< اَلْمُلُوكِ ٱلثَّانِي 17 >

فِي ٱلسَّنَةِ ٱلثَّانِيةَ عَشْرَةَ لِآحَازَ مَلِكِ يَهُوذَا، مَلَكَ هُوشَعُ بْنُ أَيْلَةَ فِي ٱلسَّامِرَةِ عَلَى إِسْرَائِيلَ تِسْعَ سِنِينَ. ١ 1
यहूदा के राजा आहाज के राज्य के बारहवें वर्ष में एला का पुत्र होशे सामरिया में, इस्राएल पर राज्य करने लगा, और नौ वर्ष तक राज्य करता रहा।
وَعَمِلَ ٱلشَّرَّ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ، وَلَكِنْ لَيْسَ كَمُلُوكِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ كَانُوا قَبْلَهُ. ٢ 2
उसने वही किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, परन्तु इस्राएल के उन राजाओं के बराबर नहीं जो उससे पहले थे।
وَصَعِدَ عَلَيْهِ شَلْمَنْأَسَرُ مَلِكُ أَشُّورَ، فَصَارَ لَهُ هُوشَعُ عَبْدًا وَدَفَعَ لَهُ جِزْيَةً. ٣ 3
उस पर अश्शूर के राजा शल्मनेसेर ने चढ़ाई की, और होशे उसके अधीन होकर, उसको भेंट देने लगा।
وَوَجَدَ مَلِكُ أَشُّورَ فِي هُوشَعَ خِيَانَةً، لِأَنَّهُ أَرْسَلَ رُسُلًا إِلَى سَوَا مَلِكِ مِصْرَ، وَلَمْ يُؤَدِّ جِزْيَةً إِلَى مَلِكِ أَشُّورَ حَسَبَ كُلِّ سَنَةٍ، فَقَبَضَ عَلَيْهِ مَلِكُ أَشُّورَ وَأَوْثَقَهُ فِي ٱلسِّجْنِ. ٤ 4
परन्तु अश्शूर के राजा ने होशे के राजद्रोह की गोष्ठी को जान लिया, क्योंकि उसने सो नामक मिस्र के राजा के पास दूत भेजे थे और अश्शूर के राजा के पास वार्षिक भेंट भेजनी छोड़ दी; इस कारण अश्शूर के राजा ने उसको बन्दी बनाया, और बेड़ी डालकर बन्दीगृह में डाल दिया।
وَصَعِدَ مَلِكُ أَشُّورَ عَلَى كُلِّ ٱلْأَرْضِ، وَصَعِدَ إِلَى ٱلسَّامِرَةِ وَحَاصَرَهَا ثَلَاثَ سِنِينَ. ٥ 5
तब अश्शूर के राजा ने पूरे देश पर चढ़ाई की, और सामरिया को जाकर तीन वर्ष तक उसे घेरे रहा।
فِي ٱلسَّنَةِ ٱلتَّاسِعَةِ لِهُوشَعَ أَخَذَ مَلِكُ أَشُّورَ ٱلسَّامِرَةَ، وَسَبَى إِسْرَائِيلَ إِلَى أَشُّورَ وَأَسْكَنَهُمْ فِي حَلَحَ وَخَابُورَ نَهْرِ جُوزَانَ وَفِي مُدُنِ مَادِي. ٦ 6
होशे के नौवें वर्ष में अश्शूर के राजा ने सामरिया को ले लिया, और इस्राएलियों को अश्शूर में ले जाकर, हलह में और गोजान की नदी हाबोर के पास और मादियों के नगरों में बसाया।
وَكَانَ أَنَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ أَخْطَأُوا إِلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِهِمِ ٱلَّذِي أَصْعَدَهُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ مِنْ تَحْتِ يَدِ فِرْعَوْنَ مَلِكِ مِصْرَ، وَٱتَّقَوْا آلِهَةً أُخْرَى، ٧ 7
इसका यह कारण है, कि यद्यपि इस्राएलियों का परमेश्वर यहोवा उनको मिस्र के राजा फ़िरौन के हाथ से छुड़ाकर मिस्र देश से निकाल लाया था, तो भी उन्होंने उसके विरुद्ध पाप किया, और पराए देवताओं का भय माना,
