< صَمُوئِيلَ ٱلثَّانِي 19 >

فَأُخْبِرَ يُوآبُ: «هُوَذَا ٱلْمَلِكُ يَبْكِي وَيَنُوحُ عَلَى أَبْشَالُومَ». ١ 1
योआब को इसकी सूचना इस प्रकार दी गई, “अपने राजा रो-रोकर अबशालोम के लिए विलाप कर रहे हैं.”
فَصَارَتِ ٱلْغَلَبَةُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ مَنَاحَةً عِنْدَ جَمِيعِ ٱلشَّعْبِ، لِأَنَّ ٱلشَّعْبَ سَمِعُوا فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ مَنْ يَقُولُ إِنَّ ٱلْمَلِكَ قَدْ تَأَسَّفَ عَلَى ٱبْنِهِ. ٢ 2
तब उस दिन विजय का हर्ष सारी सेना के लिए विलाप में बदल गया; क्योंकि सेना को यह बताया गया था, “महाराज अपने पुत्र के लिए रो रहे है.” उस दिन की जीत की खुशी गहरी उदासी में बदल गई थी.
وَتَسَلَّلَ ٱلشَّعْبُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ لِلدُّخُولِ إِلَى ٱلْمَدِينَةِ كَمَا يَتَسَلَّلُ ٱلْقَوْمُ ٱلْخَجِلُونَ عِنْدَمَا يَهْرُبُونَ فِي ٱلْقِتَالِ. ٣ 3
फलस्वरूप, सैनिक नगर में चुपके-चुपके ऐसे प्रवेश कर रहे थे, मानो वे लज्जित होकर युद्ध में शत्रु को पीठ दिखाकर भाग आए हों.
وَسَتَرَ ٱلْمَلِكُ وَجْهَهُ وَصَرَخَ ٱلْمَلكُ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ: «يَا ٱبْنِي أَبْشَالُومُ، يَا أَبْشَالُومُ ٱبْنِي، يَا ٱبْنِي!». ٤ 4
राजा अपना मुखमंडल ढांप कर ऊंची आवाज में रो रहे थे, “मेरे पुत्र अबशालोम, मेरे पुत्र, मेरे पुत्र!”
فَدَخَلَ يُوآبُ إِلَى ٱلْمَلِكِ إِلَى ٱلْبَيْتِ وَقَالَ: «قَدْ أَخْزَيْتَ ٱلْيَوْمَ وُجُوهَ جَمِيعِ عَبِيدِكَ، مُنْقِذِي نَفْسِكَ ٱلْيَوْمَ وَأَنْفُسِ بَنِيكَ وَبَنَاتِكَ وَأَنْفُسِ نِسَائِكَ وَأَنْفُسِ سَرَارِيِّكَ، ٥ 5
तब योआब ने उस कमरे में जाकर राजा से कहा, “आज आपने अपने उन सभी अधिकारियों का मुख लज्जा से झुका दिया है, जिन्होंने आपकी और आपके पुत्र-पुत्रियों, पत्नियों और उपपत्नियों के जीवन की रक्षा की है.
بِمَحَبَّتِكَ لِمُبْغِضِيكَ وَبُغْضِكَ لِمُحِبِّيكَ، لِأَنَّكَ أَظْهَرْتَ ٱلْيَوْمَ أَنَّهُ لَيْسَ لَكَ رُؤَسَاءُ وَلَا عَبِيدٌ، لِأَنِّي عَلِمْتُ ٱلْيَوْمَ أَنَّهُ لَوْ كَانَ أَبْشَالُومُ حَيًّا وَكُلُّنَا ٱلْيَوْمَ مَوْتَى، لَحَسُنَ حِينَئِذٍ ٱلْأَمْرُ فِي عَيْنَيْكَ. ٦ 6
आप उनसे तो प्रेम करते हैं, जिन्हें आपसे प्रेम नहीं, और उनसे घृणा करते हैं, जो आपसे प्रेम करते हैं. आज आपने यह साफ़ कर दिया है कि आपकी दृष्टि में न तो अधिकारियों का कोई महत्व है, न सैनिकों का. आज मुझे यह मालूम हो गया है कि आज यदि अबशालोम जीवित होता और हम सभी मृत, तो आपको अत्यंत हर्ष होता.
