< اَلْمُلُوكِ ٱلثَّانِي 17 >

فِي ٱلسَّنَةِ ٱلثَّانِيةَ عَشْرَةَ لِآحَازَ مَلِكِ يَهُوذَا، مَلَكَ هُوشَعُ بْنُ أَيْلَةَ فِي ٱلسَّامِرَةِ عَلَى إِسْرَائِيلَ تِسْعَ سِنِينَ. ١ 1
यहूदिया के राजा आहाज़ के शासन के बारहवें साल में एलाह का पुत्र होशिया शमरिया में राजा बना. उसका शासन नौ साल का था.
وَعَمِلَ ٱلشَّرَّ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ، وَلَكِنْ لَيْسَ كَمُلُوكِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ كَانُوا قَبْلَهُ. ٢ 2
उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत था, मगर उस सीमा तक नहीं, जैसा इस्राएल में उसके पहले के राजाओं ने किया था.
وَصَعِدَ عَلَيْهِ شَلْمَنْأَسَرُ مَلِكُ أَشُّورَ، فَصَارَ لَهُ هُوشَعُ عَبْدًا وَدَفَعَ لَهُ جِزْيَةً. ٣ 3
अश्शूर के राजा शालमानेसर ने उस पर हमला कर दिया. होशिया को उसके अधीन, जागीरदार होकर उसे कर देना पड़ता था.
وَوَجَدَ مَلِكُ أَشُّورَ فِي هُوشَعَ خِيَانَةً، لِأَنَّهُ أَرْسَلَ رُسُلًا إِلَى سَوَا مَلِكِ مِصْرَ، وَلَمْ يُؤَدِّ جِزْيَةً إِلَى مَلِكِ أَشُّورَ حَسَبَ كُلِّ سَنَةٍ، فَقَبَضَ عَلَيْهِ مَلِكُ أَشُّورَ وَأَوْثَقَهُ فِي ٱلسِّجْنِ. ٤ 4
मगर अश्शूर के राजा को होशिया के एक षड़्‍यंत्र के विषय में मालूम हो गया. होशिया ने मिस्र देश के राजा सोअ से संपर्क के लिए अपने दूत भेजे थे, और उसने अपने ठहराए गए कर का भुगतान भी नहीं किया था, जैसा वह हर साल किया करता था. तब अश्शूर के राजा ने उसे बंदी बनाकर बंदीगृह में डाल दिया.
وَصَعِدَ مَلِكُ أَشُّورَ عَلَى كُلِّ ٱلْأَرْضِ، وَصَعِدَ إِلَى ٱلسَّامِرَةِ وَحَاصَرَهَا ثَلَاثَ سِنِينَ. ٥ 5
इसके बाद उसने सारी इस्राएल देश पर कब्जा किया, और तीन साल तक शमरिया नगर को अपनी अधीनता में रखा.
فِي ٱلسَّنَةِ ٱلتَّاسِعَةِ لِهُوشَعَ أَخَذَ مَلِكُ أَشُّورَ ٱلسَّامِرَةَ، وَسَبَى إِسْرَائِيلَ إِلَى أَشُّورَ وَأَسْكَنَهُمْ فِي حَلَحَ وَخَابُورَ نَهْرِ جُوزَانَ وَفِي مُدُنِ مَادِي. ٦ 6
होशिया के शासन के नवें साल में अश्शूर के राजा ने शमरिया को अपने अधिकार में ले लिया. उसने इस्राएल जनता को बंदी बनाकर अश्शूर ले जाकर वहां हालाह और हाबोर क्षेत्र में बसा दिया. ये दोनों क्षेत्र मेदिया प्रदेश के गोज़ान नदी के तट पर स्थित हैं.
وَكَانَ أَنَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ أَخْطَأُوا إِلَى ٱلرَّبِّ إِلَهِهِمِ ٱلَّذِي أَصْعَدَهُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ مِنْ تَحْتِ يَدِ فِرْعَوْنَ مَلِكِ مِصْرَ، وَٱتَّقَوْا آلِهَةً أُخْرَى، ٧ 7
यह सब इसलिये हुआ कि इस्राएल वंशजों ने याहवेह, अपने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया; उस परमेश्वर के विरुद्ध, जिन्होंने उन्हें मिस्र के राजा फ़रोह की बंधुआई से मुक्त कराया था. उनमें पराए देवताओं के लिए भय आ गया था.
