< اَلْمُلُوكِ ٱلثَّانِي 10 >
وَكَانَ لِأَخْآبَ سَبْعُونَ ٱبْنًا فِي ٱلسَّامِرَةِ. فَكَتَبَ يَاهُو رَسَائِلَ وَأَرْسَلَهَا إِلَى ٱلسَّامِرَةِ، إِلَى رُؤَسَاءِ يَزْرَعِيلَ ٱلشُّيُوخِ وَإِلَى مُرَبِّي أَخْآبَ قَائِلًا: | ١ 1 |
सामरिया में अख़ीअब के सत्तर बेटे थे। इसलिए याहू ने सामरिया में यज़र'एल के अमीरों, या'नी बुज़ुर्गों के पास और उनके पास जो अख़ीअब के बेटों के पालने वाले थे, ख़त लिख भेजे,
«فَٱلْآنَ عِنْدَ وُصُولِ هَذِهِ ٱلرِّسَالَةِ إِلَيْكُمْ، إِذْ عِنْدَكُمْ بَنُو سَيِّدِكُمْ، وَعِنْدَكُمْ مَرْكَبَاتٌ وَخَيْلٌ وَمَدِينَةٌ مُحَصَّنَةٌ وَسِلَاحٌ، | ٢ 2 |
कि “जिस हाल में तुम्हारे मालिक के बेटे तुम्हारे साथ हैं, और तुम्हारे पास रथ और घोड़े और फ़सीलदार शहर भी और हथियार भी हैं; इसलिए इस ख़त के पहुँचते ही,
ٱنْظُرُوا ٱلْأَفْضَلَ وَٱلْأَصْلَحَ مِنْ بَنِي سَيِّدِكُمْ وَإِجْعَلُوهُ عَلَى كُرْسِيِّ أَبِيهِ، وَحَارِبُوا عَنْ بَيْتِ سَيِّدِكُمْ». | ٣ 3 |
तुम अपने मालिक के बेटों में सबसे अच्छे और लायक़ को चुनकर उसे उसके बाप के तख़्त पर बिठाओ, और अपने मालिक के घराने के लिए जंग करो।
فَخَافُوا جِدًّا جِدًّا وَقَالُوا: «هُوَذَا مَلِكَانِ لَمْ يَقِفَا أَمَامَهُ، فَكَيْفَ نَقِفُ نَحْنُ؟» | ٤ 4 |
लेकिन वह निहायत परेशान हुए और कहने लगे देखो दो बादशाह तो उसका मुक़ाबिला न कर सके; तो हम क्यूँकर कर सकेंगे?”
فَأَرْسَلَ ٱلَّذِي عَلَى ٱلْبَيْتِ وَٱلَّذِي عَلَى ٱلْمَدِينَةِ وَٱلشُّيُوخُ وَٱلْمُرَبُّونَ إِلَى يَاهُو قَائِلِينَ: «عَبِيدُكَ نَحْنُ، وَكُلَّ مَا قُلْتَ لَنَا نَفْعَلُهُ. لَا نُمَلِّكُ أَحَدًا. مَا يَحْسُنُ فِي عَيْنَيْكَ فَٱفْعَلْهُ». | ٥ 5 |
इसलिए महल के दीवान ने और शहर के हाकिम ने और बुज़ुगों ने भी, और लड़कों के पालने वालों ने याहू को कहला भेजा, “हम सब तेरे ख़ादिम हैं, और जो कुछ तू फ़रमाएगा वह सब हम करेंगे; हम किसी को बादशाह नहीं बनाएँगे, जो कुछ तेरी नज़र में अच्छा है वही कर।”
فَكَتَبَ إِلَيْهِمْ رِسَالَةً ثَانِيَةً قَائِلًا: «إِنْ كُنْتُمْ لِي وَسَمِعْتُمْ لِقَوْلِي، فَخُذُوا رُؤُوسَ ٱلرِّجَالِ بَنِي سَيِّدِكُمْ، وَتَعَالَوْا إِلَيَّ فِي نَحْوِ هَذَا ٱلْوَقْتِ غَدًا إِلَى يَزْرَعِيلَ». وَبَنُو ٱلْمَلِكِ سَبْعُونَ رَجُلًا كَانُوا مَعَ عُظَمَاءِ ٱلْمَدِينَةِ ٱلَّذِينَ رَبَّوْهُمْ. | ٦ 6 |
