< اَلْمُلُوكِ ٱلثَّانِي 7 >

وَقَالَ أَلِيشَعُ: «ٱسْمَعُوا كَلَامَ ٱلرَّبِّ. هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: فِي مِثْلِ هَذَا ٱلْوَقْتِ غَدًا تَكُونُ كَيْلَةُ ٱلدَّقِيقِ بِشَاقِلٍ، وَكَيْلَتَا ٱلشَّعِيرِ بِشَاقِلٍ فِي بَابِ ٱلسَّامِرَةِ». ١ 1
तब एलीशा ने कहा, “यहोवा का वचन सुनो, यहोवा यह कहता है, ‘कल इसी समय सामरिया के फाटक में सआ भर मैदा एक शेकेल में और दो सआ जौ भी एक शेकेल में बिकेगा।’”
وَإِنَّ جُنْدِيًّا لِلْمَلِكِ كَانَ يَسْتَنِدُ عَلَى يَدِهِ أَجَابَ رَجُلَ ٱللهِ وَقَالَ: «هُوَذَا ٱلرَّبُّ يَصْنَعُ كُوًى فِي ٱلسَّمَاءِ! هَلْ يَكُونُ هَذَا ٱلْأَمْرُ؟» فَقَالَ: «إِنَّكَ تَرَى بِعَيْنَيْكَ، وَلَكِنْ لَا تَأْكُلُ مِنْهُ». ٢ 2
तब उस सरदार ने जिसके हाथ पर राजा तकिया करता था, परमेश्वर के भक्त को उत्तर देकर कहा, “सुन, चाहे यहोवा आकाश के झरोखे खोले, तो भी क्या ऐसी बात हो सकेगी?” उसने कहा, “सुन, तू यह अपनी आँखों से तो देखेगा, परन्तु उस अन्न में से कुछ खाने न पाएगा।”
وَكَانَ أَرْبَعَةُ رِجَالٍ بُرْصٍ عِنْدَ مَدْخَلِ ٱلْبَابِ، فَقَالَ أَحَدُهُمْ لِصَاحِبِهِ: «لِمَاذَا نَحْنُ جَالِسُونَ هُنَا حَتَّى نَمُوتَ؟ ٣ 3
चार कोढ़ी फाटक के बाहर थे; वे आपस में कहने लगे, “हम क्यों यहाँ बैठे-बैठे मर जाएँ?
إِذَا قُلْنَا نَدْخُلُ ٱلْمَدِينَةَ، فَٱلْجُوعُ فِي ٱلْمَدِينَةِ فَنَمُوتُ فِيهَا. وَإِذَا جَلَسْنَا هُنَا نَمُوتُ. فَٱلْآنَ هَلُمَّ نَسْقُطْ إِلَى مَحَلَّةِ ٱلْأَرَامِيِّينَ، فَإِنِ اِسْتَحْيَوْنَا حَيِينَا، وَإِنْ قَتَلُونَا مُتْنَا». ٤ 4
यदि हम कहें, ‘नगर में जाएँ,’ तो वहाँ मर जाएँगे; क्योंकि वहाँ अकाल पड़ा है, और यदि हम यहीं बैठे रहें, तो भी मर ही जाएँगे। तो आओ हम अराम की सेना में पकड़े जाएँ; यदि वे हमको जिलाए रखें तो हम जीवित रहेंगे, और यदि वे हमको मार डालें, तो भी हमको मरना ही है।”
فَقَامُوا فِي ٱلْعِشَاءِ لِيَذْهَبُوا إِلَى مَحَلَّةِ ٱلْأَرَامِيِّينَ. فَجَاءُوا إِلَى آخِرِ مَحَلَّةِ ٱلْأَرَامِيِّينَ فَلَمْ يَكُنْ هُنَاكَ أَحَدٌ. ٥ 5
तब वे साँझ को अराम की छावनी में जाने को चले, और अराम की छावनी की छोर पर पहुँचकर क्या देखा, कि वहाँ कोई नहीं है।
