< ٣ يوحنَّا 1 >

اَلشَّيْخُ، إِلَى غَايُسَ ٱلْحَبِيبِ ٱلَّذِي أَنَا أُحِبُّهُ بِٱلْحَقِّ. ١ 1
मुझ बुज़ुर्ग की तरफ़ से उस प्यारे गियुस के नाम ख़त, जिससे मैं सच्ची मुहब्बत रखता हूँ।
أَيُّهَا ٱلْحَبِيبُ، فِي كُلِّ شَيْءٍ أَرُومُ أَنْ تَكُونَ نَاجِحًا وَصَحِيحًا، كَمَا أَنَّ نَفْسَكَ نَاجِحَةٌ. ٢ 2
ऐ प्यारे! मैं ये दुआ करता हूँ कि जिस तरह तू रूहानी तरक़्क़ी कर रहा है, इसी तरह तू सब बातों में तरक़्क़ी करे और तन्दरुस्त रहे।
لِأَنِّي فَرِحْتُ جِدًّا إِذْ حَضَرَ إِخْوَةٌ وَشَهِدُوا بِٱلْحَقِّ ٱلَّذِي فِيكَ، كَمَا أَنَّكَ تَسْلُكُ بِٱلْحَقِّ. ٣ 3
क्यूँकि जब भाइयों ने आकर तेरी उस सच्चाई की गवाही दी, जिस पर तू हक़ीक़त में चलता है, तो मैं निहायत ख़ुश हुआ।
لَيْسَ لِي فَرَحٌ أَعْظَمُ مِنْ هَذَا: أَنْ أَسْمَعَ عَنْ أَوْلَادِي أَنَّهُمْ يَسْلُكُونَ بِٱلْحَقِّ. ٤ 4
मेरे लिए इससे बढ़कर और कोई ख़ुशी नहीं कि मैं अपने बेटो को हक़ पर चलते हुए सुनूँ।
أَيُّهَا ٱلْحَبِيبُ، أَنْتَ تَفْعَلُ بِٱلْأَمَانَةِ كُلَّ مَا تَصْنَعُهُ إِلَى ٱلْإِخْوَةِ وَإِلَى ٱلْغُرَبَاءِ، ٥ 5
ऐ प्यारे! जो कुछ तू उन भाइयों के साथ करता है जो परदेसी भी हैं, वो ईमानदारी से करता है।
ٱلَّذِينَ شَهِدُوا بِمَحَبَّتِكَ أَمَامَ ٱلْكَنِيسَةِ. ٱلَّذِينَ تَفْعَلُ حَسَنًا إِذَا شَيَّعْتَهُمْ كَمَا يَحِقُّ لِلهِ، ٦ 6
उन्होंने कलीसिया के सामने तेरी मुहब्बत की गवाही दी थी। अगर तू उन्हें उस तरह रवाना करेगा, जिस तरह ख़ुदा के लोगों को मुनासिब है तो अच्छा करेगा।
لِأَنَّهُمْ مِنْ أَجْلِ ٱسْمِهِ خَرَجُوا، وَهُمْ لَا يَأْخُذُونَ شَيْئًا مِنَ ٱلْأُمَمِ. ٧ 7
क्यूँकी वो उस नाम की ख़ातिर निकले हैं, और ग़ैर — क़ौमों से कुछ नहीं लेते।
فَنَحْنُ يَنْبَغِي لَنَا أَنْ نَقْبَلَ أَمْثَالَ هَؤُلَاءِ، لِكَيْ نَكُونَ عَامِلِينَ مَعَهُمْ بِٱلْحَقِّ. ٨ 8
पस ऐसों की ख़ातिरदारी करना हम पर फ़र्ज़ है, ताकि हम भी हक़ की ताईद में उनके हम ख़िदमत हों।
كَتَبْتُ إِلَى ٱلْكَنِيسَةِ، وَلَكِنَّ دِيُوتْرِيفِسَ - ٱلَّذِي يُحِبُّ أَنْ يَكُونَ ٱلْأَوَّلَ بَيْنَهُمْ - لَا يَقْبَلُنَا. ٩ 9