तब उसने दूसरी बार एक ख़त उनको लिख भेजा, कि “अगर तुम मेरी तरफ़ हो और मेरी बात मानना चाहते हो, तो अपने मालिक के बेटों के सिर उतार कर कल यज़र'एल में इसी वक़्त मेरे पास आ जाओ।” उस वक़्त शाहज़ादे जो सत्तर आदमी थे, शहर के उन बड़े आदमियों के साथ थे जो उनके पालनेवाले थे।
فَلَمَّا وَصَلَتِ ٱلرِّسَالَةُ إِلَيْهِمْ أَخَذُوا بَنِي ٱلْمَلِكِ وَقَتَلُوا سَبْعِينَ رَجُلًا وَوَضَعُوا رُؤُوسَهُمْ فِي سِلَالٍ وَأَرْسَلُوهَا إِلَيْهِ إِلَى يَزْرَعِيلَ. | ٧ 7 |
इसलिए जब यह ख़त उनके पास आया, तो उन्होंने शाहज़ादों को लेकर उनको, या'नी उन सत्तर आदमियों को क़त्ल किया और उनके सिर टोकरों में रख कर उनको उसके पास यज़र'एल में भेज दिया।
فَجَاءَ ٱلرَّسُولُ وَأَخْبَرَهُ قَائِلًا: «قَدْ أَتَوْا بِرُؤُوسِ بَنِي ٱلْمَلِكِ». فَقَالَ: «ٱجْعَلُوهَا كَوْمَتَيْنِ فِي مَدْخَلِ ٱلْبَابِ إِلَى ٱلصَّبَاحِ». | ٨ 8 |
तब एक क़ासिद ने आकर उसे ख़बर दी, “वह शाहज़ादों के सिर लाए हैं।” उसने कहा, “तुम शहर के फाटक के मदख़ल पर उनकी दो ढेरियाँ लगा कर कल सुबह तक रहने दो।”
وَفِي ٱلصَّبَاحِ خَرَجَ وَوَقَفَ وَقَالَ لِجَمِيعِ ٱلشَّعْبِ: «أَنْتُمْ أَبْرِيَاءُ. هَأَنَذَا قَدْ عَصَيْتُ عَلَى سَيِّدِي وَقَتَلْتُهُ، وَلَكِنْ مَنْ قَتَلَ كُلَّ هَؤُلَاءِ؟ | ٩ 9 |
और सुबह को ऐसा हुआ कि वह निकल कर खड़ा हुआ और सब लोगों से कहने लगा, “तुम तो रास्त हो। देखो, मैंने तो अपने मालिक के ख़िलाफ़ बन्दिश बाँधी और उसे मारा; पर इन सभों को किसने मारा?
فَٱعْلَمُوا ٱلْآنَ أَنَّهُ لَا يَسْقُطُ مِنْ كَلَامِ ٱلرَّبِّ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّذِي تَكَلَّمَ بِهِ ٱلرَّبُّ عَلَى بَيْتِ أَخْآبَ، وَقَدْ فَعَلَ ٱلرَّبُّ مَا تَكَلَّمَ بِهِ عَنْ يَدِ عَبْدِهِ إِيلِيَّا». | ١٠ 10 |
इसलिए अब जान लो कि ख़ुदावन्द के उस बात में से, जिसे ख़ुदावन्द ने अख़ीअब के घराने के हक़ में फ़रमाया, कोई बात ख़ाक में नहीं मिलेगी; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने जो कुछ अपने बन्दे एलियाह के ज़रिए फ़रमाया था उसे पूरा किया।”
وَقَتَلَ يَاهُو كُلَّ ٱلَّذِينَ بَقُوا لِبَيْتِ أَخْآبَ فِي يَزْرَعِيلَ وَكُلَّ عُظَمَائِهِ وَمَعَارِفِهِ وَكَهَنَتِهِ، حَتَّى لَمْ يُبْقِ لَهُ شَارِدًا. | ١١ 11 |
इसलिए याहू ने उन सबको जो अख़ीअब के घराने से यज़र'एल में बच रहे थे, और उसके सब बड़े आदमियों और क़रीबी दोस्तों और काहिनों को क़त्ल किया, यहाँ तक कि उसने उसके किसी आदमी को बाक़ी न छोड़ा।
