< ٢ أخبار 20 >

ثُمَّ بَعْدَ ذَلِكَ أَتَى بَنُو مُوآبَ وَبَنُو عَمُّونَ وَمَعَهُمُ ٱلْعَمُّونِيُّونَ عَلَى يَهُوشَافَاطَ لِلْمُحَارَبَةِ. ١ 1
इसके बाद मोआबी, अम्मोनी और मिऊनी यहोशाफ़ात से युद्ध के लिए तैयार हुए.
فَجَاءَ أُنَاسٌ وَأَخْبَرُوا يَهُوشَافَاطَ قَائِلِينَ: «قَدْ جَاءَ عَلَيْكَ جُمْهُورٌ كَثِيرٌ مِنْ عَبْرِ ٱلْبَحْرِ مِنْ أَرَامَ، وَهَا هُمْ فِي حَصُّونَ تَامَارَ». هِيَ عَيْنُ جَدْيٍ. ٢ 2
यहोशाफ़ात को बताया गया सागर पार एदोम से बड़ी भारी भीड़ आप पर हमला करने आ रही है. इस समय वे हज़ज़ोन-तामार जो एन-गेदी में है,
فَخَافَ يَهُوشَافَاطُ وَجَعَلَ وَجْهَهُ لِيَطْلُبَ ٱلرَّبَّ، وَنَادَى بِصَوْمٍ فِي كُلِّ يَهُوذَا. ٣ 3
यहोशाफ़ात डर गया. उसने अपना ध्यान याहवेह की इच्छा जानने की ओर लगा दिया. उसने सारे यहूदिया में उपवास की घोषणा करवा दी.
وَٱجْتَمَعَ يَهُوذَا لِيَسْأَلُوا ٱلرَّبَّ. جَاءُوا أَيْضًا مِنْ كُلِّ مُدُنِ يَهُوذَا لِيَسْأَلُوا ٱلرَّبَّ. ٤ 4
सारे यहूदिया ने इकट्ठा होकर याहवेह से सहायता की विनती की; यहूदिया के हर एक नगर से लोग याहवेह से सहायता की कामना करने आ गए.
فَوَقَفَ يَهُوشَافَاطُ فِي جَمَاعَةِ يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمَ فِي بَيْتِ ٱلرَّبِّ أَمَامَ ٱلدَّارِ ٱلْجَدِيدَةِ ٥ 5
यहोशाफ़ात प्रार्थना करने याहवेह के भवन के नए आंगन में यहूदिया और येरूशलेम की सभा के सामने खड़े हुए
وَقَالَ: «يَارَبُّ إِلَهَ آبَائِنَا، أَمَا أَنْتَ هُوَ ٱللهُ فِي ٱلسَّمَاءِ، وَأَنْتَ ٱلْمُتَسَلِّطُ عَلَى جَمِيعِ مَمَالِكِ ٱلْأُمَمِ، وَبِيَدِكَ قُوَّةٌ وَجَبَرُوتٌ وَلَيْسَ مَنْ يَقِفُ مَعَكَ؟ ٦ 6
यहोशाफ़ात ने विनती की, “हे याहवेह, हमारे पूर्वजों के परमेश्वर, आप वह परमेश्वर हैं, जो स्वर्ग में रहते हैं. आपका ही शासन सारे राष्ट्रों के राज्यों पर भी है. अधिकार और सामर्थ्य आपके ही हाथों में है. इसके कारण कोई भी आपके सामने ठहर नहीं सकता.
أَلَسْتَ أَنْتَ إِلَهَنَا ٱلَّذِي طَرَدْتَ سُكَّانَ هَذِهِ ٱلْأَرْضِ مِنْ أَمَامِ شَعْبِكَ إِسْرَائِيلَ وَأَعْطَيْتَهَا لِنَسْلِ إِبْرَاهِيمَ خَلِيلِكَ إِلَى ٱلْأَبَدِ؟ ٧ 7
आपने ही इस भूमि के मूल निवासियों को अपनी प्रजा इस्राएल के सामने से दूर कर दिया और यह भूमि अपने मित्र अब्राहाम के वंशजों को दे दी.
