन्ना ने लोगों को ये कह कर तौबा का बपतिस्मा दिया कि जो मेरे पीछे आने वाला है उस पर या'नी ईसा पर ईमान लाना।
فَلَمَّا سَمِعُوا ٱعْتَمَدُوا بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ يَسُوعَ. ٥ 5
उन्हों ने ये सुनकर ख़ुदावन्द ईसा के नाम का बपतिस्मा लिया।
وَلَمَّا وَضَعَ بُولُسُ يَدَيْهِ عَلَيْهِمْ حَلَّ ٱلرُّوحُ ٱلْقُدُسُ عَلَيْهِمْ، فَطَفِقُوا يَتَكَلَّمُونَ بِلُغَاتٍ وَيَتَنَبَّأُونَ. ٦ 6
जब पौलुस ने अपने हाथ उन पर रखे तो रूह — उल — क़ुद्दूस उन पर नाज़िल हुआ, और वह तरह तरह की ज़बाने बोलने और नबुव्वत करने लगे।
وَكَانَ جَمِيعُ ٱلرِّجَالِ نَحْوَ ٱثْنَيْ عَشَرَ. ٧ 7
और वो सब तक़रीबन बारह आदमी थे।
ثُمَّ دَخَلَ ٱلْمَجْمَعَ، وَكَانَ يُجَاهِرُ مُدَّةَ ثَلَاثَةِ أَشْهُرٍ مُحَاجًّا وَمُقْنِعًا فِي مَا يَخْتَصُّ بِمَلَكُوتِ ٱللهِ. ٨ 8
फिर वो इबादतख़ाने में जाकर तीन महीने तक दिलेरी से बोलता और ख़ुदा की बादशाही के बारे में बहस करता और लोगों को क़ायल करता रहा।
وَلَمَّا كَانَ قَوْمٌ يَتَقَسَّوْنَ وَلَا يَقْنَعُونَ، شَاتِمِينَ ٱلطَّرِيقَ أَمَامَ ٱلْجُمْهُورِ، ٱعْتَزَلَ عَنْهُمْ وَأَفْرَزَ ٱلتَّلَامِيذَ، مُحَاجًّا كُلَّ يَوْمٍ فِي مَدْرَسَةِ إِنْسَانٍ ٱسْمُهُ تِيرَانُّسُ. ٩ 9
लेकिन जब कुछ सख़्त दिल और नाफ़रमान हो गए। बल्कि लोगों के सामने इस तरीक़े को बुरा कहने लगे, तो उस ने उन से किनारा करके शागिर्दों को अलग कर लिया, और हर रोज़ तुरन्नुस के मदरसे में बहस किया करता था।
وَكَانَ ذَلِكَ مُدَّةَ سَنَتَيْنِ، حَتَّى سَمِعَ كَلِمَةَ ٱلرَّبِّ يَسُوعَ جَمِيعُ ٱلسَّاكِنِينَ فِي أَسِيَّا، مِنْ يَهُودٍ وَيُونَانِيِّينَ. ١٠ 10
दो बरस तक यही होता रहा, यहाँ तक कि आसिया के रहने वालों क्या यहूदी क्या यूनानी सब ने ख़ुदावन्द का कलाम सुना।
وَكَانَ ٱللهُ يَصْنَعُ عَلَى يَدَيْ بُولُسَ قُوَّاتٍ غَيْرَ ٱلْمُعْتَادَةِ، ١١ 11
और ख़ुदा पौलुस के हाथों से ख़ास ख़ास मोजिज़े दिखाता था।
حَتَّى كَانَ يُؤْتَى عَنْ جَسَدِهِ بِمَنَادِيلَ أَوْ مَآزِرَ إِلَى ٱلْمَرْضَى، فَتَزُولُ عَنْهُمُ ٱلْأَمْرَاضُ، وَتَخْرُجُ ٱلْأَرْوَاحُ ٱلشِّرِّيرَةُ مِنْهُمْ. ١٢ 12
यहाँ तक कि रूमाल और पटके उसके बदन से छुआ कर बीमारों पर डाले जाते थे, और उन की बीमारियाँ जाती रहती थीं, और बदरूहें उन में से निकल जाती थीं।
فَشَرَعَ قَوْمٌ مِنَ ٱلْيَهُودِ ٱلطَّوَّافِينَ ٱلْمُعَزِّمِينَ أَنْ يُسَمُّوا عَلَى ٱلَّذِينَ بِهِمِ ٱلْأَرْوَاحُ ٱلشِّرِّيرَةُ بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ يَسُوعَ، قَائِلِينَ: «نُقْسِمُ عَلَيْكَ بِيَسُوعَ ٱلَّذِي يَكْرِزُ بِهِ بُولُسُ!». ١٣ 13