ثُمَّ قَامَ وَجَاءَ سَائِرًا إِلَى ٱلسَّامِرَةِ. وَإِذْ كَانَ عِنْدَ بَيْتِ عَقْدِ ٱلرُّعَاةِ فِي ٱلطَّرِيقِ، | ١٢ 12 |
फिर वह उठ कर रवाना हुआ और सामरिया को चला। और रास्ते में गड़रियों के बाल कतरने के घर तक पहुँचा ही था कि
صَادَفَ يَاهُو إِخْوَةَ أَخَزْيَا مَلِكِ يَهُوذَا، فَقَالَ: «مَنْ أَنْتُمْ؟» فَقَالُوا: «نَحْنُ إِخْوَةُ أَخَزْيَا، وَنَحْنُ نَازِلُونَ لِنُسَلِّمَ عَلَى بَنِي ٱلْمَلِكِ وَبَنِي ٱلْمَلِكَةِ». | ١٣ 13 |
याहू को यहूदाह के बादशाह अख़ज़ियाह के भाई मिल गए; इसने पूछा, “तुम कौन हो?” उन्होंने कहा, “हम अख़ज़ियाह के भाई हैं; और हम जाते हैं कि बादशाह के बेटों और मलिका के बेटों को सलाम करें।”
فَقَالَ: «أَمْسِكُوهُمْ أَحْيَاءً». فَأَمْسَكُوهُمْ أَحْيَاءً وَقَتَلُوهُمْ عِنْدَ بِئْرِ بَيْتِ عَقْدٍ، ٱثْنَيْنِ وَأَرْبَعِينَ رَجُلًا وَلَمْ يُبْقِ مِنْهُمْ أَحَدًا. | ١٤ 14 |
तब उसने कहा, कि “उनको ज़िन्दा पकड़ लो।” इसलिए उन्होंने उनको ज़िन्दा पकड़ लिया और उनको जो बयालीस आदमी थे बाल कतरने के घर के हौज़ पर क़त्ल किया; उसने उनमें से एक को भी न छोड़ा।
ثُمَّ ٱنْطَلَقَ مِنْ هُنَاكَ فَصَادَفَ يَهُونَادَابَ بْنَ رَكَابٍ يُلَاقِيهِ، فَبَارَكَهُ وَقَالَ لَهُ: «هَلْ قَلْبُكَ مُسْتَقِيمٌ نَظِيرُ قَلْبِي مَعَ قَلْبِكَ؟» فَقَالَ يَهُونَادَابُ: «نَعَمْ وَنَعَمْ».«هَاتِ يَدَكَ». فَأَعْطَاهُ يَدَهُ، فَأَصْعَدَهُ إِلَيْهِ إِلَى ٱلْمَرْكَبَةِ. | ١٥ 15 |
फिर जब वह वहाँ से रुख़्सत हुआ, तो यहूनादाब — बिन — रैकाब जो उसके इस्तक़बाल को आ रहा था उसे मिला। तब उसने उसे सलाम किया और उससे कहा “क्या तेरा दिल ठीक है, जैसा मेरा दिल तेरे दिल के साथ है?” यहूनादाब ने जवाब दिया कि है। इसलिए उसने कहा, “अगर ऐसा है, तो अपना हाथ मुझे दे।” तब उसने उसे अपना हाथ दिया; और उसने उसे रथ में अपने साथ बिठा लिया,
وَقَالَ: «هَلُمَّ مَعِي وَٱنْظُرْ غَيْرَتِي لِلرَّبِّ». وَأَرْكَبَهُ مَعَهُ فِي مَرْكَبَتِهِ. | ١٦ 16 |
और कहा, “मेरे साथ चल, और मेरी गै़रत को जो ख़ुदावन्द के लिए है, देख।” तब उन्होंने उसे उसके साथ रथ पर सवार कराया,
وَجَاءَ إِلَى ٱلسَّامِرَةِ، وَقَتَلَ جَمِيعَ ٱلَّذِينَ بَقُوا لِأَخْآبَ فِي ٱلسَّامِرَةِ حَتَّى أَفْنَاهُ، حَسَبَ كَلَامِ ٱلرَّبِّ ٱلَّذِي كَلَّمَ بِهِ إِيلِيَّا. | ١٧ 17 |
और जब वह सामरिया में पहुँचा, तो अख़ीअब के सब बाक़ी लोगों को, जो सामरिया में थे क़त्ल किया, यहाँ तक कि उसने, जैसा ख़ुदावन्द ने एलियाह से कहा था, उसको नेस्त — ओ — नाबूद कर दिया।
