< اَلْمُلُوكِ ٱلثَّانِي 11 >

فَلَمَّا رَأَتْ عَثَلْيَا أُمُّ أَخَزْيَا، أَنَّ ٱبْنَهَا قَدْ مَاتَ، قَامَتْ فَأَبَادَتْ جَمِيعَ ٱلنَّسْلِ ٱلْمَلِكِيِّ. ١ 1
जब अख़ज़ियाह की माँ 'अतलियाह ने देखा कि उसका बेटा मर गया, तब उसने उठकर बादशाह की सारी नस्ल को हलाक किया।
فَأَخَذَتْ يَهُوشَبَعُ بِنْتُ ٱلْمَلِكِ يُورَامَ، أُخْتُ أَخَزْيَا، يُوآشَ بْنَ أَخَزْيَا وَسَرِقَتْهُ مِنْ وَسْطِ بَنِي ٱلْمَلِكِ ٱلَّذِينَ قُتِلُوا، هُوَ وَمُرْضِعَتَهُ مِنْ مُخْدَعِ ٱلسَّرِيرِ، وَخَبَّأُوهُ مِنْ وَجْهِ عَثَلْيَا فَلَمْ يُقْتَلْ. ٢ 2
लेकिन यूराम बादशाह की बेटी यहूसबा' ने जो अख़ज़ियाह की बहन थी, अख़ज़ियाह के बेटे यूआस को लिया, और उसे उन शाहज़ादों से जो क़त्ल हुए चुपके से जुदा किया; और उसे उसकी दवा और बिस्तरों के साथ बिस्तरों की कोठरी में कर दिया। और उन्होंने उसे 'अतलियाह से छिपाए रख्खा, वह मारा न गया।
وَكَانَ مَعَهَا فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ مُخْتَبِئًا سِتَّ سِنِينَ. وَعَثَلْيَا مَالِكَةٌ عَلَى ٱلْأَرْضِ. ٣ 3
वह उसके साथ ख़ुदावन्द के घर में छ: साल तक छिपा रहा, और 'अतलियाह मुल्क में सल्तनत करती रही।
وَفِي ٱلسَّنَةِ ٱلسَّابِعَةِ أَرْسَلَ يَهُويَادَاعُ فَأَخَذَ رُؤَسَاءَ مِئَاتِ ٱلْجَلَّادِينَ وَٱلسُّعَاةِ، وَأَدْخَلَهُمْ إِلَيْهِ إِلَى بَيْتِ ٱلرَّبِّ، وَقَطَعَ مَعَهُمْ عَهْدًا وَٱسْتَحْلَفَهُمْ فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ وَأَرَاهُمُ ٱبْنَ ٱلْمَلِكِ. ٤ 4
सातवें साल में यहोयदा' ने काम करने और पहरेवालों के सौ — सौ के सरदारों को बुला भेजा, और उनको ख़ुदावन्द के घर में अपने पास लाकर उनसे 'अहद — ओ — पैमान किया और ख़ुदावन्द के घर में उनको क़सम खिलाई और बादशाह के बेटे को उनको दिखाया।
وَأَمَرَهُمْ قَائِلًا: «هَذَا مَا تَفْعَلُونَهُ: ٱلثُّلْثُ مِنْكُمُ ٱلَّذِينَ يَدْخُلُونَ فِي ٱلسَّبْتِ يَحْرُسُونَ حِرَاسَةَ بَيْتِ ٱلْمَلِكِ، ٥ 5
और उसने उनको ये हुक्म दिया, कि “तुम ये काम करना: तुम जो सबत को यहाँ आते हो; इसलिए तुम में से एक तिहाई आदमी बादशाह के महल के पहरे पर रहें,
وَٱلثُّلْثُ عَلَى بَابِ سُورٍ، وَٱلثُّلْثُ عَلَى ٱلْبَابِ وَرَاءَ ٱلسُّعَاةِ. فَتَحْرُسُونَ حِرَاسَةَ ٱلْبَيْتِ لِلصَّدِّ. ٦ 6
और एक तिहाई सूर नाम फाटक पर रहें, और एक तिहाई उस फाटक पर हों जो पहरेवालों के पीछे हैं, यूँ तुम महल की निगहबानी करना और लोगों को रोके रहना।
وَٱلْفِرْقَتَانِ مِنْكُمْ، جَمِيعُ ٱلْخَارِجِينَ فِي ٱلسَّبْتِ، يَحْرُسُونَ حِرَاسَةَ بَيْتِ ٱلرَّبِّ حَوْلَ ٱلْمَلِكِ. ٧ 7
और तुम्हारे दो लश्कर, या'नी जो सबत के दिन बाहर निकलते हैं, वह बादशाह के आसपास होकर ख़ुदावन्द के घर की निगहबानी करें।