فَإِنَّ ٱلرَّبَّ أَسْمَعَ جَيْشَ ٱلْأَرَامِيِّينَ صَوْتَ مَرْكَبَاتٍ وَصَوْتَ خَيْلٍ، صَوْتَ جَيْشٍ عَظِيمٍ. فَقَالُوا ٱلْوَاحِدُ لِأَخِيهِ: «هُوَذَا مَلِكُ إِسْرَائِيلَ قَدِ ٱسْتَأْجَرَ ضِدَّنَا مُلُوكَ ٱلْحِثِّيِّينَ وَمُلُوكَ ٱلْمِصْرِيِّينَ لِيَأْتُوا عَلَيْنَا». ٦ 6
क्योंकि प्रभु ने अराम की सेना को रथों और घोड़ों की और भारी सेना की सी आहट सुनाई थी, और वे आपस में कहने लगे थे, “सुनो, इस्राएल के राजा ने हित्ती और मिस्री राजाओं को वेतन पर बुलवाया है कि हम पर चढ़ाई करें।”
فَقَامُوا وَهَرَبُوا فِي ٱلْعِشَاءِ وَتَرَكُوا خِيَامَهُمْ وَخَيْلَهُمْ وَحَمِيرَهُمُ، ٱلْمَحَلَّةَ كَمَا هِيَ، وَهَرَبُوا لِأَجْلِ نَجَاةِ أَنْفُسِهِمْ. ٧ 7
इसलिए वे साँझ को उठकर ऐसे भाग गए, कि अपने डेरे, घोड़े, गदहे, और छावनी जैसी की तैसी छोड़कर अपना-अपना प्राण लेकर भाग गए।
وَجَاءَ هَؤُلَاءِ ٱلْبُرْصُ إِلَى آخِرِ ٱلْمَحَلَّةِ وَدَخَلُوا خَيْمَةً وَاحِدَةً، فَأَكَلُوا وَشَرِبُوا وَحَمَلُوا مِنْهَا فِضَّةً وَذَهَبًا وَثِيَابًا وَمَضَوْا وَطَمَرُوهَا. ثُمَّ رَجَعُوا وَدَخَلُوا خَيْمَةً أُخْرَى وَحَمَلُوا مِنْهَا وَمَضَوْا وَطَمَرُوا. ٨ 8
जब वे कोढ़ी छावनी की छोर के डेरों के पास पहुँचे, तब एक डेरे में घुसकर खाया पिया, और उसमें से चाँदी, सोना और वस्त्र ले जाकर छिपा रखा; फिर लौटकर दूसरे डेरे में घुस गए और उसमें से भी ले जाकर छिपा रखा।
ثُمَّ قَالَ بَعْضُهُمْ لِبَعْضٍ: «لَسْنَا عَامِلِينَ حَسَنًا. هَذَا ٱلْيَوْمُ هُوَ يَوْمُ بِشَارَةٍ وَنَحْنُ سَاكِتُونَ، فَإِنِ ٱنْتَظَرْنَا إِلَى ضَوْءِ ٱلصَّبَاحِ يُصَادِفُنَا شَرٌّ. فَهَلُمَّ ٱلْآنَ نَدْخُلْ وَنُخْبِرْ بَيْتَ ٱلْمَلِكِ». ٩ 9
तब वे आपस में कहने लगे, “जो हम कर रहे हैं वह अच्छा काम नहीं है, यह आनन्द के समाचार का दिन है, परन्तु हम किसी को नहीं बताते। जो हम पौ फटने तक ठहरे रहें तो हमको दण्ड मिलेगा; सो अब आओ हम राजा के घराने के पास जाकर यह बात बता दें।”
فَجَاءُوا وَدَعَوْا بَوَّابَ ٱلْمَدِينَةِ وَأَخْبَرُوهُ قَائِلِينَ: «إِنَّنَا دَخَلْنَا مَحَلَّةَ ٱلْأَرَامِيِّينَ فَلَمْ يَكُنْ هُنَاكَ أَحَدٌ وَلَا صَوْتُ إِنْسَانٍ، وَلَكِنْ خَيْلٌ مَرْبُوطَةٌ وَحَمِيرٌ مَرْبُوطَةٌ وَخِيَامٌ كَمَا هِيَ». ١٠ 10
