< ٢ بطرس 2 >

وَلَكِنْ، كَانَ أَيْضًا فِي ٱلشَّعْبِ أَنْبِيَاءُ كَذَبَةٌ، كَمَا سَيَكُونُ فِيكُمْ أَيْضًا مُعَلِّمُونَ كَذَبَةٌ، ٱلَّذِينَ يَدُسُّونَ بِدَعَ هَلَاكٍ. وَإِذْ هُمْ يُنْكِرُونَ ٱلرَّبَّ ٱلَّذِي ٱشْتَرَاهُمْ، يَجْلِبُونَ عَلَى أَنْفُسِهِمْ هَلَاكًا سَرِيعًا. ١ 1
जिस तरह उस उम्मत में झूठे नबी भी थे उसी तरह तुम में भी झूठे उस्ताद होंगे, जो पोशीदा तौर पर हलाक करने वाली नई — नई बातें निकालेंगे, और उस मालिक का इन्कार करेंगे जिसने उन्हें ख़रीद लिया था, और अपने आपको जल्द हलाकत में डालेंगे।
وَسَيَتْبَعُ كَثِيرُونَ تَهْلُكَاتِهِمْ. ٱلَّذِينَ بِسَبَبِهِمْ يُجَدَّفُ عَلَى طَرِيقِ ٱلْحَقِّ. ٢ 2
और बहुत सारे उनकी बुरी आदतों की पैरवी करेंगे, जिनकी वजह से राह — ए — हक़ की बदनामी होगी।
وَهُمْ فِي ٱلطَّمَعِ يَتَّجِرُونَ بِكُمْ بِأَقْوَالٍ مُصَنَّعَةٍ، ٱلَّذِينَ دَيْنُونَتُهُمْ مُنْذُ ٱلْقَدِيمِ لَا تَتَوَانَى، وَهَلَاكُهُمْ لَا يَنْعَسُ. ٣ 3
और वो लालच से बातें बनाकर तुम को अपने नफ़े' की वजह ठहराएँगे, और जो ज़माने से उनकी सज़ा का हुक्म हो चुका है उसके आने में कुछ देर नहीं, और उनकी हलाकत सोती नहीं।
لِأَنَّهُ إِنْ كَانَ ٱللهُ لَمْ يُشْفِقْ عَلَى مَلَائِكَةٍ قَدْ أَخْطَأُوا، بَلْ فِي سَلَاسِلِ ٱلظَّلَامِ طَرَحَهُمْ فِي جَهَنَّمَ، وَسَلَّمَهُمْ مَحْرُوسِينَ لِلْقَضَاءِ، (Tartaroō g5020) ٤ 4
क्यूँकि जब ख़ुदा ने गुनाह करने वाले फ़रिश्तों को न छोड़ा, बल्कि जहन्नुम भेज कर तारीक ग़ारों में डाल दिया ताकि 'अदालत के दिन तक हिरासत में रहें, (Tartaroō g5020)
وَلَمْ يُشْفِقْ عَلَى ٱلْعَالَمِ ٱلْقَدِيمِ، بَلْ إِنَّمَا حَفِظَ نُوحًا ثَامِنًا كَارِزًا لِلْبِرِّ، إِذْ جَلَبَ طُوفَانًا عَلَى عَالَمِ ٱلْفُجَّارِ. ٥ 5
और न पहली दुनिया को छोड़ा, बल्कि बेदीन दुनिया पर तूफ़ान भेजकर रास्तबाज़ी के ऐलान करने वाले नूह समेत सात आदमियों को बचा लिया;
وَإِذْ رَمَّدَ مَدِينَتَيْ سَدُومَ وَعَمُورَةَ، حَكَمَ عَلَيْهِمَا بِٱلِٱنْقِلَابِ، وَاضِعًا عِبْرَةً لِلْعَتِيدِينَ أَنْ يَفْجُرُوا، ٦ 6
और सदूम और 'अमूरा के शहरों को मिट्टी में मिला दिया और उन्हें हलाकत की सज़ा दी और आइन्दा ज़माने के बेदीनों के लिए जा — ए — 'इबरत बना दिया,
وَأَنْقَذَ لُوطًا ٱلْبَارَّ، مَغْلُوبًا مِنْ سِيرَةِ ٱلْأَرْدِيَاءِ فِي ٱلدَّعَارَةِ. ٧ 7
और रास्तबाज़ लूत को जो बेदीनों के नापाक चाल — चलन से बहुत दुखी था रिहाई बख़्शी।
إِذْ كَانَ ٱلْبَارُّ، بِٱلنَّظَرِ وَٱلسَّمْعِ وَهُوَ سَاكِنٌ بَيْنَهُمْ، يُعَذِّبُ يَوْمًا فَيَوْمًا نَفْسَهُ ٱلْبَارَّةَ بِٱلْأَفْعَالِ ٱلْأَثِيمَةِ. ٨ 8