فَٱلْآنَ قُمْ وَٱخْرُجْ وَطَيِّبْ قُلُوبَ عَبِيدِكَ، لِأَنِّي قَدْ أَقْسَمْتُ بِٱلرَّبِّ إِنَّهُ إِنْ لَمْ تَخْرُجْ لَا يَبِيتُ أَحَدٌ مَعَكَ هَذِهِ ٱللَّيْلَةَ، وَيَكُونُ ذَلِكَ أَشَرَّ عَلَيْكَ مِنْ كُلِّ شَرٍّ أَصَابَكَ مُنْذُ صِبَاكَ إِلَى ٱلْآنَ». ٧ 7
अब ऐसा कीजिए: उठिए, बाहर आइए और अपने सैनिकों से सांत्वनापूर्ण शब्दों में बातें कीजिए, नहीं तो जीवित याहवेह की शपथ, यदि आप यह न करेंगे, एक भी सैनिक आज रात आपके साथ देखा न जाएगा. यह आपके लिए ऐसी किसी भी विपदा से कहीं अधिक सोचने लायक होगा, जो आपके बाल्यकाल से आज तक आप पर न आन पड़ी है.”
فَقَامَ ٱلْمَلِكُ وَجَلَسَ فِي ٱلْبَابِ. فَأَخْبَرُوا جَمِيعَ ٱلشَّعْبِ قَائِلِينَ: «هُوَذَا ٱلْمَلِكُ جَالِسٌ فِي ٱلْبَابِ». فَأَتَى جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ أَمَامَ ٱلْمَلِكِ. وَأَمَّا إِسْرَائِيلُ فَهَرَبُوا كُلُّ وَاحِدٍ إِلَى خَيْمَتِهِ. ٨ 8
तब राजा उठे और नगर द्वार पर जाकर बैठ गए, जब लोगों ने यह सुना, “सुनो, सुनो, राजा द्वार पर बैठे हुए है,” तो लोग राजा के निकट आने लगे. इस्राएली अपने-अपने घर भाग जा चुके थे.
وَكَانَ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ فِي خِصَامٍ فِي جَمِيعِ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ قَائِلِينَ: «إِنَّ ٱلْمَلِكَ قَدْ أَنْقَذَنَا مِنْ يَدِ أَعْدَائِنَا وَهُوَ نَجَّانَا مِنْ يَدِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ، وَٱلْآنَ قَدْ هَرَبَ مِنَ ٱلْأَرْضِ لِأَجْلِ أَبْشَالُومَ ٩ 9
इस्राएल के सारे गोत्रों में इस समय इस विषय पर उग्र विवाद छिड़ा हुआ था, “राजा ही हमें हमारे शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करते आए हैं, वही हमें फिलिस्तीनियों से मुक्त करते आए हैं, अब वह अबशालोम के कारण देश छोड़कर भाग गए हैं.
وَأَبْشَالُومُ ٱلَّذِي مَسَحْنَاهُ عَلَيْنَا قَدْ مَاتَ فِي ٱلْحَرْبِ. فَٱلْآنَ لِمَاذَا أَنْتُمْ سَاكِتُونَ عَنْ إِرْجَاعِ ٱلْمَلِكِ؟» ١٠ 10
यहां हमने अबशालोम का राजाभिषेक किया और वह युद्ध में मारा गया. तब अब राजा को वापस लाने के बारे में कुछ क्यों नहीं किया जा रहा?”
