< ٢ يوحنَّا 1 >

اَلشَّيْخُ، إِلَى كِيرِيَّةَ ٱلْمُخْتَارَةِ، وَإِلَى أَوْلَادِهَا ٱلَّذِينَ أَنَا أُحِبُّهُمْ بِٱلْحَقِّ، وَلَسْتُ أَنَا فَقَطْ، بَلْ أَيْضًا جَمِيعُ ٱلَّذِينَ قَدْ عَرَفُوا ٱلْحَقَّ. ١ 1
मुझ प्राचीन की ओर से उस चुनी हुई महिला और उसके बच्चों के नाम जिनसे मैं सच्चा प्रेम रखता हूँ, और केवल मैं ही नहीं, वरन् वह सब भी प्रेम रखते हैं, जो सच्चाई को जानते हैं।
مِنْ أَجْلِ ٱلْحَقِّ ٱلَّذِي يَثْبُتُ فِينَا وَسَيَكُونُ مَعَنَا إِلَى ٱلْأَبَدِ: (aiōn g165) ٢ 2
वह सत्य जो हम में स्थिर रहता है, और सर्वदा हमारे साथ अटल रहेगा; (aiōn g165)
تَكُونُ مَعَكُمْ نِعْمَةٌ وَرَحْمَةٌ وَسَلَامٌ مِنَ ٱللهِ ٱلْآبِ وَمِنَ ٱلرَّبِّ يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ، ٱبْنِ ٱلْآبِ بِٱلْحَقِّ وَٱلْمَحَبَّةِ. ٣ 3
परमेश्वर पिता, और पिता के पुत्र यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह, दया, और शान्ति हमारे साथ सत्य और प्रेम सहित रहेंगे।
فَرِحْتُ جِدًّا لِأَنِّي وَجَدْتُ مِنْ أَوْلَادِكِ بَعْضًا سَالِكِينَ فِي ٱلْحَقِّ، كَمَا أَخَذْنَا وَصِيَّةً مِنَ ٱلْآبِ. ٤ 4
मैं बहुत आनन्दित हुआ, कि मैंने तेरे कुछ बच्चों को उस आज्ञा के अनुसार, जो हमें पिता की ओर से मिली थी, सत्य पर चलते हुए पाया।
وَٱلْآنَ أَطْلُبُ مِنْكِ يَا كِيرِيَّةُ، لَا كَأَنِّي أَكْتُبُ إِلَيْكِ وَصِيَّةً جَدِيدَةً، بَلِ ٱلَّتِي كَانَتْ عِنْدَنَا مِنَ ٱلْبَدْءِ: أَنْ يُحِبَّ بَعْضُنَا بَعْضًا. ٥ 5
अब हे महिला, मैं तुझे कोई नई आज्ञा नहीं, पर वही जो आरम्भ से हमारे पास है, लिखता हूँ; और तुझ से विनती करता हूँ, कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें।
وَهَذِهِ هِيَ ٱلْمَحَبَّةُ: أَنْ نَسْلُكَ بِحَسَبِ وَصَايَاهُ. هَذِهِ هِيَ ٱلْوَصِيَّةُ: كَمَا سَمِعْتُمْ مِنَ ٱلْبَدْءِ أَنْ تَسْلُكُوا فِيهَا. ٦ 6
और प्रेम यह है कि हम उसकी आज्ञाओं के अनुसार चलें: यह वही आज्ञा है, जो तुम ने आरम्भ से सुनी है और तुम्हें इस पर चलना भी चाहिए।
لِأَنَّهُ قَدْ دَخَلَ إِلَى ٱلْعَالَمِ مُضِلُّونَ كَثِيرُونَ، لَا يَعْتَرِفُونَ بِيَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ آتِيًا فِي ٱلْجَسَدِ. هَذَا هُوَ ٱلْمُضِلُّ، وَٱلضِّدُّ لِلْمَسِيحِ. ٧ 7
क्योंकि बहुत से ऐसे भरमानेवाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते, कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया; भरमानेवाला और मसीह का विरोधी यही है।
ٱنْظُرُوا إِلَى أَنْفُسِكُمْ لِئَلَّا نُضَيِّعَ مَا عَمِلْنَاهُ، بَلْ نَنَالَ أَجْرًا تَامًّا. ٨ 8
अपने विषय में चौकस रहो; कि जो परिश्रम हम सब ने किया है, उसको तुम न खोना, वरन् उसका पूरा प्रतिफल पाओ।
كُلُّ مَنْ تَعَدَّى وَلَمْ يَثْبُتْ فِي تَعْلِيمِ ٱلْمَسِيحِ فَلَيْسَ لَهُ ٱللهُ. وَمَنْ يَثْبُتْ فِي تَعْلِيمِ ٱلْمَسِيحِ فَهَذَا لَهُ ٱلْآبُ وَٱلِٱبْنُ جَمِيعًا. ٩ 9
जो कोई आगे बढ़ जाता है, और मसीह की शिक्षा में बना नहीं रहता, उसके पास परमेश्वर नहीं। जो कोई उसकी शिक्षा में स्थिर रहता है, उसके पास पिता भी है, और पुत्र भी।
إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَأْتِيكُمْ، وَلَا يَجِيءُ بِهَذَا ٱلتَّعْلِيمِ، فَلَا تَقْبَلُوهُ فِي ٱلْبَيْتِ، وَلَا تَقُولُوا لَهُ سَلَامٌ. ١٠ 10
१०यदि कोई तुम्हारे पास आए, और यही शिक्षा न दे, उसे न तो घर में आने दो, और न नमस्कार करो।
لِأَنَّ مَنْ يُسَلِّمُ عَلَيْهِ يَشْتَرِكُ فِي أَعْمَالِهِ ٱلشِّرِّيرَةِ. ١١ 11
११क्योंकि जो कोई ऐसे जन को नमस्कार करता है, वह उसके बुरे कामों में सहभागी होता है।
إِذْ كَانَ لِي كَثِيرٌ لِأَكْتُبَ إِلَيْكُمْ، لَمْ أُرِدْ أَنْ يَكُونَ بِوَرَقٍ وَحِبْرٍ، لِأَنِّي أَرْجُو أَنْ آتِيَ إِلَيْكُمْ وَأَتَكَلَّمَ فَمًا لِفَمٍ، لِكَيْ يَكُونَ فَرَحُنَا كَامِلًا. ١٢ 12
१२मुझे बहुत सी बातें तुम्हें लिखनी हैं, पर कागज और स्याही से लिखना नहीं चाहता; पर आशा है, कि मैं तुम्हारे पास आऊँ, और सम्मुख होकर बातचीत करूँ: जिससे हमारा आनन्द पूरा हो।
يُسَلِّمُ عَلَيْكِ أَوْلَادُ أُخْتِكِ ٱلْمُخْتَارَةِ. آمِينَ. ١٣ 13
१३तेरी चुनी हुई बहन के बच्चे तुझे नमस्कार करते हैं।

< ٢ يوحنَّا 1 >