< صَمُوئِيلَ ٱلثَّانِي 7 >

وَكَانَ لَمَّا سَكَنَ ٱلْمَلِكُ فِي بَيْتِهِ، وَأَرَاحَهُ ٱلرَّبُّ مِنْ كُلِّ ٱلْجِهَاتِ مِنْ جَمِيعِ أَعْدَائِهِ، ١ 1
जब राजा अपने महल में बस गया और याहवेह ने उन्हें उनके सभी शत्रुओं से शांति प्रदान कर दी.
أَنَّ ٱلْمَلِكَ قَالَ لِنَاثَانَ ٱلنَّبِيِّ: «ٱنْظُرْ. إِنِّي سَاكِنٌ فِي بَيْتٍ مِنْ أَرْزٍ، وَتَابُوتُ ٱللهِ سَاكِنٌ دَاخِلَ ٱلشُّقَقِ». ٢ 2
राजा ने भविष्यद्वक्ता नाथान पर अपनी यह इच्छा प्रकट की: अब विचार कीजिए, “मैं तो देवदार से बने भव्य घर में निवास कर रहा हूं, जबकि परमेश्वर का संदूक तंबू और पर्दों में.”
فَقَالَ نَاثَانُ لِلْمَلِكِ: «ٱذْهَبِ ٱفْعَلْ كُلَّ مَا بِقَلْبِكَ، لِأَنَّ ٱلرَّبَّ مَعَكَ». ٣ 3
नाथान ने राजा को उत्तर दिया, “आप वह सब कीजिए, जो आपने अपने मन में विचार किया है. क्योंकि याहवेह आपके साथ हैं.”
وَفِي تِلْكَ ٱللَّيْلَةِ كَانَ كَلَامُ ٱلرَّبِّ إِلَى نَاثَانَ قَائِلًا: ٤ 4
उसी रात याहवेह का वचन नाथान को प्राप्‍त हुआ:
«اِذْهَبْ وَقُلْ لِعَبْدِي دَاوُدَ: هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: أَأَنْتَ تَبْنِي لِي بَيْتًا لِسُكْنَايَ؟ ٥ 5
“मेरे सेवक दावीद से जाकर यह कहना, ‘याहवेह का कथन है: क्या तुम्हीं वह हो, जो मेरे रहने के लिए भवन बनाएगा?
لِأَنِّي لَمْ أَسْكُنْ فِي بَيْتٍ مُنْذُ يَوْمَ أَصْعَدْتُ بَنِي إِسْرَائِيلَ مِنْ مِصْرَ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ، بَلْ كُنْتُ أَسِيرُ فِي خَيْمَةٍ وَفِي مَسْكَنٍ. ٦ 6
जब से मैंने इस्राएलियों को मिस्र से बाहर निकाला है, आज तक मैं किसी भवन में नहीं रहा हूं, हां, मैं तंबू मेरा निवास बनाकर रहता आया हूं,
فِي كُلِّ مَا سِرْتُ مَعَ جَمِيعِ بَنِي إِسْرَائِيلَ، هَلْ تَكَلَّمْتُ بِكَلِمَةٍ إِلَى أَحَدِ قُضَاةِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ أَمَرْتُهُمْ أَنْ يَرْعَوْا شَعْبِي إِسْرَائِيلَ قَائِلًا: لِمَاذَا لَمْ تَبْنُوا لِي بَيْتًا مِنَ ٱلْأَرْزِ؟ ٧ 7
जिधर जिधर इस्राएल के साथ मैं फिरा, क्या मैंने इस्राएल के किसी शासक से, जिसे मैंने अपनी प्रजा के चरवाहा नियुक्त किया था, कभी कहा, “तुमने मेरे लिए देवदार की लकड़ी का घर क्यों नहीं बनाया?”’
وَٱلْآنَ فَهَكَذَا تَقُولُ لِعَبْدِي دَاوُدَ: هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ: أَنَا أَخَذْتُكَ مِنَ ٱلْمَرْبَضِ مِنْ وَرَاءِ ٱلْغَنَمِ لِتَكُونَ رَئِيسًا عَلَى شَعْبِي إِسْرَائِيلَ. ٨ 8
“तब तुम्हें अब मेरे सेवक दावीद से यह कहना होगा, ‘सेनाओं के याहवेह का वचन है, मैंने ही तुम्हें चरागाह से, भेड़ों के चरवाहे के पद पर इसलिये चुना कि तुम्हें अपनी प्रजा इस्राएल का शासक बनाऊं.
