< اَلْمُلُوكِ ٱلثَّانِي 18 >

وَفِي ٱلسَّنَةِ ٱلثَّالِثَةِ لِهُوشَعَ بْنِ أَيْلَةَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ مَلَكَ حَزَقِيَّا بْنُ آحَازَ مَلِكِ يَهُوذَا. ١ 1
एला के पुत्र इस्राएल के राजा होशे के राज्य के तीसरे वर्ष में यहूदा के राजा आहाज का पुत्र हिजकिय्याह राजा हुआ।
كَانَ ٱبْنَ خَمْسٍ وَعِشْرِينَ سَنَةً حِينَ مَلَكَ، وَمَلَكَ تِسْعًا وَعِشْرِينَ سَنَةً فِي أُورُشَلِيمَ، وَٱسْمُ أُمِّهِ أَبِي ٱبْنَةُ زَكَرِيَّا. ٢ 2
जब वह राज्य करने लगा तब पच्चीस वर्ष का था, और उनतीस वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम अबी था, जो जकर्याह की बेटी थी।
وَعَمِلَ ٱلْمُسْتَقِيمَ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ حَسَبَ كُلِّ مَا عَمِلَ دَاوُدُ أَبُوهُ. ٣ 3
जैसे उसके मूलपुरुष दाऊद ने किया था जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है वैसा ही उसने भी किया।
هُوَ أَزَالَ ٱلْمُرْتَفَعَاتِ، وَكَسَّرَ ٱلتَّمَاثِيلَ، وَقَطَّعَ ٱلسَّوَارِيَ، وَسَحَقَ حَيَّةَ ٱلنُّحَاسِ ٱلَّتِي عَمِلَهَا مُوسَى لِأَنَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ كَانُوا إِلَى تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ يُوقِدُونَ لَهَا وَدَعَوْهَا «نَحُشْتَانَ». ٤ 4
उसने ऊँचे स्थान गिरा दिए, लाठों को तोड़ दिया, अशेरा को काट डाला। पीतल का जो साँप मूसा ने बनाया था, उसको उसने इस कारण चूर चूरकर दिया, कि उन दिनों तक इस्राएली उसके लिये धूप जलाते थे; और उसने उसका नाम नहुशतान रखा।
عَلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ ٱتَّكَلَ، وَبَعْدَهُ لَمْ يَكُنْ مِثْلُهُ فِي جَمِيعِ مُلُوكِ يَهُوذَا وَلَا فِي ٱلَّذِينَ كَانُوا قَبْلَهُ. ٥ 5
वह इस्राएल के परमेश्वर यहोवा पर भरोसा रखता था, और उसके बाद यहूदा के सब राजाओं में कोई उसके बराबर न हुआ, और न उससे पहले भी ऐसा कोई हुआ था।
وَٱلْتَصَقَ بِٱلرَّبِّ وَلَمْ يَحِدْ عَنْهُ، بَلْ حَفِظَ وَصَايَاهُ ٱلَّتِي أَمَرَ بِهَا ٱلرَّبُّ مُوسَى. ٦ 6
और वह यहोवा से लिपटा रहा और उसके पीछे चलना न छोड़ा; और जो आज्ञाएँ यहोवा ने मूसा को दी थीं, उनका वह पालन करता रहा।
وَكَانَ ٱلرَّبُّ مَعَهُ، وَحَيْثُمَا كَانَ يَخْرُجُ كَانَ يَنْجَحُ. وَعَصَى عَلَى مَلِكِ أَشُّورَ وَلَمْ يَتَعَبَّدْ لَهُ. ٧ 7
इसलिए यहोवा उसके संग रहा; और जहाँ कहीं वह जाता था, वहाँ उसका काम सफल होता था। और उसने अश्शूर के राजा से बलवा करके, उसकी अधीनता छोड़ दी।