मैंने कलीसिया को कुछ लिखा था, मगर दियुत्रिफ़ेस जो उनमें बड़ा बनना चाहता है, हमें क़ुबूल नहीं करता।
مِنْ أَجْلِ ذَلِكَ، إِذَا جِئْتُ فَسَأُذَكِّرُهُ بِأَعْمَالِهِ ٱلَّتِي يَعْمَلُهَا، هَاذِرًا عَلَيْنَا بِأَقْوَالٍ خَبِيثَةٍ. وَإِذْ هُوَ غَيْرُ مُكْتَفٍ بِهَذِهِ، لَا يَقْبَلُ ٱلْإِخْوَةَ، وَيَمْنَعُ أَيْضًا ٱلَّذِينَ يُرِيدُونَ، وَيَطْرُدُهُمْ مِنَ ٱلْكَنِيسَةِ. ١٠ 10
पस जब मैं आऊँगा तो उसके कामों को जो वो कर रहा है, याद दिलाऊँगा, कि हमारे हक़ में बुरी बातें बकता है; और इन पर सब्र न करके ख़ुद भी भाइयों को क़ुबूल नहीं करता, और जो क़ुबूल करना चाहते हैं उनको भी मनह' करता है और कलीसिया से निकाल देता है।
أَيُّهَا ٱلْحَبِيبُ، لَا تَتَمَثَّلْ بِٱلشَّرِّ بَلْ بِٱلْخَيْرِ، لِأَنَّ مَنْ يَصْنَعُ ٱلْخَيْرَ هُوَ مِنَ ٱللهِ، وَمَنْ يَصْنَعُ ٱلشَّرَّ، فَلَمْ يُبْصِرِ ٱللهَ. ١١ 11
ऐ प्यारे! बदी की नहीं बल्कि नेकी की पैरवी कर। नेकी करनेवाला ख़ुदा से है; बदी करनेवाले ने ख़ुदा को नहीं देखा।
دِيمِتْرِيُوسُ مَشْهُودٌ لَهُ مِنَ ٱلْجَمِيعِ وَمِنَ ٱلْحَقِّ نَفْسِهِ، وَنَحْنُ أَيْضًا نَشْهَدُ، وَأَنْتُمْ تَعْلَمُونَ أَنَّ شَهَادَتَنَا هِيَ صَادِقَةٌ. ١٢ 12
देमेत्रियुस के बारे में सब ने और ख़ुद हक़ ने भी गवाही दी, और हम भी गवाही देते हैं, और तू जानता है कि हमारी गवाही सच्ची है।
وَكَانَ لِي كَثِيرٌ لِأَكْتُبَهُ، لَكِنَّنِي لَسْتُ أُرِيدُ أَنْ أَكْتُبَ إِلَيْكَ بِحِبْرٍ وَقَلَمٍ. ١٣ 13
मुझे लिखना तो तुझ को बहुत कुछ था, मगर स्याही और क़लम से तुझे लिखना नहीं चाहता।
وَلَكِنَّنِي أَرْجُو أَنْ أَرَاكَ عَنْ قَرِيبٍ فَنَتَكَلَّمَ فَمًا لِفَمٍ. سَلَامٌ لَكَ. يُسَلِّمُ عَلَيْكَ ٱلْأَحِبَّاءُ. سَلِّمْ عَلَى ٱلْأَحِبَّاءِ بِأَسْمَائِهِمْ. ١٤ 14
बल्कि तुझ से जल्द मिलने की उम्मीद रखता हूँ, उस वक़्त हम रू — ब — रू बातचीत करेंगे। तुझे इत्मीनान हासिल होता रहे। यहाँ के दोस्त तुझे सलाम कहते हैं। तू वहाँ के दोस्तों से नाम — ब — नाम सलाम कह।

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