وَكُنْتُ مَعَكَ حَيْثُمَا تَوَجَّهْتَ، وَقَرَضْتُ جَمِيعَ أَعْدَائِكَ مِنْ أَمَامِكَ، وَعَمِلْتُ لَكَ ٱسْمًا عَظِيمًا كَٱسْمِ ٱلْعُظَمَاءِ ٱلَّذِينَ فِي ٱلْأَرْضِ. ٩ 9
तुम जहां कहीं गए, मैं तुम्हारे साथ था. तुम्हारे सामने से तुम्हारे सारे शत्रुओं को मैंने मार गिराया. मैं तुम्हारे नाम को ऐसा बड़ा करूंगा, जैसा पृथ्वी पर महान लोगों का होता है.
وَعَيَّنْتُ مَكَانًا لِشَعْبِي إِسْرَائِيلَ وَغَرَسْتُهُ، فَسَكَنَ فِي مَكَانِهِ، وَلَا يَضْطَرِبُ بَعْدُ، وَلَا يَعُودُ بَنُو ٱلْإِثْمِ يُذَلِّلُونَهُ كَمَا فِي ٱلْأَوَّلِ، ١٠ 10
अपनी प्रजा इस्राएल के लिए मैं एक जगह तय करूंगा, मैं उन्हें वहां बसाऊंगा कि वे वहां अपने ही घरों में रह सकें, और उन्हें वहां से चलाया न जाए, और कोई भी दुष्ट व्यक्ति उन्हें पहले के समान परेशान न करे.
وَمُنْذُ يَوْمَ أَقَمْتُ فِيهِ قُضَاةً عَلَى شَعْبِي إِسْرَائِيلَ. وَقَدْ أَرَحْتُكَ مِنْ جَمِيعِ أَعْدَائِكَ. وَٱلرَّبُّ يُخْبِرُكَ أَنَّ ٱلرَّبَّ يَصْنَعُ لَكَ بَيْتًا. ١١ 11
जैसे वे मेरे द्वारा उत्पीड़ित किए जाते थे. मैं तुम्हें तुम्हारे सभी शत्रुओं से शांति दूंगा. “‘इसके अलावा, तुम्हारे लिए याहवेह की यह घोषणा है कि याहवेह तुम्हारे वंशपरंपरा को स्थिर करेंगे.
مَتَى كَمُلَتْ أَيَّامُكَ وَٱضْطَجَعْتَ مَعَ آبَائِكَ، أُقِيمُ بَعْدَكَ نَسْلَكَ ٱلَّذِي يَخْرُجُ مِنْ أَحْشَائِكَ وَأُثَبِّتُ مَمْلَكَتَهُ. ١٢ 12
जब तुम्हारी आयु के निर्धारित दिन पूर्ण हो जाएंगे और तुम अपने पूर्वजों के साथ चिर-निद्रा में सो जाओगे, मैं तुम्हारी संतान को तुम्हारे बाद पल्लवित करूंगा, जो तुम्हारी ही देह से उत्पन्‍न होगा. मैं उसके साम्राज्य को प्रतिष्ठित करूंगा.
هُوَ يَبْنِي بَيْتًا لِٱسْمِي، وَأَنَا أُثَبِّتُ كُرْسِيَّ مَمْلَكَتِهِ إِلَى ٱلْأَبَدِ. ١٣ 13
वही मेरी प्रतिष्ठा में भवन बनाएगा. मैं उसका राज सिंहासन चिरस्थायी करूंगा.
أَنَا أَكُونُ لَهُ أَبًا وَهُوَ يَكُونُ لِيَ ٱبْنًا. إِنْ تَعَوَّجَ أُؤَدِّبْهُ بِقَضِيبِ ٱلنَّاسِ وَبِضَرَبَاتِ بَنِي آدَمَ. ١٤ 14
उसका पिता मैं बन जाऊंगा, और वह हो जाएगा मेरा पुत्र. जब उससे कोई अपराध होगा, मैं उसे मनुष्यों की रीति पर छड़ी से अनुशासित करूंगा, वैसे ही जैसे मनुष्य अपनी संतान को प्रताड़ित करते हैं.
وَلَكِنَّ رَحْمَتِي لَا تُنْزَعُ مِنْهُ كَمَا نَزَعْتُهَا مِنْ شَاوُلَ ٱلَّذِي أَزَلْتُهُ مِنْ أَمَامِكَ. ١٥ 15
मगर उसके प्रति मेरा अपार प्रेम कभी कमजोर न होगा, जैसा शाऊल से मेरा प्रेम जाता रहा था, जिसे मैंने ही तुम्हारे पथ से हटा दिया.
وَيَأْمَنُ بَيْتُكَ وَمَمْلَكَتُكَ إِلَى ٱلْأَبَدِ أَمَامَكَ. كُرْسِيُّكَ يَكُونُ ثَابِتًا إِلَى ٱلْأَبَدِ». ١٦ 16
तुम्हारा वंश और तुम्हारा साम्राज्य निश्चित, मेरे सामने सदा स्थायी रहेगा. तुम्हारा सिंहासन हमेशा प्रतिष्ठित बना रहेगा.’”