وَأَرْسَلَ ٱلْمَلِكُ دَاوُدُ إِلَى صَادُوقَ وَأَبِيَاثَارَ ٱلْكَاهِنَيْنِ قَائِلًا: «كَلِّمَا شُيُوخَ يَهُوذَا قَائِلَيْنِ: لِمَاذَا تَكُونُونَ آخِرِينَ فِي إِرْجَاعِ ٱلْمَلِكِ إِلَى بَيْتِهِ، وَقَدْ أَتَى كَلَامُ جَمِيعِ إِسْرَائِيلَ إِلَى ٱلْمَلِكِ فِي بَيْتِهِ؟ ١١ 11
राजा दावीद ने पुरोहित सादोक और अबीयाथर के लिए यह संदेश भेजा: “आप यहूदिया के पुरनियों से इस विषय में विचार-विमर्श करें: ‘राजा को उसके आवास में लौटा लाने के विषय में आप सबसे पीछे क्यों हैं, जबकि सारे इस्राएल इस विषय में राजा तक अपने विचार भेज चुका है?
أَنْتُمْ إِخْوَتِي. أَنْتُمْ عَظْمِي وَلَحْمِي. فَلِمَاذَا تَكُونُونَ آخِرِينَ فِي إِرْجَاعِ ٱلْمَلِكِ؟ ١٢ 12
आप मेरे रिश्तेदार हैं, आप में और मुझे में लहू-मांस का संबंध है. तब आप ही राजा की पुनःस्थापना में पीछे क्यों हैं?’
وَتَقُولَانِ لِعَمَاسَا: أَمَا أَنْتَ عَظْمِي وَلَحْمِي؟ هَكَذَا يَفْعَلُ بِيَ ٱللهُ وَهَكَذَا يَزِيدُ، إِنْ كُنْتَ لَا تَصِيرُ رَئِيسَ جَيْشٍ عِنْدِي كُلَّ ٱلْأَيَّامِ بَدَلَ يُوآبَ». ١٣ 13
अमासा से कहिये, ‘क्या तुम मेरा लहू-मांस नहीं हो? यदि योआब के स्थान पर तुम आज से ही स्थायी रूप से मेरी सेना के सेनापति का पद ग्रहण न करो, तो मैं परमेश्वर के सामने दंड के योग्य रहूंगा.’”
فَٱسْتَمَالَ بِقُلُوبِ جَمِيعِ رِجَالِ يَهُوذَا كَرَجُلٍ وَاحِدٍ، فَأَرْسَلُوا إِلَى ٱلْمَلِكِ قَائِلِينَ: «ٱرْجِعْ أَنْتَ وَجَمِيعُ عَبِيدِكَ». ١٤ 14
इस बात ने यहूदिया की जनता का हृदय एक सूत्र में बांध दिया; तब उन्होंने राजा के लिए यह संदेश भेजा, “आप और आपके सारे सेवक यहां लौट आएं.”
فَرَجَعَ ٱلْمَلِكُ وَأَتَى إِلَى ٱلْأُرْدُنِّ، وَأَتَى يَهُوذَا إِلَى ٱلْجِلْجَالِ سَائِرًا لِمُلَاقَاةِ ٱلْمَلِكِ لِيُعَبِّرَ ٱلْمَلِكَ ٱلْأُرْدُنَّ. ١٥ 15
तब राजा लौटकर यरदन नदी तक पहुंचे. तब यहूदियावासी गिलगाल नामक स्थान पर उनका स्वागत करते हुए प्रतीक्षा कर रहे थे, कि उन्हें यरदन नदी के पार ले आएं.
فَبَادَرَ شِمْعِي بْنُ جِيْرَا ٱلْبَنْيَامِينِيُّ ٱلَّذِي مِنْ بَحُورِيمَ وَنَزَلَ مَعَ رِجَالِ يَهُوذَا لِلِقَاءِ ٱلْمَلِكِ دَاوُدَ، ١٦ 16
बहुरीम नामक स्थान से बिन्यामिन के एक वंशज, गेरा के पुत्र शिमेई यहूदिया के व्यक्तियों को लेकर शीघ्रतापूर्वक राजा दावीद से भेंटकरने आ गए.