وَسَلَكُوا حَسَبَ فَرَائِضِ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ طَرَدَهُمُ ٱلرَّبُّ مِنْ أَمَامِ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَمُلُوكِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِينَ أَقَامُوهُمْ. ٨ 8
वे उन राष्ट्रों की प्रथाओं का पालन करने लगे थे, जिन जनताओं को याहवेह ने इस्राएल वंश के सामने से अलग कर दिया था. इसके अलावा वे इस्राएल के राजाओं द्वारा प्रचलित प्रथाओं का पालन करने लगे थे.
وَعَمِلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ سِرًّا ضِدَّ ٱلرَّبِّ إِلَهِهِمْ أُمُورًا لَيْسَتْ بِمُسْتَقِيمَةٍ، وَبَنَوْا لِأَنْفُسِهِمْ مُرْتَفَعَاتٍ فِي جَمِيعِ مُدُنِهِمْ، مِنْ بُرْجِ ٱلنَّوَاطِيرِ إِلَى ٱلْمَدِينَةِ ٱلْمُحَصَّنَةِ. ٩ 9
इस्राएल के लोग याहवेह, उनके परमेश्वर के विरुद्ध गुप्‍त रूप से वह सब करते रहे, जो गलत था. उन्होंने अपने सारे नगरों में पहरेदारों के खंभों से लेकर गढ़नगर तक पूजा की जगहों को बनवाया.
وَأَقَامُوا لِأَنْفُسِهِمْ أَنْصَابًا وَسَوَارِيَ عَلَى كُلِّ تَلٍّ عَالٍ وَتَحْتَ كُلِّ شَجَرَةٍ خَضْرَاءَ. ١٠ 10
उन्होंने हर एक ऊंची पहाड़ी पर और हर एक हरे पेड़ के नीचे अशेराह के खंभे खड़े किए.
وَأَوْقَدُوا هُنَاكَ عَلَى جَمِيعِ ٱلْمُرْتَفَعَاتِ مِثْلَ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ سَاقَهُمُ ٱلرَّبُّ مِنْ أَمَامِهِمْ، وَعَمِلُوا أُمُورًا قَبِيحَةً لِإِغَاظَةِ ٱلرَّبِّ. ١١ 11
वे सारे पूजा स्थलों पर धूप जलाते थे, उन्हीं जनताओं के समान, जिन्हें याहवेह ने उनके सामने से हटाकर अलग किया था. इस्राएली प्रजा दुष्टता से भरे कामों में लगी रही, जिससे याहवेह का गुस्सा भड़क उठता था.
وَعَبَدُوا ٱلْأَصْنَامَ ٱلَّتِي قَالَ ٱلرَّبُّ لَهُمْ عَنْهَا: «لَا تَعْمَلُوا هَذَا ٱلْأَمْرَ». ١٢ 12
वे मूर्तियों की सेवा-उपासना करते रहे, जिनके विषय में याहवेह ने उन्हें चेताया था, “तुम यह न करना.”
وَأَشْهَدَ ٱلرَّبُّ عَلَى إِسْرَائِيلَ وَعَلَى يَهُوذَا عَنْ يَدِ جَمِيعِ ٱلْأَنْبِيَاءِ وَكُلِّ رَاءٍ قَائِلًا: «ٱرْجِعُوا عَنْ طُرُقِكُمُ ٱلرَّدِيئَةِ وَٱحْفَظُوا وَصَايَايَ، فَرَائِضِي، حَسَبَ كُلِّ ٱلشَّرِيعَةِ ٱلَّتِي أَوْصَيْتُ بِهَا آبَاءَكُمْ، وَٱلَّتِي أَرْسَلْتُهَا إِلَيْكُمْ عَنْ يَدِ عَبِيدِي ٱلْأَنْبِيَاءِ». ١٣ 13
फिर भी याहवेह इस्राएल और यहूदिया को हर एक भविष्यद्वक्ता और दर्शी के द्वारा इस प्रकार चेतावनी देते रहेः “व्यवस्था के अनुसार अपनी बुराइयों से फिरकर मेरे आदेशों और नियमों का पालन करो, जिनका आदेश मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था, और जिन्हें मैंने भविष्यवक्ताओं, मेरे सेवकों के माध्यम से तुम तक पहुंचाया.”