هُوَ ضَرَبَ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ إِلَى غَزَّةَ وَتُخُومِهَا، مِنْ بُرْجِ ٱلنَّوَاطِيرِ إِلَى ٱلْمَدِينَةِ ٱلْمُحَصَّنَةِ. ٨ 8
उसने पलिश्तियों को गाज़ा और उसकी सीमा तक, पहरुओं के गुम्मट और गढ़वाले नगर तक मारा।
وَفِي ٱلسَّنَةِ ٱلرَّابِعَةِ لِلْمَلِكِ حَزَقِيَّا، وَهِيَ ٱلسَّنَةُ ٱلسَّابِعَةُ لِهُوشَعَ بْنِ أَيْلَةَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ، صَعِدَ شَلْمَنْأَسَرُ مَلِكُ أَشُّورَ عَلَى ٱلسَّامِرَةِ وَحَاصَرَهَا. ٩ 9
राजा हिजकिय्याह के राज्य के चौथे वर्ष में जो एला के पुत्र इस्राएल के राजा होशे के राज्य का सातवाँ वर्ष था, अश्शूर के राजा शल्मनेसेर ने सामरिया पर चढ़ाई करके उसे घेर लिया।
وَأَخَذُوهَا فِي نِهَايَةِ ثَلَاثِ سِنِينَ. فَفِي ٱلسَّنَةِ ٱلسَّادِسَةِ لِحَزَقِيَّا، وَهِيَ ٱلسَّنَةُ ٱلتَّاسِعَةُ لِهُوشَعَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ، أُخِذَتِ ٱلسَّامِرَةُ. ١٠ 10
१०और तीन वर्ष के बीतने पर उन्होंने उसको ले लिया। इस प्रकार हिजकिय्याह के राज्य के छठवें वर्ष में जो इस्राएल के राजा होशे के राज्य का नौवाँ वर्ष था, सामरिया ले लिया गया।
وَسَبَى مَلِكُ أَشُّورَ إِسْرَائِيلَ إِلَى أَشُّورَ، وَوَضَعَهُمْ فِي حَلَحَ وَخَابُورَ نَهْرِ جُوزَانَ وَفِي مُدُنِ مَادِي، ١١ 11
११तब अश्शूर का राजा इस्राएलियों को बन्दी बनाकर अश्शूर में ले गया, और हलह में और गोजान की नदी हाबोर के पास और मादियों के नगरों में उसे बसा दिया।
لِأَنَّهُمْ لَمْ يَسْمَعُوا لِصَوْتِ ٱلرَّبِّ إِلَهِهِمْ، بَلْ تَجَاوَزُوا عَهْدَهُ وَكُلَّ مَا أَمَرَ بِهِ مُوسَى عَبْدُ ٱلرَّبِّ، فَلَمْ يَسْمَعُوا وَلَمْ يَعْمَلُوا. ١٢ 12
१२इसका कारण यह था, कि उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा की बात न मानी, वरन् उसकी वाचा को तोड़ा, और जितनी आज्ञाएँ यहोवा के दास मूसा ने दी थीं, उनको टाल दिया और न उनको सुना और न उनके अनुसार किया।
وَفِي ٱلسَّنَةِ ٱلرَّابِعَةَ عَشْرَةَ لِلْمَلِكِ حَزَقِيَّا، صَعِدَ سَنْحَارِيبُ مَلِكُ أَشُّورَ عَلَى جَمِيعِ مُدُنِ يَهُوذَا ٱلْحَصِينَةِ وَأَخَذَهَا. ١٣ 13
१३हिजकिय्याह राजा के राज्य के चौदहवें वर्ष में अश्शूर के राजा सन्हेरीब ने यहूदा के सब गढ़वाले नगरों पर चढ़ाई करके उनको ले लिया।
وَأَرْسَلَ حَزَقِيَّا مَلِكُ يَهُوذَا إِلَى مَلِكِ أَشُّورَ إِلَى لَخِيشَ يَقُولُ: «قَدْ أَخْطَأْتُ. ٱرْجِعْ عَنِّي، وَمَهْمَا جَعَلْتَ عَلَيَّ حَمَلْتُهُ». فَوَضَعَ مَلِكُ أَشُّورَ عَلَى حَزَقِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا ثَلَاثَ مِئَةِ وَزْنَةٍ مِنَ ٱلْفِضَّةِ وَثَلَاثِينَ وَزْنَةً مِنَ ٱلذَّهَبِ. ١٤ 14