وَمَعَهُ أَلْفُ رَجُلٍ مِنْ بَنْيَامِينَ، وَصِيبَا غُلَامُ بَيْتِ شَاوُلَ وَبَنُوهُ ٱلْخَمْسَةَ عَشَرَ وَعَبِيدُهُ ٱلْعِشْرُونَ مَعَهُ، فَخَاضُوا ٱلْأُرْدُنَّ أَمَامَ ٱلْمَلِكِ. ١٧ 17
उनके साथ बिन्यामिन वंश के हज़ार व्यक्ति भी थे. उसी समय शाऊल का गृह प्रबंधक ज़ीबा भी अपने पन्द्रह पुत्रों और बीस सेवकों के साथ, ढलान पर यरदन नदी की ओर दौड़ता हुआ राजा से भेंटकरने आया.
وَعَبَرَ ٱلْقَارِبُ لِتَعْبِيرِ بَيْتِ ٱلْمَلِكِ وَلِعَمَلِ مَا يَحْسُنُ فِي عَيْنَيْهِ. وَسَقَطَ شِمْعِي بْنُ جِيْرَا أَمَامَ ٱلْمَلِكِ عِنْدَمَا عَبَرَ ٱلْأُرْدُنَّ، ١٨ 18
उन्होंने राजा के परिवार को नदी पार करने में सहायता दी, और उनकी सुविधाओं के लिए प्रयास करते रहे. राजा नदी पार करने पर ही थे, कि गेरा का पुत्र शिमेई आकर राजा के चरणों में गिर पड़ा.
وَقَالَ لِلْمَلِكِ: «لَا يَحْسِبْ لِي سَيِّدِي إِثْمًا، وَلَا تَذْكُرْ مَا ٱفْتَرَى بِهِ عَبْدُكَ يَوْمَ خُرُوجِ سَيِّدِي ٱلْمَلِكِ مِنْ أُورُشَلِيمَ، حَتَّى يَضَعَ ٱلْمَلِكُ ذَلِكَ فِي قَلْبِهِ، ١٩ 19
उसने राजा से तेज आवाज में विनती की, “मेरे स्वामी, न तो मुझे दोषी ठहराएं और न ही मेरे उस गलत व्यवहार को याद रखें, जो मैंने मेरे स्वामी महाराज के येरूशलेम से जाने के अवसर में किया था. महाराज इसे अपने हृदय में न रखें.
لِأَنَّ عَبْدَكَ يَعْلَمُ أَنِّي قَدْ أَخْطَأْتُ، وَهَأَنَذَا قَدْ جِئْتُ ٱلْيَوْمَ أَوَّلَ كُلِّ بَيْتِ يُوسُفَ، وَنَزَلْتُ لِلِقَاءِ سَيِّدِي ٱلْمَلِكِ». ٢٠ 20
आपके सेवक को यह पता है, कि मैंने यह पाप किया है. इसलिये यह देखिए, आज मैं ही सारे योसेफ़ वंश में से पहला हूं, जो महाराज, मेरे स्वामी से भेंटकरने आया हूं.”
فَأَجَابَ أَبِيشَايُ ٱبْنُ صَرُويَةَ وَقَالَ: «أَلَا يُقْتَلُ شِمْعِي لِأَجْلِ هَذَا، لِأَنَّهُ سَبَّ مَسِيحَ ٱلرَّبِّ؟» ٢١ 21
ज़ेरुइयाह के पुत्र अबीशाई ने इसके लिए सुझाव दिया, “क्या सही नहीं कि जो कुछ शिमेई ने किया है, उसके लिए उसे मृत्यु दंड दिया जाए? उसने याहवेह के अभिषिक्त को शाप दिया था.”
