< أعمال 11 >

فَسَمِعَ ٱلرُّسُلُ وَٱلْإِخْوَةُ ٱلَّذِينَ كَانُوا فِي ٱلْيَهُودِيَّةِ أَنَّ ٱلْأُمَمَ أَيْضًا قَبِلُوا كَلِمَةَ ٱللهِ. ١ 1
रसूलों और भाइयों ने जो यहूदिया में थे, सुना कि ग़ैर क़ौमों ने भी ख़ुदा का कलाम क़ुबूल किया है।
وَلَمَّا صَعِدَ بُطْرُسُ إِلَى أُورُشَلِيمَ، خَاصَمَهُ ٱلَّذِينَ مِنْ أَهْلِ ٱلْخِتَانِ، ٢ 2
जब पतरस येरूशलेम में आया तो मख़्तून ईमानदार उस से ये बहस करने लगे
قَائِلِينَ: «إِنَّكَ دَخَلْتَ إِلَى رِجَالٍ ذَوِي غُلْفَةٍ وَأَكَلْتَ مَعَهُمْ». ٣ 3
“तू, ना मख़्तून ईमानदारों के पास गया और उन के साथ खाना खाया।”
فَٱبْتَدَأَ بُطْرُسُ يَشْرَحُ لَهُمْ بِٱلتَّتَابُعِ قَائِلًا: ٤ 4
पतरस ने शुरू से वो काम तरतीबवार उन से बयान किया कि।
«أَنَا كُنْتُ فِي مَدِينَةِ يَافَا أُصَلِّي، فَرَأَيْتُ فِي غَيْبَةٍ رُؤْيَا: إِنَاءً نَازِلًا مِثْلَ مُلَاءَةٍ عَظِيمَةٍ مُدَلَّاةٍ بِأَرْبَعَةِ أَطْرَافٍ مِنَ ٱلسَّمَاءِ، فَأَتَى إِلَيَّ. ٥ 5
मै याफ़ा शहर में दुआ कर रहा था, और बेख़ुदी की हालत में एक ख़्वाब देखा। कि कोई चीज़ बड़ी चादर की तरह चारों कोनों से लटकती हुई आसमान से उतर कर मुझ तक आई।
فَتَفَرَّسْتُ فِيهِ مُتَأَمِّلًا، فَرَأَيْتُ دَوَابَّ ٱلْأَرْضِ وَٱلْوُحُوشَ وَٱلزَّحَّافَاتِ وَطُيُورَ ٱلسَّمَاءِ. ٦ 6
उस पर जब मैने ग़ौर से नज़र की तो ज़मीन के चौपाए और जंगली जानवर और कीड़े मकोड़े और हवा के परिन्दे देखे।
وَسَمِعْتُ صَوْتًا قَائِلًا لِي: قُمْ يَا بُطْرُسُ، ٱذْبَحْ وَكُلْ. ٧ 7
और ये आवाज़ भी सुनी कि “ऐ पतरस उठ ज़बह कर और खा!”
