< ٢ كورنثوس 11 >

لَيْتَكُمْ تَحْتَمِلُونَ غَبَاوَتِي قَلِيلًا! بَلْ أَنْتُمْ مُحْتَمِلِيَّ. ١ 1
यदि तुम मोरी थोड़ी सी मूर्खता सह लेतो त का हि ठीक होतो; हव, मोरी सह भी लेवो!
فَإِنِّي أَغَارُ عَلَيْكُمْ غَيْرَةَ ٱللهِ، لِأَنِّي خَطَبْتُكُمْ لِرَجُلٍ وَاحِدٍ، لِأُقَدِّمَ عَذْرَاءَ عَفِيفَةً لِلْمَسِيحِ. ٢ 2
मय तुम्हरो बारे म ईश्वरीय धुन लगायो रहू हय, येकोलायी कि मय न तुम्हरी मसीह सी सगायी कर दी हय कि तुम्ख पवित्र कुंवारी को जसो मसीह ख सौंप देऊ।
وَلَكِنَّنِي أَخَافُ أَنَّهُ كَمَا خَدَعَتِ ٱلْحَيَّةُ حَوَّاءَ بِمَكْرِهَا، هَكَذَا تُفْسَدُ أَذْهَانُكُمْ عَنِ ٱلْبَسَاطَةِ ٱلَّتِي فِي ٱلْمَسِيحِ. ٣ 3
पर मय डरू हय कि जसो सांप न अपनी चालाकी सी हवा ख बहकायो, वसोच तुम्हरो मन ऊ सीधायी अऊर पवित्रता सी जो मसीह को संग होनो चाहिये, कहीं भ्रष्ट नहीं करयो जाय।
فَإِنَّهُ إِنْ كَانَ ٱلْآتِي يَكْرِزُ بِيَسُوعَ آخَرَ لَمْ نَكْرِزْ بِهِ، أَوْ كُنْتُمْ تَأْخُذُونَ رُوحًا آخَرَ لَمْ تَأْخُذُوهُ، أَوْ إِنْجِيلًا آخَرَ لَمْ تَقْبَلُوهُ، فَحَسَنًا كُنْتُمْ تَحْتَمِلُونَ! ٤ 4
यदि कोयी तुम्हरो जवर आय क कोयी दूसरों यीशु को प्रचार करेंन, जेको प्रचार हम न नहीं करयो; यां कोयी अऊर आत्मा तुम्ख मिले, जो पहिले नहीं मिल्यो होतो; यां अऊर कोयी सुसमाचार सुनाये जेक तुम न पहिले नहीं मान्यो होतो, त तुम ओख सह लेवय हय।
لِأَنِّي أَحْسِبُ أَنِّي لَمْ أَنْقُصْ شَيْئًا عَنْ فَائِقِي ٱلرُّسُلِ. ٥ 5
मय त समझू हय कि मय कोयी बात म बड़ो सी बड़ो “प्रेरितों” सी कम नहाय।
وَإِنْ كُنْتُ عَامِّيًّا فِي ٱلْكَلَامِ، فَلَسْتُ فِي ٱلْعِلْمِ، بَلْ نَحْنُ فِي كُلِّ شَيْءٍ ظَاهِرُونَ لَكُمْ بَيْنَ ٱلْجَمِيعِ. ٦ 6
यदि मय सन्देश बोलन म अनाड़ी हय, तब भी ज्ञान म नहीं। हम न येख हर बात म सब तरह सी तुम्हरो लायी प्रगट करयो हय।
أَمْ أَخْطَأْتُ خَطِيَّةً إِذْ أَذْلَلْتُ نَفْسِي كَيْ تَرْتَفِعُوا أَنْتُمْ، لِأَنِّي بَشَّرْتُكُمْ مَجَّانًا بِإِنْجِيلِ ٱللهِ؟ ٧ 7
का येख म मय न कुछ पाप करयो कि मय न तुम्ख परमेश्वर को सुसमाचार थोड़ो-मोड़ों सुनायो; अऊर अपनो आप ख नम्र करयो कि तुम ऊचो होय जावो?