فَسَكَنُوا فِيهَا وَبَنَوْا لَكَ فِيهَا مَقْدِسًا لِٱسْمِكَ قَائِلِينَ: ٨ 8
वे इसमें रह रहे हैं. आपकी महिमा में यह कहते हुए एक पवित्र स्थान को बनाया,
إِذَا جَاءَ عَلَيْنَا شَرٌّ، سَيْفٌ قَضَاءٌ أَوْ وَبَأٌ أَوْ جُوعٌ، وَوَقَفْنَا أَمَامَ هَذَا ٱلْبَيْتِ وَأَمَامَكَ، لِأَنَّ ٱسْمَكَ فِي هَذَا ٱلْبَيْتِ، وَصَرَخْنَا إِلَيْكَ مِنْ ضِيقِنَا فَإِنَّكَ تَسْمَعُ وَتُخَلِّصُ. ٩ 9
‘यदि हम पर बुराई, तलवार या न्याय-दंड का वार हो या महामारी या अकाल आ पड़े, हम इस भवन के सामने, सच में आपके सामने आ खड़े होंगे; क्योंकि इस भवन में आपकी महिमा का वास है और अपनी विपत्ति में आपके सामने रोएंगे, आप हमारी सुनकर हमें छुटकारा प्रदान करेंगे.’
وَٱلْآنَ هُوَذَا بَنُو عَمُّونَ وَمُوآبُ وَجَبَلُ سَاعِيرَ، ٱلَّذِينَ لَمْ تَدَعْ إِسْرَائِيلَ يَدْخُلُونَ إِلَيْهِمْ حِينَ جَاءُوا مِنْ أَرْضِ مِصْرَ، بَلْ مَالُوا عَنْهُمْ وَلَمْ يُهْلِكُوهُمْ، ١٠ 10
“अब देख लीजिए, अम्मोन, मोआब के वंशज और सेईर पहाड़ के रहनेवाले, जिन पर मिस्र देश से आ रहे इस्राएलियों को आपने हमला करने से रोक दिया था, वे जिनके पास से होकर निकल गए मगर उन्हें नाश नहीं किया गया था.
فَهُوَذَا هُمْ يُكَافِئُونَنَا بِمَجِيئِهِمْ لِطَرْدِنَا مِنْ مُلْكِكَ ٱلَّذِي مَلَّكْتَنَا إِيَّاهُ. ١١ 11
देख लीजिए, वे हमें इसका प्रतिफल यह दे रहे हैं, कि वे हमें आपकी संपत्ति से निकाल रहे हैं, जो आपने हमें मीरास के रूप में दिया है.
يَا إِلَهَنَا أَمَا تَقْضِي عَلَيْهِمْ، لِأَنَّهُ لَيْسَ فِينَا قُوَّةٌ أَمَامَ هَذَا ٱلْجُمْهُورِ ٱلْكَثِيرِ ٱلْآتِي عَلَيْنَا، وَنَحْنُ لَا نَعْلَمُ مَاذَا نَعْمَلُ وَلَكِنْ نَحْوَكَ أَعْيُنُنَا». ١٢ 12
हमारे परमेश्वर, क्या आप इसका फैसला न करेंगे? क्योंकि इस बड़ी भीड़ के सामने, जो हम पर हमला करने आ रही है, हम तो पूरी तरह शक्तिहीन हैं. हम नहीं जानते इस स्थिति में हमारा क्या करना सही होगा. हां, हमारी दृष्टि बस आप पर ही टिकी हुई है.”
وَكَانَ كُلُّ يَهُوذَا وَاقِفِينَ أَمَامَ ٱلرَّبِّ مَعَ أَطْفَالِهِمْ وَنِسَائِهِمْ وَبَنِيهِمْ. ١٣ 13
इस समय सारे यहूदिया राज्य, उनकी पत्नियां, शिशु और बालक भी याहवेह के सामने ठहरे हुए थे.