فَحَسَبَ جَمِيعِ هَذَا ٱلْكَلَامِ وَحَسَبَ كُلِّ هَذِهِ ٱلرُّؤْيَا كَذَلِكَ كَلَّمَ نَاثَانُ دَاوُدَ. ١٧ 17
नाथान ने अपने दर्शन और याहवेह के संदेश के अनुसार दावीद को सब कुछ बता दिया.
فَدَخَلَ ٱلْمَلِكُ دَاوُدُ وَجَلَسَ أَمَامَ ٱلرَّبِّ وَقَالَ: «مَنْ أَنَا يَا سَيِّدِي ٱلرَّبَّ؟ وَمَا هُوَ بَيْتِي حَتَّى أَوْصَلْتَنِي إِلَى هَهُنَا؟ ١٨ 18
तब राजा दावीद जाकर याहवेह के सामने बैठ गए. वहां उनके हृदय से निकले वचन ये थे: “प्रभु याहवेह, कौन हूं, मैं और क्या है मेरे परिवार का पद, कि आप मुझे इस जगह तक ले आए हैं?
وَقَلَّ هَذَا أَيْضًا فِي عَيْنَيْكَ يَا سَيِّدِي ٱلرَّبَّ، فَتَكَلَّمْتَ أَيْضًا مِنْ جِهَةِ بَيْتِ عَبْدِكَ إِلَى زَمَانٍ طَوِيلٍ، وَهَذِهِ عَادَةُ ٱلْإِنْسَانِ يَاسَيِّدِي ٱلرَّبَّ. ١٩ 19
और प्रभु याहवेह, मानो यह आपकी दृष्टि में पर्याप्‍त नहीं था, आपने मेरे वंशजों के दूर के भविष्य के विषय में भी प्रतिज्ञा कर दी है. प्रभु परमेश्वर, यह सब केवल मिट्टी मात्र मनुष्य के लिए!
وَبِمَاذَا يَعُودُ دَاوُدُ يُكَلِّمُكَ وَأَنْتَ قَدْ عَرَفْتَ عَبْدَكَ يَا سَيِّدِي ٱلرَّبَّ؟ ٢٠ 20
“दावीद इसके अलावा आपसे और क्या विनती कर सकता है? क्योंकि प्रभु याहवेह, आप अपने सेवक को जानते हैं.
فَمِنْ أَجْلِ كَلِمَتِكَ وَحَسَبَ قَلْبِكَ فَعَلْتَ هَذِهِ ٱلْعَظَائِمَ كُلَّهَا لِتُعَرِّفَ عَبْدَكَ. ٢١ 21
अपनी प्रतिज्ञा के कारण और अपनी योजना के अनुसार, आपने मुझे इस ऊंचाई तक पहुंचा दिया है, कि आपके सेवक को आश्वासन मिल सके.
لِذَلِكَ قَدْ عَظُمْتَ أَيُّهَا ٱلرَّبُّ ٱلْإِلَهُ، لِأَنَّهُ لَيْسَ مِثْلُكَ وَلَيْسَ إِلَهٌ غَيْرَكَ حَسَبَ كُلِّ مَا سَمِعْنَاهُ بِآذَانِنَا. ٢٢ 22
“इसलिये, प्रभु याहवेह, आप ऐसे महान हैं! कोई भी नहीं है आपके तुल्य! हमने जो कुछ अपने कानों से सुना है, उसके अनुसार कोई भी परमेश्वर नहीं है आपके अलावा.
وَأَيَّةُ أُمَّةٍ عَلَى ٱلْأَرْضِ مِثْلُ شَعْبِكَ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِي سَارَ ٱللهُ لِيَفْتَدِيَهُ لِنَفْسِهِ شَعْبًا، وَيَجْعَلَ لَهُ ٱسْمًا، وَيَعْمَلَ لَكُمُ ٱلْعَظَائِمَ وَٱلتَّخَاوِيفَ لِأَرْضِكَ أَمَامَ شَعْبِكَ ٱلَّذِي ٱفْتَدَيْتَهُ لِنَفْسِكَ مِنْ مِصْرَ، مِنَ ٱلشُّعُوبِ وَآلِهَتِهِمْ. ٢٣ 23
इसी प्रकार, कौन है आपकी प्रजा इस्राएल के तुल्य? पृथ्वी पर एक जनता, जिसे स्वयं परमेश्वर ने जाकर इसलिये छुड़ाया, कि वे उनकी प्रजा हो, कि इसमें आपकी प्रतिष्ठा हो. आपने अपनी प्रजा के सामने से अन्य राष्ट्रों को निकाल दिया—उसी प्रजा के सामने से, जिसे आपने मिस्र देश की बंधनों से विमुक्त किया है, कि वे इन राष्ट्रों और विदेशी देवताओं को छोड़ आपकी प्रजा हों.