१४तब यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने अश्शूर के राजा के पास लाकीश को सन्देश भेजा, “मुझसे अपराध हुआ, मेरे पास से लौट जा; और जो भार तू मुझ पर डालेगा उसको मैं उठाऊँगा।” तो अश्शूर के राजा ने यहूदा के राजा हिजकिय्याह के लिये तीन सौ किक्कार चाँदी और तीस किक्कार सोना ठहरा दिया।
فَدَفَعَ حَزَقِيَّا جَمِيعَ ٱلْفِضَّةِ ٱلْمَوْجُودَةِ فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ وَفِي خَزَائِنِ بَيْتِ ٱلْمَلِكِ. ١٥ 15
१५तब जितनी चाँदी यहोवा के भवन और राजभवन के भण्डारों में मिली, उस सब को हिजकिय्याह ने उसे दे दिया।
فِي ذَلِكَ ٱلزَّمَانِ قَشَّرَ حَزَقِيَّا ٱلذَّهَبَ عَنْ أَبْوَابِ هَيْكَلِ ٱلرَّبِّ وَٱلدَّعَائِمِ ٱلَّتِي كَانَ قَدْ غَشَّاهَا حَزَقِيَّا مَلِكُ يَهُوذَا، وَدَفَعَهُ لِمَلِكِ أَشُّورَ. ١٦ 16
१६उस समय हिजकिय्याह ने यहोवा के मन्दिर के दरवाज़ो से और उन खम्भों से भी जिन पर यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने सोना मढ़ा था, सोने को छीलकर अश्शूर के राजा को दे दिया।
وَأَرْسَلَ مَلِكُ أَشُّورَ تَرْتَانَ وَرَبْسَارِيسَ وَرَبْشَاقَى مِنْ لَخِيشَ إِلَى ٱلْمَلِكِ حَزَقِيَّا بِجَيْشٍ عَظِيمٍ إِلَى أُورُشَلِيمَ، فَصَعِدُوا وَأَتَوْا إِلَى أُورُشَلِيمَ. وَلَمَّا صَعِدُوا جَاءُوا وَوَقَفُوا عِنْدَ قَنَاةِ ٱلْبِرْكَةِ ٱلْعُلْيَا ٱلَّتِي فِي طَرِيقِ حَقْلِ ٱلْقَصَّارِ. ١٧ 17
१७तो भी अश्शूर के राजा ने तर्त्तान, रबसारीस और रबशाके को बड़ी सेना देकर, लाकीश से यरूशलेम के पास हिजकिय्याह राजा के विरुद्ध भेज दिया। अतः वे यरूशलेम को गए और वहाँ पहुँचकर ऊपर के जलकुण्ड की नाली के पास धोबियों के खेत की सड़क पर जाकर खड़े हुए।
وَدَعَوْا ٱلْمَلِكَ، فَخَرَجَ إِلَيْهِمْ أَلِيَاقِيمُ بْنُ حِلْقِيَّا ٱلَّذِي عَلَى ٱلْبَيْتِ وَشِبْنَةُ ٱلْكَاتِبُ وَيُواخُ بْنُ آسَافَ ٱلْمُسَجِّلُ. ١٨ 18
१८जब उन्होंने राजा को पुकारा, तब हिल्किय्याह का पुत्र एलयाकीम जो राजघराने के काम पर था, और शेबना जो मंत्री था और आसाप का पुत्र योआह जो इतिहास का लिखनेवाला था, ये तीनों उनके पास बाहर निकल गए।
فَقَالَ لَهُمْ رَبْشَاقَى: «قُولُوا لِحَزَقِيَّا: هَكَذَا يَقُولُ ٱلْمَلِكُ ٱلْعَظِيمُ مَلِكُ أَشُّورَ: مَا ٱلِٱتِّكَالُ ٱلَّذِي ٱتَّكَلْتَ؟ ١٩ 19
१९रबशाके ने उनसे कहा, “हिजकिय्याह से कहो, कि महाराजाधिराज अर्थात् अश्शूर का राजा यह कहता है, ‘तू किस पर भरोसा करता है?