فَقُلْتُ: كَلَّا يَارَبُّ! لِأَنَّهُ لَمْ يَدْخُلْ فَمِي قَطُّ دَنِسٌ أَوْ نَجِسٌ. ٨ 8
लेकिन मै ने कहा “ऐ ख़ुदावन्द हरगिज़ नहीं 'क्यूँकि कभी कोई हराम या नापाक चीज़ खाया ही नहीं।”
فَأَجَابَنِي صَوْتٌ ثَانِيَةً مِنَ ٱلسَّمَاءِ: مَا طَهَّرَهُ ٱللهُ لَا تُنَجِّسْهُ أَنْتَ. ٩ 9
इसके जावाब में दूसरी बार आसमान से आवाज़ आई; “जिनको ख़ुदा ने पाक ठहराया है; तू उन्हें हराम न कह।”
وَكَانَ هَذَا عَلَى ثَلَاثِ مَرَّاتٍ. ثُمَّ ٱنْتُشِلَ ٱلْجَمِيعُ إِلَى ٱلسَّمَاءِ أَيْضًا. ١٠ 10
तीन बार ऐसा ही हुआ, फिर वो सब चीज़ें आसमान की तरफ़ खींच ली गई।
وَإِذَا ثَلَاثَةُ رِجَالٍ قَدْ وَقَفُوا لِلْوَقْتِ عِنْدَ ٱلْبَيْتِ ٱلَّذِي كُنْتُ فِيهِ، مُرْسَلِينَ إِلَيَّ مِنْ قَيْصَرِيَّةَ. ١١ 11
और देखो' उसी वक़्त तीन आदमी जो क़ैसरिया से मेरे पास भेजे गए थे, उस घर के पास आ खड़े हुए जिस में हम थे।
فَقَالَ لِي ٱلرُّوحُ أَنْ أَذْهَبَ مَعَهُمْ غَيْرَ مُرْتَابٍ فِي شَيْءٍ. وَذَهَبَ مَعِي أَيْضًا هَؤُلَاءِ ٱلْإِخْوَةُ ٱلسِّتَّةُ. فَدَخَلْنَا بَيْتَ ٱلرَّجُلِ، ١٢ 12
रूह ने मुझ से कहा कि तू बिला इम्तियाज़ उनके साथ चला जा और ये छे: भाई भी मेरे साथ हो लिए और हम उस शख़्स के घर में दाख़िल हुए।
فَأَخْبَرَنَا كَيْفَ رَأَى ٱلْمَلَاكَ فِي بَيْتِهِ قَائِمًا وَقَائِلًا لَهُ: أَرْسِلْ إِلَى يَافَا رِجَالًا، وَٱسْتَدْعِ سِمْعَانَ ٱلْمُلَقَّبَ بُطْرُسَ، ١٣ 13
उस ने हम से बयान किया कि मैने फ़रिश्ते को अपने घर में खड़े हुए देखा'जिसने मुझ से कहा, याफ़ा में आदमी भेजकर शमौन को बुलवा ले जो पतरस कहलाता है।
وَهُوَ يُكَلِّمُكَ كَلَامًا بِهِ تَخْلُصُ أَنْتَ وَكُلُّ بَيْتِكَ. ١٤ 14
वो तुझ से ऐसी बातें कहेगा जिससे तू और तेरा सारा घराना नजात पाएगा।
فَلَمَّا ٱبْتَدَأْتُ أَتَكَلَّمُ، حَلَّ ٱلرُّوحُ ٱلْقُدُسُ عَلَيْهِمْ كَمَا عَلَيْنَا أَيْضًا فِي ٱلْبَدَاءَةِ. ١٥ 15
जब मै कलाम करने लगा तो रूह — उल — क़ुद्दूस उन पर इस तरह नाज़िल हुआ जिस तरह शुरू में हम पर नाज़िल हुआ था।
فَتَذَكَّرْتُ كَلَامَ ٱلرَّبِّ كَيْفَ قَالَ: إِنَّ يُوحَنَّا عَمَّدَ بِمَاءٍ وَأَمَّا أَنْتُمْ فَسَتُعَمَّدُونَ بِٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ. ١٦ 16