فَلَمْ يَسْمَعُوا بَلْ صَلَّبُوا أَقْفِيَتَهُمْ كَأَقْفِيَةِ آبَائِهِمِ ٱلَّذِينَ لَمْ يُؤْمِنُوا بِٱلرَّبِّ إِلَهِهِمْ. ١٤ 14
मगर उन्होंने इसकी अवहेलना की, और अपने हृदय कठोर कर लिए; जैसा उनके पूर्वजों ने किया था, जिनकी याहवेह, उनके परमेश्वर में कोई श्रद्धा न थी.
وَرَفَضُوا فَرَائِضَهُ وَعَهْدَهُ ٱلَّذِي قَطَعَهُ مَعَ آبَائِهِمْ وَشَهَادَاتِهِ ٱلَّتِي شَهِدَ بِهَا عَلَيْهِمْ، وَسَارُوا وَرَاءَ ٱلْبَاطِلِ، وَصَارُوا بَاطِلًا وَرَاءَ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ حَوْلَهُمُ، ٱلَّذِينَ أَمَرَهُمُ ٱلرَّبُّ أَنْ لَا يَعْمَلُوا مِثْلَهُمْ. ١٥ 15
उन्होंने याहवेह के नियमों का तिरस्कार किया और उस वाचा को तुच्छ माना, जो याहवेह ने उनके पूर्वजों के साथ स्थापित की थी. उन्होंने उन चेतावनियों पर ध्यान न दिया, जिनके द्वारा याहवेह ने उन्हें सचेत करना चाहा था. वे बेकार के कामों का अनुसरण करते-करते खुद भी बेकार बन गए, और अपने पड़ोसी राष्ट्रों के समान हो गए. इन्हीं राष्ट्रों के बारे में याहवेह ने उन्हें साफ़ आदेश दिया था: “उनका अनुसरण नहीं करना.”
وَتَرَكُوا جَمِيعَ وَصَايَا ٱلرَّبِّ إِلَهِهِمْ وَعَمِلُوا لِأَنْفُسِهِمْ مَسْبُوكَاتٍ عِجْلَيْنِ، وَعَمِلُوا سَوَارِيَ، وَسَجَدُوا لِجَمِيعِ جُنْدِ ٱلسَّمَاءِ، وَعَبَدُوا ٱلْبَعْلَ. ١٦ 16
उन्होंने याहवेह, अपने परमेश्वर के सभी आदेशों को त्याग दिया, और उन्होंने अपने लिए बछड़ों की धातु की मूर्तियां, हां, दो बछड़ों की मूर्तियां ढाल लीं. उन्होंने अशेराह को बनाया और आकाश की सारी शक्तियों और बाल देवता की उपासना की.
وَعَبَّرُوا بَنِيهِمْ وَبَنَاتِهِمْ فِي ٱلنَّارِ، وَعَرَفُوا عِرَافَةً وَتَفَاءَلُوا، وَبَاعُوا أَنْفُسَهُمْ لِعَمَلِ ٱلشَّرِّ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ لِإِغَاظَتِهِ. ١٧ 17
इसके बाद उन्होंने अपनी संतान को आग के बीच से होकर निकलने की प्रथा पूरी करने के लिए मजबूर किया. वे भावी कहते थे और जादू-टोना भी करते थे. उन्होंने स्वयं को वह सब करने के लिए समर्पित कर दिया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत है. इससे उन्होंने याहवेह के क्रोध को भड़का दिया.