فَقَالَ دَاوُدُ: «مَا لِي وَلَكُمْ يَا بَنِي صَرُويَةَ حَتَّى تَكُونُوا لِيَ ٱلْيَوْمَ مُقَاوِمِينَ؟ آلْيَوْمَ يُقْتَلُ أَحَدٌ فِي إِسْرَائِيلَ؟ أَفَمَا عَلِمْتُ أَنِّي ٱلْيَوْمَ مَلِكٌ عَلَى إِسْرَائِيلَ؟» ٢٢ 22
“तुम ज़ेरुइयाह के पुत्रो,” दावीद ने कहा, “क्या लेना देना है मेरा तुम्हारा? क्या कारण है तुम आज मेरे विपरीत ही जा रहे हो? क्या आज वह दिन है, जिसमें इस्राएल के किसी भी व्यक्ति को प्राण-दंड दिया जाना सही होगा? क्या मुझे यह मालूम नहीं कि मैं इस समय इस्राएल का राजा हूं?”
ثُمَّ قَالَ ٱلْمَلِكُ لِشِمْعِي: «لَا تَمُوتُ». وَحَلَفَ لَهُ ٱلْمَلِكُ. ٢٣ 23
तब शिमेई से उन्मुख हो राजा ने कहा, “तुम्हें मृत्यु दंड नहीं दिया जाएगा.” इसके लिए राजा ने उससे शपथ खाई.
وَنَزَلَ مَفِيبُوشَثُ ٱبْنُ شَاوُلَ لِلِقَاءِ ٱلْمَلِكِ، وَلَمْ يَعْتَنِ بِرِجْلَيْهِ، وَلَا ٱعْتَنَى بِلِحْيَتِهِ، وَلَا غَسَلَ ثِيَابَهُ، مِنَ ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي ذَهَبَ فِيهِ ٱلْمَلِكُ إِلَى ٱلْيَوْمِ ٱلَّذِي أَتَى فِيهِ بِسَلَامٍ. ٢٤ 24
शाऊल का पुत्र मेफ़िबोशेथ भी राजा से भेंटकरने आया. जिस दिन से राजा ने पलायन किया था, उस दिन से राजा के सुरक्षित लौटने तक उसने पैरों का ध्यान न रखा था, न अपनी दाढ़ी का प्रसाधन किया था, और न ही उसने धुले हुए कपड़े पहने थे.
فَلَمَّا جَاءَ إِلَى أُورُشَلِيمَ لِلِقَاءِ ٱلْمَلِكِ، قَالَ لَهُ ٱلْمَلِكُ: «لِمَاذَا لَمْ تَذْهَبْ مَعِي يَامَفِيبُوشَثُ؟» ٢٥ 25
जब वह राजा से भेंटकरने येरूशलेम में आया, राजा ने उससे कहा, “मेफ़िबोशेथ, पलायन करते समय तुम मेरे साथ क्यों नहीं थे?”
فَقَالَ: «يَا سَيِّدِي ٱلْمَلِكُ إِنَّ عَبْدِي قَدْ خَدَعَنِي، لِأَنَّ عَبْدَكَ قَالَ: أَشُدُّ لِنَفْسِيَ ٱلْحِمَارَ فَأَرْكَبُ عَلَيْهِ وَأَذْهَبُ مَعَ ٱلْمَلِكِ، لِأَنَّ عَبْدَكَ أَعْرَجُ. ٢٦ 26
उसने उत्तर में कहा, “महाराज, मेरे स्वामी, मेरे सेवक ने मेरे साथ छल किया. आपके सेवक ने उससे कह रखा था, ‘मैं अपने लिए गधे की काठी कसूंगा कि मैं उस पर चढ़कर राजा के निकट जा सकूं,’ क्योंकि मैं ठहरा अपंग.
وَوَشَى بِعَبْدِكَ إِلَى سَيِّدِي ٱلْمَلِكِ، وَسَيِّدِي ٱلْمَلِكُ كَمَلَاكِ ٱللهِ. فَٱفْعَلْ مَا يَحْسُنُ فِي عَيْنَيْكَ. ٢٧ 27
इसके अलावा उसने महाराज, मेरे स्वामी से आपके सेवक के विरुद्ध झूठा आरोप भी प्रसारित कर दी; मगर महाराज, मेरे स्वामी, आप परमेश्वर के स्वर्गदूत तुल्य हैं; आपको जो कुछ सही लगे, आप वही करें.