قُلْتَ إِنَّمَا كَلَامُ ٱلشَّفَتَيْنِ هُوَ مَشُورَةٌ وَبَأْسٌ لِلْحَرْبِ. وَٱلْآنَ عَلَى مَنِ ٱتَّكَلْتَ حَتَّى عَصَيْتَ عَلَيَّ؟ ٢٠ 20
२०तू जो कहता है, कि मेरे यहाँ युद्ध के लिये युक्ति और पराक्रम है, वह तो केवल बात ही बात है। तू किस पर भरोसा रखता है कि तूने मुझसे बलवा किया है?
فَٱلْآنَ هُوَذَا قَدِ ٱتَّكَلْتَ عَلَى عُكَّازِ هَذِهِ ٱلْقَصَبَةِ ٱلْمَرْضُوضَةِ، عَلَى مِصْرَ، ٱلَّتِي إِذَا تَوَكَّأَ أَحَدٌ عَلَيْهَا، دَخَلَتْ فِي كَفِّهِ وَثَقَبَتْهَا! هَكَذَا هُوَ فِرْعَوْنُ مَلِكُ مِصْرَ لِجَمِيعِ ٱلْمُتَّكِلِينَ عَلَيْهِ. ٢١ 21
२१सुन, तू तो उस कुचले हुए नरकट अर्थात् मिस्र पर भरोसा रखता है, उस पर यदि कोई टेक लगाए, तो वह उसके हाथ में चुभकर छेदेगा। मिस्र का राजा फ़िरौन अपने सब भरोसा रखनेवालों के लिये ऐसा ही है।
وَإِذَا قُلْتُمْ لِي: عَلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِنَا ٱتَّكَلْنَا، أَفَلَيْسَ هُوَ ٱلَّذِي أَزَالَ حَزَقِيَّا مُرْتَفَعَاتِهِ وَمَذَابِحَهُ، وَقَالَ لِيَهُوذَا وَلِأُورُشَلِيمَ: أَمَامَ هَذَا ٱلْمَذْبَحِ تَسْجُدُونَ فِي أُورُشَلِيمَ؟ ٢٢ 22
२२फिर यदि तुम मुझसे कहो, कि हमारा भरोसा अपने परमेश्वर यहोवा पर है, तो क्या यह वही नहीं है जिसके ऊँचे स्थानों और वेदियों को हिजकिय्याह ने दूर करके यहूदा और यरूशलेम से कहा, कि तुम इसी वेदी के सामने जो यरूशलेम में है दण्डवत् करना?’
وَٱلْآنَ رَاهِنْ سَيِّدِي مَلِكَ أَشُّورَ، فَأُعْطِيَكَ أَلْفَيْ فَرَسٍ إِنْ كُنْتَ تَقْدِرُ أَنْ تَجْعَلَ عَلَيْهَا رَاكِبِينَ. ٢٣ 23
२३तो अब मेरे स्वामी अश्शूर के राजा के पास कुछ बन्धक रख, तब मैं तुझे दो हजार घोड़े दूँगा, क्या तू उन पर सवार चढ़ा सकेगा कि नहीं?
فَكَيْفَ تَرُدُّ وَجْهَ وَالٍ وَاحِدٍ مِنْ عَبِيدِ سَيِّدِي ٱلصِّغَارِ، وَتَتَّكِلُ عَلَى مِصْرَ لِأَجْلِ مَرْكَبَاتٍ وَفُرْسَانٍ؟ ٢٤ 24
२४फिर तू मेरे स्वामी के छोटे से छोटे कर्मचारी का भी कहा न मानकर क्यों रथों और सवारों के लिये मिस्र पर भरोसा रखता है?
