< اَلْمُلُوكِ ٱلثَّانِي 18 >

وَفِي ٱلسَّنَةِ ٱلثَّالِثَةِ لِهُوشَعَ بْنِ أَيْلَةَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ مَلَكَ حَزَقِيَّا بْنُ آحَازَ مَلِكِ يَهُوذَا. ١ 1
इस्राएल के राजा एलाह के पुत्र होशिया के शासन के तीसरे साल में आहाज़ के पुत्र हिज़किय्याह ने यहूदिया पर शासन करना शुरू किया.
كَانَ ٱبْنَ خَمْسٍ وَعِشْرِينَ سَنَةً حِينَ مَلَكَ، وَمَلَكَ تِسْعًا وَعِشْرِينَ سَنَةً فِي أُورُشَلِيمَ، وَٱسْمُ أُمِّهِ أَبِي ٱبْنَةُ زَكَرِيَّا. ٢ 2
जब हिज़किय्याह राजा बना, उसकी उम्र पच्चीस साल थी. येरूशलेम में उसने उनतीस साल शासन किया. उसकी माता का नाम अबीयाह था, वह ज़करयाह की पुत्री थी.
وَعَمِلَ ٱلْمُسْتَقِيمَ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ حَسَبَ كُلِّ مَا عَمِلَ دَاوُدُ أَبُوهُ. ٣ 3
उसने वही किया, जो याहवेह की दृष्टि में सही था, वैसा ही, जैसा उसके पूर्वज दावीद ने किया था.
هُوَ أَزَالَ ٱلْمُرْتَفَعَاتِ، وَكَسَّرَ ٱلتَّمَاثِيلَ، وَقَطَّعَ ٱلسَّوَارِيَ، وَسَحَقَ حَيَّةَ ٱلنُّحَاسِ ٱلَّتِي عَمِلَهَا مُوسَى لِأَنَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ كَانُوا إِلَى تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ يُوقِدُونَ لَهَا وَدَعَوْهَا «نَحُشْتَانَ». ٤ 4
उसने पूजा की जगह हटा दीं, पूजा के खंभे तोड़ दिए और अशेराह के खंभे भी ध्वस्त कर दिए. उसने मोशेह द्वारा बनाई उस कांसे के सांप की मूर्ति को भी नष्ट कर दिया, क्योंकि तब तक इस्राएली प्रजा इसे नेहूष्तान नाम से पुकारते हुए इसके सामने धूप जलाने लगे थे.
عَلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ ٱتَّكَلَ، وَبَعْدَهُ لَمْ يَكُنْ مِثْلُهُ فِي جَمِيعِ مُلُوكِ يَهُوذَا وَلَا فِي ٱلَّذِينَ كَانُوا قَبْلَهُ. ٥ 5
हिज़किय्याह का भरोसा याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर पर था, इसलिये न उसके बाद और न ही उसके पहले यहूदिया के सारी राजाओं में उसके समान कोई हुआ.
وَٱلْتَصَقَ بِٱلرَّبِّ وَلَمْ يَحِدْ عَنْهُ، بَلْ حَفِظَ وَصَايَاهُ ٱلَّتِي أَمَرَ بِهَا ٱلرَّبُّ مُوسَى. ٦ 6
वह याहवेह से चिपका रहा. कभी भी उसने याहवेह का अनुसरण करना न छोड़ा. वह मोशेह को सौंपे गए याहवेह के आदेशों का पालन करता रहा.
وَكَانَ ٱلرَّبُّ مَعَهُ، وَحَيْثُمَا كَانَ يَخْرُجُ كَانَ يَنْجَحُ. وَعَصَى عَلَى مَلِكِ أَشُّورَ وَلَمْ يَتَعَبَّدْ لَهُ. ٧ 7
वह जहां कहीं गया, याहवेह उसके साथ रहे. वह उन्‍नत ही होता चला गया. उसने अश्शूर के राजा के विरुद्ध विद्रोह कर दिया, और उससे अपना दासत्व खत्म कर लिया.
هُوَ ضَرَبَ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ إِلَى غَزَّةَ وَتُخُومِهَا، مِنْ بُرْجِ ٱلنَّوَاطِيرِ إِلَى ٱلْمَدِينَةِ ٱلْمُحَصَّنَةِ. ٨ 8
उसने अज्जाह की सीमा तक फिलिस्तीनियों को हरा दिया, यानी पहरेदारों की मचान से लेकर नगर गढ़ तक.