وَسَلَكُوا حَسَبَ فَرَائِضِ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ طَرَدَهُمُ ٱلرَّبُّ مِنْ أَمَامِ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَمُلُوكِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ أَقَامُوهُمْ. ٨ 8
और जिन जातियों को यहोवा ने इस्राएलियों के सामने से देश से निकाला था, उनकी रीति पर, और अपने राजाओं की चलाई हुई रीतियों पर चलते थे।
وَعَمِلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ سِرًّا ضِدَّ ٱلرَّبِّ إِلَهِهِمْ أُمُورًا لَيْسَتْ بِمُسْتَقِيمَةٍ، وَبَنَوْا لِأَنْفُسِهِمْ مُرْتَفَعَاتٍ فِي جَمِيعِ مُدُنِهِمْ، مِنْ بُرْجِ ٱلنَّوَاطِيرِ إِلَى ٱلْمَدِينَةِ ٱلْمُحَصَّنَةِ. ٩ 9
इस्राएलियों ने कपट करके अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध अनुचित काम किए, अर्थात् पहरुओं के गुम्मट से लेकर गढ़वाले नगर तक अपनी सारी बस्तियों में ऊँचे स्थान बना लिए;
وَأَقَامُوا لِأَنْفُسِهِمْ أَنْصَابًا وَسَوَارِيَ عَلَى كُلِّ تَلٍّ عَالٍ وَتَحْتَ كُلِّ شَجَرَةٍ خَضْرَاءَ. ١٠ 10
१०और सब ऊँची पहाड़ियों पर, और सब हरे वृक्षों के नीचे लाठें और अशेरा खड़े कर लिए।
وَأَوْقَدُوا هُنَاكَ عَلَى جَمِيعِ ٱلْمُرْتَفَعَاتِ مِثْلَ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ سَاقَهُمُ ٱلرَّبُّ مِنْ أَمَامِهِمْ، وَعَمِلُوا أُمُورًا قَبِيحَةً لِإِغَاظَةِ ٱلرَّبِّ. ١١ 11
११ऐसे ऊँचे स्थानों में उन जातियों के समान जिनको यहोवा ने उनके सामने से निकाल दिया था, धूप जलाया, और यहोवा को क्रोध दिलाने के योग्य बुरे काम किए,
وَعَبَدُوا ٱلْأَصْنَامَ ٱلَّتِي قَالَ ٱلرَّبُّ لَهُمْ عَنْهَا: «لَا تَعْمَلُوا هَذَا ٱلْأَمْرَ». ١٢ 12
१२और मूरतों की उपासना की, जिसके विषय यहोवा ने उनसे कहा था, “तुम यह काम न करना।”
وَأَشْهَدَ ٱلرَّبُّ عَلَى إِسْرَائِيلَ وَعَلَى يَهُوذَا عَنْ يَدِ جَمِيعِ ٱلْأَنْبِيَاءِ وَكُلِّ رَاءٍ قَائِلًا: «ٱرْجِعُوا عَنْ طُرُقِكُمُ ٱلرَّدِيئَةِ وَٱحْفَظُوا وَصَايَايَ، فَرَائِضِي، حَسَبَ كُلِّ ٱلشَّرِيعَةِ ٱلَّتِي أَوْصَيْتُ بِهَا آبَاءَكُمْ، وَٱلَّتِي أَرْسَلْتُهَا إِلَيْكُمْ عَنْ يَدِ عَبِيدِي ٱلْأَنْبِيَاءِ». ١٣ 13
१३तो भी यहोवा ने सब भविष्यद्वक्ताओं और सब दर्शियों के द्वारा इस्राएल और यहूदा को यह कहकर चिताया था, “अपनी बुरी चाल छोड़कर उस सारी व्यवस्था के अनुसार जो मैंने तुम्हारे पुरखाओं को दी थी, और अपने दास भविष्यद्वक्ताओं के हाथ तुम्हारे पास पहुँचाई है, मेरी आज्ञाओं और विधियों को माना करो।”
فَلَمْ يَسْمَعُوا بَلْ صَلَّبُوا أَقْفِيَتَهُمْ كَأَقْفِيَةِ آبَائِهِمِ ٱلَّذِينَ لَمْ يُؤْمِنُوا بِٱلرَّبِّ إِلَهِهِمْ. ١٤ 14