وَٱلْآنَ هَلْ بِدُونِ ٱلرَّبِّ صَعِدْتُ عَلَى هَذَا ٱلْمَوْضِعِ لِأَخْرِبَهُ؟ اَلرَّبُّ قَالَ لِي ٱصْعَدْ عَلَى هَذِهِ ٱلْأَرْضِ وَٱخْرِبْهَا». ٢٥ 25
२५क्या मैंने यहोवा के बिना कहे, इस स्थान को उजाड़ने के लिये चढ़ाई की है? यहोवा ने मुझसे कहा है, कि उस देश पर चढ़ाई करके उसे उजाड़ दे।”
فَقَالَ أَلِيَاقِيمُ بْنُ حِلْقِيَّا وَشِبْنَةُ وَيُواخُ لِرَبْشَاقَى: «كَلِّمْ عَبِيدَكَ بِٱلْأَرَامِيِّ لِأَنَّنَا نَفْهَمُهُ، وَلَا تُكَلِّمْنَا بِٱلْيَهُودِيِّ فِي مَسَامِعِ ٱلشَّعْبِ ٱلَّذِينَ عَلَى ٱلسُّورِ». ٢٦ 26
२६तब हिल्किय्याह के पुत्र एलयाकीम और शेबना योआह ने रबशाके से कहा, “अपने दासों से अरामी भाषा में बातें कर, क्योंकि हम उसे समझते हैं; और हम से यहूदी भाषा में शहरपनाह पर बैठे हुए लोगों के सुनते बातें न कर।”
فَقَالَ لَهُمْ رَبْشَاقَى: «هَلْ إِلَى سَيِّدِكَ وَإِلَيْكَ أَرْسَلَنِي سَيِّدِي لِكَيْ أَتَكَلَّمَ بِهَذَا ٱلْكَلَامِ؟ أَلَيْسَ إِلَى ٱلرِّجَالِ ٱلْجَالِسِينَ عَلَى ٱلسُّورِ لِيَأْكُلُوا عَذِرَتَهُمْ وَيَشْرَبُوا بَوْلَهُمْ مَعَكُمْ؟» ٢٧ 27
२७रबशाके ने उनसे कहा, “क्या मेरे स्वामी ने मुझे तुम्हारे स्वामी ही के, या तुम्हारे ही पास ये बातें कहने को भेजा है? क्या उसने मुझे उन लोगों के पास नहीं भेजा, जो शहरपनाह पर बैठे हैं, ताकि तुम्हारे संग उनको भी अपना मल खाना और अपना मूत्र पीना पड़े?”
ثُمَّ وَقَفَ رَبْشَاقَى وَنَادَى بِصَوْتٍ عَظِيمٍ بِٱلْيَهُودِيِّ وَتَكَلَّمَ قَائِلًا: «ٱسْمَعُوا كَلَامَ ٱلْمَلِكِ ٱلْعَظِيمِ مَلِكِ أَشُّورَ. ٢٨ 28
२८तब रबशाके ने खड़े हो, यहूदी भाषा में ऊँचे शब्द से कहा, “महाराजाधिराज अर्थात् अश्शूर के राजा की बात सुनो।
هَكَذَا يَقُولُ ٱلْمَلِكُ: لَا يَخْدَعْكُمْ حَزَقِيَّا، لِأَنَّهُ لَا يَقْدِرُ أَنْ يُنْقِذَكُمْ مِنْ يَدِهِ، ٢٩ 29
२९राजा यह कहता है, ‘हिजकिय्याह तुम को धोखा देने न पाए, क्योंकि वह तुम्हें मेरे हाथ से बचा न सकेगा।
وَلَا يَجْعَلْكُمْ حَزَقِيَّا تَتَّكِلُونَ عَلَى ٱلرَّبِّ قَائِلًا: إِنْقَاذًا يُنْقِذُنَا ٱلرَّبُّ وَلَا تُدْفَعُ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةُ إِلَى يَدِ مَلِكِ أَشُّورَ. ٣٠ 30
३०और वह तुम से यह कहकर यहोवा पर भरोसा कराने न पाए, कि यहोवा निश्चय हमको बचाएगा और यह नगर अश्शूर के राजा के वश में न पड़ेगा।
لَا تَسْمَعُوا لِحَزَقِيَّا. لِأَنَّهُ هَكَذَا يَقُولُ مَلِكُ أَشُّورَ: ٱعْقِدُوا مَعِي صُلْحًا، وَٱخْرُجُوا إِلَيَّ، وَكُلُوا كُلُّ وَاحِدٍ مِنْ جَفْنَتِهِ وَكُلُّ وَاحِدٍ مِنْ تِينَتِهِ، وَٱشْرَبُوا كُلُّ وَاحِدٍ مَاءَ بِئْرِهِ ٣١ 31