और मुझे ख़ुदावन्द की वो बात याद आई, जो उसने कही थी “यूहन्ना ने तो पानी से बपतिस्मा दिया मगर तुम रूह — उल — क़ुद्दूस से बपतिस्मा पाओगे।”
فَإِنْ كَانَ ٱللهُ قَدْ أَعْطَاهُمُ ٱلْمَوْهِبَةَ كَمَا لَنَا أَيْضًا بِٱلسَّوِيَّةِ مُؤْمِنِينَ بِٱلرَّبِّ يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ، فَمَنْ أَنَا؟ أَقَادِرٌ أَنْ أَمْنَعَ ٱللهَ؟». ١٧ 17
पस जब ख़ुदा ने उस को भी वही ने'मत दी जो हम को ख़ुदावन्द ईसा मसीह पर ईमान लाकर मिली थी? तो मै कौन था कि ख़ुदा को रोक सकता।
فَلَمَّا سَمِعُوا ذَلِكَ سَكَتُوا، وَكَانُوا يُمَجِّدُونَ ٱللهَ قَائِلِينَ: «إِذًا أَعْطَى ٱللهُ ٱلْأُمَمَ أَيْضًا ٱلتَّوْبَةَ لِلْحَيَاةِ!». ١٨ 18
वो ये सुनकर चुप रहे और ख़ुदा की बड़ाई करके कहने लगे, “फिर तो बेशक ख़ुदा ने ग़ैर क़ौमों को भी ज़िन्दगी के लिए तौबा की तौफ़ीक़ दी है।”
أَمَّا ٱلَّذِينَ تَشَتَّتُوا مِنْ جَرَّاءِ ٱلضِّيقِ ٱلَّذِي حَصَلَ بِسَبَبِ ٱسْتِفَانُوسَ فَٱجْتَازُوا إِلَى فِينِيقِيَةَ وَقُبْرُسَ وَأَنْطَاكِيَةَ، وَهُمْ لَا يُكَلِّمُونَ أَحَدًا بِٱلْكَلِمَةِ إِلَّا ٱلْيَهُودَ فَقَطْ. ١٩ 19
पस, जो लोग उस मुसीबत से इधर उधर हो गए थे जो स्तिफ़नुस कि ज़रिए पड़ी थी वो फिरते फिरते फ़ीनिके सूबा और कुप्रुस टापू और आन्ताकिया शहर में पहूँचे; मगर यहूदियों के सिवा और किसी को कलाम न सुनाते थे।
وَلَكِنْ كَانَ مِنْهُمْ قَوْمٌ، وَهُمْ رِجَالٌ قُبْرُسِيُّونَ وَقَيْرَوَانِيُّونَ، ٱلَّذِينَ لَمَّا دَخَلُوا أَنْطَاكِيَةَ كَانُوا يُخَاطِبُونَ ٱلْيُونَانِيِّينَ مُبَشِّرِينَ بِٱلرَّبِّ يَسُوعَ. ٢٠ 20
लेकिन उन में से चन्द कुप्रुसी और कुरेनी थे, जो आन्ताकिया में आकर यूनानियों को भी ख़ुदावन्द ईसा मसीह की ख़ुशख़बरी की बातें सुनाने लगे।
وَكَانَتْ يَدُ ٱلرَّبِّ مَعَهُمْ، فَآمَنَ عَدَدٌ كَثِيرٌ وَرَجَعُوا إِلَى ٱلرَّبِّ. ٢١ 21
और ख़ुदावन्द का हाथ उन पर था और बहुत से लोग ईमान लाकर ख़ुदावन्द की तरफ़ रुजू हुए।
فَسُمِعَ ٱلْخَبَرُ عَنْهُمْ فِي آذَانِ ٱلْكَنِيسَةِ ٱلَّتِي فِي أُورُشَلِيمَ، فَأَرْسَلُوا بَرْنَابَا لِكَيْ يَجْتَازَ إِلَى أَنْطَاكِيَةَ. ٢٢ 22
उन लोगों की ख़बर येरूशलेम की कलीसिया के कानों तक पहूँची और उन्हों ने बरनबास को आन्ताकिया तक भेजा।
ٱلَّذِي لَمَّا أَتَى وَرَأَى نِعْمَةَ ٱللهِ فَرِحَ، وَوَعَظَ ٱلْجَمِيعَ أَنْ يَثْبُتُوا فِي ٱلرَّبِّ بِعَزْمِ ٱلْقَلْبِ، ٢٣ 23