فَغَضِبَ ٱلرَّبُّ جِدًّا عَلَى إِسْرَائِيلَ وَنَحَّاهُمْ مِنْ أَمَامِهِ، وَلَمْ يَبْقَ إِلَّا سِبْطُ يَهُوذَا وَحْدَهُ. ١٨ 18
फलस्वरूप याहवेह इस्राएल पर बहुत ही क्रोधित हो गए, और उन्होंने इस्राएल को अपनी नज़रों से दूर कर दिया; सिवाय यहूदाह गोत्र के.
وَيَهُوذَا أَيْضًا لَمْ يَحْفَظُوا وَصَايَا ٱلرَّبِّ إِلَهِهِمْ، بَلْ سَلَكُوا فِي فَرَائِضِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّتِي عَمِلُوهَا. ١٩ 19
यहूदिया ने भी याहवेह, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन नहीं किया. उसने उन्हीं प्रथाओं का अनुसरण किया, जिनको इस्राएल द्वारा शुरू किया गया था.
فَرَذَلَ ٱلرَّبُّ كُلَّ نَسْلِ إِسْرَائِيلَ، وَأَذَلَّهُمْ وَدَفَعَهُمْ لِيَدِ نَاهِبِينَ حَتَّى طَرَحَهُمْ مِنْ أَمَامِهِ، ٢٠ 20
याहवेह ने इस्राएल के सारे वंशजों को त्याग दिया, उन्हें सताया, उन्हें लुटेरों को सौंप दिया, और अपनी दृष्टि से दूर कर दिया.
لِأَنَّهُ شَقَّ إِسْرَائِيلَ عَنْ بَيْتِ دَاوُدَ، فَمَلَّكُوا يَرُبْعَامَ بْنَ نَبَاطَ، فَأَبْعَدَ يَرُبْعَامُ إِسْرَائِيلَ مِنْ وَرَاءِ ٱلرَّبِّ وَجَعَلَهُمْ يُخْطِئُونَ خَطِيَّةً عَظِيمَةً. ٢١ 21
जब याहवेह इस्राएल को दावीद के वंश से अलग कर चुके, इस्राएलियों ने नेबाथ के पुत्र यरोबोअम को राजा बनाकर प्रतिष्ठित किया. यरोबोअम ने इस्राएल से याहवेह का अनुसरण खत्म करवा दिया, और इस्राएल को अधम पाप के लिए उकसाया.
وَسَلَكَ بَنُو إِسْرَائِيلَ فِي جَمِيعِ خَطَايَا يَرُبْعَامَ ٱلَّتِي عَمِلَ. لَمْ يَحِيدُوا عَنْهَا ٢٢ 22
इस्राएली प्रजा ने वे सारे पाप किए, जो यरोबोअम ने स्वयं किए थे. इन पापों से वे कभी दूर न हुए.
حَتَّى نَحَّى ٱلرَّبُّ إِسْرَائِيلَ مِنْ أَمَامِهِ كَمَا تَكَلَّمَ عَنْ يَدِ جَمِيعِ عَبِيدِهِ ٱلْأَنْبِيَاءِ، فَسُبِيَ إِسْرَائِيلُ مِنْ أَرْضِهِ إِلَى أَشُّورَ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. ٢٣ 23
तब याहवेह ने उन्हें अपनी दृष्टि से दूर कर दिया, जैसा उन्होंने भविष्यवक्ताओं, अपने सेवकों, के द्वारा पहले ही घोषित कर दिया था. तब इस्राएल वंशज अपने देश से अश्शूर को बंधुआई में भेज दिए गए, वे अब तक बंधुआई में ही हैं.
وَأَتَى مَلِكُ أَشُّورَ بِقَوْمٍ مِنْ بَابِلَ وَكُوثَ وَعَوَّا وَحَمَاةَ وَسَفَرْوَايِمَ، وَأَسْكَنَهُمْ فِي مُدُنِ ٱلسَّامِرَةِ عِوَضًا عَنْ بَنِي إِسْرَائِيلَ، فَٱمْتَلَكُوا ٱلسَّامِرَةَ وَسَكَنُوا فِي مُدُنِهَا. ٢٤ 24
अश्शूर के राजा ने बाबेल, कूथाह, अव्वा, हामाथ और सेफरवाइम से लोगों को लाकर शमरिया के नगरों में बसा दिया, जहां इसके पहले इस्राएल का रहना था. उन्होंने शमरिया को अपने अधिकार में ले लिया, और उसके नगरों में रहने लगे.