[चुनाँचे वो रास्तबाज़ उनमें रह कर और उनके बेशरा'कामों को देख देख कर और सुन सुन कर, गोया हर रोज़ अपने सच्चे दिल को शिकंजे में खींचता था।]
يَعْلَمُ ٱلرَّبُّ أَنْ يُنْقِذَ ٱلْأَتْقِيَاءَ مِنَ ٱلتَّجْرِبَةِ، وَيَحْفَظَ ٱلْأَثَمَةَ إِلَى يَوْمِ ٱلدِّينِ مُعَاقَبِينَ، ٩ 9
तो ख़ुदावन्द दीनदारों को आज़माइश से निकाल लेना और बदकारों को 'अदालत के दिन तक सज़ा में रखना जानता है,
وَلَا سِيَّمَا ٱلَّذِينَ يَذْهَبُونَ وَرَاءَ ٱلْجَسَدِ فِي شَهْوَةِ ٱلنَّجَاسَةِ، وَيَسْتَهِينُونَ بِٱلسِّيَادَةِ. جَسُورُونَ، مُعْجِبُونَ بِأَنْفُسِهِمْ، لَا يَرْتَعِبُونَ أَنْ يَفْتَرُوا عَلَى ذَوِي ٱلْأَمْجَادِ، ١٠ 10
खुसूसन उनको जो नापाक ख़्वाहिशों से जिस्म की पैरवी करते हैं और हुकूमत को नाचीज़ जानते हैं। वो गुस्ताख़ और नाफ़रमान हैं, और 'इज़्ज़तदारों पर ला'न ता'न करने से नहीं डरते,
حَيْثُ مَلَائِكَةٌ- وَهُمْ أَعْظَمُ قُوَّةً وَقُدْرَةً - لَا يُقَدِّمُونَ عَلَيْهِمْ لَدَى ٱلرَّبِّ حُكْمَ ٱفْتِرَاءٍ. ١١ 11
बावजूद ये कि फ़रिश्ते जो ताक़त और क़ुदरत में उनसे बड़े हैं, ख़ुदावन्द के सामने उन पर ला'न ता'न के साथ नालिश नहीं करते।
أَمَّا هَؤُلَاءِ فَكَحَيَوَانَاتٍ غَيْرِ نَاطِقَةٍ، طَبِيعِيَّةٍ، مَوْلُودَةٍ لِلصَّيْدِ وَٱلْهَلَاكِ، يَفْتَرُونَ عَلَى مَا يَجْهَلُونَ، فَسَيَهْلِكُونَ فِي فَسَادِهِمْ، ١٢ 12
लेकिन ये लोग बे'अक़्ल जानवरों की तरह हैं, जो पकड़े जाने और हलाक होने के लिए हैवान — ए — मुतल्लिक़ पैदा हुए हैं, जिन बातों से नावाक़िफ़ हैं उनके बारे में औरों पर ला'न ता'न करते हैं, अपनी ख़राबी में ख़ुद ख़राब किए जाएँगे।
آخِذِينَ أُجْرَةَ ٱلْإِثْمِ. ٱلَّذِينَ يَحْسِبُونَ تَنَعُّمَ يَوْمٍ لَذَّةً. أَدْنَاسٌ وَعُيُوبٌ، يَتَنَعَّمُونَ فِي غُرُورِهِمْ صَانِعِينَ وَلَائِمَ مَعَكُمْ. ١٣ 13
दूसरों को बुरा करने के बदले इन ही का बुरा होगा। इनको दिन दहाड़े अय्याशी करने में मज़ा आता है। ये दाग़ा बाज़ और ऐबदार हैं। जब तुम्हारे साथ खाते पीते हैं, तो अपनी तरफ़ से मुहब्बत की ज़ियाफ़त करके 'ऐश — ओ — अशरत करते हैं।
لَهُمْ عُيُونٌ مَمْلُوَّةٌ فِسْقًا، لَا تَكُفُّ عَنِ ٱلْخَطِيَّةِ، خَادِعُونَ ٱلنُّفُوسَ غَيْرَ ٱلثَّابِتَةِ. لَهُمْ قَلْبٌ مُتَدَرِّبٌ فِي ٱلطَّمَعِ. أَوْلَادُ ٱللَّعْنَةِ. ١٤ 14
उनकी आँखें जिनमें ज़िनाकार 'औरतें बसी हुई हैं, गुनाह से रुक नहीं सकतीं; वो बे क़याम दिलों को फँसाते हैं। उनका दिल लालच का मुश्ताक़ है, वो ला'नत की औलाद हैं।
قَدْ تَرَكُوا ٱلطَّرِيقَ ٱلْمُسْتَقِيمَ، فَضَلُّوا، تَابِعِينَ طَرِيقَ بَلْعَامَ بْنِ بَصُورَ ٱلَّذِي أَحَبَّ أُجْرَةَ ٱلْإِثْمِ. ١٥ 15