وَفِي ٱلسَّنَةِ ٱلرَّابِعَةِ لِلْمَلِكِ حَزَقِيَّا، وَهِيَ ٱلسَّنَةُ ٱلسَّابِعَةُ لِهُوشَعَ بْنِ أَيْلَةَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ، صَعِدَ شَلْمَنْأَسَرُ مَلِكُ أَشُّورَ عَلَى ٱلسَّامِرَةِ وَحَاصَرَهَا. ٩ 9
हिज़किय्याह के शासन के चौथे साल में, जो इस्राएल के राजा एलाह के पुत्र होशिया के शासन का सातवां साल था, अश्शूर के राजा शालमानेसर ने शमरिया पर घेरा डाल दिया.
وَأَخَذُوهَا فِي نِهَايَةِ ثَلَاثِ سِنِينَ. فَفِي ٱلسَّنَةِ ٱلسَّادِسَةِ لِحَزَقِيَّا، وَهِيَ ٱلسَّنَةُ ٱلتَّاسِعَةُ لِهُوشَعَ مَلِكِ إِسْرَائِيلَ، أُخِذَتِ ٱلسَّامِرَةُ. ١٠ 10
और तीन साल पूरा होते-होते उन्होंने शमरिया को अपने अधिकार में ले लिया. हिज़किय्याह के शासन का छठवां और इस्राएल के राजा होशिया के शासन का नवां साल था, जब शमरिया पर अश्शूर के राजा का अधिकार हो गया.
وَسَبَى مَلِكُ أَشُّورَ إِسْرَائِيلَ إِلَى أَشُّورَ، وَوَضَعَهُمْ فِي حَلَحَ وَخَابُورَ نَهْرِ جُوزَانَ وَفِي مُدُنِ مَادِي، ١١ 11
अश्शूर का राजा इस्राएलियों को बंदी बनाकर अश्शूर देश को ले गया. वहां उसने उन्हें गोज़ान नदी के तट पर हालाह और हाबोर नामक स्थानों में और मेदिया प्रदेश के नगरों में बसा दिया,
لِأَنَّهُمْ لَمْ يَسْمَعُوا لِصَوْتِ ٱلرَّبِّ إِلَهِهِمْ، بَلْ تَجَاوَزُوا عَهْدَهُ وَكُلَّ مَا أَمَرَ بِهِ مُوسَى عَبْدُ ٱلرَّبِّ، فَلَمْ يَسْمَعُوا وَلَمْ يَعْمَلُوا. ١٢ 12
क्योंकि उन्होंने याहवेह, अपने परमेश्वर की वाणी को अनसुनी ही नहीं की, बल्कि उन्होंने उनकी वाचा भी तोड़ दी थी, यहां तक कि उन सारी आदेशों को भी, जो याहवेह के सेवक मोशेह ने दिए थे. न तो उन्होंने इन्हें सुना और न ही उनका पालन किया.
وَفِي ٱلسَّنَةِ ٱلرَّابِعَةَ عَشْرَةَ لِلْمَلِكِ حَزَقِيَّا، صَعِدَ سَنْحَارِيبُ مَلِكُ أَشُّورَ عَلَى جَمِيعِ مُدُنِ يَهُوذَا ٱلْحَصِينَةِ وَأَخَذَهَا. ١٣ 13
राजा हिज़किय्याह के शासनकाल के चौदहवें वर्ष में अश्शूर के राजा सेनहेरीब ने यहूदिया के समस्त गढ़ नगरों पर आक्रमण करके उन पर अधिकार कर लिया.
وَأَرْسَلَ حَزَقِيَّا مَلِكُ يَهُوذَا إِلَى مَلِكِ أَشُّورَ إِلَى لَخِيشَ يَقُولُ: «قَدْ أَخْطَأْتُ. ٱرْجِعْ عَنِّي، وَمَهْمَا جَعَلْتَ عَلَيَّ حَمَلْتُهُ». فَوَضَعَ مَلِكُ أَشُّورَ عَلَى حَزَقِيَّا مَلِكِ يَهُوذَا ثَلَاثَ مِئَةِ وَزْنَةٍ مِنَ ٱلْفِضَّةِ وَثَلَاثِينَ وَزْنَةً مِنَ ٱلذَّهَبِ. ١٤ 14
यहूदिया के राजा हिज़किय्याह ने लाकीश नगर में अश्शूर के राजा को यह संदेश भेजा, “मुझसे गलती हुई है. अपनी सेना यहां से हटा लीजिए. आप मुझ पर जो भी आर्थिक दंड देंगे मैं उसे पूरा करूंगा!” तब अश्शूर के राजा ने यहूदिया के राजा हिज़किय्याह से दस टन चांदी और एक टन सोने का दंड तय कर दिया.