وَتُحِيطُونَ بِٱلْمَلِكِ حَوَالَيْهِ، كُلُّ وَاحِدٍ سِلَاحُهُ بِيَدِهِ. وَمَنْ دَخَلَ ٱلصُّفُوفَ يُقْتَلُ. وَكُونُوا مَعَ ٱلْمَلِكِ فِي خُرُوجِهِ وَدُخُولِهِ». ٨ 8
और तुम अपने अपने हथियार हाथ में लिए हुए बादशाह को चारों तरफ़ से घेरे रहना, और जो कोई सफ़ों के अन्दर चला आए वह क़त्ल कर दिया जाए, और तुम बादशाह के बाहर जाते और अंदर आते वक़्त उसके साथ साथ रहना।”
فَفَعَلَ رُؤَسَاءُ ٱلْمِئَاتِ حَسَبَ كُلِّ مَا أَمَرَ بِهِ يَهُويَادَاعُ ٱلْكَاهِنُ، وَأَخَذُوا كُلُّ وَاحِدٍ رِجَالَهُ ٱلدَّاخِلِينَ فِي ٱلسَّبْتِ مَعَ ٱلْخَارِجِينَ فِي ٱلسَّبْتِ، وَجَاءُوا إِلَى يَهُويَادَاعَ ٱلْكَاهِنِ. ٩ 9
चुनाँचे सौ सौ के सरदारों ने, जैसा यहोयदा' काहिन ने उनको हुक्म दिया था वैसे ही सब कुछ किया; और उनमें से हर एक ने अपने आदमियों को जिनकी सबत के दिन अन्दर आने की बारी थी, उन लोगों के साथ जिनकी सबत के दिन बाहर निकलने की बारी थी लिया, और यहोयदा' काहिन के पास आए।
فَأَعْطَى ٱلْكَاهِنُ لِرُؤَسَاءِ ٱلْمِئَاتِ ٱلْحِرَابَ وَٱلْأَتْرَاسَ ٱلَّتِي لِلْمَلِكِ دَاوُدَ ٱلَّتِي فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ. ١٠ 10
और काहिन ने दाऊद बादशाह की बर्छियाँ और सिप्परें, जो ख़ुदावन्द के घर में थीं सौ — सौ के सरदारों को दीं।
وَوَقَفَ ٱلسُّعَاةُ كُلُّ وَاحِدٍ سِلَاحُهُ بِيَدِهِ مِنْ جَانِبِ ٱلْبَيْتِ ٱلْأَيْمَنِ إِلَى جَانِبِ ٱلْبَيْتِ ٱلْأَيْسَرِ حَوْلَ ٱلْمَذْبَحِ وَٱلْبَيْتِ، حَوْلَ ٱلْمَلِكِ مُسْتَدِيرِينَ. ١١ 11
और पहरेवाले अपने अपने हथियार हाथ में लिए हुए, हैकल के दाहिने तरफ़ से लेकर बाएँ तरफ़ मज़बह और हैकल के बराबर — बराबर बादशाह के चारों तरफ़ खड़े हो गए।
وَأَخْرَجَ ٱبْنَ ٱلْمَلِكِ وَوَضَعَ عَلَيْهِ ٱلتَّاجَ وَأَعْطَاهُ ٱلشَّهَادَةَ، فَمَلَّكُوهُ وَمَسَحُوهُ وَصَفَّقُوا وَقَالُوا: «لِيَحْيَ ٱلْمَلِكُ». ١٢ 12
फिर उसने शाहज़ादे को बाहर लाकर उस पर ताज रख्खा, और शहादत नामा उसे दिया; और उन्होंने उसे बादशाह बनाया और उसे मसह किया, और उन्होंने तालियाँ बजाईं और कहा “बादशाह सलामत रहे!”
وَلَمَّا سَمِعَتْ عَثَلْيَا صَوْتَ ٱلسُّعَاةِ وَٱلشَّعْبِ، دَخَلَتْ إِلَى ٱلشَّعْبِ إِلَى بَيْتِ ٱلرَّبِّ، ١٣ 13
जब 'अतलियाह ने पहरेवालों और लोगों का शोर सुना, तो वह उन लोगों के पास ख़ुदावन्द की हैकल में गई;
وَنَظَرَتْ وَإِذَا ٱلْمَلِكُ وَاقِفٌ عَلَى ٱلْمِنْبَرِ حَسَبَ ٱلْعَادَةِ، وَٱلرُّؤَسَاءُ وَنَافِخُو ٱلْأَبْوَاقِ بِجَانِبِ ٱلْمَلِكِ، وَكُلُّ شَعْبِ ٱلْأَرْضِ يَفْرَحُونَ وَيَضْرِبُونَ بِٱلْأَبْوَاقِ. فَشَقَّتْ عَثَلْيَا ثِيَابَهَا وَصَرَخَتْ: «خِيَانَةٌ، خِيَانَةٌ!». ١٤ 14
और देखा कि बादशाह दस्तूर के मुताबिक़ सुतून के क़रीब खड़ा है और उसके पास ही सरदार और नरसिंगे हैं, और सल्तनत के सब लोग ख़ुश हैं और नरसिंगे फूंक रहे हैं। तब 'अतलियाह ने अपने कपड़े फाड़े और चिल्लाई, “ग़द्र है! ग़द्र!”