मगर कुछ यहूदियों ने जो झाड़ फूँक करते फिरते थे। ये इख़्तियार किया कि जिन में बदरूहें हों “उन पर ख़ुदावन्द ईसा का नाम ये कह कर फूँकें। कि जिस ईसा की पौलुस ऐलान करता है, मैं तुम को उसकी क़सम देता हूँ”
وَكَانَ سَبْعَةُ بَنِينَ لِسَكَاوَا، رَجُلٍ يَهُودِيٍّ رَئِيسِ كَهَنَةٍ، ٱلَّذِينَ فَعَلُوا هَذَا. ١٤ 14
और सिकवा, यहूदी सरदार काहिन, के सात बेटे ऐसा किया करते थे।
فَأَجَابَ ٱلرُّوحُ ٱلشِّرِّيرُ وَقَالَ: «أَمَّا يَسُوعُ فَأَنَا أَعْرِفُهُ، وَبُولُسُ أَنَا أَعْلَمُهُ، وَأَمَّا أَنْتُمْ فَمَنْ أَنْتُمْ؟» ١٥ 15
बदरूह ने जवाब में उन से कहा, ईसा को तो मै जानती हूँ, और पौलुस से भी वाक़िफ़ हूँ “मगर तुम कौन हो?”
فَوَثَبَ عَلَيْهِمُ ٱلْإِنْسَانُ ٱلَّذِي كَانَ فِيهِ ٱلرُّوحُ ٱلشِّرِّيرُ، وَغَلَبَهُمْ وَقَوِيَ عَلَيْهِمْ، حَتَّى هَرَبُوا مِنْ ذَلِكَ ٱلْبَيْتِ عُرَاةً وَمُجَرَّحِينَ. ١٦ 16
और वो शख़्स जिस में बदरूह थी, कूद कर उन पर जा पड़ा और दोनों पर ग़ालिब आकर ऐसी ज़्यादती की कि वो नंगे और ज़ख़्मी होकर उस घर से निकल भागे।
وَصَارَ هَذَا مَعْلُومًا عِنْدَ جَمِيعِ ٱلْيَهُودِ وَٱلْيُونَانِيِّينَ ٱلسَّاكِنِينَ فِي أَفَسُسَ. فَوَقَعَ خَوْفٌ عَلَى جَمِيعِهِمْ، وَكَانَ ٱسْمُ ٱلرَّبِّ يَسُوعَ يَتَعَظَّمُ. ١٧ 17
और ये बात इफ़िसुस के सब रहने वाले यहूदियों और यूनानियों को मा'लूम हो गई। पस, सब पर ख़ौफ़ छा गया, और ख़ुदावन्द ईसा के नाम की बड़ाई हुई।
وَكَانَ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلَّذِينَ آمَنُوا يَأْتُونَ مُقِرِّينَ وَمُخْبِرِينَ بِأَفْعَالِهِمْ، ١٨ 18
और जो ईमान लाए थे, उन में से बहुतों ने आकर अपने अपने कामों का इक़रार और इज़हार किया।
وَكَانَ كَثِيرُونَ مِنَ ٱلَّذِينَ يَسْتَعْمِلُونَ ٱلسِّحْرَ يَجْمَعُونَ ٱلْكُتُبَ وَيُحَرِّقُونَهَا أَمَامَ ٱلْجَمِيعِ. وَحَسَبُوا أَثْمَانَهَا فَوَجَدُوهَا خَمْسِينَ أَلْفًا مِنَ ٱلْفِضَّةِ. ١٩ 19
और बहुत से जादूगरों ने अपनी अपनी किताबें इकट्ठी करके सब लोगों के सामने जला दीं, जब उन की क़ीमत का हिसाब हुआ तो पचास हज़ार रुपऐ की निकली।
هَكَذَا كَانَتْ كَلِمَةُ ٱلرَّبِّ تَنْمُو وَتَقْوَى بِشِدَّةٍ. ٢٠ 20
इसी तरह ख़ुदा का कलाम ज़ोर पकड़ कर फैलता और ग़ालिब होता गया।
وَلَمَّا كَمِلَتْ هَذِهِ ٱلْأُمُورُ، وَضَعَ بُولُسُ فِي نَفْسِهِ أَنَّهُ بَعْدَمَا يَجْتَازُ فِي مَكِدُونِيَّةَ وَأَخَائِيَةَ يَذْهَبُ إِلَى أُورُشَلِيمَ، قَائِلًا: «إِنِّي بَعْدَ مَا أَصِيرُ هُنَاكَ يَنْبَغِي أَنْ أَرَى رُومِيَةَ أَيْضًا». ٢١ 21