لِأَنَّ كُلَّ بَيْتِ أَبِي لَمْ يَكُنْ إِلَا أُنَاسًا مَوْتَى لِسَيِّدِي ٱلْمَلِكِ، وَقَدْ جَعَلْتَ عَبْدَكَ بَيْنَ ٱلْآكِلِينَ عَلَى مَائِدَتِكَ. فَأَيُّ حَقٍّ لِي بَعْدُ حَتَّى أَصْرُخَ أَيْضًا إِلَى ٱلْمَلِكِ؟» ٢٨ 28
महाराज मेरे स्वामी के सामने, मेरे पिता का वंश मृतकों के समान छोटा था, फिर भी आपने अपने सेवक को उनमें स्थान दिया, जो आपके साथ भोजन करने के लिए चुने गए थे. महाराज से इससे अधिक अपेक्षा करने का मेरा अधिकार ही नहीं रह जाता.”
فَقَالَ لَهُ ٱلْمَلِكُ: «لِمَاذَا تَتَكَلَّمُ بَعْدُ بِأُمُورِكَ؟ قَدْ قُلْتُ إِنَّكَ أَنْتَ وَصِيبَا تَقْسِمَانِ ٱلْحَقْلَ». ٢٩ 29
राजा ने उससे कहा, “अब ज्यादा बोलने से क्या लाभ? मैंने यह निश्चय किया है कि तुम्हारे और ज़ीबा के बीच संपत्ति को बांट दिया जाएगा.”
فَقَالَ مَفِيبُوشَثُ لِلْمَلِكِ: «فَلْيَأْخُذِ ٱلْكُلَّ أَيْضًا بَعْدَ أَنْ جَاءَ سَيِّدِي ٱلْمَلِكُ بِسَلَامٍ إِلَى بَيْتِهِ». ٣٠ 30
मेफ़िबोशेथ ने राजा से कहा, “आप उसे संपूर्ण संपत्ति ही ले लेने दें. मेरे लिए यही काफ़ी है कि महाराज, मेरे स्वामी सुरक्षित लौट आए हैं.”
وَنَزَلَ بَرْزِلَّايُ ٱلْجِلْعَادِيُّ مِنْ رُوجَلِيمَ وَعَبَرَ ٱلْأُرْدُنَّ مَعَ ٱلْمَلِكِ لِيُشَيِّعَهُ عِنْدَ ٱلْأُرْدُنِّ. ٣١ 31
रोगेलिम नामक स्थान से गिलआदवासी बारज़िल्लई भी आए हुए थे. वह राजा के साथ साथ यरदन नदी तक गए थे, कि उन्हें यरदन नदी पार उतार दें.
وَكَانَ بَرْزِلَّايُ قَدْ شَاخَ جِدًّا. كَانَ ٱبْنَ ثَمَانِينَ سَنَةً. وَهُوَ عَالَ ٱلْمَلِكَ عِنْدَ إِقَامَتِهِ فِي مَحَنَايِمَ لِأَنَّهُ كَانَ رَجُلًا عَظِيمًا جِدًّا. ٣٢ 32
बारज़िल्लई बहुत वृद्ध व्यक्ति थे, वह अस्सी वर्षीय थे. राजा के माहानाईम पड़ाव के अवसर पर उन्हीं ने राजा की सुरक्षा का प्रबंध किया था, क्योंकि वहां वह अत्यंत प्रतिष्ठित व्यक्ति थे.
فَقَالَ ٱلْمَلِكُ لِبَرْزِلَّايَ: «ٱعْبُرْ أَنْتَ مَعِي وَأَنَا أَعُولُكَ مَعِي فِي أُورُشَلِيمَ». ٣٣ 33
राजा ने बारज़िल्लई से कहा, “आप मेरे साथ नदी पार कर चलिए. येरूशलेम में आप मेरे साथ रहेंगे, मैं आपको आश्रय दूंगा.”