१४परन्तु उन्होंने न माना, वरन् अपने उन पुरखाओं के समान, जिन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा का विश्वास न किया था, वे भी हठीले बन गए।
وَرَفَضُوا فَرَائِضَهُ وَعَهْدَهُ ٱلَّذِي قَطَعَهُ مَعَ آبَائِهِمْ وَشَهَادَاتِهِ ٱلَّتِي شَهِدَ بِهَا عَلَيْهِمْ، وَسَارُوا وَرَاءَ ٱلْبَاطِلِ، وَصَارُوا بَاطِلًا وَرَاءَ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ حَوْلَهُمُ، ٱلَّذِينَ أَمَرَهُمُ ٱلرَّبُّ أَنْ لَا يَعْمَلُوا مِثْلَهُمْ. ١٥ 15
१५वे उसकी विधियों और अपने पुरखाओं के साथ उसकी वाचा, और जो चितौनियाँ उसने उन्हें दी थीं, उनको तुच्छ जानकर, निकम्मी बातों के पीछे हो लिए; जिससे वे आप निकम्मे हो गए, और अपने चारों ओर की उन जातियों के पीछे भी हो लिए जिनके विषय यहोवा ने उन्हें आज्ञा दी थी कि उनके से काम न करना।
وَتَرَكُوا جَمِيعَ وَصَايَا ٱلرَّبِّ إِلَهِهِمْ وَعَمِلُوا لِأَنْفُسِهِمْ مَسْبُوكَاتٍ عِجْلَيْنِ، وَعَمِلُوا سَوَارِيَ، وَسَجَدُوا لِجَمِيعِ جُنْدِ ٱلسَّمَاءِ، وَعَبَدُوا ٱلْبَعْلَ. ١٦ 16
१६वरन् उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाओं को त्याग दिया, और दो बछड़ों की मूरतें ढालकर बनाईं, और अशेरा भी बनाई; और आकाश के सारे गणों को दण्डवत् की, और बाल की उपासना की।
وَعَبَّرُوا بَنِيهِمْ وَبَنَاتِهِمْ فِي ٱلنَّارِ، وَعَرَفُوا عِرَافَةً وَتَفَاءَلُوا، وَبَاعُوا أَنْفُسَهُمْ لِعَمَلِ ٱلشَّرِّ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ لِإِغَاظَتِهِ. ١٧ 17
१७उन्होंने अपने बेटे-बेटियों को आग में होम करके चढ़ाया; और भावी कहनेवालों से पूछने, और टोना करने लगे; और जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था जिससे वह क्रोधित भी होता है, उसके करने को अपनी इच्छा से बिक गए।
فَغَضِبَ ٱلرَّبُّ جِدًّا عَلَى إِسْرَائِيلَ وَنَحَّاهُمْ مِنْ أَمَامِهِ، وَلَمْ يَبْقَ إِلَّا سِبْطُ يَهُوذَا وَحْدَهُ. ١٨ 18
१८इस कारण यहोवा इस्राएल से अति क्रोधित हुआ, और उन्हें अपने सामने से दूर कर दिया; यहूदा का गोत्र छोड़ और कोई बचा न रहा।
وَيَهُوذَا أَيْضًا لَمْ يَحْفَظُوا وَصَايَا ٱلرَّبِّ إِلَهِهِمْ، بَلْ سَلَكُوا فِي فَرَائِضِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّتِي عَمِلُوهَا. ١٩ 19
१९यहूदा ने भी अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाएँ न मानीं, वरन् जो विधियाँ इस्राएल ने चलाई थीं, उन पर चलने लगे।
فَرَذَلَ ٱلرَّبُّ كُلَّ نَسْلِ إِسْرَائِيلَ، وَأَذَلَّهُمْ وَدَفَعَهُمْ لِيَدِ نَاهِبِينَ حَتَّى طَرَحَهُمْ مِنْ أَمَامِهِ، ٢٠ 20
२०तब यहोवा ने इस्राएल की सारी सन्तान को छोड़कर, उनको दुःख दिया, और लूटनेवालों के हाथ कर दिया, और अन्त में उन्हें अपने सामने से निकाल दिया।