जब ये हो चुका तो पौलुस ने पाक रूह में हिम्मत पाई कि मकिदुनिया और अख़िया से हो कर येरूशलेम को जाऊँगा। और कहा, “वहाँ जाने के बाद मुझे रोमा भी देखना ज़रूर है।”
فَأَرْسَلَ إِلَى مَكِدُونِيَّةَ ٱثْنَيْنِ مِنَ ٱلَّذِينَ كَانُوا يَخْدِمُونَهُ: تِيمُوثَاوُسَ وَأَرَسْطُوسَ، وَلَبِثَ هُوَ زَمَانًا فِي أَسِيَّا. ٢٢ 22
पस, अपने ख़िदमतगुज़ारों में से दो शख़्स या'नी तीमुथियुस और इरास्तुस को मकिदुनिया में भेजकर आप कुछ अर्सा, आसिया में रहा।
وَحَدَثَ فِي ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ شَغَبٌ لَيْسَ بِقَلِيلٍ بِسَبَبِ هَذَا ٱلطَّرِيقِ، ٢٣ 23
उस वक़्त इस तरीक़े की वजह से बड़ा फ़साद हुआ।
لِأَنَّ إِنْسَانًا ٱسْمُهُ دِيمِتْرِيُوسُ، صَائِغٌ صَانِعُ هَيَاكِلِ فِضَّةٍ لِأَرْطَامِيسَ، كَانَ يُكَسِّبُ ٱلصُّنَّاعَ مَكْسَبًا لَيْسَ بِقَلِيلٍ. ٢٤ 24
क्यूँकि देमेत्रियुस नाम एक सुनार था, जो अरतमिस कि रूपहले मन्दिर बनवा कर उस पेशेवालों को बहुत काम दिलवा देता था।
فَجَمَعَهُمْ وَٱلْفَعَلَةَ فِي مِثْلِ ذَلِكَ ٱلْعَمَلِ وَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ أَنْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّ سِعَتَنَا إِنَّمَا هِيَ مِنْ هَذِهِ ٱلصِّنَاعَةِ. ٢٥ 25
उस ने उन को और उनके मुता'ल्लिक़ और पेशेवालों को जमा कर के कहा, ऐ लोगों! तुम जानते हो कि हमारी आसूदगी इसी काम की बदौलत है।
وَأَنْتُمْ تَنْظُرُونَ وَتَسْمَعُونَ أَنَّهُ لَيْسَ مِنْ أَفَسُسَ فَقَطْ، بَلْ مِنْ جَمِيعِ أَسِيَّا تَقْرِيبًا، ٱسْتَمَالَ وَأَزَاغَ بُولُسُ هَذَا جَمْعًا كَثِيرًا قَائِلًا: إِنَّ ٱلَّتِي تُصْنَعُ بِٱلْأَيَادِي لَيْسَتْ آلِهَةً. ٢٦ 26
तुम देखते और सुनते हो कि सिर्फ़ इफ़िसुस ही में नहीं बल्कि तक़रीबन तमाम आसिया में इस पौलुस ने बहुत से लोगों को ये कह कर समझा बुझा कर और गुमराह कर दिया है, कि हाथ के बनाए हुए हैं, ख़ुदा “नहीं हैं।
فَلَيْسَ نَصِيبُنَا هَذَا وَحْدَهُ فِي خَطَرٍ مِنْ أَنْ يَحْصُلَ فِي إِهَانَةٍ، بَلْ أَيْضًا هَيْكَلُ أَرْطَامِيسَ، ٱلْإِلَهَةِ ٱلْعَظِيمَةِ، أَنْ يُحْسَبَ لَا شَيْءَ، وَأَنْ سَوْفَ تُهْدَمُ عَظَمَتُهَا، هِيَ ٱلَّتِي يَعْبُدُهَا جَمِيعُ أَسِيَّا وَٱلْمَسْكُونَةِ». ٢٧ 27
पस, सिर्फ़ यही ख़तरा नहीं कि हमारा पेशा बेक़द्र हो जाएगा, बल्कि बड़ी देवी अरतमिस का मन्दिर भी नाचीज़ हो जाएगा, और जिसे तमाम आसिया और सारी दुनिया पूजती है, ख़ुद उसकी अज़मत भी जाती रहेगी।”
فَلَمَّا سَمِعُوا ٱمْتَلَأُوا غَضَبًا، وَطَفِقُوا يَصْرُخُونَ قَائِلِينَ: «عَظِيمَةٌ هِيَ أَرْطَامِيسُ ٱلْأَفَسُسِيِّينَ!». ٢٨ 28
वो ये सुन कर क़हर से भर गए और चिल्ला चिल्ला कर कहने लगे, कि इफ़िसियों की अरतमिस बड़ी है!