१०तब वे चले और नगर के चौकीदारों को बुलाकर बताया, “हम जो अराम की छावनी में गए, तो क्या देखा, कि वहाँ कोई नहीं है, और मनुष्य की कुछ आहट नहीं है, केवल बंधे हुए घोड़े और गदहे हैं, और डेरे जैसे के तैसे हैं।”
فَدَعَا ٱلْبَوَّابِينَ فَأَخْبَرُوا بَيْتَ ٱلْمَلِكِ دَاخِلًا. ١١ 11
११तब चौकीदारों ने पुकारके राजभवन के भीतर समाचार दिया।
فَقَامَ ٱلْمَلِكُ لَيْلًا وَقَالَ لِعَبِيدِهِ: «لَأُخْبِرَنَّكُمْ مَا فَعَلَ لَنَا ٱلْأَرَامِيُّونَ. عَلِمُوا أَنَّنَا جِيَاعٌ فَخَرَجُوا مِنَ ٱلْمَحَلَّةِ لِيَخْتَبِئُوا فِي حَقْلٍ قَائِلِينَ: إِذَا خَرَجُوا مِنَ ٱلْمَدِينَةِ قَبَضْنَا عَلَيْهِمْ أَحْيَاءً وَدَخَلْنَا ٱلْمَدِينَةَ». ١٢ 12
१२तब राजा रात ही को उठा, और अपने कर्मचारियों से कहा, “मैं तुम्हें बताता हूँ कि अरामियों ने हम से क्या किया है? वे जानते हैं, कि हम लोग भूखे हैं इस कारण वे छावनी में से मैदान में छिपने को यह कहकर गए हैं, कि जब वे नगर से निकलेंगे, तब हम उनको जीवित ही पकड़कर नगर में घुसने पाएँगे।”
فَأَجَابَ وَاحِدٌ مِنْ عَبِيدِهِ وَقَالَ: «فَلْيَأْخُذُوا خَمْسَةً مِنَ ٱلْخَيْلِ ٱلْبَاقِيَةِ ٱلَّتِي بَقِيَتْ فِيهَا. هِيَ نَظِيرُ كُلِّ جُمْهُورِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ بَقَوْا بِهَا، أَوْ هِيَ نَظِيرُ كُلِّ جُمْهُورِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ فَنَوْا. فَنُرْسِلُ وَنَرَى». ١٣ 13
१३परन्तु राजा के किसी कर्मचारी ने उत्तर देकर कहा, “जो घोड़े नगर में बच रहे हैं उनमें से लोग पाँच घोड़े लें, और उनको भेजकर हम हाल जान लें। वे तो इस्राएल की सब भीड़ के समान हैं जो नगर में रह गई है वरन् इस्राएल की जो भीड़ मर मिट गई है वे उसी के समान हैं।”
فَأَخَذُوا مَرْكَبَتَيْ خَيْلٍ. وَأَرْسَلَ ٱلْمَلِكُ وَرَاءَ جَيْشِ ٱلْأَرَامِيِّينَ قَائِلًا: «ٱذْهَبُوا وَٱنْظُرُوا». ١٤ 14
१४अतः उन्होंने दो रथ और उनके घोड़े लिये, और राजा ने उनको अराम की सेना के पीछे भेजा; और कहा, “जाओ, देखो।”
فَٱنْطَلَقُوا وَرَاءَهُمْ إِلَى ٱلْأُرْدُنِّ، وَإِذَا كُلُّ ٱلطَّرِيقِ مَلآنٌ ثِيَابًا وَآنِيَةً قَدْ طَرَحَهَا ٱلْأَرَامِيُّونَ مِنْ عَجَلَتِهِمْ. فَرَجَعَ ٱلرُّسُلُ وَأَخْبَرُوا ٱلْمَلِكَ. ١٥ 15
