< اَلْمُلُوكِ ٱلثَّانِي 22 >

كَانَ يُوشِيَّا ٱبْنَ ثَمَانِ سِنِينٍ حِينَ مَلَكَ، وَمَلَكَ إِحْدَى وَثَلَاثِينَ سَنَةً فِي أُورُشَلِيمَ، وَٱسْمُ أُمِّهِ يَدْيَدَةُ بِنْتُ عَدَايَةَ مِنْ بُصْقَةَ. ١ 1
जब यूसियाह सल्तनत करने लगा, तो आठ बरस का था, उसने इकतीस साल येरूशलेम में सल्तनत की। उसकी माँ का नाम जदीदाह था, जो बुसकती 'अदायाह की बेटी थी।
وَعَمِلَ ٱلْمُسْتَقِيمَ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ، وَسَارَ فِي جَمِيعِ طَرِيقِ دَاوُدَ أَبِيهِ، وَلَمْ يَحِدْ يَمِينًا وَلَا شِمَالًا. ٢ 2
उसने वह काम किए जो ख़ुदावन्द की नज़र में ठीक था, और अपने बाप दाऊद की सब राहों पर चला और दहने या बाएँ हाथ को न मुड़ा।
وَفِي ٱلسَّنَةِ ٱلثَّامِنَةَ عَشْرَةَ لِلْمَلِكِ يُوشِيَّا أَرْسَلَ ٱلْمَلِكُ شَافَانَ بْنَ أَصَلْيَا بْنِ مَشُّلَامَ ٱلْكَاتِبَ إِلَى بَيْتِ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: ٣ 3
और यूसियाह बादशाह के अठारहवें बरस ऐसा हुआ कि बादशाह ने साफ़न — बिन असलियाह — बिन — मसुल्लाम मुन्शी को ख़ुदावन्द के घर भेजा और कहा,
«ٱصْعَدْ إِلَى حِلْقِيَّا ٱلْكَاهِنِ ٱلْعَظِيمِ، فَيَحْسُبَ ٱلْفِضَّةَ ٱلْمُدْخَلَةَ إِلَى بَيْتِ ٱلرَّبِّ ٱلَّتِي جَمَعَهَا حَارِسُو ٱلْبَابِ مِنَ ٱلشَّعْبِ، ٤ 4
“तू ख़िलक़ियाह सरदार काहिन के पास जा, ताकि वह उस नक़दी को जो ख़ुदावन्द के घर में लाई जाती है, और जिसे दरबानों ने लोगों से लेकर जमा' किया है गिने,
فَيَدْفَعُوهَا لِيَدِ عَامِلِي ٱلشُّغْلِ ٱلْمُوَكَّلِينَ بِبَيْتِ ٱلرَّبِّ، وَيَدْفَعُوهَا إِلَى عَامِلِي ٱلشُّغْلِ ٱلَّذِي فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ لِتَرْمِيمِ ثُلَمِ ٱلْبَيْتِ: ٥ 5
और वह उसे उन कारगुज़ारों को सौंप दे जो ख़ुदावन्द के घर की निगरानी रखते हैं; और ये लोग उसे उन कारीगरों को दें जो ख़ुदावन्द के घर में काम करते हैं, ताकि हैकल की दरारों की मरम्मत हो;
لِلنَّجَّارِينَ وَٱلْبَنَّائِينَ وَٱلنَّحَّاتِينَ، وَلِشِرَاءِ أَخْشَابٍ وَحِجَارَةٍ مَنْحُوتَةٍ لِأَجْلِ تَرْمِيمِ ٱلْبَيْتِ». ٦ 6
या'नी बढ़इयों और बादशाहों और मिस्त्रियों को दें, और हैकल की मरम्मत के लिए लकड़ी और तराशे हुए पत्थरों के ख़रीदने पर ख़र्च करें।
إِلَّا أَنَّهُمْ لَمْ يُحَاسَبُوا بِٱلْفِضَّةِ ٱلْمَدْفُوعَةِ لِأَيْدِيهِمْ، لِأَنَّهُمْ إِنَّمَا عَمِلُوا بِأَمَانَةٍ. ٧ 7
लेकिन उनसे उस नक़दी का जो उनके हाथ में दी जाती थी, कोई हिसाब नहीं लिया जाता था, इसलिए कि वह अमानत दारी से काम करते थे।
فَقَالَ حِلْقِيَّا ٱلْكَاهِنُ ٱلْعَظِيمُ لِشَافَانَ ٱلْكَاتِبِ: «قَدْ وَجَدْتُ سِفْرَ ٱلشَّرِيعَةِ فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ». وَسَلَّمَ حِلْقِيَّا ٱلسِّفْرَ لِشَافَانَ فَقَرَأَهُ. ٨ 8