فَدَفَعَ حَزَقِيَّا جَمِيعَ ٱلْفِضَّةِ ٱلْمَوْجُودَةِ فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ وَفِي خَزَائِنِ بَيْتِ ٱلْمَلِكِ. ١٥ 15
तब राजा हिज़किय्याह ने याहवेह के भवन और राजघराने के खजाने में रखी पूरी चांदी अश्शूर के राजा को सौंप दी.
فِي ذَلِكَ ٱلزَّمَانِ قَشَّرَ حَزَقِيَّا ٱلذَّهَبَ عَنْ أَبْوَابِ هَيْكَلِ ٱلرَّبِّ وَٱلدَّعَائِمِ ٱلَّتِي كَانَ قَدْ غَشَّاهَا حَزَقِيَّا مَلِكُ يَهُوذَا، وَدَفَعَهُ لِمَلِكِ أَشُّورَ. ١٦ 16
इसी समय हिज़किय्याह ने याहवेह के मंदिर के दरवाजों पर मढ़ी गई सोने की परत उतार ली और वैसे ही दरवाजों के मीनारों की भी, जो यहूदिया के राजा हिज़किय्याह द्वारा ही दरवाजों और दरवाजों के मीनारों पर चढ़ाई गई थी. यह उसने अश्शूर के राजा को सौंप दिया.
وَأَرْسَلَ مَلِكُ أَشُّورَ تَرْتَانَ وَرَبْسَارِيسَ وَرَبْشَاقَى مِنْ لَخِيشَ إِلَى ٱلْمَلِكِ حَزَقِيَّا بِجَيْشٍ عَظِيمٍ إِلَى أُورُشَلِيمَ، فَصَعِدُوا وَأَتَوْا إِلَى أُورُشَلِيمَ. وَلَمَّا صَعِدُوا جَاءُوا وَوَقَفُوا عِنْدَ قَنَاةِ ٱلْبِرْكَةِ ٱلْعُلْيَا ٱلَّتِي فِي طَرِيقِ حَقْلِ ٱلْقَصَّارِ. ١٧ 17
इस पर अश्शूर के राजा ने लाकीश से राजा हिज़किय्याह के पास अपने सर्वोच्च सेनापति, अपने मुख्य अधिकारी और अपने प्रमुख सेनापति को एक बड़ी सेना के साथ येरूशलेम भेज दिया. येरूशलेम पहुंचकर वे उस ऊपरी तालाब की नाली पर जा खड़े हुए, जो सदह-कोबेस के राजमार्ग पर बनी है.
وَدَعَوْا ٱلْمَلِكَ، فَخَرَجَ إِلَيْهِمْ أَلِيَاقِيمُ بْنُ حِلْقِيَّا ٱلَّذِي عَلَى ٱلْبَيْتِ وَشِبْنَةُ ٱلْكَاتِبُ وَيُواخُ بْنُ آسَافَ ٱلْمُسَجِّلُ. ١٨ 18
जब उन्होंने राजा को पुकारा, तब गृह प्रबंधक एलियाकिम, जो हिलकियाह का पुत्र था, शास्त्री शेबना तथा आसफ का पुत्र योआह, जो प्रालेख अधिकारी था, राजा से भेंट करने गए.
فَقَالَ لَهُمْ رَبْشَاقَى: «قُولُوا لِحَزَقِيَّا: هَكَذَا يَقُولُ ٱلْمَلِكُ ٱلْعَظِيمُ مَلِكُ أَشُّورَ: مَا ٱلِٱتِّكَالُ ٱلَّذِي ٱتَّكَلْتَ؟ ١٩ 19
प्रमुख सेनापति ने उन्हें आदेश दिया, “हिज़किय्याह से जाकर यह कहो, “‘पराक्रमी राजा, अश्शूर के राजा का संदेश यह है: कौन है तुम्हारे इस भरोसे का आधार?
قُلْتَ إِنَّمَا كَلَامُ ٱلشَّفَتَيْنِ هُوَ مَشُورَةٌ وَبَأْسٌ لِلْحَرْبِ. وَٱلْآنَ عَلَى مَنِ ٱتَّكَلْتَ حَتَّى عَصَيْتَ عَلَيَّ؟ ٢٠ 20
युद्ध से संबंधित तुम्हारी रणनीति तथा तुम्हारी शक्ति मात्र खोखले शब्द हैं. किस पर है तुम्हारा अवलंबन कि तुमने मुझसे विद्रोह का साहस किया है?