فَٱمْتَلَأَتِ ٱلْمَدِينَةُ كُلُّهَا ٱضْطِرَابًا، وَٱنْدَفَعُوا بِنَفْسٍ وَاحِدَةٍ إِلَى ٱلْمَشْهَدِ خَاطِفِينَ مَعَهُمْ غَايُوسَ وَأَرِسْتَرْخُسَ ٱلْمَكِدُونِيَّيْنِ، رَفِيقَيْ بُولُسَ فِي ٱلسَّفَرِ. ٢٩ 29
और तमाम शहर में हलचल पड़ गई, और लोगों ने गयुस और अरिस्तरख़ुस मकिदुनिया वालों को जो पौलुस के हम — सफ़र थे, पकड़ लिया और एक दिल हो कर तमाशा गाह को दौड़े।
وَلَمَّا كَانَ بُولُسُ يُرِيدُ أَنْ يَدْخُلَ بَيْنَ ٱلشَّعْبِ، لَمْ يَدَعْهُ ٱلتَّلَامِيذُ. ٣٠ 30
जब पौलुस ने मज्मे में जाना चाहा तो शागिर्दों ने जाने न दिया।
وَأُنَاسٌ مِنْ وُجُوهِ أَسِيَّا، كَانُوا أَصْدِقَاءَهُ، أَرْسَلُوا يَطْلُبُونَ إِلَيْهِ أَنْ لَا يُسَلِّمَ نَفْسَهُ إِلَى ٱلْمَشْهَدِ. ٣١ 31
और आसिया के हाकिमों में से उस के कुछ दोस्तों ने आदमी भेजकर उसकी मिन्नत की कि तमाशा गाह में जाने की हिम्मत न करना।
وَكَانَ ٱلْبَعْضُ يَصْرُخُونَ بِشَيْءٍ وَٱلْبَعْضُ بِشَيْءٍ آخَرَ، لِأَنَّ ٱلْمَحْفِلَ كَانَ مُضْطَرِبًا، وَأَكْثَرُهُمْ لَا يَدْرُونَ لِأَيِّ شَيْءٍ كَانُوا قَدِ ٱجْتَمَعُوا! ٣٢ 32
और कुछ चिल्लाए और मजलिस दरहम बरहम हो गई थी, और अक्सर लोगों को ये भी ख़बर न थी, कि हम किस लिए इकटठे हुए हैं।
فَٱجْتَذَبُوا إِسْكَنْدَرَ مِنَ ٱلْجَمْعِ، وَكَانَ ٱلْيَهُودُ يَدْفَعُونَهُ. فَأَشَارَ إِسْكَنْدَرُ بِيَدِهِ يُرِيدُ أَنْ يَحْتَجَّ لِلشَّعْبِ. ٣٣ 33
फिर उन्हों ने इस्कन्दर को जिसे यहूदी पेश करते थे, भीड़ में से निकाल कर आगे कर दिया, और इस्कन्दर ने हाथ से इशारा करके मज्मे कि सामने उज़्र बयान करना चाहा।
فَلَمَّا عَرَفُوا أَنَّهُ يَهُودِيٌّ، صَارَ صَوْتٌ وَاحِدٌ مِنَ ٱلْجَمِيعِ صَارِخِينَ نَحْوَ مُدَّةِ سَاعَتَيْنِ: «عَظِيمَةٌ هِيَ أَرْطَامِيسُ ٱلْأَفَسُسِيِّينَ!». ٣٤ 34
जब उन्हें मा'लूम हुआ कि ये यहूदी है, तो सब हम आवाज़ होकर कोई दो घंटे तक चिल्लाते रहे “कि इफ़िसियों की अरतमिस बड़ी है!”