لِأَنَّهُ شَقَّ إِسْرَائِيلَ عَنْ بَيْتِ دَاوُدَ، فَمَلَّكُوا يَرُبْعَامَ بْنَ نَبَاطَ، فَأَبْعَدَ يَرُبْعَامُ إِسْرَائِيلَ مِنْ وَرَاءِ ٱلرَّبِّ وَجَعَلَهُمْ يُخْطِئُونَ خَطِيَّةً عَظِيمَةً. ٢١ 21
२१जब उसने इस्राएल को दाऊद के घराने के हाथ से छीन लिया, तो उन्होंने नबात के पुत्र यारोबाम को अपना राजा बनाया; और यारोबाम ने इस्राएल को यहोवा के पीछे चलने से दूर खींचकर उनसे बड़ा पाप कराया।
وَسَلَكَ بَنُو إِسْرَائِيلَ فِي جَمِيعِ خَطَايَا يَرُبْعَامَ ٱلَّتِي عَمِلَ. لَمْ يَحِيدُوا عَنْهَا ٢٢ 22
२२अतः जैसे पाप यारोबाम ने किए थे, वैसे ही पाप इस्राएली भी करते रहे, और उनसे अलग न हुए।
حَتَّى نَحَّى ٱلرَّبُّ إِسْرَائِيلَ مِنْ أَمَامِهِ كَمَا تَكَلَّمَ عَنْ يَدِ جَمِيعِ عَبِيدِهِ ٱلْأَنْبِيَاءِ، فَسُبِيَ إِسْرَائِيلُ مِنْ أَرْضِهِ إِلَى أَشُّورَ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. ٢٣ 23
२३अन्त में यहोवा ने इस्राएल को अपने सामने से दूर कर दिया, जैसे कि उसने अपने सब दास भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा कहा था। इस प्रकार इस्राएल अपने देश से निकालकर अश्शूर को पहुँचाया गया, जहाँ वह आज के दिन तक रहता है।
وَأَتَى مَلِكُ أَشُّورَ بِقَوْمٍ مِنْ بَابِلَ وَكُوثَ وَعَوَّا وَحَمَاةَ وَسَفَرْوَايِمَ، وَأَسْكَنَهُمْ فِي مُدُنِ ٱلسَّامِرَةِ عِوَضًا عَنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ، فَٱمْتَلَكُوا ٱلسَّامِرَةَ وَسَكَنُوا فِي مُدُنِهَا. ٢٤ 24
२४अश्शूर के राजा ने बाबेल, कूता, अव्वा, हमात और सपर्वैम नगरों से लोगों को लाकर, इस्राएलियों के स्थान पर सामरिया के नगरों में बसाया; सो वे सामरिया के अधिकारी होकर उसके नगरों में रहने लगे।
وَكَانَ فِي ٱبْتِدَاءِ سَكَنِهِمْ هُنَاكَ أَنَّهُمْ لَمْ يَتَّقُوا ٱلرَّبَّ، فَأَرْسَلَ ٱلرَّبُّ عَلَيْهِمِ ٱلسِّبَاعَ فَكَانَتْ تَقْتُلُ مِنْهُمْ. ٢٥ 25
२५जब वे वहाँ पहले-पहले रहने लगे, तब यहोवा का भय न मानते थे, इस कारण यहोवा ने उनके बीच सिंह भेजे, जो उनको मार डालने लगे।
فَكَلَّمُوا مَلِكَ أَشُّورَ قَائِلِينَ: «إِنَّ ٱلْأُمَمَ ٱلَّذِينَ سَبَيْتَهُمْ وَأَسْكَنْتَهُمْ فِي مُدُنِ ٱلسَّامِرَةِ، لَا يَعْرِفُونَ قَضَاءَ إِلَهِ ٱلْأَرْضِ، فَأَرْسَلَ عَلَيْهِمِ ٱلسِّبَاعَ فَهِيَ تَقْتُلُهُمْ لِأَنَّهُمْ لَا يَعْرِفُونَ قَضَاءَ إِلَهِ ٱلْأَرْضِ». ٢٦ 26
२६इस कारण उन्होंने अश्शूर के राजा के पास कहला भेजा कि जो जातियाँ तूने उनके देशों से निकालकर सामरिया के नगरों में बसा दी हैं, वे उस देश के देवता की रीति नहीं जानतीं, इससे उसने उसके मध्य सिंह भेजे हैं जो उनको इसलिए मार डालते हैं कि वे उस देश के देवता की रीति नहीं जानते।