فَقَالَ بَرْزِلَّايُ لِلْمَلِكِ: «كَمْ أَيَّامُ سِنِي حَيَاتِي حَتَّى أَصْعَدَ مَعَ ٱلْمَلِكِ إِلَى أُورُشَلِيمَ؟ ٣٤ 34
मगर बारज़िल्लई ने राजा को उत्तर दिया, “और कितने दिन बाकी हैं मेरे जीवन के, कि मैं महाराज के साथ येरूशलेम चलूं?
أَنَا ٱلْيَوْمَ ٱبْنُ ثَمَانِينَ سَنَةً. هَلْ أُمَيِّزُ بَيْنَ ٱلطَّيِّبِ وَٱلرَّدِيءِ؟ وَهَلْ يَسْتَطْعِمُ عَبْدُكَ بِمَا آكُلُ وَمَا أَشْرَبُ؟ وَهَلْ أَسْمَعُ أَيْضًا أَصْوَاتَ ٱلْمُغَنِّينَ وَٱلْمُغَنِّيَاتِ؟ فَلِمَاذَا يَكُونُ عَبْدُكَ أَيْضًا ثِقْلًا عَلَى سَيِّدِي ٱلْمَلِكِ؟ ٣٥ 35
इस समय मेरी आयु अस्सी वर्ष की है. क्या मुझमें अब यह बोध रह गया है कि सुखद क्या है, और क्या नहीं? क्या आपके सेवक में अब भोजन और पेय से संबंधित स्वाद बोध शेष रह गया है? अथवा क्या में अब भी स्त्री-पुरुष गायक-वृन्द की प्रस्तुति सुनने में समर्थ रह गया हूं? तब क्या लाभ है कि आपका सेवक महाराज मेरे स्वामी पर अतिरिक्त बोझ बनकर रहे?
يَعْبُرُ عَبْدُكَ قَلِيلًا ٱلْأُرْدُنَّ مَعَ ٱلْمَلِكِ. وَلِمَاذَا يُكَافِئُنِي ٱلْمَلِكُ بِهَذِهِ ٱلْمُكَافَأَةِ؟ ٣٦ 36
आपका सेवक महाराज के साथ मात्र यरदन नदी पार ही करेगा, पर क्या आवश्यकता है कि महाराज प्रतिफल में यह पुरस्कार दें.
دَعْ عَبْدَكَ يَرْجِعُ فَأَمُوتَ فِي مَدِينَتِي عِنْدَ قَبْرِ أَبِي وَأُمِّي. وَهُوَذَا عَبْدُكَ كِمْهَامُ يَعْبُرُ مَعَ سَيِّدِي ٱلْمَلِكِ، فَٱفْعَلْ لَهُ مَا يَحْسُنُ فِي عَيْنَيْكَ». ٣٧ 37
कृपा कर अपने सेवक को लौटने की अनुमति प्रदान करें, कि मेरा देहांत मेरे ही गृहनगर में, मेरी माता-पिता की कब्र के निकट ही हो. हां, यह किमहाम है, मेरा पुत्र, आपका सेवक. उसे ही आज्ञा दें कि वह महाराज मेरे स्वामी के साथ जाए, और आपकी उपयुक्त इच्छा पूर्ण करता रहे.”
فَأَجَابَ ٱلْمَلِكُ: «إِنَّ كِمْهَامَ يَعْبُرُ مَعِي فَأَفْعَلُ لَهُ مَا يَحْسُنُ فِي عَيْنَيْكَ، وَكُلُّ مَا تَتَمَنَّاهُ مِنِّي أَفْعَلُهُ لَكَ». ٣٨ 38
राजा ने सहमति प्रदान की: “किमहाम मेरे साथ अवश्य जाएगा, और मैं उसके लिए वही करूंगा, जो आपकी अभिलाषा है, साथ ही मैं आपके लिए भी वहीं करूंगा, जो मुझसे आपकी इच्छा है.”