وَإِنَّ يَحْزَئِيلَ بْنَ زَكَرِيَّا بْنِ بَنَايَا بْنِ يَعِيئِيلَ بْنِ مَتَّنِيَّا ٱللَّاوِيِّ مِنْ بَنِي آسَافَ، كَانَ عَلَيْهِ رُوحُ ٱلرَّبِّ فِي وَسَطِ ٱلْجَمَاعَةِ، ١٤ 14
तब इसी सभा में याहवेह के पवित्र आत्मा याहाज़िएल पर उतरे. याहाज़िएल ज़करयाह का, ज़करयाह बेनाइयाह का, बेनाइयाह येइएल का और येइएल आसफ के पुत्र लेवी मत्तनियाह का पुत्र था.
فَقَالَ: «ٱصْغَوْا يَا جَمِيعَ يَهُوذَا وَسُكَّانَ أُورُشَلِيمَ، وَأَيُّهَا ٱلْمَلِكُ يَهُوشَافَاطُ. هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ لَكُمْ: لَا تَخَافُوا وَلَا تَرْتَاعُوا بِسَبَبِ هَذَا ٱلْجُمْهُورِ ٱلْكَثِيرِ، لِأَنَّ ٱلْحَرْبَ لَيْسَتْ لَكُمْ بَلْ لِلهِ. ١٥ 15
याहाज़िएल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा: “यहूदिया, येरूशलेम के सभी निवासियों और महाराज यहोशाफ़ात, कृपया सुनिए: ‘आपके लिए याहवेह का संदेश यह है इस बड़ी भीड़ को देखकर तुम न तो डरना और न घबराना, क्योंकि यह युद्ध तुम्हारा नहीं, परमेश्वर का है!
غَدًا ٱنْزِلُوا عَلَيْهِمْ. هُوَذَا هُمْ صَاعِدُونَ فِي عَقَبَةِ صِيصَ فَتَجِدُوهُمْ فِي أَقْصَى ٱلْوَادِي أَمَامَ بَرِّيَّةِ يَرُوئِيلَ. ١٦ 16
कल हम उन पर हमला करेंगे. यह देखना कि वे लोग ज़िज़ के चढ़ाव से हमारी ओर बढ़ेंगे. उनसे तुम्हारा सामना येरुएल के बंजर भूमि के सामने की ओर की घाटी के अंत में होगा.
لَيْسَ عَلَيْكُمْ أَنْ تُحَارِبُوا فِي هَذِهِ. قِفُوا ٱثْبُتُوا وَٱنْظُرُوا خَلَاصَ ٱلرَّبِّ مَعَكُمْ يَا يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمُ. لَا تَخَافُوا وَلَا تَرْتَاعُوا. غَدًا ٱخْرُجُوا لِلِقَائِهِمْ وَٱلرَّبُّ مَعَكُمْ». ١٧ 17
यह ज़रूरी ही नहीं कि तुम इस युद्ध में जाओ. तुम वहां सिर्फ स्थिर खड़े हो जाना. तब यहूदिया और येरूशलेम, तुम्हें वहां खड़े हुए अपने लिए याहवेह द्वारा की गई छुड़ौती के गवाह होना. आप न तो भयभीत हों न घबराएं. कल आप उनका सामना करने आगे बढ़िए, क्योंकि याहवेह आपके साथ हैं.’”
فَخَرَّ يَهُوشَافَاطُ لِوَجْهِهِ عَلَى ٱلْأَرْضِ، وَكُلُّ يَهُوذَا وَسُكَّانُ أُورُشَلِيمَ سَقَطُوا أَمَامَ ٱلرَّبِّ سُجُودًا لِلرَّبِّ. ١٨ 18
यहोशाफ़ात ने यह सुनकर अपना सिर भूमि की ओर झुका लिया और सारा यहूदिया और येरूशलेमवासी याहवेह के सामने याहवेह की स्तुति में दंडवत हो गए.
فَقَامَ ٱللَّاوِيُّونَ مِنْ بَنِي ٱلْقَهَاتِيِّينَ وَمِنْ بَنِي ٱلْقُورَحِيِّينَ لِيُسَبِّحُوا ٱلرَّبَّ إِلَهَ إِسْرَائِيلَ بِصَوْتٍ عَظِيمٍ جِدًّا. ١٩ 19
कोहाथ और कोराह के वंशज लेवियों ने खड़े होकर बड़ी ही ऊंची आवाज में याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की स्तुति की.