ثُمَّ سَكَّنَ ٱلْكَاتِبُ ٱلْجَمْعَ وَقَالَ: «أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ ٱلْأَفَسُسِيُّونَ، مَنْ هُوَ ٱلْإِنْسَانُ ٱلَّذِي لَا يَعْلَمُ أَنَّ مَدِينَةَ ٱلْأَفَسُسِيِّينَ مُتَعَبِّدَةٌ لِأَرْطَامِيسَ ٱلْإِلَهَةِ ٱلْعَظِيمَةِ وَٱلتِّمْثَالِ ٱلَّذِي هَبَطَ مِنْ زَفْسَ؟ ٣٥ 35
फिर शहर के मुहर्रिर ने लोगों को ठन्डा करके कहा, ऐ इफ़िसियो! कौन सा आदमी नहीं जानता कि इफ़िसियों का शहर बड़ी देवी अरतमिस के मन्दिर और उस मूरत का मुहाफ़िज़ है, जो ज़्यूस की तरफ़ से गिरी थी।
فَإِذْ كَانَتْ هَذِهِ ٱلْأَشْيَاءُ لَا تُقَاوَمُ، يَنْبَغِي أَنْ تَكُونُوا هَادِئِينَ وَلَا تَفْعَلُوا شَيْئًا ٱقْتِحَامًا. ٣٦ 36
पस, जब कोई इन बातों के ख़िलाफ़ नहीं कह सकता तो वाजिब है कि तुम इत्मीनान से रहो, और बे सोचे कुछ न करो।
لِأَنَّكُمْ أَتَيْتُمْ بِهَذَيْنِ ٱلرَّجُلَيْنِ، وَهُمَا لَيْسَا سَارِقَيْ هَيَاكِلَ، وَلَا مُجَدِّفَيْنِ عَلَى إِلَهَتِكُمْ. ٣٧ 37
क्यूँकि ये लोग जिन को तुम यहाँ लाए हो न मन्दिर को लूटने वाले हैं, न हमारी देवी की बदगोई करनेवाले।
فَإِنْ كَانَ دِيمِتْرِيُوسُ وَٱلصُّنَّاعُ ٱلَّذِينَ مَعَهُ لَهُمْ دَعْوَى عَلَى أَحَدٍ، فَإِنَّهُ تُقَامُ أَيَّامٌ لِلْقَضَاءِ، وَيُوجَدُ وُلَاةٌ، فَلْيُرَافِعُوا بَعْضُهُمْ بَعْضًا. ٣٨ 38
पस, अगर देमेत्रियुस और उसके हम पेशा किसी पर दा'वा रखते हों तो अदालत खुली है, और सुबेदार मौजूद हैं, एक दूसरे पर नालिश करें।
وَإِنْ كُنْتُمْ تَطْلُبُونَ شَيْئًا مِنْ جِهَةِ أُمُورٍ أُخَرَ، فَإِنَّهُ يُقْضَى فِي مَحْفِلٍ شَرْعِيٍّ. ٣٩ 39
और अगर तुम किसी और काम की तहक़ीक़ात चाहते हो तो बाज़ाब्ता मजलिस में फ़ैसला होगा।
لِأَنَّنَا فِي خَطَرٍ أَنْ نُحَاكَمَ مِنْ أَجْلِ فِتْنَةِ هَذَا ٱلْيَوْمِ. وَلَيْسَ عِلَّةٌ يُمْكِنُنَا مِنْ أَجْلِهَا أَنْ نُقَدِّمَ حِسَابًا عَنْ هَذَا ٱلتَّجَمُّعِ». ٤٠ 40
क्यूँकि आज के बवाल की वजह से हमें अपने ऊपर नालिश होने का अन्देशा है, इसलिए कि इसकी कोई वजह नहीं है, और इस सूरत में हम इस हँगामे की जवाबदेही न कर सकेंगे।
وَلَمَّا قَالَ هَذَا صَرَفَ ٱلْمَحْفِلَ. ٤١ 41
ये कह कर उसने मजलिस को बरख़ास्त किया।

< أعمال 19 >