فَٱلْآنَ هُوَذَا قَدِ ٱتَّكَلْتَ عَلَى عُكَّازِ هَذِهِ ٱلْقَصَبَةِ ٱلْمَرْضُوضَةِ، عَلَى مِصْرَ، ٱلَّتِي إِذَا تَوَكَّأَ أَحَدٌ عَلَيْهَا، دَخَلَتْ فِي كَفِّهِ وَثَقَبَتْهَا! هَكَذَا هُوَ فِرْعَوْنُ مَلِكُ مِصْرَ لِجَمِيعِ ٱلْمُتَّكِلِينَ عَلَيْهِ. ٢١ 21
देखो, तुमने जो मिस्र देश पर भरोसा किया है, वह है ही क्या, एक टूटा हुआ सरकंडे की छड़ी! यदि कोई व्यक्ति इसकी टेक लेना चाहे तो यह छड़ी उसके हाथ में ही चुभ जाएगी. मिस्र का राजा फ़रोह भी उन सबके लिए ऐसा ही साबित होता है, जो उस पर भरोसा करते हैं.
وَإِذَا قُلْتُمْ لِي: عَلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِنَا ٱتَّكَلْنَا، أَفَلَيْسَ هُوَ ٱلَّذِي أَزَالَ حَزَقِيَّا مُرْتَفَعَاتِهِ وَمَذَابِحَهُ، وَقَالَ لِيَهُوذَا وَلِأُورُشَلِيمَ: أَمَامَ هَذَا ٱلْمَذْبَحِ تَسْجُدُونَ فِي أُورُشَلِيمَ؟ ٢٢ 22
हां, यदि तुम मुझसे कहो, “हम तो याहवेह हमारे परमेश्वर पर भरोसा करते हैं,” तो क्या ये वही नहीं हैं, जिनके पूजा-स्थल तथा वेदियां हिज़किय्याह ने ध्वस्त कर दी हैं, तथा यहूदिया तथा येरूशलेम को यह आदेश दिया गया है: “तुम्हें येरूशलेम में इसी वेदी के समक्ष आराधना करनी होगी”?
وَٱلْآنَ رَاهِنْ سَيِّدِي مَلِكَ أَشُّورَ، فَأُعْطِيَكَ أَلْفَيْ فَرَسٍ إِنْ كُنْتَ تَقْدِرُ أَنْ تَجْعَلَ عَلَيْهَا رَاكِبِينَ. ٢٣ 23
“‘तो अब आओ, और हमारे स्वामी, अश्शूर के राजा से मोलभाव कर लो: मैं तुम्हें दो हज़ार घोड़े दूंगा; यदि तुम अपनी ओर से उनके लिए दो हज़ार घुड़सवार ला सको तो!
فَكَيْفَ تَرُدُّ وَجْهَ وَالٍ وَاحِدٍ مِنْ عَبِيدِ سَيِّدِي ٱلصِّغَارِ، وَتَتَّكِلُ عَلَى مِصْرَ لِأَجْلِ مَرْكَبَاتٍ وَفُرْسَانٍ؟ ٢٤ 24
रथों और घुड़सवारों के लिए मिस्र देश पर निर्भर रहते हुए यह कैसे संभव है कि तुम मेरे स्वामी के छोटे से छोटे सेवक से टक्कर ले उसे हरा दो!
وَٱلْآنَ هَلْ بِدُونِ ٱلرَّبِّ صَعِدْتُ عَلَى هَذَا ٱلْمَوْضِعِ لِأَخْرِبَهُ؟ اَلرَّبُّ قَالَ لِي ٱصْعَدْ عَلَى هَذِهِ ٱلْأَرْضِ وَٱخْرِبْهَا». ٢٥ 25
क्या मैं याहवेह की आज्ञा बिना ही इस स्थान को नष्ट करने आया हूं? याहवेह ही ने मुझे आदेश दिया है, इस देश पर हमला कर इसे खत्म कर दो.’”