فَأَمَرَ يَهُويَادَاعُ ٱلْكَاهِنُ رُؤَسَاءَ ٱلْمِئَاتِ، قُوَّادَ ٱلْجَيْشِ وَقَالَ لَهُمْ: «أَخْرِجُوهَا إِلَى خَارِجِ ٱلصُّفُوفِ، وَٱلَّذِي يَتْبَعُهَا ٱقْتُلُوهُ بِٱلسَّيْفِ». لِأَنَّ ٱلْكَاهِنَ قَالَ: «لَا تُقْتَلُ فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ». ١٥ 15
तब यहोयदा काहिन ने सौ — सौ के सरदारों को जो लश्कर के ऊपर थे ये हुक्म दिया, कि “उसको सफ़ों के बीच करके बाहर निकाल ले जाओ, और जो कोई उसके पीछे चले उसको तलवार से क़त्ल कर दो।” क्यूँकि काहिन ने कहा, “वह ख़ुदावन्द के घर के अन्दर क़त्ल न की जाए।”
فَأَلْقَوْا عَلَيْهَا ٱلْأَيَادِيَ، وَمَضَتْ فِي طَرِيقِ مَدْخَلِ ٱلْخَيْلِ إِلَى بَيْتِ ٱلْمَلِكِ، وَقُتِلَتْ هُنَاكَ. ١٦ 16
तब उन्होंने उसके लिए रास्ता छोड़ दिया, और वह उस रास्ते से गई जिससे घोड़े बादशाह के महल में दाख़िल होते थे, और वहीं क़त्ल हुई।
وَقَطَعَ يَهُويَادَاعُ عَهْدًا بَيْنَ ٱلرَّبِّ وَبَيْنَ ٱلْمَلِكِ وَٱلشَّعْبِ لِيَكُونُوا شَعْبًا لِلرَّبِّ، وَبَيْنَ ٱلْمَلِكِ وَٱلشَّعْبِ. ١٧ 17
और यहोयदा' ने ख़ुदावन्द के, और बादशाह और लोगों के बीच एक 'अहद बाँधा, ताकि वह ख़ुदावन्द के लोग हों, और बादशाह और लोगों के बीच भी 'अहद बाँधा।
وَدَخَلَ جَمِيعُ شَعْبِ ٱلْأَرْضِ إِلَى بَيْتِ ٱلْبَعْلِ وَهَدَمُوا مَذَابِحَهُ وَكَسَّرُوا تَمَاثِيلَهُ تَمَامًا، وَقَتَلُوا مَتَّانَ كَاهِنَ ٱلْبَعْلِ أَمَامَ ٱلْمَذَابِحِ. وَجَعَلَ ٱلْكَاهِنُ نُظَّارًا عَلَى بَيْتِ ٱلرَّبِّ. ١٨ 18
और ममलुकत के सब लोग बा'ल के बुतख़ाने में गए और उसे ढाया, और उन्होंने उसके मज़बहों और बुतों को बिल्कुल चकनाचूर किया, और बा'ल के पुजारी मत्तान को मज़बहों के सामने क़त्ल किया। और काहिन ने ख़ुदावन्द के घर के लिए सरदारों को मुक़र्रर किया;
وَأَخَذَ رُؤَسَاءَ ٱلْمِئَاتِ وَٱلْجَلَّادِينَ وَٱلسُّعَاةَ وَكُلَّ شَعْبِ ٱلْأَرْضِ، فَأَنْزَلُوا ٱلْمَلِكَ مِنْ بَيْتِ ٱلرَّبِّ وَأَتَوْا فِي طَرِيقِ بَابِ ٱلسُّعَاةِ إِلَى بَيْتِ ٱلْمَلِكِ، فَجَلَسَ عَلَى كُرْسِيِّ ٱلْمُلُوكِ. ١٩ 19
और उसने सौ — सौ के सरदारों और काम करने वालों और पहरेवालों और सल्तनत के लोगों को लिया, और वह बादशाह को ख़ुदावन्द के घर से उतार लाए और पहरेवालों के फाटक के रास्ते से बादशाह के महल में आए; और उसने बादशाहों के तख़्त पर जुलूस फ़रमाया।
وَفَرِحَ جَمِيعُ شَعْبِ ٱلْأَرْضِ، وَٱسْتَرَاحَتِ ٱلْمَدِينَةُ. وَقَتَلُوا عَثَلْيَا بِٱلسَّيْفِ عِنْدَ بَيْتِ ٱلْمَلِكِ. ٢٠ 20
और सल्तनत के सब लोग खु़श हुए, और शहर में अमन हो गया। उन्होंने 'अतलियाह को बादशाह के महल के पास तलवार से क़त्ल किया।
كَانَ يَهُوآشُ ٱبْنَ سَبْعِ سِنِينَ حِينَ مَلَكَ. ٢١ 21
और जब यूआस सल्तनत करने लगा तो सात साल का था।

< اَلْمُلُوكِ ٱلثَّانِي 11 >