سَلَبْتُ كَنَائِسَ أُخْرَى آخِذًا أُجْرَةً لِأَجْلِ خِدْمَتِكُمْ، وَإِذْ كُنْتُ حَاضِرًا عِنْدَكُمْ وَٱحْتَجْتُ، لَمْ أُثَقِّلْ عَلَى أَحَدٍ. ٨ 8
मय न दूसरी मण्डलियों ख लूट्यो, यानेकि मय न उन सी मजूरी ली ताकि तुम्हरी सेवा करू।
لِأَنَّ ٱحْتِيَاجِي سَدَّهُ ٱلْإِخْوَةُ ٱلَّذِينَ أَتَوْا مِنْ مَكِدُونِيَّةَ. وَفِي كُلِّ شَيْءٍ حَفِظْتُ نَفْسِي غَيْرَ ثَقِيلٍ عَلَيْكُمْ، وَسَأَحْفَظُهَا. ٩ 9
अऊर जब मय तुम्हरो संग होतो अऊर मोख कमी भयी, त मय न कोयी पर बोझ नहीं डाल्यो, कहालीकि भाऊवों न मकिदुनिया सी आय क मोरी कमी ख पूरो करयो; अऊर मय न हर बात म अपनो आप ख तुम पर बोझ बननो सी रोक्यो, अऊर रोक्यो रहूं।
حَقُّ ٱلْمَسِيحِ فِيَّ. إِنَّ هَذَا ٱلِٱفْتِخَارَ لَا يُسَدُّ عَنِّي فِي أَقَالِيمِ أَخَائِيَةَ. ١٠ 10
यदि मसीह की सच्चायी मोरो म हय त अखया देश म कोयी मोख यो घमण्ड सी नहीं रोकेंन।
لِمَاذَا؟ أَلِأَنِّي لَا أُحِبُّكُمْ؟ ٱللهُ يَعْلَمُ. ١١ 11
कहाली? का येकोलायी कि मय तुम सी प्रेम नहीं रखू हय? परमेश्वर यो जानय हय कि मय प्रेम रखू हय।
وَلَكِنْ مَا أَفْعَلُهُ سَأَفْعَلُهُ لِأَقْطَعَ فُرْصَةَ ٱلَّذِينَ يُرِيدُونَ فُرْصَةً كَيْ يُوجَدُوا كَمَا نَحْنُ أَيْضًا فِي مَا يَفْتَخِرُونَ بِهِ. ١٢ 12
पर जो मय करू हय, उच करतो रहूं कि जो बड़ो प्रेरित कहलावय हय, मौका ढूंढय हंय मय उन्ख मौका पावन नहीं देऊ, घमण्ड करन को ताकी जो बात म हम घमण्ड करजे हय।
لِأَنَّ مِثْلَ هَؤُلَاءِ هُمْ رُسُلٌ كَذَبَةٌ، فَعَلَةٌ مَاكِرُونَ، مُغَيِّرُونَ شَكْلَهُمْ إِلَى شِبْهِ رُسُلِ ٱلْمَسِيحِ. ١٣ 13
कहालीकि असो लोग झूठो प्रेरित, अऊर छल सी काम करन वालो, अऊर मसीह को प्रेरितों को रूप धरन वालो हंय।
وَلَا عَجَبَ. لِأَنَّ ٱلشَّيْطَانَ نَفْسَهُ يُغَيِّرُ شَكْلَهُ إِلَى شِبْهِ مَلَاكِ نُورٍ! ١٤ 14
या कुछ अचम्भा की बात नहाय कहालीकि शैतान खुदच ज्योतिर्मय स्वर्गदूत को रूप धारन करय हय।
فَلَيْسَ عَظِيمًا إِنْ كَانَ خُدَّامُهُ أَيْضًا يُغَيِّرُونَ شَكْلَهُمْ كَخُدَّامٍ لِلْبِرِّ. ٱلَّذِينَ نِهَايَتُهُمْ تَكُونُ حَسَبَ أَعْمَالِهِمْ. ١٥ 15
येकोलायी यदि ओको सेवक भी सच्चायी को सेवकों को जसो रूप धरेंन, त कोयी बड़ी बात नहीं, पर उन्को न्याय उन्को कामों को अनुसार होयेंन।
أَقُولُ أَيْضًا: لَا يَظُنَّ أَحَدٌ أَنِّي غَبِيٌّ. وَإِلَّا فَٱقْبَلُونِي وَلَوْ كَغَبِيٍّ، لِأَفْتَخِرَ أَنَا أَيْضًا قَلِيلًا. ١٦ 16
मय फिर कहू हय, कोयी मोख मूर्ख नहीं समझे; नहीं त मूर्ख बनाय क स्वीकार करो, ताकि थोड़ो सो मय भी घमण्ड कर सकूं।