وَبَكَّرُوا صَبَاحًا وَخَرَجُوا إِلَى بَرِّيَّةِ تَقُوعَ. وَعِنْدَ خُرُوجِهِمْ وَقَفَ يَهُوشَافَاطُ وَقَالَ: «ٱسْمَعُوا يَايَهُوذَا وَسُكَّانَ أُورُشَلِيمَ، آمِنُوا بِٱلرَّبِّ إِلَهِكُمْ فَتَأْمَنُوا. آمِنُوا بِأَنْبِيَائِهِ فَتُفْلِحُوا». ٢٠ 20
बड़े तड़के उठकर वे तकोआ के बंजर भूमि को चले गए. वहां पहुंचकर यहोशाफ़ात ने खड़े हो उनसे कहा, यहूदिया और येरूशलेम के वासियों, सुनो! याहवेह, अपने परमेश्वर में विश्वास रखो तो, तुम बने रहोगे. याहवेह के भविष्यवक्ताओं का भरोसा करो तो तुम सफल हो जाओगे.
وَلَمَّا ٱسْتَشَارَ ٱلشَّعْبَ أَقَامَ مُغَنِّينَ لِلرَّبِّ وَمُسَبِّحِينَ فِي زِينَةٍ مُقَدَّسَةٍ عِنْدَ خُرُوجِهِمْ أَمَامَ ٱلْمُتَجَرِّدِينَ وَقَائِلِينَ: «ٱحْمَدُوا ٱلرَّبَّ لِأَنَّ إِلَى ٱلْأَبَدِ رَحْمَتَهُ». ٢١ 21
जब राजा लोगों से सलाह-मशवरा कर चुका, उसने याहवेह के स्तुति के लिए गायक चुने. इनका काम था पवित्र वस्त्र पहनकर सेना के आगे-आगे चलते हुए इन शब्दों में याहवेह की स्तुति करना, “याहवेह का धन्यवाद करो-वे भले हैं; उनकी करुणा सदा की है.”
وَلَمَّا ٱبْتَدَأُوا فِي ٱلْغِنَاءِ وَٱلتَّسْبِيحِ جَعَلَ ٱلرَّبُّ أَكْمِنَةً عَلَى بَنِي عَمُّونَ وَمُوآبَ وَجَبَلِ سَاعِيرَ ٱلْآتِينَ عَلَى يَهُوذَا فَٱنْكَسَرُوا. ٢٢ 22
जब उन्होंने याहवेह की स्तुति में गाना शुरू किया, याहवेह ने यहूदिया के विरुद्ध उठे अम्मोनिया, मोआबियों और सेईर पर्वत के वासियों पर वार करने के लिए सैनिक घात लगाकर बैठा दिए. इस प्रकार शत्रुओं के पैर उखड़ गए.
وَقَامَ بَنُو عَمُّونَ وَمُوآبُ عَلَى سُكَّانِ جَبَلِ سَاعِيرَ لِيُحَرِّمُوهُمْ وَيُهْلِكُوهُمْ. وَلَمَّا فَرَغُوا مِنْ سُكَّانِ سَاعِيرَ سَاعَدَ بَعْضُهُمْ عَلَى إِهْلَاكِ بَعْضٍ. ٢٣ 23
तब अम्मोन और मोआब के वंशज सेईर पर्वत वासियों के विरुद्ध उठ खड़े हुए. और उनको पूरी तरह से मार दिया. जब वे सेईरवासियों को मार चुके, वे एक दूसरे ही को मारने लगे.
وَلَمَّا جَاءَ يَهُوذَا إِلَى ٱلْمَرْقَبِ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ تَطَلَّعُوا نَحْوَ ٱلْجُمْهُورِ وَإِذَا هُمْ جُثَثٌ سَاقِطَةٌ عَلَى ٱلْأَرْضِ وَلَمْ يَنْفَلِتْ أَحَدٌ. ٢٤ 24
जब यहूदियावासी बंजर भूमि की चौकी पर पहुंचे, जब उन्होंने भीड़ की दिशा में नज़रें की, वहां हर जगह शव ही शव पड़े हुए थे-कोई भी जीवित न बचा था.