ثُمَّ جَمَعَ يَاهُو كُلَّ ٱلشَّعْبِ وَقَالَ لَهُمْ: «إِنَّ أَخْآبَ قَدْ عَبَدَ ٱلْبَعْلَ قَلِيلًا، وَأَمَّا يَاهُو فَإِنَّهُ يَعْبُدُهُ كَثِيرًا. | ١٨ 18 |
फिर याहू ने सब लोगों को जमा' किया, और उनसे कहा, कि “अख़ीअब ने बा'ल की थोड़ी इबादत की, याहू उसकी बहुत इबादत करेगा।
وَٱلْآنَ فَٱدْعُوا إِلَيَّ جَمِيعَ أَنْبِيَاءِ ٱلْبَعْلِ وَكُلَّ عَابِدِيهِ وَكُلَّ كَهَنَتِهِ. لَا يُفْقَدْ أَحَدٌ، لِأَنَّ لِي ذَبِيحَةً عَظِيمَةً لِلْبَعْلِ. كُلُّ مَنْ فُقِدَ لَا يَعِيشُ». وَقَدْ فَعَلَ يَاهُو بِمَكْرٍ لِكَيْ يُفْنِيَ عَبَدَةَ ٱلْبَعْلِ. | ١٩ 19 |
इसलिए अब तुम बा'ल के सब नबियों और उसके सब पूजने वालों और पुजारियों को मेरे पास बुला लाओ; उनमें से कोई गै़र हाज़िर न रहे, क्यूँकि मुझे बा'ल के लिए बड़ी क़ुर्बानी करना है। इसलिए जो कोई गै़र हाज़िर रहे, वह ज़िन्दा न बचेगा।” पर याहू ने इस ग़रज़ से कि बा'ल के पूजनेवालों को हलाक कर दे, ये बहाना निकाला था।
وَقَالَ يَاهُو: «قَدِّسُوا ٱعْتِكَافًا لِلْبَعْلِ». فَنَادَوْا بِهِ. | ٢٠ 20 |
और याहू ने कहा, कि “बा'ल के लिए एक ख़ास 'ईद का 'एलान करो।” तब उन्होंने उसका 'एलान कर दिया।
وَأَرْسَلَ يَاهُو فِي كُلِّ إِسْرَائِيلَ، فَأَتَى جَمِيعُ عَبَدَةِ ٱلْبَعْلِ وَلَمْ يَبْقَ أَحَدٌ إِلَّا أَتَى، وَدَخَلُوا بَيْتَ ٱلْبَعْلِ، فَٱمْتَلَأَ بَيْتُ ٱلْبَعْلِ مِنْ جَانِبٍ إِلَى جَانِبٍ. | ٢١ 21 |
और याहू ने सारे इस्राईल में लोग भेजे, और बा'ल के सब पूजनेवाले आए, यहाँ तक कि एक शख़्स भी ऐसा न था जो न आया हो। और वह बा'ल के बुतख़ाने में दाख़िल हुए, और बा'ल का बुतख़ाना इस सिरे से उस सिरे तक भर गया।
فَقَالَ لِلَّذِي عَلَى ٱلْمَلَابِسِ: «أَخْرِجْ مَلَابِسَ لِكُلِّ عَبَدَةِ ٱلْبَعْلِ». فَأَخْرَجَ لَهُمْ مَلَابِسَ. | ٢٢ 22 |
फिर उसने उसको जो तोशाखाने पर मुक़र्रर था हुक्म किया, कि “बा'ल के सब पूजनेवालों के लिए लिबास निकाल ला।” तब वह उनके लिए लिबास निकाल लाया।
وَدَخَلَ يَاهُو وَيَهُونَادَابُ بْنُ رَكَابٍ إِلَى بَيْتِ ٱلْبَعْلِ. فَقَالَ لِعَبَدَةِ ٱلْبَعْلِ: «فَتِّشُوا وَٱنْظُرُوا لِئَلَّا يَكُونَ مَعَكُمْ هَهُنَا أَحَدٌ مِنْ عَبِيدِ ٱلرَّبِّ، وَلَكِنَّ عَبَدَةَ ٱلْبَعْلِ وَحْدَهُمْ». | ٢٣ 23 |
तब याहू और यहूनादाब — बिन — रैकाब बा'ल के बुतख़ाने के अन्दर गए, और उसने बा'ल के पूजनेवालों से कहा, “बयान करो, और देख लो कि यहाँ तुम्हारे साथ ख़ुदावन्द के ख़ादिमों में से कोई न हो, सिर्फ़ बा'ल ही के पूजनेवाले हों।”
