< أعمال 1 >

اَلْكَلَامُ ٱلْأَوَّلُ أَنْشَأْتُهُ يَا ثَاوُفِيلُسُ، عَنْ جَمِيعِ مَا ٱبْتَدَأَ يَسُوعُ يَفْعَلُهُ وَيُعَلِّمُ بِهِ، ١ 1
ऐ थियुफ़िलुस मैने पहली किताब उन सब बातों के बयान में लिखी जो ईसा शुरू; में करता और सिखाता रहा।
إِلَى ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي ٱرْتَفَعَ فِيهِ، بَعْدَ مَا أَوْصَى بِٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ ٱلرُّسُلَ ٱلَّذِينَ ٱخْتَارَهُمْ. ٢ 2
उस दिन तक जिसमें वो उन रसूलों को जिन्हें उसने चुना था रूह — उल — क़ुद्दूस के वसीले से हुक्म देकर ऊपर उठाया गया।
اَلَّذِينَ أَرَاهُمْ أَيْضًا نَفْسَهُ حَيًّا بِبَرَاهِينَ كَثِيرَةٍ، بَعْدَ مَا تَأَلَّمَ، وَهُوَ يَظْهَرُ لَهُمْ أَرْبَعِينَ يَوْمًا، وَيَتَكَلَّمُ عَنِ ٱلْأُمُورِ ٱلْمُخْتَصَّةِ بِمَلَكُوتِ ٱللهِ. ٣ 3
ईसा ने तकलीफ़ सहने के बाद बहुत से सबूतों से अपने आपको उन पर ज़िन्दा ज़ाहिर भी किया, चुनाँचे वो चालीस दिन तक उनको नज़र आता और ख़ुदा की बादशाही की बातें कहता रहा।
وَفِيمَا هُوَ مُجْتَمِعٌ مَعَهُمْ أَوْصَاهُمْ أَنْ لَا يَبْرَحُوا مِنْ أُورُشَلِيمَ، بَلْ يَنْتَظِرُوا «مَوْعِدَ ٱلْآبِ ٱلَّذِي سَمِعْتُمُوهُ مِنِّي، ٤ 4
और उनसे मिलकर उन्हें हुक्म दिया, “येरूशलेम से बाहर न जाओ, बल्कि बाप के उस वा'दे के पूरा होने का इन्तिज़ार करो, जिसके बारे में तुम मुझ से सुन चुके हो,
لِأَنَّ يُوحَنَّا عَمَّدَ بِٱلْمَاءِ، وَأَمَّا أَنْتُمْ فَسَتَتَعَمَّدُونَ بِٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ، لَيْسَ بَعْدَ هَذِهِ ٱلْأَيَّامِ بِكَثِيرٍ». ٥ 5
क्यूँकि युहन्ना ने तो पानी से बपतिस्मा दिया मगर तुम थोड़े दिनों के बाद रूह — उल — क़ुद्दूस से बपतिस्मा पाओगे।”
أَمَّا هُمُ ٱلْمُجْتَمِعُونَ فَسَأَلُوهُ قَائِلِينَ: «يَارَبُّ، هَلْ فِي هَذَا ٱلْوَقْتِ تَرُدُّ ٱلْمُلْكَ إِلَى إِسْرَائِيلَ؟». ٦ 6
पस उन्होंने इकट्ठा होकर पूछा, “ऐ ख़ुदावन्द! क्या तू इसी वक़्त इस्राईल को बादशाही फिर' अता करेगा?”
فَقَالَ لَهُمْ: «لَيْسَ لَكُمْ أَنْ تَعْرِفُوا ٱلْأَزْمِنَةَ وَٱلْأَوْقَاتَ ٱلَّتِي جَعَلَهَا ٱلْآبُ فِي سُلْطَانِهِ، ٧ 7
उसने उनसे कहा, “उन वक़्तों और मी'आदों का जानना, जिन्हें बाप ने अपने ही इख़्तियार में रख्खा है, तुम्हारा काम नहीं।
لَكِنَّكُمْ سَتَنَالُونَ قُوَّةً مَتَى حَلَّ ٱلرُّوحُ ٱلْقُدُسُ عَلَيْكُمْ، وَتَكُونُونَ لِي شُهُودًا فِي أُورُشَلِيمَ وَفِي كُلِّ ٱلْيَهُودِيَّةِ وَٱلسَّامِرَةِ وَإِلَى أَقْصَى ٱلْأَرْضِ». ٨ 8
लेकिन जब रूह — उल — क़ुद्दूस तुम पर नाज़िल होगा तो तुम ताक़त पाओगे; और येरूशलेम और तमाम यहूदिया और सामरिया में, बल्कि ज़मीन के आख़ीर तक मेरे गवाह होगे।”
وَلَمَّا قَالَ هَذَا ٱرْتَفَعَ وَهُمْ يَنْظُرُونَ. وَأَخَذَتْهُ سَحَابَةٌ عَنْ أَعْيُنِهِمْ. ٩ 9