فَأَتَى يَهُوشَافَاطُ وَشَعْبُهُ لِنَهْبِ أَمْوَالِهِمْ، فَوَجَدُوا بَيْنَهُمْ أَمْوَالًا وَجُثَثًا وَأَمْتِعَةً ثَمِينَةً بِكَثْرَةٍ، فَأَخَذُوهَا لِأَنْفُسِهِمْ حَتَّى لَمْ يَقْدِرُوا أَنْ يَحْمِلُوهَا. وَكَانُوا ثَلَاثَةَ أَيَّامٍ يَنْهَبُونَ ٱلْغَنِيمَةَ لِأَنَّهَا كَانَتْ كَثِيرَةً. ٢٥ 25
जब यहोशाफ़ात और उसकी सेना लूट का सामान इकट्ठा करने आई, उन्हें वहां भारी मात्रा में वस्तुएं, वस्त्र और कीमती वस्तुएं मिलीं. ये सभी उन्होंने अपने लिए रख लिया. यह सब मात्रा में इतना ज्यादा था, कि यह सब ले जाना उनके लिए संभव न हुआ. लूट की सामग्री इकट्ठा करते-करते उन्हें तीन दिन लग गए—इतनी ज्यादा थी लूट की सामग्री.
وَفِي ٱلْيَوْمِ ٱلرَّابِعِ ٱجْتَمَعُوا فِي وَادِي بَرَكَةَ، لِأَنَّهُمْ هُنَاكَ بَارَكُوا ٱلرَّبَّ، لِذَلِكَ دَعَوْا ٱسْمَ ذَلِكَ ٱلْمَكَانِ «وَادِي بَرَكَةَ» إِلَى ٱلْيَوْمِ. ٢٦ 26
चौथे दिन वे बेराकाह की घाटी में इकट्ठा हुए. वहां उन्होंने याहवेह की वंदना की इसलिये उन्होंने उस घाटी का नाम ही बेराकाह की घाटी रख दिया, जो आज तक प्रचलित है.
ثُمَّ ٱرْتَدَّ كُلُّ رِجَالِ يَهُوذَا وَأُورُشَلِيمَ وَيَهُوشَافَاطُ بِرَأْسِهِمْ لِيَرْجِعُوا إِلَى أُورُشَلِيمَ بِفَرَحٍ، لِأَنَّ ٱلرَّبَّ فَرَّحَهُمْ عَلَى أَعْدَائِهِمْ. ٢٧ 27
यहूदिया और येरूशलेम का हर एक व्यक्ति यहोशाफ़ात के साथ, जो उनके आगे-आगे चल रहा था, बड़ी ही खुशी के साथ येरूशलेम लौटा, क्योंकि याहवेह ने उन्हें शत्रुओं पर विजय दी थी.
وَدَخَلُوا أُورُشَلِيمَ بِٱلرَّبَابِ وَٱلْعِيدَانِ وَٱلْأَبْوَاقِ إِلَى بَيْتِ ٱلرَّبِّ. ٢٨ 28
किन्‍नोर, नेबेल और नरसिंगों के साथ येरूशलेम में प्रवेश कर याहवेह के भवन को गए.
وَكَانَتْ هَيْبَةُ ٱللهِ عَلَى كُلِّ مَمَالِكِ ٱلْأَرَاضِي حِينَ سَمِعُوا أَنَّ ٱلرَّبَّ حَارَبَ أَعْدَاءَ إِسْرَائِيلَ. ٢٩ 29
जब सभी राष्ट्रों ने यह सुना कि इस्राएल के शत्रुओं से युद्ध याहवेह ने किया था, उनमें परमेश्वर का भय छा गया.
وَٱسْتَرَاحَتْ مَمْلَكَةُ يَهُوشَافَاطَ، وَأَرَاحَهُ إِلَهُهُ مِنْ كُلِّ جِهَةٍ. ٣٠ 30
यहोशाफ़ात के शासन में हर जगह शांति थी, क्योंकि उसके परमेश्वर ने उसे हर तरफ से शांति दी थी.