वो पहूँचकर और ख़ुदा का फ़ज़ल देख कर ख़ुश हुआ, और उन सब को नसीहत की कि दिली इरादे से ख़ुदावन्द से लिपटे रहो।
لِأَنَّهُ كَانَ رَجُلًا صَالِحًا وَمُمْتَلِئًا مِنَ ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ وَٱلْإِيمَانِ. فَٱنْضَمَّ إِلَى ٱلرَّبِّ جَمْعٌ غَفِيرٌ. ٢٤ 24
क्यूँकि वो नेक मर्द और रूह — उल — क़ुद्दूस और ईमान से मा'मूर था, और बहुत से लोग ख़ुदावन्द की कलीसिया में आ मिले।
ثُمَّ خَرَجَ بَرْنَابَا إِلَى طَرْسُوسَ لِيَطْلُبَ شَاوُلَ. وَلَمَّا وَجَدَهُ جَاءَ بِهِ إِلَى أَنْطَاكِيَةَ. ٢٥ 25
फिर वो साऊल की तलाश में तरसुस को चला गया।
فَحَدَثَ أَنَّهُمَا ٱجْتَمَعَا فِي ٱلْكَنِيسَةِ سَنَةً كَامِلَةً وَعَلَّمَا جَمْعًا غَفِيرًا. وَدُعِيَ ٱلتَّلَامِيذُ «مَسِيحِيِّينَ» فِي أَنْطَاكِيَةَ أَوَّلًا. ٢٦ 26
और जब वो मिला तो उसे आन्ताकिया में लाया और ऐसा हुआ कि वो साल भर तक कलीसिया की जमा'अत में शामिल होते और बहुत से लोगों को ता'लीम देते रहे और शागिर्द पहले आन्ताकिया में ही मसीही कहलाए।
وَفِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ ٱنْحَدَرَ أَنْبِيَاءُ مِنْ أُورُشَلِيمَ إِلَى أَنْطَاكِيَةَ. ٢٧ 27
उन ही दिनों में चन्द नबी येरूशलेम से आन्ताकिया में आए।
وَقَامَ وَاحِدٌ مِنْهُمُ ٱسْمُهُ أَغَابُوسُ، وَأَشَارَ بِٱلرُّوحِ أَنَّ جُوعًا عَظِيمًا كَانَ عَتِيدًا أَنْ يَصِيرَ عَلَى جَمِيعِ ٱلْمَسْكُونَةِ، ٱلَّذِي صَارَ أَيْضًا فِي أَيَّامِ كُلُودِيُوسَ قَيْصَرَ. ٢٨ 28
उन में से एक जिसका नाम अग्बुस था खड़े होकर रूह की हिदायत से ज़ाहिर किया कि तमाम दुनियाँ में बड़ा काल पड़ेगा और क्लोदियुस के अहद में वाक़े हुआ।
فَحَتَمَ ٱلتَّلَامِيذُ حَسْبَمَا تَيَسَّرَ لِكُلٍّ مِنْهُمْ أَنْ يُرْسِلَ كُلُّ وَاحِدٍ شَيْئًا، خِدْمَةً إِلَى ٱلْإِخْوَةِ ٱلسَّاكِنِينَ فِي ٱلْيَهُودِيَّةِ. ٢٩ 29
पस, शागिर्दों ने तजवीज़ की अपने अपने हैसियत कि मुवाफ़िक़ यहूदिया में रहने वाले भाइयों की ख़िदमत के लिए कुछ भेजें।
فَفَعَلُوا ذَلِكَ مُرْسِلِينَ إِلَى ٱلْمَشَايِخِ بِيَدِ بَرْنَابَا وَشَاوُلَ. ٣٠ 30
चुनाँचे उन्होंने ऐसा ही किया और बरनबास और साऊल के हाथ बुज़ुर्गों के पास भेजा।

< أعمال 11 >