فَقَالَ أَلِيَاقِيمُ بْنُ حِلْقِيَّا وَشِبْنَةُ وَيُواخُ لِرَبْشَاقَى: «كَلِّمْ عَبِيدَكَ بِٱلْأَرَامِيِّ لِأَنَّنَا نَفْهَمُهُ، وَلَا تُكَلِّمْنَا بِٱلْيَهُودِيِّ فِي مَسَامِعِ ٱلشَّعْبِ ٱلَّذِينَ عَلَى ٱلسُّورِ». ٢٦ 26
तब हिलकियाह का पुत्र एलियाकिम, शेबना तथा योआह ने प्रमुख सेनापति से आग्रह किया, “अपने सेवकों से अरामी भाषा में संवाद कीजिए, क्योंकि यह भाषा हम समझते हैं; यहूदिया की हिब्री भाषा में संवाद मत कीजिए, क्योंकि प्राचीर पर कुछ लोग हमारा वार्तालाप सुन रहे हैं.”
فَقَالَ لَهُمْ رَبْشَاقَى: «هَلْ إِلَى سَيِّدِكَ وَإِلَيْكَ أَرْسَلَنِي سَيِّدِي لِكَيْ أَتَكَلَّمَ بِهَذَا ٱلْكَلَامِ؟ أَلَيْسَ إِلَى ٱلرِّجَالِ ٱلْجَالِسِينَ عَلَى ٱلسُّورِ لِيَأْكُلُوا عَذِرَتَهُمْ وَيَشْرَبُوا بَوْلَهُمْ مَعَكُمْ؟» ٢٧ 27
किंतु प्रमुख सेनापति ने उत्तर दिया, “क्या मेरे स्वामी ने मात्र तुम्हारे स्वामी तथा मात्र तुम्हें यह संदेश देने के लिए मुझे प्रेषित किया है, तथा प्राचीर पर बैठे व्यक्तियों के लिए नहीं, जिनके लिए तो यही दंड निर्धारित है, कि वे तुम्हारे साथ स्वयं अपनी विष्ठा का सेवन करें तथा अपने ही मूत्र का पान?”
ثُمَّ وَقَفَ رَبْشَاقَى وَنَادَى بِصَوْتٍ عَظِيمٍ بِٱلْيَهُودِيِّ وَتَكَلَّمَ قَائِلًا: «ٱسْمَعُوا كَلَامَ ٱلْمَلِكِ ٱلْعَظِيمِ مَلِكِ أَشُّورَ. ٢٨ 28
यह कहते हुए प्रमुख सेनापति खड़ा हो गया और सबके सामने उच्च स्वर में यहूदिया की हिब्री भाषा में यह कहा: “अश्शूर के राजा, प्रतिष्ठित सम्राट का यह संदेश सुन लो!
هَكَذَا يَقُولُ ٱلْمَلِكُ: لَا يَخْدَعْكُمْ حَزَقِيَّا، لِأَنَّهُ لَا يَقْدِرُ أَنْ يُنْقِذَكُمْ مِنْ يَدِهِ، ٢٩ 29
सम्राट का आदेश यह है: हिज़किय्याह तुम्हें इस छल में सम्भ्रमित न रखे, क्योंकि वह तुम्हें विमुक्त करने में समर्थ न होगा;
وَلَا يَجْعَلْكُمْ حَزَقِيَّا تَتَّكِلُونَ عَلَى ٱلرَّبِّ قَائِلًا: إِنْقَاذًا يُنْقِذُنَا ٱلرَّبُّ وَلَا تُدْفَعُ هَذِهِ ٱلْمَدِينَةُ إِلَى يَدِ مَلِكِ أَشُّورَ. ٣٠ 30
न ही हिज़किय्याह यह कहते हुए तुम्हें याहवेह पर भरोसा करने के लिए उकसाए, ‘निःसंदेह याहवेह हमारा छुटकारा करेंगे. यह नगर अश्शूर के राजा के अधीन होने न दिया जाएगा.’
لَا تَسْمَعُوا لِحَزَقِيَّا. لِأَنَّهُ هَكَذَا يَقُولُ مَلِكُ أَشُّورَ: ٱعْقِدُوا مَعِي صُلْحًا، وَٱخْرُجُوا إِلَيَّ، وَكُلُوا كُلُّ وَاحِدٍ مِنْ جَفْنَتِهِ وَكُلُّ وَاحِدٍ مِنْ تِينَتِهِ، وَٱشْرَبُوا كُلُّ وَاحِدٍ مَاءَ بِئْرِهِ ٣١ 31
“हिज़किय्याह के आश्वासन पर ध्यान न दो, क्योंकि अश्शूर के राजा का संदेश यह है, मुझसे संधि स्थापित कर लो. नगर से निकलकर बाहर मेरे पास आ जाओ. तब तुममें से हर एक अपनी ही लगाई हुई दाखलता से फल खाएगा, तुममें से हर एक अपने ही अंजीर वृक्ष से अंजीर खाएगा, और तुममें से हर एक अपने ही कुंड में से जल पीएगा.