وَدَخَلُوا لِيُقَرِّبُوا ذَبَائِحَ وَمُحْرَقَاتٍ. وَأَمَّا يَاهُو فَأَقَامَ خَارِجًا ثَمَانِينَ رَجُلًا وَقَالَ: «ٱلرَّجُلُ ٱلَّذِي يَنْجُو مِنَ ٱلرِّجَالِ ٱلَّذِينَ أَتَيْتُ بِهِمْ إِلَى أَيْدِيكُمْ تَكُونُ أَنْفُسُكُمْ بَدَلَ نَفْسِهِ». | ٢٤ 24 |
और वह ज़बीहे और सोख़्तनी कु़र्बानियाँ पेश करने को अन्दर गए। और याहू ने बाहर अस्सी जवान मुक़र्रर कर दिए और कहा, कि “अगर कोई उन लोगों में से जिनको मैं तुम्हारे हाथ में कर दूँ निकल भागे, तो छोड़ने वाले की जान उसकी जान के बदले जाएगी।”
وَلَمَّا ٱنْتَهَوْا مِنْ تَقْرِيبِ ٱلْمُحْرَقَةِ قَالَ يَاهُو لِلسُّعَاةِ وَٱلثَّوَالِثِ: «ٱدْخُلُوا ٱضْرِبُوهُمْ. لَا يَخْرُجْ أَحَدٌ». فَضَرَبُوهُمْ بِحَدِّ ٱلسَّيْفِ، وَطَرَحَهُمُ ٱلسُّعَاةُ وَٱلثَّوَالِثُ. وَسَارُوا إِلَى مَدِينَةِ بَيْتِ ٱلْبَعْلِ، | ٢٥ 25 |
जब वह सोख़्तनी क़ुर्बानी अदा कर चुका, तो याहू ने पहरेवालों और सरदारों से कहा, कि “घुस जाओ और उनको क़त्ल करो, एक भी निकलने न पाए।” चुनाँचे उन्होंने उनको हलाक किया, और पहरेवालों और सरदारों ने उनको बाहर फेंक दिया और बा'ल के बुतख़ाने के शहर को गए।
وَأَخْرَجُوا تَمَاثِيلَ بَيْتِ ٱلْبَعْلِ وَأَحْرَقُوهَا، | ٢٦ 26 |
और उन्होंने बा'ल के बुतख़ाने की कड़ियों को बाहर निकाल कर उनको आग में जलाया।
وَكَسَّرُوا تِمْثَالَ ٱلْبَعْلِ، وَهَدَمُوا بَيْتَ ٱلْبَعْلِ، وَجَعَلُوهُ مَزْبَلَةً إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. | ٢٧ 27 |
और बा'ल के सुतूनों को चकनाचूर किया, और बा'ल का बुतख़ाना को गिरा कर उसे बैतुल — ख़ला' बना दिया, जैसा आज तक है।
وَٱسْتَأْصَلَ يَاهُو ٱلْبَعْلَ مِنْ إِسْرَائِيلَ. | ٢٨ 28 |
इस तरह याहू ने बा'ल को इस्राईल के बीच से हलाक कर दिया।
وَلَكِنَّ خَطَايَا يَرُبْعَامَ بْنِ نَبَاطَ ٱلَّذِي جَعَلَ إِسْرَائِيلَ يُخْطِئُ لَمْ يَحِدْ يَاهُو عَنْهَا، أَيْ عُجُولِ ٱلذَّهَبِ ٱلَّتِي فِي بَيْتِ إِيلَ وَٱلَّتِي فِي دَانَ. | ٢٩ 29 |
तोभी नबात के बेटे युरब'आम के गुनाहों से, जिनसे उसने इस्राईल से गुनाह कराया, याहू बाज़ न आया; या'नी उसने सोने के बछड़ों को मानने से जो बैतएल और दान में थे, दूरी इख़्तियार न की।
وَقَالَ ٱلرَّبُّ لِيَاهُو: «مِنْ أَجْلِ أَنَّكَ قَدْ أَحْسَنْتَ بِعَمَلِ مَا هُوَ مُسْتَقِيمٌ فِي عَيْنَيَّ، وَحَسَبَ كُلِّ مَا بِقَلْبِي فَعَلْتَ بِبَيْتِ أَخْآبَ، فَأَبْنَاؤُكَ إِلَى ٱلْجِيلِ ٱلرَّابِعِ يَجْلِسُونَ عَلَى كُرْسِيِّ إِسْرَائِيلَ». | ٣٠ 30 |