ये कहकर वो उनको देखते देखते ऊपर उठा लिया गया, और बादलों ने उसे उनकी नज़रों से छिपा लिया।
وَفِيمَا كَانُوا يَشْخَصُونَ إِلَى ٱلسَّمَاءِ وَهُوَ مُنْطَلِقٌ، إِذَا رَجُلَانِ قَدْ وَقَفَا بِهِمْ بِلِبَاسٍ أَبْيَضَ، ١٠ 10
उसके जाते वक़्त वो आसमान की तरफ़ ग़ौर से देख रहे थे, तो देखो, दो मर्द सफ़ेद पोशाक पहने उनके पास आ खड़े हुए,
وَقَالَا: «أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ ٱلْجَلِيلِيُّونَ، مَا بَالُكُمْ وَاقِفِينَ تَنْظُرُونَ إِلَى ٱلسَّمَاءِ؟ إِنَّ يَسُوعَ هَذَا ٱلَّذِي ٱرْتَفَعَ عَنْكُمْ إِلَى ٱلسَّمَاءِ سَيَأْتِي هَكَذَا كَمَا رَأَيْتُمُوهُ مُنْطَلِقًا إِلَى ٱلسَّمَاءِ». ١١ 11
और कहने लगे, “ऐ गलीली मर्दो। तुम क्यूँ खड़े आसमान की तरफ़ देखते हो? यही ईसा जो तुम्हारे पास से आसमान पर उठाया गया है, इसी तरह फिर आएगा जिस तरह तुम ने उसे आसमान पर जाते देखा है।”
حِينَئِذٍ رَجَعُوا إِلَى أُورُشَلِيمَ مِنَ ٱلْجَبَلِ ٱلَّذِي يُدْعَى جَبَلَ ٱلزَّيْتُونِ، ٱلَّذِي هُوَ بِٱلْقُرْبِ مِنْ أُورُشَلِيمَ عَلَى سَفَرِ سَبْتٍ. ١٢ 12
तब वो उस पहाड़ से जो ज़ैतून का कहलाता है और येरूशलेम के नज़दीक सबत की मन्ज़िल के फ़ासले पर है येरूशलेम को फिरे।
وَلَمَّا دَخَلُوا صَعِدُوا إِلَى ٱلْعِلِّيَّةِ ٱلَّتِي كَانُوا يُقِيمُونَ فِيهَا: بُطْرُسُ وَيَعْقُوبُ وَيُوحَنَّا وَأَنْدَرَاوُسُ وَفِيلُبُّسُ وَتُومَا وَبَرْثُولَمَاوُسُ وَمَتَّى وَيَعْقُوبُ بْنُ حَلْفَى وَسِمْعَانُ ٱلْغَيُورُ وَيَهُوذَا أَخُو يَعْقُوبَ. ١٣ 13
और जब उसमें दाख़िल हुए तो उस बालाख़ाने पर चढ़े जिस में वो या'नी पतरस और यूहन्ना, और या'क़ूब और अन्द्रियास और फ़िलिप्पुस, तोमा, बरतुल्माई, मत्ती, हलफ़ी का बेटा या'क़ूब, शमौन ज़ेलोतेस और या'क़ूब का बेटा यहूदाह रहते थे।
هَؤُلَاءِ كُلُّهُمْ كَانُوا يُواظِبُونَ بِنَفْسٍ وَاحِدَةٍ عَلَى ٱلصَّلَاةِ وَٱلطِّلْبَةِ، مَعَ ٱلنِّسَاءِ، وَمَرْيَمَ أُمِّ يَسُوعَ، وَمَعَ إِخْوَتِهِ. ١٤ 14
ये सब के सब चन्द 'औरतों और ईसा की माँ मरियम और उसके भाइयों के साथ एक दिल होकर दुआ में मशग़ूल रहे।
وَفِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ قَامَ بُطْرُسُ فِي وَسْطِ ٱلتَّلَامِيذِ، وَكَانَ عِدَّةُ أَسْمَاءٍ مَعًا نَحْوَ مِئَةٍ وَعِشْرِينَ. فَقَالَ: ١٥ 15
उन्हीं दिनों पतरस भाइयों में जो तक़रीबन एक सौ बीस शख़्सों की जमा'अत थी खड़ा होकर कहने लगा,
«أَيُّهَا ٱلرِّجَالُ ٱلْإِخْوَةُ، كَانَ يَنْبَغِي أَنْ يَتِمَّ هَذَا ٱلْمَكْتُوبُ ٱلَّذِي سَبَقَ ٱلرُّوحُ ٱلْقُدُسُ فَقَالَهُ بِفَمِ دَاوُدَ، عَنْ يَهُوذَا ٱلَّذِي صَارَ دَلِيلًا لِلَّذِينَ قَبَضُوا عَلَى يَسُوعَ، ١٦ 16
“ऐ भाइयों उस नबुव्वत का पूरा होना ज़रूरी था जो रूह — उल — क़ुद्दूस ने दाऊद के ज़बानी उस यहूदा के हक़ में पहले कहा था, जो ईसा के पकड़ने वालों का रहनुमा हुआ।