ٱلَّذِي أَتَكَلَّمُ بِهِ لَسْتُ أَتَكَلَّمُ بِهِ بِحَسَبِ ٱلرَّبِّ، بَلْ كَأَنَّهُ فِي غَبَاوَةٍ، فِي جَسَارَةِ ٱلِٱفْتِخَارِ هَذِهِ. ١٧ 17
यो आत्मविश्वास को घमण्ड म जो कुछ मय कहूं हय, ऊ प्रभु की आज्ञा को अनुसार नहीं पर मानो मूर्खता सीच कहूं हय।
بِمَا أَنَّ كَثِيرِينَ يَفْتَخِرُونَ حَسَبَ ٱلْجَسَدِ، أَفْتَخِرُ أَنَا أَيْضًا. ١٨ 18
जब कि बहुत सो लोग शरीर को अनुसार घमण्ड करय हंय, त मय भी घमण्ड करू।
فَإِنَّكُمْ بِسُرُورٍ تَحْتَمِلُونَ ٱلْأَغْبِيَاءَ، إِذْ أَنْتُمْ عُقَلَاءُ! ١٩ 19
तुम त समझदार होय क खुशी सी मूर्खो की सहन कर लेवय हय।
لِأَنَّكُمْ تَحْتَمِلُونَ: إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَسْتَعْبِدُكُمْ! إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَأْكُلُكُمْ! إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَأْخُذُكُمْ! إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَرْتَفِعُ! إِنْ كَانَ أَحَدٌ يَضْرِبُكُمْ عَلَى وُجُوهِكُمْ! ٢٠ 20
कहालीकि जब तुम्ख कोयी सेवक बनाय लेवय हय, यां फायदा उठाय लेवय हय, यां फसाय लेवय हय, यां अपनो आप ख बड़ो बनावय हय, यां तुम्हरो मुंह पर थापड़ मारय हय, त तुम सह लेवय हय।
عَلَى سَبِيلِ ٱلْهَوَانِ أَقُولُ: كَيْفَ أَنَّنَا كُنَّا ضُعَفَاءَ! وَلَكِنَّ ٱلَّذِي يَجْتَرِئُ فِيهِ أَحَدٌ، أَقُولُ فِي غَبَاوَةٍ: أَنَا أَيْضًا أَجْتَرِئُ فِيهِ. ٢١ 21
मोरो कहनो अपमान को रीति पर हय, मानो हम येकोलायी कमजोर जसो होतो। पर जो कोयी बात म कोयी घमण्ड करन कि हिम्मत करय हय मय मूर्खता सी कहू हय त मय भी हिम्मत करू।
أَهُمْ عِبْرَانِيُّونَ؟ فَأَنَا أَيْضًا. أَهُمْ إِسْرَائِيلِيُّونَ؟ فَأَنَا أَيْضًا. أَهُمْ نَسْلُ إِبْرَاهِيمَ؟ فَأَنَا أَيْضًا. ٢٢ 22
का हिच इब्रानी आय? मय भी आय। का हिच इस्राएली आय? मय भी आय। का हिच अब्राहम को वंश आय? मय भी आय।
أَهُمْ خُدَّامُ ٱلْمَسِيحِ؟ أَقُولُ كَمُخْتَلِّ ٱلْعَقْلِ، فَأَنَا أَفْضَلُ: فِي ٱلْأَتْعَابِ أَكْثَرُ، فِي ٱلضَّرَبَاتِ أَوْفَرُ، فِي ٱلسُّجُونِ أَكْثَرُ، فِي ٱلْمِيتَاتِ مِرَارًا كَثِيرَةً. ٢٣ 23
का हिच मसीह को सेवक आय मय पागल को जसो कहू हय मय उन सी बड़ क हय। जादा मेहनत करनो म; बार बार बन्दी होनो म; कोड़ा खानो म; बार बार मरन को खतरा म।
مِنَ ٱلْيَهُودِ خَمْسَ مَرَّاتٍ قَبِلْتُ أَرْبَعِينَ جَلْدَةً إِلَّا وَاحِدَةً. ٢٤ 24
पाच गन मय न यहूदियों को हाथ सी उन्चालीस-उन्चालीस कोड़ा सी मार खायो।