وَمَلَكَ يَهُوشَافَاطُ عَلَى يَهُوذَا. كَانَ ٱبْنَ خَمْسٍ وَثَلَاثِينَ سَنَةً حِينَ مَلَكَ، وَمَلَكَ خَمْسًا وَعِشْرِينَ سَنَةً فِي أُورُشَلِيمَ، وَٱسْمُ أُمِّهِ عَزُوبَةُ بِنْتُ شَلْحِي. ٣١ 31
यहोशाफ़ात यहूदिया राज्य पर शासन करता रहा. जब उसने शासन शुरू किया, उसकी उम्र पैंतीस साल की थी. येरूशलेम पर वह पच्चीस साल राज्य करता रहा. उसकी माता का नाम अत्सूबा था, जो शिल्ही की पुत्री थी.
وَسَارَ فِي طَرِيقِ أَبِيهِ آسَا وَلَمْ يَحِدْ عَنْهَا إِذْ عَمِلَ ٱلْمُسْتَقِيمَ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ. ٣٢ 32
वह अपने पिता आसा की नीतियों का पालन करता रहा, इनसे वह कभी दूर न हुआ. वह वही करता रहा, जो याहवेह की दृष्टि में सही था.
إِلَّا أَنَّ ٱلْمُرْتَفَعَاتِ لَمْ تُنْتَزَعْ، بَلْ كَانَ ٱلشَّعْبُ لَمْ يُعِدُّوا بَعْدُ قُلُوبَهُمْ لِإِلَهِ آبَائِهِمْ. ٣٣ 33
यह सब होने पर भी ऊंचे स्थानों की वेदियां ढाई नहीं गईं; लोगों के मन उनके पूर्वजों के परमेश्वर पर स्थिर नहीं हुए थे.
وَبَقِيَّةُ أُمُورِ يَهُوشَافَاطَ ٱلْأُولَى وَٱلْأَخِيرَةِ، هَا هِيَ مَكْتُوبَةٌ فِي أَخْبَارِ يَاهُوَ بْنِ حَنَانِي ٱلْمَذْكُورِ فِي سِفْرِ مُلُوكِ إِسْرَائِيلَ. ٣٤ 34
यहोशाफ़ात के अन्य कामों का ब्यौरा, पहले से लेकर अंतिम तक का, हनानी के पुत्र येहू की पुस्तक इस्राएल के राजा में दिया गया है.
ثُمَّ بَعْدَ ذَلِكَ ٱتَّحَدَ يَهُوشَافَاطُ مَلِكُ يَهُوذَا مَعَ أَخَزْيَا مَلِكِ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِي أَسَاءَ فِي عَمَلِهِ. ٣٥ 35
इसके कुछ समय बाद यहूदिया के राजा यहोशाफ़ात ने इस्राएल के राजा अहज़्याह से मित्रता कर ली. अहज़्याह दुष्ट व्यक्ति था.
فَٱتَّحَدَ مَعَهُ فِي عَمَلِ سُفُنٍ تَسِيرُ إِلَى تَرْشِيشَ، فَعَمِلَا ٱلسُّفُنَ فِي عِصْيُونَ جَابِرَ. ٣٦ 36
इस मैत्री के कारण दोनों में तरशीश से व्यापार के लिए जहाज़ बनाने की सहमति हो गई. जहाज़ एज़िओन-गेबेर में बनता था.
وَتَنَبَّأَ أَلِيعَزَرُ بْنُ دُودَاوَاهُو مِنْ مَرِيشَةَ عَلَى يَهُوشَافَاطَ قَائِلًا: «لِأَنَّكَ ٱتَّحَدْتَ مَعَ أَخَزْيَا، قَدِ ٱقْتَحَمَ ٱلرَّبُّ أَعْمَالَكَ». فَتَكَسَّرَتِ ٱلسُّفُنُ وَلَمْ تَسْتَطِعِ ٱلسَّيْرَ إِلَى تَرْشِيشَ. ٣٧ 37
इस पर मारेशाहवासी दोदावाहू के पुत्र एलिएज़र ने यहोशाफ़ात के विरोध में यह भविष्यवाणी की, “अहज़्याह से तुम्हारी मित्रता के कारण याहवेह ने तुम्हारे कामों को नाश कर दिया है.” फलस्वरूप जहाज़ टूट गए और तरशीश यात्रा रुक गई.

< ٢ أخبار 20 >