حَتَّى آتِيَ وَآخُذَكُمْ إِلَى أَرْضٍ كَأَرْضِكُمْ، أَرْضَ حِنْطَةٍ وَخَمْرٍ، أَرْضَ خُبْزٍ وَكُرُومٍ، أَرْضَ زَيْتُونٍ وَعَسَلٍ وَٱحْيَوْا وَلَا تَمُوتُوا. وَلَا تَسْمَعُوا لِحَزَقِيَّا لِأَنَّهُ يَغُرُّكُمْ قَائِلًا: ٱلرَّبُّ يُنْقِذُنَا. ٣٢ 32
तब मैं आऊंगा और तुम्हें एक ऐसे देश में ले जाऊंगा, जो तुम्हारे ही देश के सदृश्य है, ऐसा देश जहां अन्‍न की उपज है, तथा नई द्राक्षा भी. यह भोजन तथा द्राक्षा उद्यानों का देश है, जैतून के पेड़ों और शहद में भरपूर; कि तुम वहां सम्पन्‍नता में जी सको, तुम काल का ग्रास न बनो. “तब तुम हिज़किय्याह के आश्वासन पर ध्यान न देना, जब वह तुम्हें यह कहते हुए भटकाएगा: ‘याहवेह हमारा छुटकारा कर देंगे.’
هَلْ أَنْقَذَ آلِهَةُ ٱلْأُمَمِ كُلُّ وَاحِدٍ أَرْضَهُ مِنْ يَدِ مَلِكِ أَشُّورَ؟ ٣٣ 33
भला, कहीं कोई ऐसा हुआ भी है कि पड़ोसी राष्ट्रों के किसी देवता ने अपने देश को अश्शूर के राजा से बचाया हो?
أَيْنَ آلِهَةُ حَمَاةَ وَأَرْفَادَ؟ أَيْنَ آلِهَةُ سَفَرْوَايِمَ وَهَيْنَعَ وَعِوَّا؟ هَلْ أَنْقَذُوا ٱلسَّامِرَةَ مِنْ يَدِي؟ ٣٤ 34
कहां हैं, हामाथ तथा अरपाद के देवता? कहां हैं, सेफरवाइम, हेना और इव्वाह के देवता? और हां, उन्होंने शमरिया को कब मेरे अधिकार से विमुक्त किया है?
مَنْ مِنْ كُلِّ آلِهَةِ ٱلْأَرَاضِي أَنْقَذَ أَرْضَهُمْ مِنْ يَدِي، حَتَّى يُنْقِذَ ٱلرَّبُّ أُورُشَلِيمَ مِنْ يَدِي؟». ٣٥ 35
इन देशों के किस देवता ने अपने देश को मेरे हाथों से विमुक्त किया है? यह याहवेह येरूशलेम को मेरे हाथों से कैसे विमुक्त करा लेंगे?”
فَسَكَتَ ٱلشَّعْبُ وَلَمْ يُجِيبُوهُ بِكَلِمَةٍ، لِأَنَّ أَمْرَ ٱلْمَلِكِ كَانَ قَائِلًا: «لَا تُجِيبُوهُ». ٣٦ 36
मगर प्रजा मौन रही. किसी ने भी उससे एक शब्द तक न कहा, क्योंकि राजा का आदेश ही यह था, “उसे उत्तर न देना!”
فَجَاءَ أَلِيَاقِيمُ بْنُ حِلْقِيَّا ٱلَّذِي عَلَى ٱلْبَيْتِ وَشِبْنَةُ ٱلْكَاتِبُ وَيُوَاخُ بْنُ آسَافَ ٱلْمُسَجِّلُ إِلَى حَزَقِيَّا وَثِيَابُهُمْ مُمَزَّقَةٌ، فَأَخْبَرُوهُ بِكَلَامِ رَبْشَاقَى. ٣٧ 37
हिलकियाह के पुत्र एलियाकिम ने, जो राजघराने में गृह प्रबंधक था, लिपिक शेबना और आसफ के पुत्र योआह ने, जो लेखापाल था अपने वस्त्र फाड़े और जाकर प्रमुख सेनापति के शब्द राजा को जा सुनाए.

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