فَعَبَرَ جَمِيعُ ٱلشَّعْبِ ٱلْأُرْدُنَّ، وَٱلْمَلِكُ عَبَرَ. وَقَبَّلَ ٱلْمَلِكُ بَرْزِلَّايَ وَبَارَكَهُ، فَرَجَعَ إِلَى مَكَانِهِ. ٣٩ 39
इसके बाद सभी यरदन नदी के पार चले गए, राजा ने भी नदी पार की. तब राजा ने बारज़िल्लई का चुंबन लेते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया. इसके बाद बारज़िल्लई अपने घर लौट गए.
وَعَبَرَ ٱلْمَلِكُ إِلَى ٱلْجِلْجَالِ، وَعَبَرَ كِمْهَامُ مَعَهُ، وَكُلُّ شَعْبِ يَهُوذَا عَبَّرُوا ٱلْمَلِكَ، وَكَذَلِكَ نِصْفُ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ. ٤٠ 40
राजा गिलगाल की ओर बढ़ते गए. किमहाम राजा के साथ था. राजा के साथ यहूदिया की सभी सेना और इस्राएल की आधी सेना थी.
وَإِذَا بِجَمِيعِ رِجَالِ إِسْرَائِيلَ جَاءُونَ إِلَى ٱلْمَلِكِ، وَقَالُوا لِلْمَلِكِ: «لِمَاذَا سَرِقَكَ إِخْوَتُنَا رِجَالُ يَهُوذَا وَعَبَرُوا ٱلْأُرْدُنَّ بِٱلْمَلِكِ وَبَيْتِهِ وَكُلِّ رِجَالِ دَاوُدَ مَعَهُ؟». ٤١ 41
तब इस्राएल के सभी व्यक्ति आकर राजा से कहने लगे, “ऐसा क्यों हुआ है कि हमारे भाई-बंधुओं, यहूदियावासियों ने चुपके-चुपके यरदन के उस पार जाकर, राजा और उनके परिवार को और उनके सारे साथियों को यहां ले आए है?”
فَأَجَابَ كُلُّ رِجَالِ يَهُوذَا رِجَالَ إِسْرَائِيلَ: «لِأَنَّ ٱلْمَلِكَ قَرِيبٌ إِلَيَّ، وَلِمَاذَا تَغْتَاظُ مِنْ هَذَا ٱلْأَمْرِ؟ هَلْ أَكَلْنَا شَيْئًا مِنَ ٱلْمَلِكِ أَوْ وَهَبَنَا هِبَةً؟» ٤٢ 42
यहूदिया के सभी निवासियों ने इस्राएल के निवासियों को उत्तर दिया, “इसलिये, कि राजा हमारे निकट संबंधी हैं. इस पर क्रुद्ध होने का क्या कारण है? क्या हमने अपने भोजन के लिए राजा की धनराशि में से खर्च किया है? अथवा क्या उन्होंने हमें उपहार में कुछ दिया है?”
فَأَجَابَ رِجَالُ إِسْرَائِيلَ رِجَالَ يَهُوذَا وَقَالُوا: «لِي عَشْرَةُ أَسْهُمٍ فِي ٱلْمَلِكِ، وَأَنَا أَحَقُّ مِنْكَ بِدَاوُدَ، فَلِمَاذَا ٱسْتَخْفَفْتَ بِي وَلَمْ يَكُنْ كَلَامِي أَوَّلًا فِي إِرْجَاعِ مَلِكِي؟» وَكَانَ كَلَامُ رِجَالِ يَهُوذَا أَقْسَى مِنْ كَلَامِ رِجَالِ إِسْرَائِيلَ. ٤٣ 43
यह सुन इस्राएलियों ने यहूदियावासियों को उत्तर दिया, “राजा में हमारे दस अंश निहित है. तब दावीद पर हमारा अधिकार तुमसे अधिक होता ही है. तब तुमने हमें तुच्छ क्यों समझा? क्या राजा को दोबारा प्रतिष्ठित करने का प्रस्ताव सबसे पहले हमारी ओर से ही नहीं आया था?” इसमें यहूदियावासियों के वचन इस्राएलियों के उद्गारों से अधिक प्रभावी रहे.

< صَمُوئِيلَ ٱلثَّانِي 19 >