إِذْ كَانَ مَعْدُودًا بَيْنَنَا وَصَارَ لَهُ نَصِيبٌ فِي هَذِهِ ٱلْخِدْمَةِ. ١٧ 17
क्यूँकि वो हम में शुमार किया गया और उस ने इस ख़िदमत का हिस्सा पाया।”
فَإِنَّ هَذَا ٱقْتَنَى حَقْلًا مِنْ أُجْرَةِ ٱلظُّلْمِ، وَإِذْ سَقَطَ عَلَى وَجْهِهِ ٱنْشَقَّ مِنَ ٱلْوَسْطِ، فَٱنْسَكَبَتْ أَحْشَاؤُهُ كُلُّهَا. ١٨ 18
उस ने बदकारी की कमाई से एक खेत ख़रीदा, और सिर के बल गिरा और उसका पेट फट गया और उसकी सब आँतड़ीयां निकल पड़ीं।
وَصَارَ ذَلِكَ مَعْلُومًا عِنْدَ جَمِيعِ سُكَّانِ أُورُشَلِيمَ، حَتَّى دُعِيَ ذَلِكَ ٱلْحَقْلُ فِي لُغَتِهِمْ «حَقَلْ دَمَا» أَيْ: حَقْلَ دَمٍ. ١٩ 19
और ये येरूशलेम के सब रहने वालों को मा'लूम हुआ, यहाँ तक कि उस खेत का नाम उनकी ज़बान में हैक़लेदमा पड़ गया या'नी [ख़ून का खेत]।
لِأَنَّهُ مَكْتُوبٌ فِي سِفْرِ ٱلْمَزَامِيرِ: لِتَصِرْ دَارُهُ خَرَابًا وَلَا يَكُنْ فِيهَا سَاكِنٌ. وَلْيَأْخُذْ وَظِيفَتَهُ آخَرُ. ٢٠ 20
क्यूँकि ज़बूर में लिखा है, 'उसका घर उजड़ जाए, और उसमें कोई बसने वाला न रहे और उसका मर्तबा दुसरा ले ले।
فَيَنْبَغِي أَنَّ ٱلرِّجَالَ ٱلَّذِينَ ٱجْتَمَعُوا مَعَنَا كُلَّ ٱلزَّمَانِ ٱلَّذِي فِيهِ دَخَلَ إِلَيْنَا ٱلرَّبُّ يَسُوعُ وَخَرَجَ، ٢١ 21
पस जितने 'अर्से तक ख़ुदावन्द ईसा हमारे साथ आता जाता रहा, यानी यूहन्ना के बपतिस्मे से लेकर ख़ुदावन्द के हमारे पास से उठाए जाने तक — जो बराबर हमारे साथ रहे,
مُنْذُ مَعْمُودِيَّةِ يُوحَنَّا إِلَى ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي ٱرْتَفَعَ فِيهِ عَنَّا، يَصِيرُ وَاحِدٌ مِنْهُمْ شَاهِدًا مَعَنَا بِقِيَامَتِهِ». ٢٢ 22
चाहिए कि उन में से एक आदमी हमारे साथ उसके जी उठने का गवाह बने।
فَأَقَامُوا ٱثْنَيْنِ: يُوسُفَ ٱلَّذِي يُدْعَى بَارْسَابَا ٱلْمُلَقَّبَ يُوسْتُسَ، وَمَتِّيَاسَ. ٢٣ 23
फिर उन्होंने दो को पेश किया। एक यूसुफ़ को जो बरसब्बा कहलाता है और जिसका लक़ब यूसतुस है। दूसरा मत्तय्याह को।
وَصَلَّوْا قَائِلِينَ: «أَيُّهَا ٱلرَّبُّ ٱلْعَارِفُ قُلُوبَ ٱلْجَمِيعِ، عَيِّنْ أَنْتَ مِنْ هَذَيْنِ ٱلِٱثْنَيْنِ أَيًّا ٱخْتَرْتَهُ، ٢٤ 24
और ये कह कर दुआ की, “ऐ ख़ुदावन्द! तू जो सब के दिलों को जानता है, ये ज़ाहिर कर कि इन दोनों में से तूने किस को चुना है
لِيَأْخُذَ قُرْعَةَ هَذِهِ ٱلْخِدْمَةِ وَٱلرِّسَالَةِ ٱلَّتِي تَعَدَّاهَا يَهُوذَا لِيَذْهَبَ إِلَى مَكَانِهِ». ٢٥ 25
ताकि वह इस ख़िदमत और रसूलों की जगह ले, जिसे यहूदाह छोड़ कर अपनी जगह गया।”
ثُمَّ أَلْقَوْا قُرْعَتَهُمْ، فَوَقَعَتِ ٱلْقُرْعَةُ عَلَى مَتِّيَاسَ، فَحُسِبَ مَعَ ٱلْأَحَدَ عَشَرَ رَسُولًا. ٢٦ 26
फिर उन्होंने उनके बारे में पर्ची डाली, और पर्ची मत्तय्याह के नाम की निकली। पस वो उन ग्यारह रसूलों के साथ शुमार किया गया।

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