فَأَمَرَ مَلِكُ أَشُّورَ قَائِلًا: «ٱبْعَثُوا إِلَى هُنَاكَ وَاحِدًا مِنَ ٱلْكَهَنَةِ ٱلَّذِينَ سَبَيْتُمُوهُمْ مِنْ هُنَاكَ فَيَذْهَبَ وَيَسْكُنَ هُنَاكَ، وَيُعَلِّمَهُمْ قَضَاءَ إِلَهِ ٱلْأَرْضِ». ٢٧ 27
२७तब अश्शूर के राजा ने आज्ञा दी, “जिन याजकों को तुम उस देश से ले आए, उनमें से एक को वहाँ पहुँचा दो; और वह वहाँ जाकर रहे, और वह उनको उस देश के देवता की रीति सिखाए।”
فَأَتَى وَاحِدٌ مِنَ ٱلْكَهَنَةِ ٱلَّذِينَ سَبَوْهُمْ مِنَ ٱلسَّامِرَةِ، وَسَكَنَ فِي بَيْتِ إِيلَ وَعَلَّمَهُمْ كَيْفَ يَتَّقُونَ ٱلرَّبَّ. ٢٨ 28
२८तब जो याजक सामरिया से निकाले गए थे, उनमें से एक जाकर बेतेल में रहने लगा, और उनको सिखाने लगा कि यहोवा का भय किस रीति से मानना चाहिये।
فَكَانَتْ كُلُّ أُمَّةٍ تَعْمَلُ آلِهَتَهَا وَوَضَعُوهَا فِي بُيُوتِ ٱلْمُرْتَفَعَاتِ ٱلَّتِي عَمِلَهَا ٱلسَّامِرِيُّونَ، كُلُّ أُمَّةٍ فِي مُدُنِهَا ٱلَّتِي سَكَنَتْ فِيهَا. ٢٩ 29
२९तो भी एक-एक जाति के लोगों ने अपने-अपने निज देवता बनाकर, अपने-अपने बसाए हुए नगर में उन ऊँचे स्थानों के भवनों में रखा जो सामरिया के वासियों ने बनाए थे।
فَعَمِلَ أَهْلُ بَابِلَ سُكُّوثَ بَنُوثَ، وَأَهْلُ كُوثَ عَمِلُوا نَرْجَلَ، وَأَهْلُ حَمَاةَ عَمِلُوا أَشِيمَا، ٣٠ 30
३०बाबेल के मनुष्यों ने सुक्कोतबनोत को, कूत के मनुष्यों ने नेर्गल को, हमात के मनुष्यों ने अशीमा को,
وَٱلْعُوِّيُّونَ عَمِلُوا نِبْحَزَ وَتَرْتَاقَ، وَٱلسَّفَرْوَايِمِيُّونَ كَانُوا يُحْرِقُونَ بَنِيهِمْ بِٱلنَّارِ لِأَدْرَمَّلَكَ وَعَنَمَّلَكَ إِلَهَيْ سَفَرْوَايِمَ. ٣١ 31
३१और अव्वियों ने निभज, और तर्त्ताक को स्थापित किया; और सपर्वैमी लोग अपने बेटों को अद्रम्मेलेक और अनम्मेलेक नामक सपर्वैम के देवताओं के लिये होम करके चढ़ाने लगे।
فَكَانُوا يَتَّقُونَ ٱلرَّبَّ، وَيَعْمَلُونَ لِأَنْفُسِهِمْ مِنْ أَطْرَافِهِمْ كَهَنَةَ مُرْتَفَعَاتٍ، كَانُوا يُقَرِّبُونَ لِأَجْلِهِمْ فِي بُيُوتِ ٱلْمُرْتَفَعَاتِ. ٣٢ 32
३२अतः वे यहोवा का भय मानते तो थे, परन्तु सब प्रकार के लोगों में से ऊँचे स्थानों के याजक भी ठहरा देते थे, जो ऊँचे स्थानों के भवनों में उनके लिये बलि करते थे।
كَانُوا يَتَّقُونَ ٱلرَّبَّ وَيَعْبُدُونَ آلِهتَهُمْ كَعَادَةِ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ سَبَوْهُمْ مِنْ بَيْنِهِمْ ٣٣ 33
३३वे यहोवा का भय मानते तो थे, परन्तु उन जातियों की रीति पर, जिनके बीच से वे निकाले गए थे, अपने-अपने देवताओं की भी उपासना करते रहे।
إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ يَعْمَلُونَ كَعَادَاتِهِمِ ٱلْأُوَلِ. لَا يَتَّقُونَ ٱلرَّبَّ وَلَا يَعْمَلُونَ حَسَبَ فَرَائِضِهِمْ وَعَوَائِدِهِمْ وَلَا حَسَبَ ٱلشَّرِيعَةِ وَٱلْوَصِيَّةِ ٱلَّتِي أَمَرَ بِهَا ٱلرَّبُّ بَنِي يَعْقُوبَ، ٱلَّذِي جَعَلَ ٱسْمَهُ إِسْرَائِيلَ. ٣٤ 34