और सरदार काहिन ख़िलक़ियाह ने साफ़न मुन्शी से कहा, मुझे ख़ुदावन्द के घर में तौरेत की किताब मिली है।” और ख़िलक़ियाह ने किताब साफ़न को दी और उसने उसको पढ़ा।
وَجَاءَ شَافَانُ ٱلْكَاتِبُ إِلَى ٱلْمَلِكِ وَرَدَّ عَلَى ٱلْمَلِكِ جَوَابًا وَقَالَ: «قَدْ أَفْرَغَ عَبِيدُكَ ٱلْفِضَّةَ ٱلْمَوْجُودَةَ فِي ٱلْبَيْتِ وَدَفَعُوهَا إِلَى يَدِ عَامِلِي ٱلشُّغْلِ وُكَلَاءِ بَيْتِ ٱلرَّبِّ». ٩ 9
और साफ़न मुन्शी बादशाह के पास आया और बादशाह को ख़बर दी कि “तेरे ख़ादिमों ने वह नक़दी जो हैकल में मिली, लेकर उन कारगुज़ारों के हाथ में सुपुर्द की जो ख़ुदावन्द के घर की निगरानी रखते हैं।”
وَأَخْبَرَ شَافَانُ ٱلْكَاتِبُ ٱلْمَلِكَ قَائِلًا: «قَدْ أَعْطَانِي حِلْقِيَّا ٱلْكَاهِنُ سِفْرًا». وَقَرَأَهُ شَافَانُ أَمَامَ ٱلْمَلِكِ. ١٠ 10
और साफ़न मुन्शी ने बादशाह को ये भी बताया, “ख़िलक़ियाह काहिन ने एक किताब मेरे हवाले की है।” और साफ़न ने उसे बादशाह के सामने पढ़ा।
فَلَمَّا سَمِعَ ٱلْمَلِكُ كَلَامَ سِفْرِ ٱلشَّرِيعَةِ مَزَّقَ ثِيَابَهُ. ١١ 11
जब बादशाह ने तौरेत की किताब की बातें सुनीं, तो अपने कपड़े फाड़े;
وَأَمَرَ ٱلْمَلِكُ حِلْقِيَّا ٱلْكَاهِنَ وَأَخِيقَامَ بْنَ شَافَانَ وَعَكْبُورَ بْنَ مِيخَا وَشَافَانَ ٱلْكَاتِبَ وَعَسَايَا عَبْدَ ٱلْمَلِكِ قَائِلًا: ١٢ 12
और बादशाह ने ख़िलक़ियाह काहिन, और साफ़न के बेटे अख़ीक़ाम, और मीकायाह के 'अकबूर और साफ़न मुन्शी असायाह को जो बादशाह का मुलाज़िम था ये हुक्म दिया,
«ٱذْهَبُوا ٱسْأَلُوا ٱلرَّبَّ لِأَجْلِي وَلِأَجْلِ ٱلشَّعْبِ وَلِأَجْلِ كُلِّ يَهُوذَا مِنْ جِهَةِ كَلَامِ هَذَا ٱلسِّفْرِ ٱلَّذِي وُجِدَ، لِأَنَّهُ عَظِيمٌ هُوَ غَضَبُ ٱلرَّبِّ ٱلَّذِي ٱشْتَعَلَ عَلَيْنَا، مِنْ أَجْلِ أَنَّ آبَاءَنَا لَمْ يَسْمَعُوا لِكَلَامِ هَذَا ٱلسِّفْرِ لِيَعْمَلُوا حَسَبَ كُلِّ مَا هُوَ مَكْتُوبٌ عَلَيْنَا». ١٣ 13
कि “ये किताब जो मिली है, इसकी बातों के बारे में तुम जाकर मेरी और सब लोगों और सारे यहूदाह की तरफ़ से ख़ुदावन्द से दरियाफ़्त करो; क्यूँकि ख़ुदावन्द का बड़ा ग़ज़ब हम पर इसी वजह से भड़का है कि हमारे बाप — दादा ने इस किताब की बातों को न सुना, कि जो कुछ उसमें हमारे बारे में लिखा है उसके मुताबिक़ 'अमल करते।”
فَذَهَبَ حِلْقِيَّا ٱلْكَاهِنُ وَأَخِيقَامُ وَعَكْبُورُ وَشَافَانُ وَعَسَايَا إِلَى خَلْدَةَ ٱلنَّبِيَّةِ، ٱمْرَأَةِ شَلُّومَ بْنِ تِقْوَةَ بْنِ حَرْحَسَ حَارِسِ ٱلثِّيَابِ. وَهِيَ سَاكِنَةٌ فِي أُورُشَلِيمَ فِي ٱلْقِسْمِ ٱلثَّانِي وَكَلَّمُوهَا. ١٤ 14
तब ख़िलक़ियाह, काहिन और' अख़ीक़ाम और अकबूर और साफन असायाह ख़ुल्दा नबिया के पास गए, जो तोशाख़ाने के दरोग़ा सलूम बिन तिक़वा बिन ख़रख़स की बीवी थी, ये येरूशलेम में मिशना नामी महल्ले में रहती थी इसलिए उन्होंने उससे गुफ़्तगू की।