وَكَانَ فِي ٱبْتِدَاءِ سَكَنِهِمْ هُنَاكَ أَنَّهُمْ لَمْ يَتَّقُوا ٱلرَّبَّ، فَأَرْسَلَ ٱلرَّبُّ عَلَيْهِمِ ٱلسِّبَاعَ فَكَانَتْ تَقْتُلُ مِنْهُمْ. ٢٥ 25
उनके वहां रहने के शुरुआती सालों में उनके मन में याहवेह के प्रति भय था ही नहीं. तब याहवेह ने उनके बीच शेर भेज दिए, जिन्होंने उनमें से कुछ को अपना कौर बना लिया.
فَكَلَّمُوا مَلِكَ أَشُّورَ قَائِلِينَ: «إِنَّ ٱلْأُمَمَ ٱلَّذِينَ سَبَيْتَهُمْ وَأَسْكَنْتَهُمْ فِي مُدُنِ ٱلسَّامِرَةِ، لَا يَعْرِفُونَ قَضَاءَ إِلَهِ ٱلْأَرْضِ، فَأَرْسَلَ عَلَيْهِمِ ٱلسِّبَاعَ فَهِيَ تَقْتُلُهُمْ لِأَنَّهُمْ لَا يَعْرِفُونَ قَضَاءَ إِلَهِ ٱلْأَرْضِ». ٢٦ 26
इसके बारे में अश्शूर के राजा को सूचित किया गया: “जिन राष्ट्रों को आपने ले जाकर शमरिया के नगरों में बसाया है, उन्हें इस देश के देवता की विधि पता नहीं है, इसलिये उसने उनके बीच शेर भेज दिए हैं. अब देखिए वे प्रजा को मार रहे हैं, क्योंकि प्रजा को इस देश के देवता का पता नहीं है.”
فَأَمَرَ مَلِكُ أَشُّورَ قَائِلًا: «ٱبْعَثُوا إِلَى هُنَاكَ وَاحِدًا مِنَ ٱلْكَهَنَةِ ٱلَّذِينَ سَبَيْتُمُوهُمْ مِنْ هُنَاكَ فَيَذْهَبَ وَيَسْكُنَ هُنَاكَ، وَيُعَلِّمَهُمْ قَضَاءَ إِلَهِ ٱلْأَرْضِ». ٢٧ 27
यह सुन अश्शूर के राजा ने यह आदेश दिया, “जिन पुरोहितों को बंधुआई में लाया गया है, उनमें से एक पुरोहित को वहां भेज दिया जाए, कि वह वहां जाकर वहीं रहा करे, और वहां बसे इन लोगों को उस देश के देवता की व्यवस्था की शिक्षा दे.”
فَأَتَى وَاحِدٌ مِنَ ٱلْكَهَنَةِ ٱلَّذِينَ سَبَوْهُمْ مِنَ ٱلسَّامِرَةِ، وَسَكَنَ فِي بَيْتِ إِيلَ وَعَلَّمَهُمْ كَيْفَ يَتَّقُونَ ٱلرَّبَّ. ٢٨ 28
तब शमरिया से निकले पुरोहितों में से एक पुरोहित बेथेल नगर में आकर निवास करने लगा, जो उन्हें याहवेह के प्रति भय रखने के विषय में शिक्षा देता था.