१५तब वे यरदन तक उनके पीछे चले गए, और क्या देखा, कि पूरा मार्ग वस्त्रों और पात्रों से भरा पड़ा है, जिन्हें अरामियों ने उतावली के मारे फेंक दिया था; तब दूत लौट आए, और राजा से यह कह सुनाया।
فَخَرَجَ ٱلشَّعْبُ وَنَهَبُوا مَحَلَّةَ ٱلْأَرَامِيِّينَ. فَكَانَتْ كَيْلَةُ ٱلدَّقِيقِ بِشَاقِلٍ، وَكَيْلَتَا ٱلشَّعِيرِ بِشَاقِلٍ حَسَبَ كَلَامِ ٱلرَّبِّ. ١٦ 16
१६तब लोगों ने निकलकर अराम के डेरों को लूट लिया; और यहोवा के वचन के अनुसार एक सआ मैदा एक शेकेल में, और दो सआ जौ एक शेकेल में बिकने लगा।
وَأَقَامَ ٱلْمَلِكُ عَلَى ٱلْبَابِ ٱلْجُنْدِيَّ ٱلَّذِي كَانَ يَسْتَنِدُ عَلَى يَدِهِ، فَدَاسَهُ ٱلشَّعْبُ فِي ٱلْبَابِ، فَمَاتَ كَمَا قَالَ رَجُلُ ٱللهِ ٱلَّذِي تَكَلَّمَ عِنْدَ نُزُولِ ٱلْمَلِكِ إِلَيْهِ. ١٧ 17
१७अब राजा ने उस सरदार को जिसके हाथ पर वह तकिया करता था फाटक का अधिकारी ठहराया; तब वह फाटक में लोगों के पाँवों के नीचे दबकर मर गया। यह परमेश्वर के भक्त के उस वचन के अनुसार हुआ जो उसने राजा से उसके यहाँ आने के समय कहा था।
فَإِنَّهُ لَمَّا تَكَلَّمَ رَجُلُ ٱللهِ إِلَى ٱلْمَلِكِ قَائِلًا: «كَيْلَتَا شَعِيرٍ بِشَاقِلٍ وَكَيْلَةُ دَقِيقٍ بِشَاقِلٍ تَكُونُ فِي مِثْلِ هَذَا ٱلْوَقْتِ غَدًا فِي بَابِ ٱلسَّامِرَةِ» ١٨ 18
१८परमेश्वर के भक्त ने जैसा राजा से यह कहा था, “कल इसी समय सामरिया के फाटक में दो सआ जौ एक शेकेल में, और एक सआ मैदा एक शेकेल में बिकेगा,” वैसा ही हुआ।
وَأَجَابَ ٱلْجُنْدِيُّ رَجُلَ ٱللهِ وَقَالَ: «هُوَذَا ٱلرَّبُّ يَصْنَعُ كُوًى فِي ٱلسَّمَاءِ! هَلْ يَكُونُ مِثْلَ هَذَا ٱلْأَمْرِ؟» قَالَ: «إِنَّكَ تَرَى بِعَيْنَيْكَ وَلَكِنَّكَ لَا تَأْكُلُ مِنْهُ». ١٩ 19
१९और उस सरदार ने परमेश्वर के भक्त को, उत्तर देकर कहा था, “सुन चाहे यहोवा आकाश में झरोखे खोले तो भी क्या ऐसी बात हो सकेगी?” और उसने कहा था, “सुन, तू यह अपनी आँखों से तो देखेगा, परन्तु उस अन्न में से खाने न पाएगा।”
فَكَانَ لَهُ كَذَلِكَ. دَاسَهُ ٱلشَّعْبُ فِي ٱلْبَابِ فَمَاتَ. ٢٠ 20
२०अतः उसके साथ ठीक वैसा ही हुआ, अतएव वह फाटक में लोगों के पाँवों के नीचे दबकर मर गया।

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