और ख़ुदावन्द ने याहू से कहा, “चूँकि तू ने ये नेकी की है कि जो कुछ मेरी नज़र में भला था उसे अंजाम दिया है, और अख़ीअब के घराने से मेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ बर्ताव किया है; इसलिए तेरे बेटे चौथी नस्ल तक इस्राईल के तख़्त पर बैठेंगे।”
وَلَكِنْ يَاهُو لَمْ يَتَحَفَّظْ لِلسُّلُوكِ فِي شَرِيعَةِ ٱلرَّبِّ إِلَهِ إِسْرَائِيلَ مِنْ كُلِّ قَلْبِهِ. لَمْ يَحِدْ عَنْ خَطَايَا يَرُبْعَامَ ٱلَّذِي جَعَلَ إِسْرَائِيلَ يُخْطِئُ. | ٣١ 31 |
लेकिन याहू ने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की शरी'अत पर अपने सारे दिल से चलने की फ़िक्र न की; वह युरब'आम के गुनाहों से, जिनसे उसने इस्राईल से गुनाह कराया, अलग न हुआ।
فِي تِلْكَ ٱلْأَيَّامِ ٱبْتَدَأَ ٱلرَّبُّ يَقُصُّ إِسْرَائِيلَ، فَضَرَبَهُمْ حَزَائِيلُ فِي جَمِيعِ تُخُومِ إِسْرَائِيلَ | ٣٢ 32 |
उन दिनों ख़ुदावन्द इस्राईल को घटाने लगा, और हज़ाएल ने उनको इस्राईल की सब सरहदों में मारा,
مِنَ ٱلْأُرْدُنِّ لِجِهَةِ مَشْرِقِ ٱلشَّمْسِ، جَمِيعَ أَرْضِ جِلْعَادَ ٱلْجَادِيِّينَ وَٱلرَّأُوبَيْنِيِّينَ وَٱلْمَنَسِّيِّينَ، مِنْ عَرُوعِيرَ ٱلَّتِي عَلَى وَادِي أَرْنُونَ وَجِلْعَادَ وَبَاشَانَ. | ٣٣ 33 |
या'नी यरदन से लेकर पूरब की तरफ़ जिल'आद के सारे मुल्क में, और जद्दियों और रूबीनियों और मनस्सियों को, 'अरो'ईर से जो वादी — ए — अरनून में है, या'नी जिल'आद और बसन को भी।
وَبَقِيَّةُ أُمُورِ يَاهُو وَكُلُّ مَا عَمَلَ وَكُلُّ جَبَرُوتِهِ، أَمَا هِيَ مَكْتُوبَةٌ فِي سِفْرِ أَخْبَارِ ٱلْأَيَّامِ لِمُلُوكِ إِسْرَائِيلَ؟ | ٣٤ 34 |
याहू के बाक़ी काम और सब जो उसने किया, और उसकी सारी ताक़त का बयान; इसलिए क्या वह सब इस्राईल के बादशाहों की तवारीख़ की किताब में लिखा नहीं?
وَٱضْطَجَعَ يَاهُو مَعَ آبَائِهِ فَدَفَنُوهُ فِي ٱلسَّامِرَةِ، وَمَلَكَ يَهُوأَحَازُ ٱبْنُهُ عِوَضًا عَنْهُ. | ٣٥ 35 |
और याहू अपने बाप — दादा के साथ मर गया, और उन्होंने उसे सामरिया में दफ़न किया, और उसका बेटा यहूआख़ज़ उसकी जगह बादशाह हुआ।
وَكَانَتِ ٱلْأَيَّامُ ٱلَّتِي مَلَكَ فِيهَا يَاهُو عَلَى إِسْرَائِيلَ فِي ٱلسَّامِرَةِ ثَمَانِيًا وَعِشْرِينَ سَنَةً. | ٣٦ 36 |
और वह उसी 'अरसे में जिसमें याहू ने सामरिया में बनी — इस्राईल पर सल्तनत की अठाईस साल का था।