< ٢ كورنثوس 6 >

فَإِذْ نَحْنُ عَامِلُونَ مَعَهُ نَطْلُبُ أَنْ لَا تَقْبَلُوا نِعْمَةَ ٱللهِ بَاطِلًا. ١ 1
हम जो परमेश्वर के सहकर्मी हैं यह भी समझाते हैं, कि परमेश्वर का अनुग्रह जो तुम पर हुआ, व्यर्थ न रहने दो।
لِأَنَّهُ يَقُولُ: «فِي وَقْتٍ مَقْبُولٍ سَمِعْتُكَ، وَفِي يَوْمِ خَلَاصٍ أَعَنْتُكَ». هُوَذَا ٱلْآنَ وَقْتٌ مَقْبُولٌ. هُوَذَا ٱلْآنَ يَوْمُ خَلَاصٍ. ٢ 2
क्योंकि वह तो कहता है, “अपनी प्रसन्नता के समय मैंने तेरी सुन ली, और उद्धार के दिन मैंने तेरी, सहायता की।” देखो; अभी प्रसन्नता का समय है; देखो, अभी उद्धार का दिन है।
وَلَسْنَا نَجْعَلُ عَثْرَةً فِي شَيْءٍ لِئَلَّا تُلَامَ ٱلْخِدْمَةُ. ٣ 3
हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते, कि हमारी सेवा पर कोई दोष न आए।
بَلْ فِي كُلِّ شَيْءٍ نُظْهِرُ أَنْفُسَنَا كَخُدَّامِ ٱللهِ، فِي صَبْرٍ كَثِيرٍ: فِي شَدَائِدَ، فِي ضَرُورَاتٍ، فِي ضِيقَاتٍ، ٤ 4
परन्तु हर बात में परमेश्वर के सेवकों के समान अपने सद्गुणों को प्रगट करते हैं, बड़े धैर्य से, क्लेशों से, दरिद्रता से, संकटों से,
فِي ضَرَبَاتٍ، فِي سُجُونٍ، فِي ٱضْطِرَابَاتٍ، فِي أَتْعَابٍ، فِي أَسْهَارٍ، فِي أَصْوَامٍ، ٥ 5
कोड़े खाने से, कैद होने से, हुल्लड़ों से, परिश्रम से, जागते रहने से, उपवास करने से,
فِي طَهَارَةٍ، فِي عِلْمٍ، فِي أَنَاةٍ، فِي لُطْفٍ، فِي ٱلرُّوحِ ٱلْقُدُسِ، فِي مَحَبَّةٍ بِلَا رِيَاءٍ، ٦ 6
पवित्रता से, ज्ञान से, धीरज से, कृपालुता से, पवित्र आत्मा से।
فِي كَلَامِ ٱلْحَقِّ، فِي قُوَّةِ ٱللهِ بِسِلَاحِ ٱلْبِرِّ لِلْيَمِينِ وَلِلْيَسَارِ. ٧ 7
सच्चे प्रेम से, सत्य के वचन से, परमेश्वर की सामर्थ्य से; धार्मिकता के हथियारों से जो दाहिने, बाएँ हैं,
بِمَجْدٍ وَهَوَانٍ، بِصِيتٍ رَدِيءٍ وَصِيتٍ حَسَنٍ. كَمُضِلِّينَ وَنَحْنُ صَادِقُونَ، ٨ 8
आदर और निरादर से, दुर्नाम और सुनाम से, यद्यपि भरमानेवालों के जैसे मालूम होते हैं तो भी सच्चे हैं।
كَمَجْهُولِينَ وَنَحْنُ مَعْرُوفُونَ، كَمَائِتِينَ وَهَا نَحْنُ نَحْيَا، كَمُؤَدَّبِينَ وَنَحْنُ غَيْرُ مَقْتُولِينَ، ٩ 9
अनजानों के सदृश्य हैं; तो भी प्रसिद्ध हैं; मरते हुओं के समान हैं और देखो जीवित हैं; मार खानेवालों के सदृश्य हैं परन्तु प्राण से मारे नहीं जाते।
كَحَزَانَى وَنَحْنُ دَائِمًا فَرِحُونَ، كَفُقَرَاءَ وَنَحْنُ نُغْنِي كَثِيرِينَ، كَأَنْ لَا شَيْءَ لَنَا وَنَحْنُ نَمْلِكُ كُلَّ شَيْءٍ. ١٠ 10