وَثَبَّتَّ لِنَفْسِكَ شَعْبَكَ إِسْرَائِيلَ، شَعْبًا لِنَفْسِكَ إِلَى ٱلْأَبَدِ، وَأَنْتَ يَارَبُّ صِرْتَ لَهُمْ إِلَهًا. ٢٤ 24
आपने अपने ही लिए अपनी प्रजा इस्राएल को प्रतिष्ठित किया है कि वे सदा-सर्वदा के लिए आपकी प्रजा रहें. और, तब याहवेह, आप उनके परमेश्वर हो गए.
وَٱلْآنَ أَيُّهَا ٱلرَّبُّ ٱلْإِلَهُ أَقِمْ إِلَى ٱلْأَبَدِ ٱلْكَلَامَ ٱلَّذِي تَكَلَّمْتَ بِهِ عَنْ عَبْدِكَ وَعَنْ بَيْتِهِ، وَٱفْعَلْ كَمَا نَطَقْتَ. ٢٥ 25
“और अब, याहवेह परमेश्वर, अपने सेवक और उसके वंश के विषय में कहे गए वचन को हमेशा के लिए प्रतिष्ठित कर दीजिए, और जो कुछ आपने कहा है, उन्हें पूरा कीजिए.
وَلْيَتَعَظَّمِ ٱسْمُكَ إِلَى ٱلْأَبَدِ، فَيُقَالَ: رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهٌ عَلَى إِسْرَائِيلَ. وَلْيَكُنْ بَيْتُ عَبْدِكَ دَاوُدَ ثَابِتًا أَمَامَكَ. ٢٦ 26
आपकी महिमा के लिए, यह हमेशा के लिए किया जाता रहेगा. आपके विषय में कहा जाएगा, सर्वशक्तिमान याहवेह ही इस्राएल के परमेश्वर है; आपके सामने आपके सेवक दावीद का राजवंश हमेशा स्थायी रहेगा.
لِأَنَّكَ أَنْتَ يَارَبَّ ٱلْجُنُودِ إِلَهَ إِسْرَائِيلَ قَدْ أَعْلَنْتَ لِعَبْدِكَ قَائِلًا: إِنِّي أَبْنِي لَكَ بَيْتًا، لِذَلِكَ وَجَدَ عَبْدُكَ فِي قَلْبِهِ أَنْ يُصَلِّيَ لَكَ هَذِهِ ٱلصَّلَاةَ. ٢٧ 27
“यह इसलिये कि सर्वशक्तिमान याहवेह, आपने, इस्राएल के परमेश्वर ही ने, अपने सेवक पर इन शब्दों में यह प्रकाशित किया है, ‘मैं तुम्हारे वंश को प्रतिष्ठित करूंगा.’ इसी बात के प्रकाश में आपके सेवक को इस प्रकार की प्रार्थना करने का साहस प्राप्‍त हुआ है.
وَٱلْآنَ يَا سَيِّدِي ٱلرَّبَّ أَنْتَ هُوَ ٱللهُ وَكَلَامُكَ هُوَ حَقٌّ، وَقَدْ كَلَّمْتَ عَبْدَكَ بِهَذَا ٱلْخَيْرِ. ٢٨ 28
प्रभु याहवेह, आप परमेश्वर हैं! आपके मुख से निकले शब्द सत्य हैं. आपने अपने सेवक से यह असाधारण प्रतिज्ञा की हैं.
فَٱلْآنَ ٱرْتَضِ وَبَارِكْ بَيْتَ عَبْدِكَ لِيَكُونَ إِلَى ٱلْأَبَدِ أَمَامَكَ، لِأَنَّكَ أَنْتَ يَا سَيِّدِي ٱلرَّبَّ قَدْ تَكَلَّمْتَ. فَلْيُبَارَكْ بَيْتُ عَبْدِكَ بِبَرَكَتِكَ إِلَى ٱلْأَبَدِ». ٢٩ 29
तब आपके सेवक के वंश पर आपकी कृपादृष्टि बनाए रखने में आप प्रभु याहवेह की संतुष्टि हो, कि यह वंश आपके सामने हमेशा आगे ही बढ़ता जाए; क्योंकि यह आपने ही कहा है. आपके आशीर्वाद से आपके सेवक का वंश हमेशा के लिए आशीषित हो जाए.”

< صَمُوئِيلَ ٱلثَّانِي 7 >