ثَلَاثَ مَرَّاتٍ ضُرِبْتُ بِٱلْعِصِيِّ، مَرَّةً رُجِمْتُ، ثَلَاثَ مَرَّاتٍ ٱنْكَسَرَتْ بِيَ ٱلسَّفِينَةُ، لَيْلًا وَنَهَارًا قَضَّيْتُ فِي ٱلْعُمْقِ. ٢٥ 25
तीन बार मय न बेत की छड़ी सी मार खायी; एक गन मोरो पर गोटा सी वार करयो गयो; तीन बार जहाज, जेक पर मय चढ़्यो होतो, टूट गयो; एक रात-दिन मय न समुन्दर म बितायो।
بِأَسْفَارٍ مِرَارًا كَثِيرَةً، بِأَخْطَارِ سُيُولٍ، بِأَخْطَارِ لُصُوصٍ، بِأَخْطَارٍ مِنْ جِنْسِي، بِأَخْطَارٍ مِنَ ٱلْأُمَمِ، بِأَخْطَارٍ فِي ٱلْمَدِينَةِ، بِأَخْطَارٍ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ، بِأَخْطَارٍ فِي ٱلْبَحْرِ، بِأَخْطَارٍ مِنْ إِخْوَةٍ كَذَبَةٍ. ٢٦ 26
मय बार बार यात्रावों म; नदियों को खतरावों म; डाकुवो को खतरावों म; यहूदी वालो सी खतरावों म; गैरयहूदी सी खतरावों म; नगरो को खतरावों म; जंगल को खतरावों म; समुन्दर को खतरावों म; झूठो भाऊ को बीच खतरावों म रह्यो।
فِي تَعَبٍ وَكَدٍّ، فِي أَسْهَارٍ مِرَارًا كَثِيرَةً، فِي جُوعٍ وَعَطَشٍ، فِي أَصْوَامٍ مِرَارًا كَثِيرَةً، فِي بَرْدٍ وَعُرْيٍ. ٢٧ 27
मेहनत अऊर तकलीफ म; बार बार जागतो रहनो म; भूख-प्यास म, बार बार उपवास करनो म; ठंडी म; उघाड़्यो रहनो म;
عَدَا مَا هُوَ دُونَ ذَلِكَ: ٱلتَّرَاكُمُ عَلَيَّ كُلَّ يَوْمٍ، ٱلِٱهْتِمَامُ بِجَمِيعِ ٱلْكَنَائِسِ. ٢٨ 28
अऊर दूसरी बातों ख छोड़ क जिन्को वर्नन म मय नहीं करू, सब मण्डलियों की चिन्ता हर दिन मोख दबावय हय।
مَنْ يَضْعُفُ وَأَنَا لَا أَضْعُفُ؟ مَنْ يَعْثُرُ وَأَنَا لَا أَلْتَهِبُ؟ ٢٩ 29
कौन्की कमजोरी सी मय कमजोर नहीं होऊं? कौन्को ठोकर खानो सी का मोरो जीव नहीं दुखय?
إِنْ كَانَ يَجِبُ ٱلِٱفْتِخَارُ، فَسَأَفْتَخِرُ بِأُمُورِ ضَعْفِي. ٣٠ 30
यदि घमण्ड करनो जरूरी हय, त मय अपनी कमजोरी की बातों पर घमण्ड करूं।
ٱللهُ أَبُو رَبِّنَا يَسُوعَ ٱلْمَسِيحِ، ٱلَّذِي هُوَ مُبَارَكٌ إِلَى ٱلْأَبَدِ، يَعْلَمُ أَنِّي لَسْتُ أَكْذِبُ. (aiōn g165) ٣١ 31
प्रभु यीशु को परमेश्वर अऊर बाप जो हमेशा धन्य हय, जानय हय कि मय झूठ नहीं बोलू। (aiōn g165)
فِي دِمَشْقَ، وَالِي ٱلْحَارِثِ ٱلْمَلِكِ كَانَ يَحْرُسُ مَدِينَةَ ٱلدِّمَشْقِيِّينَ، يُرِيدُ أَنْ يُمْسِكَنِي، ٣٢ 32
दमिश्क म अरितास राजा को तरफ सी जो शासक होतो, ओन मोख पकड़न ख दमिश्कियों को नगर को द्वार पर सैनिक ख बैठाय ख रख्यो होतो,
فَتَدَلَّيْتُ مِنْ طَاقَةٍ فِي زَنْبِيلٍ مِنَ ٱلسُّورِ، وَنَجَوْتُ مِنْ يَدَيْهِ. ٣٣ 33
अऊर मय टोकना म खिड़की सी होय क शहर को दिवार की खिड़की सी उतारयो गयो, अऊर ओको हाथ सी बच निकल्यो।

< ٢ كورنثوس 11 >