वो सीधी राह छोड़ कर गुमराह हो गए हैं, और बऊर के बेटे बिल'आम की राह पर हो लिए हैं, जिसने नारास्ती की मज़दूरी को 'अज़ीज़ जाना;
وَلَكِنَّهُ حَصَلَ عَلَى تَوْبِيخِ تَعَدِّيهِ، إِذْ مَنَعَ حَمَاقَةَ ٱلنَّبِيِّ حِمَارٌ أَعْجَمُ نَاطِقًا بِصَوْتِ إِنْسَانٍ. ١٦ 16
मगर अपने क़ुसूर पर ये मलामत उठाई कि एक बेज़बान गधी ने आदमी की तरह बोल कर उस नबी को दीवानगी से बाज़ रख्खा।
هَؤُلَاءِ هُمْ آبَارٌ بِلَا مَاءٍ، غُيُومٌ يَسُوقُهَا ٱلنَّوْءُ. ٱلَّذِينَ قَدْ حُفِظَ لَهُمْ قَتَامُ ٱلظَّلَامِ إِلَى ٱلْأَبَدِ. (questioned) ١٧ 17
वो अन्धे कुँए हैं, और ऐसे बादल है जिसे आँधी उड़ाती है; उनके लिए बेहद तारीकी घिरी है।
لِأَنَّهُمْ إِذْ يَنْطِقُونَ بِعَظَائِمِ ٱلْبُطْلِ، يَخْدَعُونَ بِشَهَوَاتِ ٱلْجَسَدِ فِي ٱلدَّعَارَةِ، مَنْ هَرَبَ قَلِيلًا مِنَ ٱلَّذِينَ يَسِيرُونَ فِي ٱلضَّلَالِ، ١٨ 18
वो घमण्ड की बेहूदा बातें बक बक कर बुरी आदतों के ज़रिए से, उन लोगों को जिस्मानी ख़्वाहिशों में फँसाते हैं जो गुमराही में से निकल ही रहे हैं।
وَاعِدِينَ إِيَّاهُمْ بِٱلْحُرِّيَّةِ، وَهُمْ أَنْفُسُهُمْ عَبِيدُ ٱلْفَسَادِ. لِأَنَّ مَا ٱنْغَلَبَ مِنْهُ أَحَدٌ، فَهُوَ لَهُ مُسْتَعْبَدٌ أَيْضًا! ١٩ 19
जो उनसे तो आज़ादी का वा'दा करते हैं और आप ख़राबी के ग़ुलाम बने हुए हैं, क्यूँकि जो शख़्स जिससे मग़लूब है वो उसका ग़ुलाम है।
لِأَنَّهُ إِذَا كَانُوا، بَعْدَمَا هَرَبُوا مِنْ نَجَاسَاتِ ٱلْعَالَمِ، بِمَعْرِفَةِ ٱلرَّبِّ وَٱلْمُخَلِّصِ يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ، يَرْتَبِكُونَ أَيْضًا فِيهَا، فَيَنْغَلِبُونَ، فَقَدْ صَارَتْ لَهُمُ ٱلْأَوَاخِرُ أَشَرَّ مِنَ ٱلْأَوَائِلِ. ٢٠ 20
जब वो ख़ुदावन्द और मुन्जी ईसा मसीह की पहचान के वसीले से दुनिया की आलूदगी से छुट कर, फिर उनमें फँसे और उनसे मग़लूब हुए, तो उनका पिछला हाल पहले से भी बदतर हुआ।
لِأَنَّهُ كَانَ خَيْرًا لَهُمْ لَوْ لَمْ يَعْرِفُوا طَرِيقَ ٱلْبِرِّ، مِنْ أَنَّهُمْ بَعْدَمَا عَرَفُوا، يَرْتَدُّونَ عَنِ ٱلْوَصِيَّةِ ٱلْمُقَدَّسَةِ ٱلْمُسَلَّمَةِ لَهُمْ. ٢١ 21
क्यूँकि रास्तबाज़ी की राह का न जानना उनके लिए इससे बेहतर होता कि उसे जान कर उस पाक हुक्म से फिर जाते, जो उन्हें सौंपा गया था।
قَدْ أَصَابَهُمْ مَا فِي ٱلْمَثَلِ ٱلصَّادِقِ: «كَلْبٌ قَدْ عَادَ إِلَى قَيْئِهِ»، وَ«خِنْزِيرَةٌ مُغْتَسِلَةٌ إِلَى مَرَاغَةِ ٱلْحَمْأَةِ». ٢٢ 22
उन पर ये सच्ची मिसाल सादिक़ आती है, कुत्ता अपनी क़ै की तरफ़ रुजू' करता है, और नहलाई हुई सूअरनी दलदल में लोटने की तरफ़।

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