३४आज के दिन तक वे अपनी पुरानी रीतियों पर चलते हैं, वे यहोवा का भय नहीं मानते। वे न तो उन विधियों और नियमों पर और न उस व्यवस्था और आज्ञा के अनुसार चलते हैं, जो यहोवा ने याकूब की सन्तान को दी थी, जिसका नाम उसने इस्राएल रखा था।
وَقَطَعَ ٱلرَّبُّ مَعَهُمْ عَهْدًا وَأَمَرَهُمْ قَائِلًا: «لَا تَتَّقُوا آلِهَةً أُخْرَى، وَلَا تَسْجُدُوا لَهَا وَلَا تَعْبُدُوهَا وَلَا تَذْبَحُوا لَهَا. ٣٥ 35
३५उनसे यहोवा ने वाचा बाँधकर उन्हें यह आज्ञा दी थी, “तुम पराए देवताओं का भय न मानना और न उन्हें दण्डवत् करना और न उनकी उपासना करना और न उनको बलि चढ़ाना।
بَلْ إِنَّمَا ٱتَّقُوا ٱلرَّبَّ ٱلَّذِي أَصْعَدَكُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ بِقُوَّةٍ عَظِيمَةٍ وَذِرَاعٍ مَمْدُودَةٍ، وَلَهُ ٱسْجُدُوا، وَلَهُ ٱذْبَحُوا. ٣٦ 36
३६परन्तु यहोवा जो तुम को बड़े बल और बढ़ाई हुई भुजा के द्वारा मिस्र देश से निकाल ले आया, तुम उसी का भय मानना, उसी को दण्डवत् करना और उसी को बलि चढ़ाना।
وَٱحْفَظُوا ٱلْفَرَائِضَ وَٱلْأَحْكَامَ وَٱلشَّرِيعَةَ وَٱلْوَصِيَّةَ ٱلَّتِي كَتَبَهَا لَكُمْ لِتَعْمَلُوا بِهَا كُلَّ ٱلْأَيَّامِ، وَلَا تَتَّقُوا آلِهَةً أُخْرَى. ٣٧ 37
३७और उसने जो-जो विधियाँ और नियम और जो व्यवस्था और आज्ञाएँ तुम्हारे लिये लिखीं, उन्हें तुम सदा चौकसी से मानते रहो; और पराए देवताओं का भय न मानना।
وَلَا تَنْسَوْا ٱلْعَهْدَ ٱلَّذِي قَطَعْتُهُ مَعَكُمْ، وَلَا تَتَّقُوا آلِهَةً أُخْرَى. ٣٨ 38
३८और जो वाचा मैंने तुम्हारे साथ बाँधी है, उसे न भूलना और पराए देवताओं का भय न मानना।
بَلْ إِنَّمَا ٱتَّقُوا ٱلرَّبَّ إِلَهَكُمْ وَهُوَ يُنْقِذُكُمْ مِنْ أَيْدِي جَمِيعِ أَعْدَائِكُمْ». ٣٩ 39
३९केवल अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना, वही तुम को तुम्हारे सब शत्रुओं के हाथ से बचाएगा।”
فَلَمْ يَسْمَعُوا بَلْ عَمِلُوا حَسَبَ عَادَتِهِمِ ٱلْأُولَى. ٤٠ 40
४०तो भी उन्होंने न माना, परन्तु वे अपनी पुरानी रीति के अनुसार करते रहे।
فَكَانَ هَؤُلَاءِ ٱلْأُمَمُ يَتَّقُونَ ٱلرَّبَّ، وَيَعْبُدُونَ تَمَاثِيلَهُمْ، وَأَيْضًا بَنُوهُمْ وَبَنُو بَنِيهِمْ. فَكَمَا عَمِلَ آبَاؤُهُمْ هَكَذَا هُمْ عَامِلُونَ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. ٤١ 41
४१अतएव वे जातियाँ यहोवा का भय मानती तो थीं, परन्तु अपनी खुदी हुई मूरतों की उपासना भी करती रहीं, और जैसे वे करते थे वैसे ही उनके बेटे पोते भी आज के दिन तक करते हैं।

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