فَقَالَتْ لَهُمْ: «هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: قُولُوا لِلرَّجُلِ ٱلَّذِي أَرْسَلَكُمْ إِلَيَّ: ١٥ 15
उसने उनसे कहा, “ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है, 'तुम उस शख़्स से जिसने तुम को मेरे पास भेजा है कहना,
هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: هَأَنَذَا جَالِبٌ شَرًّا عَلَى هَذَا ٱلْمَوْضِعِ وَعَلَى سُكَّانِهِ، كُلَّ كَلَامِ ٱلسِّفْرِ ٱلَّذِي قَرَأَهُ مَلِكُ يَهُوذَا، ١٦ 16
कि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि मैं इस किताब की उन सब बातों के मुताबिक़, जिनको शाह — ए — यहूदाह ने पढ़ा है, इस मक़ाम पर और इसके सब बाशिन्दों पर बला नाज़िल करूँगा।
مِنْ أَجْلِ أَنَّهُمْ تَرَكُونِي وَأَوْقَدُوا لِآلِهَةٍ أُخْرَى لِكَيْ يُغِيظُونِي بِكُلِّ عَمَلِ أَيْدِيهِمْ، فَيَشْتَعِلُ غَضَبِي عَلَى هَذَا ٱلْمَوْضِعِ وَلَا يَنْطَفِئُ. ١٧ 17
क्यूँकि उन्होंने मुझे छोड़ दिया और गै़र — मा'बूदों के आगे ख़ुशबू जलाया, ताकि अपने हाथों के सब कामों से मुझे ग़ुस्सा दिलाएँ, इसलिए मेरा क़हर इस मक़ाम पर भड़केगा और ठण्डा न होगा।
وَأَمَّا مَلِكُ يَهُوذَا ٱلَّذِي أَرْسَلَكُمْ لِتَسْأَلُوا ٱلرَّبَّ، فَهَكَذَا تَقُولُونَ لَهُ: هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ مِنْ جِهَةِ ٱلْكَلَامِ ٱلَّذِي سَمِعْتَ: ١٨ 18
लेकिन शाह — ए — यहूदाह से जिसने तुम को ख़ुदावन्द से दरियाफ़्त करने को भेजा है, यूँ कहना कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि जो बातें तू ने सुनीं हैं उनके बारे में यह हैं कि;
مِنْ أَجْلِ أَنَّهُ قَدْ رَقَّ قَلْبُكَ وَتَوَاضَعْتَ أَمَامَ ٱلرَّبِّ حِينَ سَمِعْتَ مَا تَكَلَّمْتُ بِهِ عَلَى هَذَا ٱلْمَوْضِعِ وَعَلَى سُكَّانِهِ أَنَّهُمْ يَصِيرُونَ دَهَشًا وَلَعْنَةً، وَمَزَّقْتَ ثِيَابَكَ وَبَكَيْتَ أَمَامِي. قَدْ سَمِعْتُ أَنَا أَيْضًا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. ١٩ 19
चूँकि तेरा दिल नर्म है, और जब तू ने वह बात सुनी जो मैंने इस मक़ाम और इसके बशिन्दों के हक़ में कही कि वह तबाह हो जाएँगे और ला'नती भी ठहरेंगे, तो तू ने ख़ुदावन्द के आगे 'आजिज़ी की और अपने कपड़े फाड़े और मेरे आगे रोया; इसलिए मैंने भी तेरी सुन ली, ख़ुदावन्द फ़रमाता है।
لِذَلِكَ هَأَنَذَا أَضُمُّكَ إِلَى آبَائِكَ، فَتُضَمُّ إِلَى قَبْرِكَ بِسَلَامٍ، وَلَا تَرَى عَيْنَاكَ كُلَّ ٱلشَّرِّ ٱلَّذِي أَنَا جَالِبُهُ عَلَى هَذَا ٱلْمَوْضِعِ». فَرَدُّوا عَلَى ٱلْمَلِكِ جَوَابًا. ٢٠ 20
इसलिए देख मैं तुझे तेरे बाप — दादा के साथ मिला दूँगा, और तू अपनी क़ब्र में सलामती से उतार दिया जाएगा, और उन सब आफ़तों को जो मैं इस मक़ाम पर नाज़िल करूँगा, तेरी ऑखें नहीं देखेंगी।” इसलिए वह यह ख़बर बादशाह के पास लाए।

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