فَكَانَتْ كُلُّ أُمَّةٍ تَعْمَلُ آلِهَتَهَا وَوَضَعُوهَا فِي بُيُوتِ ٱلْمُرْتَفَعَاتِ ٱلَّتِي عَمِلَهَا ٱلسَّامِرِيُّونَ، كُلُّ أُمَّةٍ فِي مُدُنِهَا ٱلَّتِي سَكَنَتْ فِيهَا. ٢٩ 29
मगर हर एक राष्ट्र अपने-अपने देवताओं की मूर्तियां बनाता रहा, और उन्हें अपने-अपने नगरों के पूजा स्थलों में प्रतिष्ठित करता रहा; उन पूजा स्थलों पर, जो शमरिया के मूलवासियों द्वारा बनाए गए थे. यह वे उन सभी नगरों में करते गए, जहां वे बसते जा रहे थे.
فَعَمِلَ أَهْلُ بَابِلَ سُكُّوثَ بَنُوثَ، وَأَهْلُ كُوثَ عَمِلُوا نَرْجَلَ، وَأَهْلُ حَمَاةَ عَمِلُوا أَشِيمَا، ٣٠ 30
जो लोग बाबेल से आए थे उन्होंने सुक्कोथ-बेनोथ की मूर्ति, कूथ से आए लोगों ने नेरगल की, हामाथ से बसे हुए विदेशियों ने आषिमा की,
وَٱلْعُوِّيُّونَ عَمِلُوا نِبْحَزَ وَتَرْتَاقَ، وَٱلسَّفَرْوَايِمِيُّونَ كَانُوا يُحْرِقُونَ بَنِيهِمْ بِٱلنَّارِ لِأَدْرَمَّلَكَ وَعَنَمَّلَكَ إِلَهَيْ سَفَرْوَايِمَ. ٣١ 31
अब्बी प्रवासियों ने निभाज़ और तारतक की; इसके अलावा सेफारवी प्रवासियों ने अपने बालकों को अद्राम्मेलेख और अन्‍नाम्मेलेख के लिए आग में बलि करने सेफरवाइम देवता की प्रथा चालू रखी.
فَكَانُوا يَتَّقُونَ ٱلرَّبَّ، وَيَعْمَلُونَ لِأَنْفُسِهِمْ مِنْ أَطْرَافِهِمْ كَهَنَةَ مُرْتَفَعَاتٍ، كَانُوا يُقَرِّبُونَ لِأَجْلِهِمْ فِي بُيُوتِ ٱلْمُرْتَفَعَاتِ. ٣٢ 32
हां, उन्होंने भय के कारण याहवेह के लिए सभी प्रकार के लोगों में से पुरोहित भी चुन लिए. ये पुरोहित उनके लिए पूजा की जगहों पर बलि चढ़ाया करते थे.
كَانُوا يَتَّقُونَ ٱلرَّبَّ وَيَعْبُدُونَ آلِهتَهُمْ كَعَادَةِ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ سَبَوْهُمْ مِنْ بَيْنِهِمْ ٣٣ 33
संक्षेप में, वे याहवेह के प्रति भय रखते हुए भी अपने-अपने राष्ट्र के उन देवताओं की उपासना करते रहे, जिन राष्ट्रों से लाकर वे यहां बसाए गए थे.
إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ يَعْمَلُونَ كَعَادَاتِهِمِ ٱلْأُوَلِ. لَا يَتَّقُونَ ٱلرَّبَّ وَلَا يَعْمَلُونَ حَسَبَ فَرَائِضِهِمْ وَعَوَائِدِهِمْ وَلَا حَسَبَ ٱلشَّرِيعَةِ وَٱلْوَصِيَّةِ ٱلَّتِي أَمَرَ بِهَا ٱلرَّبُّ بَنِي يَعْقُوبَ، ٱلَّذِي جَعَلَ ٱسْمَهُ إِسْرَائِيلَ. ٣٤ 34
आज तक वे अपनी-अपनी पहले की प्रथाओं में लगे हैं. वे न तो याहवेह के प्रति भय दिखाते हैं, न ही वे याहवेह द्वारा दी गई विधियों या आदेशों या नियमों या व्यवस्था का पालन करते हैं, जिनके पालन करने का आदेश याहवेह द्वारा याकोब के वंशों को दिया गया था, जिन्हें वह इस्राएल नाम से बुलाते थे,
وَقَطَعَ ٱلرَّبُّ مَعَهُمْ عَهْدًا وَأَمَرَهُمْ قَائِلًا: «لَا تَتَّقُوا آلِهَةً أُخْرَى، وَلَا تَسْجُدُوا لَهَا وَلَا تَعْبُدُوهَا وَلَا تَذْبَحُوا لَهَا. ٣٥ 35
जिनके साथ याहवेह ने वाचा स्थापित की थी, और उन्हें यह आदेश दिया था: “पराए देवताओं से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है और न ही आवश्यकता है उनके सामने झुकने की, न उन्हें बलि चढ़ाने की, और न उनकी सेवा-उपासना करने की.