३१हिजकिय्याह की मत सुनो। अश्शूर का राजा कहता है कि भेंट भेजकर मुझे प्रसन्न करो और मेरे पास निकल आओ, और प्रत्येक अपनी-अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष के फल खाता और अपने-अपने कुण्ड का पानी पीता रहे।
حَتَّى آتِيَ وَآخُذَكُمْ إِلَى أَرْضٍ كَأَرْضِكُمْ، أَرْضَ حِنْطَةٍ وَخَمْرٍ، أَرْضَ خُبْزٍ وَكُرُومٍ، أَرْضَ زَيْتُونٍ وَعَسَلٍ وَٱحْيَوْا وَلَا تَمُوتُوا. وَلَا تَسْمَعُوا لِحَزَقِيَّا لِأَنَّهُ يَغُرُّكُمْ قَائِلًا: ٱلرَّبُّ يُنْقِذُنَا. ٣٢ 32
३२तब मैं आकर तुम को ऐसे देश में ले जाऊँगा, जो तुम्हारे देश के समान अनाज और नये दाखमधु का देश, रोटी और दाख की बारियों का देश, जैतून और मधु का देश है, वहाँ तुम मरोगे नहीं, जीवित रहोगे; तो जब हिजकिय्याह यह कहकर तुम को बहकाए, कि यहोवा हमको बचाएगा, तब उसकी न सुनना।
هَلْ أَنْقَذَ آلِهَةُ ٱلْأُمَمِ كُلُّ وَاحِدٍ أَرْضَهُ مِنْ يَدِ مَلِكِ أَشُّورَ؟ ٣٣ 33
३३क्या और जातियों के देवताओं ने अपने-अपने देश को अश्शूर के राजा के हाथ से कभी बचाया है?
أَيْنَ آلِهَةُ حَمَاةَ وَأَرْفَادَ؟ أَيْنَ آلِهَةُ سَفَرْوَايِمَ وَهَيْنَعَ وَعِوَّا؟ هَلْ أَنْقَذُوا ٱلسَّامِرَةَ مِنْ يَدِي؟ ٣٤ 34
३४हमात और अर्पाद के देवता कहाँ रहे? सपर्वैम, हेना और इव्वा के देवता कहाँ रहे? क्या उन्होंने सामरिया को मेरे हाथ से बचाया है,
مَنْ مِنْ كُلِّ آلِهَةِ ٱلْأَرَاضِي أَنْقَذَ أَرْضَهُمْ مِنْ يَدِي، حَتَّى يُنْقِذَ ٱلرَّبُّ أُورُشَلِيمَ مِنْ يَدِي؟». ٣٥ 35
३५देश-देश के सब देवताओं में से ऐसा कौन है, जिसने अपने देश को मेरे हाथ से बचाया हो? फिर क्या यहोवा यरूशलेम को मेरे हाथ से बचाएगा।’”
فَسَكَتَ ٱلشَّعْبُ وَلَمْ يُجِيبُوهُ بِكَلِمَةٍ، لِأَنَّ أَمْرَ ٱلْمَلِكِ كَانَ قَائِلًا: «لَا تُجِيبُوهُ». ٣٦ 36
३६परन्तु सब लोग चुप रहे और उसके उत्तर में एक बात भी न कही, क्योंकि राजा की ऐसी आज्ञा थी, कि उसको उत्तर न देना।
فَجَاءَ أَلِيَاقِيمُ بْنُ حِلْقِيَّا ٱلَّذِي عَلَى ٱلْبَيْتِ وَشِبْنَةُ ٱلْكَاتِبُ وَيُوَاخُ بْنُ آسَافَ ٱلْمُسَجِّلُ إِلَى حَزَقِيَّا وَثِيَابُهُمْ مُمَزَّقَةٌ، فَأَخْبَرُوهُ بِكَلَامِ رَبْشَاقَى. ٣٧ 37
३७तब हिल्किय्याह का पुत्र एलयाकीम जो राजघराने के काम पर था, और शेबना जो मंत्री था, और आसाप का पुत्र योआह जो इतिहास का लिखनेवाला था, अपने वस्त्र फाड़े हुए, हिजकिय्याह के पास जाकर रबशाके की बातें कह सुनाईं।

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