१०शोक करनेवालों के समान हैं, परन्तु सर्वदा आनन्द करते हैं, कंगालों के समान हैं, परन्तु बहुतों को धनवान बना देते हैं; ऐसे हैं जैसे हमारे पास कुछ नहीं फिर भी सब कुछ रखते हैं।
فَمُنَا مَفْتُوحٌ إِلَيْكُمْ أَيُّهَا ٱلْكُورِنْثِيُّونَ. قَلْبُنَا مُتَّسِعٌ. ١١ 11
११हे कुरिन्थियों, हमने खुलकर तुम से बातें की हैं, हमारा हृदय तुम्हारी ओर खुला हुआ है।
لَسْتُمْ مُتَضَيِّقِينَ فِينَا بَلْ مُتَضَيِّقِينَ فِي أَحْشَائِكُمْ. ١٢ 12
१२तुम्हारे लिये हमारे मन में कुछ संकोच नहीं, पर तुम्हारे ही मनों में संकोच है।
فَجَزَاءً لِذَلِكَ أَقُولُ كَمَا لِأَوْلَادِي: كُونُوا أَنْتُمْ أَيْضًا مُتَّسِعِينَ! ١٣ 13
१३पर अपने बच्चे जानकर तुम से कहता हूँ, कि तुम भी उसके बदले में अपना हृदय खोल दो।
لَا تَكُونُوا تَحْتَ نِيرٍ مَعَ غَيْرِ ٱلْمُؤْمِنِينَ، لِأَنَّهُ أَيَّةُ خُلْطَةٍ لِلْبِرِّ وَٱلْإِثْمِ؟ وَأَيَّةُ شَرِكَةٍ لِلنُّورِ مَعَ ٱلظُّلْمَةِ؟ ١٤ 14
१४अविश्वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो, क्योंकि धार्मिकता और अधर्म का क्या मेल जोल? या ज्योति और अंधकार की क्या संगति?
وَأَيُّ ٱتِّفَاقٍ لِلْمَسِيحِ مَعَ بَلِيعَالَ؟ وَأَيُّ نَصِيبٍ لِلْمُؤْمِنِ مَعَ غَيْرِ ٱلْمُؤْمِنِ؟ ١٥ 15
१५और मसीह का बलियाल के साथ क्या लगाव? या विश्वासी के साथ अविश्वासी का क्या नाता?
وَأَيَّةُ مُوَافَقَةٍ لِهَيْكَلِ ٱللهِ مَعَ ٱلْأَوْثَانِ؟ فَإِنَّكُمْ أَنْتُمْ هَيْكَلُ ٱللهِ ٱلْحَيِّ، كَمَا قَالَ ٱللهُ: «إِنِّي سَأَسْكُنُ فِيهِمْ وَأَسِيرُ بَيْنَهُمْ، وَأَكُونُ لَهُمْ إِلَهًا، وَهُمْ يَكُونُونَ لِي شَعْبًا. ١٦ 16
१६और मूरतों के साथ परमेश्वर के मन्दिर का क्या सम्बंध? क्योंकि हम तो जीविते परमेश्वर के मन्दिर हैं; जैसा परमेश्वर ने कहा है “मैं उनमें बसूँगा और उनमें चला फिरा करूँगा; और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा, और वे मेरे लोग होंगे।”
لِذَلِكَ ٱخْرُجُوا مِنْ وَسْطِهِمْ وَٱعْتَزِلُوا، يَقُولُ ٱلرَّبُّ. وَلَا تَمَسُّوا نَجِسًا فَأَقْبَلَكُمْ، ١٧ 17
१७इसलिए प्रभु कहता है, “उनके बीच में से निकलो और अलग रहो; और अशुद्ध वस्तु को मत छूओ, तो मैं तुम्हें ग्रहण करूँगा;
وَأَكُونَ لَكُمْ أَبًا، وَأَنْتُمْ تَكُونُونَ لِي بَنِينَ وَبَنَاتٍ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، ٱلْقَادِرُ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ». ١٨ 18
१८और तुम्हारा पिता होऊँगा, और तुम मेरे बेटे और बेटियाँ होंगे; यह सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर का वचन है।”

< ٢ كورنثوس 6 >