بَلْ إِنَّمَا ٱتَّقُوا ٱلرَّبَّ ٱلَّذِي أَصْعَدَكُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ بِقُوَّةٍ عَظِيمَةٍ وَذِرَاعٍ مَمْدُودَةٍ، وَلَهُ ٱسْجُدُوا، وَلَهُ ٱذْبَحُوا. ٣٦ 36
हां, भय उस याहवेह के लिए रखो, जिन्होंने मिस्र देश से तुम्हें अद्धुत सामर्थ्य और बढ़ाई हुई भुजा से तुमको निकालकर यहां ले आए हैं. भय उन्हीं के प्रति बनाए रखो, वंदना के लिए उन्हीं के सामने झुको, और बलि उन्हें ही चढ़ाओ.
وَٱحْفَظُوا ٱلْفَرَائِضَ وَٱلْأَحْكَامَ وَٱلشَّرِيعَةَ وَٱلْوَصِيَّةَ ٱلَّتِي كَتَبَهَا لَكُمْ لِتَعْمَلُوا بِهَا كُلَّ ٱلْأَيَّامِ، وَلَا تَتَّقُوا آلِهَةً أُخْرَى. ٣٧ 37
इसके अलावा जो विधियां, नियम, व्यवस्था और आदेश उन्होंने तुम्हारे लिए लिखवा दिए हैं, उन्हें तुम हमेशा पालन करते रहो. साथ ही, यह ज़रूरी नहीं कि तुम पराए देवताओं से डरो.
وَلَا تَنْسَوْا ٱلْعَهْدَ ٱلَّذِي قَطَعْتُهُ مَعَكُمْ، وَلَا تَتَّقُوا آلِهَةً أُخْرَى. ٣٨ 38
तुम उस वाचा को न भूलना जो मैंने तुम्हारे साथ बांधी है और न पराए देवताओं का भय मानना.
بَلْ إِنَّمَا ٱتَّقُوا ٱلرَّبَّ إِلَهَكُمْ وَهُوَ يُنْقِذُكُمْ مِنْ أَيْدِي جَمِيعِ أَعْدَائِكُمْ». ٣٩ 39
तुम सिर्फ याहवेह अपने परमेश्वर का भय मानना. याहवेह ही तुम्हें तुम्हारे सारी शत्रुओं से छुटकारा दिलाएंगे.”
فَلَمْ يَسْمَعُوا بَلْ عَمِلُوا حَسَبَ عَادَتِهِمِ ٱلْأُولَى. ٤٠ 40
इतना सब होने पर भी उन्होंने याहवेह की बातों पर ध्यान न दिया, वे अपने पहले के आचरण पर ही चलते रहे.
فَكَانَ هَؤُلَاءِ ٱلْأُمَمُ يَتَّقُونَ ٱلرَّبَّ، وَيَعْبُدُونَ تَمَاثِيلَهُمْ، وَأَيْضًا بَنُوهُمْ وَبَنُو بَنِيهِمْ. فَكَمَا عَمِلَ آبَاؤُهُمْ هَكَذَا هُمْ عَامِلُونَ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. ٤١ 41
इन जातियों ने याहवेह का भय तो माना, मगर साथ ही वे अपनी गढ़ी हुई मूर्तियों की उपासना भी करते रहे. उनकी संतान भी यही करती रही. और उनके बाद उनकी संतान भी, जैसा जैसा उन्होंने अपने पिता को करते देखा, उन्होंने आज तक उसी के जैसा किया.

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